या
अब शिप्रा की सेहत नहीं बिगाड़ेगी कान्ह
राघौ पीपल्या से कालिया देह पैलेस तक पाइप से किया बायपास
उज्जैन से विनोद शर्मा।
कान्ह नदी का गंदे पानी के कारण संतों और श्रृद्धालुओं को सिंहस्थ के दौरान शिप्रा के ‘स्वास्थ्य’ की चिंता करने की रत्तीभर जरूरत नहीं है। क्योंकि मार्च के अंतिम सप्ताह तक जल संसाधन विभाग 18.7 किलोमीटर लंबी लाइन डालकर उज्जैन में कान्ह नदी को बायपास कर देगा। हालांकि स्टाप डेम बनाकर तीन-चार महीने पहले ही खान नदी के पानी को जगह रोक दिया था। इसीलिए अभी से त्रिवेणी पर शिप्रा में कान्ह का पानी नहीं मिल रहा है।
मुख्यमंत्री की महत्वकांक्षी योजना के रूप में फरवरी 2014 में नर्मदा-शिप्रा लिंक परियोजना के आकार लेने के बाद से कान्ह का पानी बड़ी चिंता बना हुआ था। इसीलिए सरकार ने कान्ह डाइवर्शन को मंजूरी दी। 29 अक्टूबर 2014 को साधिकार समिति की 18वीं बैठक के बाद दिल्ली की के.के.स्पन पाइप प्रा.लि. को वर्कआॅर्डर दिया गया था। उज्जैन में ही पाइप बनाकर कंपनी ने डाइवर्शन का काम अपै्रल 2015 से शुरू किया था। तकरीबन 75 करोड़ की स्वीकृत लागत वाली इस योजना का 90 फीसदी से अधिक काम हो चुका है।
सिर्फ गैर बरसाती पानी ही होगा बायपास
विभागीय अधिकारियों ने बताया कि कान्ह नदी में बहकर आने वाला गैर बरसाती पानी (डोमेस्टिक और इंडस्ट्रियल वेस्ट वॉटर) को ही लाइन से बायपास किया जाएगा। बरसात में नदी का बहाव यथावत रहेगा। अधिकारियों ने बताया कि नदी बड़ी है उसके बरसाती बहाव को पाइप में नहीं बांधा जा सकता।
ऐसा है प्रोजेक्ट...
त्रिवेणी (नवगृह मंदिर) से राघौ पीपल्या नाम का गांव है। इस गांव में इंदौर की ओर तकरीबन आधा किलोमीटर दूर कान्ह नदी पर पुराना डेम बना था। केके स्पन ने पहले इस डेम की ऊंचाई बढ़ाई। लॉकिंग की। अब र्इंट से पेक कर दिया है। बायपास करने के लिए डेम के एक सिरे (गांव की ओर) 2.6 मीटर (8.5 फीट या 2600 एमएम) डाया की पाइप लाइन डाली गई है। एक पाइप का वजन तकरीबन 14 टन है।
यहीं पर इंटकवेल भी बना है। तकरीबन 8 मीटर की गहराई में बने इस इंटकवेल में दो मेन्युअल गेट भी लगाए गए हैं। जिनके माध्यम से नदी में जमा पानी का रूख पाइप लाइन की ओर मोड़ा जा सकेगा। पानी में बहकर आने वाले पत्थर और पॉलिथीन या अन्य कचरे को रोकने के लिए इंटकवेल में एक गेट से दूसरे गेट के बीच भारीभरकम जाली भी लगाई गई है।
राघौ पीपल्या से नदी मेला क्षेत्र से बायपास कर कालिया देह पैलेस तक 18.7 किलोमीटर लंबी लाइन डाली जा रही है। लाइन की गहराई भूतल से 18 मीटर (छह मंजिला इमारत के बराबर) है। कालिया देह पैलेस के पास पानी दोबारा शिप्रा नदी में छोड़ दिया जाएगा।
ताकि किसानों को मिले फायदा
कान्ह बायपास लाइन में जगह-जगह कुओं की तरह जगह छोड़ी गई है ताकि आसपास के किसान पानी का इस्तेमाल अपनी जमीन सींचने में कर सकें। बस उन्हें इन कुओं में पाइप डालना होगा और मोटर से पानी खींचना होगा।
चुनौती कैसी-कैसी...
प्रोजेक्ट बड़ा जटिल है। चूंकि खुदाई ज्यादा गहरी करना पड़ रही है कभी चट्टाने काम करना मुश्किल कर देती हैं तो कभी खुदाई के दौरान जमीन से निकलने वाला पानी। कई स्थान ऐसे हैं जहां दो-तीन लाख घन मीटर चट्टाने खोदना पड़ी हैं। 2015 की बरसात में उज्जैन में पानी भी जबरदस्त बरसा। पूरा उज्जैन दो-तीन बार बाड़ से जुझा। कई साइट भी जलमग्न रही। पानी उलिचने में बड़ा वक्त लगा।
अभी भी नहीं आ रहा है गंदा पानी
सिंहस्थ को देखते हुए जल संसाधन विभाग, इंदौर ने कान्ह नदी पर पहले से बने स्टॉप डेम्स की ऊंचाई बढ़ाई। कहीं कांक्रिट किया है तो कहीं रेत की बोरियां रखी गई है। राघौ पीपल्या, निनौरा और रामवासा सहित इंदौर तक छोटे-बड़े, नए-पुराने, स्थाई-अस्थाई 16 डेम है।
एक स्टॉप डेम में पानी भरने के बाद जैसे ही ओवर फ्लो की संभावना बनती है तब तक दूसरा स्टॉप डेम तैयार हो जाता है। मिट्टी के कच्चे डेम भी बनाए हैं।
90 फीसदी काम पूरा...
काम चुनौती पूर्ण था लेकिन मार्च के अंतिम सप्ताह तक पूरा कर लेंगे। 18.7 किलोमीटर की लाइन में से अब तक 16.5 किलोमीटर लंबी लाइन डल चुकी है। इंटकवेल एक-दो दिन में कंपलिट हो जाएगा।
मुकुल जैन, कार्यपालन यंत्री
जल संसाधन विभाग, उज्जैन
अब शिप्रा की सेहत नहीं बिगाड़ेगी कान्ह
राघौ पीपल्या से कालिया देह पैलेस तक पाइप से किया बायपास
उज्जैन से विनोद शर्मा।
कान्ह नदी का गंदे पानी के कारण संतों और श्रृद्धालुओं को सिंहस्थ के दौरान शिप्रा के ‘स्वास्थ्य’ की चिंता करने की रत्तीभर जरूरत नहीं है। क्योंकि मार्च के अंतिम सप्ताह तक जल संसाधन विभाग 18.7 किलोमीटर लंबी लाइन डालकर उज्जैन में कान्ह नदी को बायपास कर देगा। हालांकि स्टाप डेम बनाकर तीन-चार महीने पहले ही खान नदी के पानी को जगह रोक दिया था। इसीलिए अभी से त्रिवेणी पर शिप्रा में कान्ह का पानी नहीं मिल रहा है।
मुख्यमंत्री की महत्वकांक्षी योजना के रूप में फरवरी 2014 में नर्मदा-शिप्रा लिंक परियोजना के आकार लेने के बाद से कान्ह का पानी बड़ी चिंता बना हुआ था। इसीलिए सरकार ने कान्ह डाइवर्शन को मंजूरी दी। 29 अक्टूबर 2014 को साधिकार समिति की 18वीं बैठक के बाद दिल्ली की के.के.स्पन पाइप प्रा.लि. को वर्कआॅर्डर दिया गया था। उज्जैन में ही पाइप बनाकर कंपनी ने डाइवर्शन का काम अपै्रल 2015 से शुरू किया था। तकरीबन 75 करोड़ की स्वीकृत लागत वाली इस योजना का 90 फीसदी से अधिक काम हो चुका है।
सिर्फ गैर बरसाती पानी ही होगा बायपास
विभागीय अधिकारियों ने बताया कि कान्ह नदी में बहकर आने वाला गैर बरसाती पानी (डोमेस्टिक और इंडस्ट्रियल वेस्ट वॉटर) को ही लाइन से बायपास किया जाएगा। बरसात में नदी का बहाव यथावत रहेगा। अधिकारियों ने बताया कि नदी बड़ी है उसके बरसाती बहाव को पाइप में नहीं बांधा जा सकता।
ऐसा है प्रोजेक्ट...
त्रिवेणी (नवगृह मंदिर) से राघौ पीपल्या नाम का गांव है। इस गांव में इंदौर की ओर तकरीबन आधा किलोमीटर दूर कान्ह नदी पर पुराना डेम बना था। केके स्पन ने पहले इस डेम की ऊंचाई बढ़ाई। लॉकिंग की। अब र्इंट से पेक कर दिया है। बायपास करने के लिए डेम के एक सिरे (गांव की ओर) 2.6 मीटर (8.5 फीट या 2600 एमएम) डाया की पाइप लाइन डाली गई है। एक पाइप का वजन तकरीबन 14 टन है।
यहीं पर इंटकवेल भी बना है। तकरीबन 8 मीटर की गहराई में बने इस इंटकवेल में दो मेन्युअल गेट भी लगाए गए हैं। जिनके माध्यम से नदी में जमा पानी का रूख पाइप लाइन की ओर मोड़ा जा सकेगा। पानी में बहकर आने वाले पत्थर और पॉलिथीन या अन्य कचरे को रोकने के लिए इंटकवेल में एक गेट से दूसरे गेट के बीच भारीभरकम जाली भी लगाई गई है।
राघौ पीपल्या से नदी मेला क्षेत्र से बायपास कर कालिया देह पैलेस तक 18.7 किलोमीटर लंबी लाइन डाली जा रही है। लाइन की गहराई भूतल से 18 मीटर (छह मंजिला इमारत के बराबर) है। कालिया देह पैलेस के पास पानी दोबारा शिप्रा नदी में छोड़ दिया जाएगा।
ताकि किसानों को मिले फायदा
कान्ह बायपास लाइन में जगह-जगह कुओं की तरह जगह छोड़ी गई है ताकि आसपास के किसान पानी का इस्तेमाल अपनी जमीन सींचने में कर सकें। बस उन्हें इन कुओं में पाइप डालना होगा और मोटर से पानी खींचना होगा।
चुनौती कैसी-कैसी...
प्रोजेक्ट बड़ा जटिल है। चूंकि खुदाई ज्यादा गहरी करना पड़ रही है कभी चट्टाने काम करना मुश्किल कर देती हैं तो कभी खुदाई के दौरान जमीन से निकलने वाला पानी। कई स्थान ऐसे हैं जहां दो-तीन लाख घन मीटर चट्टाने खोदना पड़ी हैं। 2015 की बरसात में उज्जैन में पानी भी जबरदस्त बरसा। पूरा उज्जैन दो-तीन बार बाड़ से जुझा। कई साइट भी जलमग्न रही। पानी उलिचने में बड़ा वक्त लगा।
अभी भी नहीं आ रहा है गंदा पानी
सिंहस्थ को देखते हुए जल संसाधन विभाग, इंदौर ने कान्ह नदी पर पहले से बने स्टॉप डेम्स की ऊंचाई बढ़ाई। कहीं कांक्रिट किया है तो कहीं रेत की बोरियां रखी गई है। राघौ पीपल्या, निनौरा और रामवासा सहित इंदौर तक छोटे-बड़े, नए-पुराने, स्थाई-अस्थाई 16 डेम है।
एक स्टॉप डेम में पानी भरने के बाद जैसे ही ओवर फ्लो की संभावना बनती है तब तक दूसरा स्टॉप डेम तैयार हो जाता है। मिट्टी के कच्चे डेम भी बनाए हैं।
90 फीसदी काम पूरा...
काम चुनौती पूर्ण था लेकिन मार्च के अंतिम सप्ताह तक पूरा कर लेंगे। 18.7 किलोमीटर की लाइन में से अब तक 16.5 किलोमीटर लंबी लाइन डल चुकी है। इंटकवेल एक-दो दिन में कंपलिट हो जाएगा।
मुकुल जैन, कार्यपालन यंत्री
जल संसाधन विभाग, उज्जैन
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