सहुलियत से जहां चाहे वहां करें स्नान
- छोटे-मोटे 15 घाट तैयार
उज्जैन से विनोद शर्मा ।
सिंहस्थ 2016 में तकरीबन पांच करोड़ श्रृद्धालुओं के आगमन का अनुमान लगाया गया है। सबसे ज्यादा जोर होगा शाही स्नान पर। इसीलिए प्रशासन ने उज्जैन में त्रिवेणी से लेकर सिद्धवट तक नदी किनारे घाटों की वृह्द श्रृंखला बना दी है ताकि परम्परागत घाटों पर ही श्रृद्धालु स्नान के लिए निर्भर न रहे। आज यह स्थिति यह है कि नदी के दोनों ओर कुल मिलाकर 8.5 किलोमीटर लंबे घाट ही घाट नजर आते हैं। शहरी क्षेत्र में नदी की लंबाई ही 17 किलोमीटर है जबकि इसमें आबादी से दूर जंगल एरिया भी शामिल है। मतलब यह कि आबादी के नजदीक जितनी लंबी नदी है उतने ही लंबे घाट हैं।
यदि आप सिंहस्थ में भीड़भाड़ से दूर शिप्रा स्नान करना चाहते हैं तो जरूरी नहीं कि आप रामघाट या नृसिंह घाट जैसे परम्परागत स्थानों पर ही जाएं। इंदौर से आ रहे हैं तो आप त्रिवेणी और प्रशांति धाम पर भी स्नान कर सकते हैं। आगे चिंतामण घाट, गऊ घाट, भूखी माता घाट और कबीर घाट पर भी ‘शिप्रे हर’ कर सकते हैं। लालपुल से दत्त अखाड़े के सामने स्थित मुक्तिधाम के सामने तक लगातार 3.5 किलोमीटर की लंबाई में घाटों का क्लस्टर है। क्लस्टर में चिंतामण घाट, कबीर घाट, भूखी माता घाट, दत्त अखाड़ा घाट, रामघाट, नृसिंह घाट और सुनहरी घाट शामिल हैं।
प्राचीन घाटों को मिला नया स्वरूप
रामघाट, नृसिंह घाट और दत्त अखाड़ा घाट को लाल पत्थरों से सजाया जा रहा है। वहीं त्रिवेणी, सुनहरी घाट, मंगलनाथ और सिद्धवट घाटों को भी विस्तार और नवीनता मिली है।
सभी जगह स्नान की तैयारी
सुरक्षा की दृष्टि से घाटों के अंतिम सीढ़ी पर रैलिंग लगाने से लेकर किनारे पर बेरिगेटिंग (ताकि श्रृद्धालुओं की कतार को मैनेज किया जा सके) भी की जा रही है।
हर घाट पर नौ तैराक होंगे तैनात
घाट पर 24 घंटे तैराक नियुक्त रहेंगे। इसमें तीन होमगार्ड के होंगे। तीन सीविल सविल डिफेंस के ‘जो कि उज्जैन पुलिस मुहैया कराएगी’ होंगे। तीन वॉलेंटियर ग्रुप से। मतलब एक घाट पर कुल नौ तैराक। इनकी ड्यूटी को आठ-आठ घंटे में ऐसे बांटा जाएगा कि 24 घंटे घाट पर तैराक तैनात नजर आए। तैराकों के साथ हर घाट पर मोटर बोट ओर किनारे पर प्राथमिक चिकित्सा टीम भी मौजूद रहेगी।
राम घाट
यह सबसे प्राचीन स्नान घाट है, जिस पर कुम्भ मेले के दौरान श्रद्धालु स्नान करना अधिक पसन्द करते हैं। यह हरसिद्धि मंदिर के समीप स्थित है। यहां घाट की लंबाई 450 मीटर से ज्यादा है।
त्रिवेणी घाट
इंदौर से उज्जैन जाते हैं तो सबसे पहले त्रिवेणी घाट आता है जहां नवग्रह मंदिर है। यहां शिप्रा-कान्ह (खान नदी) का संगम है। शिप्रा नदी के जल को स्वच्छ रखने के मकसद से खान नदी को बायपास किया जा रहा है। यहां 220 मीटर लंबा घाट है जो सजधज का तैयार है। यहां 400 मीटर दूर भी नदी के दोनों और घाट हैं जिनकी लंबाई 230 मीटर हैं। ये दोनों नए घाट हैं।
गऊ घाट
यह घाट चिंतामन रोड पर वेधशाला (जंतर-मंतर) के पास है। घांट 50 मीटर लंबा है। यहां वैधशाला के साथ ही मंदिर भी है।
मंगल नाथ घाट
महाकाल की तरह ही बड़ा मंदिर है मंगल नाथ। यहां मंदिर के पास 300 मीटर लंबा घाट हैं। पहले घाट सिर्फ मंदिर के पास थे लेकिन अब नदी के दोनों तरफ घाट बना दिए गए हैं। पुराने घाट भी विस्तारित कर दिए गए हैं।
सिद्धवट घाट
यह घाट प्रसिद्ध सिद्धवट मंदिर के पास शिप्रा नदी के बायें किनारे पर स्थित है। सिंहस्थ महाकुम्भ पर्व व धार्मिक पवित्र नहान पर आने वाले श्रद्धालुओं के स्नान के लिए संसाधन विभाग ने 150 मीटर लंबे घाट बनाए हैं। इस घाट पर पहुंचने का रास्ता सिद्धवट मंदिर के पास से है।
कबीर घाट
यह घाट बड़नगर रोड बड़ी रपट के दायीं तरफ नदी के बांये किनारे पर है। सिंहस्थ महाकुंभ पर्व व धार्मिक पवित्र स्नान पर आने वाले श्रद्धालुओं के स्नान के लिए घाट बनाया गया है।
ऋणमुक्तेश्वर घाट
ऋणमुक्तेश्वर मन्दिर के पास ही ये घाट बना हुआ है। इस घाट पर भगवान शिव के मुख्यगण वीरभद्र की प्राचीन मूर्ति है और बरगद का पुराना पेड़ है जिसके नीचे ऋणमुक्तेश्वर महादेव मंदिर है। यहां तकरीबन 100 मीटर लंबा घाट है।
भूखीमाता घाट
यह घाट प्रसिद्ध भूखीमाता मन्दिर के पास पउर के बायें ओर कि किनारे पर है। महाकुम्भ को देखते हुए इस घाट का निर्माण किया गया है। घाट तकरीबन 200 मीटर लंबा है। चिंतामण रोड या नृसिंह घाट के लिए बनी नई रोड से होते हुए यहां पहुंचा जा सकता है।
दत्त अखाड़ा घाट
घाट बड़नगर रोड पर छोटी रपट के बायीं तरफ है। इस घांट का नवीनीकरण किया जा चुका है। अब लाल पत्थर लग रहे हैं। घाट की लंबाई तकरीबन 300 मीटर है।
चिन्तामण घाट
चिन्तामण मार्ग पर रेलवे के लालपुल के नीचे नदी के बायें किनारे पर बना है चिंतामण घाट। इस घाट को भी नया बनाया गया है। चिन्तामण मार्ग रोड से होते हुए यहां पहुंचा जा सकता है।
प्रशांति धाम घाट
त्रिवेणी घाट के बाद उज्जैन की ओर यह तीसरा बड़ा घाट हैं जो कि प्रशान्तिधाम मंदिर के पास नदी के दायें तट पर है। घाट उज्जैन-इन्दौर मार्ग से लगभग 1.5 किलोमीटर दूर दायीं तरफ महावीर बाग कॉलोनी और त्रिवेणी ऐवेन्यू के पीछे है। महावीर बाग कॉलोनी से लगा हुआ ही इसका रास्ता है।
सुनहरी घाट
घाट बड़नगर मार्ग पर छोटी रपट के दांयीं तरफ है। सिंहस्थ को देखते ही इस घाट का नवनिर्माण किया गया है। छोटी रपट से होते हुए यहां पहुंच सकते हैं।
नृसिंह घाट
भूखीमाता मन्दिर के सामने कर्कराज मन्दिर के दायीं तरफ है यह घाट कर्कराज मन्दिर उज्जैन से निकलने वाली कर्क रेखा पर स्थित है। इसीलिए इस घाट का महत्व भी ज्यादा है। घाट का नवनिर्माण और विस्तार भी किया गया है।
- छोटे-मोटे 15 घाट तैयार
उज्जैन से विनोद शर्मा ।
सिंहस्थ 2016 में तकरीबन पांच करोड़ श्रृद्धालुओं के आगमन का अनुमान लगाया गया है। सबसे ज्यादा जोर होगा शाही स्नान पर। इसीलिए प्रशासन ने उज्जैन में त्रिवेणी से लेकर सिद्धवट तक नदी किनारे घाटों की वृह्द श्रृंखला बना दी है ताकि परम्परागत घाटों पर ही श्रृद्धालु स्नान के लिए निर्भर न रहे। आज यह स्थिति यह है कि नदी के दोनों ओर कुल मिलाकर 8.5 किलोमीटर लंबे घाट ही घाट नजर आते हैं। शहरी क्षेत्र में नदी की लंबाई ही 17 किलोमीटर है जबकि इसमें आबादी से दूर जंगल एरिया भी शामिल है। मतलब यह कि आबादी के नजदीक जितनी लंबी नदी है उतने ही लंबे घाट हैं।
यदि आप सिंहस्थ में भीड़भाड़ से दूर शिप्रा स्नान करना चाहते हैं तो जरूरी नहीं कि आप रामघाट या नृसिंह घाट जैसे परम्परागत स्थानों पर ही जाएं। इंदौर से आ रहे हैं तो आप त्रिवेणी और प्रशांति धाम पर भी स्नान कर सकते हैं। आगे चिंतामण घाट, गऊ घाट, भूखी माता घाट और कबीर घाट पर भी ‘शिप्रे हर’ कर सकते हैं। लालपुल से दत्त अखाड़े के सामने स्थित मुक्तिधाम के सामने तक लगातार 3.5 किलोमीटर की लंबाई में घाटों का क्लस्टर है। क्लस्टर में चिंतामण घाट, कबीर घाट, भूखी माता घाट, दत्त अखाड़ा घाट, रामघाट, नृसिंह घाट और सुनहरी घाट शामिल हैं।
प्राचीन घाटों को मिला नया स्वरूप
रामघाट, नृसिंह घाट और दत्त अखाड़ा घाट को लाल पत्थरों से सजाया जा रहा है। वहीं त्रिवेणी, सुनहरी घाट, मंगलनाथ और सिद्धवट घाटों को भी विस्तार और नवीनता मिली है।
सभी जगह स्नान की तैयारी
सुरक्षा की दृष्टि से घाटों के अंतिम सीढ़ी पर रैलिंग लगाने से लेकर किनारे पर बेरिगेटिंग (ताकि श्रृद्धालुओं की कतार को मैनेज किया जा सके) भी की जा रही है।
हर घाट पर नौ तैराक होंगे तैनात
घाट पर 24 घंटे तैराक नियुक्त रहेंगे। इसमें तीन होमगार्ड के होंगे। तीन सीविल सविल डिफेंस के ‘जो कि उज्जैन पुलिस मुहैया कराएगी’ होंगे। तीन वॉलेंटियर ग्रुप से। मतलब एक घाट पर कुल नौ तैराक। इनकी ड्यूटी को आठ-आठ घंटे में ऐसे बांटा जाएगा कि 24 घंटे घाट पर तैराक तैनात नजर आए। तैराकों के साथ हर घाट पर मोटर बोट ओर किनारे पर प्राथमिक चिकित्सा टीम भी मौजूद रहेगी।
राम घाट
यह सबसे प्राचीन स्नान घाट है, जिस पर कुम्भ मेले के दौरान श्रद्धालु स्नान करना अधिक पसन्द करते हैं। यह हरसिद्धि मंदिर के समीप स्थित है। यहां घाट की लंबाई 450 मीटर से ज्यादा है।
त्रिवेणी घाट
इंदौर से उज्जैन जाते हैं तो सबसे पहले त्रिवेणी घाट आता है जहां नवग्रह मंदिर है। यहां शिप्रा-कान्ह (खान नदी) का संगम है। शिप्रा नदी के जल को स्वच्छ रखने के मकसद से खान नदी को बायपास किया जा रहा है। यहां 220 मीटर लंबा घाट है जो सजधज का तैयार है। यहां 400 मीटर दूर भी नदी के दोनों और घाट हैं जिनकी लंबाई 230 मीटर हैं। ये दोनों नए घाट हैं।
गऊ घाट
यह घाट चिंतामन रोड पर वेधशाला (जंतर-मंतर) के पास है। घांट 50 मीटर लंबा है। यहां वैधशाला के साथ ही मंदिर भी है।
मंगल नाथ घाट
महाकाल की तरह ही बड़ा मंदिर है मंगल नाथ। यहां मंदिर के पास 300 मीटर लंबा घाट हैं। पहले घाट सिर्फ मंदिर के पास थे लेकिन अब नदी के दोनों तरफ घाट बना दिए गए हैं। पुराने घाट भी विस्तारित कर दिए गए हैं।
सिद्धवट घाट
यह घाट प्रसिद्ध सिद्धवट मंदिर के पास शिप्रा नदी के बायें किनारे पर स्थित है। सिंहस्थ महाकुम्भ पर्व व धार्मिक पवित्र नहान पर आने वाले श्रद्धालुओं के स्नान के लिए संसाधन विभाग ने 150 मीटर लंबे घाट बनाए हैं। इस घाट पर पहुंचने का रास्ता सिद्धवट मंदिर के पास से है।
कबीर घाट
यह घाट बड़नगर रोड बड़ी रपट के दायीं तरफ नदी के बांये किनारे पर है। सिंहस्थ महाकुंभ पर्व व धार्मिक पवित्र स्नान पर आने वाले श्रद्धालुओं के स्नान के लिए घाट बनाया गया है।
ऋणमुक्तेश्वर घाट
ऋणमुक्तेश्वर मन्दिर के पास ही ये घाट बना हुआ है। इस घाट पर भगवान शिव के मुख्यगण वीरभद्र की प्राचीन मूर्ति है और बरगद का पुराना पेड़ है जिसके नीचे ऋणमुक्तेश्वर महादेव मंदिर है। यहां तकरीबन 100 मीटर लंबा घाट है।
भूखीमाता घाट
यह घाट प्रसिद्ध भूखीमाता मन्दिर के पास पउर के बायें ओर कि किनारे पर है। महाकुम्भ को देखते हुए इस घाट का निर्माण किया गया है। घाट तकरीबन 200 मीटर लंबा है। चिंतामण रोड या नृसिंह घाट के लिए बनी नई रोड से होते हुए यहां पहुंचा जा सकता है।
दत्त अखाड़ा घाट
घाट बड़नगर रोड पर छोटी रपट के बायीं तरफ है। इस घांट का नवीनीकरण किया जा चुका है। अब लाल पत्थर लग रहे हैं। घाट की लंबाई तकरीबन 300 मीटर है।
चिन्तामण घाट
चिन्तामण मार्ग पर रेलवे के लालपुल के नीचे नदी के बायें किनारे पर बना है चिंतामण घाट। इस घाट को भी नया बनाया गया है। चिन्तामण मार्ग रोड से होते हुए यहां पहुंचा जा सकता है।
प्रशांति धाम घाट
त्रिवेणी घाट के बाद उज्जैन की ओर यह तीसरा बड़ा घाट हैं जो कि प्रशान्तिधाम मंदिर के पास नदी के दायें तट पर है। घाट उज्जैन-इन्दौर मार्ग से लगभग 1.5 किलोमीटर दूर दायीं तरफ महावीर बाग कॉलोनी और त्रिवेणी ऐवेन्यू के पीछे है। महावीर बाग कॉलोनी से लगा हुआ ही इसका रास्ता है।
सुनहरी घाट
घाट बड़नगर मार्ग पर छोटी रपट के दांयीं तरफ है। सिंहस्थ को देखते ही इस घाट का नवनिर्माण किया गया है। छोटी रपट से होते हुए यहां पहुंच सकते हैं।
नृसिंह घाट
भूखीमाता मन्दिर के सामने कर्कराज मन्दिर के दायीं तरफ है यह घाट कर्कराज मन्दिर उज्जैन से निकलने वाली कर्क रेखा पर स्थित है। इसीलिए इस घाट का महत्व भी ज्यादा है। घाट का नवनिर्माण और विस्तार भी किया गया है।
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