Friday, April 8, 2016

एम्पायर लॉजीपार्क में मनमानी

सरकारी आदेश से गेट तो टूटा नहीं, रोड भी बनने लगी
इंदौर. चीफ रिपोर्टर ।
बिना अनुमति के एम्पायर लॉजी पार्क में जारी विकासकार्यों को लेकर जहां जिला प्रशासन नोटिस पर नोटिस थमा रहा है वहीं मनमानी पर आमादा बिल्डर ने काम नहीं रोका। उलटा, अवैध गेट को तोड़े जाने के सरकारी नोटिस के बावजूद लॉजी पार्क में अब सड़कों का काम भी शुरू हो चुका है।
अर्जुन बरौदा की 26.884 हेक्टेयर जमीन पर लॉजीपार्क का मनमाना काम हो रहा है जिसका खुलासा दबंग दुनिया ने रविवार को ‘सख्त सरकार, टुटेगा लॉजी पार्क का द्वार’ शीर्षक से प्रकाशित समाचार में किया था। इसके जहां सरकारी गलियारों में हलचल रही वहीं अर्जुन बरौदा साइट पर ऐसे शांति से काम चल रहा था मानों सभी तरह की अनुमतियां ली जा चुकी हो। मौके पर सड़क बन रही है। तकरीबन 20-30 फीट लंबी सड़क बन भी चुकी है। 20 मजदूर काम कर रहे हैं। दो-तीन डम्पर लगे हैं।
पीएनबी के पास गिरवी रखी है जमीन
राजस्व दस्तावेजों के अनुसार तहसीलदार के 1 नवंबर 2012 को जारी आदेश के अनुसार लॉजीपार्क में शामिल तकरीबन 6.187 हेक्टेयर जमीन पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी)  औद्योगिक क्षेत्र, देवास शाखा में बंधक है। फिर भी जमीन का नामांतरण 27 जनवरी 2014 को हुआ। इसी तरह लॉजीपार्क की अन्य कुछ जमीन भी बंधक थी जिसे 1 अपै्रल 2013 में मुक्त कराया।
नजर सरकारी जमीन पर भी..
लॉजीपार्क बनाने वाले एम्पायर समूह की नजर अब राधेश्वरी डेवलपर्स की जमीन से लगी सरकारी जमीन पर भी है। इसका बड़ा उदाहरण है सर्वे नं. 75 की जमीन जो कि नाला है। नाला लॉजीपार्क में घुमते हुए जाएगा। इसके अलावा एबी रोड तक अप्रोच रोड भी सरकारी जमीन पर बनी है। यहां सर्वे नं. 29/2 और 26/2/1 की जमीन पर भी नजर है।
राधेश्वरी के  अलावा अलग लोगों के नाम पर भी है जमीन
सर्वे नं. नाम उपयोग
30/1 अयोध्याबाई सरदार खाती लॉजिस्टिक
119/2 नीनादेवी पति विनोद कुमार लॉजिस्टिक
5/1 भुवानसिंह कोदर लॉजिस्टिक
32/2 भागीरथ भगवान लॉजिस्टिक
कंपनी का बहाना...
एसडीओ के रीडर को आवेदन किया था लेकिन उस वक्त कंपोनेंट अथॉरिटी डिसाइड नहीं थी। एक साल तक मामला टला। बाद में कलेक्टर को सक्षम अधिकारी बनाया लेकिन नियम में कमर्शियल लिखना भूल गई सरकार। हमने कलेक्टर को पत्र लिखा और पूछा कि कमर्शियल के लिए विकास अनुमति की जरूरत नहीं है क्या? जवाब नहीं मिला। तब कोर्ट की शरण ली। कोर्ट की अनुमति के आधार पर विकास शुरू किया। इस बीच एसडीएम ने आपत्ति ली। कहा कि हाईकोर्ट ने कहीं नहीं लिखा कि विकास अनुमति की जरूरत नहीं है। अब जब कोर्ट विकास की अनुमति दे चुकी है तो विकास अनुमति की जरूरत क्या है। गेट तोड़ने का नोटिस हुआ तो हमने कोर्ट की शरण ली। स्टे मिला। डायवर्शन कराकर किसानों को बाहर करना चाहा तो सरकार ने नामांतरण रुकवा दिया। इससे हमारा टाइटल रूकेगा नहीं। बंधक जमीन की जानकारी नहीं है।
बी.डी.दीक्षित, लीगल हेड
एम्पायर

सख्त सरकार, टूटेगा अवैध लॉजीपार्क का द्वार

अर्जुन बरोदा में एम्पायर समूह की मनमानी को अफसरों का करारा जवाब
 बिना अनुमति शुरू किया विकास, प्रशासन ने नामांतरण पर भी लगाई रोक
इंदौर. विनोद शर्मा । 
कॉलोनी के नाम पर कालापीला करने की कला में पारंगत इंदौर के जमीनी ‘जादूगर’ अब ग्रामीण क्षेत्रों में अपने ‘हुनर’ से कानून-कायदों को ठेंगा दिखा रहे हैं। इसका बड़ा उदाहरण एबी रोड स्थित अर्जुन बरोदा गांव में आकार ले रही एम्पायर लॉजीपार्क है। सुविधाओं का सब्जबाग दिखाकर बेचे जा रहे इस लॉजीपार्क का विकास जिला प्रशासन से विकास अनुमति लिए बिना ही किया जा रहा है। बहरहाल, सांवेर एसडीएम ने भी भू-माफियाओं के मंसूबों पर पानी फेरते हुए बिना अनुमति हुए विकास को नेस्तनाबूद करने की तैयारी कर ली है। इस कड़ी में लॉजीपार्क के भव्य द्वार को तोड़ने के नोटिस दे दिए गए हैं।
राजस्व दस्तावेजों के अनुसार ग्राम अर्जुन बरोदा में राधेश्वरी डेवलपर्स प्रा.लि. तर्फे डायरेक्टर साकेत कुमार पिता सुरेशकुमार के नाम पर 26.884 हेक्टेयर जमीन है। 25 वर्षों में एम्पायर स्टेट, एम्पायर रेसीडेंसी, एम्पायर विक्टोरी सहित आधा दर्जन से अधिक आवासीय प्रोजेक्ट पर काम करने वाले एम्पायर समूह इस जमीन पर लॉजीपार्क बनाकर गैर आवासीय प्लॉट बेच रहा है। लॉजीपार्क के लिए 3 अपै्रल 2014 को टाउन एंड कंट्री प्लानिंग से ले-आउट मंजूर (2383/एसपी/आउट-2/14/नग्रानि/2014) मंजूर किया था। टीएंडसीपी द्वारा स्वीकृत नक्शे के आधार पर जमीन का डायवर्शन भी हुआ लेकिन टीएंडसीपी के स्वीकृति आदेश की कंडिका क्रमांक 2 का उल्लंघन करते हुए कंपनी ने विकास अनुमति नहीं ली और विकास कार्य शुरू कर दिए।
कोर्ट ने नहीं कहा विकास अनुमति की जरूरत नहीं
कंपनी ने विकास अनुमति नहीं ली और प्रशासनिक कार्रवाई को मप्र हाईकोर्ट की इंदौर खण्डपीठ में चुनौती दी। अक्टूबर 2015 को कंपनी को लिखे एक पत्र में सांवेर एसडीएम  ने स्पष्ट कर दिया कि आपने कोर्ट में याचिका (2876/2015) दायर की। 11 मई 2015 को कोर्ट ने विकास कार्य न रोकने के आदेश दिए लेकिन माननीय न्यायालय ने यह कहीं भी नहीं कहा कि आपको मप्र पंचायती राज अधिनियम के प्रावधानों के तहत विकास अनुमति लेने की जरूरत नहीं है। इसीलिए आपको आदेशित किया जाता है कि आप विकास अनुमति के लिए आवेदन करें।
संभागायुक्त को भी दे चुके हैं जानकारी
दिसंबर 2015 में एसडीएम, सांवेर ने संभागायुक्त को पत्र लिखा और मामले की सूचना दी। कॉलोनाइजर की मनमानी का हवाला देते हुए बताया कि अक्टूबर 2015 में पत्र लिखने के बाद भी आज दिन तक कंपनी ने अनुमति के लिए आवेदन नहीं किया। मौके पर गेट बनाया जा रहा है।
तो बलपूर्वक हटाएंगे गेट
जनवरी 2016 में एसडीएम ने एक बार फिर आर.सी.डेवलपर्स और राधेश्वरी डेवलपर्स को नोटिस दिया और अनुमति न मिलने तक विकास कार्य रोकने के निर्देश दिए। यह भी कहा कि लॉजी पार्क में जो गेट बनाया जा रहा है वह अवैध है। इसीलिए तत्काल इस गेट को हटाएं। अन्यथा आपके विरूद्ध नियमानुसार कार्रवाई करते हुए गेट को बलपूर्वक हटा दिया जाएगा। इसकी पूरी जिम्मेदारी आपकी होगी।
ताकि न बिके प्लॉट, न हो नामांतरण
मप्र भूमि विकास अधिनियम और मप्र पंचायती राज अधिनियम के तहत एक बार टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग से ले-आउट मंजूर होने के बाद बिना विकास अनुमति के पूरी जमीन को भूखंड के रूप में विकसित किया जा सकता है और न ही एक पूर्ण सर्वे क्रमांक के रूप में बेचा जा सकता है। ऐसे में यदि लॉजीपार्क में सौदा करके जमीन के नामांतरण की प्रक्रिया शुरू की जाती है या पहले बेचे गए प्लॉट का नामांतरण आवेदन प्रस्तुत किया गया है तो उसे मप्र भू राजस्व संहिता 1959 की धारा 51 के तहत सक्षम अधिकारी निरस्त कर सकता है। एसडीएम ने शिप्रा टप्पा के नायब तहसीलदार, राजस्व निरीक्षक (डायवर्सन) और पटवारी (अर्जुन बरोदा) को नामांतरण पर रोक लगाने के आदेश दे दिए हैं।
एक नजर में एम्पायर पार्क...
सर्वे नं. 2, 5/2, 6, 7/1, 7/2, 7/3, 9/3, 25/1/1/1, 25/1/1/2, 30/2, 31, 32/1/1/2, 32/1/2, 33/1/1, 33/1/2, 33/1/3, 33/1/4, 33/2, 33/3, 34/1, 34/2, 35/1 ,35/2, 39/1, 39/3, 42, 43, 114, 115/2/1, 115/2/2, 116/1/1, 116/1/2, 116/1/3/1, 116/2/1/1, 116/3, 116/4/1, 116/6/1/1, 116/6/2/1, 117/1/1, 117/2/1, 119/1, 120/2, 120/3
मालिक - राधेश्वरी डेवलपर्स प्रा.लि. तर्फे साकेत सुरेशकुमार
कुल जमीन - 26.884 हेक्टेयर
नामांतरण - 2 सितंबर 2013
टीसीपी - 3 अपै्रल 2014
डायवर्शन - 1 जुलाई 2014
डायवर्ट जमीन -  2893770 वर्गफीट
क्या-क्या बना - गेट, बाउंड्रीवाल

जब निगम हो साथ तो शिकायतों की क्या बिसात

शिकायतें होती रही, नोटिस थमाए जाते रहे लेकिन नहीं रूका अवैध निर्माण
इंदौर. चीफ रिपोर्टर ।
अवैध निर्माण के खिलाफ नगर निगम का मैदानी अमला पूरी तरह समर्पित है। लोग चाहे जितनी शिकायतें करते रहे, बड़े अधिकारी चाहे जितने कानून-कायदे बनाते रहें लेकिन अंतत: होगा वही जो जोन और वार्डों में तैनात अधिकारी चाहेंगे। 3/3 ओल्ड पलासिया स्थित बनी बिल्डिंग इसका बड़ा उदाहरण है जिसकी नींव में अफसरों ने कई शिकायतें दफन कर दी। मामला लोकायुक्त तक पहुंच चुका है लेकिन गैरकानूनी काम को कानूनी तरीके से करने में माहिर अफसरों को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।
3/3 ओल्ड पलासिया पर सुनील यादव व अन्य बिल्डिंग बना रहे हैं। इस बिल्डिंग में शुरू से अवैध निर्माण जारी है। 15 जून 2015 को जोन-10 के भवन अधिकारी भी भवन मालिक को नोटिस देकर स्पष्ट कर चुके हैं कि आप नगर निगम से अनुमति लिए बिना जो निर्माण कर रहे हैं वह अवैध है। कोई अनुमति है तो तीन दिन में दिखाएं। बिल्डर नहीं माना। इसीलिए 1 अगस्त 2015 को रिमुवल की कार्रवाई मुकरर्र करते हुए पलासिया थाने से पुलिस बल मांगा गया। कार्रवाई नहीं हुई। यही कहानी 26 और 30 सितबर को भी दोहराई गई। 30 सितंबर को सुनील यादव और राजाराम यादव को भी नोटिस दिया गया और 3 अक्टूबर 2015 को रिमुवल की तीसरी तारीख मुकरर्र हुई।
नोटिसों के तीर के बीच डल गई छत...
15 जून से 7 जुलाई 2015 के बीच नोटिस का दौर चलता रहा इसी दौरान यादव परिवार ने विवादित निर्माण को आगे बढ़ाते हुए छत भी डाल ली। जिसकी शिकायत भी शिकायतकर्ता ने की। अधिकारियों ने कहा कि स्थल निरीक्षण करके 26 जून 2015 को रिमुवल लगाया था लेकिन सामने वाले ने अवैध निर्माण स्वयं हटाने का आश्वासन दे दिया था। 20 जुलाई को मामले में शीघ्र रिमुवल के लिए लिखा गया।
अपर आयुक्त का आदेश भी हवा में
लगातार कार्रवाई के लिए लिखने के बावजूद कार्रवाई नहीं हुई। इसीलिए शिकायतकर्ता ने अपर आयुक्त देवेंद्र सिंह को शिकायत की। सिंह ने 8 फरवरी 2016 को भवन अधिकारी महेश शर्मा और भवन निरीक्षक सुमित अस्थाना को पत्र लिखकर एक सप्ताह में कार्रवाई करके सुचित कराने के  निर्देश दिए। बावजूद इसके कार्रवाई नहीं हुई।
बड़ा पैसा बंटा !
शिकायतकर्ता ने 16 फरवरी 2016 को लोकायुक्त एसपी और सीएम हैल्पलाइन पर मय प्रमाण के शिकायत की। शिकायतकर्ता ने आशंका जताई कि जरूर नगर निगम के अफसरों ने अवैध निर्माण पर कार्रवाई न करने के लिए बिल्डर से पैसे ले लिए हैं इसीलिए कार्रवाई नहीं हो रही है। इसीलिए अब न सिर्फ अवैध निर्माण पर कार्रवाई हो बल्कि अवैध निर्माण को बढ़ावा देने वाले भ्रष्ट अफसरों के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई हो।

श्री गुजराती समाज के पदाधिकारियों पर संगीन आरोप, शिकायत

 कॉलेजों में करोड़ों का ‘विकास’ बेहिसाब
इंदौर. विनोद शर्मा ।
एक के बाद एक शैक्षणिक संस्थान स्थापित कर शिक्षा की नींव मजबूत करने का दम भरती आ रही गुजराती एज्युकेशन सोसायटी ने 15 वर्षों में 45 करोड़ की हेराफेरी की। सिर्फ चार कॉलेज के 1500 स्टूडेंट्स से सालाना वसूले गए तीन करोड़ कैसे और कहां खर्च हुए? इसका कहीं कोई हिसाब नहीं है। इतना ही सीए के जाली दस्तखत करके आॅडिट रिपोर्ट पेश की जा रही है ताकि यूजीसी या अन्य विभागों से करोड़ों की ग्रांट मिलती रहे। इसका खुलासा युनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (यूजीसी), उच्च शिक्षा विभाग और इनकम टैक्स को बीते दिनों मिली शिकायत में हुआ है।
शिकायत के अनुसार समाज के नसिया रोड पर प.म.ब.गुजराती साइंस कॉलेज, प.म.ब. गुजराती कॉर्मस कॉलेज, प.म.ब.गुजराती आर्ट्स कॉलेज और महारानी रोड पर ए.के.एच.एस. गुजराती गर्ल्स कॉलेज संचालित कर रहा है। यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (यूजीसी) से अनुदान प्राप्त इन कॉलेजों में तकरीबन 15 हजार स्टूडेंट्स हैं जिनसे विकास निधि के रूप में सालाना दो हजार रुपए लिए जा रहे हैं। यानी सालाना 3 करोड़। श्री गुजराती समाज के सशक्त संचालक इस पैसे का हिसाब देना भी उचित नहीं समझते। इस रकम की जानकारी न कॉलेज बुक में है, न लेजर, केशबुक, आदम व खर्च रजिस्टर भी नहीं है। न ही किसी मद में इस राशि को खर्च होना बताया गया है। संस्था के शिक्षक, पदाधिकारी, आॅडिटर, प्रबंधकों के साथ ही जिम्मेदार महकमों में पदस्थ अधिकारियों तक को चुटकी में तबादला कराने की ताकत के नाम धमका रखा है।
शिकायत पर जांच शुरू..
शिकायत पर यूजीसी और उच्च शिक्षा विभाग के साथ ही इनकम टैक्स ने भी गुजराती समाज की फाइलों की समीक्षा शुरू कर दी है।  उच्च शिक्षा विभाग ने होलकर साइंस कॉलेज की डॉ. शोभा जोशी की अध्यक्षता में एक जांच कमेटी बनाई है जिसने करीब-करीब जांच पूरी कर ली है। दो-चार-आठ दिन में वे जांच रिपोर्ट सबमिट कर देंगी।
ये है रसीद पर...
रसीद नं. 462
दिनांक-3 जुलाई 2013।
नाम- अनिल बतानिया।
क्लास-बीएससी पीसीएम मैथ्स, सेक्शन-एम-1।
स्कॉलर नं. 3984..।
क्लास 456 -मेडिकल फंड के 50 रुपए।
क्लास 456 -विकास निधि के 2000 रुपए।
इसी दिन एक दूसरी रसीद भी दी गई...
रसीद नं. 462
दिनांक-3 जुलाई 2013।
नाम- अनिल बतानिया।
क्लास-बीएससी पीसीएम मैथ्स, सेक्शन-एम-1।
स्कॉलर नं. 3984..।
क्लास 409- स्टूडेंट्स एक्टिविटी के 1850  रुपए।
क्लास 453- मिसलेनियस फीस के 1100 रुपए लिए।
(दोनों रसीदें अलग क्यों? इसका प्रबंधन के पास कोई जवाब नहीं है। रसीद पीएमपी गुजराती साइंस कॉलेज की है। यहां कहीं भी संस्था का पंजीयन क्रमांक भी नहीं है।)
 आॅडिट रिपोर्ट भी बयां कर चुकी है चोरी
आरटीआई के तहत प्राप्त सर्टिफाइड दस्तावेजों में 2008-09 से 2010-11 की आॅडिट रिपोर्ट भी है। इस रिपोर्ट के बिंदु क्र.3 के तहत मप्र उच्च शिक्षा विभाग के आदेश के अनुसार वसूला गया सभी तरह का शुल्क संस्थागित निधि में जमा कराना था लेकिन 2008-09 से 2010-11 के बीच 1 करोड़ 12 लाख 94 हजार 400 रुपए जमा नहीं कराए गए। रिपोर्ट के बिंदु क्र. 4 के तहत 1 करोड़ 93 लाख 69 हजार  300 रुपए भी जमा नहीं हुए। 2011-12 से 2012-13 की आॅडिट रिपोर्ट के अनुसार न 1 करोड़, 16 लाख 20 हजार  जमा हुए न ही 1 करोड़ 49 लाख 5 हजार 700 रुपए जमा हुए। ऐसे चार साल में ही कुल 5 करोड़ 71 लाख 89 हजार 400 की हेराफेरी तो आॅडिट रिपोर्ट ही उजागर कर चुकी है।
समाज के चुनाव में मुद्दा भी उठा था...
गुजराती समाज के शैक्षणिक संस्थाओं में जारी भारी अनियमिता का मामला हर बार गुजराती समाज के चुनाव में भी उठता है। बीते दिनों हुए चुनाव में भी यह बात सामने आई थी। ट्रस्टी सरजीव पटेल ने बताया कि  एक दशक से हेराफेरी हो रही है। विकास शुल्क का हिसाब न कोई देना चाहता है, न कोई पूछने की हिम्मत करता है।



पहली बार पानी पर टुरिज्म कैबिनेट...

हनुवंतिया टापू पर आज बैठक
इंदौर. चीफ रिपोर्टर ।
यकायक प्रदेशभर में चर्चा का केंद्र बन चुके हनुवंतिया टापू मंगलवार को एक दिन के लिए प्रदेश की ‘राजधानी’ बनेगा। यहां मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान और उनकी कैबिनेट की अहम बैठक होगी। इंदिरासागर  डेम में जमा नीलाभ नर्मदा के नीर पर तैरते क्रुज पर बैठक होगी। दो साल में दूसरी बार राजधानी से बाहर हो रही इस बैठक का मकसद हनुवंतिया के पर्यटन को बढ़ावा देना है।
हॉल में विशेष लाइटिंग, 40 आरामदायक कुर्सियां, प्रोजेक्टर लगाया जा रहा हैं। इस दौरान नर्मदा क्वीन बैक वॉटर में 2 किमी का सफर तय करेंगी। खासतौर मंत्रियों के लिए सरसो का साग और मक्के की रोटी भोजन में परोसी जाएगी। बैठक को लेकर सभी मंत्री एक दिन पहले इंदौर से सड़क मार्ग से हनुवंतिया आएंगे। सीएम शिवराजसिंह चौहान हेलिकॉप्टर से 2 फरवरी को पहुंचेंगे। ये पहला मौका है, जब कैबिनेट की बैठक हनुवंतिया में होगी।
यह है कैबिनेट का टाइम प्लान
दो फरवरी को सुबह 9 बजे मुख्यमंत्री हवाई जहाज से इंदौर पहुंचेंगे। यहां से वॉल्वो बस से पूरे मंत्रिमंडल के साथ दोपहर 12 बजे हनुवंतिया पहुंचेंगे। यहां पर नर्मदा क्वीन क्रूज पर सवार होंगे। क्रूज में कैबिनेट की बैठक होगी। इस दौरान क्रूज 19 किमी का जलमार्ग तय कर फेफरिया टापू पहुंचेगा। यहां भोजन होगा। इसके बाद फिर क्रूज से हनुवंतिया पहुंचेंगे। इस दौरान बड़े क्रूज के साथ छोटा क्रूज भी चलता रहेगा। मंत्री या मुख्यमंत्री की इच्छा हुई तो वे पानी में ही छोटे क्रूज में आ जाएंगे। इसकी रिहर्सल कर ली है।
यह होंगे बैठक के एजेंडे...
-- मप्र में पर्यटन का विस्तार।
-- सिंहस्थ के विकासकार्यों की समीक्षा। आवश्यकतानुसार नए कामों की स्वीकृति।
-- 18 फरवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भोपाल आ रहे हैं उनकी यात्रा से जुड़ी तैयारियां। प्रोग्राम का स्वरूप।
-- धार के भोजशाला मामले में पूजा-नमाज।
--  प्रदेश में मौजूद किले और महलों को एक लाख रुपए में नीलाम करने और हेरिटेज स्थलों से लगी जमीनों को कलेक्टर गाइड लाइन के हिसाब से बिक्री।
-- हनुवंतिया से संत सिंगाजी की समाधि तक क्रूज चलाने को कैबिनेट की बैठक में मंजूरी मिल सकती है। यह जलमार्ग 15 किमी लंबा है।   फिलहाल पर्यटकों को हनुवंतिया से सिंगाजी जाने के लिए लंबा सड़क मार्ग तय करना पड़ रहा है।
ऐसा है वीआइपी अरेंजमेंट...
- कैबिनेट की मीटिंग नर्मदा क्वीन क्रूज पर होगी।
- इस एयरकंडीशंड क्रूज में 80 लोगों के बैठने की व्यवस्था है।
- मीटिंग में सीएम और सीएस सहित सारे मंत्री ग्राउंड फ्लोर पर, जबकि अफसर अपर फ्लोर पर बैठेंगे।
- सीएस एंटनी डेसा के मुताबिक, इस कैबिनेट को टूरिज्म कैबिनेट नाम दिया गया है।
- कैबिनेट का सिंगल प्वाइंट एजेंडा प्रदेश में पर्यटन का विकास है।
- कैबिनेट की मीटिंग लंच के बाद शुरू होगी।
- मीटिंग में पहले पर्यटन विभाग द्वारा एक प्रेजेंटेशन दिया जाएगा। इसके बाद सीएम मंत्रियों से सुझाव लेंगे।
- मंत्रियों के लिए हनुवंतिया में स्विस टेंट लगाए जा रहे हैं।
- बाद में ये टेंट जल महोत्सव के दौरान पर्यटकों को दिए जाएंगे।

तैयारियां जल महोत्सव की भी...
हनुवंतिया पर्यटन-स्थल पर 12 फरवरी से 10 दिवसीय जल-महोत्सव आयोजित होगा। पर्यटकों के रुकने के लिए टेंट सिटी बसाई है। महोत्सव के दौरान पतंगबाजी, वालीबॉल, कैंप-फायर, स्टार गेजिंग, साइकलिंग, पैरामोटरिंग, पेरासेलिंग, हॉट एयर बैलून, बर्ड वाचिंग जैसी गतिविधियां होंगी।

पनामा डॉक्यूमेंट में पीएचई के प्रभाष सांखला भी

बेटी-दामाद के साथ हैं लोटस हॉराइजन एसए में डायरेक्टर
इंदौर. चीफ रिपोर्टर । 
टैक्स बचाने के लिए विदेशों में कथित कंपनियां खोलने वाले जिन प्रमुख नामों का खुलासा पनामा पेपर्स में हुआ है उसमें इंदौर के प्रभाष सांखला का नाम भी दर्ज है। सांखला इंदौर नगर निगम की महत्वकांक्षी योजना नर्मदा के तीसरे चरण में प्रोजेक्ट इंचार्ज रहे हैं। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी (पीएचई) में अधीक्षण यंत्री पद से रिटायर हुए सांखला का नाम पनामा में रजिस्टर्ड लोटस हॉराइजन एसए के डायरेक्टर के रूप में सामने आया है। हालांकि मीडिया को दिए बयान में सांखला का साफ कहना है कि कंपनी उनके दामाद की है और वे सिर्फ नाम के डायरेक्टर हैं। उन्होंने न एक पैसा दिया। न एक पैसा लिया।
पनामा की विधि फर्म मोसैक फोनसेका के कथित तौर पर लीक दस्तावेजों लोटस हॉराइजन एसए का नाम सामने आया है। मोस्सफन बिल्डिंग 54ई स्ट्रीट पनामा में  26 जुलाई 2012 को सोसिएडेड अनोनिमा (एसए) के रूप में लोटस हॉराइजन पंजीबद्ध (पंजीयन नं. 775717) हुई। इस कंपनी के डायरेक्टर्स की सूची में प्रभाष सांखला, उनकी बेटी शीतल सांखला और दामाद राजीव सिंह ‘जिसने 2001 में समूह की स्थापना की थी’, का नाम शामिल है। पनामा की सूची में शामिल सांखला के नाम ने मंगलवार को पीएचई से लेकर इंदौर नगर निगम तक के गलियारे में हलचल मचा दी। जितने मुंह उतनी बातें होती रही।
रिटायरमेंट के बाद फिर दी सेवा
एशिनल डेवलपमेंट बैंक (एडीबी) की वित्तीय मदद से 2005-06 में तकरीबन 625 करोड़ की लागत से प्रोजेक्ट उदय के तहत नर्मदा के तीसरे चरण का काम शुरू हुआ था। प्रोजेक्ट की कमान इंदौर में दी गई प्रभाष सांखला को। सांखला 2008-09 में रिटायर हुए। प्रोजेक्ट की जरूरत, उनके अनुभव और प्रोजेक्ट पर पकड़ को देखते हुए मप्र सरकार कॉन्टेक्ट बेस पर उनकी सेवा बढ़ाती रही। वे 2012 में रिटायर हुए हैं। तब तक तीसरा चरण से इंदौर को 25 प्रतिशत (90 एमएलडी) पानी मिलना शुरू हो गया था। तीन साल पहले ही उनकी पत्नी का भी देहांत हुआ है। बेटा और बेटी दोनों विदेश में है। वे यहां अकेले रहते हैं। रिटायरमेंट के वक्त उनकी तनख्वाह एक लाख से अधिक है।
दामाद ने 2001 से समूह बनाया था
्नराजीव पेनसिलवानिया यूनिवर्सिटी से इंजीनियरिंग ग्रेज्यूएट हैं। वे कंपनी में प्रेसिडेंट पद पर हैं। राजीव ने होल्डिंग कंपनी के रूप में 2001 में काम शुरू किया। पहली कंपनी थी एसएएस प्रेसिशन। 2008 में उन्होंने लोटस एविएशन समूह का अधिग्रहण किया। जुलाई 2012 में लोटस हॉरिजन पंजीबद्ध कराई। उनके नाम पर 10 हजार शेयर हैं।
दामाद की है कंपनी, मैं मानद डायरेक्टर
कंपनी राजीव की है जो मेरे दामाद हैं। वे 1995 से न सिर्फ वहां रह रहे हैं बल्कि पनामा के प्रतिष्ठित बिजनेसमैन है। उन्होंने जब कंपनी बनाई तो मुझे भी डायरेक्टर बनाया जैसा कि कोई भी व्यक्ति नई कंपनी में अपने परिजन को डायरेक्टर बनाता है। उस वक्त मेरा नाती अवयस्क था। उसे डायरेक्टर बनने की पात्रता नहीं थी। कंपनी में डायरेक्टर के रूप में सिर्फ मेरा नाम है। मैंने न कभी कोई मीटिंग अटैंड की। न ही किसी तरह के पैसे का लेन-देन किया है। वैसे भी मुझे कारोबार की समझ नहीं है। मैं हर तरह की जांच और जवाब के लिए तैयार हूं।
प्रभाष साखला, पूर्व एई
इस समूह की यह भी हैं कपनी
लोटस एविएशन ग्रुप : फ्लोरिडा
एसएएस प्रेसिशन : कनाड़ा। भारत में आॅपरेटिंग के लिए बी-51, सेंकड क्रॉस पिनाया इंडस्ट्रियल एस्टेट, बैंगलोर में आॅफिस है जिसे संजीव सिंह संचालित करते हैं।

बजट के बाद से संकट में हैं ट्रेडर

इंदौर. चीफ रिपोर्टर ।
बजट के बाद से ट्रेडरों की हालत खराब है। कई दुकानों पर ताले की नौबत आ चुकी है। वजह है बजट में इंटरस्टेट सेल पर टैक्स के बराबर ही इनपुट टैक्स रिबेट (आईटीआर) देने की घोषणा। जिससे कारोबारियों को 12 से 13 प्रतिशत आईटीआर का नुकसान हुआ है। कर सलाहकारों की मानें तो मंदी के इस दौर में 17-18 प्रतिशत विशुद्ध मुनाफा चाहिए। 5 प्रतिशत में उसकी कमाई-खर्च और 12-13 प्रतिशत आईटीआर के रूप में जेब से लगने वाली रकम की भरपाई के लिए।
अब तक मेन्युफेक्चरर  ट्रेडर के रास्ते माल बेचते थे। ट्रेडर को बेचे गए माल पर 14  से 15 प्रतिशत टैक्स चार्ज होता है। कंपनियों से माल लेकर ट्रेडर दूसरे राज्यों में बेचते थे। इस पर 2 प्रतिशत सेंट्रल सेल्स टैक्स(सीएसटी) लगता था। आईटार मिलता था 14 प्रतिशत।  जेब से  जाता था 2 प्रतिशत, मिलता था 12 प्रतिशत। बजट में सरकार ने इस प्रावधान पर कैची चला दी। अब मेन्युफेक्चरर से माल खरीदते वक्त 14-15 प्रतिशत चुकाने वाले ट्रेडरों को रिबेट सिर्फ 2 प्रतिशत सीएसटी के बराबर ही मिलेगा।
सीटीपीए सचिव केदार हेड़ा ने बताया कि इससे ट्रेडरों को 12 प्रतिशत रिबेट का नुकसान होगा। यदि वह माल बेचता है तो उसे इतनी रकम जैब से चुकाना पड़ेगी। जेब का पैसा लगाकर कौन और कैसे काम करेगा। पहले ही मुनाफा इतना है नहीं। पहले टैक्स देर से जमा करने पर 1.5 प्रतिशत ब्याज लगता था जिसे बढ़ाकर अब 2 प्रतिशत कर दिया है। साइकिल का खुदरा मुल्या 10 हजार रुपए से अधिक है लेकिन उसके पूर्जे और टायर ट्यूब पर 14 प्रतिशत टैक्स लगेगा। अगर कोई टेÑडर पंजीकृत नहीं है तो उसे 3 प्रतिशत टीडीएस देना होगा।
जारी है रणनीति का दौर...
22 मार्च को माहेश्वरी भवन में एक सभा रखी गई थी जिसमें कर सलाहकारों ने बचट के चौकाने और व्यापारियों को नुकसान पहुंचाने वाले प्रावधानों पर चर्चा की। मुख्य कर सलाहाकर अमित दवे ने वेट संसोधन अधिनियम में जोड़े गए नए नियमों की जानकारी दी। मौके पर 150 कर सलाहकार मौजूद थे।

गृरूकृपा और वृंदावन पर डीजीसीईआई का छापा

- लाखों की कर चोरी उजागर होने की संभावना
इंदौर. चीफ रिपोर्टर ।
अपने खाने की क्वालिटी के कारण बीते कुछ दिनों से विवादों में घिरी होटल गुरूकृपा और होटल वृंदावन के खिलाफ डायरेक्टर जनरल आॅफ सेंट्रल एक्साइज इंटेलीजेंस (डीजीसीईआई) ने छापेमार कार्रवाई की। कार्रवाई के दौरान जब्त किए गए हिसाब किताब के अनुसार दोनों होटलों की दो-दों शाखाओं ने लाखों रुपए के सर्विस टैक्स की चोरी की है।
स्थानीय इंटेलीजेंस से इन्फॉर्मेशन मिली थी कि गुरुकृपा की सरवटे बस स्टैंड और 10 शांति मंडपम (साउथ तुकोगंज) शाखाओं में सर्विस टैक्स की चोरी हो रही है। न्यू पलासिया और स्कीम-78 स्थित होटल वृंदावन की स्थिति भी कमोबेश यही है। सूचना मिलते ही डीजीसीईआई की इंदौर स्थित रीजनल यूनिट ने दोनों होटलों के चार ठिकानों पर दबिश दी। कार्रवाई सुबह शुरू हुई थी जो मंगलवार देर रात तक जारी रही। इस दौरान अधिकारियों ने बिलिंग काउंटर व अकाउंट सेक्शन से कई चौकाने वाली जानकारी जुटाई जो इस बात की पुष्टि करती हैं कि दोनों होटलों में लाखों के सर्विस टैक्स की चोरी हुई।
करोड़ों का टर्नओवर है दोनों होटलों का
दोनों होटलों का कुल टर्नओवर करोड़ों में है। खासकर गुरुकृपा होटल जहां रियायती दरों के कारण खाने वालों की भीड़ लगी रहती है। कतार लगती है। अधिकारियों के अनुसार 60 फीसदी हिसाब ही बुक्स में है बाकी 40 फीसदी हिसाब छिपाकर टैक्स चोरी की जाती है।
ऐसे होती हे लाखों की टैक्स चोरी
गौरतलब है कि जिन रेस्टोरेंट या होटल में एअर कंडिशन या सेंट्रल ऐसी है वे सर्विस टैक्स के दायरे में आते हैं। वे ग्राहकों से सर्विस टैक्स वसूले या न वसूलें लेकिन उन्हें सर्विस टैक्स चुकाना होगा। सर्विस टैक्स बिल की 40 फीसदी राशि पर ही लगेगा। मसलन स्वच्छता उपकर  के बाद सर्विस टैक्स की दर 14.5 प्रतिशत हो चुकी है। 5.8 प्रतिशत टैक्स लगना है। यदि 40 फीसदी बिलिंग आॅफ द रिकॉर्ड होती है तो इसका मतलब यह है कि होटल में सालाना लाखों की टैक्स चोरी हो रही है। सर्विस टैक्स से बचने के लिए होटलों में एसी की बात छिपाई जाती है। उन्हें एअर कुलिंग बताया जाता है।

कर चोरी की शंका में होगी जमा पूंजी कुर्क

इंदौर. विनोद शर्मा ।
कर चोरी करने वाले व्यापारियों के खिलाफ वाणिज्यिक कर विभाग की सख्ती का दौर जारी है। इसी कड़ी में विभाग उन व्यापारियों के बैंक खाते भी सीज कर सकता है जिन पर छापे के दौरान कर चोरी का संदेह हो या पुष्टि हो। इसके लिए वित्त मंत्रालय ने वैट संशोधन बिल 2016 में धारा 28 ‘क’ का प्रावधान किया है जिसके तहत व्यापारी की जमा पूंजी अधिकतम दो साल के लिए कुर्क की जा सकती है।
व्यापारी पहले ही फार्म-49 में उत्पादों की बढ़ी हुई सूची और ट्रांजिट पास सहित बजट 2016-17 में वित्त मंत्री जयंत मलैया द्वारा किए गए प्रावधानों से परेशान हैं। उस पर वैट संशोधन अधिनियम के तहत अधिकारियों को अब जमा पूंजी कुर्क करने के अधिकार भी दे दिए गए हैं। नई धारा के मुताबिक जांच या छापे के दौरान अधिकारियों को कर चोरी का संदेह होता है तो अधिकारी मौके पर उपलब्ध दस्तावेजों या हिसाब खातों के आधार पर संबंधित व्यापारी या कारोबारी की जमा पूंजी कुर्क कर सकते हैं।
बताना होगी पूरी जमा रकम...
राजस्व हित में अधिकारियों को कुर्की की कार्रवाई करते वक्त यह देखना होगा कि असेसी पर टैक्स ड्यू है या नहीं? किसी दूसरे व्यक्ति या व्यापारी का ड्यू तो नहीं ह? खाते में कारोबार के लिए दी गई किसी अन्य व्यापारी की रकम तो नहीं है?
कुर्की आदेश में खाते में जमा कुल रकम का जिक्र करना होगा। कुर्क संपत्ति के संबंध में निर्धारित समय के लिए बैंक गारंटी दे दी जाए तो कुर्की आदेश को वापस भी लिया जा सकता है।
अधिकतम दो साल के लिए ही होगा आदेश
कुर्की आदेश तामीली के एक साल बाद निरस्त होगा। उचित कारण होने पर अधिकारी इस आदेश की अवधि को बढ़ा भी सकते हैं। हालांकि बढ़ी हुई अवधि भी दो वर्ष से अधिक नहीं हो सकती। नोटिस तामील होने के बाद संबंधित असेसी व्यक्तिगत रूप से आदेश वापस न होने तक उक्त राशि चुकाने के लिए उत्तरदायी होगा।
इन्हें होंगे अधिकार
कुर्की के अधिकार आयुक्त या अपर आयुक्त के साथ ऐसे उपायुक्त को ही होंगे जिन्हें आयुक्त ने गजट नोटिफिकेशन के आधार पर अधिकार दिए हों।
तो अपीलेंट बोर्ड में कर सकते हैं अपील
कुर्की आदेश मिलने के बाद  कोई असेसी 15 दिन में या समयसीमा बढ़ने के 15 दिन में निर्धारित प्रारूप में आवेदन करता है तो उसे सुनवाई का अवसर दिया जाएगा। सुनवाई के बाद परिस्थिति देखते हुए अधिकारी कुर्की आदेश की पुष्टि कर सकता है। या निरस्त कर सकता है। किसी के आवेदन के बावजूद कुर्की आदेश जारी होता है तो वह अपीलेंट बोर्ड में अपील कर सकता है। इस संबंध में वैट अधिनियम की धारा 46 में प्रावधान है।
व्यापारियों को मारना चाहती है सरकार
व्यापारिक संगठनों ने इस अधिनियम का विरोध किया है। उनकी मानें तो सरकार के इस फैसले से इंस्पेक्टर राज बढ़ेगा। अधिकारियों की दादागिरी बढ़ेगी। वे सिर्फ शंका के आधार पर खाते कुर्क करके बैठ जाएंगे। इससे भ्रष्टाचार भी बढ़ेगा। 

अवैध एजीएम में खारीवाल की सदस्यता समाप्त

1300 सदस्यों की संस्था में 80 सदस्यों की मौजूदगी में हुआ निर्णय
फोटो-वीडियो पर लगाई पाबंदी, कैमरे जब्त
इंदौर. चीफ रिपोर्टर ।
मंगलवार को संपन्न हुई इंदौर प्रेस क्लब की साधारण सभा में  आपराधिक मामलों और गिरफ्तारी को आधार बनाकर प्रेस क्लब के कतिपय कर्ताधर्ताओं ने प्रवीण खारीवाल को प्रेस क्लब अध्यक्ष की कुर्सी से हटा दिया। बताया जा रहा है कि निर्णय विधान की धारा 14 के अनुसार लिया गया। उधर, प्रेस क्लब विधान व अन्य विधान की जानकारी रखने वाले अन्य सदस्यों ने न सिर्फ एजीएम को अवैध करार दिया बल्कि एजीएम में हुए निर्णय पर सवाल खड़े कर दिए। उनका कहना है कि अध्यक्ष को बहुमत या सर्वसहमति के आधार पर पदविमुख किया जा सकता है लेकिन 1300 सदस्यों की इस संस्था में महज 80 लोगों की सहमति से निर्णय लिया गया। इनमें भी 40 ऐसे थे जिनकी सदस्यता पहले ही कार्यकारिणी समाप्त कर चुकी है।
प्रेस क्लब महासचिव ने 16 मार्च को खारीवाल के नाम कारण बताओ नोटिस जारी किया था जिसमें 15 दिन में जवाब पेश करना था। छठवें ही दिन संपन्न हुई तथाकथित एजीएम ने खारीवाल को अध्यक्ष की कुर्सी से हटाकर प्रेस क्लब से बाहर का रास्ता दिखा दिया। कार्यकारिणी सदस्यों ने कहा कि प्रेस क्लब की बदमानी हुई है और उन्हें धारा 8 च के तहत नोटिस दिया गया था। अब विधान की धारा 14 के अनुसार उनकी सदस्यता समाप्त की गई। इसी बीच कार्यकारिणी सदस्यों की अनुपस्थिति का मुद्दा उठा तो महासचिव ने कहा कि अनुपस्थित सदस्यों के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पारित करता हूं। उन्होंने बताया कि 270 सदस्यों की सदस्यता समाप्त की। 50 को विशेष दर्जा दिया है। दस दिन बाद फिर साधारण सभा होगी जिसमें चुनाव की तारीख का ऐलान होगा। इसमें 4 कार्यकारिणी सदस्यों की सदस्यता पर भी विचार होगा। बैठक 6.45 बजे खत्म हो गई।
पूरा प्रेस क्लब कुर्क हो जाएगा?
महासचिव ने शरद जैन की याचिका का जिक्र किया और 2014 में जारी हुए 16 लाख के डिक्री आदेश की जानकारी भी दी। जैन ने पदाधिकारी सहित शासन प्रशासन के 10 अधिकारियों को आरोपी बनाया है। प्रवीण शर्मा ने कहा कि इसकी जांच होना चाहिए।
इसीलिए सवालों के घेरे में एजीएम
प्रेस क्लब विधान और फर्म एंड सोसायटी एक्ट के अनुसार किसी भी संस्था के संचालक मंडल का कार्यकाल पूर्ण होने के बाद फर्म एंड सोसायटी विभाग उसे सिर्फ एक बार ही छह महीने का अतिरिक्त समय दे सकता है। इसके बाद सिर्फ फर्म एंड रजिस्ट्रार को ही अधिकार है कि वह बैठक बुलाए। या किसी को नोटिस जारी करे। प्रेस क्लब संचालकों का कार्यकाल 6 जून को और अतिरिक्त कार्यकाल 6 दिसंबर को पूरा हो चुका है। ऐसे में स्वत: ही अधिकारहीन हुई कार्यकारिणी न तो किसी को नोटिस दे सकती है। न ही किसी तरह की साधारण सभा बुला सकती है।
निर्णय भी अवैध...
अध्यक्ष को बहुमत या सर्वानुमति से हटाया जा सकता है। बैठक में सदस्य 10 फीसदी भी नहीं थे।
- लोकसभा और विधानसभा के विधान का हवाला देते हुए आपातकालीन बैठक बुलाई गई है। लेकिन निर्वाचन आयोग के नियमों को नजरअंदाज कर दिया जिसके तहत सिर्फ वही व्यक्ति चुनाव के लिए आयोग्य होगा जिसे न्यूनतम तीन साल की सजा सुनाई जा चुकी हो। जबकि प्रेस क्लब विधान में स्पष्ट है कि जहां विधान मौन होगा वहां निर्वाचन आयोग के नियम काम करेंगे।
- सुबह से शाम तक कोर्ट में खड़े रहने की सजा सजा नहीं कहलाती। यदि इसे आधार माना जाता है तो प्रेस क्लब में ही ऐसे भी सदस्य हैं जो दो-तीन दिन तक की सजा भी भुगत चुके हैं। एक-दो तो ऐसे हैं जिनके खिलाफ रासूका तक लग  चुकी है।
- बैठक में 80 लोग मौजूद थे इनमें 40 ऐसे सदस्य थे जिनकी सदस्यता कार्यकारिण समाप्त कर चुकी है। जिन सदस्यों की सदस्यता समाप्त की जा चुकी है उनके मत को कैसे मान्य किय गया? यदि मान्य नहीं किया तो सिर्फ 40 सदस्यों ने 1300 सदस्यों वाली संस्था का भाग्य कैसे तय कर दिया?
- भानू जैन की शिकायत पर रजिस्ट्रार कोर्ट स्पष्ट कर चुकी है कि कार्यकारिणी का अतिरिक्त कार्यकाल भी खत्म हो चुका है इसीलिए विधानसम्मन निर्णय लेकर चुनाव की तारीख तय करें। बावजूद इसके यहां सदस्यों और अध्यक्ष को हटाया जा रहा है। इसकी प्रोसेडिंग रजिस्ट्रार भी स्वीकार नहीं करेंगे।

किसने क्या बोला...
खारीवाल से थाने मेंं इस्तीफा लेने कौन गया था।
- नरेश तिवारी
एजीएम क्यों बुलाई? फर्जी पत्रकारों को नोटिस दिए या नहीं? खारीवाल पर बात करो?
-नीतेश पाल
खारीवाल की सदस्यता समाप्त हो।
- संजय त्रिपाठी
अध्यक्ष ने अपराध किया। क्लब की साख खराब की। वे निर्दोष साबित हों। क्लब के नाम पर जारी दुकानदारी बंद हो। सही पत्रकार सदस्य बने।
-प्रवीण शर्मा
मैंने पहले 138 के केस की जानकारी दी थी लेकिन मेरी जानकारी को फोटोकॉपी बता दिया था। अब ये सत्यापित कागज लो। खारीवाल की सदस्यता खत्म करो। माफी मांगे, हम उनके साथ हैं।
-जीतू सोनी
प्रबंधकारिणी को अधिकार है कि वे अनुमोदन जारी कर चुनाव कराएं।
- सतीश जोशी
सारे फैसले कार्यकारिणी लें और साधारण सभा बुलाए।
-मनोहर लिम्बोदिया
कैमरा बंद करो
जब एजीएम चल रही थी तब कुछ कैमरामैन फोटो खींचने लगे। कुछ वीडियोग्राफी करने लगे। तभी महासचिव अरविंद तिवारी ने रिकॉर्डिंग रूकवा दिया। कैमरे ले लिए जो चीप निकालकर लौटा दिए। कहा कि यह क्लब का अंदरूनी मामला है इसे शूट नहीं किया जा सकता। इससे पूरी कार्यकारिणी की मंशा पर प्रश्न उठने लगे हैं।

किसी ने नहीं लिया मेरा पत्र
मैंने एजीएम और एजीएम की प्रोसिडिंग पर आपत्ति ली। इस मामले की शिकायत सहायक पंजीयक को भी की है। मामले में मैं जब महासचिव को सहायक पंजीयक के पत्र की प्रति और अपनी शिकायत दर्ज कराने पहुंचा तो उन्होंने कॉपी लेने से मना कर दिया। किसी ने भी मेरे कागज नहीं लिए। अंतत: मैंने रजिस्टर्ड एडी से दस्तावेज पहुंचाए। 

22 मार्च को प्रस्तावित प्रेस क्लब की एजीएम पर उठे सवाल

तीन महीने पहले ही खत्म हो चुका है कार्यकाल, फिर निर्णय का अधिकार कैसे
इंदौर. चीफ रिपोर्टर । 
गिरफ्तारी के बाद से अध्यक्ष प्रवीण खारीवाल से इस्तीफा लिखवाने में जुटी इंदौर प्रेस क्लब की कार्यकारिणी ने 22 मार्च को क्लब की साधारण सभा बुलाई है। इस्तीफा लिखवाने की नाकाम कोशिशों के बाद अब एजीएम की तैयारियों को लेकर कार्यकारिणी की मंशा पर सवाल उठने लगे हैं। जानकारों की मानें तो दिसंबर में ही अपना अतिरिक्त कार्यकाल भी पूरा कर चुकी इसीलिए अब उसे चुनावी तारीख तय करने के अलावा किसी तरह के निर्णय लेने का अधिकार नहीं है।
प्रेस क्लब में कार्यकारिणी की बैठक शनिवार को हुई। बैठक में मौजूदा हालात पर चर्चा हुई। महासचिव व कुछ अन्य पदाधिकारियों ने कहा कि इतना बड़ा मामला हो चुका है जिससे सदस्यों को न सिर्फ अवगत कराना जरूरी है। आगे उनकी सलाह के हिसाब से रणनीति बनाएंगे। उधर, कोषाध्यक्ष कमल कस्तुरी और कार्यकारिणी सदस्य विजय गुंजाल ने निर्णय का विरोध किया। उनका कहना था कि एजीएम अध्यक्ष खारीवाल को जमानत मिलने के बाद भी की जा सकती है। जो निर्णय लेना है उनकी मौजूदगी में लिया जाए। वैसे भी हाईकोर्ट और फर्म एंड रजिस्ट्रार आॅफिस के निर्देशानुसार हमारी अतिरिक्त समयसीमा खत्म हो चुकी है इसीलिए हम किसी तरह का कोई निर्णय नहीं ले सकते। इस पर जवाब मिला कि महासचिव को प्रेस क्लब के विधान के अनुसार आपातकालीन एजीएम बुलाने के अधिकार है। रहा हाईकोर्ट और फर्म एंड सोसायटी विभाग के निर्देश का सवाल तो हमें अब तक उनकी ओर से ऐसा कोई निर्देश नहीं मिला है।
सिर्फ चुनाव तारीख मुकरर्र कर सकती है कार्यकारिणी
प्रेस क्लब से बेदखल किए जाने के विरोध में भानू जैन ने फर्म एंड सोसायटी विभाग को शिकायत की और प्रेस क्लब में चल रही अनियमितताओं पर रोक की मांग की। शिकायत के अनुसार कार्यकारिणी का तीन सालाना कार्यकाल 6 जून 2015 को खत्म हो चुका है। इसी दिन हुई साधारण सभा में कार्यकाल छह महीने के लिए बढ़ाया गया था जो भी 6 दिसंबर को खत्म हो गया। क्लब के 1320 सदस्यों की जांच हुई। छानबीन समिति ने 400 से अधिक सदस्यों को धारा 8 (च) के तहत सदस्यता समाप्ती नोटिस भी दिए जा चुके हैं। जब कार्यकारिणी का ही कार्यकाल खत्म हो चुका है तो वह सदस्यता समाप्ति के निर्णय कैसे ले सकती है। इसीलिए समिति को पत्र भेजकर असंवैधानिक कार्यवाही पर रोक लगे।
कार्यालय सहायक पंजीयक फर्म्स एंड सोसायटी विभाग ने 2 फरवरी 2016 को कारण बताओ नोटिस (रिटर्न-514/2584/2015) जारी किया। इसमें स्पष्ट लिखा कि सात दिन में शिकायत का बिंदुवार जवाब दें और मप्र सोसायटी रजिस्ट्रीकरण अधिनियम के प्रावधान व संस्था की पंजीकृत नियमावली के नियमों के अनुसार कार्यवाही सुनिश्चित करें। प्रेस क्लब ने जवाब दिया जिसे 22 फरवरी 2016 को जारी पत्र (रिटर्न-514/3040/2015) में समाधानकारक नहीं माना। स्पष्ट कर दिया कि संस्था के निर्वाचित कार्यकारिणी का कार्यकाल खत्म हो चुका है इसीलिए प्रेस क्लब विधान के अनुसार कार्यवाही सुनिश्चित करें।
कंटेप्ट आॅफ कोर्ट लगाऊंगा
बार-बार शिकायत करने और फर्म एंड सोसायटी विभाग से नोटिस जारी होने के बाद भी कार्यकारिणी अवैधानिक तरीके से अपने अधिकारों को इस्तेमाल कर रही है। हाईकोर्ट भी निर्देशित कर चुकी है बावजूद इसके एजीएम होती है तो मैं कंटेम्प्ट आॅफ कोर्ट लगाऊंगा।
भानू जैन, प्रेस क्लब सदस्य
अवैध है एजीएम
मौजूदा कार्यकारिणी का कार्यकाल खत्म हो चुका है इसीलिए हमें एजीएम बुलाकर सिर्फ चुनाव की तारीख की घोषणा करने का अधिकार है। इसके अलावा अन्य उद्देश्य के लिए बुलाई गई एजीएम अवैध है।
प्रवीण खारीवाल, अध्यक्ष
इंदौर प्रेस क्लब

प्रेस क्लब की एजीएम आज, तय होगी तारीख

पिछली एजीएम की शिकायत रजिस्ट्रार को
प्रोसेडिंग की कॉपी मांगी
इंदौर. चीफ रिपोर्टर ।
इंदौर प्रेस क्लब की साधारण सभा आज होगी। एजीएम में  चुनाव की तारीख तय होगी। इसके अलावा अन्य मुद्दे अध्यक्ष की सहमति से रखे गए हैं जिन पर चर्चा होगी। वहीं नाराज सदस्यों ने फर्म एंड सोसायटी रजिस्ट्रार और उप रजिस्ट्रार को पत्र लिखकर बीते दिनों हुई साधारण सभा पर आपत्ति ली और प्रोसेडिंग की कॉपी मांगी है। लिखित शिकायत में सदस्यों का कहना है कि प्रेस क्लब में कार्यकारिणी की इतनी दादागिरी है कि न वे पिछली बैठक की प्रोसेडिंग देने को तैयार है न ही हमारे पत्र ले रहे हैं।
एक तरफ प्रेस क्लब में एजीएम की तैयारियां हैं तो दूसरी तरफ एमजीएम को लेकर विरोध के सूर  तेज हो चुके हैं। इस संबंध में प्रेस क्लब सदस्य भानू जैन ने फर्म एंड रजिस्ट्रार विभाग के इंदौर से लेकर भोपाल तक के अधिकारियों को शिकायत की है। शिकायत में जैन ने लिखा है कि 6 दिसंबर को छह महीने का अतिरिक्त कार्यकाल खत्म होने के बाद भी 22 मार्च को कार्यकारिणी ने अवैधानिक एजीएम की। कार्यकाल खत्म होने के साथ ही कार्यकारिणी के अधिकार भी स्वत: ही समाप्त हो चुके हैं बावजूद इसके पिछली एजीएम में अध्यक्ष प्रवीण खारीवाल की सदस्यता समाप्त की गई। और भी निर्णय लिए गए। मैंने आपके द्वारा जारी आदेश की कॉपी सहित पत्र लिखा तो उसे न प्रेस क्लब महासचिव ने ग्रहण किया न ही प्रेस क्लब के अन्य पदाधिकारियों ने। न स्टाफ ने आवक-जावक में लेने को तैयार है।
चुन-चुनकर दे रहे हैं बिदाई
प्रेस क्लब में जून से सदस्यों की सदस्यता पर ग्रहण सा लगा है। पहले फर्जी सदस्यों का मामला उठा और बाद में छानबीन समिति ने 400 सदस्यों की सूची बना दी। कुछ दिन पहले ढाई सौ सदस्यों की बिदाई कर दी। सदस्या को फर्जी बताकर चुन-चुनकर निकाला जा रहा है ताकि चुनाव में ज्यादा से ज्यादा फायदा मिले।
पूरी कार्यकारिणी को कोर्ट में दूंगा चुनौती
प्रेस क्लब से जानकारी लेने में नाकाम रहे जैन ने फर्म एंड रजिस्ट्रार से बिती बैठक की प्रोसेडिंग की जानकारी मांगी है। उन्होंने कहा कि जब आपके द्वारा कार्यकारिणी को अधिकार शुन्य कर दिया गया था तो फिर उसने एजीएम बुलाकर निर्णय कैसे लिए? यदि उनकी नीयत साफ है तो प्रोसेडिंग की कॉपी क्यों नहीं दे रहे हैं। जिन-जिन पदाधिकारियों ने इस प्रोसेडिंग पर दस्तखत किए हैं मैं उनके खिलाफ कोर्ट की शरण लूंगा। उन्हें दस्तखत करने का हक किसने दिया?
गुंडागर्दी चरम पर है क्लब में
इंदौर प्रेस क्लब में संवैधानिक अधिकार शुन्य कार्यकारिणी सरेआम गुंडागर्दी कर रही है। मनमानी चरम पर है। अब जो करना है कोर्ट में करूंगा। मैंने पत्र लिखा था वह लेने से मना कर दिया। रजिस्टर एडी से जो भेजा था वह भी लेने से इनकार कर दिया जो वापस आ चुके हैं।
भानू जैन, सदस्या


खारीवाल के घर से डेढ़ लाख का सामान जब्त


इंदौर. दबंग रिपोर्टर ।
धोखाधड़ी के मामले में 15 मार्च को गिरफ्तार किए गए प्रेस क्लब अध्यक्ष प्रवीण खारीवाल को लेकर पुलिस उनके घर पहुंची और तकरीबन डेढ़ लाख रुपए का वह सामान जब्त किया जो उन्हें छब्बू की पत्नी से मिले पैसों से खरीदा था। अब भी तकरीबन साढ़े तीन लाख रुपए की रिकवरी होना बाकी है इसीलिए माना यह जा रहा है कि खारीवाल की पुलिस रिमांड दो-तीन दिन और बढ़ सकती है।
खारीवाल को लेकर पुलिस शनिवार दोपहर 3.30 बजे एबी रोड स्थित शहनाई रेसीडेंसी में उनके फ्लैट नं. 702 पहुंची। वहां तकरीबन 60 हजार की लागत से खरीदा गया एचपी का डेस्कटॉप, 8 हजार रुपए का प्रिंटर, 28 हजार रुपए की कीमत का सोनी म्यूजिक सिस्टम और तकरीबन 20 हजार में खरीदा गया करावके माइक जब्त किया। बताया जा रहा है कि यह सामान उसी पैसे से खरीदा गया है जो छब्बू को केस से बचाने के लिए उसकी पत्नी ने खारीवाल को दिया था। लंबी पूछताछ और छानबीन के बाद 6.30 बजे पुलिस उन्हें लेकर थाने रवाना हो गई।
चार बैंक खाते भी मिले
दस्तावेजों की जांच के दौरान पुलिस को खारीवाल के चार बैंक खाते भी मिले हैं। बैंक खाते एचडीएफसी, एसबीआई, बैंक आॅफ इंडिया और आईसीआईसीआई बैंक में है। पुलिस अधिकारियों ने कहा कि इन खातों की जांच भी करेंगे।
पैसा खर्च किया, रिकवरी मुश्किल
बताया जा रहा है कि पुलिस 5 लाख का हिसाब तलाशने में जुटी पुलिस ने डेढ़ लाख के सामान की रिकवरी तो कर ली लेकिन अब भी साढ़े तीन लाख का हिसाब बाकी है। यह राशि खारीवाल ने यात्रा में खर्च कर दी। यदि रकम मिल जाती तो सुप्रीमकोर्ट के कई निर्णयों के अनुसार खारीवाल की जमानत का रास्ता भी खुल जाता।

22 मार्च को प्रस्तावित प्रेस क्लब की एजीएम पर उठे सवाल

तीन महीने पहले ही खत्म हो चुका है कार्यकाल, फिर निर्णय का अधिकार कैसे
इंदौर. चीफ रिपोर्टर ।
गिरफ्तारी के बाद से अध्यक्ष प्रवीण खारीवाल से इस्तीफा लिखवाने में जुटी इंदौर प्रेस क्लब की कार्यकारिणी ने 22 मार्च को क्लब की साधारण सभा बुलाई है। इस्तीफा लिखवाने की नाकाम कोशिशों के बाद अब एजीएम की तैयारियों को लेकर कार्यकारिणी की मंशा पर सवाल उठने लगे हैं। जानकारों की मानें तो दिसंबर में ही अपना अतिरिक्त कार्यकाल भी पूरा कर चुकी इसीलिए अब उसे चुनावी तारीख तय करने के अलावा किसी तरह के निर्णय लेने का अधिकार नहीं है।
प्रेस क्लब में कार्यकारिणी की बैठक शनिवार को हुई। बैठक में मौजूदा हालात पर चर्चा हुई। महासचिव व कुछ अन्य पदाधिकारियों ने कहा कि इतना बड़ा मामला हो चुका है जिससे सदस्यों को न सिर्फ अवगत कराना जरूरी है। आगे उनकी सलाह के हिसाब से रणनीति बनाएंगे। उधर, कोषाध्यक्ष कमल कस्तुरी और कार्यकारिणी सदस्य विजय गुंजाल ने निर्णय का विरोध किया। उनका कहना था कि एजीएम अध्यक्ष खारीवाल को जमानत मिलने के बाद भी की जा सकती है। जो निर्णय लेना है उनकी मौजूदगी में लिया जाए। वैसे भी हाईकोर्ट और फर्म एंड रजिस्ट्रार आॅफिस के निर्देशानुसार हमारी अतिरिक्त समयसीमा खत्म हो चुकी है इसीलिए हम किसी तरह का कोई निर्णय नहीं ले सकते। इस पर जवाब मिला कि महासचिव को प्रेस क्लब के विधान के अनुसार आपातकालीन एजीएम बुलाने के अधिकार है। रहा हाईकोर्ट और फर्म एंड सोसायटी विभाग के निर्देश का सवाल तो हमें अब तक उनकी ओर से ऐसा कोई निर्देश नहीं मिला है।
सिर्फ चुनाव तारीख मुकरर्र कर सकती है कार्यकारिणी
प्रेस क्लब से बेदखल किए जाने के विरोध में भानू जैन ने फर्म एंड सोसायटी विभाग को शिकायत की और प्रेस क्लब में चल रही अनियमितताओं पर रोक की मांग की। शिकायत के अनुसार कार्यकारिणी का तीन सालाना कार्यकाल 6 जून 2015 को खत्म हो चुका है। इसी दिन हुई साधारण सभा में कार्यकाल छह महीने के लिए बढ़ाया गया था जो भी 6 दिसंबर को खत्म हो गया। क्लब के 1320 सदस्यों की जांच हुई। छानबीन समिति ने 400 से अधिक सदस्यों को धारा 8 (च) के तहत सदस्यता समाप्ती नोटिस भी दिए जा चुके हैं। जब कार्यकारिणी का ही कार्यकाल खत्म हो चुका है तो वह सदस्यता समाप्ति के निर्णय कैसे ले सकती है। इसीलिए समिति को पत्र भेजकर असंवैधानिक कार्यवाही पर रोक लगे।
कार्यालय सहायक पंजीयक फर्म्स एंड सोसायटी विभाग ने 2 फरवरी 2016 को कारण बताओ नोटिस (रिटर्न-514/2584/2015) जारी किया। इसमें स्पष्ट लिखा कि सात दिन में शिकायत का बिंदुवार जवाब दें और मप्र सोसायटी रजिस्ट्रीकरण अधिनियम के प्रावधान व संस्था की पंजीकृत नियमावली के नियमों के अनुसार कार्यवाही सुनिश्चित करें। प्रेस क्लब ने जवाब दिया जिसे 22 फरवरी 2016 को जारी पत्र (रिटर्न-514/3040/2015) में समाधानकारक नहीं माना। स्पष्ट कर दिया कि संस्था के निर्वाचित कार्यकारिणी का कार्यकाल खत्म हो चुका है इसीलिए प्रेस क्लब विधान के अनुसार कार्यवाही सुनिश्चित करें।
कंटेप्ट आॅफ कोर्ट लगाऊंगा
बार-बार शिकायत करने और फर्म एंड सोसायटी विभाग से नोटिस जारी होने के बाद भी कार्यकारिणी अवैधानिक तरीके से अपने अधिकारों को इस्तेमाल कर रही है। हाईकोर्ट भी निर्देशित कर चुकी है बावजूद इसके एजीएम होती है तो मैं कंटेम्प्ट आॅफ कोर्ट लगाऊंगा।
भानू जैन, प्रेस क्लब सदस्य
अवैध है एजीएम
मौजूदा कार्यकारिणी का कार्यकाल खत्म हो चुका है इसीलिए हमें एजीएम बुलाकर सिर्फ चुनाव की तारीख की घोषणा करने का अधिकार है। इसके अलावा अन्य उद्देश्य के लिए बुलाई गई एजीएम अवैध है।
प्रवीण खारीवाल, अध्यक्ष
इंदौर प्रेस क्लब

बिना अधिकार, सदस्य किए बाहर

275 सदस्यों की सदस्यता समाप्ती से उपजा विद्रोह
इंदौर. चीफ रिपोर्टर ।
रविवार की बैठक में समाप्त हुई 275 सदस्यों की सदस्यता पर कई सदस्यों ने आपत्ति ली है। उनका कहना है कि अतिरिक्त समयसीमा के साथ ही समाप्त हुए संवैधानिक अधिकारों के बाद सदस्यों को निकाला गया। इतना ही नहीं प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के विपरीत सदस्यों को बिना सूचना और सुनवाई का अवसर दिए बाहर किया गया है।
3 तारीख का वक्त मुकरर्र होने के साथ ही एजीएम की वैधानिकता पर सवाल उठने लगे थे। हद तो तब हो गई जब एक मात्र एजेंडा बताकर पहले चुनाव की तारीख मुकरर्र की गई। बाद में 275 सदस्यों की सदस्यता समाप्त कर दी गई। इसमें कार्यकारिणी के चार सदस्य भी शामिल हैं। इनमें दो की सदस्यता सीधे समाप्त कर दी गई जबकि दो की सदस्यता होल्ड कर दी गई। इस पर भी सदस्यों ने आपत्ति ली।
सूचना ही नहीं दी
प्राकृतिक न्याय का सिद्धांत यह कहता है कि यदि किसी सदस्य की सदस्यता समाप्त की जाना है तो संबंधित संस्था को उन सदस्यों को सूचना देना होगी। यहां 90 फीसदी सदस्यों को सूचना नहीं दी गई। कार्यकारिणी के पास न रजिस्टर्ड एडी की रसीदें है न ही कुरियर कंपनी की रिसिप्ट।
आजीवन सदस्यता शुल्क जमा है
जितने सदस्यों को बाहर किया है उनमें से आधों का आजीवन सदस्यता शुल्क प्रेस क्लब के खजाने में जमा है। या छोटे अखबारों से जुड़े हैं। या किसी अखबार में फ्री लांसर है।
खारीवाल की सदस्यता भी गलत समाप्त
2015 में महासिचव ने पहले अध्यक्ष प्रवीण खारीवाल की सदस्तया समाप्त की थी। जिस डॉक्यूमेंट के आधार  पर फैसला लिया वह फोटोकॉपी था इसीलिए फर्म एंड सोसायटी रजिस्ट्रार ने खारीवाल की सदस्यता बहाल कर दी थी। अब यदि कार्यकारिणी के पास उस डॉक्यूमेंट की सर्टिफाइड कॉपी थी भी तो उनकी सदस्यता फर्म एंड सोसायटी ही खत्म कर सकता है। इसके विपरीत उन लोगों ने सदस्यता समाप्त की जिनका 6 माह का अतिरिक्त कार्यकाल भी 6 दिसंबर को पूरा हो चुका है।
तिवारी की सदस्यता भी समाप्त ही है !
फर्म एंड सोसायटी से मिली राहत के बाद दोबारा कुर्सी पर काबिज हुए अध्यक्ष खारीवाल ने महासचिव अरविंद तिवारी पर आरोप मढ़ते हुए उनकी सदस्यता समाप्त कर दी थी। बाद में एक वरिष्ठ पत्रकार ने दोनों की मांडवली बैठक कराई। दोनों के बीच पदों को लेकर सहमति बनी लेकिन आपसी सहमति से कार्रवाई प्रभावित नहीं होती। अब जब खारीवाल सलाखों के पीछे हैं तो मौका पाकर तथाकथित कार्यकारिणी ने दोबारा उनकी सदस्यता समाप्त कर दी। 

प्रेस क्लब चुनाव 8 को, 275 सदस्यों की छूट्टी

रविवार को एजीएम में हुए फैसला
इंदौर. चीफ रिपोर्टर ।
असली-नकली सदस्यों की भारीभरकम बहस और अध्यक्ष-महासचिव के बीच एक-दूसरे को बाहर का रास्ता दिखाने की कोशिशों के कारण जून 2015 से टलते आ रहे इंदौर प्रेस क्लब के चुनाव अब 8 मई 2016 को होंगे। रविवार शाम संपन्न हुई प्रेस क्लब की साधारण सभा में चुनाव की तारीख मुकरर्र करने के साथ ही 275 सदस्यों की सदस्यता भी समाप्त कर दी गई। सदस्यों की बेदखली से अन्य सदस्यों में भी नाराजगी है। उनका कहना है  अतिरिक्त कार्यकाल खत्म होने के 119 दिन बाद कार्यकारिणी या साधारण सभा को सदस्यों की सदस्यता समाप्त करने का अधिकार किसने दिया।
एजीएम 4.15 बजे शुरू हुई लेकिन कोरम पूरा न होने के कारण महासचिव अरविंद तिवारी ने 15 मिनट के लिए बैठक रद्द कर दी। इसी दौरा सदस्यों ने उपस्थिति दर्ज कराई। 4.30 पर बैठक का दूसरा चरण शुरू हुआ और तिवारी ने आज का एक सूत्रीय एजेंडा है, चुनाव की तारीख तय करना। जिला अभिभाषक संघ के रवींद्र सिंह गौड़ को चुनाव अधिकारी नियुक्त किया गया। सहमति के बाद 3 तारीखें (2, 8 और 15 मई) सामने आई। अंतत: चुनाव की तारीख 8 मई मुकरर्र की गई। बैठक में 120 सदस्य मौजूद थे।
ताकि न हो फिजूल खर्ची, न लगे आरोप
शशींद्र जलधारी ने कहा पिछली बार की तरह मैं फिर कहता हूं कि आदर्श चुनाव संहिता का पालन हो। 5 सदस्यों की सहमति बने। चुनाव में पैसा खर्च न हो। आरोप-प्रत्यारोप न लगे। कार्यकारिणी व सदस्यों ने इसका अनुमोदन करते हुए समिति बनाई। जिसमें सतीश जोशी, जीवन साहू, ओमी खंडेलवाल, जयदीप गौड़ को भी शामिल किया गया।
500 और 1000 होगा नामांकन शुल्क
चुनाव में प्रत्याशियों की संख्या को देखते हुए अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, महासचिव, कोषाध्यक्ष पद के लिए 1 हजार और कार्यकारिणी के लिए 500 रुपए नामांकन शुल्क तय हुआ।
275 सदस्यों को किया क्लब से बाहर
चार कार्यकारिणी सदस्यों सहित 275 सदस्यों तैयार सूची दिखाई जिनकी सदस्यता समाप्त कर प्रेस क्लब से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। इसमें 55 सदस्य ऐसे हैं जो सक्रिय नहीं है। महासचिव ने कहा प्रक्रिया जारी है जिसका सदस्यों ने विरोध करते हुए कहा निर्णय जल्द लें। 22 नामों पर एक दिन का महासचिव ने समय मांगा। इसमें कमल कस्तूरी और विनिता जायसवाल का नाम भी शामिल है। इस पर संजय जोशी और संजय त्रिपाठी ने आपत्ति दर्ज कराई। कहा कि जब अतुल लागू और के.के.शर्मा जैसे सम्मानीय सदस्यों को बाहर कर रहे हैं तो कमल कस्तुरी और विनिता जायसवाल पर विचार क्यों। लागू और शर्मा पर भी विचार हो। वरना इन्हें भी बाहर किया जाए।
20 लोगों के नाम विचाराधीन की सूची में है। हर्षवर्धन ने कहा कि सभी को हटाया जाए। मामले का पटाक्षेप किया जाए। तिवारी ने कहा कि हम कार्यकारिणी में रहते हुए निर्णय नहीं ले सकते। बाद में उन्होंने बेदखल किए सदस्यों की सूची पढ़ी। कहा जांच के बाद कार्रवाई होगी। अन्यथा कई पात्र, अपात्र हो जाएंगे।

































40% ‘सिंहस्थ’ को संत और सुविधा का इंतजार sinhastha 2016

- कहीं बिजली के खम्बे खड़े हो रहे हैं, कहीं खींच रहे हैं तार, कहीं बन रहे हैं सुविधाघर
उज्जैन से विनोद शर्मा । 
3 अपै्रल हो चुका है। सिंहस्थ शुरू होने में 19 दिन बाकी है जबकि सिंहस्थ की तैयारियां नजर आ रही है 60 फीसदी मेला क्षेत्र में। 40 फीसदी मेला क्षेत्र अब भी उजाड़ है। न साधु-संत है। न ही उनके लिए की जाने वाली सुविधाएं। यहां तक की बिजली के खम्बे अब खड़े हो रहे हैं। कुछ क्षेत्रों में जेसीबी जल-मल की लाइन के लिए लंबी-लंबी खुदाई ही चल रही है।
2004 में सिंहस्थ के लिए 2154. 42 हेक्टेयर जमीन आरक्षित की थी। मतलब यह है कि 2004 के मुकाबले 2016 का सिंहस्थ 1259 हेक्टेयर ज्यादा जमीन पर होगा। सिंहस्थ मेला क्षेत्र को सरकार ने जिस उम्मीद के साथ 2004 के मुकाबले दोगुना किया था उस उम्मीद से साधु-संतों का जमावड़ा अब तक उज्जैन में नहीं लगा है। तकरीबन सभी मेला क्षेत्रों में साधु-संतों के लिए आरेक्षित छोड़े गए प्लॉट खाली पड़े हैं वहीं सेटेलाइट टाउन का कंसेप्ट भी सिर्फ कागजों में दिखता है। मौके पर कुछ नहीं है। खासकर नए नागदा बायपास के पास, उन्हेल रोड, काल भैरव जोन, मंगलनाथ और महाकाल जोन में।
मंगलनाथ
खिलचीपुर  (418 हेक्टेयर) : यह मंगलनाथ जोन का प्लॉट के हिसाब से सबसे बड़ा एरिया है। इस क्षेत्र में 20 फीसदी प्लॉटों पर साधु-संतों के डेरे नजर आते हैं। इस सेक्टर में हक्कानिपुरा, कमेड़, इंस्टिट्यूट आॅफ पेरामेडिक्ल साइंस के पास।
मंगलनाथ (178 हेक्टेयर) : यहां नेपाली बाबा के कैंप से उन्हेल रोड के बीच सिर्फ पुलिस का ही कैंप बड़ा है। ज्यादातर प्लॉट खाली है। इसके अलावा कार्मेल कॉन्वेंट स्कूल के पास वाले प्लॉट भी खाली हैं। यहां भी बिजली के खम्बे खड़े हो रहे हैं। सुविधाघर बन रहे हैं।
काल भैरव
काल भैरव (348 हेक्टेयर) :  यह सेक्टर बायपास से भैरवगढ़ जेल वाली रोड तक है। यहां संतों के प्लॉट पहले ही कम है लेकिन अब तक भरे नहीं है। बायपास पर खम्बे लग रहे हैं।
सिद्धवट  (173 हेक्टेयर) : यहां  करीब 200 प्लॉट है। यहां कालियादेह पैलेस और श्री सिद्धि विनायक गण्ोश मंदिर की ओर तकरीबन सभी प्लॉट खाली पड़े हैं। बिजली के खम्बे खड़े हो रहे हैं। आधे में सुविधाघर बन चुके हैं। नल लग रहे हैं।
गढ़ कालिका (194 हेक्टेयर) : इस सेक्टर में भी संतों की बसाहट अपेक्षा से कम है। मां गढ़कालिका मंदिर और भर्तहरि गुफा के आसपास का हिस्सा ही खाली है।
दत्त अखाड़ा
दत्त अखाड़ा, उजड़खेड़ा-1 और मुल्लापुरा में सबसे तेजी से भरे हैं प्लॉट। यहां साधु-संतों की आदम अच्छी है। तकरीबन 70 फीसदी प्लॉट भर चुके हैं।
रणजीत हनुमान  (335 हेक्टेयर) :  इस सेक्टर में प्लॉटों की मार्किंग बाद में की गई। ट्रीटमेंट प्लांट के सामने, रणजीतनगर, गोनसा रोड और बायपास के पार बिजली के खम्बे खड़े हो रहे हैं।
उजड़खेड़ा-2 (353 हेक्टेयर) :  इस सेक्टर में उजड़खेड़ा-1 से बायपास के बीच प्लॉटों पर संतों व संस्थाओं के कैंप हैं। इसके बाद एक तरफ मंगरोला तक और दूसी तरफ बड़नगर रोड पर मंगरोला तिराहे तक कैंप कम नजर आते हैं।
महाकाल जोन
चितामण गण्ोश  (45  हेक्टेयर) : इस सेक्टर में आस्था गार्डन तक प्लॉट आरक्षित हैं। बायपास के समानांतर, ओशो समाधी के पास से शिप्रा के किनारे तक प्लॉट है। यहां भी भरे प्लॉटों की संख्या कम है।
लाल पुल  (114 हेक्टेयर)  : शिप्रा घाट, भगतसिंह मार्ग और नर्सिंग घाट तक है। यहां शिप्रा किनारे प्लॉट पर कैंप है।  वॉटर ट्रिटमेंट प्लांट, ज्ञानसागर अकेडमी और गऊ घाट की ओर कैंप कम हैं।
हरसिद्धि  (70 हेक्टेयर) : इस सेक्टर में रूद्रसागर के आधे हिस्से में कैंप बन रहे हैं। विक्रमादित्य मंदिर के सामने वाले कैंप में पार्किंग नजर आती है। इंटरप्रिटिसन सेंटर के पास भी प्लॉट खाली हैं। रूद्रसागर से भावसिंगपुरा के बीच का हिस्सा भी खाली है।
महाकाल जोन (34 हेक्टेयर) :  इस जोन में भी कैंप कम है।
नृसिंह घाट (22 हेक्टेयर) : यहां भी डेरे लग रहे हैं। अब तक आधी जमीन खाली है।
त्रिवेणी जोन
क्षेत्रफल की दृष्टि से यह बड़ा जोन है। इसमें 1774 हेक्टेयर जमीन है। इसमें काफी हिस्सा कॉलोनाइज्ड है। सवार खेड़ी, धेंडिया, नदी से चिंतामण रोड के बीच भी है यह जोन।
ऐसा है जोन और सेक्टर सिस्टम
झोन क्रमांक सेक्टर
मंगलनाथ झोन मंगलनाथ, खाकचौक व आगर रोड
काल भैरव गढ़कालिका, सिद्धवट तथा काल भैरव सेटर
महाकाल लाल पुल, रामघाट, महाकाल, हरसिद्धी, नरसिंह घाट, गोपाल मंदिर, चिंतामण
दत्त अखाड़ा भखी माता,  मुल्लापुरा, उजड़खेड़ा-1, उजड़खेड़ा-2,
रणजीत हनुमान तथा दत्त अखाड़ा
चामुण्डा फ्रीगंज
त्रिवेणी त्रिवेणी और यंत्र महल
ऐसे अधिग्रहित की गई जमीन
सिंहस्थ-2016 के लिए उज्जैन कस्बा और आसपास के गांवों  की 3061 हेक्टेयर जमीन पड़ाव क्षेत्र के लिए और 352 हेक्टेयर जमीन सेटेलाइट टाउन के लिए अधिसूचित किया है।
कस्बा उज्जैन में 1346.29 हेक्टेयर, घटिया तहसील के गोन्सा की 178.76, मोहनपुरा में 362.26,  कोलूखेड़ी में 24.11, भदेड़चक में 184.56, भैरवगढ़ में 78.29, मोजमखेड़ी में 99.60, खिलचीपुर में 223.44, चकभितरी में 22.76, भीतरी में 366.75, कमेड़ भीतरी में 174.74 हेक्टेयर।
छह सेटेलाइट टाउन बनेंगे।
दाऊखेड़ी सेटेलाइट  के लिए कस्बा उज्जैन की 148.67 हेक्टेयर, इंजीनियरिंग कॉलेज सेटेलाइट के लिए मालनवासा की 24.98 हेक्टेयर, सोयाबीन प्लांट सेटेलाइट के लिए लालपुर की 36.76, मक्सी रोड सेटेलाइट के लिए पंवासा में 14 व शंकरपुर में 24.81 हेक्टेयर, सोडंग सेटेलाइट के लिए सोडंग की 29.58, जोगीखेड़ी की 7.3 और आगर रोड सेटेलाइट के लिए कमेड की 27.79 और सुरासा की 38.98 हेक्टेयर जमीन ली गई है। हालांकि यह सभी सेटेलाइट टाउन भी अभी कागज में ही है।

अखाड़ों की पेशवाई में ‘सिंह’ का किंग sinhastha 2016

- सुबह-शाम पीता 5-5 लीटर दूध ताकि चमक रहे बरकरार
इंदौर. विनोद शर्मा ।
सिंहस्थ 2016 को लेकर जहां सरकार और साधुओं की 2015 की सुपरहिट फिल्मों में से एक ‘सिंह इस ब्लिंग’ के गाना ‘टुंग-टुंग बजे’ जिसे याद है उसे खटिया पर नाचते हुए घोड़े के नीचे बेफिक्र लेटे अक्षय कुमार भी याद होंगे।  ‘सिंह इस ब्लिंग’ के इस किंग ने भी इंदौर पहुंचकर सिंहस्थ की तैयारियां शुरू कर दी है। वहां उसका साथ देंगी रजिया और कैटिरिना भी।
4 अपै्रल को सिंहस्थ के लिए इंदौर से रवाना होने वाले हाथी, घोड़े और ऊंट के लबाजमे में किंग भी होगा। मुलत: राजस्थान में टेंÑड हुए इस घोड़े को  ‘सिंह इस ब्लिंग’ को मिली सफलता के बाद ही लड्डू सेठ ने खरीद लिया था।  अब इस घोड़े को राजेंद्रनगर के बालाजी स्टेट फार्म पर सिंहस्थ के लिए टेÑंड किया जा रहा है। यह घोड़ा न सिर्फ ढोल और मंजिरे की थाप पर ठुमके लगाए बल्कि अपने मुंह से साधु-महात्मओं और महामंडेलश्वरों को गले में फूलों की माला भी डालेगा। ऐसे करतब भी सीखे और सीखाए जा रहे हैं जो देखने वालों के होश उड़ा दे।
ताकि चमक रहे बरकरार
पेशवाई के दौरान घोड़ों की चमक फिकी न पड़े इसके लिए उन्हें रोजाना 5-5 लीटर दूध पिलाया जा रहा है। चना, जौ और चापड़ खिलाया जा रहा है। उनके आराम का भी पूरा ध्यान रखा जा रहा है। इसी तरह ऊंटों को 3-3 लीटर दूध पिलाया जा रहा है। पत्ती और चापड़ खा रहे हैं।
लंबा होगा लबाजमा
4 अपै्रल की उज्जैन जाने वाले लबाजमे में 11 घोड़े, 10 ऊंट और 4 हाथी शामिल है। इसी बेड़े में 4 ऊंट और 4 घोड़े ऐसे हैं जो डोल-मंजिरे की थाप पर बिना बोले ही थिरकना शुरू कर देते हैं। पेशवाई के दौरान सबसे आगे दो फाइबर के हाथी रहेंगे जो पुष्प वर्षा करते चलेंगे।
ताकि न लगे संतों को न लगे गर्मी
अपै्रल और मई में उज्जैन का तापमान 42 डिग्री सेल्सियस के ऊपर-नीचे ही रहेगा। इसमें निकलेगी पेशवाई। इसीलिए संतों के लिए दो वातानुकुलित बग्गियां भी तैयार की गई है। ये बग्गियां चौतरफा कांच से कवर है। इनमें बैठने के बाद संतों को गर्मी का अहसास नहीं होगा। बाहर 16 कुलर का लबाजमा भी होगा जो बग्गियों के साथ चलने वालों को हवा देंगे।
बिना घोड़े-ऊंट के फिकी है पेशवाई
कुम्भ में तीन शाही स्नान होंगे और तकरीबन सभी अखाड़ों ने पेशवाई की तैयारी कर ली है। जैसे साधुओं के बिना पेशवाई की कल्पना नहीं कर सकते वैसे ही हाथी-घोड़े और ऊंट के बिना पेशवाई का रंग भी नहीं जम सकता। 5 से 22 अपै्रल तक पेशवाई करीब-करीब सभी अखाड़ों की पेशवाई निकलेगी।
किसकी पेशवाई कब...
पंचायती आह्वान अखाड़ा 10 अपै्रल
तपोनिधि निरंजनी अखाड़ा 11 अपै्रल
पंचायती अग्नि अखाड़ा 14 अपै्रल
पंचायती आनंदी अखाड़ा 15 अपै्रल
पंचायती नया उदासीन अखाड़ा 17 अपै्रल
पंचायती महानिर्वाणी अखाड़ा 18 अपै्रल
पंच अटल अखाड़ा 19 अपै्रल
निर्मल अखाड़ा 19 अपै्रल
पंचायती बड़ा उदासीन अखाड़ा 20 अपै्रल

वॉर जोन जैसा सिक्योर हुआ उज्जैन sinhastha 2016

- भीड़ में अपराधियों को भी पहचानेंगे कैमरे
- नंबर प्लेट की स्केनिंग और लोगों की गिनती भी बताएंगे
- ट्रायल और प्रशिक्षण का दौर जारी
इंदौर. विनोद शर्मा । 
जैसे-जैसे सिंहस्थ पास आ रहा है वैसे-वैसे उज्जैन की सुरक्षा पुख्ता होती जा रही है। शुक्रवार से जहां शहर सीमा पर बने 6 नाकों पर वाहनों की सघन चेकिंग शुरू हो चुकी है वहीं पुलिस कंट्रोल रूम में शहर में लगाए गए वीडियो कैमरों की ट्रायल के साथ ही पुलिसकर्मियों को आॅपरेटिंग का प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। अब तक का यह पहला कुम्भ है जिसमें अत्याधुनिक वीडियो कैमरे से मेला क्षेत्र और उज्जैन शहर का चप्पा-चप्पा कवर किया गया है।
उज्जैन में इन दिनों पुलिस के दो कंट्रोल रूम है। फ्रीगंज (एसपी आॅफिस) और रणछोड़ जी की छतरी रामघाट। इन दिनों दोनों का नजारा ठीक वैसा है जैसे वार जोन के कंट्रोल रूम का रहता है। दोनों जगह वॉल स्क्रीन लगी है। 134 स्थानों पर लगे कुल 690 कैमरों ने पूरे शहर को इस स्क्रीन पर उतार दिया है। यहां 60 पुलिसकर्मियों को सिखाया जा रहा है कि वे स्क्रीन पर कैसे मॉनिटरिंग करें। एक स्क्रीन पर यदि कुछ गड़बड़ है तो उसे जूम करके कैसे देखे और आगे किसे क्या सूचना देना है यह समझे।
कैमरे जो कमाल कर दे...
उज्जैन में चार तरह के कैमरे लगाए जा रहे हैं। इसमें दो तरह के (हेड काउंटर और एएनपीआर) मेला क्षेत्र में लगेंगे जबकि दो (पीटीजेड और फिक्स) कैमरे मेला क्षेत्र और शहर में लग रहे हैं।
हेड काउंटर : मेला क्षेत्र के 11 प्रवेश द्वार पर लगेंगे ऐसे कैमरे। इन कैमरों में जितना एरिया नजर आएगा उस एरिया में जितने लोग होंगे कैमरा उनके सिर गिनकर बता देगा कि वहां एक वक्त में कुल कितने लोग थे।
एएनपीआर :इसे आॅटोमेटिक नंबर प्लेट रिकगनाइजेशन कहते हैं। 14 स्थानों पर लगने वाले इन कैमरों की जद में जो भी गाड़ी आएगी उसकी नंबर प्लेट को आॅटोमेटिकली स्कैनिंग होकर उसकी डिटेल कंट्रोल तक पहुंच जाएगी।
फेस रिकगनाइजेशन : 14 सेंसेटिव स्थानों को चुनकर वहां ऐसे कैमरे लगाए गए हैं जो आदमी का चेहरा देखकर आॅटोमेटिकली उसका आपराधिक रिकार्ड कंट्रोल रूम पहुंचा देंगे। इन कैमरों का इस्तेमाल सिंहस्थ के बाद भी उज्जैन की सुरक्षा के लिए होगा।
(ये कैमरे सिंहस्थ के बाद उज्जैन शहर में लगेंगे। अधिकारियों ने बताया कि कैमरे महाकाल मंदिर में भी लगेंगे।)
्रपीटीजेड : इसे पेन टिल्ट जूम कैमरा या ड्रोन कैमरा भी कहते हैं। जिन 134 स्थानों पर 650 फिक्स्ड सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं वहीं 134 पीटीजेड कैमरे भी लगाए हैं। यह कैमरा 360 डिग्री व्यू देगा। मसलन किसी एक चौराहे के एक रास्ते से निकलकर कोई आदमी दूसरे रास्ते पर कैसे पहुंचा यह इससे पता चलेगा।
सीसीटीवी वेन : ऐसी 5 वेन बनी है। इन वेन पर 4-4  सीसीटीवी कैमरों के साथ पीटीजेड भी लगाए जा रहे हैें। इससे वेन भी अलग दिखती है। इन वेन का इस्तेमाल वहां होगा जहां कैमरे नहीं लगे हैं। गलियों को कवर किया जााएगा।
पुख्ता सुरक्षा के लिए इंतजाम और भी...
- 51 अस्थाई पुलिस थाने।
- 25 क्वीक रिएक्शन टीम और काउंटर टेरेरिज्म स्कवाडॅ बनेगी जो आपातकालीन परिस्थितियों (आतंकी हमले, बंधक बनाए जाने की स्थिति में या बम की सूचना पर) से निपटेगी।
- 20 बम डिटेक्शन और बम डिस्पोजल टीम बनेगी।
- 60 स्नाइफर डॉग तैनात होंगे।
- माइन डिटेक्टर की व्यवस्था की गई है।
- बेग स्केनर, डोर फ्रेम मेटल डिटेक्टर (डीएफएमडी) और हैंड हैल्ड मेटल डिटेक्टर (एचएचएमडी) से स्कैनिंग भी होगी।
- 23 चेकिंग वे भी बनाए है जहां गाड़ियों की आकस्मिक चैकिंग होगी।
- मेला क्षेत्र में चौतरफा पुलिस कैंप बनाए गए हैं। अब तक तकरीबन 25 फीसदी पुलिस फोर्स पहुंच चुकी है।
- जितने भी पार्किंग एरिया है वह भी स्मार्ट और चेकिंग मशीनों से लैस होंगे।
- एंटी टेरर आॅपरेशन के तहत जीआईएस और थ्रीडी इमेज की व्यवस्था भी होगी।
हमारा सिस्टम चालू रहेगा...
सर्विस प्रोवाइडर कंपनियों ने अपना नेटवर्क बढ़ाने के लिए सेल आॅन व्हील (काऊ) लगाए हैं। उपभोक्ताओं की अधिकता के कारण उनका सिस्टम गड़बड़ा सकता है लेकिन हमारा नहीं गड़बड़ाएगा। हमने टेटरा नाम का वायरलेस नेटवर्क खड़ा किया है जो हर परिस्थिति में चालू रहेगा।
मनीष खत्री, एएसपी

नर की सेवा करके नारायण को खुश रखते हैं sinhastha 2016

या
महाकुंभ में आए मेडिकल माइंडेड महामंडेलश्वर
कैंप में न भागवत, न रामकथा बल्कि बनेगा 72 बेड का हॉस्पिटल, पिलाएंगे रोज केरी का पना
इंदौर. विनोद शर्मा ।
सिंहस्थ में जहां साधु-संतों के बड़े-बड़े पांडाल भागवत कथा, रामकथा और शिव पुराण के साथ ही बड़े-बड़े यज्ञ के लिए तैयार हो चुके हैं वहीं भूखी माता सेक्टर का एक कैंप इन सबसे दूर है। यहां नारायण से ज्यादा नर की सेवा को महत्व देते हुए 72 बेड का सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल बनाया जा रहा है जहां मेडिकल कॉलेजों के एचओडी सहित 27 ख्यात डॉक्टर नि:स्वार्थ भाव से सेवा देते नजर आएंगे। यह कैंप है महामंडलेश्वर प्रखर महाराज और उनके साधकों द्वारा संचालित प्रखर परोपकार मिशन का। महामंडलेश्वर ने बताया कि ओपीडी से लेकर आॅपरेशन थियेटर से सुसज्जित इस हॉस्पिटल में किसी को रेफर करने की जरूरत नहीं पड़ेगी।   रहन-सहन और पहनावे में प्रखर जी भले आम साधु-संतों की तरह नजर आते हैं लेकिन धर्म को देखने का उनका नजरिया बाकी से काफी अलग है। वे 2010 के हरिद्वार कुम्भ और 2013 के इलाहबाद कुम्भ में 1.80 लाख लोगों का अपने चिकित्सकीय प्रकल्प ईलाज कर चुके हैं।   इसमें 396 आॅपरेशन हुए। 2871 इंडोर पेशेंट थे जबकि 1 लाख 74 हजार लोगों को ओपीडी का लाभ मिला। ऐसे मेडिकल माइंडेड महामंडेलश्वर से दबंग दुनिया की खास बातचीत।
हॉस्पिटल का ख्याल कैसे आया?
मेले में करोड़ों लोग आते हैं। कई बार दुर्घटना होती है, बीमार होते हैं। ज्ञान और खाने की मेले में कमी नहीं रहती लेकिन बीमारों के लिए कोई व्यवस्था नहीं रहती। सरकार उदासीन रहती है। न इन्वेस्टिगेशन, न प्रॉपर दवाई। इसीलिए हॉस्पिटल की व्यवस्था की।
कब से बनाते हैं हॉस्पिटल?
ईलाहबाद और हरिद्वार में भी हॉस्पिटल थे। कुल तीन कुम्भ हो चुके हैं। नासिक कुम्भ चूंकि शहर में रहता है इसीलिए वहां व्यवस्था नहीं करते।
उज्जैन में भी रहा है?
नहीं हॉस्पिटल प्रकल्प पहला है। उज्जैन में कई बार पहले भी आ चुका हूं। पहले रामघाट के पास था। अब भीड़ से बचने के लिए बाहर है।
किस तरह के डॉक्टर रहेंगे यहां?
कानपुर मेडिकल कॉलेज के एचओडी(आर्थो) राजेंद्र नाथ, जोधपुर मेडिकल कॉलेज के एचओडी(आर्थो) ओम शाह के साथ ही गुजरात मेडिकल काउंसिल के डायरेक्टर जयेंद्रसिंह जड़ेजा और उनके बेटे (मेडिसिन प्रोफेसर, अहमदाबाद मेडिकल कॉलेज) सहित 27 बड़े डॉक्टर रहेंगे। इसीलिए यहां पेशेंट रेफर करने की जरूरत नहीं पड़ती।
आॅपरेशन थियेटर भी बन रही है यहां?
जी, बिल्कुल पक्का और नॉमर्स के हिसाब से बन रहा है ताकि कोई अंगुली न उठाए। इन्वेस्टिगेशन के बिना प्रॉपर ईलाज नहीं हो सकता है इसीलिए यहां अत्याधुनिक संसाधनों से लैस पैथालॉजी व अन्य सुविधाएं रहेगी।
दवाइयों के लिए क्या व्यवस्था?
मेडिसिन जो डॉक्टर ने लिखा है वह यहां उपलब्ध हो यह हमारा दायित्व है। कफ सिरप और विटामिन की गोली भी फ्री मिले यहां।
अस्पताल का स्वरूप कैसा होगा?
50 इंडोर बेड है जनरल के लिए। साधु-महंतों और विशिष्ट लोगों के लिए 8 बेड हैं। आईसीयू में 2 बेड। इमरजेंसी में 2 बेड। इन्फेक्शन वार्ड में 10 बेड। कुल 72 बेड का हॉस्पिटल रहेगा।
अस्थाई वार्ड में दिक्कत तो नहीं होगी?
बिल्कुल नहीं। मरीजो ंके साथ कोई खिलवाड़ नहीं होगा। जितने भी वार्ड हैं सब वातानुकुलित हैं। मैं और मेरे साधकों के लिए बांस-घांस की कुटिया है यहां सिर्फ कुलर लगेंगे।
कितने वर्ष हो गए सन्यास लिए को?
चार दशक हो चुके हैं।
आपका एज्युकेशन अच्छा है?
साधु-महात्माओं का क्या एज्युकेश। साधुओं का पड़ा लिखा होना जरूरी है। अशिक्षित साधु स्वयं भटका हुआ होगा। पागल और बुद्धि के पागल ही शांत और सुखी रहते हैं।  बीच की श्रेणी वाले लोग कन्फ्यूज और परेशान रहते हैं। पालग और ज्ञानियों की संख्या भी कम है। इसीलिए सुख कम, दुख ज्यादा नजर आता है।
साधुओं के लिए चमत्कार जरूरी है?
चमत्कार साधुओं का काम नहीं है। पूरा जीवन ही चमत्कार है। सबकुछ छोड़कर बाबाजी बन गए यह किसी चमत्कार से कम है क्या? बाकी चमत्कार दिखाना जादुगरों का काम है। भीड़ से साधुओं के महत्व का आंकलन अज्ञानी करते हैं। हीरे की दुकान पर भीड़ नहीं होती, भीड़ सब्जी की दुकान पर ही होती है। 

चांडाल योग से नहीं होगा नुकसान-महामंडेलश्वर प्रखर महाराज sinhastha 2016

उज्जैन से विनोद शर्मा ।
सिंहस्थ को लेकर चांडाल योग का सिर्फ हव्वा बना हुआ है। कुम्भ, महाकुम्भ या करोड़ों लोगों की मौजूदगी वाले आयोजनों में छोटी-बड़ी घटनाएं होती हैं। इस बार का चांडाल योग शुभ परिणाम देगा। प्रभारी मंत्री भूपेंद्र सिंह को आश्वस्त करते हुए यह बात महांमडलेश्वर श्री प्रखर जी महाराज ने कही।
बुधवार दोपहर  प्रभारी मंत्री दौरा करते हुए प्रखर परोपकार मिशन के कैंप पहुंचे जहां 50 बेड का हॉस्पिटल बन रहा है। यहां महामंडलेश्वर से मुलाकात की। महामंडलेश्वर ने उनके चेहरे के भाव जानते हुए कहा कि आप चांडाल योग की चिंता छोड़कर काम करें। उन्होंने कहा कि गुरू और राहू ने 29 जनवरी से सिंह राशि में प्रवेश किया है। जैसे व्यक्ति जिसे अपना घर मानता है वहां नुकसान नहीं करता। वैसे ही गृह भी जिस घर में जाते हैं वहां नुकसान नहीं करते। मानव समाज के लिए अपूर्णनीय क्षति, विपदा जैसे अनावृष्टि, भूकंप, ओलावृष्टि की आशंकाएं व्यर्थ हैं यह सब चीजें सामान्य है। सालाना घटनाक्रम है लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि सब चांडाल योग से हो रहा है।
उन्होंने कहा कि सरकार ने जो बुनियादी सुविधाएं की है वह मैंने अपने जीवन में नहीं देखी। साधु सकारात्मक और सृजनात्मक सोच के साथ इनका लाभ लें ताकि हम आमजन के सामने आदर्श प्रस्तुत कर सकें।
हम सिंहस्थ से पहले हवन भी कर रहे हैं...
महामंडेलश्वर ने बताया कि बड़े आयोजनों में जरूरी है एहतियात। इसीलिए हम सिंहस्थ से पहले गणेश यज्ञ भी कर रहे हैं ताकि मेला सहज और शांति से संपन्न हो। 2004 के सिंहस्थ में भी कुछ कैंप में आग लगी थी तब भी हमने यज्ञ किया था। 

एक साधु के लिए उखाड़े छह के डेरे sinhastha 2016

उज्जैन से विनोद शर्मा ।
जमीन आवंटन के नाम पर मनमानी का दौर जारी है।  बुधवार को भी किसी एक साधु को जमीन देने के लिए आधा दर्जन साधुओं के डेरे उखाड़कर फेंक दिए गए। साधुओं को हर साल यह जमीन मिलती रही है और चार- आठ दिन पहले ही अखाड़े के पदाधिकारियों ने मार्किंग करके दी थी।
मामला दत्त जोन क्षेत्र का है। यहां दत्त अखाड़े के सामने जोनल कार्यालय के पास पंच दशनाम जूना अखाड़े के साधु ‘जो कि भैरव गिरी के चेले हैं’, डेरा डालकर बैठे थे। बुधवार अचानक कुछ लोग आए और यह कहते हुए डेरे उखाड़कर फेंक दिए कि यह जमीन दूसरे साधु को आवंटित है। हाथों-हांथ टिन और बल्लियां लाकर उन्होंने कैंप का काम भी शुरू कर दिया। इससे साधु नाराज हुए। उन्होंने अखाड़े के उन पदाधिकारियों के सामने नाराजगी भी जताई जिनके जमीन नापने और मार्किंग करने के बाद ही डेरे बनाए गए थे।
डेरे कैलाश गिरी, रमेश गिरी, महंत नारायणानंद गिरी, रवींद्र गिरी और वेद गिरी के अखाड़े गए। कैलाश गिरी ने बताया कि यह चौथा कुम्भ है यहां। हर साल हमें यहीं जमीन मिलती रही है। इस बार भी अखाड़े के पदाधिकारी हरिगिरी महाराज ने मार्किंग करके जमीन दी थी। फिर आज ऐसा क्या हुआ जो हमारे डेरे उखाड़ दिए गए। बाकी संतों ने भी नाराजगी जताई और कहा कि सिंहस्थ करने आए हैं या जमीन कब्जाने। एक साधु को बसाने के लिए छह साधुओं को बेघर करने वाले अधिकारी कौन होते हैं? यदि कब्जा था तो वे मौके पर आते और बताते कि हमारा दोष क्या था। 

साधुओं के डेरे में अलग सी साध्वी शिवानी दुर्गा sinhastha 2016

उज्जैन से विनोद शर्मा ।
पेड़ के नीचे 10 बाय 10 का एक ओटला...। ओटले पर जमा देवी-देवताओं की प्रतिमाएं...। भगवा वेश...। गले में रूद्राक्ष की आधा मालाएं...। फर्राटेदार अंग्रेजी और संस्कृत...। वे प्रवचन नहीं देती...। लेक्चर देती हैं...। उनके आश्रम में भागवत नहीं होती, क्वेशन-आंसर सेशन होता है...। जहां हर दिन दर्जनों लोगों के मन से तंत्र साधना की भ्रांतियां दूर की जा रही हैं। हम बात कर रहे हैं मुंबई में सर्वेश्वर शक्ति इंटरनेशनल वूमन अखाड़ा के नाम से संस्था संचालित करने वाली शिवानी दुर्गा की जो इंडियन और वेस्टर्न तंत्र को जोड़कर तंत्र में नए प्रयोग कर रही है। वे अघोर साइकिक  नामक नया तंत्र भी विकसित कर चुकी हैं।
तीन महीने से उज्जैन में तंत्र साधना कर रही शिवानी दुर्गा का अस्थाई आश्रम उजड़खेड़ा मेला क्षेत्र में बन रहा है। शिवानी ज्यादातर यहीं बैठती हैं। सुबह और शाम पूजा। दिन में आगंतुकों से मुलाकात कर उनकी जिज्ञासाएं शांत करती हैं। शिवानी हर शाम अपने आश्रम में महिलाओं और बच्चों को वेद और संस्कृत की शिक्षा दे रही हैं। उनका कहना है तंत्र और तांत्रिक को लेकर समाज में भ्रांतियां हैं जिसे दूर करने की कोशिश कर रही हूं। असल में जो मन को कंट्रोल करे वही मंत्र है जो उसका विस्तार करे वही तंत्र हैं।  तांत्रिक और अघोरी सहज, शांत और आडम्बर रहित हैं। कुछ लोगों ने डर पैदा कर दिया है ताकि वे जताते रहें कि सर्वशक्तिमान हैं।
इसीलिए किरकिरी बन गई मैं..
शिवानी कहती है कि साधु-संतों का पढ़ा-लिखा होना जरूरी है। आज के दौर में अब जो बातें लोगों को बता रहें है उनका तार्किक प्रमाण आपके पास होना जरूरी है। प्रमाण देकर नहीं समझाएंगे तब तक लोग फिल्में बनाकर आपके धर्म पर प्रहार करते रहेंगे। सिर्फ भगवा कपड़े पहन लेने से कोई साधु नहीं बन जाता। सुरक्षा की दृष्टि से साधुओं के पहचान-पत्र बनें। पुलिस वेरिफिकेशन भी हो। मेरा यह बोलना ही साधुओं को अखरता है। हालात यह है कि वे मुझे आंख की किरकिरी समझने लगे हैं। सब किसी न किसी तरह से मुझे सबक सीखना चाहते हैं।
पे्रेक्टिकल देखेंगे तब समझेंगे लोग..
ट्राइबल एरिया और ट्राइब्स पर रिसर्च कर रही हूं। क्योंकि उनके पास थ्योरिटिकल नॉलेज भले कम हो लेकिन उनकी प्रेक्टिकल पकड़ मजबूत है। तंत्र का स्वरूप शास्त्रों में अलग है। उसे प्रेक्टिकल करके जैसा था, वैसा दिखाएंगे तभी लोग समझेंगे। उन्होंने कहा कि तांत्रिक क्रिया मात्र भारत में ही नहीं विदेशों में भी होती है। अमेरिका और अफ्रीकी देशों के लोग भी तंत्र में विश्वास करते हैं। वहां के देवी-देवताओं के नाम अलग हैं लेकिन उसका महत्व कम नहीं।
जादू सिर्फ एनर्जी है, काला-सफेद कुछ नहीं होता...
तांत्रिक काला जादू करते हैं? इसके जवाब में शिवानी ने बताया कि जादू सिर्फ एनर्जी है। एनर्जी नेगेटिव या पॉजिटिव हो सकती है। यह निर्भर करता है उसका इस्तेमाल करने वाले पर। ठीक वैसे ही जैसे चाकू से सब्जी भी काटी जा सकती है और शरीर भी।
महाराष्ट्र में प्रतिबंधित है तंत्र, उज्जैन में खुले विवि
चूंकि उज्जैन मंत्र की नगरी है इसीलिए यहां एक युनिवर्सिटी स्थापित करना चाहती हूं जहां तंत्र और साधना का बारीकी से अध्ययन किया जा सके। उन्होंने बताया कि महाराष्ट्र में तंत्र तो दूर तंत्र शब्द का इस्तेमाल भी प्रतिबंधित है। इसीलिए हमने संस्था भी  इंडियन विक्कन कम्यूनिटी वुडु टेम्पल के नाम से रजिस्टर्ड कराई है।
साधुओं का स्टिंग आॅपरेशन भी कर चुकी हैं शिवानी
लोगों को तंत्र के प्रति अवेअर करने के मकसद से शिवानी दुर्गा नासिक कुम्भ के दौरान साध्वी त्रिकाल भंवता का स्टिंग आॅपरेशन करके ये बता चुकी हैं कि कुम्भ को साधुओं ने कैसे कमाई का जरिया बना लिया है। तब उन्होंने एक कविता भी लिखी थी जिसका शीर्षक था ‘सोचा था इतने वर्षों में कि साधु कितने पावन है’, ‘आज भरम यह टूटा कि जब देखा आधे रावन है’।
बचपन से अच्छा लगता था चिता के पास बैठना
चक्रतीर्थ में चिता स्थल के पास मसानी काली पूजा कर चुकी शिवानी ने अलवर ‘वहां पिता नौकरी करते थे’, में स्कूली पढ़ाई की। उच्च शिक्षा मुंबई और दिल्ली में हासिल की। शिकागो युनिवर्सिटी से आॅकल्ट साइंस में पीएचडी कर चुकी हैं। भारत में नागनाथ योगेश्वर गुरु से अघोर तंत्र की दीक्षा ली। उन्हें बचपन से तंत्र-मंत्र में रुचि थी। दादी के साथ श्मशान भी जाती थी। वहां चिता के पास बैठना अच्छा लगता था। पिता भी आध्यत्म के करीब थे। इसीलिए उन्होंने अपना जीवन तंत्र को समर्पित किया। वे टेरो कार्ड रीडर, क्रिस्टल हिलर और फार्चून टेलर भी हैं।

करोड़ों रुपया बहाने के बाद भी कान्ह काली sinhastha 2016

- नाम की है ट्रीटमेंट व्यवस्था, ट्रीटमेंट प्लांट के पास ही नदी जैसी की तैसी
इंदौर. विनोद शर्मा ।
9 मार्च...। सिंहस्थ के श्रीगणेश में 42 दिन बाकी...। स्थान-कबीटखेड़ी...। दृश्य- एक तरफ कैलोदहाला से ट्रीटमेंट प्लांट के बीच सीवरेज लाइन डाली जा रही है, तो  प्लांट में भी सीवरेज ट्रीटमेंट हो रहा है। मगर, प्लांट के बाहर ही नदी का पानी वैसा ही है जैसा वर्षों से नजर आता है। यह हकीकत है सिंहस्थ 2016 के मद्दनेजर कान्ह शुद्धिकरण के नाम पर किए गए नगर निगम इंदौर के तमाम कामों और दावों की। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि 12 वर्षों में ट्रीटमेंट के नाम पर करोड़ों रुपया पानी की तरह बहाने के बावजूद कान्ह नदी की काया नहीं बदली।
शिप्रा में कान्ह का गंदा पानी रोकने के लिए इंदौर नगर निगम की रणनीति कितनी मजबूत है इसका जायजा लेने दबंग दुनिया की टीम मौके पर पहुंची। करीब 200 करोड़ की लागत से ट्रीटमेंट प्लांट का काम जारी है। कुछ हिस्सा पूरा हो चुका है। ट्रीटमेंट हो रहा है और ट्रीट पानी नदी में भी छोड़ा जा रहा है लेकिन वह नदी में बहकर आ रहे पानी के मुकाबले 10 फीसदी भी नहीं है। इसीलिए नदी का स्वरूप नहीं बदला। दबंग टीम ने सांवेर तक नदी का दौरा किया लेकिन एक भी जगह नदी का पानी रंग बदलता नहीं दिखा।
पानी 390 एलएलडी, ट्रीटमेंट 122 एमएलडी
इंदौर में नर्मदा (300 एमएलडी), यशवंतसागर (30 एमएलडी), बिलावली टेंक (3 एमएलडी) और ट्यूबवेल (60 एमएलडी) से कुल 393 एमएलडी पानी रोज इंदौर में सप्लाई हो रहा है जबकि पानी ट्रीट हो रहा है 122 एमएलडी। 271 एमएलडी पानी गंदे का गंदा ही है। यदि 245 एमएलडी की क्षमता से ट्रीटमेंट हो भी तो 148 एमएलडी पानी ट्रीट नहीं हो पाएगा।
लीकेज बड़ी दिक्कत..
कबीटखेड़ी में कान्ह का पानी ट्रीट किया जा रहा है वहीं खजराना, मालवीयनगर, रसोमा, सुखलिया, न्यायनगर होते हुए एक नाला ट्रीटमेंट प्लांट के बाद नदी में मिल रहा है। नाला पुराना है। प्लांट तक इसका पानी पहुंचाने के लिए डेÑन और इंटकवेल पहले से बना है हालांकि पानी इसके 5 फीसदी भी नहीं जा रहा। नाले का 95 फीसदी पानी तेज बहाव के साथ नदी में ही मिल रहा है।
अदुरदर्शिता बड़ा सिरदर्द
नगर निगम ने 90 एमएलडी का पहला ट्रीटमेंट प्लांट 2002-2004 के बीच तकरीबन 50 करोड़ की लागत से बनाया था लेकिन सीवरेज का 50 फीसदी पानी भी प्लांट तक नहीं पहुंचा पाया। अब जबकि 12-14 वर्षों में इंदौर भौगोलिक रूप से दोगुना हो चुका है। बसाहट फैलते-फैलते नीरंजनपुर, कैलोदहाला और ढाबली के पार तक जा चुकी है। ट्रीटमेंट प्लांट बनाने के बजाय निगम के नुमाइंदों ने 12 साल पुरानी जगह बने प्लांट का ही विस्तार कर दिया। स्कीम-113, 136, 139 के साथ ही स्कीम-78 व 114 का पानी अब भी इस नदी में जा रहा है। हालांकि इसे रोकने के लिए  बेलमोंट पार्क तक का पानी 2.5 किलोमीटर लंबी लाइन डालकर ट्रीटमेंट प्लांट की ओर लाया जा रहा है। काम पूरा होने में दो महीने और लगेंगे।
नाकाफी है नई लाइन भी...
निगम 2.5 किलोमीटर लंबी लाइन डालकर भी नदी साफ नहीं कर सकता क्योंकि  आगे तकरीबन 5 हजार परिवारों की बसाहट वाली फोनिक्स टाउनशिप, एंजल पार्क, एक्सल टाउनशिप भी है। यहां कैलोदहाला से पहले एक नाला नदी में मिलता है जिसमें देवासनाका क्षेत्र का गंदा पानी आ रहा है। इसी गांव में आईबीडी, इंडस सेटेलाइट ग्रीन,  रास टाउन, सिंगापुर नेस्ट, पंचवटी कॉलोनी है। तलावली में सिंगापुर, डीबी प्राइड, ड्रीम सिटी सहित दर्जनभर कॉलोनियां हैं। यह पूरा क्षेत्र निगमसीमा में आता है।
यह है सीवरेज सिस्टम..
मौजूदा सीवरेज जनरेट : 270 एमएलडी
ट्रिटमेंट प्लांट 2004 : 90 एमलएलडी (78+12 एमएलडी)
नया बनना था : 245 एमएलडी
बन रहा है : 155 एमएलडी
सीवरेज नेटवर्क : करीब 1000 किलोमीटर लंबी प्राइमरी लाइन।
एरिया कवरेज : 75 प्रतिशत
(2020 तक कुल 335 एमएलडी का ट्रिटमेंट प्लांट होना है लेकिन 2016 तक 245 एमएलडी भी कंपलिट नहीं है)
 यह थी प्लानिंग...
193.78 करोड़ : 245 एमएलडी का ट्रीटमेंट प्लांट
100 करोड़ : स्टॉप डेम, 18 आउटलेट को एसटीपी से कनेक्ट।
20 करोड़ : सांवेर रोड औद्योगिक वेस्ट ट्रीटमेंट
102 करोड़ : छह नालों की टेपिंग।
प्रस्ताव यह भी...
400 करोड़ : सीवरेज रहित क्षेत्र में सेकंडरी लाइन डालना।
450 करोड़ : 29 गांव में सीवरेज लाइन और ट्रीटमेंट सुविधा।
360 करोड़ : नदी किनारे झुग्गी मुक्त बनाना। 6000 यूनिट बनेगी।
100 करोड़ : 1000 हजार अफोर्डेबल हाउस बनाना।
97 करोड़ : ग्रामीण क्षेत्र को कवर करना।
498 करोड़ : शहरी क्षेत्र में रीवर फ्रंट डेवलपमेंट।
150 करोड़ : रीवर फ्रंट डेवलपमेंट कान्ह के अन्य हिस्सोंं में।
90 करोड़ : औद्योगिक वेस्ट का ट्रीटमेंट।

उज्जैनी से उज्जैन तक सिंहस्थ की तैयारी sinhastha 2016

- रंग-रोगन और सुविधाओं से संवरेगा संगम स्थल
- सेमल्याचाऊ और शिप्रा के घाट साबित होंगे विकल्प
उज्जैन से विनोद शर्मा । 
सिंहस्थ 2016 के लिए उज्जैनी (शिप्रा उद्गम स्थल) से उज्जैन तक तैयार है। हजार करोड़ से अधिक के कामों ने जहां उज्जैन को दुल्हन की तरह सजा दिया है वहीं उज्जैनी में भी रंगरोगन शुरू हो चुका है। कुण्ड और घाट की सजावट जारी है। सेमल्या चाऊ और शिप्रा में घाट तैयार हैं ताकि लोग भीड़भाड़ से दूर वहीं ‘शाही’ स्नान कर सकें।
सिंहस्थ लिंक परियोजना के तहत 2014 में बने शिप्रा संगम स्थल, उज्जैनी को सिंहस्थ की तैयारियों के तहत सात दिन के लिए बंद कर दिया गया है। रंग पंचमी के दूसरे दिन खुलेगा। तब तक यहां पानी निकालकर कुण्ड और घाटों की सफाई होगी। कायी निकाली जा रही है। एंटी फंगस पेंट किया जाना है ताकि कायी जल्दी न आए। प्रमुख कुण्ड ‘जहां गौमुख से पानी गिरता है’, में बड़ी मात्रा में क्लोरीन और फिटकरी भी डाली जाएगी ताकि आगे स्नान के लिए श्रृद्धालुओं को और ज्यादा स्वच्छ पानी मिले। बुधवार को कलेक्टर पी.नरहरि भी संगम स्थल पहुंचे और तैयारियों का जायजा लिया। उन्होंने काम जल्दी पूरे करने के निर्देश भी दिए। संगम स्थल निर्माण और संचालन करने वाली कंपनी भवानी कंस्ट्रक्शन के अभय देशमुख ने बताया कि काम जारी है। दो वर्षों में जो टूट-फूट हुई है उसे भी सुधारा जाएगा। नए पौधे लगाए जाएंगे। लाइटिंग की व्यवस्था भी की जाएगी।
पार्किंग और सुविधाघर भी
उज्जैन में एनवीडीए और भवानी कंस्ट्रक्शन ने संगम स्थल संवारने की जिम्मेदारी ली है तो इंदौर विकास प्राधिकरण ने बाहर सुविधाघर और पार्किंग की व्यवस्था करने की। मुंडला दोस्तदार से संगम स्थल तक सिंगल रोड के दोनों और मिट्टी डाली जा रही है ताकि रोलिंग कर डबल लेन रोड का स्वरूप दिया जा सके। संगम स्थल की बाउंड्रीवाल के पास 20 सुविधाघर बनाए जा रहे हैं। पास में पार्किंग भी बनेगी। आवश्यकतानुसार मुंडला दोस्तदार तिराहे के पास खाली जमीन भी पार्किंग के तौर पर इस्तेमाल होगी।
बना घाट, चेंजिग हट भी...
नर्मदा का पानी मिलने से पुनर्प्रवाहित हुई शिप्रा ने उज्जैन तक लोगों को स्नान के विकल्प दे दिए हैं। सोनवाय, पिवड़ाय, भिंगारिया, शाहदेव, बंवलिया खुर्द, अरनिया, मुंडी, बराय, मोलाय, धतुरिया जैसे गांव के लोग नहर और नदी में स्नान कर रहे हैं। सेमल्या चाऊ में तकरीबन तीन हजार वर्गफीट जमीन पर व्यवस्थित सीढ़ियों व रैलिंग वाले नए घाट बनाए गए हैं। यहां छोटा मंदिर भी बना है। इसके अलावा कपड़े बदलने के लिए दो-तीन चेंजिंग हट भी स्थापित की गई है।
बिना घाट, चेंजिंग हट
सेमल्या चाऊ के बाद पटाड़ा और जलोद केउ के पास नदी का पाट चौड़ा है। यहां घाट नहीं है लेकिन नदी का बेस मिट्टी वाला नहीं पत्थरीला है। इसीलिए इन दो गांवों के अतिरिक्त रनायल, सन्नौड़ के लोग भी स्नान करने आते हैं। इसी को देखते हुए एक चेजिंग हट स्थापित की गई है। यही स्थिति जानी गांव, व्यासखेड़ी, भोंडवास, पाडल्या, मंडलावदा की भी है।
बड़े घाट और बड़ा विकल्प
ग्राम पंचायत शिप्रा ने शिप्रा नदी के किनारे 300 फीट लंबा और 40 फीट चौड़ा घाट बनाया है। सिंहस्थ के लिए उज्जैन के घाट और मंदिरों को जिन रंगों से रंगा जा रहा है उन्हीं रंग का इस्तेमाल यहां भी हो रहा है। एक नजर में तो देखने पर यही लगता है कि शिप्रा नहीं, उज्जैन का ही कोई हिस्सा है। चूंकि पानी भरने के कारण पुराने मंदिर तक पहुंचने का रास्ता खत्म हो चुका है इसीलिए घाट पर नए मंदिर भी बनाए गए हैं। घाट तक पहुंचने की रोड भी दुरुस्त कर दी गई है।
खुदाई में निकला पुराना घाट
बीच में हवनखेड़ी है जहां मिट्टी की खुदाई के बाद प्राचीन घाट और मंदिर निकला है। इस घाट ने हवनखेड़ी, गदइश पीपल्या, बिंजाना, राजीवनगर सहित आधा दर्जन गांव के लोगों को स्नान की सुविधा दे दी है। घाट पर सुधार जारी है।
हम भी तैयार हैं
बरोद पीपल्या, मच्चूखेड़ी, होशियारखेड़ी, खंडाखेड़ी, सिमरोद, हिरली, सिल्लौदा खुर्द, आमलपुर, सेवरखेड़ी, किथौड़ाराव में भी भले किनारे पर घाट नहीं है लेकिन लोगों का शिप्रा स्नान यहीं होता है। 

श्रृद्धालुओं के लिए तैराक अभी से ‘शिप्रा’ में sinhastha 2016

12 जिलों से आए 400 तैराक जिन्हें तराशा जाएगा
उज्जैन से विनोद शर्मा । 
मंगलवार सुबह नव गृह मंदिर पर बड़ी संख्या में पुलिस बल लगा था। चार-चार, छह-छह के गुट में युवाओं को शिप्रा में कुदाया जा रहा था। कभी घड़ी की सुर्इं देखी जा रही थी, कभी नदी में तैरते जवानों को। मौका था मंगलवार से शुरू हुए छह दिवसीय तैराकी प्रशिक्षण शिविर का। जहां इंदौर, उज्जैन, देवास, ग्वालियर, राजगढ़, भिंड, सतना, सिंगरौली सहित 12 जिलों के तकरीबन 402लोगों को तैरने के साथ डूबते को बचाने की कला सीखाई जा रही है। प्रशिक्षण के बाद इन लोगों को हर घाट पर तैनात किया जाएगा ताकि सिंहस्थ 2016 के दौरान किसी तरह की जन हानि न हो।
पुलिस के आला अधिकारियों की मौजूदगी में प्रशिक्षण शिविर शुरू हुआ। यहां पहले दिन भिंड, शाजापुर, राजगढ़ और ग्वालियर के तकरीबन 250 लोगों को प्रशिक्षण दिया गया। बाकी 150 लोग बुधवार शाम तक उज्जैन पहुंच जाएंगे। आने का सिलसिला जारी है। अधिकारियों को उम्मीद है कि बुधवार तक काफी संख्या में लोग आ जाएंगे। इनके रहने के लिए टेंट और खाने की व्यवस्था उज्जैन पुलिस ने की है।
अब तक तो कुछ मिला नहीं, इस बार उम्मीद है...
हर सिंहस्थ में वॉलेंटियर की व्यवस्था की जाती है लेकिन दुर्भाग्यवश उन्हें किसी तरह का मानदेय नहीं दिया जाता है। बावजूद इसके वे निस्वार्थ सेवा करते हैं। इसीलिए सिंहस्थ 2016 के लिए सरकार ने यह तय किया है कि वॉलेंटियर तैराकों को एक महीने के लिए 360 रुपए/दिन के हिसाब से भत्ता दिया जाएगा। हालांकि अब तक इसकी अधिकृत घोषणा नहीं हुई है।
हर घाट पर कुल 9 तैराक होंगे
सिंहस्थ के दौरान शिप्रा के हर घाट पर 24 घंटे तैराक नियुक्त रहेंगे। इसमें तीन होमगार्ड के होंगे। तीन सीविल सविल डिफेंस के ‘जो कि उज्जैन पुलिस मुहैया कराएगी’ होंगे। तीन वॉलेंटियर ग्रुप से। मतलब एक घाट पर कुल नौ तैराक। इनकी ड्यूटी को आठ-आठ घंटे  में ऐसे बांटा जाएगा कि 24 घंटे घाट पर तैराक तैनात नजर आए।
तैराकों के साथ हर घाट पर मोटर बोट ओर किनारे पर प्राथमिक चिकित्सा टीम भी मौजूद रहेगी। यदि कोई व्यक्ति डूबता है तो तैराक नदी में कुदेंगे। डूबते आदमी को बचाएंगे। उन्हें पुरी नदी क्रॉस नहीं करना होगी। आधे रास्ते में उन्हें मोटर बोट मिल जाएगी। मोटर बोट से किनारे पर आएंगे और पीड़ित का प्राथमिक उपचार कराएंगे। मोटर बोट न पहुंचने की स्थिति में तैराक पीड़ित को लेकर नदी पार कर सके इसीलिए तैराकों को नदी के एक छोर से दूसरे छोर तक आने-जाने का प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है।
यहां तैराकों को तराश रहे हैं
सिंहस्थ के लिए तैराक तैयार किए जा रहे हैं। हमने प्राथमिकता के आधार पर 402 लोगों की सूची 12 जिलों को भेजी थी। ये वो लोग हैं जिनकी तैराकी पहले ही जबरदस्त है। शिविर में उसे और तराशा जा रहा है ताकि  पीड़ित को बचाते वक्त कोई चूक न हो। इस बार मानदेय देने का चल रहा है। पूरी कोशिश होगी कि सिंहस्थ में डूबने से कोई जनहानि न हो।
मीनाक्षी चौहान, प्रभारी
सिंहस्थ तैराकी प्रशिक्षण 

नागा बाबाओं की डेरे में आए गोल्डनपुरी बाबा sinhastha 2016

एक साधु, जिनके लिए सोना इष्ट, सोना ही साधना
सुविधाओं से संतुष्ट, सुरक्षा व्यवस्था से नाराज
उज्जैन से विनोद शर्मा ।
बड़ी दाढ़ी। भगवा लिबाज। आधा दर्जन देवी-देवताओं के बड़े-बड़े पेंडल से सजी दर्जनभर से ज्यादा सोने की मोटी-मोटी चैन। दोनों हाथ की हर अंगुली में मोटी-मोटी सोने की अंगुठी। दोनों कलाइयों पर कपड़े की तरह महीन कारीगरी वाले बे्रेसलेट। यह पहचान है उत्तराखंड से आए गोल्डनपुरी बाबा की जो अपने शरीर पर 11.5 किलोग्राम से ज्यादा सोना धारण किए हुए हैं। वे सोने का सोना कम अपने ईश्ट का मंदिर ज्यादा मानते हैं जो हर वक्त उनके साथ होता है और चलते-फिरते लोग दर्शन करते हों।
उज्जैन में चार दिन से आए गोल्डन बाबा रविवार की दोपहर जब रामघाट पहुंचे तो उन्हें देखने के लिए लोगों की भीड़ लग गई। न सिर्फ सहज भाव से आशीर्वाद दिया बल्कि इच्छुक लोगों के साथ फोटो भी खींचवाई। इसी दौरान उन्होंने दबंग दुनिया से भी बातचीत की। उन्होंने बताया कि दत्त अखाड़े में उनका कैंप लगना है जो सिंहस्थ में उनका पहला कैंप है। तैयारियां चल रही है। वे सिंहस्थ के मद्देनजर  उज्जैन में हुए बुनियादी कामों से संतुष्ट हैं हालांकि सरकारी सुरक्षा व्यवस्था को लेकर नाराज हैं। उनका कहना है कि वे जहां जाते हैं वहां उन्हें एक-चार का पुलिस बल मिलता है। चार दिन से उज्जैन में हैं। शासन स्तर पर सूचना दे चुके हैं। अब तक कोई व्यवस्था नहीं की। उत्तराखंड सरकार द्वारा भेजा गया एक ही जवान है। दो सुरक्षाकर्मी निजी हैं।
हर काम के लिए सरकार को दोष देना गलत
सिंहस्थ में सहुलियतों का संकट जताकर सरकार को कोस रहे लोगों से इतर गोल्डनपुरी बाबा ने कहा कि सरकार को कोसते रहना गलत है। जितनी सुविधाएं जुटाई गई है, कम नहीं है। कम सुविधाओं का ज्यादा से ज्यादा उपयोग करते भी आना चाहिए।
270 रुपए तोला था तब पहली बार पहना था सोना
पहले दिल्ली से हरिद्वार के बीच कावड़ यात्रा निकालने और फिर नासिक कुम्भ से चर्चा में आए गोल्डनपुरी बाबा के शरीर पर 11.5 किलोग्राम के सोने के गहने सजे हैं, जिसकी कीमत साढ़े तीन करोड़ से ज्यादा है। हीरे से जड़ी 27 लाख की घड़ी भी है। इसके अलावा सोने का जैकेट भी है जो वे खास मौकों पर पहनते हैं जिसका वजन 200 ग्राम बताया जा रहा है। आभूषण देवी-देवताओं के पूजन का माध्यम है। इसीलिए मन तो रोज सोने के नए आभूषण पहनने को करता है। जब संभव होता है, तब वह देवी-देवताओं के नाम नया आभूषण पहन लेते हैं। शुरूआत 1972-73 में भगवान शिव के लॉकेट से हुई। तब सोना 270 रुपए तोला था। अब 21 लॉकेट हैं। जो मां लक्ष्मी, सरस्वती, दुर्गा, हनुमानजी, दत्त भगवान के नाम के हैं। वे कहते हैं आभुषण ही उनके भगवान हैं और उन्हें धारण किए रखना ही उनकी भक्ति है। सुबह स्नान के बाद आभुषण की पूजा करते हैं फिर धारण करते हैें।
दान भी कर चुके हैं
15 जून 2013 को उत्तराखंड के कैदारनाथ में आई बाढ़ के दौरान शरीर पर पहना पूरा सोना सहायता कोष के लिए दान कर दिया था।
सफर सुधीर कुमार से गोल्डनपुरी बाबा तक का
गोल्डन बाबा का असली नाम सुधीर पिता जीवनदास मक्कड़ है जिनका जन्म 1962 में दिल्ली के गांधीनगर में हुआ था।  संन्यासी बनने से पहले वो दिल्ली में कपड़े के व्यापारी थे। ईश्वर आराधना के लिए उन्होंने बिजनेस छोड़ दिया। वर्ष 2012 में गुरु श्रीमहंत मछंदरपुरी महाराज ने इलाहाबाद में दीक्षा दी और तब से वह गोल्डन बाबा बन गए। बाद में जूना अखाड़े से जुड़कर वह गोल्डनपुरी बाबा बने। अभी उनका हरिद्वार में आश्रम भी हैं। 

किसानों के विरोध में बंट गया आईएसबीटी sinhastha 2016

‘आईएस’ अटका, ‘बीटी’ से चलाओ काम
कुम्हेड़ी का स्टैंड भौरासला पहुंचा, काम शुरू 
इंदौर. विनोद शर्मा । 
सिंहस्थ 2016 के लिए इंदौर विकास प्राधिकरण कुमेड़ी में दो साल से जिस इंटर स्टेट बस टर्मिनल (आईएसबीटी) का खांका खींचा था फिलहाल वह अटक चुका है। यह भी तय है कि सिंहस्थ में श्रृद्धालुओं को इसका फायदा नहीं मिलेगा। आईएसबीटी को आकार देने में नाकाम रहे प्राधिकरण ने अब भौरासला चौराहे पर एक लाख वर्गफीट क्षेत्रफल में अस्थाई बस स्टैंड बनाने की तैयारी शुरू कर दी है।
2004 से 2016 के बीच सिंहस्थ को लेकर इंदौर में जितनी भी योजनाओं के खांके खींचे गए वे आकार लेने से पहले ही औंधे मुंह घिरी हैं। फिर मामला नगर निगम के कान्ह नदी शुद्धीकरण का हो या फिर प्राधिकरण के प्रस्तावित आईएसबीटी का। प्रोजेक्ट दिसंबर में ही अटक गया था जब प्राधिकरण ने जमीन मालिकों को मनाने के मामले में हाथ टेक दिए थे। बावजूद इसके आईएसबीटी को लेकर प्राधिकरण के पदाधिकारी अपना पक्ष मजबूती से रखते रहे। उनकी हिम्मत ने जवाब दिया अब जब सिंहस्थ शुरू होने में 26 दिन ही बाकी है। बहरहाल, भौरासला चौराहे के साथ तीन ईमली चौराहा, देवगुराड़िया और नर्मदा-शिप्रा संगम पर प्राधिकरण ने अस्थाई पार्किंग की व्यवस्था जुटाना शुरू कर दिया है।
शुरू हुआ अस्थाई काम...
प्राधिकरण ने भौरासला चौराहे पर (जहां एमआर-10 रोड खत्म हो रही है वहीं बायीं ओर) तकरीबन एक लाख वर्गफीट जमीन पर सिंहस्थ की तैयारियों के तहत अस्थाई बस स्टैंड बनाना शुरू कर दिया है। इस कड़ी में एक तरफ एमआर-10 की सर्विस रोड से सटे खेत को समतल किया जा रहा है दूसरी ओर दो दर्जन सुविधाघर का निर्माण भी शुरू हो चुका है। 4000 वर्गफीट का शेड भी बनेगा जो एंगल और टिन से बनेगा। यहां पब्लिक बुथ की व्यवस्था होगी। टिकट विंडो होंगे। बैठक व्यवस्था के लिए दरी और कुर्सी लगेगी। पर्याप्त प्रकाश व्यवस्था के लिए लाइटिंग के टेंडर निकाले हैं जो 4 अपै्रल तक आएंगे। बस स्टैंड पर एक वक्त में 70 से 75 बसें खड़ी हो सकेंगी। दुकानों को भी अस्थाई तौर जगह दी जाएगी ताकि लोगों के खाने-पीने की व्यवस्था भी हो सके।
तीन इमली पर भी बनेगा बस स्टैंड
भौरासला की तरह ही तीन इमली पर भी अस्थाई बस स्टैंड बन रहा है जहां नवलखा बस स्टैंड को शिफ्ट किया जाएगा। स्टैंड ब्रिज से लगी खाली तकरीबन पौने दो एकड़ जमीन (पालदा रोड पर दायीं ओर) पर बनेगा। 750 वर्गफीट का शेड भी बनेगा जो यात्री प्रतिक्षालय रहेगा। एक वक्त में 25 बसें खड़ी होंगी। प्लॉट को लेवल करके पेवर लगाना शुरू कर दिया गया है। नाले की साइड सुविधाघर बनेंगे। पास में दो एकड़ का एक प्लॉट और है जहां बसें पार्क होगी।
यहां पार्किंग भी...
-- एमआर-10 रोड पर ही स्टार कैब के पास खाली जमीन पर बड़ी पार्किंग बन रही है जहां बसें और वाहन पार्क होंगे। इसका काम भी 10 अपै्रल तक पूरा हो जाएगा।
-- देवगुराड़िया पर समतल जमीन है जिसे पार्किंग के लिए इस्तेमाल किया जाएगा।
-- शिप्रा संगम स्थल के पास जमीन लेवल की है चूरी डालकर चलने लायक बनाया जाएगा। मुंडला दोस्तदार चौराहे पर समतल जमीन भी पार्किंग के लिए आरक्षित रहेगी।
सुविधा संपन्न होंगे बस स्टैंड
सिंहस्थ से पहले आईएसबीटी नहीं बन पाएगा। इसीलिए भौरासला पर बस स्टैंड बना रहे हैं। और भी जमीन का प्रावधान कर रखा है ताकि जरूरत पड़ने पर स्टैंड का विस्तार किया जा सके। तीन इमली पर भी बस स्टेंड बन रहा है जो भौरासला की अपेक्षा छोटा है। यहां भी जमीन जुटाई जा रही है।
शंकर लालवानी, अध्यक्ष
आईडीए 

दरगाह शरीफ में भी होंगे भजन-कव्वाली sinhastha 2016

सिंहस्थ में सात दिवसीय कैंप लगाएंगे सूफी संत गुलाम दस्तगीर
उज्जैन से विनोद शर्मा ।
सिंहस्थ 2016 के लिए जहां साधु-संतों की तैयारियां अंतिम चरण में है वहीं जहांगिराबाद (बुलंदशहर) के सूफी बाबा गुलाम दस्तगीर ने भी शिप्रा नदी के किनारे रामघाट पर स्थित दरगाह शरीफ में अपने कैंप की तैयारी शुरू कर कर दी है। 16 से 22 मई तक आयोजित होने वाले इस कैंप में क्वाली के साथ भजनों की प्रस्तुति भी होगी। बाबा के साथ कई साधु-संत भी कैंप में शिरकत करेंगे।
शुक्रवार को सुफी गुलाम दस्तगीर इंदौर से उज्जैन पहुंचे। यहां उन्होंने पहले साध्वी शिवानी दुर्गा से मुलाकात की उन्हें सिंहस्थ के दौरान लगने वाले अपने कैम्प की जानकारी दी। इसके बाद वे दरगाह शरीफ पहुंचे। यहां पहले उन्होंने दरगाह पर फूल चढ़ाए। बाद में परिसर का मौका मुआयना किया। उन्होंने बताया कि यहां कैम्प लगेगा। कैम्प में अखंड भंडारा होगा। कव्वाली होगी। भजन होंगे। उन्होंने बताया कि कैम्प के उनके साथ तकरीबन दो हजार लोग होंगे उनमें कई साधु संत भी शामिल रहेंगे। 13-14 मई को आ जाएंगे। 22 मई तक रहेंगे।
बड़े सिलसिले से हैं गुलाम दस्तगीर
भैंसोड़ी सरीफ (रामपुर और बरेली के बीच) में जो सूफी है बाबा वहीं से जुड़े हैं। जिस सिलसिले (जैसे साधु संतों के अखाड़े होते हैं वैसे ही) से ताल्लुक रखते हैं वह बगदाद से बांगलादेश तक फैला है।  मप्र में इंदौर, बड़नगर, सनावद और धार में भी उनका सिलसिला है।
मुहब्बत की मिसाल बने...
बाबा ने बताया कि सिंहस्थ के दौरान यह उनका पहला कैंप होगा। इससे पहले वे हरिद्वार में भी कैंप लगा चुके हैं। कैंप का मकसद हिंदु-मुस्लिम के बीच मुहब्बत और अमन-भाईचारा बढ़ाना है। नीयत अच्छी है, ऊपर वाला भी साथ देगा और उसके बंदे भी। उन्होंने कहा कि संत और सूफी में कोई भेदभाव नहीं है। एक थाली में बैठकर खाना खाते रहे हैं। मेरे जितने मुरीद है उनमें ज्यादातर हिंदु हैं।
85 फीट ऊंची दरगाह बना रहे हैं
जहांगीराबाद में वे एक 85 फीट ऊंची दरगाह बना रहे हैं जो कि उनके वालिद की याद में बन रही है। तीन साल हो चुके हैं बनते-बनते। तीन महीने में तैयार हो जाएगी। पूरी संगमरमर का बन रहा है रंग की जरूरत नहीं है। बिल्डिंग और हॉल भी बन रहा है।

शिप्रा शुद्ध होते ही प्रकट हुए महादेव sinhastha 2016

उज्जैन से विनोद शर्मा ।
सिंहस्थ लिंक परियोजना के तहत नर्मदा के जल से शिप्रा पुनर्जीवित हुई तो वर्षों की जमा गाद हटते ही पहले प्राचीन मंदिर प्रकट हुआ, फिर महादेव। इस बार शिवरात्री नए-नवेले महादेव के साथ मनी। हम बात कर रहे हैं देवास जिले के हवनखेड़ी गांव की जहां शिप्रा और नागदमन नदी संगम पर खुदाई के दौरान निकला महादेव मंदिर इन दिनों चर्चा में है।
शिप्रा नदी की बाढ़ के साथ बहकर आने वाली मिट्टी किनारे पर जमा होती रही। इसी मिट्टी में दबकर रह गया था मंदिर। सिर्फ इसका शिखर ही दिखाई देता था। एक तरफ नागदमन नदी में देवास औद्योगिक क्षेत्र का बदबुदार इंडस्ट्रियल वेस्ट बहकर आता था। दूसरी तरफ 10 महीने शिप्रा सूखी रहती थी। इसीलिए आसपास के लोगों ने शिखर के नीचे क्या है? इसकी चिंता नहीं की। मगर जब नर्मदा के जल से शिप्रा प्रवाहमान हुई और नागदमन का बदबूदार पानी रोक दिया गया तब जिज्ञासा दूर करने के लिए लोगों ने खुदाई की। करीब आठ महीने गेती-फावड़े से खुदाई हुई। धीरे-धीरे मंदिर के अवशेष नजर आने लगे अंतत: पूरा मंदिर मिट्टी से बाहर निकल आया।
शिप्रा तट तक हैं पेड़ियां
खुदाई के बाद शिवरात्री पर ग्रामीणों ने यहां पूजन किया। कलश-यात्रा निकाली गई। अब न सिर्फ मंदिर नजर आता है बल्कि मंदिर के साथ ही शिप्रा नदी तक बनी पेड़ियां भी नजर आती है जिनका इस्तेमाल अब हवनखेड़ी और आसपास के गांव के लोग शिप्रा स्नान के लिए करने लगे हैं। मंदिर, घाट और पेड़ियां काले ऐरन पत्थर की हैं।
प्राचीन है इतिहास...
कथाओं के अनुसार राजा परीक्षित की मृत्यु तक्षक नाग के काटने से हुई थी। अपने पिता की मृत्यु के बाद राजा परीक्षित पुत्र जन्मजय  ने क्रोध में आकर सारी नाग जाति को नष्ट कर देने का बीड़ा उठाया। सर्पसत्र यज्ञ किया। उसके आह्वान पर हजारों नाग आए और अग्नि में गिरे। उनकी मौत हुई। बाद में इंद्र की शरण लेने के कारण तक्षक का कुल बचा। इसीलिए इस नदी को नागदमन कहते हैं।  बाद में जन्मजय ने यहीं शिप्रा तट पर अपने पितृों का मोक्ष करवाया था। इस लिहाज से यह पितृमोक्षेश्वर घाट है। हवनखेड़ी में शिप्रा का श्रंगार हुआ था। इसलिए यह शिवलिंग श्रृंगेश्वर धाम है। देवास के पंवार राजा के वंसज भी इस घांट पर आकर शिप्रा स्नान और शिप्रा पूजन करने आते थे।
गांव में नागदमन का पानी आना हुआ बंद
गांव के रशीद पटेल ने बताया कि पहले गुम्बद दिखती थी। सोचते थे कुछ होगा। बाद में खुदाई की तो मंदिर निकला। यहां शिव की प्रतिमा तो निकली लेकिन नंदी की प्रतीमा नहीं निकली। इस शिवरात्री यहां न सिर्फ हवनखेड़Þी बल्कि गदइश पीपल्या और आसपास के गांव वालों ने भी आकर पूजा की है। पेड़ी निकलने से यहां स्नान करना आसान हो गया है। शिप्रा को मिले नर्मदा के सहारे ने गांव का जल संकट भी दूर कर दिया।

सिंहस्थ को यादगार बना देंगे आधुनिक आश्रम sinhastha 2016

- यज्ञशाला, भोजनशाला और कथा पांडाल के साथ साधकों के ठहरने की व्यवस्था भी
- अस्पताल व केफेटेरिया भी
उज्जैन से विनोद शर्मा ।
सिंहस्थ 2016 उज्जैन के बुनियादी श्रृंगार और नागा साधुओं के शाही स्नान के साथ ही सन्तों के भव्य अस्थाई आश्रमों के लिए अरसे तक याद रहेगा। सिंहस्थ से डेढ़ महीने पहले ही आरक्षित जमीनों पर सर्वसुविधायुक्त आश्रमों का काम शुरू हो चुका हैं। शुरूआती दौर में ही आश्रमों की  भव्यता लुभाती है। कुछ आश्रमों में हॉस्पिटल और कैफे टेरिया बन रहा है जबकि कुछ में एअर कंडीशनर युक्त कमरें भी जहां स्वामी के सेवक ठहर सकें।
          मेला क्षेत्र के लिए 2004 में 2,154 हेक्टेयर जमीन  नोटिफाई की थी जबकि 2016 के लिए 3,061 हेक्टेयर जमीन तय हुई। आवंटन अक्टूबर 2015 से शुरू हो चुका था। जमीन हर राज्य से आने वाले छोटे-बड़े संतों, धार्मिक-सामाजिक व व्यावसायिक संगठनों ‘सिंहस्थ की व्यवस्था में सहायक’ को दी गई है। बड़नगर और चिंतामन गणेश रोड पर जंहा देखो आश्रम (कैम्प) नजर आते हैं। 5 हजार से 9 लाख वर्गफीट तक जमीन दी गई है। आधे आश्रमों का काम जारी है। कुछ में सिर्फ टीन की बाउंड्री है। कुछ जमीनें अब भी खाली है। जो आश्रम बने हैं उनका काम देखने लायक है। बांस के बड़े-बड़े मुख्य द्वार और यज्ञशाला के साथ छोटे-छोटे तम्बू आकर्षण का केंद्र है।
सबसे बड़ा आश्रम स्वामी अवधेशानन्द का
जितने भी संतों व अखाड़ों को मेला क्षेत्र में जमीनें दे गई है उनमें अवधेशानन्द जी का आश्रम भी शामिल है। उनके आश्रम के लिए 20 एकड़ (8.70 लाख वर्गफीट) जमीन दी गई है। जहां यज्ञशाला, कथा पांडाल, 10 बेड का हॉस्पिटल, केफेटेरिया,  भोजनशाला, आशीर्वाद स्थल (जहां श्रृद््धालु स्वामी जी से मुलाकात कर सकें, अशीर्वाद ले सकें), अवधेशानन्द जी की कुटिया, मुरारी बापू की कुटिया, दो गार्डन और  100 से अधिक कमरे बन रहे हैं।
सर्वसुविधायुक्त अस्पताल भी..
इसी तरह प्रखर परोपकार मिशन (उत्तराखंड) को दो टुकड़ों में 1.80 लाख वर्गफीट (एक लाख और 80 हजार) जमीन दी गई है। ट्रस्ट यहां 50 बेड का अस्थाई हॉस्पिटल बना रहा है जहां 24 घंटे मल्टी स्पेशलिस्ट डॉक्टर सेवा देंगे। हॉस्पिटल आॅपरेशन थिएटर(सभी जनरल सर्जरी), आईसीयू, हृदयरोगियों के लिए वेंटीलेटर, माइनर आॅपरेशन थिएटर, डाइग्नोसिस सेंटर(सीबीसी, सीबी, यूरीन ऐनेलाइजर युक्त), ईसीजी, एक्स-रे, सोनोग्राफी, अल्ट्रासाउंड, फिजियोथेरेपी युक्त होगा। डॉक्टर, नर्स और कम्पाउंडर स्टाफ के रहने की व्यवस्था होगी। भोजनशाला, रामलीला-रासलीला क्षेत्र भी होगा।
संतों ने सेवकों के ठहरने की व्यवस्था भी कर दी...
तकरीबन हर संत व साधू ने अपने अस्थाई आश्रम में यज्ञशाला व कथा पांडाल के साथ वर्षों से सेवा करते आए अपने साधकों के ठहरने की व्यवस्था भी की है। किसी ने वुडन फ्लोरिंग के साथ टिन और प्लाईवुड के कैबिन बनाए हैं तो कहीं कांस-बांस की कुटिया भी डिमांड में है। स्वामी अवधेशानंदजी के आश्रम में 100 से अधिक कुटिया बन रही है। वहीं प्रखर परोपकार मिशन ने भी 100 कांस-बांस की कुटिया बनाई है।  कुटिया में 12 बाय 14 का कमरा, 7 बाय 6 की आधुनिक फिटिंग वाली बाथरूम होगी। पंखे और कुलर की व्यवस्था भी होगी।
रस्सी नहीं चिंदे से बांध रहे हैं बांस-कांस
ग्रीन उज्जैन क्लीन उज्जैन के कन्सेप्ट को आश्रम बनाने के दौरान ध्यान रखा जा रहा है। ज्यादातर बांस, सुखी घास और टट्टर का इस्तेमाल किया जा रहा है। इन्हें नाइलोन या प्लास्टिक की रस्सियों से नहीं बल्कि सुतली और नारियल की रस्सी से बांधा जा रहा है। यज्ञशाला और द्वार रंग बिरंगे कपड़ों के चिंदियों से बांधे जा रहे हैं। इससे बांस का स्ट्रक्चर और सुंदर नजर आता है।
इंजीनियरिंग कॉन्सेप्ट से बन रहे हैं आश्रम
संतों के आश्रम है इसीलिए यह न सोचें कि यें-वेंई बन रहे हैं। इन्हें इंजीनियरिंग कॉन्सेप्ट के साथ बनाने का ठेका दिया गया है जो सूत बाय सूत डिजाइन करके आश्रम-कुटिया बना रहे हैं ताकि कम जगह का ज्यादा इस्तेमाल हो सके। एअर वेंटिलेशन से लेकर रौशनी तक का ध्यान रखा जा रहा है। वुड फ्लोरिंग हो रही है। बिजली के तार व्यवस्थित है। बगीचे बन रहे हैं ताकि आश्रम की रौनक बढे।
आनंद कुटिया का.....
आधुनिक जीवन शैली से इतर लोग अपने गुरु की तरह आध्यत्मिक अंदाज में सिंहस्थ एन्जॉय करना चाहते हैं। इसके लिए श्रृद्धालुओं ने बांस-कांस की कुटिया की डिमांड की है। उनकी मंशा के अनुसार ही कुटिया बनाई जा रही है।
दिनेश मिश्रा, प्रखर परोपकार मिशन
  

‘कान्ह’ मुक्त शिप्रा में होगा शाही स्नान sinhastha 2016

या
अब शिप्रा की सेहत नहीं बिगाड़ेगी कान्ह
राघौ पीपल्या से कालिया देह पैलेस तक पाइप से किया बायपास
उज्जैन से विनोद शर्मा।
कान्ह नदी का गंदे पानी के कारण संतों और श्रृद्धालुओं को सिंहस्थ के दौरान शिप्रा के ‘स्वास्थ्य’ की चिंता करने की रत्तीभर जरूरत नहीं है। क्योंकि मार्च के अंतिम सप्ताह तक जल संसाधन विभाग 18.7 किलोमीटर लंबी लाइन डालकर उज्जैन में कान्ह नदी को बायपास कर देगा। हालांकि स्टाप डेम बनाकर तीन-चार महीने पहले ही खान नदी के पानी को जगह रोक दिया था। इसीलिए अभी से त्रिवेणी पर शिप्रा में कान्ह का पानी नहीं मिल रहा है।
मुख्यमंत्री की महत्वकांक्षी योजना के रूप में फरवरी 2014 में नर्मदा-शिप्रा लिंक परियोजना के आकार लेने के बाद से कान्ह का पानी बड़ी चिंता बना हुआ था। इसीलिए सरकार ने कान्ह डाइवर्शन को मंजूरी दी। 29 अक्टूबर 2014 को साधिकार समिति की 18वीं बैठक के बाद दिल्ली की के.के.स्पन पाइप प्रा.लि. को वर्कआॅर्डर दिया गया था। उज्जैन में ही पाइप बनाकर कंपनी ने डाइवर्शन का काम अपै्रल 2015 से शुरू किया था। तकरीबन 75 करोड़ की स्वीकृत लागत वाली इस योजना का 90 फीसदी से अधिक काम हो चुका है।
सिर्फ गैर बरसाती पानी ही होगा बायपास
विभागीय अधिकारियों ने बताया कि कान्ह नदी में बहकर आने वाला गैर बरसाती पानी (डोमेस्टिक और इंडस्ट्रियल वेस्ट वॉटर) को ही लाइन से बायपास किया जाएगा। बरसात में नदी का बहाव यथावत रहेगा। अधिकारियों ने बताया कि नदी बड़ी है उसके बरसाती बहाव को पाइप में नहीं बांधा जा सकता।
ऐसा है प्रोजेक्ट...
त्रिवेणी (नवगृह मंदिर) से राघौ पीपल्या नाम का गांव है। इस गांव में इंदौर की ओर तकरीबन आधा किलोमीटर दूर कान्ह नदी पर पुराना डेम बना था। केके स्पन ने पहले इस डेम की ऊंचाई बढ़ाई। लॉकिंग की। अब र्इंट से पेक कर दिया है। बायपास करने के लिए डेम के एक सिरे (गांव की ओर) 2.6 मीटर (8.5 फीट या 2600 एमएम) डाया की पाइप लाइन डाली गई है। एक पाइप का वजन तकरीबन 14 टन है।
यहीं पर इंटकवेल भी बना है। तकरीबन 8 मीटर की गहराई में बने इस इंटकवेल में दो मेन्युअल गेट भी लगाए गए हैं। जिनके माध्यम से नदी में जमा पानी का रूख पाइप लाइन की ओर मोड़ा जा सकेगा। पानी में बहकर आने वाले पत्थर और पॉलिथीन या अन्य कचरे को रोकने के लिए इंटकवेल में एक गेट से दूसरे गेट के बीच भारीभरकम जाली भी लगाई गई है।
राघौ पीपल्या से नदी मेला क्षेत्र से बायपास कर कालिया देह पैलेस तक 18.7 किलोमीटर लंबी लाइन डाली जा रही है। लाइन की गहराई भूतल से 18 मीटर (छह मंजिला इमारत के बराबर) है। कालिया देह पैलेस के पास पानी दोबारा शिप्रा नदी में छोड़ दिया जाएगा।
ताकि किसानों को मिले फायदा
कान्ह बायपास लाइन में जगह-जगह कुओं की तरह जगह छोड़ी गई है ताकि आसपास के किसान पानी का इस्तेमाल अपनी जमीन सींचने में कर सकें। बस उन्हें इन कुओं में पाइप डालना होगा और मोटर से पानी खींचना होगा।
चुनौती कैसी-कैसी...
प्रोजेक्ट बड़ा जटिल है। चूंकि खुदाई ज्यादा गहरी करना पड़ रही है कभी चट्टाने काम करना मुश्किल कर देती हैं तो कभी खुदाई के दौरान जमीन से निकलने वाला पानी। कई स्थान ऐसे हैं जहां दो-तीन लाख घन मीटर चट्टाने खोदना पड़ी हैं। 2015 की बरसात में उज्जैन में पानी भी जबरदस्त बरसा। पूरा उज्जैन दो-तीन बार बाड़ से जुझा। कई साइट भी जलमग्न रही। पानी उलिचने में बड़ा वक्त लगा।
अभी भी नहीं आ रहा है गंदा पानी
सिंहस्थ को देखते हुए जल संसाधन विभाग, इंदौर ने कान्ह नदी पर पहले से बने स्टॉप डेम्स की ऊंचाई बढ़ाई। कहीं कांक्रिट किया है तो कहीं रेत की बोरियां रखी गई है। राघौ पीपल्या, निनौरा और रामवासा सहित इंदौर तक छोटे-बड़े, नए-पुराने, स्थाई-अस्थाई 16 डेम है।
एक स्टॉप डेम में पानी भरने के बाद जैसे ही ओवर फ्लो की संभावना बनती है तब तक दूसरा स्टॉप डेम तैयार हो जाता है। मिट्टी के कच्चे डेम भी बनाए हैं।
90 फीसदी काम पूरा...
काम चुनौती पूर्ण था लेकिन मार्च के अंतिम सप्ताह तक पूरा कर लेंगे। 18.7 किलोमीटर की लाइन में से अब तक 16.5 किलोमीटर लंबी लाइन डल चुकी है। इंटकवेल एक-दो दिन में कंपलिट हो जाएगा।
मुकुल जैन, कार्यपालन यंत्री
जल संसाधन विभाग, उज्जैन