Friday, April 8, 2016

करोड़ों रुपया बहाने के बाद भी कान्ह काली sinhastha 2016

- नाम की है ट्रीटमेंट व्यवस्था, ट्रीटमेंट प्लांट के पास ही नदी जैसी की तैसी
इंदौर. विनोद शर्मा ।
9 मार्च...। सिंहस्थ के श्रीगणेश में 42 दिन बाकी...। स्थान-कबीटखेड़ी...। दृश्य- एक तरफ कैलोदहाला से ट्रीटमेंट प्लांट के बीच सीवरेज लाइन डाली जा रही है, तो  प्लांट में भी सीवरेज ट्रीटमेंट हो रहा है। मगर, प्लांट के बाहर ही नदी का पानी वैसा ही है जैसा वर्षों से नजर आता है। यह हकीकत है सिंहस्थ 2016 के मद्दनेजर कान्ह शुद्धिकरण के नाम पर किए गए नगर निगम इंदौर के तमाम कामों और दावों की। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि 12 वर्षों में ट्रीटमेंट के नाम पर करोड़ों रुपया पानी की तरह बहाने के बावजूद कान्ह नदी की काया नहीं बदली।
शिप्रा में कान्ह का गंदा पानी रोकने के लिए इंदौर नगर निगम की रणनीति कितनी मजबूत है इसका जायजा लेने दबंग दुनिया की टीम मौके पर पहुंची। करीब 200 करोड़ की लागत से ट्रीटमेंट प्लांट का काम जारी है। कुछ हिस्सा पूरा हो चुका है। ट्रीटमेंट हो रहा है और ट्रीट पानी नदी में भी छोड़ा जा रहा है लेकिन वह नदी में बहकर आ रहे पानी के मुकाबले 10 फीसदी भी नहीं है। इसीलिए नदी का स्वरूप नहीं बदला। दबंग टीम ने सांवेर तक नदी का दौरा किया लेकिन एक भी जगह नदी का पानी रंग बदलता नहीं दिखा।
पानी 390 एलएलडी, ट्रीटमेंट 122 एमएलडी
इंदौर में नर्मदा (300 एमएलडी), यशवंतसागर (30 एमएलडी), बिलावली टेंक (3 एमएलडी) और ट्यूबवेल (60 एमएलडी) से कुल 393 एमएलडी पानी रोज इंदौर में सप्लाई हो रहा है जबकि पानी ट्रीट हो रहा है 122 एमएलडी। 271 एमएलडी पानी गंदे का गंदा ही है। यदि 245 एमएलडी की क्षमता से ट्रीटमेंट हो भी तो 148 एमएलडी पानी ट्रीट नहीं हो पाएगा।
लीकेज बड़ी दिक्कत..
कबीटखेड़ी में कान्ह का पानी ट्रीट किया जा रहा है वहीं खजराना, मालवीयनगर, रसोमा, सुखलिया, न्यायनगर होते हुए एक नाला ट्रीटमेंट प्लांट के बाद नदी में मिल रहा है। नाला पुराना है। प्लांट तक इसका पानी पहुंचाने के लिए डेÑन और इंटकवेल पहले से बना है हालांकि पानी इसके 5 फीसदी भी नहीं जा रहा। नाले का 95 फीसदी पानी तेज बहाव के साथ नदी में ही मिल रहा है।
अदुरदर्शिता बड़ा सिरदर्द
नगर निगम ने 90 एमएलडी का पहला ट्रीटमेंट प्लांट 2002-2004 के बीच तकरीबन 50 करोड़ की लागत से बनाया था लेकिन सीवरेज का 50 फीसदी पानी भी प्लांट तक नहीं पहुंचा पाया। अब जबकि 12-14 वर्षों में इंदौर भौगोलिक रूप से दोगुना हो चुका है। बसाहट फैलते-फैलते नीरंजनपुर, कैलोदहाला और ढाबली के पार तक जा चुकी है। ट्रीटमेंट प्लांट बनाने के बजाय निगम के नुमाइंदों ने 12 साल पुरानी जगह बने प्लांट का ही विस्तार कर दिया। स्कीम-113, 136, 139 के साथ ही स्कीम-78 व 114 का पानी अब भी इस नदी में जा रहा है। हालांकि इसे रोकने के लिए  बेलमोंट पार्क तक का पानी 2.5 किलोमीटर लंबी लाइन डालकर ट्रीटमेंट प्लांट की ओर लाया जा रहा है। काम पूरा होने में दो महीने और लगेंगे।
नाकाफी है नई लाइन भी...
निगम 2.5 किलोमीटर लंबी लाइन डालकर भी नदी साफ नहीं कर सकता क्योंकि  आगे तकरीबन 5 हजार परिवारों की बसाहट वाली फोनिक्स टाउनशिप, एंजल पार्क, एक्सल टाउनशिप भी है। यहां कैलोदहाला से पहले एक नाला नदी में मिलता है जिसमें देवासनाका क्षेत्र का गंदा पानी आ रहा है। इसी गांव में आईबीडी, इंडस सेटेलाइट ग्रीन,  रास टाउन, सिंगापुर नेस्ट, पंचवटी कॉलोनी है। तलावली में सिंगापुर, डीबी प्राइड, ड्रीम सिटी सहित दर्जनभर कॉलोनियां हैं। यह पूरा क्षेत्र निगमसीमा में आता है।
यह है सीवरेज सिस्टम..
मौजूदा सीवरेज जनरेट : 270 एमएलडी
ट्रिटमेंट प्लांट 2004 : 90 एमलएलडी (78+12 एमएलडी)
नया बनना था : 245 एमएलडी
बन रहा है : 155 एमएलडी
सीवरेज नेटवर्क : करीब 1000 किलोमीटर लंबी प्राइमरी लाइन।
एरिया कवरेज : 75 प्रतिशत
(2020 तक कुल 335 एमएलडी का ट्रिटमेंट प्लांट होना है लेकिन 2016 तक 245 एमएलडी भी कंपलिट नहीं है)
 यह थी प्लानिंग...
193.78 करोड़ : 245 एमएलडी का ट्रीटमेंट प्लांट
100 करोड़ : स्टॉप डेम, 18 आउटलेट को एसटीपी से कनेक्ट।
20 करोड़ : सांवेर रोड औद्योगिक वेस्ट ट्रीटमेंट
102 करोड़ : छह नालों की टेपिंग।
प्रस्ताव यह भी...
400 करोड़ : सीवरेज रहित क्षेत्र में सेकंडरी लाइन डालना।
450 करोड़ : 29 गांव में सीवरेज लाइन और ट्रीटमेंट सुविधा।
360 करोड़ : नदी किनारे झुग्गी मुक्त बनाना। 6000 यूनिट बनेगी।
100 करोड़ : 1000 हजार अफोर्डेबल हाउस बनाना।
97 करोड़ : ग्रामीण क्षेत्र को कवर करना।
498 करोड़ : शहरी क्षेत्र में रीवर फ्रंट डेवलपमेंट।
150 करोड़ : रीवर फ्रंट डेवलपमेंट कान्ह के अन्य हिस्सोंं में।
90 करोड़ : औद्योगिक वेस्ट का ट्रीटमेंट।

No comments:

Post a Comment