Friday, April 8, 2016

सिंहस्थ को यादगार बना देंगे आधुनिक आश्रम sinhastha 2016

- यज्ञशाला, भोजनशाला और कथा पांडाल के साथ साधकों के ठहरने की व्यवस्था भी
- अस्पताल व केफेटेरिया भी
उज्जैन से विनोद शर्मा ।
सिंहस्थ 2016 उज्जैन के बुनियादी श्रृंगार और नागा साधुओं के शाही स्नान के साथ ही सन्तों के भव्य अस्थाई आश्रमों के लिए अरसे तक याद रहेगा। सिंहस्थ से डेढ़ महीने पहले ही आरक्षित जमीनों पर सर्वसुविधायुक्त आश्रमों का काम शुरू हो चुका हैं। शुरूआती दौर में ही आश्रमों की  भव्यता लुभाती है। कुछ आश्रमों में हॉस्पिटल और कैफे टेरिया बन रहा है जबकि कुछ में एअर कंडीशनर युक्त कमरें भी जहां स्वामी के सेवक ठहर सकें।
          मेला क्षेत्र के लिए 2004 में 2,154 हेक्टेयर जमीन  नोटिफाई की थी जबकि 2016 के लिए 3,061 हेक्टेयर जमीन तय हुई। आवंटन अक्टूबर 2015 से शुरू हो चुका था। जमीन हर राज्य से आने वाले छोटे-बड़े संतों, धार्मिक-सामाजिक व व्यावसायिक संगठनों ‘सिंहस्थ की व्यवस्था में सहायक’ को दी गई है। बड़नगर और चिंतामन गणेश रोड पर जंहा देखो आश्रम (कैम्प) नजर आते हैं। 5 हजार से 9 लाख वर्गफीट तक जमीन दी गई है। आधे आश्रमों का काम जारी है। कुछ में सिर्फ टीन की बाउंड्री है। कुछ जमीनें अब भी खाली है। जो आश्रम बने हैं उनका काम देखने लायक है। बांस के बड़े-बड़े मुख्य द्वार और यज्ञशाला के साथ छोटे-छोटे तम्बू आकर्षण का केंद्र है।
सबसे बड़ा आश्रम स्वामी अवधेशानन्द का
जितने भी संतों व अखाड़ों को मेला क्षेत्र में जमीनें दे गई है उनमें अवधेशानन्द जी का आश्रम भी शामिल है। उनके आश्रम के लिए 20 एकड़ (8.70 लाख वर्गफीट) जमीन दी गई है। जहां यज्ञशाला, कथा पांडाल, 10 बेड का हॉस्पिटल, केफेटेरिया,  भोजनशाला, आशीर्वाद स्थल (जहां श्रृद््धालु स्वामी जी से मुलाकात कर सकें, अशीर्वाद ले सकें), अवधेशानन्द जी की कुटिया, मुरारी बापू की कुटिया, दो गार्डन और  100 से अधिक कमरे बन रहे हैं।
सर्वसुविधायुक्त अस्पताल भी..
इसी तरह प्रखर परोपकार मिशन (उत्तराखंड) को दो टुकड़ों में 1.80 लाख वर्गफीट (एक लाख और 80 हजार) जमीन दी गई है। ट्रस्ट यहां 50 बेड का अस्थाई हॉस्पिटल बना रहा है जहां 24 घंटे मल्टी स्पेशलिस्ट डॉक्टर सेवा देंगे। हॉस्पिटल आॅपरेशन थिएटर(सभी जनरल सर्जरी), आईसीयू, हृदयरोगियों के लिए वेंटीलेटर, माइनर आॅपरेशन थिएटर, डाइग्नोसिस सेंटर(सीबीसी, सीबी, यूरीन ऐनेलाइजर युक्त), ईसीजी, एक्स-रे, सोनोग्राफी, अल्ट्रासाउंड, फिजियोथेरेपी युक्त होगा। डॉक्टर, नर्स और कम्पाउंडर स्टाफ के रहने की व्यवस्था होगी। भोजनशाला, रामलीला-रासलीला क्षेत्र भी होगा।
संतों ने सेवकों के ठहरने की व्यवस्था भी कर दी...
तकरीबन हर संत व साधू ने अपने अस्थाई आश्रम में यज्ञशाला व कथा पांडाल के साथ वर्षों से सेवा करते आए अपने साधकों के ठहरने की व्यवस्था भी की है। किसी ने वुडन फ्लोरिंग के साथ टिन और प्लाईवुड के कैबिन बनाए हैं तो कहीं कांस-बांस की कुटिया भी डिमांड में है। स्वामी अवधेशानंदजी के आश्रम में 100 से अधिक कुटिया बन रही है। वहीं प्रखर परोपकार मिशन ने भी 100 कांस-बांस की कुटिया बनाई है।  कुटिया में 12 बाय 14 का कमरा, 7 बाय 6 की आधुनिक फिटिंग वाली बाथरूम होगी। पंखे और कुलर की व्यवस्था भी होगी।
रस्सी नहीं चिंदे से बांध रहे हैं बांस-कांस
ग्रीन उज्जैन क्लीन उज्जैन के कन्सेप्ट को आश्रम बनाने के दौरान ध्यान रखा जा रहा है। ज्यादातर बांस, सुखी घास और टट्टर का इस्तेमाल किया जा रहा है। इन्हें नाइलोन या प्लास्टिक की रस्सियों से नहीं बल्कि सुतली और नारियल की रस्सी से बांधा जा रहा है। यज्ञशाला और द्वार रंग बिरंगे कपड़ों के चिंदियों से बांधे जा रहे हैं। इससे बांस का स्ट्रक्चर और सुंदर नजर आता है।
इंजीनियरिंग कॉन्सेप्ट से बन रहे हैं आश्रम
संतों के आश्रम है इसीलिए यह न सोचें कि यें-वेंई बन रहे हैं। इन्हें इंजीनियरिंग कॉन्सेप्ट के साथ बनाने का ठेका दिया गया है जो सूत बाय सूत डिजाइन करके आश्रम-कुटिया बना रहे हैं ताकि कम जगह का ज्यादा इस्तेमाल हो सके। एअर वेंटिलेशन से लेकर रौशनी तक का ध्यान रखा जा रहा है। वुड फ्लोरिंग हो रही है। बिजली के तार व्यवस्थित है। बगीचे बन रहे हैं ताकि आश्रम की रौनक बढे।
आनंद कुटिया का.....
आधुनिक जीवन शैली से इतर लोग अपने गुरु की तरह आध्यत्मिक अंदाज में सिंहस्थ एन्जॉय करना चाहते हैं। इसके लिए श्रृद्धालुओं ने बांस-कांस की कुटिया की डिमांड की है। उनकी मंशा के अनुसार ही कुटिया बनाई जा रही है।
दिनेश मिश्रा, प्रखर परोपकार मिशन
  

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