Friday, April 8, 2016

बजट के बाद से संकट में हैं ट्रेडर

इंदौर. चीफ रिपोर्टर ।
बजट के बाद से ट्रेडरों की हालत खराब है। कई दुकानों पर ताले की नौबत आ चुकी है। वजह है बजट में इंटरस्टेट सेल पर टैक्स के बराबर ही इनपुट टैक्स रिबेट (आईटीआर) देने की घोषणा। जिससे कारोबारियों को 12 से 13 प्रतिशत आईटीआर का नुकसान हुआ है। कर सलाहकारों की मानें तो मंदी के इस दौर में 17-18 प्रतिशत विशुद्ध मुनाफा चाहिए। 5 प्रतिशत में उसकी कमाई-खर्च और 12-13 प्रतिशत आईटीआर के रूप में जेब से लगने वाली रकम की भरपाई के लिए।
अब तक मेन्युफेक्चरर  ट्रेडर के रास्ते माल बेचते थे। ट्रेडर को बेचे गए माल पर 14  से 15 प्रतिशत टैक्स चार्ज होता है। कंपनियों से माल लेकर ट्रेडर दूसरे राज्यों में बेचते थे। इस पर 2 प्रतिशत सेंट्रल सेल्स टैक्स(सीएसटी) लगता था। आईटार मिलता था 14 प्रतिशत।  जेब से  जाता था 2 प्रतिशत, मिलता था 12 प्रतिशत। बजट में सरकार ने इस प्रावधान पर कैची चला दी। अब मेन्युफेक्चरर से माल खरीदते वक्त 14-15 प्रतिशत चुकाने वाले ट्रेडरों को रिबेट सिर्फ 2 प्रतिशत सीएसटी के बराबर ही मिलेगा।
सीटीपीए सचिव केदार हेड़ा ने बताया कि इससे ट्रेडरों को 12 प्रतिशत रिबेट का नुकसान होगा। यदि वह माल बेचता है तो उसे इतनी रकम जैब से चुकाना पड़ेगी। जेब का पैसा लगाकर कौन और कैसे काम करेगा। पहले ही मुनाफा इतना है नहीं। पहले टैक्स देर से जमा करने पर 1.5 प्रतिशत ब्याज लगता था जिसे बढ़ाकर अब 2 प्रतिशत कर दिया है। साइकिल का खुदरा मुल्या 10 हजार रुपए से अधिक है लेकिन उसके पूर्जे और टायर ट्यूब पर 14 प्रतिशत टैक्स लगेगा। अगर कोई टेÑडर पंजीकृत नहीं है तो उसे 3 प्रतिशत टीडीएस देना होगा।
जारी है रणनीति का दौर...
22 मार्च को माहेश्वरी भवन में एक सभा रखी गई थी जिसमें कर सलाहकारों ने बचट के चौकाने और व्यापारियों को नुकसान पहुंचाने वाले प्रावधानों पर चर्चा की। मुख्य कर सलाहाकर अमित दवे ने वेट संसोधन अधिनियम में जोड़े गए नए नियमों की जानकारी दी। मौके पर 150 कर सलाहकार मौजूद थे।

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