Tuesday, October 7, 2025

10 साल पहले बना था अनिल अंबानी पर कार्रवाई का पाथ


जयपुर-रिंगस रोड का ठेका लेकर आर.इन्फ्रा ने सौंपा था महू की कंपनी को
बाद में पाथ के रास्ते गीत एक्जिम के खातों से दुबई तक पहुंचे थे 80 करोड़ 
इंदौर. विनोद शर्मा । 
अनिल अंबानी की आर.इन्फ्रा के चक्कर में महू की पाथ इंडिया पर प्रवर्तन निदेशालय ने छापेमार कार्रवाई की। अगस्त 2014 को पाथ पर हुई इनकम टैक्स की सर्च और आर.इन्फ्रा के खिलाफ सेबी की जांच में हुए खुलासों के आधार पर कार्रवाई हुई। बताया जा रहा है कि दोनों कंपनियों की जुगत ने तकरीबन 700 करोड़ की हेराफेरी और 100 करोड़ के अंतरराष्ट्रीय हवाले को अंजाम दिया था। 
 हिंदुस्तान मेल की छानबीन में पता चला कि पाथ और अग्रोहा इन्फ्रास्ट्रक्चर के खिलाफ इनकम टैक्स ने 27 अगस्त 2014 में छापा मारा था। 1 सितंबर को दोनों कंपनियों ने संयुक्त रूप से 75 करोड़ की अघोषित आय सरेंडर की थी। 2015 की शुरूआत में इनकम टैक्स ने एक रिपोर्ट भोपाल-दिल्ली भेजी। रिपोर्ट के मुताबिक अक्टूबर 2009 में आर-इन्फ्रा को मिले 53 किलोमीटर लंबे एनएच-11 (जयपुर-रींगस रोड) के ठेके का काम पाथ ने पूरा किया। मुंबई निवासी नरेश मांगीलाल दवे और सैफुद्दीन अब्बासभाई कपाड़िया की कंपनी गीत एक्जिम प्रा.लि. को पाथ ने मई और जून 2010 में अलग-अलग किश्त में 80 करोड़ का भुगतान किया। ये रकम तत्काल दुबई पहुंच गई।  
कैसे हुआ खुलासा...
पाथ के छापे में जयपुर-रींगस रोड की फाइल मिली। फाइल में आर.इन्फ्रा और गीत एक्जिम की डिटेल मिली। चूंकि पैसा पाथ से गीत के पास गया था इसीलिए आयकर की टीम ने गीत के ठिकानों पर भी सर्वे किया। जानकारी गोपनीय रखी गई। सर्वे में पता चला गीत डमी कंपनी है। कोई अस्त्वि नहीं है। जैसा पाथ ने बताया था। सर्वे के दौरान गीत के संचालकों ने कहा कि वे न पाथ को जानते हैं, न ही आर इन्फ्रा को। उन्होंने कमीश्न के लालच में अपना बैंक अकाउंट मुंबई के ही कुछ लोगों को इस्तेमाल के लिए दे दिया था। 
20 डमी कंपनियों में लगा पैसा 
इसके बाद आयकर ने आईएनजी वैश्य बैंक (जंजीरवाला चौराहा) पर शिकंजा कसा। परिणाम स्वरूप गीत जैसी 20 कंपनियां सामने आई। जिनके डेड अकाउंट इस्तेमाल करके भारतीय पैसा दुबई भेजा गया। मामले में आयकर ने बैंक अधिकारियों के बयान भी रिकार्ड किए। 
24 से 48 घंटों में चैन के रास्ते देश का पैसा बाहर 
अधिकारी यह देखकर हैरान थे कि एक जगह से दूसरी जगह चला पैसा, 24 से 48 घंटों में कैसे अलग-अलग कंपनियों के रास्ते विदेश पहुंच गया। मामले में आईएनजी वैश्य बैंक, की मुंबई शाखा की भूमिका भी संदिग्ध मिली।
यूं समझे रिलायंस की भूमिका पर उठे सवालों को...
- एनएचएआई ने जयपुर-रींगस का ठेका आर-इन्फ्रा को दिया था। आर.इन्फ्रा ने 20 अक्टूबर 2009 को विज्ञप्ती जारी करके इसकी विधिवत घोषणा कर दी। प्रोजेक्ट को अंजाम देने के लिए आर-इन्फ्रा ने 9 दिसंबर 2009 को जयपुर रींगस टोल रोड प्रा.लि. (जेआरटीआरपीएल) कंपनी पंजीबद्ध कराई। इस कंपनी का एनएचएआई के साथ अनुबंध हुआ 19 फरवरी 2010 को।
- मार्च-अपै्रल 2010 में जेआरटीआरपीएल ने महू की पाथ इंडिया से अनुबंध किया और सड़क बनाने की जिम्मेदारी उसे सौंप दी। काम मिलते ही मई और जून में सात अलग-अलग किश्तों में पाथ ने सूरत के पते पर पंजीबद्ध गीत एक्जिम प्रा.लि. को 80 करोड़ का भुगतान कर दिया।

तलावली लैक में तुलसी समर्थकों का मनमाना व्यू*

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*2020 में कांग्रेस से भाजपा में आने के बाद अस्तित्व में आया रिसोर्ट एंड रेस्ट्रो*
*तकरीबन 15 हजार वर्गफीट पर बना है जी+2 होटल*
इंदौर. विनोद शर्मा ।
जब माथे पर सरकार का हाथ हो तो किसी के भी नौ गृह बलवान हो सकते हैं। यकीन न हो तो तलावली चांदा तालाब के किनारे बने लैक व्यू रिसोर्ट एंड रेस्ट्रो को देख लें। जो भाजपा नेता राजेश पांडे और अजय उर्फ पप्पू शर्मा का है। दोनों मंत्री तुलसीराम सिलावट के लैफ्ट एंड राइट हैं। दोनों के खिलाफ जमीन पर कब्जे संबंधित कई शिकायतें कलेक्टर तक पहुंची है। 
 मामला ग्राम तलावली चांदा का है। जो 2013-14 से नगर निगम का हिस्सा है। यहां तालाब से लगी सर्वे नंबर 154 की जमीन पर लेक व्यू रिसोर्ट एंड रेस्ट्रो बना है। जो तकरीबन 15 हजार वर्गफीट से अधिक जमीन पर है। इसके अलावा अन्य 18 हजार वर्गफीट पर गार्डन और कर्मचारियों के रहने की जगह की गई है। सामने की ओर 15 हजार वर्गफीट में पार्किंग बनी है। 
 मामले की शिकायत सीएम डॉ.मोहन यादव से लेकर डीएम आशीष सिंह तक से की गई है। गुगल अर्थ से निकाली गई रिवर्स इमेज के साथ बताया गया है कि लेक व्यू का निर्माण 2021 में शुरू हुआ था। पहले 3100 वर्गफीट पर एक हिस्से का काम पूरा हुआ। 2022-23 में बगल के प्लॉट पर स्वीमिंग पुल बनाया गया। 2024-25 में स्वीमिंग पुल को कवर करते हुए तकरीबन 11 हजार वर्गफीट का भवन अलग बनाया गया। जो जी+2 है। 
 जोन क्रमांक 22 के एक अधिकारी ने बताया कि जिस जमीन पर रिसोर्ट बना है वहां नक्शा पास नहीं हो सकता। बावजूद इसके वहां होटल बनाई गई है। निर्माणकर्ता मंत्री के खास हैं इसीलिए हम कार्रवाई करें भी तो क्या? जोन क्षेत्र के दूसरे वार्डों में भी जमीन पर कब्जे की शिकायतें मिली थी लेकिन हम बेबस हैं।  
कोई अनुमति नहीं है 
आसपास के लोगों ने बताया कि तालाब के केचमेंट एरिया का हिस्सा रही जमीन पर मनमाने तरीके से निर्माण किया गया है। न टीएनसी हुई। न निगम से सक्षम स्वीकृति ली गई। लेक व्यू के कर्ताधर्ताओं का दायरा लगातार बढ़ते जा रहा है। किसी से खरीदी, किसी की कब्जाई है। 
पक्की सड़क बन गई...
पप्पू शर्मा और राजेश पांडे ने मंत्री के प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए मेनरोड से होटल तक तकरीबन 500 मीटर लम्बी और 15 फीट चौड़ी कांक्रीट की मजबूत रोड़ बनाई है। जबकि तलावली को बायपास से जोड़ने वाली सड़क की हालत खस्ता है। जिसका इस्तेमाल इलाके के हजारों लोग करते हैं।

कलेक्टर का भू-माफियाओं की जेब पर करारा वार रद्द होगी अवैध कॉलोनियों की रजिस्ट्रियां


नई शुरुआत, अवैध कॉलोनियों के गढ़ बनी बिचौली हप्सी तहसील से 
इंदौर. विनोद शर्मा ।
इंदौर में अवैध कॉलोनियों पर लगाम कसने के लिए कलेक्टर आशीष सिंह ने बुधवार को कड़ा निर्णय लिया। तय किया जिन अवैध कॉलोनियों को लेकर पिछले दिनों प्रशासन ने कानूनी कार्रवाई की है उन कॉलोनियों की रजिस्ट्रियां भी रद्द होगी। इसकी शुरुआत बिचौली हप्सी तहसील से होगी। जिसे अफसरों की जुगलबंदी और भू-माफियाओं की जोड़ी ने अवैध कॉलोनी का गढ़ बना दिया है। 
 बिचौली हप्सी तहसील में देवगुराड़िया, दुधिया, बिचौली मर्दाना, सनावदिया, बिहाड़िया, जामनिया खुर्द जैसे गांव आते हैं। जहां वैध कॉलोनियों के नक्शे कदम पर अवैध कॉलोनियां कट रही है। 1100 से 2100 रुपए वर्गफीट में लोगों को प्लॉट बेचे जा रहे हैं। इन कॉलोनियों में सड़क हैं, बगीचे हैं, सीवरेज है। बस अनुमति नहीं है। पिछले डेढ़ साल में कलेक्टर आशीष सिंह के आदेश पर क्षेत्र के एक दर्जन भू-माफियाओं पर एफआईआर हुुई लेकिन कॉलोनियों में रजिस्ट्री होती रही। प्लॉट बिकते रहे। मकान बनते रहे।
 इस मामले में हिंदुस्तान मेल लगातार आवाज और सवाल उठाता रहा कि क्या केस दर्ज करके भू-माफियाओं को रजिस्ट्री करने की छूट दे दी है। इसीलिए मामले को गंभीरता से लेते हुए कलेक्टर सिंह ने अब यह भी स्पष्ट कर दिया है कि जिन अवैध कॉलोनियों को लेकर पूर्व में भू-माफियाओं पर केस दर्ज कराए जा चुके हैं या कराए जा रहे हैं, उन कॉलोनियों की रजिस्ट्री शुन्य कराई जाएगी। इसकी शुरुआत बिचौली हप्सी तहसील से ही होगी। 
कमाई पर चोट जरूरी... 
इंदौर में अब तक जितनी अवैध कॉलोनियों के मामले में कानूनी कार्रवाई हुई उनमें से एक भी ऐसी नहीं है जिसे प्रशासन बसने से रोक पाया हो। 
यहां प्रकरण दर्ज होने, जेल जाने और जमानत पर छूटने को ही भू-माफिया अवैध कॉलोनी काटने का सरकारी लाइसेंस मान लेते हैं। 
जमीन निजी हो...। भू-उपयोग ग्रीन बेल्ट हो या कृषि या एअरपोर्ट ही अवैध कॉलोनियों में प्लॉटों की बिक्री प्रतिबंधित कभी नहीं हुई। इसीलिए भू-माफिया के खिलाफ केस दर्ज होने के बाद भी कॉलोनियां बसती रही।  
सिंह का नया सिस्टम... 
यह पहला मौका है जब कलेक्टर आशीष सिंह ने नई पहल करते हुए भू-माफियाओं की कमाई पर चोट की है। क्योंकि यदि रजिस्ट्री ही रद्द होने लगेगी तो खरीदार भी अवैध कॉलोनियों में प्लॉट खरीदने से बचेंगे। जब प्लॉट ही नहीं बिकेंगे तो भू-माफियाओं की कमाई कैसे होगी?
फिर भी सावधानी जरूरी... 
रजिस्ट्री रद्द कराकर भी प्रशासन अवैध कॉलोनियों पर अंकुश तब तक नहीं लगा सकता जब तक जमीन की सेटेलाइट मैपिंग करके रिकार्ड उन सभी विभागों में साझा नहीं होगा, जिनकी कॉलोनी में जरूरत होती है। जैसे नगर निगम, बिजली कंपनी, नर्मदा परियोजना, पंचायत। सेटेलाइट मैपिंग से प्रशासन भी हिसाब रख सकेगा कि केस दर्ज कराने तक कॉलोनी कितनी जमीन पर विकसित थी, कितने मकान बने हुए थे। ऐसा होगा तब ही भू-माफिया नोटरी भी नहीं कर पाएंगे। 
इन कॉलोनाइजरों पर हुई एफआईआर 
गांव भू-माफिया प्लॉट बेचे
सनावदिया अतुल अग्रवाल 27
सनावदिया शुभम सोनकर 35
जामनिया खुर्द अनिल पिता श्याम 33
जामनिया खुर्द राकेश यादव 40 
मोरोद आशीष वर्मा 17
मोरोद इंदर सिंह 20
बिहाड़िया वासुदेव भागीरथ 17
उमरिया रामनारायण 16
तिल्लौर खुर्द सचिन पाटीदार 20
अतुल अग्रवाल बड़ा खिलाड़ी 
सनावदिया में अतुल अग्रवाल ने खदान रोड पर दो कॉलोनी और बिहाड़िया रोड पर कैंब्रिज स्कूल के पास बड़ी कॉलोनी काट रखी है। जिसका नक्शा फार्म हाउस के नाम पर पास हुआ था। दो-तीन बार एफआइआर हो चुकी है लेकिन अतुल की वाटिकाओं में प्लॉटों की बिक्री जारी है। बढ़ियाकीमा में शिव वाटिका पर काम जारी है। इसी क्रम में विकास सोनकर भी है, जो भी बिहाड़िया में दो-तीन अवैध कॉलोनी काट चुका है।

केम्को पर 28 करोड़ का इनकम टैक्स बाकी


जेसवानी का कागजों से किनारा, फसे डायरेक्टर, जो असल में नौकर हैं 
इंदौर. विनोद शर्मा । 
जीआरवी बिस्किट प्रा.लि. नाम की कन्फेक्शनरी कंपनी हड़पने के आरोपों से घिरे संजय जेसवानी की केम्को च्यू फुड्स प्रा.लि. और उसकी सहयोगी कंपनियों पर इनकम टैक्स ने लगाम कसना शुरू कर दी है। इनकम टैक्स से प्राप्त जानकारी के अनुसार केम्को समूह पर तकरीबन 28 करोड़ रुपए का इनकम टैक्स बाकी है। विभागीय हिदायत के बावजूद कंपनी टैक्स चुका नहीं रही है। इसीलिए इनकम टैक्स ने अब नोटिस जारी करना शुरू कर दिए हैं। 
 कन्फेक्शनरी के धंधे में अच्छे-अच्छे को "चॉकलेट" चखा चुके जेसवानी अब किसी कंपनी में डायरेक्टर नहीं है। अब केम्को च्यू फुड्स प्रा.लि. में करतार सिंह और गिरीश वाधवानी डायरेक्टर है। इसी साल अंशु डेम्बला इस्तिफा दे चुकी हैं। कंपनी पर 2017 से 2024 तक तक इनकम टैक्स और इंट्रेस्टस्ट मिलाकर कुल 23.55 करोड़ रुपए टैक्स बकाया है। 

 इसी तरह समूह की दूसरी कंपनी केम्को मार्ट है। इस कंपनी से भी जेसवानी परिवार बाहर हो चुका है। अब नितिन जीवनानी और दिनेश मनवानी डायरेक्टर हैं। कंपनी पर 2024 का 21.07 लाख टैक्स और 1.47 लाख ब्याज बाकी है। तीसरी कंपनी है खालसा न्यूट्रिशियन प्रा.लि.। 103/4/2/1, 103/4/2/2 अमलीखेड़ा उज्जैन रोड के पते पर रजिस्टर्ड इस कंपनी पर इनकम टैक्स का 2.94 करोड़ बकाया है। कंपनी में दिनेश मनवानी के साथ संजय का भाई विजय जेसवानी डायरेक्टर है। 
 चौथी कंपनी है सुपरनेस फुड्स प्रा.लि। 67/2/2, SK-1 कम्पाउंड लसूडिया का पता। 1.20 करोड़ की अथॉराइज्ड कैपिटल और 1.11 करोड़ की पेडअप केपिटल वाली इस कंपनी पर 1 करोड़ 22 लाख 77 हजार 094 रुपए का इनकम टैक्स बाकी है। इस कंपनी में भी दिनेश मनवानी और गिरीश वाधवानी डायरेक्टर है।  
डायरेक्टरों की संपत्ति कुर्क करेगा आईटी... 
बैंकों की तरह इनकम टैक्स भी कंपनियों में क्रेडिटर रहता है। कंपनियों का एक्जिस्टेंस नहीं होता। कंपनी संबंधित निर्णय डायरेक्टर और बोर्ड लेते हैं। ऐसे में इनकम टैक्स अपनी रकम वसूल करने के लिए कंपनी के डायरेक्टरों व उन बोर्ड मैम्बरों की संपत्तियों को भी राजसात करता है जो उन फाइनेशियल ईअर में कंपनी के कर्ताधर्ता रहें हैं जबसे इनकम टैक्स बकाया है। 
यहां तो सब नौकर हैं.... 
दिनेश मनवानी, गिरीश वाधवानी, करतार सिंह, नितिन जीवनानी, इरफान अली सयैद और सम्मन अफरोज खान जैसे नौकर जिन्हें जेसवानी ने अपनी कॉलर बचाने के लिए डायरेक्टर बना रखा है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि इन लोगों से यदि इनकम टैक्स ने टैक्स वसूली शुरू की तो इनके तो बर्तन बिक जाएंगे, फिर भी कर्ज अदा नहीं होगा। वहीं जेसवानी मजे में रहेगा क्योंकि वह कागज पर नहीं है। ये बात अलग है कि इन्हें दुल्हा बनाकर मलाई वही खा रहा है।

निगम की मेहरबानी से नहीं टूट रहा प्रतिभा का ड्रीम


339 दिन,पांच नोटिस, हर नोटिस में 7 से 30 दिन की मोहलत
नक्शे को कोने में रखकर किया मनमाना काम, जनवरी से जारी है दिखावे की तोड़फोड़
अवैध निर्माण वहीं का वहीं   
इंदौर. विनोद शर्मा । 
स्कीम-134 में नगर निगम की मंजूरी के विपरीत अपने ड्रीम को आकार दे रहे बिल्डरों पर ले-देकर अफसर मेहरबान हैं। इतने कि 339 दिन में एक के बाद एक पांच नोटिस थमाएं। हर नोटिस में अवैध निर्माण पर नाराजी जताई। तोड़ने की मोहलत दी लेकिन आज तक नगर निगम का अमला बिल्डिंग तोड़ने नहीं पहुंचा। यह बात अलग है कि नुकसानी से बचने और शिकायकर्ताओं की आंख में धूल झौंकने के मकसद से निर्माणकर्ता स्वयं अपने निर्माण पर दिखावटी हथौड़े बरसा रहे हैं।  
   प्रतिभा सिन्टेक्स लिमिटेड व अन्य मिलकर कैसे स्कीम-134 के प्लाट नंबर 19आरसी पर कैसे नगर निगम द्वारा 2 फरवरी 2024 को स्वीकृत नक्शे के विपरीत मनमाना निर्माण किया जा रहा है? इसका खुलासा हिंदुस्तान मेल ने किया था। इसके बाद बिल्डर ने बिल्डिंग बचाने के लिए इंदौर से लेकर भोपाल तक मेहनत की। जो बेनतीजा रहा। अंतत: नगर निगम ने नोटिस जारी करके स्पष्ट कर दिया कि बिल्डिंग तो टूटेगी। इसके बाद बिल्डर ने आखिरी कोशिश करते हुए अपने स्तर पर ही बिल्डिंग में तोड़फाेड़ शुरू कर दी है ताकि नुकसान कम हो। 
अब भी निगम की आंख में धूल... 
स्वीकृत भवन अनुज्ञा के अनुसार सामने 25 फीट, पीछे 20 फीट, एक तरफ 20 फीट, दूसरी तरफ 20 फीट जमीन खूली छोड़ना थी ताकि उसका उपयोग सार्वजनिक हित में हो सके। नीमा ने चारों तरफ कब्जा कर लिया। बिल्डिंग की प्लींथ तीन तरफ सड़कों से मिला दी वहीं पश्चिम की ओर बनी बिल्डिंग तरफ 5-6 फीट जमीन छोड़ी। ऐसा करके नीमा ने ग्राउंड कवरेज (प्लींथ) बढ़ा लिया ताकि उस पर मंजूरी से ढ़ाई-तीन गुना अधिक निर्माण करके मनमाना मुनाफा कमाया जा सके। अब नुकसानी से बचने या किसी के यह समझाए जाने "िक थोड़ा अपने हाथ से तोड़ लो, मामला ठंडा हो जाएगा, फिर चाहे जैसी बना लेना', के बाद उसने स्वयं निर्माण तोड़ना शुरू कर दिया। हालांकि तोड़फोड़ सामने के हिस्से में हो रही है। 
तीन तरफ के एमओएस पर कोई कार्रवाई नहीं। तोड़फोड़ दिखावा है क्योंकि बिल्डर ने प्लींथ ही मनमानी रखी है, उसी के ऊपर दो मंजिला निर्माण कर चुका है जो पड़ौस की चार मंजिला इमारत से आगे की तरफ ही बनी है। ऐसे में फ्रंट का रैंम्प तोड़कर ही बिल्डर बिल्डिंग का वैध नहीं कर सकता। बिल्डिंग में अभी नगर निगम की नपती के अनुसार टूटना बाकि है। 
ये नोटिस दे रहे थे या टाइम पास कर रहे थे....
25 अक्टूबर 2024 : इसमें लिखा है आपको एक तलघर की मंजूरी दी थी, आपने दो बना दिए। एमअोएस में रैंप बनाया। 7 दिन में तोड़े। 
20 दिसंबर 2024 : 7 दिन की मोहलत खत्म होने के 49 दिन बाद दिया नोटिस। लिखा है तलघर का विस्तार 6 मीटर फ्रंट एमओएस में कर दिया, जो गलत है। 15 दिन में हटाने को कहा। 
27 फरवरी 2025 : 15 दिन की मोहलत खत्म होने के 54 दिन बाद जारी नोटिस। इस बीच स्लैब काटने की कार्रवाई शुरू की थी लेकिन चलताऊ। नोटिस में निगम ने नाराजी जताई। कहा काम बंद करके पहले अवैध हिस्से हटाएं।  
6 जून 2025 : इसमें नाराजगी जताते हुए कहा कि आपको एक महीने में अवैध निर्माण हटाना था। आपने फ्रंट एमओएस से स्लैब हटाए, कॉलम नहीं हटाए। अतिरिक्त निर्माण भी यथावत है। 10 जून को जोनल अधिकारी के समक्ष उपस्थित होकर प्रगति बताएं।  
8 सितंबर 2025 : नाराजी जताते हुए कहा कि 10 जून को आपको जोनल अधिकारी के समक्ष प्रस्तुत होना था लेकिन न आप आए, न आपका कोई प्रतिनिधि। न कोई जवाब दिया।  
एक नजर में नीमा का ड्रीम
प्लॉट मालिक : प्रतिभा सिंटेक्स, तर्फे डायरेक्टर शिवकुमार चौधरी व अन्य 
स्वीकृत नक्शा : (PMT/IND/0152/296/2024) 
स्वीकृति दिनांक : 2 फरवरी 2024 
प्लॉट एरिया : 16951.32 वर्गफीट 
एफएआर : 1.3 
ग्राउंड कवरेज : 26.52 प्रतिशत 
कुल निर्माण अनुमति : 21949.44 वर्गफीट (व्यावसायिक 3862.73 वर्गफीट, 18086.70 वर्गफीट निर्माण आवासीय)
अवैध निर्माण : जिस ग्राउंड कवरेज के साथ बिल्डिंग बन रही है उसमें 81 हजार वर्गफीट से अधिक निर्माण होना है। जो मंजूरी से 59416.89 वर्गफीट अधिक है।

Sunday, August 24, 2025

कारोबारी कलह में घर में घुसकर चिराग जैन की हत्या, पार्टनर पर आरोप

 



बेटे ने की शिनाख्त, बोला विवेक अंकल आए थे घर में 

विवेक ने वीडियो जारी करके कहा चिराग ने मुझे धोखा दिया

शनिवार सुबह व्यापारी चिराग जैन की उनके पूर्व साझेदार विवेक जैन ने चाकू मारकर हत्या कर दी। कनाडिया थाना क्षेत्र स्थित मिलन हाइट्स बिल्डिंग में हुई इस वारदात को मृतक के बेटे ने अपनी आंखों से देखा।आरोपी की पहचान की। पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा। फरार आरोपी की तलाश में टीमें गठित कर दी। शुरुआती जांच में कारोबारी विवाद को वजह माना गया है। 

जानकारी के मुताबिक, चिराग जैन और आरोपी विवेक जैन बिजनेस पार्टनर थे। दोनों के बीच लंबे समय से व्यापार को लेकर विवाद चल रहा था। चिराग स्कीम-140 के पास स्थित मिलन हाइट्स में रहते थे। विवेक जैन मौके प पहुंचा। दोनों के बीच कहासुनी हुई। विवाद इतना बढ़ा कि विवेक ने घर में रखा चाकू उठाकर चिराग पर कई वार कर दिए। चिराग की मौके पर ही मौत हो गई। वारदात को अंजाम देने के बाद विवेक मौके से भाग निकला। 

कुछ देर बाद आसपास के लोगों ने देखा कि घर का गेट खुला हुआ है। अंदर खून फैला हुआ है। फौरन पुलिस को सूचना दी। घटना के वक्त चिराग की पत्नी पूनम जिम गई हुई थी। जब लौटी, तो देखा पति खून से लथपथ जमीन पर पड़ा था। परिवार में हड़कंप मच गया। तुरंत पुलिस को सूचना दी गई। 

घटना के समय चिराग का 10 साल का बेटा घर पर मौजूद था। जिसने पूरे मामले को देखा। बाद में पुलिस को बताया कि पापा के बिजनेस पार्टनर विवेक अंकल ही घर में आए थे। बच्चे की गवाही के बाद पुलिस ने विवेक को मुख्य आरोपी मानते हुए केस दर्ज कर लिया। पुलिस ने चिराग के शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा। मर्ग कायम कर जांच शुरू कर दी। घटनास्थल से कुछ अहम सबूत भी बरामद किए गए हैं, जिनकी जांच की जा रही है। 

लम्बे समय से अनबन थी चिराग-विवेक में 

एडिशनल डीसीपी अमरेंद्र सिंह के मुताबिक, चिराग जैन अपने परिवार के साथ रहते थे। उनकी सांवेर रोड पर पाइप की फैक्ट्री है। तिलक नगर में रहने वाले बिजनेस पार्टनर विवेक जैन से पिछले कुछ समय से चिराग का विवाद चल रहा था। शनिवार सुबह विवेक बात करने के बहाने चिराग के घर पहुंचा था।

आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों को भी खंगाल रहे

कनाडिया टीआई सहर्ष यादव ने बताया कि घटना सुबह करीब 6:30 से 7 बजे के बीच की है। दोनों के बीच किस बात को लेकर विवाद हुआ, ये जांच के बाद ही पता चलेगा। आरोपी बिजनेस पार्टनर फरार है। 

दोस्त ने कहा- गले-पेट पर चाकू के 10-12 घाव

चिराग के दोस्त दीपक जैन ने बताया कि जब हम पहुंचे तो चिराग खून से लथपथ थे। उनके गले और पेट पर 10-12 चाकू के निशान थे। चिराग- विवेक दोनों भिंड के रहने वाले थे। कारोबार के लिए इंदौर आए थे। कारोबार के लिए लोन लिया था। प्रॉपर्टी गिरवी रखी थी। जिसे  विवेक फ्री कराना चाहता था। चिराग ने मना कर दिया था। सांवेर रोड पर कारखाना है। चिराग ने वहां विवेक का आनाजाना प्रतिबंधित कर दिया था।  

चिराग ने दिया धोखा 

आरोपी विवेक जैन ने एक वीडियो जारी की। जिसमें बताया कि मैं 12 साल से अरियन सेल्स में चिराग के साथ पार्टनर हूं। 50% हिस्सेदारी है। मेरी संपत्ति भी लगी है। जिसका  निपटारा नहीं हुआ। चिराग ने मेरे साथ बेईमानी की। कई बार समझाया। नहीं समझा। मुझे कंपनी से ही बाहर कर दिया। हिसाब-किताब की बात करता हूं तो जवाब नहीं देता। 


Saturday, August 23, 2025

महेंद्र जैन और अरूण डागरिया की प्रिंसेसे एस्टेट को वैध का तमगा

 कॉलोनी सेल का कमाल, देने जा रहे हैं

2023 में इसी सेल ने हीना पैलेस वैध कर दी थी, फिर अवैध छोड़ना पड़ा 

इंदौर. विनोद शर्मा । 

नगर निगम की कॉलोनी सेल अवैध कॉलोनियों को वैध करने के नाम पर "कमाल' कर रही है। 2023-24 में कलेक्टर द्वारा सरकारी घोषित की गई जमीन पर प्रस्तावित हीना पैलेस को नियमित करने की नाकाम कोशिश की गई। अब उसी अंदाज में लसूड़िया की सबसे विवादित कॉलोनी प्रिंसेस एस्टेट काॅलोनी को बालेबाले वैध किया जा रहा है। ये कॉलोनी कुख्यात भू-माफिया महेंद्र जैन और उनके साले अरूण डागरिया की है। जिनके खिलाफ प्लॉट के नाम पर धोखाधड़ी के एक दर्जन केस लसूड़िया थाने में लम्बित है। 

नगर निगम के "गांधीवादी' अफसरों ने भ्रष्टाचार को दो हिस्सों में बांट दिया है। एक सीधे-सीधे करना पड़ता है। दूसरा करना नहीं पड़ता, हो जाता है। इसका बड़ा उदाहरण है कॉलोन सेल। जब से अवैध कॉलोनियों के नियमीतिकरण की प्रक्रिया शुरू हुई है, कॉलोनी सेल ने एक के बाद एक ऐसे जादू दिखा दिए, जिससे सब हैरान हैं। इस कड़ी में  19 अगस्त 2025 को अखबारों में जाहिर सूचना प्रकाशित कराई गई। इसमें सर्वे क्रमांक 257पार्ट, 258पार्ट, 259पार्ट, 260पार्ट, 261 पार्ट, 262पार्ट, 263पार्ट, 264/1पार्ट, 268 पार्ट, 269 पार्ट, 324पार्ट, 325पार्ट, 326पार्ट, 328पार्ट, 329 पार्ट, 330 पार्ट पर कटी प्रिंसेस एस्टेट कॉलोनी का ही जिक्र है।  

सूचना के माध्यम से कॉलोनी के प्लॉटधारकों को सूचित करते हुए कहा गया है कि वे विकास शुल्क की राशि अनुसार अनिवार्य रूप से जमा कराएं। इसमें नगरीय प्रशासन एवं आवास  विभाग द्वारा 18 जुलाई 2023 को जाी पत्र (2915/1452905/2023/18-3)  का हवाला देते हुए कहा गया है कि 150 रुपए/वर्गफीट की दर से विकास शुल्क जमा कराने वालों की कॉलोनी वैध की जाएगी। हालांकि नियमानुसार कॉलोनी में मकान होना भी जरूरी है लेकिन इस कॉलोनी में मकान नहीं बने हैं। न रहवासी है। न रहवासी संघ। बावजूद इसके  कुख्यात भू-माफियाओं ने कॉलोनी को वैध करने का आवेदन लगा दिया। जिसे ले-देकर कॉलोनी सेल के कर्ताधर्ताओं ने स्वीकार भी कर लिया।

इससे पहले हीना पैलेस में हुआ था खेल

अगस्त 2023 में ही नगर निगम ने श्रीराम गृह निर्माण की अशरफ नगर को वैध करने की तैयारी की थी। इमसें खजराना के सर्वे नंबर 106, 1018, 1019/2, 1020, 1023/1, 1024, 1027, 1030 सहित 1028, 1437, 1015 1435, 1004, 1527 सहित अन्य खसरों की कुल 8.861 हेक्टेयर यानी 20 एकड़ से अधिक जमीन शामिल की गई है। इनमें से अधिकांश खसरे हीना पैलेस के थे। जिसकी जमीन कलेक्टर मनीष सिंह सरकारी घोषित कर चुके थे।  

कॉलोनी सेल कई जादू सफलता पूर्वक दिखा चुका...

लोकायुक्त तक पहुंची एक शिकायत के अनुसार बिजलपुर की सनसाइन कॉलोनी और सिरपुर गांव की श्रीहरि विहार कॉलोनी भी वैध की गई। सनसाइन फार्म हाउस प्रोजेक्ट था जहां सिंधी समुदाय की अधिकांश हवेलियां बिना नक्शे या निगम से स्वीकृत नक्शे के विपरीत बनी है। इसी तरह श्रीहरि विहार में प्लॉटधारकों के पास न रजिस्ट्री है, न नोटरी। फिर भी कॉलोनी वैध हो गई। 

अक्षरधाम भी वैध करने की तैयारी 

इसी तरह 19 अगस्त 2025 को ग्राम मुसाखेड़ी के सर्वे नंबर 456/1, 456/2, 459, 460, 461, 461/1, 461/2, 463/5/4, 465/1, 465/3 की जमीन पर कटी अक्षरधाम कॉलोनी को वैध करने की तैयारी की गई। कॉलोनी से 1614 रुपए/वर्गमीटर पैसा विकास शुल्क मांगा गया। इसमें  1036 रुपए/वर्गमीटर आतंरिक विकास पर खर्च होगा और  578 रुपए/वर्गमीटर बाह्य विकास पर। तीन साल पहले कॉलोनी की शिकायतों के बाद अपर कलेक्टर डॉ. अभय बेड़ेकर ने जांच कराई थी। अमृता, मेघना और गणपति तीन सहकारी समितियों को मिलाकर करीब 90 एकड़ जमीन पर कुलभूषण मित्तल, अरविंद बागड़ी, रमेश जैन, जगदीश, राम ऐरन, किशोर गोयल, जगदीश टाइगर पर हेरफेर के आरोप लगे थे।  


Thursday, August 21, 2025

कलेक्टर ने फोड़ा बम...नौ दशक का होप ध्वस्त*

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*1000 करोड़ की 22.24 एकड़ जमीन सरकारी, कब्जा लिया* 
सरकारी जमीनों को कब्जा मुक्त कराने का कलेक्टर आशीष सिंह का अभियान जारी है। इस कड़ी में गुरुवार को बड़ी कार्रवाई करते हुए कलेक्टर ने होप टेक्सटाइल की 86 साल पुरानी लीज निरस्त कर दी। सीमांकन कराकर तकरीबन 22 एकड़ जमीन का कब्जा ले लिया, जिसकी मौजूदा बाजार कीमत 1000 करोड़ से ज्यादा है। भाजपा के आयातित नेता अक्षय बम के कब्जे में रही यह जमीन जिला कोर्ट के पीछे है। 
  पिछले दिनों जमीन को लेकर प्रशासन ने नोटिस जारी किए थे, लेकिन प्रबंधन की तरफ से जवाब में कहा गया कि जमीन की लीज शासन द्वारा दी गई है। लीजधारक शासकीय पट्टेदार की श्रेणी में है, इस कारण उसके खिलाफ सुनवाई का अधिकार शासन या कलेक्टर के अधिकार क्षेत्र में नहीं है। संतोषजनक जवाब नहीं मिलने के कारण बुधवार को कलेक्टर ने सर्वे नंबर 282/2 की 22 एकड़ जमीन की लीज निरस्त कर दी। अपने आदेश में कलेक्टर ने पूर्व में इस तरह के मामले में हुई कोर्ट निर्णय का हवाला भी दिया गया।   
99 साल की लीज पर मिली थी जमीन 
सितंबर 1939 में नंदलाल एंड भंडारी संस को सर्वे नंबर 148, 151/1654, 148/1653 की 3.18 एकड़ और सर्वे नंबर 282/2 की 22.24 एकड़ जमीन इंडस्ट्रियल उपयोग के लिए दी गई। जमीन 99 साल की लीज पर पांच लाख रुपए में दी गई। पांच लाख की राशि 50-50 हजार की किश्तों में चुकाई जाएगी और साथ ही 6 हजार रुपए/साल किराया होगा। 1967 में सरकार के आदेश पर जमीन की सब लीज हुई। संकट के दौरान सरकार ने मजदूरों के हित में 1.35 करोड़ की गारंटी दी। बदले में जमीन का एक हिस्सा शासन में समाहित कर दिया। तय हुआ 8.24 एकड़ पर जो होप मिल है, वह चलती रहेगी। बाकि 14 एकड़ जमीन में से 2.60 एकड़ सड़क में जाएगी। बची 11.37 एकड़ में से 6.8 एकड़ सरकार के पास रहेगी। 4.5 एकड़ का व्यावसायिक-आवासीय उपयोग होगा। जो पैसा मिलेगा उससे मजदूरों का बकाया भुगतान होगा।
10.2 एकड़ पर न्यू सियागंज डेवलप करके बेच दिया
2012 में जिला प्रशासन को शिकायत मिली। बताया गया कि बम परिवार ने मनमाने तरीके से न्यू सियागंज बनाकर आधी जमीन बेच दी। पूर्व कलेक्टर आकाश त्रिपाठी ने जांच कराई। पता चला 4.5 एकड़ की व्यावसायिक-आवासीय अनुमति के विपरीत 10.2 एकड़ जमीन पर न्यू सियागंज डेवलप करके बेच दिया। अब 12 एकड़ जमीन ही खाली है। बम ने अपने जवाब में बताया कि 1996 के आदेश से पूरी जमीन मिल गई थी। न्यू सियागंज डेवलप करके मजदूरों की 14.25 करोड़ की देनदारी खत्म की। कलेक्टर कोर्ट इस जवाब से संतुष्ट नहीं हुई और इसे लीज शर्तों का उल्लंघन माना। 
2012 में ही सरकारी हो गई थी जमीन 
2012 में कलेक्टर ने जमीन सरकारी घोषित की थी। बम कोर्ट चले गए। 
अप्रैल 2025 को कोर्ट ने कलेक्टर के आदेश को रद्द किया। कहा विधिवत सुनवाई नहीं हुई, फिर से सुने। 
कलेक्टर आशीष सिंह ने दो बार बम को नोटिस जारी किया। बम ने मामला कलेक्टर के क्षेत्राधिकार से बाहर का है। 
20 अगस्त को कलेक्टर ने लीज निरस्त कर दी। उसी आदेश पर एसडीएम जूनी इंदौर प्रदीप सोनी ने जमीन का कब्जा लिया।

अवैध आरवी क्लब पर कार्रवाई के नाम पर टालमटौल


चिंटू की चमक के आगे फीकी पड़ी आयुक्त की धमक
इंदौर से लेकर भोपाल तक आया दबाव 
इंदौर. विनोद शर्मा । 
नगर निगम के नेता प्रतिपक्ष चिंटू चौकसे के वार्ड में बेधड़क चल रहे आरवी पुल एंड क्लब के खिलाफ नगर निगम का रवैया के ढूलमूल रवैये ने ये बात साबित कर दी है कि सत्ता पक्ष-विपक्ष कितनी ही दिखावटी लड़ाई लड़ ले, असल में एक है। इसीलिए तो चौकसे का संरक्षण प्राप्त इस अवैधानिक क्लब को तोड़ने में नगर निगम ने कोई रूचि नहीं ली। जबकि चौकसे अफसरों से लेकर महापौर तक की घेराबंदी का अवसर नहीं छोड़ते। 
 आरवी पुल एंड क्लब सुखलिया ग्राम के सर्वे नंबर 376/1 व अन्य खसरों की तकरीबन 90 हजार वर्गफीट जमीन पर है। जो कि राजस्व रिकार्ड में अशोक व विनोद पिता गोपाल चौधरी के नाम दर्ज है। निर्माण अवैध है। न भवन अनुज्ञा है, न ही संपत्ति कर चुका रहे हैं। इसका खुलासा हिंदुस्तान मेल ने 12 दिसंबर को किया था। तब निगमायुक्त शिवम वर्मा ने आश्वस्त करते हुए कहा था कि क्लब के खिलाफ कानूनन कार्रवाई की जाएगी। 
 इसके बाद आयुक्त ने उपायुक्त लता अग्रवाल को निर्देशित किया। अग्रवाल के निर्देश पर पहले ही क्लब संचालकों और क्षेत्रीय पार्षद से उपकृत भवन अधिकारी सुधीर गुलवे ने एक नोटिस चस्पा कर दिया था। नोटिस में मालिकाना हक व वैधानिकता संबंधित दस्तावेज मांगे गए थे लेकिन क्लब संचालकों ने "गांधीजी' को आगे कर दिया। खूद पीछे हो गए। 
भोपाल तक का प्रेशर डलवाया
बताया जा रहा है कि आरवी क्लब को बचाना क्षेत्रीय पार्षद व नेताओं के लिए नाक का विषय बन चुका है। इसीलिए उन्होंने भवन अधिकारी से लेकर आयुक्त तक पर भोपाल के नामचीनों के फोन का दबाव डलवा दिया है। इसीलिए जो कार्रवाई शिवम वर्मा ने तत्पर्ता से शुरू कराई थी वह ठंडे बस्ते में पड़ गई।
अब मामले की शिकायत लोकायुक्त
शिकायतकर्ता ने बताया कि भवन अधिकारी भ्रष्ट है और हर नवनिर्मित से वसूली करते हैं। उन्हें चार साल से चल रहा अवैध आरवी क्लब क्यों दिखेगा। हमने सोचा था कि आयुक्त परिणाममुलक कार्रवाई करते हैं, उनसे अपेक्षा थी लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। पहले से पार्षद का प्रश्रय प्राप्त क्लब संचालक अब उन्मादी हो चुके हैं। वे गरिया रहे हैं। कहते हैं जिसको जितनी शिकायतें करना है, कर ले। मेरा कुछ नहीं बिगड़ेगा। इसीलिए मामले की शिकायत लोकायुक्त को की है। जिसमें क्लब संचालक से लेकर अधिकारियों तक को पार्टी बनाया है।
अनुमति के नाम पर कुछ नहीं  
क्लब-मैिरज गार्डन भले चार साल से चल रहा हो लेकिन इसका डायवर्शन (क्र. 22085559949) हुआ 28 जून 2024 को। इसके लिए चालान क्र. 051/9999999/0029/06/24/178100 से 315040 रुपए जमा किए गए थे। फिर भी क्लब का संपत्ति कर खाता नहीं खुला है। डायवर्शन अलग विषय है लेकिन उक्त जमीन चूंकि खसरे की है इसीलिए वहां टीएनसी के साथ निगम से भवन अनुज्ञा होना जरूरी है। जो क्लब संचालकों के पास नहीं है।

नीतीश, ममता, आतिशी, भजनलाल पर भारी है मप्र का मोहन


सबसे रईस मुख्यमंत्रियों में पांचवें स्थान पर है डॉ.यादव 
तीन के पास है 60 से लेकर 910 करोड़
8 राज्यों के सीएम की संपत्ति 10 से 50 करोड़ के बीच है
18 सीएम ऐसे हैं जिनकी संपत्ति 1 से 10 करोड़ रुपए के बीच है
इंदौर. विनोद शर्मा । 
देश के राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के वर्तमान मुख्यमंत्रियों की संपत्ति की जानकारी सामने आई है। एडीआर की 2024 की रिपोर्ट की मानें तो मप्र के मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव संपत्ति और इनकम के मामले में दिल्ली, पंजाब, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में बने पहली बार के मुख्यमंत्री तो दूरी की बात तकरीबन दो दशक से बिहार के मुख्यमंत्री नितिश कुमार से भी कई गुना आगे हैं।  
 एडीआर ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि, प्रति मुख्यमंत्री की औसत संपत्ति 52.59 करोड़ रुपये है। भारत की प्रति व्यक्ति शुद्ध राष्ट्रीय आय 2023-2024 में लगभग 1,85,854 रुपये थी, जबकि एक मुख्यमंत्री की औसत आमदनी 13,64,310 रुपये है, जो भारत की औसत प्रति व्यक्ति आय का लगभग 7.3 गुना है। एडीआर के डेटा के मुताबिक, देश के 31 मुख्यमंत्रियों की कुल संपत्ति 1,630 करोड़ रुपये है।
 मप्र के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के पास 42 करोड़ की कुल संपत्ति है। उनकी स्वयं की आय 24 लाख से अधिक है। उन्होंने बिजनस और एग्रीकल्चर से अच्छा पैसा बनाया है। उनके पास 32.1 करोड़ रुपये की अचल संपत्ति है। वहीं, 9.9 करोड़ रुपये की चल सपत्ति है। इसके अलावा मोहन यादव के पास 8.5 करोड़ रुपये की लायबिलिटीज भी हैं। 2013 में उनकी संपत्ति 16 करोड़ थी जो बढ़कर 2018 में 31 करोड़ हो गई। 2013 से 2018 के अनुपात में 2018-2023 में उनकी संपत्ति नहीं बढ़ी। चुनाव आयोग को दिए गए ताजा हलफनामे में मोहन यादव ने अपनी संपत्ति का ब्योरा दिया था। इसके अनुसार मध्यप्रदेश के नए मुख्यमंत्री के पास 1.41 लाख रुपये कैश थे। जबकि उनकी पत्नी के पास 3.38 लाख रुपये की नकदी थी। बैंकों में जमा राशि की बात करें, तो अलग-अलग बैंकों में उनके और उनकी पत्नी के अकाउंट्स में 28,68,044.97 रुपये जमा थे। चुनावी हलफनामे के अनुसार, उन्होंने अपनी पत्नी के साथ कई कंपनियों के शेयर, डिबेंचर और बॉन्ड्स में 6,42,71,317 रुपये का निवेश किया हुआ है।
कितना कैश-कितना निवेश
चुनाव आयोग को दिए गए ताजा हलफनामे में मोहन यादव ने अपनी संपत्ति का ब्योरा दिया था। इसके अनुसार मध्यप्रदेश के नए मुख्यमंत्री के पास 1.41 लाख रुपये कैश थे। जबकि उनकी पत्नी के पास 3.38 लाख रुपये की नकदी थी। बैंकों में जमा राशि की बात करें, तो अलग-अलग बैंकों में उनके और उनकी पत्नी के अकाउंट्स में 28,68,044.97 रुपये जमा थे। चुनावी हलफनामे के अनुसार, उन्होंने अपनी पत्नी के साथ कई कंपनियों के शेयर, डिबेंचर और बॉन्ड्स में 6,42,71,317 रुपये का निवेश किया हुआ है।
नायडू सबसे रईस सीएम 
एडीआर के मुताबिक,आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू 931 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति के साथ भारत के सबसे अमीर मुख्यमंत्री हैं, जबकि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सिर्फ 15 लाख रुपये की संपत्ति के साथ सबसे कम संपत्ति वाली मुख्यमंत्री हैं। अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू 332 करोड़ रुपये से अधिक की कुल संपत्ति के साथ दूसरे सबसे अमीर मुख्यमंत्री हैं। वहीं कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया 51 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति के साथ इस सूची में तीसरे स्थान पर हैं।
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भारत के सबसे अमीर मुख्यमंत्री 
राज्य सीएम संपत्ति
आंध्रप्रदेश चंद्रबाबू नायडू 910 करोड़
अरुणाचल प्रदेश पेमा खांडू 332 करोड़ 
कर्नाटक सिद्धरमैया 51 करोड़
नागालैंड नेफ्यू रियो 46 करोड़ 
मप्र डॉ.मोहन यादव 42 करोड़
पुडुचेरी एन.रंगास्वामी 38 करोड़
झारखंड हेमंत सोरेन 25.33 करोड़
असम हेमंत विसवा सरमा 17.10 करोड़
महाराष्ट्र देवेंद्र फडणवीस 13.27 करोड़
त्रिपुरा माणिक साहा 13.10 करोड़
अन्य करोड़ पति सीएम 
गुजरात भूपेंद्र पटेल 8.22 करोड़
हिमाचल प्रदेश सुखविंदरसिंह सुक्खू 7.81 करोड़
हरियाणा नायब सैनी 5.80 करोड़
उत्तराखंड पुष्करसिंह धामी 4.64 करोड़
छत्तीसगढ़ विष्णु देव साह 3.80 करोड़
बिहार नीतीश कुमार 3.10 करोड़
उप्र योगी आदित्यनाथ 1.55 करोड़
मणिपुर बिरेन सिंह 1.47 करोड़
राजस्थान भजनलाल शर्मा 1.46 करोड़
दिल्ली आतिशी 1.41 करोड़ 
केरल पिनरई विजयन 1.18 करोड़
 सबसे कम संपत्ति वाले मुख्यमंत्री
राज्य सीएम संपत्ति
प.बंगाल ममता बेनर्जी 15.38 लाख
जम्मू-कश्मीर उमर अब्दुल्ला 55.13 लाख
उप्र योगी आदित्यनाथ 54.94 लाख
बिहार नीतीश कुमार 64.82 लाख
पंजाब भगवंत मान 97.10 लाख 

 किसी सीएम पर कितना कर्ज?
खांडू पर सबसे ज्यादा 180 करोड़ रुपये की देनदारी भी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सिद्धरमैया पर 23 करोड़ रुपये और नायडू पर 10 करोड़ रुपये से अधिक की देनदारियां हैं। इसमें यह भी कहा गया है कि 13 (42 प्रतिशत) मुख्यमंत्रियों ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले घोषित किए हैं, जबकि 10 (32 प्रतिशत) ने गंभीर आपराधिक मामले घोषित किए हैं, जिनमें हत्या के प्रयास, अपहरण, रिश्वतखोरी और आपराधिक धमकी से संबंधित मामले शामिल हैं।

18 बीघा जमीन को लेकर इंदौर-उज्जैन के बदमाशों में विवाद


फेंसिंग उखाड़ी, गेट तोड़ा, हवाई फायर हुए, पुलिस आंख पर पट्‌टी बांधे खड़ी रही
इंदौर. विनोद शर्मा । 
इंदौर में एक तरफ जमीन की कीमत आसमान छू रही है तो दूसरी तरफ जमीन पाने और कब्जाने के लिए गुंडे-बदमाशों से लेकर नेताओं तक होड़ लगी हुई है। दो दिन पहले इंदौर और उज्जैन के बदमाशों के बीच जमीन को लेकर जमकर जोरआजमाइश हुई। इसमें हवाई फायर भी हुए लेकिन प्रभावी नेता के दबाव में पुलिस ने मामला रफा-दफा कर दिया।  
 मामला सुपरकॉरिडोर से लगे पालाखेड़ी का है। यहां राधेलाल यादव की 18 बीघा जमीन है। जो उनके पिताजी बेच चुके हैं लेकिन यादव का कब्जा कायम है। उसकी मदद इंदौर-2 में कांग्रेस से भाजपा में आए एक नेता कर रहे हैं। जिन्होंने अपनी टीम बैठा रखी थी। इस बीच शनिवार को इंदौर-2 में ही रहने वाले कुछ बदमाश जमीन पर पहुंचे। उन्होंने कब्जेदार किसान और उसकी मदद करने वाले मैनेजर की पिटाई कर दी। डराने-धमकान के हिसाब से हितेश प्रधान "गोलू' और उसके सहयोगियों ने हवाई फायर भी किए। 
 सूचना उज्जैन पहुंची। जहां स्वयं को मुख्यमंत्री का रिश्तेदार बताने वाले नेता "जो राधे यादव के कब्जे को जायज मानते हैं, और उसको सुरक्षा का भरोसा दे चुके हैं', ने अपने गुंडे भेज दिए। दोनों पक्षों में जमकर हंगामा हुआ। सूचना मिलने पर गांधीनगर और बाणगंगा थाने का बल भी पहुंचा। पुलिस को देखकर सभी रवाना हो गए।  
पुलिस तमाशा देखती रही, कायम नहीं की
पुलिस मौके पर ऐसे पहुंची थी जैसे कोई मैच देखने आई हो। जैसे ही उज्जैन वालों का नाम आया, पुलिस के जवान किनारे हो गए। दूसरी तरफ के लोग स्वयं को कैलाश विजयवर्गीय और रमेश मेंदोला का समर्थक बताते रहे। इसीलिए पुलिस ने कार्रवाई न करने में भलाई समझी। 
एक बड़े बिल्डर की भूमिका भी सामने आई  
मामले में पालिया और पालाखेड़ी क्षेत्र में एक के बाद एक कॉलोनी काट रहे इंदौर-2 से राजनीतिक संरक्षण प्राप्त बिल्डर की भूमिका भी सामने आई है। जो इस जमीन पर कॉलोनी काटने की इच्छा रखता है। 
विवाद इसीलिए हुआ...
बताया जा रहा है कि 1980 में राधे के पिताजी जमीन बेच चुके थे। इसके बाद भी राधे ने कब्जा नहीं छोड़ा। बल्कि इंदौर-2 के आयातीत भाजपाई नेता की मदद से फेंसिंग करके गेट लगा दिया। कथित खरीदार की तरफ से जब प्रधान, राजा ठाकुर, सतीश ठाकुर, व अन्य लोग मौके पर पहुंचे तो उन्होंने गेट तोड़ दिया। फेंसिंग उखाड़ दी। सुरक्षाकर्मियों से लेकर मैनेजर तक से मारपीट की। बताया जा रहा है कि इस मामले में समझौता बैठक एक-दो दिन में होगी। जिसमें ठाकुरवाद हावी रहेगा। दूसरी तरफ राधेलाल को उज्ज्ैन के यादव से उम्मीदें हैं।

नैनोद की जमीन को लेकर ठाकुर-सेंगर परिवार आमने-सामने

मंगल को दंगल

शुक्रवार को ठाकुरों ने सेंगर के लोगों को मारा था, मंगलवार को सेंगरों ने उतार फेंकी ठाकुरी की मालिकी 
इंदौर. विनोद शर्मा । 
बड़ा बांगड़दा क्षेत्र में शुक्रवार शाम को हुई उड़दंग मामले में नया मोड़ मंगलवार सुबह आया। जब 20-25 लोगों को लेकर पहुंचे एक भाजपा नेता ने जमीन पर हंगामा किया। शुक्रवार को जिन लोगों ने उनके चौकीदार और मैनेजरों के साथ मारपीट करके भगा दिया और अपने नाम के बोर्ड लगा दिए थे उनके बोर्ड उखाड़कर फेंक दिए। ये पूरा मामला सीसीटीवी में रिकार्ड हुआ। पुलिस को सूचना दी गई लेकिन गांधीनगर पुलिस फिर कार्रवाई से किनारा कर गई। 
 जो वीडियो सामने आया है उसके अनुसार जमीन नैनोद की है। शुक्रवार को हुए विवाद के बाद एडवोकेट अमित सिंह पिता सुरेंद्र सिंह ठाकुर ने अपने नाम को जो बोर्ड लगाया था उस पर जमीन की पहचान सर्वे नंबर 294/1 के रूप में अंकित की गई थी। रेवेन्यू रिकार्ड में ये जमीन रियल ड्रीम क्रिएशन एलएलपी तर्फे पार्थ पिता मोहन सेंगर के नाम दर्ज है। शुक्रवार तक यहां सेंगर परिवार के सिपाही ही तैनात थे जिन्हें ठाकुरों ने मारकर भगा दिया था। अपने नाम की तख्ती लगाई। सीसीटीवी कैमरे लगाए। खम्बे खड़े किए। सोचा अब कोई विवाद नहीं होगा। 
 एेसा हुआ नहीं। मंगलवार की सुबह 10 से 11 बजे के बीच सेंगर परिवार के लोग 20-25 लोगों को लेकर मौके पर पहुंचे। परिवार का एक सदस्य दौड़कर गया और एक पेड़ पर टंगे अमित ठाकुर के नाम के बैनर को उखाड़कर अपने जेसीबी के पास लाकर फेंक दिया। इनकी पहचान गोलू सेंगर के रूप में की गई है। दूसरी तरफ काले कपड़ों में एक व्यक्ति पूरे अभियान को लीड कर रहे थे जिनका नाम उदल सेंगर बताया गया। 
जमीन एक, दावेदार तीन 
हिंदुस्तान मेल की तफ्तीश में पता चला कि नैनोद की 5.127 हेक्टेयर जमीन के मालिकाना हक को लेकर लम्बे समय से विवाद चल रहा है। एडवोकेट अमित ठाकुर और सुमित ठाकुर ने बताया कि उनके पिता सुरेंद्र ठाकुर को नैनोद निवासी किसान 1980 में ही जमीन बेच चुके थे। भरोसे में नामांतरण नहीं हुआ था। लम्बे समय से खेती हम ही कर रहे थे। पिता के मरने के बाद होलकरों की नीयत बदली और वे जमीन बाजार में बेचने निकल पड़े। इस बीच नामांतरण को लेकर हमने केस लगाया था। जो तहसील में खारिज हो गया था। बाद में एसडीएम कोर्ट में लगाया। जो विचाराधीन है। इस बीच मनमाने ढंग से होलकरों ने सेंगर परिवार को रजिस्ट्री कर दी।   
दूसरा धड़ा है सेंगर परिवार। जिसने भी जमीन के पेटे किसान से एग्रीमेंट किया था। दस्तावेजों की मानें तो सेंगर परिवार का कब्जा जायज नजर आता है। क्योंकि रेवेन्यू रिकार्ड में 29 अक्टूबर 2024 को ही जमीन का नामांतरण (प्र.क्र. 3236/अ-6/2024-25) सेंगर की कंपनी के नाम हो चुका है। नामांतरण 18 अक्टूबर 2024 को हुई रजिस्ट्री MP179152024A11245996 के आधार पर हुई। जो कि किशोर व सुभाष पिता गोविंद होलकर और संजय व नंदन पिता कमलाकर होलकर सभी निवासी 8 बाराभाई वैष्णव मंदिर के सामने ने की थी। इन चारों के पास 25-25 प्रतिशत जमीन थी। 
तीसरा धड़ा किसान का बताया जा रहा है। जमीन की ऊंची कीमतों ने रजिस्ट्री के बावजूद किसानों का जमीन के प्रति मोह खत्म नहीं होने दिया।  
पुलिस को देखकर तीतर बीतर हुए,कार्रवाई नहीं हुई 
शुक्रवार को बदमाशों को यह कहकर जमीन पर ले जाया गया था कि वहां पार्टी है। जब जमीन पर पहुंचे तो वहां 25-30 लोग आपस में चिल्लापुकार कर रहे थे। पीछे के एक हिस्से में खाना भी बन रहा था। विवाद बढ़ा। सूचना मिलते ही पुलिस के 20-25 जवान मौके पर पहुंचे। जिन्हें देखकर लाठी-ठंडे से लड़ रहे लोग तीतर-बीतर हो गए। पुलिस कुछ देर के लिए गई,फिर विवाद हुआ। तब भी मौके पर पहुंची पुलिस ने कार्रवाई नहीं की। बस यही कहा कि तुम लोग समझने को तैयार ही नहीं हो। हमारी नौकरी खाओगे।  
मंगलवार को पुलिस का मौन
मंगलवार के विवाद की सूचना भी पुलिस तक पहुंची, पुलिसकर्मी पहुंचे भी लेकिन राजनीतिक रसूख के कारण किसी के पर किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं हुई। सिर्फ ईंधन को धुएं में उड़ाकर अपनी गाड़ी घुमा ली।

किसान मोर्चा के मंडल महामंत्री ने गुप्तांग दिखाकर बोले कांग्रेसी मेरा कुछ नहीं उखाड़ सकते

नए साल का नशीला जश्न
मंदिर के सामने "कृष्णा' की अस्लील लीला

इंदौर. विनोद शर्मा । 
विधायक से लेकर प्रधानमंत्री तक भाजपा की छवि बेदाग बनाए रखने में जुटे हैं वहीं उनके मैदानी कार्यकर्ता अपनी हरकतों से पार्टी की इज्जत मटियामेट करने में कसर नहीं छोड़ते। ऐसा ही ताजा मामला राऊ विधानसभा से आया है। जहां विधायक मधु वर्मा की अनुसंशा पर मंडल महामंत्री बनाए गए कृष्णा देवड़ा नए साल के जश्न में नंगाई पर उतर आए। शराब के नशे में धुत कृष्णा पैंट उतारकर कांग्रेसियों को कहते हैं तुम हमारा कुछ नहीं उखाड़ पाओगे। वीडियो वायरल होने के बाद मंडल अध्यक्ष रवि चौधरी कहते हैं कि देवड़ा मानसिक रूप से बीमार है। 
 नए साल का जश्न सबने मनाया। अपने-अपने अंदाज में। भाजपा किसान मोर्चा के मंडल अध्यक्ष और उनके सहयोगी नेताओं का जश्न अलग ही सुरूर में मना। जिसकी वीडियो वायरल हुई। वीडियो में पहले तो एक नेता इनोवो के ऊपर खड़े होकर नाच रहा है और दो नीचे खड़े होकर। गाना बज रहा है "आओ गुरु, करें पीना शुरू....आज तो जाम जमकर चले, कल अंगुर की पेटी मिले न मिले...'। ये सब हो रहा था मंदिर के पास। कुछ देर बाद नीचे खड़े होकर नाच रहे नेता मंदिर के ओटले पर बैठे कृष्णा गौड़ के पास जाते हैं। कहते हैं यार इतनी दारू पी रिया है, अने वीडियो बनई रिया है। कोई ने वायरल कर दी तो कांग्रेस के मौको मिली जाएगा। 
 इस पर शराब पीते हुए कहते हैं कृष्णा देवड़ा कांग्रेसी वीडियो वायरल करेंगे। यह कहते हुए वह अपनी पेंट ढीली करने लगते हैं। फिर अपना गुप्तांग निकालता है। मोबाइल की टार्च निकालकर गुप्तांग दिखाता है। कहता है देखिलो रे कांग्रेसीहुण योज लगेगा हाथ तमारा। तक कितरी ही मेहतन कर लो। 
 बाकि नेता भी इसका विरोध नहीं करते। बल्कि इस रासलीला में कृष्णा का साथ देते नजर आते हैं। फिर "पार्टी ऑल नाइट्स...' गाने की धून पर घुटने तक उतारकर नाचने लगते हैं। पीछे से एक कार्यकर्ता आता है और कृष्णा की पीली हुड़ी की टोपी उसे पहननाकर कोशीश करता है कि उसका चेहरा कम से कम दिखे। इस वीडियो को जिसने बनाया वह भी मंडल का नेता ही है। 
पिछले साल ही हुई थी नियुक्ति 
19 अगस्त 2023 को ही इनकी नियुक्ति मधु वर्मा की अनुसंशा पर भारतीय जनता पार्टी किसान मोर्चा में राऊ विधानसभा किसान मोर्चा केपंचायत व नगर परिषद पदाधिकारियों के रूप में हुई थी। इसमें अध्यक्ष रवि चौधरी है। वहीं महामंत्री है कृष्णा गौड़ जो कि कलारिया गांव के रहने वाले हैं। 
मानसिक रूप से बीमार है देवड़ा  
जो वीडियो वायरल हो रही है उसमें कौन है?
कृष्णा देवड़ा है और अन्य उसी गांव के लोग होंगे।
वीडियो में देवड़ा जो कर रहे हैं क्या वह सही है?
अब क्या बताएं, वह मानसिक रूप से बीमार है। हम तो हम उसका परिवार भी उसकी हरकतों से परेशान है। 
ऐसे मानसिक रोगियों की जरूरत क्यों है भाजपा को?
जब पद दिया था तब ऐसा नहीं था। 
कहा जा रहा है कि वीडियो आपने बनाया? 
नहीं, मैं नहीं पड़ता ऐसे लोगों के चक्कर में। 
देवड़ा को 2023 में महामंत्री तो आपने ही बनाया?
हां, बनाया लेकिन इसका मतलब ये थोड़ी है कि हम सबको मित्रवत जानते हैं।
क्या अब देवड़ा पर कार्रवाइ होगी?
आला पदाधिकारियों से मागर्दशन लेकर कार्रवाई करेंगे। 
रवि चौधरी, अध्यक्ष 
 भाजपा किसान मोर्चा राऊ मंडल

1000 रुपए में नंदी हॉल और 1500 रुपए में भस्मआरती

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भ्रष्ट खा रहे हैं महाकाल में मलाई

मंदिर समिति का पूर्व पदाधिकारी दीपक मित्तल भी आरोपी, फरार
तीन पत्रकारों के नाम सामने आए, एक गिरफ्तार 
उज्जैन. विनोद शर्मा ।
महाकाल मंदिर को पंडे, पुजारियों, सफाईकर्मियों से लेकर मीडियाकर्मियों तक ने कैसे कमाई का अड्‌डा बना दिया था‌? इसका खुलासा रिमांड के दौरान आरोपियों द्वारा लगातार किया जा रहा है। इस कडी में एक बडा नाम जुडा है दीपक िमत्तल का। जो कि कांग्रेस नेता हैं और कमलनाथ की 15 महीने की सरकार में ही उन्हें पूर्व विधायक बटूक शंकर की अनुसंशा पर मंदिर समिति की सदस्यता मिली थी। 
 महाकाल मंदिर में हुए भ्रष्टाचार की सूची लंबी होती जा रही है। अब मंदिर समिति के पूर्व सदस्य दीपक मित्तल की कारगुजारियां सामने आई है। एफआईआर में नाम आने के बाद सवे ही दीपक फरार है। 2018 से फरवरी 2020 के बीच कांग्रेस सरकार अस्तित्व में आई थी। इसी दौरान मित्तल मंदिर से जुड़ा। तीन साल पूरे होने के बाद मित्तल को हटा दिया गया था लेकिन जब तक समिति में रहे तूती बोलती रही। सवाल चर्चा में है कि मित्तल का नाम किसने बताया? महाकाल पुलिस के अनुसार मित्तल के खाते में लाखों का ट्रांजेक्शन सामने आया है। लिहाजा उसके खिलाफ केस दर्ज किया गया है। 
 मामले में तीन पत्रकारों के नाम भी सामने आए हैं जो महाकाल दर्शन के एवज में लोगों से पैसा एंठते थे। इनमें पंकज शर्मा और विजेंद्र यादव के साथ तीसरा नाम भी शामिल है। जिसका खुलासा अभी नहीं हुआ है।  
लगातार बढ़ रही है आरोपियों की फेहरिस्त
पिछले दिनों कलेक्टर नीरज सिंह ने मंदिर परिसर का औचक निरीक्षण किया। सुबह-सुबह नंदी हॉल में भक्तों की भीड़ दिखी। पूछताछ में पता चला उन्हें पैसा लेकर नंदी हॉल तक लाया गया है। इसके बाद 6600 रुपए देकर दर्शन करने आए श्रृद्धालुओं के माध्यम से केस दर्ज कराया गया था। केस में पूछताछ और मोबाइल डिटेल के आधार पर लगातार आरोपियों की संख्या बढ़ती जा रही है। सूची में अब 17 नाम जुड़ चुके हैं।
इनकी रेट लिस्ट
मंदिर परिसर में वीआईपी इंट्री : 500 रुपए/व्यक्ति 
नंदी हॉल में बैठाना : 1000 रुपए/व्यक्ति
भस्म आरती के दर्शन : 1500 रुपए/व्यक्ति
गर्भगृह में दर्शन : 2500 रुपए/व्यक्ति
कमाई का खेल....
महाकाल मंदिर समिति में काम करने वाले कर्मचारियों की तनख्वा 8 हजार से लेकर 50 हजार रुपए तक है। वहीं दिनभर में 12-15 लोगों को मंदिर में वीआईपी ट्रीटमेंट दिलाकर ये लोग 15000 से लेकर 30000 रुपए रोज तक कमा लेते हैं। ज्यादातर खेल भस्मआरती में होता है। 
रोजाना 5 लाख रुपए से ज्यादा का खेल....
भक्ताें की भीड़ को भ्रष्टाचारी भूना रहे हैं। लोग कम समय में दर्शन करने के लिए पैसे देते हैं। ताकि सहुलियत और करीब से दर्शन हो जाए। एक-एक दलाल दिनभर में ऐसे 10 से 12 दर्शनार्थी पकड़ता है। यदि 1000 रुपए औसत भी मानें तो 10 से 12 हजार रुपए/रोज की कमाई होती है। अब तक 17 नाम सानमे आए हैं जबकि सूत्रों की मानें तो पंडे-पूजारी सहित ऐसे 50 लोग हैं। जो दिनभर में 6 लाख से ज्यादा का खेल करते हैं। 
चौकी की बंधी भी तय है...
महाकाल थाने की एक चौकी महाकाल परिसर में ही है। हैरानी की बात यह है कि पैसा लेकर दर्शन कराने के मामले में 17 आरोपियों पर कार्रवाई होने के बावजूद चौकी पर तैनात एक पुलिसकर्मी का नाम इस मामले में सामने नहीं आया। जबकि पुलसकर्मी भी इन दलालों से मिले हुए थे। किसी से प्रति व्यक्ति 150 रुपए मिलते थे, तो किसी से 300 रुपए तक। 
ऐसे जुड़ते गए नाम....
नितेश फरार था। जिसे पुलिस ने पकड़ा। रिमांड के दौरान उसने पत्रकारों पंकज शर्मा और विजेंद्र यादव सहित मेवाड़ा के नाम लिए। क्रिस्टल कंपनी के सुपरवाइजर करण राठौर और मंदिर समिति के उमेश पंड्या को कोर्ट में पेश किया। पत्रकारों में पंकज शर्मा ही पकड़ाया, बाकि फरार है। तीसरे पत्रकार की पहचान मेवाड़ा के रूप में हुई है। जो दिनभर मंदिर में ही रहता था। इसे पहले भी ब्लैकलिस्टेड करके मंदिर परिसर में इसके प्रवेश पर रोक लगा दी थी।

नर्मदा सप्लाई : चीमा के नाम पर अफसरों की चांदी


पूणे की इस कंपनी पर मेहरबान है मंडलेश्वर तक के सरकार
- ट्रासंफार्मर जला चुकी है, नया ठेका 21 करोड़ का दिया
इंदौर. विनोद शर्मा । 
नगर निगम में नाली से लेकर नर्मदा तक में भ्रष्टाचार का जहर मिल चुका है। इसका ताजा उदाहरण है 363 मिलियन लीटर डेली (एमएलडी) लाइन का बिजली मेंटेनेंस। जिसमें पीएचई मुसाखेड़ी से लेकर मंडलेश्वर तक बैठे अफसर सिर्फ एक कंपनी पर मेहरबान हैं। उसी कंपनी की जरूरत के लिहाज से टेंडर की शर्तें प्लान की जाती है ताकि दूसरी कंपनी ठेका न ले पाए। 
 21 अक्टूबर 2024 को नगर निगम की एक जाहिर सूचना प्रकाशित हुई थी। जो संधारण खंड क्रमांक-1 मंडलेश्वर के कार्यपालन यंत्री द्वारा जारी की गई थी। इसमें नर्मदा 363 एमएलडी पानी इंदौर पहुंचाने वाली लाइन (इंटकवेल से लेकर बेकप्रेशर टेंक) के ऑपरेशन और मेंटेनेंस की जिम्मेदारी के लिए कंपनियों से प्रस्ताव मांगे थे। 3 साल का ठेका होगा। लागत 21.38 करोड़ आंकी गई है। टेंडर 25 नवंबर 2024 को खुलना था लेकिन केंसल हो गया।  
 चीमाटेक प्रोजेक्ट प्रा.लि. नाम की कंपनी है जो पिछले छह साल से टेंडर डाल रही है। हर बार इसी कंपनी को टेंडर मिलता है। कंपनी पूणे की है। 18 सितंबर 2020 को भी जो टेंडर निकाले गए थे उसमें भी अकेली चीमा टेक ने ही भाग लिया था। तब लागत आंकी गई थी 13.98 करोड़। इस बार भी कंपनी ने ही भाग लिया है। 
करोड़ों का नुकसान कर चुकी है कंपनी 
इससे पहले कंपनी के पास माइनर मैनेजमेंट था। इस दौरान कंपनी की लापरवाही से जलूद का एक ट्रांसफार्मर जल गया। जिसकी कीमत तकरीबन 3 करोड़ थी। अपनी और कंपनी की गलती छिपाने के लिए नर्मदा प्रोजेक्ट के अधिकारियों ने बिजली कंपनी से एक ट्रांसफार्मर किराए पर लिया और उससे काम करते रहे। जब शिकायतें मुख्यालय तक पहुंची तो उक्त ट्रांसफार्मर खरीद लिया। कंपनी ने जो ट्रांसफार्मर जलाया था वह अब भी जला ही पड़ा है। 2
कंपनी पर मेहरबानी क्याें? 
चीमा टेक को नगर निगम इंदौर के लोग जाने क्यों इतना बड़ा मानते हैं जबकि इंटरनेट पर कंपनी की वेबसाइट तक नहीं है। इंडिया मार्ट पर जो डिटेल है उसके अनुसार कंपनी का वार्षिक टर्नओवर 5 से 25 करोड़ है। जीएसटीएन पर 27AACCC3047N1ZI नंबर डालते हैं तो पता चलता है कि कंपनी सर्विस प्रोवाइडर है और केपिसिटर डिजाइन करती और बनाती है। 
मामला मंडलेश्वर का है, मैं नहीं देखता। वहां पटेल साहब है वो देखते हैं। ट्रांसफार्म जला था लेकिन उसे यह कह देना कि कंपनी की वजह से जला था गलत है। नए टेंडर में मेजर मेंटेनेंस भी शामिल किया है ताकि हर नुकसानी की जिम्मेदारी कंपनी की हो। 
संजीव श्रीवास्तव, पीएचई
डी.एस.पटेल मंडलेश्वर में पोस्टेड है। उनके मोबाइल नंबर पर कई मर्तबा संपर्क किया लेकिन वे फोन न उठाने की कसम खाकर बैठे हैं। 
कंपनियां नहीं आती 
ठेका हो चुका है। कंपनियां आती ही नहीं है। इंदौर में इतनी बड़ी कंपनी है नहीं। इसीलिए चीमा टेक को काम दिया है। अब माइनर से लेकर मैजर मेंटेनेंस तक कंपनी करेगी। हमारा काम सप्लाई चालू-बंद करना ही होगा। फिर भी कोई शिकायत है तो देखेंगे। 
अभिषेक शर्मा "बबलू'
प्रभारी जलकार्य

महाकाल से मुलाकात में माल कमाने वाले 17 नंदी आरोपी बने


धाकड की धांक, प्रबंधक पर कार्रवाई का श्रीगणेश नहीं
21 हजार से लेकर 1 लाख तक की पैकेज डील होती थी गर्भगृह के लिए
पंडों के वेश में भेजे जाते थे श्रृद्धालु, कैमरे हो जाते थे बंद
जितना ज्यादा समय, उतना ज्यादा चार्ज 
कलेक्टर ने कहा सबूत का इंतजार है, कार्रवाई जरूर होगी
उज्जैन. विनोद शर्मा । 
महाकाल मंदिर में हुए भ्रष्टाचार मामले में अब तक आरोपियों की संख्या 17 हो चुकी है लेकिन प्रशासक रहे गणेश धाकड पर कोइ कार्रवाई नहीं हुई। सूत्रों की मानें तो धाकड के आने के बा ही मंदिर में श्रृद्धालुओं को दर्शन कराने की फीस बढी है। हद तो यह है कि गर्भग्रह में एक लाख तक की पैकेज डील होती है। जो ये डील करता है उसे पूजारी-पंडे के कपडे पहनाकर मंदिर में पहुंचा दिया जाता है। इस दौरान बिजली कटौती के नाम पर गर्भगृह के कैमरे भी बंद कर दिए जाते थे। इस काम में महाकाल मंदिर के मुख्य पुजारी और पंडों का भी साथ मिलता रहा। 
 महाकाल मंदिर के गर्भगृह में चुनिंदा हस्तियों को ही प्रवेश की छूट है लेकिन इंस्टाग्राम, टेलीग्राफ, ट्वीटर, फेसबुक पर हर कोई महाकाल के साथ अपनी तस्वीर चाहता है। हर किसी की ये मनोकाना पूरी नहीं होती। महाकाल को छुकर उनका करीब से आशीर्वाद लेना है तो पहले 'सिस्टम' के तहत पैसा चुकाना पडता है। सूत्रों की मानें तो गर्भगृह में प्रवेश की फीस 11 हजार प्रति व्यक्ति से लेकर एक लाख रुपए में चार लोगों का पैकेज बना हुआ है। किसी को शंका न हो इसके लिए ऐसे धनवानों को पुजारी-पंडों जैसे कपडे पहना दिए जाते हैं। उसके बाद प्रवेश मिलता है। ये उसी तरह महाकाल की सेवा करते हैं जैसे पंडे करते हैं लेकिन इनकी वीडियो रील बनती है। तस्वीरें निकलती है। अलग-अलग पोज में। अधिकतम 10 मिनट तक की छूट रहती है। 
 इन दस मिनट में सोशल श्रृद्धालु जल भी चढाता है। फल-फुल भी चढाता है और पुजारी उनसे मंत्राचार के साथ अनुष्ठान भी करा देते हैं। इसीलिए पैकेज डील बढी है। पैकेज डील हर किसी से नहीं होती है। जिनसे संबंध अच्छे हो जाते हैं या अच्छे संबंधों की अनुसंशा पर आए हों। उन्हीं से पैसा लिया जाता था। 
धाकड पर कार्रवाई क्यों नहीं 
महाकाल मंदिर समिति के प्रबंधक के रूप में गणेश धाकड को नियुक्त किया था। धाकड को पिछले दिनों ही हटाया। वे इंदौर के एक दानदाता राहुल रोकडे के साथ मिलकर शिखर के नीचे मनमाने ढंग से कमरे और पुजारियों के कैबिन बना रहे थे। जिसकी जानकारी कलेक्टर तक को नहीं थी। इसीलिए कलेक्टर नीरज सिंह ने उन्हें नोटिस दिया था। बाद में हटा दिया। हालांकि पैसा लेकर महाकाल के दर्शन कराने का जो मामला खुला उसमें धाकड को राजनीतिक दबाव के कारण बाहर रखा गया। 
जिम्मेदार धाकड है, कार्रवाई हो  
 मंदिर समिति का प्रशासक रहते धाकड का ही काम था पूरे सिस्टम की निगरानी करना। ऐसा नहीं हुआ। धाकड की नाक के नीचे श्रृद्धालुओं से वसूली होती रही, ऐसा भी नहीं है कि यह धाकड को पता नहीं था। जब कलेक्टर मामले को पकड सकते हैं तो धाकड क्यों नहीं पकड पाए। इसके अलावा कलेक्टर ने उस दानदाता पर भी कार्रवाई नहीं की जिसने कैबिन बनाने में पैसा लगाया था। 
पूरी समिति में भांग घुली है...
पुलिस अधीक्षक प्रदीप शर्मा ने बताया महाकाल मंदिर में दर्शन प्रभारी राकेश श्रीवास्तव और सफाई निरीक्षक विनोद चौकसे ने पूछताछ में अपने चार साथियों के नाम का खुलासा किया है। दोनों से मिली जानकारी व इनके बैंक खाते और इंटरनेट मीडिया अकांउट वॉट्सएप की जांच की गई। जिसके आधार पर मंदिर में भस्म आरती प्रभारी रितेश शर्मा, प्रोटोकाल प्रभारी अभिषेक भार्गव, आईटी सेल प्रभारी राजकुमार, सभामंडप प्रभारी राजेंद्र सिसौदिया, आशीष शर्मा के नाम सामने आए। महाकाल मंदिर की सुरक्षा संभाल रही क्रिस्टल कंपनी के कर्मचारी जितेंद्र परमार और ओमप्रकाश माली को भी आरोपी बनाया गया है। पूछताछ में उन्होंने मीडियाकर्मी पंकज शर्मा, विजेन्द्र यादव, पूर्व नंदी हॉल प्रभारी उमेश पंड्या और क्रिस्टल कंपनी के कर्मचारी करण राजपूत के नाम बताते हुए ट्रेवल ऐजेंट, हारफूल वालों सहित कई अन्य नामों का खुलासा किया। 
जांच जारी है साक्ष्यों का इंतजार  
धाकड को प्रथमदृष्ट्या जो गडबड सामने आई थी उसके आधार पर हटा दिया है। मंदिर समिति का प्रबंधक रहते उन्होंने किसी से पैकेज डील की है या नहीं? इसकी पुलिस जांच कर रही है। जो लोग पकडे गए हैं उनसे भी धाकड के रिश्तों की जांच होगी।  
नीरज सिंह, कलेक्टर

सावन को संजोने में बटी इन्वेस्टिगेशन विंग


पैकेज लेकर दी जा रही है राहत, छोड़ा साेना, नकद भी नजरअंदाज 

इंदौर. विनोद शर्मा ।  
अपनी छापेमार कार्रवाइयों से कारोबारियों की नींद उड़ाने वाली इनकम टैक्स की इन्वेस्टिगेशन विंग में इन दिनों कुछ तो ऐसा हो रहा है जो अब तक नहीं हुआ। अफसरों के बीच आपसी समन्वय नहीं है। न ही मैदानी अमला सीनियर्स के फैसले से सहमत है। इसकी वजह है पिछले महीने धार में हुई छापेमार कार्रवाई। जो एक आला अधिकारी की व्यक्तिगत रूचि के चलते मैनेज होती नजर आ रही है। 
 दिसंबर के महीने में इनकम टैक्स की इन्वेस्टिगेशन विंग ने सलाउद्दीन शेख, राजेश शर्मा, आसिफ शेख, पंकज शर्मा, अमित शर्मा, पंकज जैन के साथ ही सावन पहाड़िया के ठिकानों पर दबिश दी थी। इनकम टैक्स का दस्ता कार्रवाई की सफलता को लेकर आश्वस्त तो था ही लेकिन जिस कदर की टैक्स चोरी सामने आई उसने अफसरों को हैरान कर कर दिया। सूत्रों की मानें तो मामला 500 करोड़ के इर्द-गिर्द पहुंच गया। 
 एक तरफ तकरीबन 52 ठिकानों पर छापेमार कार्रवाई चल रही थी तो दूसरी तरफ विंग के एक अधिकारी स्कीम-140 स्थित एक बार में शराब की बाेतलें खाली कर रहे थे। इसके बाद उन्होंने पैसा देने से यह कहते हुए मना कर दिया कि उन्होंने आज बड़े-बड़े लोगों पर छापेमार कार्रवाई की है। पंगा लोगे तो तुम भी नहीं बचोगे। हंगामा मचाने के बाद वे इनोवा मेें बैठकर निकल गए। जो कि मां सरस्वती ट्रेवल्स से छापे के लिए हायर की थी। अधिकारी का वहां बाटा अपना नंबर और ट्रू कॉलर पर उनकी पुरानी तस्वीर कई दिन तक वायरल होती रही। वीडियो फुटेज भी सामने आए लेकिन उन्हें साहब के दूसरे दिन होश में आने के बाद मामला दबा दिया गया। हालांकि पूरे विभाग को इस बारे में पता है। ऐसी स्थिति में अधिकारी 'मैं नहीं था' कहकर विभाग के हम नाम कर्मचारी का नाम बता देता है। बताया जा रहा है छापे के दिन पब में साहब की इंट्री जांच के दायरे में है। 
 इसके बाद विभागीय छापा पीड़ितों ने अधिकारियों की दलाली करने वाले एक सीए की शरण ली। जिसने अधिकारियों से कहकर तीन किलोग्राम से अधिक सोना और बड़ी तादाद में नकद को नजरअंदाज करवाया। सोना संजय नाम के व्यक्ति का था। जबकि नकदी सावन पहाड़िया की थी। जिसकी मोटी फीस मिली लेकिन ये रकम किसी एक अधिकारी के पास गई। जिससे नीचे के दूसरे अधिकारी नाराज हो गए। जिस आदमी का सोना छोड़ा उसके बैंक अकाउंट खुलवाने की बात आई तो नीचले अधिकारियों ने यह कहकर भगा दिया कि जिनसे तुम्हारी बात हो चुकी है उन्हीं के पास जाओ। हम भी देखते हैं वे तुम्हारी मदद कैसे करते हैं। 
सीबीआई को शिकायत
अरसे बाद यह ऐसा हुआ है कि किसी रेड के दौरान अधिकारी दो धड़े में बंट गए। एक धड़ा सेटलमेंट करके काले कुबेरों को राहत देना चाहता है तो दूसरा सख्त कार्रवाई का पक्षधर है। बहरहाल, मामले में सीबीआई तक शिकायत पहुंची है। जिस तरह से 2012 में रूचि सोया पर इनकम टैक्स की छापेमार कार्रवाई हुई और उसके आठ दिन बाद सीबीआई ने रेड करके एक सीए की गाड़ी से लाखों रुपया बरामद किया था जो कि चीफ कमिश्नर तक पहुंचाने के लिए लाया गया था। इसी तरह इस बार भी सीबीआई बड़ी कार्रवाई कर सकता है।

दिलीप ने कपड़े उतारे, पिंटू ने नेमप्लेट तोड़ी और कृष्णा ने बनाई वीडियो


कालरा के घर पर हमला करने वाली जीतू की गैंग बेनकाब 
इंदौर. विनोद शर्मा । 
एमआईसी सदस्य जीतू जाटव "यादव' के समर्थकों के बीच पार्षद कमलेश कालरा के घर जो हंगामा मचाया है। उसकी वीडियो वायरल हो रही है। वीडियो में कालरा के नाबालिग बेटे को उसकी मां और दादी के सामने नंगा कर दिया। मामले में एमआईसी सदस्य यहकहकर पल्ला झाड़ रहे हैं कि हंगामा करने वाले मेरे समर्थक नहीं थे जबकि वीडियो में जो लोग दिख रहे हैं वे पिछले दिनों ही जन्मदिन के होर्डिंगों पर जीतू के साथ नजर आए हैं। 
 वीडियो 1 मिनट 7 सेकंड का है। जो उन्हीं लोगों ने बनाया है जिन्होंने कालरा के बेटे के कपड़े उतारे। हिंदुस्तान मेल ने वीडियो के आधार पर आरोपियों की शिनाख्ती की। पता चला कि वीडियो में पिंटू शिंदे, धन्ना राय, बंटी ठाकुर, नवीन शर्मा, अक्षय दुबे और पिंटू आर्य भी दिख रहे हैं। वीडियो से स्क्रीनशॉट लेकर हिंदुस्तान मेल ने इसकी तफ्तीश की। वीडियो कृष्णा शर्मा ने बनाया है जो नगर निगम में ठेकेदारी करता है। कपड़े दिलीप ने उतारे और पिंटू ने आर्य नेमप्लेट तोड़ी। 
 वीडियो में 10 से 12 गुंडे पार्षद के घर में घुसे दिख रहे हैं। जो अश्लील गालियां दे रहे हैं। पार्षद की मां और पत्नी के सामने। बेटा नाबालिग है। सबसे पहले उसके कपड़े उतर वाए। वह हाथ जोड़कर माफी मांगता रहा लेकिन बदमाशों ने उसे पूरा नंगा कर दिया और कहा कि बता देना तेरे बाप को जीतू यादव से पंगा न ले। वरना अगली बार पूरे परिवार को नंगा कर देंगे। 
कर्मचारी की बदजुबानी से हुआ था झगड़ा
झगड़ा यतींद्र यादव की वजह से हुआ था। यतींद्र ने पार्षद को जूनी इंदौर ब्रिज के पास बुलाया। पार्षद नहीं गए। इस पर यतींद्र ने बताया जीतू यादव का करता हूं। इस पर कालरा ने कहा कि जीतू का नाम लेकर डरा क्यों रहे हो, अपना काम करो। जो आपका जिम्मा है। विवाद के बाद सभापति मुन्नालाल यादव ने यतींद्र का समर्थन किया था जो कि यादव है। दूसरी तरफ जीतू यादव की ओर से कहा गया कि समाज उनके साथ है जबकि वे यादव ही नहीं। जाटव हैं। 
सीएम से मिले दोनों पार्षद 
विवाद के दूसरे दिन एक तरफ जहां विधायक मालिनी गौड़ और सिंधी समाज के नेताओं की मौजूदगी में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कमलेश कालरा से मुलाकात की। वहीं उसी दिन कुछ भाजपा नेताओं ने जीतू यादव की मुलाकात भी सीएम से करा दी। सीएम ने सिर और गाल पर हाथ फेरा। इसके बाद यादव बेफिकर हो गए। 
एमआईसी सदस्यता खतरे में  
पिछले 20 साले से नगर निगम की परिषद में ऐसा ही होता है। इंदौर-2 से जुड़े पार्षद कुछ ऐसा कारनामा करते हैं कि महापौर से लेकर क्षेत्रीय विधायक तक सिर पकड़ लेते हैं। इससे पहले लाल बहादुर वर्मा को आए दिन के झगड़े के कारण डॉ.उमाशशि शर्मा की एमआईसी हटाया गया था। इसके बाद कृष्णमुरारी मोघे को इस्तीफा तक देना पड़ा जो बाद में उन्होंने वापस ले लिए। फिलहाल नगर अध्यक्ष गौरव रणदीवे ने कालरा और यादव दोनों को नोटिस थमाकर जवाब मांगा है। 
मैं बताता तुझे जीतू यादव क्या है...
जीतू : लोगों के सामने आप मेरी बेइज्जती करोगे। 
कालरा : सुनो तो सही वीडियो बना रहे हैं उन्हें कह दो चले जाए। मेरी मदर 75 इअर ओल्ड है। 
जीतू : वीडियो बना नहीं दूंगा, वीडियो डालो बनाकर। तू कोई पहलवान है क्या? 
कालरा : मैंने तो कभी ऐसा सोचा भी नहीं। 
जीतू : तू हे कौन बे। संगठन का सिर्फ एक पार्षद है। इसीलिए तेरी इज्जत रह गई अभी तक। वरना मैं बताता तुझे जीतू यादव क्या है। 
कालरा : भैया मैं माफी मांग रहा हूं। 
जीतू : अब जीवनभर झेलना तू। समझा।

क्लीनिक का 5 महीने में दो बार लोकार्पण भी नहीं दे पाया जीतू को संजीवनी

क्लीनिक का पांच महीने में दो बार लोकार्पण भी नहीं दे पाया जीतू को 'संजीवनी'
5 अगस्त पहला और 7 जनवरी को दूसरा लोकार्पण
दोनों ही कार्यक्रम में महापौर-विधायक अतिथि
इंदौर से अंतरध्यान टीम जीतू पहुंची प्रयागराज
इंदौर. विनोद शर्मा ।  
पार्षद कमलेश कालरा के घर पर हमला कराने और सिंधी समाज के द्वारा पुलिस को शिकायत कराए जाने के बावजूद पार्षद जीतू यादव का कॉन्फिडेंस चरम पर था। 7 जनवरी को पांच महीने में दूसरी बार संजीवनी क्लीनिक का लोकार्पण कराकर उन्होंने जलवा दिखाने की कोशीश भी की। कामयाबी मिलती भी। तब तक मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की नाराजगी और संगठन की सख्ती ने सब किए-कराए पर पानी फेर दिया। 
 कमलेश कालरा के घर पर हमला कराने के बाद स्वयं को चौतरफा घिरता देख जीतू ने ठान लिया था कि वह संगठन को एक बार फिर अपनी ताकत दिखाएंगे। इसीलिए विजन 2047 के रवींद्र नाट्य गृह में आयोजित कार्यक्रम में शामिल होकर उन्होंने यह जचाने की कोशीश कि उन्हें आरोपों से फर्क नहीं पड़ता। कुछ पिछलग्गू मीडिया बंधुओं ने भी उनकी तारीफ में कसीदे गढ़ दिए। इससे हिम्मतजदा जीतू ने 7 जनवरी की दोपहर मां कनकेश्वरी देवी संजीवनी क्लीनिक का शुभारंभ कार्यक्रम आयोजित कर दिया। महापौर पुष्य मित्र भार्गव, विधायक रमेश मेंदोला, एमआईसी सदस्य बबलू शर्मा की मौजूदगी में भाषणबाजी के दौरान जीतू ने इठलाते हुए अपनी बात रखी और तमाम आरोपों को झूठा बताकर अपनी साफ-स्वच्छ छवि बताने की कोशीश की।
 जबकि हकीकत यह है कि मां कनकेश्वरी देवी संजीवनी क्लीनिक का शुभारंभ 5 महीने पहले ही हो चुका था। तब भी महापौर और विधायक ने ही फीता काटा था। ऐसे में सवाल यह उठता है कि आयोजन के पीछे जीतू का जो भी मकसद रहा हो लेकिन महापौर और विधायक को तो कमसकम ये पूछना चाहिए था कि आखिर पांच महीनें में दोबारा लोकार्पण क्यों कराया जा रहा है। यूं तो महापौर ने निगम की फिजूलखर्ची को लेकर कमर कस रखी है, फिर इस आयोजन को छूट क्यों दी? यह सवाल अब सबके जहन में है। 
इंदौर से गायब...प्रयागराज पहुंचे जीतू....
सूत्रों की मानें तो शनिवार को संगठन द्वारा छह साल के लिए निष्काशित किए जाने और महापौर द्वारा एमआईसी से हटाए जाने के बाद जीतू और उनके समर्थकों ने इंदौर छोड़ दिया। बताया जा रहा है कि वे प्रयागराज गए हैं महाकुंभ में 13 जनवरी का शाही स्नान करने। 
 धरपकड़ जारी है...
डीसीपी (जोन-2) अभिनय विश्वकर्मा और डीसीपी (जोन-4) ऋषिकेश मीणा ने परदेशीपुरा और एमआइजी थाने की खुफिया टीम से आरोपितों के मकान-दुकान और उठक-बैठक के अड्डों की रैकी करवा कर एक साथ दबिश दी। जीतू के करीबी लोकेश प्रजापत के घर की तलाशी ली। तीन पुलिया स्थित कमलदीप मार्केट में सोनू बैस उर्फ सोनू सूरवीर की तलाश की। जहां सोनू की ज्वैलरी शॉप है। उसके भाई उदय को हिरासत में लिया। पुलिस ने पूछताछ के बाद दुकान बंद करवा दी। 
22 आरोपियों की लिस्ट तैयार हुई...
सीएम के आदेश के बाद एसआईटी गठित की गई। कुल 22 आरोपी चिन्हित किए गए है। कुछ आरोपियों के यहां दबिश भी दी गई। लेकिन वह नहीं मिले। पुलिस ने जीतू के साथियों के यहां दबिश दी है। जिसमें सोनू जिनका सोना चांदी का काम है। वह नही मिला। उसके परिवार से पूछताछ कर पुलिस वापस आ गई। फिलहाल पुलिस को धन्ना राय, धीरज शिंदे, नवीन शर्मा, आशीष मालवीय, संपत यादव, मिथुन डागर, अभिलाष यादव, नितिन अड़ागले, देवेन्द्र सरोज, सोनू सूरवीर, गोलू आदिवाल, दिलीप बसवाल, नाथू काला, लोकेश प्रजापत, संतोष केमिया, परमजीत तोमर, विशाल गोस्वामी, दीपू काका, बंटी पिंटू, अक्षय और बंटी ठाकुर की तलाश है।
एक हमलवार और चिह्नित
कालरा के घर पर हमला करने वालों में से वीडिया के आधार पर एक की और शिनाख्त हुई है। इसका नाम प्रमोद सिंह भदोरिया उर्फ लम्बू डॉन है। इस पर विभिन्न थानों में पहले भी अपराध दर्ज है।

चड्‌डी उतारकर जीतू ने अपने राजनीतिक आकाओं को भी नंगा कर दिया


20 साल में हर परिषद में दिखी दो नंबर की दादागिरी, इस बार एकलव्य पड़ा भारी
विनोद शर्मा । 

पार्षद कमलेश कालरा के घर पर हमला करवाने वाले जीतू यादव को संगठन ने चुल्हा दिखा दिया है। पुलिस का शिंकसा कस रहा है। पूरी गैंग फरार है। नि:शब्द है। जीतू की गैंग कालरा के बेटे की चड्‌डी उताकर अपने उन राजनीतिक आकाओं को सामाजिक रूप से नंगा कर दिया है जिन्होंने एक दर्जन मुकदमे दर्ज होने के बावजूद न सिर्फ जीतू को पार्षद बनाया बल्कि अड़ के एमआईसी में भी जगह दिलाई।
 इस पूरे घटना क्रम ने यह बता दिया कि देश के सबसे स्वच्छ शहर की राजनीति कितनी गंदी हो चुकी है। कालरा के घर पर हमला कराकर जीतू तीन दिन तक सीना ताने घुमता रहा। उम्मीद थी कि आकाओं की छत्रछाया में वह सेफ है। इंदौर-1 और इंदौर-2 के बड़े नेताओं का मौन वृत अब तक कायम है। उनके पास न घटना को लेकर कोई जवाब है, न ही जीतू को सियासी सीढ़ी चढ़ाने की ठोस वजह। 
 महापौर और उनकी टीम को घेरने का जिम्मा लिए बैठे नगर निगम के नेताप्रतिपक्ष चिंटू चौकसे तो दूर कांग्रेस का एक पार्षद उठकर यह कहने नहीं आया कि जो हुआ गलत हुआ। शायद डर है कि कुछ बोले तो उनके कारनामें बाहर न आ जाएं। कैलाश विजयवर्गीय पर आए दिन कटाक्ष कसने वाले कांग्रेस नेता सज्जनसिंह वर्मा के मुंह से एक शब्द नहीं फुटा। प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी की इंदौर से जुड़े मामलों में खामौशी पार्टी कार्यकर्ताओं को हमेशा खलती है। पटवारी के खामौश होने की एक वजह उनके भाई नाना और जीतू की बेजोड़ दोस्ती भी हो सकती है। जिन लोगों ने कालरा के घर हमला किया था उसमें कुछ ऐसे भी थे जो नाना समर्थक थे। फिर पटवारी क्यों बोले? कांग्रेस को सोचना चाहिए कि वह हाथ आए मुद्दों पर यदि ऐसे चुप रही तो लोग उन्हें मौका देंगे भी नहीं। सिर्फ देवेंद्रसिंह यादव की बयानबाजी से कुछ नहीं होगा।    
 मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव ने घटना के विरोध में ट्वीट करके इंदौर के नेताओं के मुंह में जुबान दे दी। हाथ में अंगुली दे दी ताकि सांसद शंकर लालवानी जैसे लोग अपने ही समाज के व्यक्ति के लिए चार लाइन लिख सके। महापौर को भी कालरा की याद सीएम के ट्वीट के बाद आई। 
दो नंबर पर गृहण लगा हुआ है
आपराधिक कार्यकर्ताओं को संरक्षण देने की इंदौर-2 के विधायक रमेश मेंदोला की आदत उनके लिए गृहण साबित हो रही है। जिसके आगे उनकी व्यक्तिगत चमक फिकी पड़ जाती है। 2004 से 2024 तक जितनी भी परिषद रही, किसी न किसी पार्षद की हरकत उनके गले की फांस बनती रही। यही वजह है कि रिकार्ड मतों से जीत के बावजूद पार्टी उन्हें बड़ा मौका देने लायक नहीं समझती।  
तीखे प्रहार से हिली इंदौर-2 की जमीन 
इस पूरे घटनाक्रम में एक ही चेहरा हीरो बनकर उभरा। वो था एकलव्य गौड़। जिसके तीखे शाब्दिक तीरों ने बड़े-बड़े सियासतदानों का मुंह बंद कर दिया। एकल्व्य ही थे जो अकेले डटे थे। डटे हैं। जीतू की गिरफ्तारी तक डटे भी रहेंगे। यह कहना भी गलत नहीं होगा कि एकलव्य ने इंदौर-2 के जमें जकड़े नेताओं की जमीन भी हिला दी। एकल्व्य खुलकर जीतू का समर्थन करने वाले नेताओं के खिलाफ ऐलान-ए-जंग कर चुके हैं।

बहू की फर्जी साइन करके करवाता रहा काम, झूठा शपथ-पत्र देकर बना पार्षद


सामने आने लगे जीतू देवतवार(जाटव) के झूठ दर झूठ
11 अपराध दर्ज है, शपथ-पत्र में बताए दो
परिषद की बैठकों में एक साल भी नहीं आई थी पूर्व पार्षद प्रिया यादव
इंदौर. विनोद शर्मा ।
भाजपा पार्षद कमलेश कालरा के घर गुंडे भेजने वाले पार्षद जीतू जाटव (देवतवार) बड़े जादूगर निकले। उनके खिलाफ 11 आपराधिक मामले दर्ज हैं लेकिन नामांकन में शपथ-पत्र देकर बताए सिर्फ दो मामले। इतना ही नहीं पिछली बार छोटे भाई की पत्नी प्रिया यादव को पार्षद बनाया था लेकिन पूरी पार्षदी जीतू जाटव ने की। प्रिया ने कुछ समय बाद ही जाटव परिवार और निगम से नाता तोड़ दिया था। ऐसे में यह भी जांच का विषय है 2015 से 2022 तक प्रिया यादव के साइन किसने किए। 
 प्रिया यादव ने कांग्रेस की उम्मीद्वार कुसुम मरमट को हराया था। इसके बाद मरमट ने प्रिया के जाति प्रमाण-पत्र को चुनौती दी थी। मरमट का आरोप था कि संविधान के अनुसार जाति का निर्धारण जन्म के समय से होता है। इस लिहाज से प्रिया यादव की जाति अन्य पिछड़ा वर्ग है, लेकिन उन्होंने खुद को शेड्यूल कास्ट (एससी) का बताते हुए टिकट लिया। प्रतिपरीक्षण के दौरान यादव ने स्वीकार किया कि उन्होंने महू में स्कूल में पढऩे के दौरान अनूसुचित जनजाति कोर्ट की स्कॉलरशिप हासिल की थी। हालांकि यह भी कहा, चुनाव लड़ते समय आयोग को गलत या झूठी जानकारी नहीं दी। वार्ड 24 अनुसूचित जाति के प्रत्याशी के लिए आरक्षित था। यादव ने खुद को अनुसूचित जाति का बताकर नामांकन पत्र दाखिल किया, जबकि उनके स्कूली शिक्षा के दस्तावेज में वर्ग अनुसूचित जनजाति दर्ज है।
 इसके बाद जाटव परिवार में कुछ विवाद हुआ। कुछ समय तक नगर निगम में जाने के बाद प्रिया यादव ने निगम जाना बंद कर दिया। बताया जा रहा है कि जाटव का घर भी छोड़ दिया था। इसके बाद भी वार्ड में 20 करोड़ से ज्यादा काम हुए थे। ये काम जीतू ने प्रिया की जगह दस्तखत करके मंजूर कराए और कराए थे। इसकी पुष्टी नगर निगम के परिषद सम्मेलन का हाजिरी रजिस्टर भी करता है। जिसमें 2015-16 में ही प्रिया के दस्तखत है। उसके बाद नहीं। 
झूठा शपथ-पत्र देकर लड़ा चुनाव 
भाजपा से छह साल के लिए निष्काशित होने और एमआईसी से हटाए जाने के बाद जीतू जाटव निर्दलीय पार्षद बचे हैं। ऐसे में अब चुनाव के दौरान उनके द्वारा दायर शपथ-पत्र सार्वजनिक हो रहा है जिसमें उन्होंने अपराध वाले कॉलम में स्वीकारा है कि उन पर दो अपराध दायर हैं वहीं पुलिस ने पिछले दिनों जो सूची जारी कि उसमें जीतू पर 11 अपराध दर्ज हैं। इसका सीधा मतलब है कि जीतू ने अपने शपथ-पत्र में नौ अपराध छिपाए। 
जीतू यादव पर दर्ज हैं 11 मामले
अपराध क्र. थाना
1-108/1999 परदेशीपुरा
2-141/1999 परदेशीपुरा
3-112/2005 परदेशीपुरा
4-217/2005 परदेशीपुरा
5-960/2005 संयोगितागंज
6-28/2010 परदेशीपुरा
7-178/2010 परदेशीपुरा
8-257/2011 परदेशीपुरा
9-64/17 परदेशीपुरा
10-303/19 परदेशीपुरा
11-17/10 परदेशीपुरा
(जीतू पर शहर के दो थानों में 11 केस है। 10 केस परदेशीपुरा ओर। संयोगितागंज थाने में है। उस पर चाकूबाजी, जुआ खेलने, हत्या का प्रयास, लूट का प्रयास करने, सरकारी अधिकारियों को धमकाने, बलवा, हत्या के प्रयास के भी केस दर्ज है। उसके अपराध देख पुलिस बाउंडओवर भी कह चुकी है।)

चप्पे-चप्पे पर छाया जीतू आज ढूंढे नहीं मिल रहा है

क्या से क्या हो गए देखते-देखते.... 

विनोद शर्मा 

वक्त दिखाई नहीं देता है, पर बहुत कुछ दिखा जाता है ! कुछ यही हाल है पार्षद जीतू देवतवार उर्फ जीतू जाटव, उर्फ जीतू यादव के। एक महीने पहले जन्मदिन पर जिस जीतू के होर्डिंग-बैनर पोस्टर शहर के चप्पे-चप्पे पर नजर आते थे, आज उसी जीतू को पुलिस ढूंढ रही है। जीतू तो जीतू...उसके गुर्गे भी भागते फिर रहे हैं पुलिस के डर से। 
 पार्षद कमलेश कालरा को अपनी ताकत का अहसास कराने की जिद ने जीतू को कहीं का नहीं छोड़ा। सोचा नहीं था कि कालरा को 'जीतू यादव क्या चीज है' ये समझाना उसे और उसके गुर्गों को इतना भारी पड़ेगा कि कोई साथ देने वाला नहीं मिलेगा। गुस्से में जिस संगठन को चुल्हें में जाए कहा था उसी संगठन ने सारा गुरुर उतार दिया। इंदौर के धांकदार राजनीतिक आकाओं की शह के बावजूद पार्टी ने छह साल के लिए बाहर का रास्ता दिखाया तो दूसरी तरफ महापौरे ने एमआईसी से।
 मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के तेवर तल्ख है। उनके आदेश पर गठित हुई एसआईटी ने 40 में से 29 हमलावरों को चिह्नित कर लिया है। वहीं 15 गिरफ्तार हो चुके हैं। बाकि को फरार करार देकर ईनाम घोषित किया जा रहा है। जीतू की हरकत से पूरे प्रदेश का सिंधी समाज नाराज है। खंडवा में अर्धनग्न होकर सिंधी समाज ने अपनी नाराजगी का इजहार भी किया। इससे पुलिस पर कार्रवाई का दबाव भी बढ़ गया है। पुलिस बयान लेना चाहती है लेकिन जीतू है कि गायब है। या यूं कहें कि फरार है। पकड़े गए आरोपियों से पूछताछ हो रही है। फरारों की तलाश के लिए पांच टीमें बना दी गई। जो जगह-जगह छापेमारी कर रही है। 
 पुलिस की मानें तो मामला संगीन है। जीतू जल्द पेश नहीं हुआ तो उसे भी आरोपी बनाकर गिरफ्तार किया जा सकता है। पूरी जांच फास्ट ट्रेक पर है। एसआईटी को 15 दिन का वक्त दिया था। सात दिन बीत चुके हैं। अब तक ऐसे कई फुटेज सामने आए हैं जो उस दिन की तानाशाही की गवाही दे रहे हैं। फिर भले कालरा के घर पर हंगामेबाजी हो या फिर कारों के काफिले से कहर बरपाना। 
संगठन को नहीं मिल पाए सेनापति 
जीतू जाटव की जुनुन ने न सिर्फ उनकी मुश्किलें बढ़ाई है बल्कि उन नेताओं को भी संगठन के सामने सीना तानकर खड़े रहने लायक नहीं छोड़ा है। 11 अपराध दर्ज होने के बावजूद जिन नेताओं ने जीतू को टिकट दिलाकर पार्षद बनाया आज वे अपने बूते पर भाजपा का नगर अध्यक्ष और जिला अध्यक्ष नहीं बनवा पा रहे हैं। यदि उनकी चली होती तो अब तक संगठन को सेनापति मिल चुके होते लेकिन जितने नाम इनकी ओर से चलाए जा रहे हैं उन्हें लेकर सीएम सहित संगठन के पदाधिकारी सहमत कम है। इसीलिए फैसला अटका हुआ है। सुलह-समझाइश की कोशिशें जारी है। 
तीन और गिरफ्तार...
पुलिस ने शैलेंद्र दीपक जरिया, गोलू उर्फ अभिजीत आदिवाल, धीरज शिंदे और संतोष कमरिया को गिरफ्तार कर लिया है।

नगर-जिला अध्यक्ष को लेकर दिनभर उड़ी अफवाहें, चलती रहे खबरें

 
दिनभर टीनू छाए तो शाम को जिराती निकल के सामने आए
विजयवर्गीय के लिए नाक का विषय बना अपनी पसंद अध्यक्ष 
इंदौर. विनोद शर्मा । 
62 में से 56 जगह के नगर और जिला अध्यक्षों के नाम की घोषणा हो चुकी है। इंदौर नगर और जिला सहित छह जगह के अध्यक्ष को लेकर फैसला हो नहीं हो पा रहा है। मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव और मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के बीच चल रहे शीतयुद्ध का हवाला देते हुए कुछ कहते हैं कि विजयवर्गीय के चलाए नाम चल जाते तो अब तक चल जाते। दूसरी तरफ शहर में दिनभर विजयवर्गीय की वजनदारी बताते हुए कभी दीपक जैन टीनू का नाम तय माना जाता रहा तो कभी कहा गया कि कैलाशजी अब पूर्व विधायक जीतू जिराती के लिए अड़ गए। 
 अलग-अलग चरणों में भाजपा 56 नगर व जिलाध्यक्षों के नाम की घोषणा कर चुकी है। अभी छह जगह बची है। इनमें निवाड़ी, छिंदवाड़ा, टीकमगढ़ और नरसिंहपुर के साथ इंदौर भी शामिल है। जहां न नगर अध्यक्ष का नाम तय हुआ है। न यह कि जिला अध्यक्ष चिंटू वर्मा को दोबारा मौका दिया जा सकता है। यूं तो इन नगर अध्यक्ष और शहर अध्यक्ष को लेकर कई महीनों से मारामारी मची है। दीपक जैन टीनू मंत्री विजयवर्गीय के भरोसे अपना नाम तय मानकर चल रहे थे। इसी बीच जिराती समर्थकों ने यह कहकर टीनू की टेंशन बढ़ा दी कि कैलाशजी ने जीतू का नाम आगे कर दिया है।
 सुबह से लेकर शाम तक जिसका जैसा मन किया, वैसा मैसेज बनाया और सोशल मीडिया पर वायरल करता रहा। नगर अध्यक्ष की दौड़ में शामिल मुकेश राजावत की तरफ से टीनू को लेकर एक कविता भी वायरल हो गई। जिस पर राजावत ने भी ऐतराज जताया और अपनी सफाई में कहा कि टीनू मेरा छोटा भाई है। 
ऐसे चलते रहे मैसेज-दर-मैसेज 
सबसे पहली खबर 12.30 बजे वायरल हुई। जब कहा गया कि संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा और विजयवर्गीय के बीच बंद कमरे में बैठक हो चुकी है और टीनू का नाम करीब-करीब तय है। दोपहर 1 बजे एक सर्वे सामने आया। जिसमें नगर अध्यक्ष के रूप में जिराती, राजावत, हरिनारायण यादव और सुमित मिश्रा में टीनू को सबसे ज्यादा लोगों ने पसंद किया। 1.30 बजे कुछ उत्साहितों ने कॉन्फिडेंस के साथ लिखा कि कैलाशजी के आशीर्वाद से टीनू के सिर सजेगा ताज। 1.45 बजे मैसेज आया कि हर दिग्गज चाहता है अपना जिला अध्यक्ष इसीलिए नहीं हो पा रहा है कुछ तय। 
शाम को जिराती पड़े भारी 
टीनू खुश हो पाते उससे पहले ही शाम 5 बजे बाजी पलट गई। खबर आने लगी कि विजयवर्गीय ने नगर अध्यक्ष के लिए जीतू जिराती की पेरवी की है। दूसरी तरफ कुछ लोगों ने एमआईसी सदस्य बबलू शर्मा के भाई शानू शर्मा का नाम चला दिया। 
विजयवर्गीय अकेले नहीं है इंदौर में...
अपनी पसंद का नगर अध्यक्ष और जिला अध्यक्ष बनाने में सिर्फ मंत्री कैलाश विजयवर्गीय की रूचि नहीं है। मंत्री तुलसीराम सिलावट, विधायक उषा ठाकुर, मालिनी गौड़ के साथ ही कांग्रेस से भाजपा में आए विशाल पटेल जैसे नेता भी नहीं चाहते कि चिंटू वर्मा की वापसी हो। ये सभी अपने-अपने समर्थकों के नाम बढ़ा रहे हैं। चूंकि इनमें विजयवर्गीय का वजन ज्यादा है इसीलिए वो जिसका नाम लेते हैं उसे लेकर मैसेज चलने लग जाता है। भले ही उन्होंने उक्त नाम की आवाज किसी ओर काम से लगाई हो।

नाबालिग दुल्हन को ससुराल भेजा दुल्हे पर लादे केस, भेजा जेल

चंद्रावतिगंज पुलिस का कारनामा

सास-ससूर के साथ जेल के बाहर दुल्हे के बाहर आने का इंतजार कर रही है दुल्हन
आरोप : लड़का-लड़की वालों के बीच हो गया था समझौता, एक लाख न मिलने पर पुलिस ने निकाली खीज
इंदौर. विनोद शर्मा ।  
देश में 'गांधी' की ऐसी आंधी चल रही है कि आप किसी भी सरकारी कर्मचारी से मनचाहा कोई भी काम करा लो। खासकर पुलिस से। इसका उदाहरण है चंद्रावतिगंज थाना। जहां के चमत्कारी पुलिस अधिकारियों ने भागकर शादी करने वाली एक नाबालिग लड़की को ससुराल तो भेज दिया लेकिन दुश्कर्म का केस दर्ज करके दुल्हे को जेल भेज दिया। वो भी सिर्फ इसीलिए क्योंकि लड़के का परिवार एसआई साहब को एक लाख रुपए नहीं दे पाया। वहीं एक-दूसरे मामले में 14 साल की लड़की 32 साल के लड़के के साथ भागी। मां-बाप ने पुलिस को शिकायत की लेकिन पुलिस ने दूर का भाई बताकर लड़की लड़के को ही सौंप दी।
 मामला चंद्रावतिगंज थाने का है। जहां सेमदा निवासी सुनील चंद्रवंशी (18 साल) और दयाखेड़ा निवासी पूजा (परिवर्तित नाम) 11 दिसंबर 2024 को घर से भाग गए थे। भागकर दोनों ने शादी कर ली। इस बीच लड़की के माता-पिता ने थाने में लड़की की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। 1 जनवरी को सुनील-पुजा दोनों जैसे ही सेमदा पहुंचे। परिवार के लोग थाने ले गए। जहां लड़की वाले भी आ गए। दोनों परिवारों के बीच लम्बी बातचीत चली। पुलिस के पूछने पर पूजा ने कहा उसने मनमर्जी से शादी की है। वह सुनील के साथ ही रहना चाहती है। उसके माता-पिता ने कहा कि साहब इसे ससुराल ही भेज दो, हमें कोई दिक्कत नहीं। इसके बाद पुलिस ने पूजा को ससुराल वालों के हवाले कर दिया लेकिन सुनील को थाने में ही बैठा लिया। 
 इसके बाद सुनील को लेकर परिवार पर दबाव बनाया। मामला-रफादफा करना है तो एक लाख रुपए लगेंगे। इसके बाद इंदौर से कुछ लोग पहुंचे उन्होंने पुलिस से बात की। परिवार की आर्थिक स्थिति बताकर 25 हजार रुपए का ऑफर दिया। जिस पर नाराज होकर पुलिसकर्मियों ने कहा कि बात से पलटना भारी पड़ेगा। इसके बाद लड़की का मेडिकल कराया। लड़की के बयान के बावजूद उसके माता-पिता की पुरानी शिकायत पर सुनील पर बीएनएस की धारा 137(2), 87, 64(2) और एमबीएनएस 5एल/6 पाक्सो एक्ट लगा दिया। इसमें पुलिस ने लड़की के बयान का हवाला देते हुए कहा कि सुनील उसे बहला-फुसलाकर ले गया था। शादी का झांसा देकर शारीरिक संबंध बनाए।  
 बाद में पुलिस ने अपर सत्र न्यायाधीश सांवेर के समक्ष प्रस्तुत किया। कोर्ट ने पुलिस की कहानी सुनते हुए सुनील को जेल भेज दिया। पिछले 10 दिन से पूजा सहित पूरा परिवार कभी जेल के चक्कर काटता है तो कभी थाने के। न पुलिस उनकी सुनने को तैयार है। न ही कोई और। रो-रोकर पूजा का हाल बेहाल है। सुनील की मां की आंखें भी पथरा गई है। पिता की मजदूरी छूट गई है।
दोनों के आधार कार्ड में जन्मतिथि 2006
लड़के और लड़की वाले दोनों ही इस समय सुनील को बचाने में लगे हैं। दोनों ने दोनों के आधार कार्ड पुलिस को दिए। जिसमें दोनों की जन्म तिथि 2006 की है। इसका मतलब दोनों की उम्र 18 से ज्यादा है। जवाब में पुलिस ने पूजा की पांचवी की मार्कशीट पेश कर दी जिसमें उसकी जन्मतिथि 2008 लिखी है। ये मार्कशीट लड़की के पिता ने तब दी जब उन्होंने शिकायत की थी। 
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1.5 लाख लेकर 32 साल के 'भाई' को सौंप दी 14 साल की लड़की
चंद्रावति गंज का दूसरा मामला भी रोचक है। जहां कमल नाम का एक व्यक्ति लम्बे समय से 14 साल की अपनी नाबालिग बेटी की अभिरक्षा मांग रहा है। चूंकि कमल के खिलाफ उसी की पत्नी की शिकायत पर 10-12 मामले दर्ज है इसीलिए पुलिस उसे धमका के भगा देती है। कमल का आरोप है कि चंद्रावतिगंज में रहने वाली एक महिला का देवास निवासी 32 वर्षीय भाई मेरी 14 साल की बेटी को भगाकर ले गया था। जिसके सीसीटीवी फुटेज में पुलिस को दे चुका हूं। पुलिस लड़की को ढूंढ लाई थी। रातभर मेरी पत्नी और दो अन्य महिलाओं के साथ थाने पर रखा। दूसरे दिन मुझे गरियाते हुए पुलिसकर्मियों ने थाने से भगा दिया। मुझे या मेरी पत्नी को अभिरक्षा देने के बजाय पुलिस ने यह कहते हुए मेरी 14 साल की बेटी को उस आदमी को सौंप दिया जिसके साथ वह भागी थी। कमल का आरोप है कि इस मामले में पुलिस ने 1.5 लाख का लेनदेन किया।

'नाक' पर अटकी नगर अध्यक्ष-जिलाध्यक्ष की कुर्सी


अपने ही शहर में अकेले पड़े विजयवर्गीय
तिखी कलम
विनोद शर्मा  

इंदौर में भाजपा के नगर अध्यक्ष और जिला अध्यक्ष की लिस्ट आज शाम तक आ जाएगी...। पिछले तीन दिन से यह बात सुनी और पढ़ी जा रही है...। लिस्ट है कि जारी नहीं हो रही..। वजह है स्वयं मंत्री और मालवा के कद्दावर नेता कैलाश विजयवर्गीय..। जिन्हें अपनी पसंद का जिलाध्यक्ष और नगर अध्यक्ष बनाने में इस बार उनके ही सहयोगी नेताओं ने जोर कर दिए हैं...। दूसरे शब्दों में ये भी कहा जा सकता है कि नगर अध्यक्ष और जिला अध्यक्ष की लड़ाई में वे अकेले पड़ गए हैं..। हालांकि अपनी आदत के अनुसार विजयवर्गीय आखिर तक हार नहीं मानने को तैयार नहीं है..। जिलाध्यक्ष और नगर अध्यक्ष का चयन उनकी प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गया है..।
 62 में से 56 जिलों के नगर व जिलाध्यक्षों की घोषणा पार्टी कर चुकी है। इंदौर नगर-जिला अध्यक्ष सहित चार जिलों का फैसला और होना है। 2023 के विधानसभा चुनाव में स्वयं को राष्ट्रीय स्तर का नेता बताकर विजयवर्गीय ने प्रदेश की राजनीति में वापसी की थी। इसमें कोई संदेह नहीं कि मालवा-निमाड़ में उनके कद का कोई दूसरा नेता नहीं है। चिंटू वर्मा को जिलाध्यक्ष बनाने के साथ ही संजय शुक्ला और विशाल पटेल जैसे कांग्रेस नेताओं को तोड़कर वे ये साबित भी कर चुके हैं। 
  सियासत में समय बदलते देर नहीं लगती। शायद यही वजह है कि 12.40 लाख पौधे रोपकर देश-दुनिया में छाए विजयवर्गीय चिंटू को दोबारा जिलाध्यक्ष बनाने और नगर में अपनी पसंद का अध्यक्ष बनाने के लिए पसीना बहा रहे हैं। इसी को लेकर विजयवर्गीय और सिंधिया गुट के मंत्री तुलसीराम सिलावट के बीच भी ठनी हुई है। सिलावट ने अंतर दयाल जैसे मैदानी कार्यकर्ता का नाम आगे बढ़ाकर चिंटू के साथ ही विजयवर्गीय की मुश्किल भी बढ़ा दी।
जुबान ने बिगाड़ा खेल...
इंदौर के सियासी समीक्षकों की मानें तो विजयवर्गीय बढ़बोलेपन में विवादित बयान देने में माहिर है। फिर भले चुनाव के दौरान देपालपुर विधायक मनोज पटेल के बारे में कुछ भला-बूरा कहना हो या फिर विधायक उषा ठाकुर को। उनके कारिंदे इस मामले में और उनसे दो कदम आगे हैं। जिन्होंने डॉ.मोहन यादव के सीएम बनने के बाद शहर में चिंटू ने ऐसे कटाउट लगा दिए थे जिनमें यादव को विजयवर्गीय ने एक बांह में ऐसे भर रखा है। जैसे कोई कार्यकर्ता हो। इससे खफा होकर सीएम ने 24 घंटे में सभी कटाउट हटवा दिए थे। बात ये भी हुई कि यादव का टिकट बॉस ने ही फाइनल करवाया है। इन्हीं बातों से सीएम से विजयवर्गीय की बात बिगड़ी। 
कांग्रेसी सीखाएंगे कैसे चलेगी बीजेपी
चर्चा में एक बात और है। जिसकी कहीं पुष्टी तो नहीं है लेकिन आग की तरह फैली हुई है। बात यह है कि जब चिंटू वर्मा की दावेदारी का मंत्री तुलसीराम सिलावट ने विरोध किया तो विजयवर्गीय ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कह दिया कि अब कल के आए कांग्रेसी हमें सीखाएंगे कि बीजेपी में जिलाध्यक्ष कौन बनेगा? ये बात न सिर्फ सिलावट बल्कि सिंधिया तक पहुंची। सिंधिया से सीएम व पीएम तक। भाजपा पार्षद कमलेश कालरा और जीतू यादव विवाद ने रही-सही कसर भी पूरी कर दी। 
अकेले खड़े हैं कैलाश...
नगर अध्यक्ष और जिला अध्यक्ष को लेकर जारी तनातनी में अभी की स्थिति में विजयवर्गीय अकेले खड़े हैं। मंत्री तुलसीराम सिलावट, विधायक मनोज पटेल, उषा ठाकुर, मालिनी गौड़ और गोलू शुक्ला की राय उनसे मेल नहीं खाती। ऊपर से मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इंदौर जिले के प्रभार के साथ वीटो पॉवर भी अपने पास रख लिए हैं। ये तो तय है कि विजयवर्गीय की पसंद से दोनों नाम तो तय नहीं होंगे। हुआ भी तो कोई एक। चिंटू से मोह छोड़े या फिर टीनू जैन से।

पहले एक लाख की बात की, अब तुम 10 हजार दिखा रहे हो... सब्जी की दुकान नहीं थाना है.. समझे...


चंद्रावतिगंज की एसआई जोड़ी ने पैसे की बात बिगड़ने पर लगाई सुनील पर संगीन धाराएं, बोले अब जमानत कराकर दिखा दो
इंदौर. विनोद शर्मा । 
नाबालिग दुल्हन को ससुराल भेजने और दुल्हे पर दुश्कर्म और पॉक्सो जैसी संगीन धाराओं में फंसाकर जेल भेजने के मामले में चंद्रावतिगंज थाने के एसआई कृष्णा पदामकर और विकास राठौर की भूमिका सामने आई है। इस मामले में हिंदुस्तान मेल के हाथ रिकार्ड लगी है जिसमें दोनों ने पैसे न देने पर दुल्हे को फंसाने की बात कही थी। 
 11 दिसंबर को पूजा और सुनील साथ भागे थे। भागकर शादी कर ली थी। 1 जनवरी को परिवार ने दोनों को थाने में पेश कर दिया था। पुलिस ने उनके पेश होने से पहले ही लड़के के परिवार पर एक लाख रुपए देने का दबाव बनाना शुरू कर दिया था। पहले गांव के दो लोगों के द्वारा बातचीत की गई। रकम बड़ी थी। लड़के के पिता देने में अक्षम थे। इसीलिए मामला इंदौर निवासी जितेंद्र यादव को बताया गया। यादव ने 30 दिसंबर की रात 8.45 बजे एसआई पदमाकर से बात की। 40 सेकंड बातचीत हुई। जिसमें तय हुआ कि 31 दिसंबर को थाने में मुलाकात होगी। 
 31 दिसंबर को दोपहर 12.19 बजे फिर जितेंद्र की पदमाकर से 17 सेकंड बातचीत हुई। इसमें पदामकर ने कहा कि थाने में ही आ जाओ, यहीं बात करेंगे। जितेंद्र और इंदौर जनपद सदस्य मुकेश यादव थाने पहुंचे। थाने में पदमाकर और राठौर दोनों थे। पदमाकर से दोनों ने पूछा चलों पैसे की बातचीत करने के बाद क्या होगा? पदमाकर ने कहा लड़के को लिखा-पढ़ी करके थाने से ही छोड़ देंगे। लड़की के मामले में कह देंगे कि वह मामा के यहां चली गई थी। कोर्ट में उसके बयान करा देंगे। दोनों बरी हो जाएंगे। केस भी नहीं होगा।  
 पदमाकर ने विकास की ओर इशारा करते हुए कहा बाकि बात इनसे कर लो। राठौर ने कहा जितेंद्र पत्रकार है इसीलिए उनसे बात नहीं करेंगे। इसीलिए वह कमरे में जनपद सदस्य को ले गया। दो अन्य भी थे। विकास ने कहा कितने पैसे दे देंगे। मुकेश ने कहा परिवार गरीब है। आपकी सेवा-पानी करा देंगे। विकास ने कहा सेवा-पानी मतलब। मुकेश ने मोबाइल पर टाइप करके 10 हजार बताए। विकास तिलमिला गया। पदमाकर से बात करने चला गया। फिर आकर बोला गांव के लोग पहले एक लाख रुपए की बात करके गए थे। अब तुम 10 हजार की बात कर रहे हैं। सब्जी-भाजी बिक रही है क्या यहां? कोई मदद नहीं होगी। जाओ अब तुम सुनील को बचाकर दिखाओ।  
 जितेंद्र 1 जनवरी को दोबारा थाने गए। दोपहर 2 बजे 31 सेकंड बात हुई। इस बार जितेंद्र ने कहा कि फाइनल बात कर लेते हैं। इस पर दोनों ने मुलाकात की। जितेंद्र ने कहा कि घर के जेवर बेचकर भी 25 हजार रुपए जुटा पाएंगे। इससे ज्यादा नहीं हो पाएगा। पदमाकर-राठौर ने कहा कि तुम रहने दो, तुम्हारे बस की बात नहीं है। हम देख लेंगे, हमें क्या करना है? ऐसे कोई मदद होती है क्या? 
फिर दोनों ने करके दिखा दिया...
1 जनवरी वही दिन था जब सुनील और पूजा थाने में पेश हुए थे, परिवार के साथ। पूजा के शादी करने और सुनील के साथ ही रहने की जिद पर परिवार झूग गया, माता-पिता-भाई ने कहा कि साहब ठिक है ये जब शादी कर चुकी है तो इसे ससुराल ही जाने दो। हमें कोई दिक्कत नहीं है। चूंकि लेनदेन की बात बिगड़ चुकी थी इसीलिए पदमाकर-राठौर ने पहले सांवेर अस्पताल में पूजा का मेडिकल कराया और फिर उसे ससुराल भेज दिया लेकिन सुनील को थाने में ही रखकर उस पर संगीन धाराएं बढ़ा दी ताकि उसकी जल्दी जमानत न हो। इनमें से एक है पॉक्सो। 
मैंने कोई शिकायत नहीं की...
पुलिस ने जिस पूजा से दुश्कर्म की कहानी गढ़कर सुनील को जेल पहुंचाया है उसका कहना है कि मैंने दुश्कर्म की कोई बात नहीं की। मुझे सुनील अच्छा लगता है। इसीलिए हमने रजामंदी से शादी की। शादी के बाद एक बार शारीरिक संबंध बने थे, वह भी दोनों की मर्जी से बने। मैंने पुलिस से कोई शिकायत नहीं की।

दिल पर हाथ रखकर कहो कि गरीबों की गुमटियां रौंदकर तुमने अच्छा किया?


कभी तुम्हारी शह पर ही चहकी थी चौपाटी
 

विनोद शर्मा 
 
इंदौर में राजनीति का स्तर लगातार गिरता जा रहा है..। पहले पार्षद से पार्षद की लड़ाई हुई...। फिर विधायक से विधायक की ठनी। जो ठंडी भी नहीं हुई...। अब दादा-भैया के कहने पर नगर निगम ने मेघदूत चौपाटी से हटाई दुकानों को बुलडोजर से रौंदकर नया बखेड़ा खड़ा कर दिया...। पीली गैंग ने नेताओं की नौकरी बजाकर...गरीबों के पेट पर लात मार दी...। एक बात तो तय है कि जिस किसी के भी कहने पर गुमटियों को मटियामेट किया गया है वह भी अपने सीने पर हाथ रखकर इस तरह की कार्रवाई को जायज तो नहीं कह सकता..। 
 मेघदूत की जिस चौपाटी को नगर निगम ने हटाया था। जायज या नाजायज रूप से बसाया तो निगम के ही नुमाइंदों ने था। कभी किस नेता के कहने पर गुमटी लगी। कभी किस नेता के कहने पर। कभी कौन नेता आया वसूली हफ्ता वसूली करने? तो कभी कौन? अपनी रोजी-रोटी जमीं रहे ! इसी सोच के साथ दुकानदारों ने भी सबकी जेब भरी। क्या नेता...क्या निगमकर्मी... यहां तक कि पुलिस वालों और बिजलीकर्मियों की भी बंदी बंध गई थी...। सबको तय समय पर अपना सामान मिल रहा था। तब तक न दुकानों से सिस्टम को कोई दिक्कत हुई। रात को दुकानें बंद कराने के लिए बेतरतीब पार्किंग के बीच पुलिस को गाड़ी निकालने में जोर आजमाना पड़ता था....'गांधीजी' रास्ता साफ करते रहे...। 
 करोड़ों की लागत से बनी सर्विस रोड हो या मैन रोड उन पर गुमटी-ठेले की हिमायत न हिंदुस्तान मेल करता है, न ही कोई सभ्य शहरी। फिर भी 24 घंटे के अल्टीमेटम पर मात्र इसलिए गुमटियों को रौंदना पड़े कि दुकानदारों की मदद के लिए कांग्रेस के नेता आने लगे हैं तो यह कार्रवाई गलत है। वह भी सूरज की पहली किरण के साथ शुरू हुई। नेता प्रतिपक्ष चिंटू चौकसे का समर्थन लेने और विधानसभा के नेताप्रतिपक्ष उमंग सिंगार को बुलाने की सजा दुकानदारों को ऐसी दी जाए? यह कहां का न्याय है। 
 दुकानदार अपनी दुकान बचाने के लिए चीखते रहे, चिल्लाते रहे। बिलखते रहे। रूंधाते रहे। निगम ने नहीं सुना। न उनकी तरफ देखा। कोई बिखरा सामान समेटता रहा तो कोई निगम का बुलडोजर हटने के बाद अपनी दुकान के अवशेष् बचाता रहा। 
 दुकानें लगते वक्त ही उन्हें रोक दिया जाता तो इतनी दुकानें नहीं लगती। न ही दादा-भैया करके लोग गुमटियों पर लाखों रुपए की जमापूंजी खर्च करते। न किसी को यह उम्मीद होती कि यह चौपाटी उनका घर चला देगी। यदि दुकानदारों में यह विश्वास बना था तो इसकी वजह भी नगर निगम ही था जो लगातार दुकानदारों की हिमाकत तो नेताओं की शह पर नजरअंदाज करते आ रहा था। इसीलिए एमबीए-बीबीए किए हुए युवा भी गुमटी से स्टार्टअप के सपना संजोकर बैठ गए थे जिन्हें निगम ने नेस्तनाबूत कर दिया।

लोकायुक्त जांचने लगा 67 इमारतों की मनमानी

बीओ-बीआई की कमाई, मंत्री तक पर बन आई 

8.79 लाख वर्गफीट की अनुमति, निर्माण हुआ 17.13 लाख वर्गफीट
8.74 लाख वर्गफीट अतिरिक्त निर्माण करके निगम को दिया 12 करोड़ का फटका
अफसरों की जेब भरकर बिल्डरों ने पर्मिशन रख दी किनारे 
इंदौर. विनोद शर्मा ।  
अवैध निर्माण और निर्माणकर्ता को संरक्षण देना नगर निगम के अफसरों में पूराना रिवाज है। राजनीतिक संरक्षण का नाम देकर बिल्डिंगें कैसे बचाई जाए? इसमें उन्हें महारथ है। ऐसी ही शिकायतों को नजरअंदाज करके अफसर खुद तो फसते ही हैं लेकिन उनकी हरकते इंदौर से भोपाल तक में बैठे जनप्रतिनिधियों को भी उलझा देती है। इसका उदाहरण हैं पूर्व पार्षद परमानंद सिसोदिया की शिकायत। जिस पर बीओ-बीआई से लेकर संभागायुक्त तक महापौर से लेकर मंत्री कैलाश विजयवर्गीय तक के खिलाफ लोकायुक्त ने केस दर्ज करके जांच शुरू कर दी है। 
 सिसोदिया ने मई 2024 में लोकायुक्त को शिकायत की थी। शिकायत में उन्होंने शहर के विभिन्न जोन में बनी 67 इमारतों में हुए अवैध निर्माण की जानकारी दी है। आरोप है कि इन इमारतों को नगर निगम ने 8 लाख 39 हजार 134 वर्गफीट निर्माण की अनुमति दी थी। इसके विपरीत रोड सेटबैक, मार्जिनल ओपन स्पेस (एमओएस), फुटपाथ, पार्किंग की जमीन पर कब्जा करके करीब 17 लाख 13 हजार 216 वर्गफीट निर्माण किया गया है। जो मंजूर निर्माण से तकरीबन 8 लाख 74 हजार 082 वर्गफीट अधिक और अवैध है। 
 मतलब मंजूर निर्माण से औसतन 204 प्रतिशत अधिक निर्माण करके बिल्डरों ने न सिर्फ शहर में भविष्य के लिए पार्किंग-यातायात की समस्या को बढ़ाया है बल्कि 8.74 लाख वर्गफीट अतिरिक्त निर्माण करके नगर निगम को भी तकरीबन 12 करोड़ रुपए की आर्थिक क्षति पहुंचाई है। 
 सिसोदिया बताते हैं कि जिस तरह नगर निगम ने संपत्ति कर और जल कर की जोनवार दरें बना रखी है। उसी तरह भवन अनुज्ञा का शुल्क भी तय है। ऐसे में यदि निर्माणकर्ता मंजूरी से 200 प्रतिशत अधिक और अवैध निर्माण करते हैं इसका है कि मनमानी पर आमादा बिल्डरों ने जानबुझकर अनुमति कम ली ताकि फीस कम चुकाना पड़े और निर्माण ज्यादा किया। इनकी साजिश से आर्थिक बोझ से दबी जा रही नगर निगम को 12 करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान हुआ है। 
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शिकायत में इन बिल्डरों के नाम...
धर्मादेवी रियल एस्टेट : ये कंपनी डॉ. नरेश डोडेजा की है। लॉर्ड शिवा रेसीडेंसी, शिव नेस्ट, सेवक एवेन्यू, राज नेस्ट अपार्टमेंट जैसे आधा दर्जन प्रोजेक्ट पर काम किया है। इसमें 193091 वर्गफीट की अनुमति लेकर कुल 392031 वर्गफीट निर्माण किया है। मतलब 198940 वर्गफीट अधिक और अवैध निर्माण किया है। 
विशाल बिल्डर : ये कंपनी भीषमलाल मदान की है। विशाल एमिनेंट, विशाल पैलेस, मानस एन्क्लेव, विशाल पैराडाइज, विशाल अरबन, ववियााल ग्रीन अपार्टमेंट जैसे 13 प्रोजेक्ट पर काम किया है। कर रहा है। कंपनी को कुल 247054 वर्गफीट निर्माण की मंजूरी दी। काम हुआ 485580 वर्गफीट निर्माण किया। जो 238526 वर्गफीट अधिक और अवैध है। 
राजकुमार पिता जमनादास लालवानी : कंपनी स्नेहा रेसीडेंसी, स्नेहा कार्नर, सनव्यू रेसीडेंसी, स्टारलिंग टॉवर, स्नेहा प्लाजा, आकांक्षा ट्रेड हाउस जैसे 12 प्रोजेक्ट पर काम किया। कर रही है। कुल 223052 वर्गफीट की अनुमति ली थी लेकिन मौके पर 207918 वर्गफीट निर्माण अधिक और अवैध किया है। 
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इन बिल्डरों के भी नाम है :- सत्यनारायण बाहेती (बड़ा सराफा), निलेश बाहेती (गाडराखेड़ी), सीमा अरविंद माहेश्वरी (वायएन रोड), महेश उमेश डेमला(मॉडल टाउन), वर्षा दिलीप गुरनानी (रूपरामनगर), शोभा ओमप्रकाश (वायएन रोड), महेंद्र सुरेंद्र सुराना (वायएन रोड)। 
अफसरों का मिलाजुला खेल
अनुमति के बाद बिल्डिंग अनुमति के अनुसार ही बन रही है इसकी निगरानी रखने की जिम्मेदारी भवन निरीक्षक और भवन अधिकारी की है। जो हर जोन पर नियुक्त है। भवन निरीक्षक और भवन अधिकारी सही काम कर रहे हैं या नहीं? ये देखने का काम अपर आयुक्त और फिर आयुक्त है। चूंकि अधिकारी अवैध निर्माण और निर्माणकर्ता को यह कहकर संरक्षण देते हैं कि राजनीतिक दबाव आ गया था। कभी किसी विधायक का नाम गिना दिया तो कभी किसी मंत्री का नाम। 
जैसे 16/2 साउथ तुकोगंज पर बन रहे आर.आर. बिजनेस पार्क में भवन अनुज्ञा नगर निगम द्वारा निरस्त किए जाने के बावजूद मौके पर काम चल रहा है। पर्दा डालकर। टीन शेड लगाकर। अब नगर निगम अफसरों के दिमाग में भर दिया गया है कि अब मार्केट में मंत्री विजयवर्गीय के करीबी भागीदार है इसीलिए काम को जारी रखा जाए। शिकायत में इसका भी जिक्र है। 
इसीलिए विजयवर्गीय के खिलाफ भी दर्ज प्रकरण
चूंकि कैलाश विजयवर्गीय नगरीय प्रशासन मंत्री हैं और नगर निगम उनके ही मंत्रालय का हिस्सा है। नगर निगम में व्याप्त भ्रष्टाचार को लेकर उन्हें सख्ती करना चाहिए थी लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। इसीलिए अफसरों की मनमानी जारी रही। ऐसे में 11 दिसंबर 2024 को लोकायुक्त ने जो प्रकरण (131/ई/2024) दर्ज किया है उसमें भी विभागीय मंत्री कैलाश विजयवर्गीय और अन्य अधिकारी लिखा है। 
कार्रवाई, भैया कोई सुनने को तैयार नहीं  
भवन निर्माण की अनुमति और निगरानी को लेकर नगर निगम के पास अपना मैदानी सिस्टम है। इसके बाद भी बिल्डिंगें मनमानी बन रही है, मतलब सिस्टम सेट है। पहली बात तो यह कि जब आपके पास दी गई अनुमति है और मौके पर बन रहा है वो आपको भी दिख रहा है फिर शिकायत का इंतजार क्यों होता है। मैंने बीओ-बीआई, अपर आयुक्त, आयुक्त, कलेक्टर, संभागायुक्त सबको शिकायत की लेकिन सुनवाई नहीं हुई। कार्रवाई तो दूर की बात है। कार्रवाई वहीं होती है जहां मामला सेट नहीं होता। जहां

ट्रायल में ही फेल हो गया डायवर्शन

देवास नाका फ्लाईओवर

एक घंटे का प्रयोग, 15 मिनट में हटाना पड़ी बेरिगेटिंग
शहर के पहले चौराहे पर भारी यातायात ने किया चकरघिन्नी 
इंदौर. विनोद शर्मा । 
देवास नाका पर फ्लाईओवर बनाने के नाम पर एमपीआरडीसी ने पूर्व उत्तरी इंदौर की नाक में दम कर दिया है। हालत यह है कि राजाराम ढाबे के सामने देवास की ओर जाने वाली लेन बंद करके ट्रेफिक को लोहामंडी की ओर डायवर्ट करने में यातायात पुलिस के हाथ-पांव फूल गए। एक घंटे के लिए जो ट्रायल होना था लेकिन 15 मिनट में ही पुलिस को बैरिगेटिंग हटाना पड़ी। यातायात पुलिस की मानें तो डायवर्शन में कंपनी को जो मार्किंग करना थी, नहीं की। मार्शल भी ऐसे बच्चों जैसे भेज दिए, वे ट्रेफिक संभाल ही नहीं पाते। 
 बीआरटीएस तोड़ा जा चुका है। आईबस स्टॉफ तोड़ दिया। एक हिस्से के पिलर खड़े हो गए। दूसरे हिस्से में होना है। अब कंपनी देवास की ओर काम शुरू करने वाली है। इसके लिए देवास की ओर जाने वाले वाहनों को स्कीम-114 भाग-1 के चौराहे से लोहामंडी होते हुए सीकेडी होते हुए एबी रोड से जोड़ा जाना है। सोमवार की शाम 4.30 बजे यातायात पुलिस ने देवास की ओर वाली लेन टिनशेड लगाकर बंद कर दी थी। पूरा ट्रेफिक लोहामंडी की ओर डायवर्ट किया जाना था। ये काम इतना आसान नहीं था, जितना यातायात पुलिस ने समझा था। अंतत: 15 मिनट की आपाधापी के बाद बेरिंगेटिंग हटा दी गई। 
 ट्रेफिक एसआई आशा यादव ने बताया यह दूसरा ट्रायल था। पहले ट्रायल में जो समस्याएं आई थी वे दूसरे में थोड़ी कम हुई। यातायात का दबाव बहुत ज्यादा है। जिससे थोड़ी मुश्किल हो रही है। 
ट्रायल में क्यों हुए फेल....
देवास नाका फ्लाईओवर वही कंपनी बना रही है जो मुसाखेड़ी फ्लाईओवर भी बना रही है। वहां जिस तरह से बेरिंगेटिंग और मार्किंग की गई है वैसी देवास नाके पर नहीं की गई। 
ट्रायल के दौरान तकरीबन आठ यातायात पुलिस के जवान थे और बाकि आधा दर्जन मार्शल थे जिन्हें कंपनी ने भेजा था। ये मार्शल नौसीखिए हैं और देवासनाके जैसे चौराहे पर डायवर्शन तेड़ी खीर है। 
नगर निगम....
लोहामंडी में डिवाइडर में जो चाय-नाश्ते और पंचर की गुमटियां लगी है उन्हें निगम को हटाना पड़ेगा, तभी सड़क पर दोनों तरफ खड़े ट्रकों की कतार भी हटेगी। 
लोहामंडी से सीकेडी के बीच सड़क चौड़ी है लेकिन गुमटी-ठेले और अवैध पार्किंग के कारण बड़े वाहनों का देवास की ओर टर्न लेना मुश्किल है। 
देवास नाका की ओर से लिंक रोड की ओर जो सर्विस रोड की प्रस्तावित जमीन है उसके आधे हिस्से को सड़क में तब्दील करना चाहिए जो नहीं किया जा रहा है। इससे वाहनों को चलने के लिए जगह ज्यादा मिलेगी, जाम कम लगेगा। 
एमपीआरडीसी को जिम्मेदारों की तलाश 
फ्लाईओवर के लिए 18 महीने का वक्त तय किया था। शिलान्यास के छह महीने बाद काम शुरू हुआ। अप्रैल 2024 से काम चल रहा है। नौ महीने हो चुके हैं। 50 प्रतिशत समय खत्म हो गया लेकिन काम 25 प्रतिशत भी नहीं हुआ। कंपनी पर कसावट के बदले अधिकारी कभी आईबस स्टॉप तोड़ने में हुई देर पर प्राधिकरण को कोसते हैं तो कभी भू-अधिग्रहण के बावजूद देवास नाका की ओर के कब्जे हटाने में नगर निगम को नाकाम बताते हैं। 
देवास से इंदौर लेन का प्लान
देवास से इंदौर की ओर आने वाले वाहनों को एमआर-11 से राजाराम ढाबे के पीछे स्थित कांकड़ से रिंग रोड पर जोड़ा जाएगा। इसके लिए खुदाई शुरू हो चुकी है लेकिन जो खुदाई चल रही है उसके हिसाब से सड़क कम चौड़ी बनेगी। जिसे रिंग रोड जाना है उसे दिक्कत नहीं है। जिसे इंदौर की ओर जाना होगा, वह परेशान होगा। क्योंकि यहां सिग्नल नहीं है। उल्टा, बांबे हॉस्पिटल की तरफ से ट्रेफिक तेज आता है। ऐसे में यहां भी अवैध मटन मार्केट हटाकर नगर निगम को सड़क चौड़ी करना पड़ेगी।

3041.496 किलो चांदी तस्करी में 14 आरोपियों में से 9 दोषी


दो-दो साल की सजा, पांच-पांच हजार का अर्थदंड
विशेष अदालत ने 27 साल बाद सुनाया फैसला
इंदौर. विनोद शर्मा ।
तीन हजार किलो से ज्यादा विदेशी चांदी की तस्करी के मामले में विशेष न्यायालय (सीबीआई एवं आर्थिक अपराध) ने 27 साल बाद फैसला दिया है। कोर्ट ने 14 में से 9 लोगों को तस्करी के साथ ही टैक्स चोरी का दोषी माना। सभी दोषियों को 2-2 साल की सश्रम कैद और 5-5 हजार रुपए के अर्थदंड की सजा सुनाई है। 
 विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीबीआई एवं आथिर्क अपराध) जय कुमार जैन ने 1997 में सेंट्रल एक्साइज एंड कस्टम विभाग के सहायक आयुक्त (प्रिवेंटिव) द्वारा दायर परिवाद की सुनवाई के बाद मंगलवार को फैसला दिया। तेली बाखल निवासी ओमप्रकाश नीमा, शिक्षकनगर निवासी नितिन कुमार सोनी, शिक्षकनगर निवासी अमन सोनी, उषानगर निवासी सुरेश (सूरज) कतलाना, गणेशनगर निवासी दिनेश कतलाना और मंदसौर निवासी अमरलाल पिता कन्हैयालाल, आगरा निवासी मधुसूदन मिश्रा, फिरोजाबाद निवासी शशीपाल मिश्रा, कोलकाता निवासी अमरीक सिंह को सीमाशुल्क अधिनियम 1962 की धारा 135 के तहत दोषी माना गया। इन्हें दो-दो के कारावास और 5-5 हजार रुपए के अर्थदंड की सजा दी गई। अर्थदंड न चुकाने पर दो महीने अतिरिक्त कारावास में रहना होगा।  
 कोर्ट ने कहा कि मामले का फैसला होने में 27 साल लग गए हैं। आज की स्थिति में सभी आरोपी तकरीबन 55 से 65 साल के हो चुके हैं। इसीलिए इन्हें तीन साल की न्यूनतम सजा में से कम सजा दी जा रही है।  
आधी रात को दी थी दबिश 
आदेश के अनुसार मामला 27 फरवरी 1992 का है। जब रात 2 बजे केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क के अधिकारियों ने मुखबिर की सूचना पर 42ए और 43 सी सेक्टर ई सांवेर रोड औद्योगिक क्षेत्र में दबिश दी थी। कार्रवाई के दौरान विदेश मार्का वाली चांदी बड़ी मात्रा में लाई गई थी। तलाशी के दौरान परिसर में खड़े एक ट्रक (ओआर-04-3735) में तीन व्यक्ति (अमरीक सिंह उर्फ सतनाम सिंह, कलविंदर सिंह व रामसिंह) बैठे मिले। अमरीक ने स्वयं को ट्रक मालिक बताया। कलविंदर ने खालसी और रामसिंह ने ड्राइवर होना बताया। अमन सोनी और शशीपाल मिश्रा चांदी के पाट उतार रहे थे। परिसर के पीछे की तरफ एक शेड में कच्ची जमीन पर एक गड्ढा था। जहां ओमप्रकाश नीमा खड़ा था। चांदी ट्रक के पिछले हिस्से में कृत्रिम दीवार खड़ी करके उसकी आड़ में रखी गई थी। 
भट्टी में पाट गलाकर ईंट बनाते थे 
कार्रवाई के दौरान ट्रक से 9 चांदी के पाट मिले। गड्ढे से 71 पाट मिले। भट्टी के पास से 6 पाट मिले। वहां मधुसूदन और सुरेशचंद्र थे। गलाई भट्टी में दो तौल कांटे, चांदी के चौरसे बनाने के 100 सांचे, ग्रेल करल के कपड़ों की थैलियां, संडासी, हथौड़ी व अन्य औजार मिले। थैलियां चांदी के चौरसे भरने के काम आती थी। 
चांदी जब्त, कारखाना सील 
कंपनी नितिन सोनी की थी, उसने कहा काम नीमा करता है। जांच के दौरान मौके पर मारूती वैन से चार व्यक्ति कृष्ण गोपाल, अमरलाल, महेंद्र नीमा और दिनेश कतलाना बैठे मिले। दूसरी वैन में सूरज कतलाना, दीदार सिंह, हरदयाल सिंह थे। बाद में चांदी राजसात कर ली गई। वाहन व अन्य संसाधन जब्त करके कारखाना सील कर दिया गया था।
कहां से कितनी चांदी मिली थी 
कहां से बरामद पाट किलोग्राम
ट्रक से 9 304.795
गड्ढे से 71 2396.729 
भट्टी के बाहर से 4 134.611
भट्टी में से 6 205.351
कुल 90 3041.496 
तब 2 करोड़ की थी, आज 29 करोड़ की चांदी
तब चांदी की कीमत 8100 रुपए/किलोग्राम थी। उस हिसाब से 3041.493 किलोग्राम चांदी की कीमत 2 करोड़ 46 लाख 36 हजार 093 आंकी गई। अभी इसी चांदी की कीमत 28 करोड़ 89 लाख 42 हजार 120 की होती है। 
बोट के जरिए आई थी चांदी 
पूछताछ के बाद पता चला कि 22 फरवरी 1992 को हल्दिया से करीब 50 किलोमीटर दूर समुद्र के किनारे से एक बोट में से ये 90 पाट उतारकर इंदौर लाए गए थे। ट्रक 26 फरवरी 1992 को देवास नाका पहुंचा था। बाद में खालसी को एक आदमी सांवेर रोड स्थित कारखाने में ले गया था। 
सरकारी टकसाल भेजे 88 पाट 
जब्त की गए 90 पाट में से 2 करोड़ 40 लाख 98 हजार 845 रुपए की 2975.166 किलोग्राम (88 पाट) सरकारी टकसाल भेज दिए गए। 66.623 किलोग्राम के दो पाट नमूने के लिए रख लिए गए।

'सरकार' आपके मातहत लगा रहे हैं सरकारी जमीनों में सेंध


भूलसुधार के नाम पर खजराना की बेशकीमती सरकारी जमीन बिल्डर को सौंपने से विधायक खफा
कलेक्टर को चिट्ठी लिखकर बरसे 'बाबा' 

इंदौर. विनोद शर्मा । 
सरकारी जमीनों की बंदरबांट में प्रशासनिक अमले की भागीदारी से इंदौर-5 के विधायक महेंद्र हार्डिया 'बाबा' खासे नाराज हैं। उन्होंने कलेक्टर आशीष सिंह को तीखा पत्र लिखा। कहा कि आपके मतहत मनमानी पर आमादा है। अपने पद का दुरुपयोग करके बंदरबांट में बिल्डरों का साथ दे रहे हैं। जिसका उदाहरण है खजराना के सर्वे नंबर 543/1 की सरकारी जमीन। जिसे एसडीएम ने मेरी आपत्तियों को नजरअंदाज करते हुए भूल सुधार के नाम पर बिल्डर को सौंप दी। 
 बाबा की चिट्ठी 10 फरवरी को कलेक्टर ऑफिस में पहुंची। चिट्ठी में उन्होंने जूनी इंदौर के पूर्व और सांवेर के मौजूदा एसडीएम जगदीश धनगर की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने लिखा कि परमिशन लेने के लिए कॉलोनाइजर राकेश जैन ने निजी जमीन का खसरा 543/1 उत्तर दिशा में अपनी दूसरी जमीन से सटा हुआ बताया था।ब सीलिंग की सरकारी जमीन का खसरा 543/2 दक्षिण में दर्शाया। बाद में जांच हुई। उत्तर में 543/2 निकला। तब तक जैन वहां जी+6 बिल्डिंग बना चुका था। 
 बिल्डर लगातार कहता रहा कि गलत हम नहीं, राजस्व रिकार्ड है। कोर्ट ने प्रशासन से कहा था मामला बारीकि से देखें। गलती आपकी है तो सुधार लें। इसी पर जैन से भूलसुधार का आवेदन लिए बिना जो नहीं हुई वह भूल सुधार कर दी हार्डिया ने कहा कि मैंने पहले ही आपत्ति ली। मैंने लिखित में दिया कि जिस जमीन को जैन अब सरकारी बता रहा है वहां तो 30 साल से लोगों के घर बने हुए हैं। जिन्हें हासिए पर रखकर बिल्डर सरकारी जमीन हथियाना चाहता है। 
 मैंने एक बार नहीं, तीन बार पत्र लिखे। इन तीनों पत्रों की अवहेलना करके एसडीएम ने न सिर्फ बिल्डर को आर्थिक लाभ पहुंचाया है। बल्कि बस्ती उजाड़ने के षड़यंत्र में बिल्डर के सहभागी भी बने हैं। हद तो यह है कि एसडीएम और तहसीलदार ने मुझे मेरे पत्रों के जवाब तक देना उचित नहीं समझा। इसीलिए मुझे आपको चिट्ठी लिखना पड़ी। आपको भेजे वे पत्र अकसर आवक होकर गायब हो जाते हैं जिसमें सरकारी जमीन को बचाने की मांग की जाती है। आपके मैदानी को सिर्फ अपनी जैब की चिंता है, फिर भले सरकारी जमीन की कीमत 500 करोड़ से ज्यादा ही क्यों न हो। 20 जनवरी 2025 को तहसीलदार से मिला पत्र (क्र/156/रीडर/2025) भी करता है। 
गणेश की जमीन पर सरदार कहां से आया? 
हार्डिया ने दस्तावेजी प्रमाण देते हुए बताया कि सर्वे नंबर 543 की जमीन पहले गणेश पिता भागीरथ के नाम थी। सीलिंग शाखा में उसी के नाम से प्रकरण (675(20)/76-77) दर्ज हुआ था। 31 मई 1993 को यही प्रकरण सक्षम प्राधिकरी के समक्ष दर्ज हुआ। फिर ये जमीन सरदार पिता सुलेमान की कैसे हो गई। न त्रुटि सुधार प्रकरण में उक्त नाम का उल्लेख है। कंचन जैन-मीनाक्षी जैन कहती हैं सरदार से 1984 में जमीन खरीदी (प्र.152/90/सी-1/1983-84) बताई। 8 फरवरी 1993 को जिस प्रकरण पर त्रुटि सुधार हुआ था उसका नंबर 558/ए-90/ए/1/77-78 था। 
एसडीएम ने बस्ती वालों को क्यों नहीं सुना
जिस जमीन को एसडीएम ने सरकारी कर दिया है वहां 50 से ज्यादा लोगों के घर बने हैं। ऐसे में एसडीएम को त्रुटि सुधार से पहले कानूनन उन परिवारों को भी मौका देकर सुनवाई करना थी। ताकि पता चलता कि उनकी नौटरी पर क्या खसरा लिखा है। किसने और कैसे उन्हें बेची। और कंजन जैन से सरदार सुलेमान के पक्ष में हुआ विक्रय पत्र मांगना था क्योंकि उक्त अवधि में सीलिंग शाखा में प्रकरण दर्ज़ हो चुका था।
मुझे जानकारी तक देना उचित नहीं समझा
7 अक्टूबर 2023 को मैंने जानकारी मांगी। जो नहीं मिली। 20 जून 2024 को लोक सूचना अधिकारी ने जवाब देते हुए कहा कि तहसीलदार ने मामला जांच के लिए भेजा है। रिपोर्ट नहीं मिली। जबकि तहसीलदार और एसडीएम ने 1 फरवरी 2024 को प्रकरण की रिपोर्ट दे दी थी लेकिन मुझे 28 अगस्त 2024 तक रिपोर्ट की जानकारी नहीं दी।