इंदौर. विनोद शर्मा ।
कर चोरी करने वाले व्यापारियों के खिलाफ वाणिज्यिक कर विभाग की सख्ती का दौर जारी है। इसी कड़ी में विभाग उन व्यापारियों के बैंक खाते भी सीज कर सकता है जिन पर छापे के दौरान कर चोरी का संदेह हो या पुष्टि हो। इसके लिए वित्त मंत्रालय ने वैट संशोधन बिल 2016 में धारा 28 ‘क’ का प्रावधान किया है जिसके तहत व्यापारी की जमा पूंजी अधिकतम दो साल के लिए कुर्क की जा सकती है।
व्यापारी पहले ही फार्म-49 में उत्पादों की बढ़ी हुई सूची और ट्रांजिट पास सहित बजट 2016-17 में वित्त मंत्री जयंत मलैया द्वारा किए गए प्रावधानों से परेशान हैं। उस पर वैट संशोधन अधिनियम के तहत अधिकारियों को अब जमा पूंजी कुर्क करने के अधिकार भी दे दिए गए हैं। नई धारा के मुताबिक जांच या छापे के दौरान अधिकारियों को कर चोरी का संदेह होता है तो अधिकारी मौके पर उपलब्ध दस्तावेजों या हिसाब खातों के आधार पर संबंधित व्यापारी या कारोबारी की जमा पूंजी कुर्क कर सकते हैं।
बताना होगी पूरी जमा रकम...
राजस्व हित में अधिकारियों को कुर्की की कार्रवाई करते वक्त यह देखना होगा कि असेसी पर टैक्स ड्यू है या नहीं? किसी दूसरे व्यक्ति या व्यापारी का ड्यू तो नहीं ह? खाते में कारोबार के लिए दी गई किसी अन्य व्यापारी की रकम तो नहीं है?
कुर्की आदेश में खाते में जमा कुल रकम का जिक्र करना होगा। कुर्क संपत्ति के संबंध में निर्धारित समय के लिए बैंक गारंटी दे दी जाए तो कुर्की आदेश को वापस भी लिया जा सकता है।
अधिकतम दो साल के लिए ही होगा आदेश
कुर्की आदेश तामीली के एक साल बाद निरस्त होगा। उचित कारण होने पर अधिकारी इस आदेश की अवधि को बढ़ा भी सकते हैं। हालांकि बढ़ी हुई अवधि भी दो वर्ष से अधिक नहीं हो सकती। नोटिस तामील होने के बाद संबंधित असेसी व्यक्तिगत रूप से आदेश वापस न होने तक उक्त राशि चुकाने के लिए उत्तरदायी होगा।
इन्हें होंगे अधिकार
कुर्की के अधिकार आयुक्त या अपर आयुक्त के साथ ऐसे उपायुक्त को ही होंगे जिन्हें आयुक्त ने गजट नोटिफिकेशन के आधार पर अधिकार दिए हों।
तो अपीलेंट बोर्ड में कर सकते हैं अपील
कुर्की आदेश मिलने के बाद कोई असेसी 15 दिन में या समयसीमा बढ़ने के 15 दिन में निर्धारित प्रारूप में आवेदन करता है तो उसे सुनवाई का अवसर दिया जाएगा। सुनवाई के बाद परिस्थिति देखते हुए अधिकारी कुर्की आदेश की पुष्टि कर सकता है। या निरस्त कर सकता है। किसी के आवेदन के बावजूद कुर्की आदेश जारी होता है तो वह अपीलेंट बोर्ड में अपील कर सकता है। इस संबंध में वैट अधिनियम की धारा 46 में प्रावधान है।
व्यापारियों को मारना चाहती है सरकार
व्यापारिक संगठनों ने इस अधिनियम का विरोध किया है। उनकी मानें तो सरकार के इस फैसले से इंस्पेक्टर राज बढ़ेगा। अधिकारियों की दादागिरी बढ़ेगी। वे सिर्फ शंका के आधार पर खाते कुर्क करके बैठ जाएंगे। इससे भ्रष्टाचार भी बढ़ेगा।
कर चोरी करने वाले व्यापारियों के खिलाफ वाणिज्यिक कर विभाग की सख्ती का दौर जारी है। इसी कड़ी में विभाग उन व्यापारियों के बैंक खाते भी सीज कर सकता है जिन पर छापे के दौरान कर चोरी का संदेह हो या पुष्टि हो। इसके लिए वित्त मंत्रालय ने वैट संशोधन बिल 2016 में धारा 28 ‘क’ का प्रावधान किया है जिसके तहत व्यापारी की जमा पूंजी अधिकतम दो साल के लिए कुर्क की जा सकती है।
व्यापारी पहले ही फार्म-49 में उत्पादों की बढ़ी हुई सूची और ट्रांजिट पास सहित बजट 2016-17 में वित्त मंत्री जयंत मलैया द्वारा किए गए प्रावधानों से परेशान हैं। उस पर वैट संशोधन अधिनियम के तहत अधिकारियों को अब जमा पूंजी कुर्क करने के अधिकार भी दे दिए गए हैं। नई धारा के मुताबिक जांच या छापे के दौरान अधिकारियों को कर चोरी का संदेह होता है तो अधिकारी मौके पर उपलब्ध दस्तावेजों या हिसाब खातों के आधार पर संबंधित व्यापारी या कारोबारी की जमा पूंजी कुर्क कर सकते हैं।
बताना होगी पूरी जमा रकम...
राजस्व हित में अधिकारियों को कुर्की की कार्रवाई करते वक्त यह देखना होगा कि असेसी पर टैक्स ड्यू है या नहीं? किसी दूसरे व्यक्ति या व्यापारी का ड्यू तो नहीं ह? खाते में कारोबार के लिए दी गई किसी अन्य व्यापारी की रकम तो नहीं है?
कुर्की आदेश में खाते में जमा कुल रकम का जिक्र करना होगा। कुर्क संपत्ति के संबंध में निर्धारित समय के लिए बैंक गारंटी दे दी जाए तो कुर्की आदेश को वापस भी लिया जा सकता है।
अधिकतम दो साल के लिए ही होगा आदेश
कुर्की आदेश तामीली के एक साल बाद निरस्त होगा। उचित कारण होने पर अधिकारी इस आदेश की अवधि को बढ़ा भी सकते हैं। हालांकि बढ़ी हुई अवधि भी दो वर्ष से अधिक नहीं हो सकती। नोटिस तामील होने के बाद संबंधित असेसी व्यक्तिगत रूप से आदेश वापस न होने तक उक्त राशि चुकाने के लिए उत्तरदायी होगा।
इन्हें होंगे अधिकार
कुर्की के अधिकार आयुक्त या अपर आयुक्त के साथ ऐसे उपायुक्त को ही होंगे जिन्हें आयुक्त ने गजट नोटिफिकेशन के आधार पर अधिकार दिए हों।
तो अपीलेंट बोर्ड में कर सकते हैं अपील
कुर्की आदेश मिलने के बाद कोई असेसी 15 दिन में या समयसीमा बढ़ने के 15 दिन में निर्धारित प्रारूप में आवेदन करता है तो उसे सुनवाई का अवसर दिया जाएगा। सुनवाई के बाद परिस्थिति देखते हुए अधिकारी कुर्की आदेश की पुष्टि कर सकता है। या निरस्त कर सकता है। किसी के आवेदन के बावजूद कुर्की आदेश जारी होता है तो वह अपीलेंट बोर्ड में अपील कर सकता है। इस संबंध में वैट अधिनियम की धारा 46 में प्रावधान है।
व्यापारियों को मारना चाहती है सरकार
व्यापारिक संगठनों ने इस अधिनियम का विरोध किया है। उनकी मानें तो सरकार के इस फैसले से इंस्पेक्टर राज बढ़ेगा। अधिकारियों की दादागिरी बढ़ेगी। वे सिर्फ शंका के आधार पर खाते कुर्क करके बैठ जाएंगे। इससे भ्रष्टाचार भी बढ़ेगा।
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