Friday, April 8, 2016

बिना अधिकार, सदस्य किए बाहर

275 सदस्यों की सदस्यता समाप्ती से उपजा विद्रोह
इंदौर. चीफ रिपोर्टर ।
रविवार की बैठक में समाप्त हुई 275 सदस्यों की सदस्यता पर कई सदस्यों ने आपत्ति ली है। उनका कहना है कि अतिरिक्त समयसीमा के साथ ही समाप्त हुए संवैधानिक अधिकारों के बाद सदस्यों को निकाला गया। इतना ही नहीं प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के विपरीत सदस्यों को बिना सूचना और सुनवाई का अवसर दिए बाहर किया गया है।
3 तारीख का वक्त मुकरर्र होने के साथ ही एजीएम की वैधानिकता पर सवाल उठने लगे थे। हद तो तब हो गई जब एक मात्र एजेंडा बताकर पहले चुनाव की तारीख मुकरर्र की गई। बाद में 275 सदस्यों की सदस्यता समाप्त कर दी गई। इसमें कार्यकारिणी के चार सदस्य भी शामिल हैं। इनमें दो की सदस्यता सीधे समाप्त कर दी गई जबकि दो की सदस्यता होल्ड कर दी गई। इस पर भी सदस्यों ने आपत्ति ली।
सूचना ही नहीं दी
प्राकृतिक न्याय का सिद्धांत यह कहता है कि यदि किसी सदस्य की सदस्यता समाप्त की जाना है तो संबंधित संस्था को उन सदस्यों को सूचना देना होगी। यहां 90 फीसदी सदस्यों को सूचना नहीं दी गई। कार्यकारिणी के पास न रजिस्टर्ड एडी की रसीदें है न ही कुरियर कंपनी की रिसिप्ट।
आजीवन सदस्यता शुल्क जमा है
जितने सदस्यों को बाहर किया है उनमें से आधों का आजीवन सदस्यता शुल्क प्रेस क्लब के खजाने में जमा है। या छोटे अखबारों से जुड़े हैं। या किसी अखबार में फ्री लांसर है।
खारीवाल की सदस्यता भी गलत समाप्त
2015 में महासिचव ने पहले अध्यक्ष प्रवीण खारीवाल की सदस्तया समाप्त की थी। जिस डॉक्यूमेंट के आधार  पर फैसला लिया वह फोटोकॉपी था इसीलिए फर्म एंड सोसायटी रजिस्ट्रार ने खारीवाल की सदस्यता बहाल कर दी थी। अब यदि कार्यकारिणी के पास उस डॉक्यूमेंट की सर्टिफाइड कॉपी थी भी तो उनकी सदस्यता फर्म एंड सोसायटी ही खत्म कर सकता है। इसके विपरीत उन लोगों ने सदस्यता समाप्त की जिनका 6 माह का अतिरिक्त कार्यकाल भी 6 दिसंबर को पूरा हो चुका है।
तिवारी की सदस्यता भी समाप्त ही है !
फर्म एंड सोसायटी से मिली राहत के बाद दोबारा कुर्सी पर काबिज हुए अध्यक्ष खारीवाल ने महासचिव अरविंद तिवारी पर आरोप मढ़ते हुए उनकी सदस्यता समाप्त कर दी थी। बाद में एक वरिष्ठ पत्रकार ने दोनों की मांडवली बैठक कराई। दोनों के बीच पदों को लेकर सहमति बनी लेकिन आपसी सहमति से कार्रवाई प्रभावित नहीं होती। अब जब खारीवाल सलाखों के पीछे हैं तो मौका पाकर तथाकथित कार्यकारिणी ने दोबारा उनकी सदस्यता समाप्त कर दी। 

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