- रंग-रोगन और सुविधाओं से संवरेगा संगम स्थल
- सेमल्याचाऊ और शिप्रा के घाट साबित होंगे विकल्प
उज्जैन से विनोद शर्मा ।
सिंहस्थ 2016 के लिए उज्जैनी (शिप्रा उद्गम स्थल) से उज्जैन तक तैयार है। हजार करोड़ से अधिक के कामों ने जहां उज्जैन को दुल्हन की तरह सजा दिया है वहीं उज्जैनी में भी रंगरोगन शुरू हो चुका है। कुण्ड और घाट की सजावट जारी है। सेमल्या चाऊ और शिप्रा में घाट तैयार हैं ताकि लोग भीड़भाड़ से दूर वहीं ‘शाही’ स्नान कर सकें।
सिंहस्थ लिंक परियोजना के तहत 2014 में बने शिप्रा संगम स्थल, उज्जैनी को सिंहस्थ की तैयारियों के तहत सात दिन के लिए बंद कर दिया गया है। रंग पंचमी के दूसरे दिन खुलेगा। तब तक यहां पानी निकालकर कुण्ड और घाटों की सफाई होगी। कायी निकाली जा रही है। एंटी फंगस पेंट किया जाना है ताकि कायी जल्दी न आए। प्रमुख कुण्ड ‘जहां गौमुख से पानी गिरता है’, में बड़ी मात्रा में क्लोरीन और फिटकरी भी डाली जाएगी ताकि आगे स्नान के लिए श्रृद्धालुओं को और ज्यादा स्वच्छ पानी मिले। बुधवार को कलेक्टर पी.नरहरि भी संगम स्थल पहुंचे और तैयारियों का जायजा लिया। उन्होंने काम जल्दी पूरे करने के निर्देश भी दिए। संगम स्थल निर्माण और संचालन करने वाली कंपनी भवानी कंस्ट्रक्शन के अभय देशमुख ने बताया कि काम जारी है। दो वर्षों में जो टूट-फूट हुई है उसे भी सुधारा जाएगा। नए पौधे लगाए जाएंगे। लाइटिंग की व्यवस्था भी की जाएगी।
पार्किंग और सुविधाघर भी
उज्जैन में एनवीडीए और भवानी कंस्ट्रक्शन ने संगम स्थल संवारने की जिम्मेदारी ली है तो इंदौर विकास प्राधिकरण ने बाहर सुविधाघर और पार्किंग की व्यवस्था करने की। मुंडला दोस्तदार से संगम स्थल तक सिंगल रोड के दोनों और मिट्टी डाली जा रही है ताकि रोलिंग कर डबल लेन रोड का स्वरूप दिया जा सके। संगम स्थल की बाउंड्रीवाल के पास 20 सुविधाघर बनाए जा रहे हैं। पास में पार्किंग भी बनेगी। आवश्यकतानुसार मुंडला दोस्तदार तिराहे के पास खाली जमीन भी पार्किंग के तौर पर इस्तेमाल होगी।
बना घाट, चेंजिग हट भी...
नर्मदा का पानी मिलने से पुनर्प्रवाहित हुई शिप्रा ने उज्जैन तक लोगों को स्नान के विकल्प दे दिए हैं। सोनवाय, पिवड़ाय, भिंगारिया, शाहदेव, बंवलिया खुर्द, अरनिया, मुंडी, बराय, मोलाय, धतुरिया जैसे गांव के लोग नहर और नदी में स्नान कर रहे हैं। सेमल्या चाऊ में तकरीबन तीन हजार वर्गफीट जमीन पर व्यवस्थित सीढ़ियों व रैलिंग वाले नए घाट बनाए गए हैं। यहां छोटा मंदिर भी बना है। इसके अलावा कपड़े बदलने के लिए दो-तीन चेंजिंग हट भी स्थापित की गई है।
बिना घाट, चेंजिंग हट
सेमल्या चाऊ के बाद पटाड़ा और जलोद केउ के पास नदी का पाट चौड़ा है। यहां घाट नहीं है लेकिन नदी का बेस मिट्टी वाला नहीं पत्थरीला है। इसीलिए इन दो गांवों के अतिरिक्त रनायल, सन्नौड़ के लोग भी स्नान करने आते हैं। इसी को देखते हुए एक चेजिंग हट स्थापित की गई है। यही स्थिति जानी गांव, व्यासखेड़ी, भोंडवास, पाडल्या, मंडलावदा की भी है।
बड़े घाट और बड़ा विकल्प
ग्राम पंचायत शिप्रा ने शिप्रा नदी के किनारे 300 फीट लंबा और 40 फीट चौड़ा घाट बनाया है। सिंहस्थ के लिए उज्जैन के घाट और मंदिरों को जिन रंगों से रंगा जा रहा है उन्हीं रंग का इस्तेमाल यहां भी हो रहा है। एक नजर में तो देखने पर यही लगता है कि शिप्रा नहीं, उज्जैन का ही कोई हिस्सा है। चूंकि पानी भरने के कारण पुराने मंदिर तक पहुंचने का रास्ता खत्म हो चुका है इसीलिए घाट पर नए मंदिर भी बनाए गए हैं। घाट तक पहुंचने की रोड भी दुरुस्त कर दी गई है।
खुदाई में निकला पुराना घाट
बीच में हवनखेड़ी है जहां मिट्टी की खुदाई के बाद प्राचीन घाट और मंदिर निकला है। इस घाट ने हवनखेड़ी, गदइश पीपल्या, बिंजाना, राजीवनगर सहित आधा दर्जन गांव के लोगों को स्नान की सुविधा दे दी है। घाट पर सुधार जारी है।
हम भी तैयार हैं
बरोद पीपल्या, मच्चूखेड़ी, होशियारखेड़ी, खंडाखेड़ी, सिमरोद, हिरली, सिल्लौदा खुर्द, आमलपुर, सेवरखेड़ी, किथौड़ाराव में भी भले किनारे पर घाट नहीं है लेकिन लोगों का शिप्रा स्नान यहीं होता है।
- सेमल्याचाऊ और शिप्रा के घाट साबित होंगे विकल्प
उज्जैन से विनोद शर्मा ।
सिंहस्थ 2016 के लिए उज्जैनी (शिप्रा उद्गम स्थल) से उज्जैन तक तैयार है। हजार करोड़ से अधिक के कामों ने जहां उज्जैन को दुल्हन की तरह सजा दिया है वहीं उज्जैनी में भी रंगरोगन शुरू हो चुका है। कुण्ड और घाट की सजावट जारी है। सेमल्या चाऊ और शिप्रा में घाट तैयार हैं ताकि लोग भीड़भाड़ से दूर वहीं ‘शाही’ स्नान कर सकें।
सिंहस्थ लिंक परियोजना के तहत 2014 में बने शिप्रा संगम स्थल, उज्जैनी को सिंहस्थ की तैयारियों के तहत सात दिन के लिए बंद कर दिया गया है। रंग पंचमी के दूसरे दिन खुलेगा। तब तक यहां पानी निकालकर कुण्ड और घाटों की सफाई होगी। कायी निकाली जा रही है। एंटी फंगस पेंट किया जाना है ताकि कायी जल्दी न आए। प्रमुख कुण्ड ‘जहां गौमुख से पानी गिरता है’, में बड़ी मात्रा में क्लोरीन और फिटकरी भी डाली जाएगी ताकि आगे स्नान के लिए श्रृद्धालुओं को और ज्यादा स्वच्छ पानी मिले। बुधवार को कलेक्टर पी.नरहरि भी संगम स्थल पहुंचे और तैयारियों का जायजा लिया। उन्होंने काम जल्दी पूरे करने के निर्देश भी दिए। संगम स्थल निर्माण और संचालन करने वाली कंपनी भवानी कंस्ट्रक्शन के अभय देशमुख ने बताया कि काम जारी है। दो वर्षों में जो टूट-फूट हुई है उसे भी सुधारा जाएगा। नए पौधे लगाए जाएंगे। लाइटिंग की व्यवस्था भी की जाएगी।
पार्किंग और सुविधाघर भी
उज्जैन में एनवीडीए और भवानी कंस्ट्रक्शन ने संगम स्थल संवारने की जिम्मेदारी ली है तो इंदौर विकास प्राधिकरण ने बाहर सुविधाघर और पार्किंग की व्यवस्था करने की। मुंडला दोस्तदार से संगम स्थल तक सिंगल रोड के दोनों और मिट्टी डाली जा रही है ताकि रोलिंग कर डबल लेन रोड का स्वरूप दिया जा सके। संगम स्थल की बाउंड्रीवाल के पास 20 सुविधाघर बनाए जा रहे हैं। पास में पार्किंग भी बनेगी। आवश्यकतानुसार मुंडला दोस्तदार तिराहे के पास खाली जमीन भी पार्किंग के तौर पर इस्तेमाल होगी।
बना घाट, चेंजिग हट भी...
नर्मदा का पानी मिलने से पुनर्प्रवाहित हुई शिप्रा ने उज्जैन तक लोगों को स्नान के विकल्प दे दिए हैं। सोनवाय, पिवड़ाय, भिंगारिया, शाहदेव, बंवलिया खुर्द, अरनिया, मुंडी, बराय, मोलाय, धतुरिया जैसे गांव के लोग नहर और नदी में स्नान कर रहे हैं। सेमल्या चाऊ में तकरीबन तीन हजार वर्गफीट जमीन पर व्यवस्थित सीढ़ियों व रैलिंग वाले नए घाट बनाए गए हैं। यहां छोटा मंदिर भी बना है। इसके अलावा कपड़े बदलने के लिए दो-तीन चेंजिंग हट भी स्थापित की गई है।
बिना घाट, चेंजिंग हट
सेमल्या चाऊ के बाद पटाड़ा और जलोद केउ के पास नदी का पाट चौड़ा है। यहां घाट नहीं है लेकिन नदी का बेस मिट्टी वाला नहीं पत्थरीला है। इसीलिए इन दो गांवों के अतिरिक्त रनायल, सन्नौड़ के लोग भी स्नान करने आते हैं। इसी को देखते हुए एक चेजिंग हट स्थापित की गई है। यही स्थिति जानी गांव, व्यासखेड़ी, भोंडवास, पाडल्या, मंडलावदा की भी है।
बड़े घाट और बड़ा विकल्प
ग्राम पंचायत शिप्रा ने शिप्रा नदी के किनारे 300 फीट लंबा और 40 फीट चौड़ा घाट बनाया है। सिंहस्थ के लिए उज्जैन के घाट और मंदिरों को जिन रंगों से रंगा जा रहा है उन्हीं रंग का इस्तेमाल यहां भी हो रहा है। एक नजर में तो देखने पर यही लगता है कि शिप्रा नहीं, उज्जैन का ही कोई हिस्सा है। चूंकि पानी भरने के कारण पुराने मंदिर तक पहुंचने का रास्ता खत्म हो चुका है इसीलिए घाट पर नए मंदिर भी बनाए गए हैं। घाट तक पहुंचने की रोड भी दुरुस्त कर दी गई है।
खुदाई में निकला पुराना घाट
बीच में हवनखेड़ी है जहां मिट्टी की खुदाई के बाद प्राचीन घाट और मंदिर निकला है। इस घाट ने हवनखेड़ी, गदइश पीपल्या, बिंजाना, राजीवनगर सहित आधा दर्जन गांव के लोगों को स्नान की सुविधा दे दी है। घाट पर सुधार जारी है।
हम भी तैयार हैं
बरोद पीपल्या, मच्चूखेड़ी, होशियारखेड़ी, खंडाखेड़ी, सिमरोद, हिरली, सिल्लौदा खुर्द, आमलपुर, सेवरखेड़ी, किथौड़ाराव में भी भले किनारे पर घाट नहीं है लेकिन लोगों का शिप्रा स्नान यहीं होता है।
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