1300 सदस्यों की संस्था में 80 सदस्यों की मौजूदगी में हुआ निर्णय
फोटो-वीडियो पर लगाई पाबंदी, कैमरे जब्त
इंदौर. चीफ रिपोर्टर ।
मंगलवार को संपन्न हुई इंदौर प्रेस क्लब की साधारण सभा में आपराधिक मामलों और गिरफ्तारी को आधार बनाकर प्रेस क्लब के कतिपय कर्ताधर्ताओं ने प्रवीण खारीवाल को प्रेस क्लब अध्यक्ष की कुर्सी से हटा दिया। बताया जा रहा है कि निर्णय विधान की धारा 14 के अनुसार लिया गया। उधर, प्रेस क्लब विधान व अन्य विधान की जानकारी रखने वाले अन्य सदस्यों ने न सिर्फ एजीएम को अवैध करार दिया बल्कि एजीएम में हुए निर्णय पर सवाल खड़े कर दिए। उनका कहना है कि अध्यक्ष को बहुमत या सर्वसहमति के आधार पर पदविमुख किया जा सकता है लेकिन 1300 सदस्यों की इस संस्था में महज 80 लोगों की सहमति से निर्णय लिया गया। इनमें भी 40 ऐसे थे जिनकी सदस्यता पहले ही कार्यकारिणी समाप्त कर चुकी है।
प्रेस क्लब महासचिव ने 16 मार्च को खारीवाल के नाम कारण बताओ नोटिस जारी किया था जिसमें 15 दिन में जवाब पेश करना था। छठवें ही दिन संपन्न हुई तथाकथित एजीएम ने खारीवाल को अध्यक्ष की कुर्सी से हटाकर प्रेस क्लब से बाहर का रास्ता दिखा दिया। कार्यकारिणी सदस्यों ने कहा कि प्रेस क्लब की बदमानी हुई है और उन्हें धारा 8 च के तहत नोटिस दिया गया था। अब विधान की धारा 14 के अनुसार उनकी सदस्यता समाप्त की गई। इसी बीच कार्यकारिणी सदस्यों की अनुपस्थिति का मुद्दा उठा तो महासचिव ने कहा कि अनुपस्थित सदस्यों के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पारित करता हूं। उन्होंने बताया कि 270 सदस्यों की सदस्यता समाप्त की। 50 को विशेष दर्जा दिया है। दस दिन बाद फिर साधारण सभा होगी जिसमें चुनाव की तारीख का ऐलान होगा। इसमें 4 कार्यकारिणी सदस्यों की सदस्यता पर भी विचार होगा। बैठक 6.45 बजे खत्म हो गई।
पूरा प्रेस क्लब कुर्क हो जाएगा?
महासचिव ने शरद जैन की याचिका का जिक्र किया और 2014 में जारी हुए 16 लाख के डिक्री आदेश की जानकारी भी दी। जैन ने पदाधिकारी सहित शासन प्रशासन के 10 अधिकारियों को आरोपी बनाया है। प्रवीण शर्मा ने कहा कि इसकी जांच होना चाहिए।
इसीलिए सवालों के घेरे में एजीएम
प्रेस क्लब विधान और फर्म एंड सोसायटी एक्ट के अनुसार किसी भी संस्था के संचालक मंडल का कार्यकाल पूर्ण होने के बाद फर्म एंड सोसायटी विभाग उसे सिर्फ एक बार ही छह महीने का अतिरिक्त समय दे सकता है। इसके बाद सिर्फ फर्म एंड रजिस्ट्रार को ही अधिकार है कि वह बैठक बुलाए। या किसी को नोटिस जारी करे। प्रेस क्लब संचालकों का कार्यकाल 6 जून को और अतिरिक्त कार्यकाल 6 दिसंबर को पूरा हो चुका है। ऐसे में स्वत: ही अधिकारहीन हुई कार्यकारिणी न तो किसी को नोटिस दे सकती है। न ही किसी तरह की साधारण सभा बुला सकती है।
निर्णय भी अवैध...
अध्यक्ष को बहुमत या सर्वानुमति से हटाया जा सकता है। बैठक में सदस्य 10 फीसदी भी नहीं थे।
- लोकसभा और विधानसभा के विधान का हवाला देते हुए आपातकालीन बैठक बुलाई गई है। लेकिन निर्वाचन आयोग के नियमों को नजरअंदाज कर दिया जिसके तहत सिर्फ वही व्यक्ति चुनाव के लिए आयोग्य होगा जिसे न्यूनतम तीन साल की सजा सुनाई जा चुकी हो। जबकि प्रेस क्लब विधान में स्पष्ट है कि जहां विधान मौन होगा वहां निर्वाचन आयोग के नियम काम करेंगे।
- सुबह से शाम तक कोर्ट में खड़े रहने की सजा सजा नहीं कहलाती। यदि इसे आधार माना जाता है तो प्रेस क्लब में ही ऐसे भी सदस्य हैं जो दो-तीन दिन तक की सजा भी भुगत चुके हैं। एक-दो तो ऐसे हैं जिनके खिलाफ रासूका तक लग चुकी है।
- बैठक में 80 लोग मौजूद थे इनमें 40 ऐसे सदस्य थे जिनकी सदस्यता कार्यकारिण समाप्त कर चुकी है। जिन सदस्यों की सदस्यता समाप्त की जा चुकी है उनके मत को कैसे मान्य किय गया? यदि मान्य नहीं किया तो सिर्फ 40 सदस्यों ने 1300 सदस्यों वाली संस्था का भाग्य कैसे तय कर दिया?
- भानू जैन की शिकायत पर रजिस्ट्रार कोर्ट स्पष्ट कर चुकी है कि कार्यकारिणी का अतिरिक्त कार्यकाल भी खत्म हो चुका है इसीलिए विधानसम्मन निर्णय लेकर चुनाव की तारीख तय करें। बावजूद इसके यहां सदस्यों और अध्यक्ष को हटाया जा रहा है। इसकी प्रोसेडिंग रजिस्ट्रार भी स्वीकार नहीं करेंगे।
किसने क्या बोला...
खारीवाल से थाने मेंं इस्तीफा लेने कौन गया था।
- नरेश तिवारी
एजीएम क्यों बुलाई? फर्जी पत्रकारों को नोटिस दिए या नहीं? खारीवाल पर बात करो?
-नीतेश पाल
खारीवाल की सदस्यता समाप्त हो।
- संजय त्रिपाठी
अध्यक्ष ने अपराध किया। क्लब की साख खराब की। वे निर्दोष साबित हों। क्लब के नाम पर जारी दुकानदारी बंद हो। सही पत्रकार सदस्य बने।
-प्रवीण शर्मा
मैंने पहले 138 के केस की जानकारी दी थी लेकिन मेरी जानकारी को फोटोकॉपी बता दिया था। अब ये सत्यापित कागज लो। खारीवाल की सदस्यता खत्म करो। माफी मांगे, हम उनके साथ हैं।
-जीतू सोनी
प्रबंधकारिणी को अधिकार है कि वे अनुमोदन जारी कर चुनाव कराएं।
- सतीश जोशी
सारे फैसले कार्यकारिणी लें और साधारण सभा बुलाए।
-मनोहर लिम्बोदिया
कैमरा बंद करो
जब एजीएम चल रही थी तब कुछ कैमरामैन फोटो खींचने लगे। कुछ वीडियोग्राफी करने लगे। तभी महासचिव अरविंद तिवारी ने रिकॉर्डिंग रूकवा दिया। कैमरे ले लिए जो चीप निकालकर लौटा दिए। कहा कि यह क्लब का अंदरूनी मामला है इसे शूट नहीं किया जा सकता। इससे पूरी कार्यकारिणी की मंशा पर प्रश्न उठने लगे हैं।
किसी ने नहीं लिया मेरा पत्र
मैंने एजीएम और एजीएम की प्रोसिडिंग पर आपत्ति ली। इस मामले की शिकायत सहायक पंजीयक को भी की है। मामले में मैं जब महासचिव को सहायक पंजीयक के पत्र की प्रति और अपनी शिकायत दर्ज कराने पहुंचा तो उन्होंने कॉपी लेने से मना कर दिया। किसी ने भी मेरे कागज नहीं लिए। अंतत: मैंने रजिस्टर्ड एडी से दस्तावेज पहुंचाए।
फोटो-वीडियो पर लगाई पाबंदी, कैमरे जब्त
इंदौर. चीफ रिपोर्टर ।
मंगलवार को संपन्न हुई इंदौर प्रेस क्लब की साधारण सभा में आपराधिक मामलों और गिरफ्तारी को आधार बनाकर प्रेस क्लब के कतिपय कर्ताधर्ताओं ने प्रवीण खारीवाल को प्रेस क्लब अध्यक्ष की कुर्सी से हटा दिया। बताया जा रहा है कि निर्णय विधान की धारा 14 के अनुसार लिया गया। उधर, प्रेस क्लब विधान व अन्य विधान की जानकारी रखने वाले अन्य सदस्यों ने न सिर्फ एजीएम को अवैध करार दिया बल्कि एजीएम में हुए निर्णय पर सवाल खड़े कर दिए। उनका कहना है कि अध्यक्ष को बहुमत या सर्वसहमति के आधार पर पदविमुख किया जा सकता है लेकिन 1300 सदस्यों की इस संस्था में महज 80 लोगों की सहमति से निर्णय लिया गया। इनमें भी 40 ऐसे थे जिनकी सदस्यता पहले ही कार्यकारिणी समाप्त कर चुकी है।
प्रेस क्लब महासचिव ने 16 मार्च को खारीवाल के नाम कारण बताओ नोटिस जारी किया था जिसमें 15 दिन में जवाब पेश करना था। छठवें ही दिन संपन्न हुई तथाकथित एजीएम ने खारीवाल को अध्यक्ष की कुर्सी से हटाकर प्रेस क्लब से बाहर का रास्ता दिखा दिया। कार्यकारिणी सदस्यों ने कहा कि प्रेस क्लब की बदमानी हुई है और उन्हें धारा 8 च के तहत नोटिस दिया गया था। अब विधान की धारा 14 के अनुसार उनकी सदस्यता समाप्त की गई। इसी बीच कार्यकारिणी सदस्यों की अनुपस्थिति का मुद्दा उठा तो महासचिव ने कहा कि अनुपस्थित सदस्यों के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पारित करता हूं। उन्होंने बताया कि 270 सदस्यों की सदस्यता समाप्त की। 50 को विशेष दर्जा दिया है। दस दिन बाद फिर साधारण सभा होगी जिसमें चुनाव की तारीख का ऐलान होगा। इसमें 4 कार्यकारिणी सदस्यों की सदस्यता पर भी विचार होगा। बैठक 6.45 बजे खत्म हो गई।
पूरा प्रेस क्लब कुर्क हो जाएगा?
महासचिव ने शरद जैन की याचिका का जिक्र किया और 2014 में जारी हुए 16 लाख के डिक्री आदेश की जानकारी भी दी। जैन ने पदाधिकारी सहित शासन प्रशासन के 10 अधिकारियों को आरोपी बनाया है। प्रवीण शर्मा ने कहा कि इसकी जांच होना चाहिए।
इसीलिए सवालों के घेरे में एजीएम
प्रेस क्लब विधान और फर्म एंड सोसायटी एक्ट के अनुसार किसी भी संस्था के संचालक मंडल का कार्यकाल पूर्ण होने के बाद फर्म एंड सोसायटी विभाग उसे सिर्फ एक बार ही छह महीने का अतिरिक्त समय दे सकता है। इसके बाद सिर्फ फर्म एंड रजिस्ट्रार को ही अधिकार है कि वह बैठक बुलाए। या किसी को नोटिस जारी करे। प्रेस क्लब संचालकों का कार्यकाल 6 जून को और अतिरिक्त कार्यकाल 6 दिसंबर को पूरा हो चुका है। ऐसे में स्वत: ही अधिकारहीन हुई कार्यकारिणी न तो किसी को नोटिस दे सकती है। न ही किसी तरह की साधारण सभा बुला सकती है।
निर्णय भी अवैध...
अध्यक्ष को बहुमत या सर्वानुमति से हटाया जा सकता है। बैठक में सदस्य 10 फीसदी भी नहीं थे।
- लोकसभा और विधानसभा के विधान का हवाला देते हुए आपातकालीन बैठक बुलाई गई है। लेकिन निर्वाचन आयोग के नियमों को नजरअंदाज कर दिया जिसके तहत सिर्फ वही व्यक्ति चुनाव के लिए आयोग्य होगा जिसे न्यूनतम तीन साल की सजा सुनाई जा चुकी हो। जबकि प्रेस क्लब विधान में स्पष्ट है कि जहां विधान मौन होगा वहां निर्वाचन आयोग के नियम काम करेंगे।
- सुबह से शाम तक कोर्ट में खड़े रहने की सजा सजा नहीं कहलाती। यदि इसे आधार माना जाता है तो प्रेस क्लब में ही ऐसे भी सदस्य हैं जो दो-तीन दिन तक की सजा भी भुगत चुके हैं। एक-दो तो ऐसे हैं जिनके खिलाफ रासूका तक लग चुकी है।
- बैठक में 80 लोग मौजूद थे इनमें 40 ऐसे सदस्य थे जिनकी सदस्यता कार्यकारिण समाप्त कर चुकी है। जिन सदस्यों की सदस्यता समाप्त की जा चुकी है उनके मत को कैसे मान्य किय गया? यदि मान्य नहीं किया तो सिर्फ 40 सदस्यों ने 1300 सदस्यों वाली संस्था का भाग्य कैसे तय कर दिया?
- भानू जैन की शिकायत पर रजिस्ट्रार कोर्ट स्पष्ट कर चुकी है कि कार्यकारिणी का अतिरिक्त कार्यकाल भी खत्म हो चुका है इसीलिए विधानसम्मन निर्णय लेकर चुनाव की तारीख तय करें। बावजूद इसके यहां सदस्यों और अध्यक्ष को हटाया जा रहा है। इसकी प्रोसेडिंग रजिस्ट्रार भी स्वीकार नहीं करेंगे।
किसने क्या बोला...
खारीवाल से थाने मेंं इस्तीफा लेने कौन गया था।
- नरेश तिवारी
एजीएम क्यों बुलाई? फर्जी पत्रकारों को नोटिस दिए या नहीं? खारीवाल पर बात करो?
-नीतेश पाल
खारीवाल की सदस्यता समाप्त हो।
- संजय त्रिपाठी
अध्यक्ष ने अपराध किया। क्लब की साख खराब की। वे निर्दोष साबित हों। क्लब के नाम पर जारी दुकानदारी बंद हो। सही पत्रकार सदस्य बने।
-प्रवीण शर्मा
मैंने पहले 138 के केस की जानकारी दी थी लेकिन मेरी जानकारी को फोटोकॉपी बता दिया था। अब ये सत्यापित कागज लो। खारीवाल की सदस्यता खत्म करो। माफी मांगे, हम उनके साथ हैं।
-जीतू सोनी
प्रबंधकारिणी को अधिकार है कि वे अनुमोदन जारी कर चुनाव कराएं।
- सतीश जोशी
सारे फैसले कार्यकारिणी लें और साधारण सभा बुलाए।
-मनोहर लिम्बोदिया
कैमरा बंद करो
जब एजीएम चल रही थी तब कुछ कैमरामैन फोटो खींचने लगे। कुछ वीडियोग्राफी करने लगे। तभी महासचिव अरविंद तिवारी ने रिकॉर्डिंग रूकवा दिया। कैमरे ले लिए जो चीप निकालकर लौटा दिए। कहा कि यह क्लब का अंदरूनी मामला है इसे शूट नहीं किया जा सकता। इससे पूरी कार्यकारिणी की मंशा पर प्रश्न उठने लगे हैं।
किसी ने नहीं लिया मेरा पत्र
मैंने एजीएम और एजीएम की प्रोसिडिंग पर आपत्ति ली। इस मामले की शिकायत सहायक पंजीयक को भी की है। मामले में मैं जब महासचिव को सहायक पंजीयक के पत्र की प्रति और अपनी शिकायत दर्ज कराने पहुंचा तो उन्होंने कॉपी लेने से मना कर दिया। किसी ने भी मेरे कागज नहीं लिए। अंतत: मैंने रजिस्टर्ड एडी से दस्तावेज पहुंचाए।
No comments:
Post a Comment