शिकायतें होती रही, नोटिस थमाए जाते रहे लेकिन नहीं रूका अवैध निर्माण
इंदौर. चीफ रिपोर्टर ।
अवैध निर्माण के खिलाफ नगर निगम का मैदानी अमला पूरी तरह समर्पित है। लोग चाहे जितनी शिकायतें करते रहे, बड़े अधिकारी चाहे जितने कानून-कायदे बनाते रहें लेकिन अंतत: होगा वही जो जोन और वार्डों में तैनात अधिकारी चाहेंगे। 3/3 ओल्ड पलासिया स्थित बनी बिल्डिंग इसका बड़ा उदाहरण है जिसकी नींव में अफसरों ने कई शिकायतें दफन कर दी। मामला लोकायुक्त तक पहुंच चुका है लेकिन गैरकानूनी काम को कानूनी तरीके से करने में माहिर अफसरों को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।
3/3 ओल्ड पलासिया पर सुनील यादव व अन्य बिल्डिंग बना रहे हैं। इस बिल्डिंग में शुरू से अवैध निर्माण जारी है। 15 जून 2015 को जोन-10 के भवन अधिकारी भी भवन मालिक को नोटिस देकर स्पष्ट कर चुके हैं कि आप नगर निगम से अनुमति लिए बिना जो निर्माण कर रहे हैं वह अवैध है। कोई अनुमति है तो तीन दिन में दिखाएं। बिल्डर नहीं माना। इसीलिए 1 अगस्त 2015 को रिमुवल की कार्रवाई मुकरर्र करते हुए पलासिया थाने से पुलिस बल मांगा गया। कार्रवाई नहीं हुई। यही कहानी 26 और 30 सितबर को भी दोहराई गई। 30 सितंबर को सुनील यादव और राजाराम यादव को भी नोटिस दिया गया और 3 अक्टूबर 2015 को रिमुवल की तीसरी तारीख मुकरर्र हुई।
नोटिसों के तीर के बीच डल गई छत...
15 जून से 7 जुलाई 2015 के बीच नोटिस का दौर चलता रहा इसी दौरान यादव परिवार ने विवादित निर्माण को आगे बढ़ाते हुए छत भी डाल ली। जिसकी शिकायत भी शिकायतकर्ता ने की। अधिकारियों ने कहा कि स्थल निरीक्षण करके 26 जून 2015 को रिमुवल लगाया था लेकिन सामने वाले ने अवैध निर्माण स्वयं हटाने का आश्वासन दे दिया था। 20 जुलाई को मामले में शीघ्र रिमुवल के लिए लिखा गया।
अपर आयुक्त का आदेश भी हवा में
लगातार कार्रवाई के लिए लिखने के बावजूद कार्रवाई नहीं हुई। इसीलिए शिकायतकर्ता ने अपर आयुक्त देवेंद्र सिंह को शिकायत की। सिंह ने 8 फरवरी 2016 को भवन अधिकारी महेश शर्मा और भवन निरीक्षक सुमित अस्थाना को पत्र लिखकर एक सप्ताह में कार्रवाई करके सुचित कराने के निर्देश दिए। बावजूद इसके कार्रवाई नहीं हुई।
बड़ा पैसा बंटा !
शिकायतकर्ता ने 16 फरवरी 2016 को लोकायुक्त एसपी और सीएम हैल्पलाइन पर मय प्रमाण के शिकायत की। शिकायतकर्ता ने आशंका जताई कि जरूर नगर निगम के अफसरों ने अवैध निर्माण पर कार्रवाई न करने के लिए बिल्डर से पैसे ले लिए हैं इसीलिए कार्रवाई नहीं हो रही है। इसीलिए अब न सिर्फ अवैध निर्माण पर कार्रवाई हो बल्कि अवैध निर्माण को बढ़ावा देने वाले भ्रष्ट अफसरों के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई हो।
इंदौर. चीफ रिपोर्टर ।
अवैध निर्माण के खिलाफ नगर निगम का मैदानी अमला पूरी तरह समर्पित है। लोग चाहे जितनी शिकायतें करते रहे, बड़े अधिकारी चाहे जितने कानून-कायदे बनाते रहें लेकिन अंतत: होगा वही जो जोन और वार्डों में तैनात अधिकारी चाहेंगे। 3/3 ओल्ड पलासिया स्थित बनी बिल्डिंग इसका बड़ा उदाहरण है जिसकी नींव में अफसरों ने कई शिकायतें दफन कर दी। मामला लोकायुक्त तक पहुंच चुका है लेकिन गैरकानूनी काम को कानूनी तरीके से करने में माहिर अफसरों को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।
3/3 ओल्ड पलासिया पर सुनील यादव व अन्य बिल्डिंग बना रहे हैं। इस बिल्डिंग में शुरू से अवैध निर्माण जारी है। 15 जून 2015 को जोन-10 के भवन अधिकारी भी भवन मालिक को नोटिस देकर स्पष्ट कर चुके हैं कि आप नगर निगम से अनुमति लिए बिना जो निर्माण कर रहे हैं वह अवैध है। कोई अनुमति है तो तीन दिन में दिखाएं। बिल्डर नहीं माना। इसीलिए 1 अगस्त 2015 को रिमुवल की कार्रवाई मुकरर्र करते हुए पलासिया थाने से पुलिस बल मांगा गया। कार्रवाई नहीं हुई। यही कहानी 26 और 30 सितबर को भी दोहराई गई। 30 सितंबर को सुनील यादव और राजाराम यादव को भी नोटिस दिया गया और 3 अक्टूबर 2015 को रिमुवल की तीसरी तारीख मुकरर्र हुई।
नोटिसों के तीर के बीच डल गई छत...
15 जून से 7 जुलाई 2015 के बीच नोटिस का दौर चलता रहा इसी दौरान यादव परिवार ने विवादित निर्माण को आगे बढ़ाते हुए छत भी डाल ली। जिसकी शिकायत भी शिकायतकर्ता ने की। अधिकारियों ने कहा कि स्थल निरीक्षण करके 26 जून 2015 को रिमुवल लगाया था लेकिन सामने वाले ने अवैध निर्माण स्वयं हटाने का आश्वासन दे दिया था। 20 जुलाई को मामले में शीघ्र रिमुवल के लिए लिखा गया।
अपर आयुक्त का आदेश भी हवा में
लगातार कार्रवाई के लिए लिखने के बावजूद कार्रवाई नहीं हुई। इसीलिए शिकायतकर्ता ने अपर आयुक्त देवेंद्र सिंह को शिकायत की। सिंह ने 8 फरवरी 2016 को भवन अधिकारी महेश शर्मा और भवन निरीक्षक सुमित अस्थाना को पत्र लिखकर एक सप्ताह में कार्रवाई करके सुचित कराने के निर्देश दिए। बावजूद इसके कार्रवाई नहीं हुई।
बड़ा पैसा बंटा !
शिकायतकर्ता ने 16 फरवरी 2016 को लोकायुक्त एसपी और सीएम हैल्पलाइन पर मय प्रमाण के शिकायत की। शिकायतकर्ता ने आशंका जताई कि जरूर नगर निगम के अफसरों ने अवैध निर्माण पर कार्रवाई न करने के लिए बिल्डर से पैसे ले लिए हैं इसीलिए कार्रवाई नहीं हो रही है। इसीलिए अब न सिर्फ अवैध निर्माण पर कार्रवाई हो बल्कि अवैध निर्माण को बढ़ावा देने वाले भ्रष्ट अफसरों के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई हो।
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