12 जिलों से आए 400 तैराक जिन्हें तराशा जाएगा
उज्जैन से विनोद शर्मा ।
मंगलवार सुबह नव गृह मंदिर पर बड़ी संख्या में पुलिस बल लगा था। चार-चार, छह-छह के गुट में युवाओं को शिप्रा में कुदाया जा रहा था। कभी घड़ी की सुर्इं देखी जा रही थी, कभी नदी में तैरते जवानों को। मौका था मंगलवार से शुरू हुए छह दिवसीय तैराकी प्रशिक्षण शिविर का। जहां इंदौर, उज्जैन, देवास, ग्वालियर, राजगढ़, भिंड, सतना, सिंगरौली सहित 12 जिलों के तकरीबन 402लोगों को तैरने के साथ डूबते को बचाने की कला सीखाई जा रही है। प्रशिक्षण के बाद इन लोगों को हर घाट पर तैनात किया जाएगा ताकि सिंहस्थ 2016 के दौरान किसी तरह की जन हानि न हो।
पुलिस के आला अधिकारियों की मौजूदगी में प्रशिक्षण शिविर शुरू हुआ। यहां पहले दिन भिंड, शाजापुर, राजगढ़ और ग्वालियर के तकरीबन 250 लोगों को प्रशिक्षण दिया गया। बाकी 150 लोग बुधवार शाम तक उज्जैन पहुंच जाएंगे। आने का सिलसिला जारी है। अधिकारियों को उम्मीद है कि बुधवार तक काफी संख्या में लोग आ जाएंगे। इनके रहने के लिए टेंट और खाने की व्यवस्था उज्जैन पुलिस ने की है।
अब तक तो कुछ मिला नहीं, इस बार उम्मीद है...
हर सिंहस्थ में वॉलेंटियर की व्यवस्था की जाती है लेकिन दुर्भाग्यवश उन्हें किसी तरह का मानदेय नहीं दिया जाता है। बावजूद इसके वे निस्वार्थ सेवा करते हैं। इसीलिए सिंहस्थ 2016 के लिए सरकार ने यह तय किया है कि वॉलेंटियर तैराकों को एक महीने के लिए 360 रुपए/दिन के हिसाब से भत्ता दिया जाएगा। हालांकि अब तक इसकी अधिकृत घोषणा नहीं हुई है।
हर घाट पर कुल 9 तैराक होंगे
सिंहस्थ के दौरान शिप्रा के हर घाट पर 24 घंटे तैराक नियुक्त रहेंगे। इसमें तीन होमगार्ड के होंगे। तीन सीविल सविल डिफेंस के ‘जो कि उज्जैन पुलिस मुहैया कराएगी’ होंगे। तीन वॉलेंटियर ग्रुप से। मतलब एक घाट पर कुल नौ तैराक। इनकी ड्यूटी को आठ-आठ घंटे में ऐसे बांटा जाएगा कि 24 घंटे घाट पर तैराक तैनात नजर आए।
तैराकों के साथ हर घाट पर मोटर बोट ओर किनारे पर प्राथमिक चिकित्सा टीम भी मौजूद रहेगी। यदि कोई व्यक्ति डूबता है तो तैराक नदी में कुदेंगे। डूबते आदमी को बचाएंगे। उन्हें पुरी नदी क्रॉस नहीं करना होगी। आधे रास्ते में उन्हें मोटर बोट मिल जाएगी। मोटर बोट से किनारे पर आएंगे और पीड़ित का प्राथमिक उपचार कराएंगे। मोटर बोट न पहुंचने की स्थिति में तैराक पीड़ित को लेकर नदी पार कर सके इसीलिए तैराकों को नदी के एक छोर से दूसरे छोर तक आने-जाने का प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है।
यहां तैराकों को तराश रहे हैं
सिंहस्थ के लिए तैराक तैयार किए जा रहे हैं। हमने प्राथमिकता के आधार पर 402 लोगों की सूची 12 जिलों को भेजी थी। ये वो लोग हैं जिनकी तैराकी पहले ही जबरदस्त है। शिविर में उसे और तराशा जा रहा है ताकि पीड़ित को बचाते वक्त कोई चूक न हो। इस बार मानदेय देने का चल रहा है। पूरी कोशिश होगी कि सिंहस्थ में डूबने से कोई जनहानि न हो।
मीनाक्षी चौहान, प्रभारी
सिंहस्थ तैराकी प्रशिक्षण
उज्जैन से विनोद शर्मा ।
मंगलवार सुबह नव गृह मंदिर पर बड़ी संख्या में पुलिस बल लगा था। चार-चार, छह-छह के गुट में युवाओं को शिप्रा में कुदाया जा रहा था। कभी घड़ी की सुर्इं देखी जा रही थी, कभी नदी में तैरते जवानों को। मौका था मंगलवार से शुरू हुए छह दिवसीय तैराकी प्रशिक्षण शिविर का। जहां इंदौर, उज्जैन, देवास, ग्वालियर, राजगढ़, भिंड, सतना, सिंगरौली सहित 12 जिलों के तकरीबन 402लोगों को तैरने के साथ डूबते को बचाने की कला सीखाई जा रही है। प्रशिक्षण के बाद इन लोगों को हर घाट पर तैनात किया जाएगा ताकि सिंहस्थ 2016 के दौरान किसी तरह की जन हानि न हो।
पुलिस के आला अधिकारियों की मौजूदगी में प्रशिक्षण शिविर शुरू हुआ। यहां पहले दिन भिंड, शाजापुर, राजगढ़ और ग्वालियर के तकरीबन 250 लोगों को प्रशिक्षण दिया गया। बाकी 150 लोग बुधवार शाम तक उज्जैन पहुंच जाएंगे। आने का सिलसिला जारी है। अधिकारियों को उम्मीद है कि बुधवार तक काफी संख्या में लोग आ जाएंगे। इनके रहने के लिए टेंट और खाने की व्यवस्था उज्जैन पुलिस ने की है।
अब तक तो कुछ मिला नहीं, इस बार उम्मीद है...
हर सिंहस्थ में वॉलेंटियर की व्यवस्था की जाती है लेकिन दुर्भाग्यवश उन्हें किसी तरह का मानदेय नहीं दिया जाता है। बावजूद इसके वे निस्वार्थ सेवा करते हैं। इसीलिए सिंहस्थ 2016 के लिए सरकार ने यह तय किया है कि वॉलेंटियर तैराकों को एक महीने के लिए 360 रुपए/दिन के हिसाब से भत्ता दिया जाएगा। हालांकि अब तक इसकी अधिकृत घोषणा नहीं हुई है।
हर घाट पर कुल 9 तैराक होंगे
सिंहस्थ के दौरान शिप्रा के हर घाट पर 24 घंटे तैराक नियुक्त रहेंगे। इसमें तीन होमगार्ड के होंगे। तीन सीविल सविल डिफेंस के ‘जो कि उज्जैन पुलिस मुहैया कराएगी’ होंगे। तीन वॉलेंटियर ग्रुप से। मतलब एक घाट पर कुल नौ तैराक। इनकी ड्यूटी को आठ-आठ घंटे में ऐसे बांटा जाएगा कि 24 घंटे घाट पर तैराक तैनात नजर आए।
तैराकों के साथ हर घाट पर मोटर बोट ओर किनारे पर प्राथमिक चिकित्सा टीम भी मौजूद रहेगी। यदि कोई व्यक्ति डूबता है तो तैराक नदी में कुदेंगे। डूबते आदमी को बचाएंगे। उन्हें पुरी नदी क्रॉस नहीं करना होगी। आधे रास्ते में उन्हें मोटर बोट मिल जाएगी। मोटर बोट से किनारे पर आएंगे और पीड़ित का प्राथमिक उपचार कराएंगे। मोटर बोट न पहुंचने की स्थिति में तैराक पीड़ित को लेकर नदी पार कर सके इसीलिए तैराकों को नदी के एक छोर से दूसरे छोर तक आने-जाने का प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है।
यहां तैराकों को तराश रहे हैं
सिंहस्थ के लिए तैराक तैयार किए जा रहे हैं। हमने प्राथमिकता के आधार पर 402 लोगों की सूची 12 जिलों को भेजी थी। ये वो लोग हैं जिनकी तैराकी पहले ही जबरदस्त है। शिविर में उसे और तराशा जा रहा है ताकि पीड़ित को बचाते वक्त कोई चूक न हो। इस बार मानदेय देने का चल रहा है। पूरी कोशिश होगी कि सिंहस्थ में डूबने से कोई जनहानि न हो।
मीनाक्षी चौहान, प्रभारी
सिंहस्थ तैराकी प्रशिक्षण
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