17 किलोमीटर में से 10 किलोमीटर साफ, 7 किलोमीटर में काई और काला पानी
- सात घाटों पर लाखों श्रृद्धालू होंगे निराश
उज्जैन से विनोद शर्मा ।
सिंहस्थ के श्रीगणेश में 18 दिन बाकी है और मोक्षदायनी शिप्रा अभी से अपना रंग बदलने लगी है। एक तरफ ‘शिव’ सरकार उज्जैन के बुनियादी विकास को लेकर सीना फुलाए घुम रही है दूसरी तरफ शहर के गंदे पानी सुनहरी घाट के बाद से ही शिप्रा की काया काली कर रहा है। हालात यह है कि शहर में 17 किलोमीटर लंबी शिप्रा 10 किलोमीटर में गौरी और 7 किलोमीटर में काली नजर आने लगी है। वह भी उस स्थिति में जब इन 7 किलोमीटर में 5 प्रमुख घाट और यहां लाखों की तादाद में लोग स्नान करेंगे।
शिप्रा गंदी न हो इसके लिए साधु-संतों से लेकर सरकार तक की नजर सिर्फ इंदौर से आने वाली कान्ह पर रही। कान्ह डायवर्शन से पानी को शिप्रा में मिलने से रोकने के प्रयास किए जाते रहे वहीं उज्जैन की गंदी शिप्रा में न मिले इसके पुख्ता इंतजाम करने में प्रशासन नाकाम रहा। यही वजह है कि सिंहस्थ की तैयारियों के बीच शिप्रा में मिल रहा गंदा पानी ‘अमृत’ की सेहत बिगाड़ रहा है। इसका बड़ा उदाहरण है भंडारिया खाल जिसके रास्ते उज्जैन के बड़े हिस्से का गंदा पानी सीधे नदी में प्रवेश कर रहा है। नाले और नदी का यह संगम रामघाट से 2.7 किलोमीटर दूर है जबकि संगम से 700 मीटर दूर कालभैरव घाट, 2.56 किलोमीटर दूर मंगलनाथ घाट और 3.47 किलोमीटर दूर सिद्धवट घाट है। इन घाटों पर लाखों श्रृद्धालू स्नान करेंगे।
नदी की सफाई ही नहीं हुई...
वालमिकी घाट (वालमिकी आश्रम), श्री ऋृणमुक्तेश्वर महादेव मंदिर घाट, नवनाथ मंदिर घाट, विक्रांत भैरव घाट, मंगलनाथ, सिद्धवट पर पानी काला और हरी काईदार है।
काल भैरव घाट के किनारे पर गंदगी पड़ी है। एक व्यक्ति नाव से कचरा बिनता नजर आता है लेकिन दबंग दुनिया से बातचीत में उसने कहा कि अब तक यहां से मंगलनाथ और सिद्धवट की सफाई नहीं हुई।
कितने महत्वपूर्ण है यह घाट
घाट लंबाई
ऋृणमुक्तेश्वर घाट 75 मीटर
वालमिकी घाट 75 मीटर
नवनाथ घाट 65 मीटर
विक्रांत भैरव 35 मीटर
काल भैरव 35 मीटर
मंगलनाथ घाट 400+280 मीटर
सिद्धवट घाट 160 मीटर
ये घाट काल भैरव जोन और मंगलनाथ जोन के अंतरगत आते हैं जहां 13 प्रमुख अखाड़ों में से 3 अखाड़े हैं। साधु-संतों को 2600 प्लॉट आवंटित किए गए हैं। इन घाटों के विकास और सौंदर्यीकरण पर करोड़ों रुपया बहाया गया। मंगलनाथ मंदिर का नवीनीकरण किया गया। इसीलिए यहां श्रृद्धालुओं की संख्या अच्छी रहेगी लेकिन पानी की स्थिति उन्हें निराश करेगी। सिद्धवट से कालिया देह पैलेस तक भी साधुओं को प्लॉट दिए गए हैं। कालियादेह के 52 कुंडों में स्नान का महत्व जरूर है लेकिन यहां भी पानी गंदा ही है।
- सात घाटों पर लाखों श्रृद्धालू होंगे निराश
उज्जैन से विनोद शर्मा ।
सिंहस्थ के श्रीगणेश में 18 दिन बाकी है और मोक्षदायनी शिप्रा अभी से अपना रंग बदलने लगी है। एक तरफ ‘शिव’ सरकार उज्जैन के बुनियादी विकास को लेकर सीना फुलाए घुम रही है दूसरी तरफ शहर के गंदे पानी सुनहरी घाट के बाद से ही शिप्रा की काया काली कर रहा है। हालात यह है कि शहर में 17 किलोमीटर लंबी शिप्रा 10 किलोमीटर में गौरी और 7 किलोमीटर में काली नजर आने लगी है। वह भी उस स्थिति में जब इन 7 किलोमीटर में 5 प्रमुख घाट और यहां लाखों की तादाद में लोग स्नान करेंगे।
शिप्रा गंदी न हो इसके लिए साधु-संतों से लेकर सरकार तक की नजर सिर्फ इंदौर से आने वाली कान्ह पर रही। कान्ह डायवर्शन से पानी को शिप्रा में मिलने से रोकने के प्रयास किए जाते रहे वहीं उज्जैन की गंदी शिप्रा में न मिले इसके पुख्ता इंतजाम करने में प्रशासन नाकाम रहा। यही वजह है कि सिंहस्थ की तैयारियों के बीच शिप्रा में मिल रहा गंदा पानी ‘अमृत’ की सेहत बिगाड़ रहा है। इसका बड़ा उदाहरण है भंडारिया खाल जिसके रास्ते उज्जैन के बड़े हिस्से का गंदा पानी सीधे नदी में प्रवेश कर रहा है। नाले और नदी का यह संगम रामघाट से 2.7 किलोमीटर दूर है जबकि संगम से 700 मीटर दूर कालभैरव घाट, 2.56 किलोमीटर दूर मंगलनाथ घाट और 3.47 किलोमीटर दूर सिद्धवट घाट है। इन घाटों पर लाखों श्रृद्धालू स्नान करेंगे।
नदी की सफाई ही नहीं हुई...
वालमिकी घाट (वालमिकी आश्रम), श्री ऋृणमुक्तेश्वर महादेव मंदिर घाट, नवनाथ मंदिर घाट, विक्रांत भैरव घाट, मंगलनाथ, सिद्धवट पर पानी काला और हरी काईदार है।
काल भैरव घाट के किनारे पर गंदगी पड़ी है। एक व्यक्ति नाव से कचरा बिनता नजर आता है लेकिन दबंग दुनिया से बातचीत में उसने कहा कि अब तक यहां से मंगलनाथ और सिद्धवट की सफाई नहीं हुई।
कितने महत्वपूर्ण है यह घाट
घाट लंबाई
ऋृणमुक्तेश्वर घाट 75 मीटर
वालमिकी घाट 75 मीटर
नवनाथ घाट 65 मीटर
विक्रांत भैरव 35 मीटर
काल भैरव 35 मीटर
मंगलनाथ घाट 400+280 मीटर
सिद्धवट घाट 160 मीटर
ये घाट काल भैरव जोन और मंगलनाथ जोन के अंतरगत आते हैं जहां 13 प्रमुख अखाड़ों में से 3 अखाड़े हैं। साधु-संतों को 2600 प्लॉट आवंटित किए गए हैं। इन घाटों के विकास और सौंदर्यीकरण पर करोड़ों रुपया बहाया गया। मंगलनाथ मंदिर का नवीनीकरण किया गया। इसीलिए यहां श्रृद्धालुओं की संख्या अच्छी रहेगी लेकिन पानी की स्थिति उन्हें निराश करेगी। सिद्धवट से कालिया देह पैलेस तक भी साधुओं को प्लॉट दिए गए हैं। कालियादेह के 52 कुंडों में स्नान का महत्व जरूर है लेकिन यहां भी पानी गंदा ही है।
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