Tuesday, October 7, 2025

केम्को पर 28 करोड़ का इनकम टैक्स बाकी


जेसवानी का कागजों से किनारा, फसे डायरेक्टर, जो असल में नौकर हैं 
इंदौर. विनोद शर्मा । 
जीआरवी बिस्किट प्रा.लि. नाम की कन्फेक्शनरी कंपनी हड़पने के आरोपों से घिरे संजय जेसवानी की केम्को च्यू फुड्स प्रा.लि. और उसकी सहयोगी कंपनियों पर इनकम टैक्स ने लगाम कसना शुरू कर दी है। इनकम टैक्स से प्राप्त जानकारी के अनुसार केम्को समूह पर तकरीबन 28 करोड़ रुपए का इनकम टैक्स बाकी है। विभागीय हिदायत के बावजूद कंपनी टैक्स चुका नहीं रही है। इसीलिए इनकम टैक्स ने अब नोटिस जारी करना शुरू कर दिए हैं। 
 कन्फेक्शनरी के धंधे में अच्छे-अच्छे को "चॉकलेट" चखा चुके जेसवानी अब किसी कंपनी में डायरेक्टर नहीं है। अब केम्को च्यू फुड्स प्रा.लि. में करतार सिंह और गिरीश वाधवानी डायरेक्टर है। इसी साल अंशु डेम्बला इस्तिफा दे चुकी हैं। कंपनी पर 2017 से 2024 तक तक इनकम टैक्स और इंट्रेस्टस्ट मिलाकर कुल 23.55 करोड़ रुपए टैक्स बकाया है। 

 इसी तरह समूह की दूसरी कंपनी केम्को मार्ट है। इस कंपनी से भी जेसवानी परिवार बाहर हो चुका है। अब नितिन जीवनानी और दिनेश मनवानी डायरेक्टर हैं। कंपनी पर 2024 का 21.07 लाख टैक्स और 1.47 लाख ब्याज बाकी है। तीसरी कंपनी है खालसा न्यूट्रिशियन प्रा.लि.। 103/4/2/1, 103/4/2/2 अमलीखेड़ा उज्जैन रोड के पते पर रजिस्टर्ड इस कंपनी पर इनकम टैक्स का 2.94 करोड़ बकाया है। कंपनी में दिनेश मनवानी के साथ संजय का भाई विजय जेसवानी डायरेक्टर है। 
 चौथी कंपनी है सुपरनेस फुड्स प्रा.लि। 67/2/2, SK-1 कम्पाउंड लसूडिया का पता। 1.20 करोड़ की अथॉराइज्ड कैपिटल और 1.11 करोड़ की पेडअप केपिटल वाली इस कंपनी पर 1 करोड़ 22 लाख 77 हजार 094 रुपए का इनकम टैक्स बाकी है। इस कंपनी में भी दिनेश मनवानी और गिरीश वाधवानी डायरेक्टर है।  
डायरेक्टरों की संपत्ति कुर्क करेगा आईटी... 
बैंकों की तरह इनकम टैक्स भी कंपनियों में क्रेडिटर रहता है। कंपनियों का एक्जिस्टेंस नहीं होता। कंपनी संबंधित निर्णय डायरेक्टर और बोर्ड लेते हैं। ऐसे में इनकम टैक्स अपनी रकम वसूल करने के लिए कंपनी के डायरेक्टरों व उन बोर्ड मैम्बरों की संपत्तियों को भी राजसात करता है जो उन फाइनेशियल ईअर में कंपनी के कर्ताधर्ता रहें हैं जबसे इनकम टैक्स बकाया है। 
यहां तो सब नौकर हैं.... 
दिनेश मनवानी, गिरीश वाधवानी, करतार सिंह, नितिन जीवनानी, इरफान अली सयैद और सम्मन अफरोज खान जैसे नौकर जिन्हें जेसवानी ने अपनी कॉलर बचाने के लिए डायरेक्टर बना रखा है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि इन लोगों से यदि इनकम टैक्स ने टैक्स वसूली शुरू की तो इनके तो बर्तन बिक जाएंगे, फिर भी कर्ज अदा नहीं होगा। वहीं जेसवानी मजे में रहेगा क्योंकि वह कागज पर नहीं है। ये बात अलग है कि इन्हें दुल्हा बनाकर मलाई वही खा रहा है।

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