अर्जुन बरोदा में एम्पायर समूह की मनमानी को अफसरों का करारा जवाब
बिना अनुमति शुरू किया विकास, प्रशासन ने नामांतरण पर भी लगाई रोक
इंदौर. विनोद शर्मा ।
कॉलोनी के नाम पर कालापीला करने की कला में पारंगत इंदौर के जमीनी ‘जादूगर’ अब ग्रामीण क्षेत्रों में अपने ‘हुनर’ से कानून-कायदों को ठेंगा दिखा रहे हैं। इसका बड़ा उदाहरण एबी रोड स्थित अर्जुन बरोदा गांव में आकार ले रही एम्पायर लॉजीपार्क है। सुविधाओं का सब्जबाग दिखाकर बेचे जा रहे इस लॉजीपार्क का विकास जिला प्रशासन से विकास अनुमति लिए बिना ही किया जा रहा है। बहरहाल, सांवेर एसडीएम ने भी भू-माफियाओं के मंसूबों पर पानी फेरते हुए बिना अनुमति हुए विकास को नेस्तनाबूद करने की तैयारी कर ली है। इस कड़ी में लॉजीपार्क के भव्य द्वार को तोड़ने के नोटिस दे दिए गए हैं।
राजस्व दस्तावेजों के अनुसार ग्राम अर्जुन बरोदा में राधेश्वरी डेवलपर्स प्रा.लि. तर्फे डायरेक्टर साकेत कुमार पिता सुरेशकुमार के नाम पर 26.884 हेक्टेयर जमीन है। 25 वर्षों में एम्पायर स्टेट, एम्पायर रेसीडेंसी, एम्पायर विक्टोरी सहित आधा दर्जन से अधिक आवासीय प्रोजेक्ट पर काम करने वाले एम्पायर समूह इस जमीन पर लॉजीपार्क बनाकर गैर आवासीय प्लॉट बेच रहा है। लॉजीपार्क के लिए 3 अपै्रल 2014 को टाउन एंड कंट्री प्लानिंग से ले-आउट मंजूर (2383/एसपी/आउट-2/14/नग्रानि/2014) मंजूर किया था। टीएंडसीपी द्वारा स्वीकृत नक्शे के आधार पर जमीन का डायवर्शन भी हुआ लेकिन टीएंडसीपी के स्वीकृति आदेश की कंडिका क्रमांक 2 का उल्लंघन करते हुए कंपनी ने विकास अनुमति नहीं ली और विकास कार्य शुरू कर दिए।
कोर्ट ने नहीं कहा विकास अनुमति की जरूरत नहीं
कंपनी ने विकास अनुमति नहीं ली और प्रशासनिक कार्रवाई को मप्र हाईकोर्ट की इंदौर खण्डपीठ में चुनौती दी। अक्टूबर 2015 को कंपनी को लिखे एक पत्र में सांवेर एसडीएम ने स्पष्ट कर दिया कि आपने कोर्ट में याचिका (2876/2015) दायर की। 11 मई 2015 को कोर्ट ने विकास कार्य न रोकने के आदेश दिए लेकिन माननीय न्यायालय ने यह कहीं भी नहीं कहा कि आपको मप्र पंचायती राज अधिनियम के प्रावधानों के तहत विकास अनुमति लेने की जरूरत नहीं है। इसीलिए आपको आदेशित किया जाता है कि आप विकास अनुमति के लिए आवेदन करें।
संभागायुक्त को भी दे चुके हैं जानकारी
दिसंबर 2015 में एसडीएम, सांवेर ने संभागायुक्त को पत्र लिखा और मामले की सूचना दी। कॉलोनाइजर की मनमानी का हवाला देते हुए बताया कि अक्टूबर 2015 में पत्र लिखने के बाद भी आज दिन तक कंपनी ने अनुमति के लिए आवेदन नहीं किया। मौके पर गेट बनाया जा रहा है।
तो बलपूर्वक हटाएंगे गेट
जनवरी 2016 में एसडीएम ने एक बार फिर आर.सी.डेवलपर्स और राधेश्वरी डेवलपर्स को नोटिस दिया और अनुमति न मिलने तक विकास कार्य रोकने के निर्देश दिए। यह भी कहा कि लॉजी पार्क में जो गेट बनाया जा रहा है वह अवैध है। इसीलिए तत्काल इस गेट को हटाएं। अन्यथा आपके विरूद्ध नियमानुसार कार्रवाई करते हुए गेट को बलपूर्वक हटा दिया जाएगा। इसकी पूरी जिम्मेदारी आपकी होगी।
ताकि न बिके प्लॉट, न हो नामांतरण
मप्र भूमि विकास अधिनियम और मप्र पंचायती राज अधिनियम के तहत एक बार टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग से ले-आउट मंजूर होने के बाद बिना विकास अनुमति के पूरी जमीन को भूखंड के रूप में विकसित किया जा सकता है और न ही एक पूर्ण सर्वे क्रमांक के रूप में बेचा जा सकता है। ऐसे में यदि लॉजीपार्क में सौदा करके जमीन के नामांतरण की प्रक्रिया शुरू की जाती है या पहले बेचे गए प्लॉट का नामांतरण आवेदन प्रस्तुत किया गया है तो उसे मप्र भू राजस्व संहिता 1959 की धारा 51 के तहत सक्षम अधिकारी निरस्त कर सकता है। एसडीएम ने शिप्रा टप्पा के नायब तहसीलदार, राजस्व निरीक्षक (डायवर्सन) और पटवारी (अर्जुन बरोदा) को नामांतरण पर रोक लगाने के आदेश दे दिए हैं।
एक नजर में एम्पायर पार्क...
सर्वे नं. 2, 5/2, 6, 7/1, 7/2, 7/3, 9/3, 25/1/1/1, 25/1/1/2, 30/2, 31, 32/1/1/2, 32/1/2, 33/1/1, 33/1/2, 33/1/3, 33/1/4, 33/2, 33/3, 34/1, 34/2, 35/1 ,35/2, 39/1, 39/3, 42, 43, 114, 115/2/1, 115/2/2, 116/1/1, 116/1/2, 116/1/3/1, 116/2/1/1, 116/3, 116/4/1, 116/6/1/1, 116/6/2/1, 117/1/1, 117/2/1, 119/1, 120/2, 120/3
मालिक - राधेश्वरी डेवलपर्स प्रा.लि. तर्फे साकेत सुरेशकुमार
कुल जमीन - 26.884 हेक्टेयर
नामांतरण - 2 सितंबर 2013
टीसीपी - 3 अपै्रल 2014
डायवर्शन - 1 जुलाई 2014
डायवर्ट जमीन - 2893770 वर्गफीट
क्या-क्या बना - गेट, बाउंड्रीवाल
बिना अनुमति शुरू किया विकास, प्रशासन ने नामांतरण पर भी लगाई रोक
इंदौर. विनोद शर्मा ।
कॉलोनी के नाम पर कालापीला करने की कला में पारंगत इंदौर के जमीनी ‘जादूगर’ अब ग्रामीण क्षेत्रों में अपने ‘हुनर’ से कानून-कायदों को ठेंगा दिखा रहे हैं। इसका बड़ा उदाहरण एबी रोड स्थित अर्जुन बरोदा गांव में आकार ले रही एम्पायर लॉजीपार्क है। सुविधाओं का सब्जबाग दिखाकर बेचे जा रहे इस लॉजीपार्क का विकास जिला प्रशासन से विकास अनुमति लिए बिना ही किया जा रहा है। बहरहाल, सांवेर एसडीएम ने भी भू-माफियाओं के मंसूबों पर पानी फेरते हुए बिना अनुमति हुए विकास को नेस्तनाबूद करने की तैयारी कर ली है। इस कड़ी में लॉजीपार्क के भव्य द्वार को तोड़ने के नोटिस दे दिए गए हैं।
राजस्व दस्तावेजों के अनुसार ग्राम अर्जुन बरोदा में राधेश्वरी डेवलपर्स प्रा.लि. तर्फे डायरेक्टर साकेत कुमार पिता सुरेशकुमार के नाम पर 26.884 हेक्टेयर जमीन है। 25 वर्षों में एम्पायर स्टेट, एम्पायर रेसीडेंसी, एम्पायर विक्टोरी सहित आधा दर्जन से अधिक आवासीय प्रोजेक्ट पर काम करने वाले एम्पायर समूह इस जमीन पर लॉजीपार्क बनाकर गैर आवासीय प्लॉट बेच रहा है। लॉजीपार्क के लिए 3 अपै्रल 2014 को टाउन एंड कंट्री प्लानिंग से ले-आउट मंजूर (2383/एसपी/आउट-2/14/नग्रानि/2014) मंजूर किया था। टीएंडसीपी द्वारा स्वीकृत नक्शे के आधार पर जमीन का डायवर्शन भी हुआ लेकिन टीएंडसीपी के स्वीकृति आदेश की कंडिका क्रमांक 2 का उल्लंघन करते हुए कंपनी ने विकास अनुमति नहीं ली और विकास कार्य शुरू कर दिए।
कोर्ट ने नहीं कहा विकास अनुमति की जरूरत नहीं
कंपनी ने विकास अनुमति नहीं ली और प्रशासनिक कार्रवाई को मप्र हाईकोर्ट की इंदौर खण्डपीठ में चुनौती दी। अक्टूबर 2015 को कंपनी को लिखे एक पत्र में सांवेर एसडीएम ने स्पष्ट कर दिया कि आपने कोर्ट में याचिका (2876/2015) दायर की। 11 मई 2015 को कोर्ट ने विकास कार्य न रोकने के आदेश दिए लेकिन माननीय न्यायालय ने यह कहीं भी नहीं कहा कि आपको मप्र पंचायती राज अधिनियम के प्रावधानों के तहत विकास अनुमति लेने की जरूरत नहीं है। इसीलिए आपको आदेशित किया जाता है कि आप विकास अनुमति के लिए आवेदन करें।
संभागायुक्त को भी दे चुके हैं जानकारी
दिसंबर 2015 में एसडीएम, सांवेर ने संभागायुक्त को पत्र लिखा और मामले की सूचना दी। कॉलोनाइजर की मनमानी का हवाला देते हुए बताया कि अक्टूबर 2015 में पत्र लिखने के बाद भी आज दिन तक कंपनी ने अनुमति के लिए आवेदन नहीं किया। मौके पर गेट बनाया जा रहा है।
तो बलपूर्वक हटाएंगे गेट
जनवरी 2016 में एसडीएम ने एक बार फिर आर.सी.डेवलपर्स और राधेश्वरी डेवलपर्स को नोटिस दिया और अनुमति न मिलने तक विकास कार्य रोकने के निर्देश दिए। यह भी कहा कि लॉजी पार्क में जो गेट बनाया जा रहा है वह अवैध है। इसीलिए तत्काल इस गेट को हटाएं। अन्यथा आपके विरूद्ध नियमानुसार कार्रवाई करते हुए गेट को बलपूर्वक हटा दिया जाएगा। इसकी पूरी जिम्मेदारी आपकी होगी।
ताकि न बिके प्लॉट, न हो नामांतरण
मप्र भूमि विकास अधिनियम और मप्र पंचायती राज अधिनियम के तहत एक बार टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग से ले-आउट मंजूर होने के बाद बिना विकास अनुमति के पूरी जमीन को भूखंड के रूप में विकसित किया जा सकता है और न ही एक पूर्ण सर्वे क्रमांक के रूप में बेचा जा सकता है। ऐसे में यदि लॉजीपार्क में सौदा करके जमीन के नामांतरण की प्रक्रिया शुरू की जाती है या पहले बेचे गए प्लॉट का नामांतरण आवेदन प्रस्तुत किया गया है तो उसे मप्र भू राजस्व संहिता 1959 की धारा 51 के तहत सक्षम अधिकारी निरस्त कर सकता है। एसडीएम ने शिप्रा टप्पा के नायब तहसीलदार, राजस्व निरीक्षक (डायवर्सन) और पटवारी (अर्जुन बरोदा) को नामांतरण पर रोक लगाने के आदेश दे दिए हैं।
एक नजर में एम्पायर पार्क...
सर्वे नं. 2, 5/2, 6, 7/1, 7/2, 7/3, 9/3, 25/1/1/1, 25/1/1/2, 30/2, 31, 32/1/1/2, 32/1/2, 33/1/1, 33/1/2, 33/1/3, 33/1/4, 33/2, 33/3, 34/1, 34/2, 35/1 ,35/2, 39/1, 39/3, 42, 43, 114, 115/2/1, 115/2/2, 116/1/1, 116/1/2, 116/1/3/1, 116/2/1/1, 116/3, 116/4/1, 116/6/1/1, 116/6/2/1, 117/1/1, 117/2/1, 119/1, 120/2, 120/3
मालिक - राधेश्वरी डेवलपर्स प्रा.लि. तर्फे साकेत सुरेशकुमार
कुल जमीन - 26.884 हेक्टेयर
नामांतरण - 2 सितंबर 2013
टीसीपी - 3 अपै्रल 2014
डायवर्शन - 1 जुलाई 2014
डायवर्ट जमीन - 2893770 वर्गफीट
क्या-क्या बना - गेट, बाउंड्रीवाल
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