कॉलेजों में करोड़ों का ‘विकास’ बेहिसाब
इंदौर. विनोद शर्मा ।
एक के बाद एक शैक्षणिक संस्थान स्थापित कर शिक्षा की नींव मजबूत करने का दम भरती आ रही गुजराती एज्युकेशन सोसायटी ने 15 वर्षों में 45 करोड़ की हेराफेरी की। सिर्फ चार कॉलेज के 1500 स्टूडेंट्स से सालाना वसूले गए तीन करोड़ कैसे और कहां खर्च हुए? इसका कहीं कोई हिसाब नहीं है। इतना ही सीए के जाली दस्तखत करके आॅडिट रिपोर्ट पेश की जा रही है ताकि यूजीसी या अन्य विभागों से करोड़ों की ग्रांट मिलती रहे। इसका खुलासा युनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (यूजीसी), उच्च शिक्षा विभाग और इनकम टैक्स को बीते दिनों मिली शिकायत में हुआ है।
शिकायत के अनुसार समाज के नसिया रोड पर प.म.ब.गुजराती साइंस कॉलेज, प.म.ब. गुजराती कॉर्मस कॉलेज, प.म.ब.गुजराती आर्ट्स कॉलेज और महारानी रोड पर ए.के.एच.एस. गुजराती गर्ल्स कॉलेज संचालित कर रहा है। यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (यूजीसी) से अनुदान प्राप्त इन कॉलेजों में तकरीबन 15 हजार स्टूडेंट्स हैं जिनसे विकास निधि के रूप में सालाना दो हजार रुपए लिए जा रहे हैं। यानी सालाना 3 करोड़। श्री गुजराती समाज के सशक्त संचालक इस पैसे का हिसाब देना भी उचित नहीं समझते। इस रकम की जानकारी न कॉलेज बुक में है, न लेजर, केशबुक, आदम व खर्च रजिस्टर भी नहीं है। न ही किसी मद में इस राशि को खर्च होना बताया गया है। संस्था के शिक्षक, पदाधिकारी, आॅडिटर, प्रबंधकों के साथ ही जिम्मेदार महकमों में पदस्थ अधिकारियों तक को चुटकी में तबादला कराने की ताकत के नाम धमका रखा है।
शिकायत पर जांच शुरू..
शिकायत पर यूजीसी और उच्च शिक्षा विभाग के साथ ही इनकम टैक्स ने भी गुजराती समाज की फाइलों की समीक्षा शुरू कर दी है। उच्च शिक्षा विभाग ने होलकर साइंस कॉलेज की डॉ. शोभा जोशी की अध्यक्षता में एक जांच कमेटी बनाई है जिसने करीब-करीब जांच पूरी कर ली है। दो-चार-आठ दिन में वे जांच रिपोर्ट सबमिट कर देंगी।
ये है रसीद पर...
रसीद नं. 462
दिनांक-3 जुलाई 2013।
नाम- अनिल बतानिया।
क्लास-बीएससी पीसीएम मैथ्स, सेक्शन-एम-1।
स्कॉलर नं. 3984..।
क्लास 456 -मेडिकल फंड के 50 रुपए।
क्लास 456 -विकास निधि के 2000 रुपए।
इसी दिन एक दूसरी रसीद भी दी गई...
रसीद नं. 462
दिनांक-3 जुलाई 2013।
नाम- अनिल बतानिया।
क्लास-बीएससी पीसीएम मैथ्स, सेक्शन-एम-1।
स्कॉलर नं. 3984..।
क्लास 409- स्टूडेंट्स एक्टिविटी के 1850 रुपए।
क्लास 453- मिसलेनियस फीस के 1100 रुपए लिए।
(दोनों रसीदें अलग क्यों? इसका प्रबंधन के पास कोई जवाब नहीं है। रसीद पीएमपी गुजराती साइंस कॉलेज की है। यहां कहीं भी संस्था का पंजीयन क्रमांक भी नहीं है।)
आॅडिट रिपोर्ट भी बयां कर चुकी है चोरी
आरटीआई के तहत प्राप्त सर्टिफाइड दस्तावेजों में 2008-09 से 2010-11 की आॅडिट रिपोर्ट भी है। इस रिपोर्ट के बिंदु क्र.3 के तहत मप्र उच्च शिक्षा विभाग के आदेश के अनुसार वसूला गया सभी तरह का शुल्क संस्थागित निधि में जमा कराना था लेकिन 2008-09 से 2010-11 के बीच 1 करोड़ 12 लाख 94 हजार 400 रुपए जमा नहीं कराए गए। रिपोर्ट के बिंदु क्र. 4 के तहत 1 करोड़ 93 लाख 69 हजार 300 रुपए भी जमा नहीं हुए। 2011-12 से 2012-13 की आॅडिट रिपोर्ट के अनुसार न 1 करोड़, 16 लाख 20 हजार जमा हुए न ही 1 करोड़ 49 लाख 5 हजार 700 रुपए जमा हुए। ऐसे चार साल में ही कुल 5 करोड़ 71 लाख 89 हजार 400 की हेराफेरी तो आॅडिट रिपोर्ट ही उजागर कर चुकी है।
समाज के चुनाव में मुद्दा भी उठा था...
गुजराती समाज के शैक्षणिक संस्थाओं में जारी भारी अनियमिता का मामला हर बार गुजराती समाज के चुनाव में भी उठता है। बीते दिनों हुए चुनाव में भी यह बात सामने आई थी। ट्रस्टी सरजीव पटेल ने बताया कि एक दशक से हेराफेरी हो रही है। विकास शुल्क का हिसाब न कोई देना चाहता है, न कोई पूछने की हिम्मत करता है।
इंदौर. विनोद शर्मा ।
एक के बाद एक शैक्षणिक संस्थान स्थापित कर शिक्षा की नींव मजबूत करने का दम भरती आ रही गुजराती एज्युकेशन सोसायटी ने 15 वर्षों में 45 करोड़ की हेराफेरी की। सिर्फ चार कॉलेज के 1500 स्टूडेंट्स से सालाना वसूले गए तीन करोड़ कैसे और कहां खर्च हुए? इसका कहीं कोई हिसाब नहीं है। इतना ही सीए के जाली दस्तखत करके आॅडिट रिपोर्ट पेश की जा रही है ताकि यूजीसी या अन्य विभागों से करोड़ों की ग्रांट मिलती रहे। इसका खुलासा युनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (यूजीसी), उच्च शिक्षा विभाग और इनकम टैक्स को बीते दिनों मिली शिकायत में हुआ है।
शिकायत के अनुसार समाज के नसिया रोड पर प.म.ब.गुजराती साइंस कॉलेज, प.म.ब. गुजराती कॉर्मस कॉलेज, प.म.ब.गुजराती आर्ट्स कॉलेज और महारानी रोड पर ए.के.एच.एस. गुजराती गर्ल्स कॉलेज संचालित कर रहा है। यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (यूजीसी) से अनुदान प्राप्त इन कॉलेजों में तकरीबन 15 हजार स्टूडेंट्स हैं जिनसे विकास निधि के रूप में सालाना दो हजार रुपए लिए जा रहे हैं। यानी सालाना 3 करोड़। श्री गुजराती समाज के सशक्त संचालक इस पैसे का हिसाब देना भी उचित नहीं समझते। इस रकम की जानकारी न कॉलेज बुक में है, न लेजर, केशबुक, आदम व खर्च रजिस्टर भी नहीं है। न ही किसी मद में इस राशि को खर्च होना बताया गया है। संस्था के शिक्षक, पदाधिकारी, आॅडिटर, प्रबंधकों के साथ ही जिम्मेदार महकमों में पदस्थ अधिकारियों तक को चुटकी में तबादला कराने की ताकत के नाम धमका रखा है।
शिकायत पर जांच शुरू..
शिकायत पर यूजीसी और उच्च शिक्षा विभाग के साथ ही इनकम टैक्स ने भी गुजराती समाज की फाइलों की समीक्षा शुरू कर दी है। उच्च शिक्षा विभाग ने होलकर साइंस कॉलेज की डॉ. शोभा जोशी की अध्यक्षता में एक जांच कमेटी बनाई है जिसने करीब-करीब जांच पूरी कर ली है। दो-चार-आठ दिन में वे जांच रिपोर्ट सबमिट कर देंगी।
ये है रसीद पर...
रसीद नं. 462
दिनांक-3 जुलाई 2013।
नाम- अनिल बतानिया।
क्लास-बीएससी पीसीएम मैथ्स, सेक्शन-एम-1।
स्कॉलर नं. 3984..।
क्लास 456 -मेडिकल फंड के 50 रुपए।
क्लास 456 -विकास निधि के 2000 रुपए।
इसी दिन एक दूसरी रसीद भी दी गई...
रसीद नं. 462
दिनांक-3 जुलाई 2013।
नाम- अनिल बतानिया।
क्लास-बीएससी पीसीएम मैथ्स, सेक्शन-एम-1।
स्कॉलर नं. 3984..।
क्लास 409- स्टूडेंट्स एक्टिविटी के 1850 रुपए।
क्लास 453- मिसलेनियस फीस के 1100 रुपए लिए।
(दोनों रसीदें अलग क्यों? इसका प्रबंधन के पास कोई जवाब नहीं है। रसीद पीएमपी गुजराती साइंस कॉलेज की है। यहां कहीं भी संस्था का पंजीयन क्रमांक भी नहीं है।)
आॅडिट रिपोर्ट भी बयां कर चुकी है चोरी
आरटीआई के तहत प्राप्त सर्टिफाइड दस्तावेजों में 2008-09 से 2010-11 की आॅडिट रिपोर्ट भी है। इस रिपोर्ट के बिंदु क्र.3 के तहत मप्र उच्च शिक्षा विभाग के आदेश के अनुसार वसूला गया सभी तरह का शुल्क संस्थागित निधि में जमा कराना था लेकिन 2008-09 से 2010-11 के बीच 1 करोड़ 12 लाख 94 हजार 400 रुपए जमा नहीं कराए गए। रिपोर्ट के बिंदु क्र. 4 के तहत 1 करोड़ 93 लाख 69 हजार 300 रुपए भी जमा नहीं हुए। 2011-12 से 2012-13 की आॅडिट रिपोर्ट के अनुसार न 1 करोड़, 16 लाख 20 हजार जमा हुए न ही 1 करोड़ 49 लाख 5 हजार 700 रुपए जमा हुए। ऐसे चार साल में ही कुल 5 करोड़ 71 लाख 89 हजार 400 की हेराफेरी तो आॅडिट रिपोर्ट ही उजागर कर चुकी है।
समाज के चुनाव में मुद्दा भी उठा था...
गुजराती समाज के शैक्षणिक संस्थाओं में जारी भारी अनियमिता का मामला हर बार गुजराती समाज के चुनाव में भी उठता है। बीते दिनों हुए चुनाव में भी यह बात सामने आई थी। ट्रस्टी सरजीव पटेल ने बताया कि एक दशक से हेराफेरी हो रही है। विकास शुल्क का हिसाब न कोई देना चाहता है, न कोई पूछने की हिम्मत करता है।
No comments:
Post a Comment