जयपुर-रिंगस रोड का ठेका लेकर आर.इन्फ्रा ने सौंपा था महू की कंपनी को
बाद में पाथ के रास्ते गीत एक्जिम के खातों से दुबई तक पहुंचे थे 80 करोड़
इंदौर. विनोद शर्मा ।
अनिल अंबानी की आर.इन्फ्रा के चक्कर में महू की पाथ इंडिया पर प्रवर्तन निदेशालय ने छापेमार कार्रवाई की। अगस्त 2014 को पाथ पर हुई इनकम टैक्स की सर्च और आर.इन्फ्रा के खिलाफ सेबी की जांच में हुए खुलासों के आधार पर कार्रवाई हुई। बताया जा रहा है कि दोनों कंपनियों की जुगत ने तकरीबन 700 करोड़ की हेराफेरी और 100 करोड़ के अंतरराष्ट्रीय हवाले को अंजाम दिया था।
हिंदुस्तान मेल की छानबीन में पता चला कि पाथ और अग्रोहा इन्फ्रास्ट्रक्चर के खिलाफ इनकम टैक्स ने 27 अगस्त 2014 में छापा मारा था। 1 सितंबर को दोनों कंपनियों ने संयुक्त रूप से 75 करोड़ की अघोषित आय सरेंडर की थी। 2015 की शुरूआत में इनकम टैक्स ने एक रिपोर्ट भोपाल-दिल्ली भेजी। रिपोर्ट के मुताबिक अक्टूबर 2009 में आर-इन्फ्रा को मिले 53 किलोमीटर लंबे एनएच-11 (जयपुर-रींगस रोड) के ठेके का काम पाथ ने पूरा किया। मुंबई निवासी नरेश मांगीलाल दवे और सैफुद्दीन अब्बासभाई कपाड़िया की कंपनी गीत एक्जिम प्रा.लि. को पाथ ने मई और जून 2010 में अलग-अलग किश्त में 80 करोड़ का भुगतान किया। ये रकम तत्काल दुबई पहुंच गई।
कैसे हुआ खुलासा...
पाथ के छापे में जयपुर-रींगस रोड की फाइल मिली। फाइल में आर.इन्फ्रा और गीत एक्जिम की डिटेल मिली। चूंकि पैसा पाथ से गीत के पास गया था इसीलिए आयकर की टीम ने गीत के ठिकानों पर भी सर्वे किया। जानकारी गोपनीय रखी गई। सर्वे में पता चला गीत डमी कंपनी है। कोई अस्त्वि नहीं है। जैसा पाथ ने बताया था। सर्वे के दौरान गीत के संचालकों ने कहा कि वे न पाथ को जानते हैं, न ही आर इन्फ्रा को। उन्होंने कमीश्न के लालच में अपना बैंक अकाउंट मुंबई के ही कुछ लोगों को इस्तेमाल के लिए दे दिया था।
20 डमी कंपनियों में लगा पैसा
इसके बाद आयकर ने आईएनजी वैश्य बैंक (जंजीरवाला चौराहा) पर शिकंजा कसा। परिणाम स्वरूप गीत जैसी 20 कंपनियां सामने आई। जिनके डेड अकाउंट इस्तेमाल करके भारतीय पैसा दुबई भेजा गया। मामले में आयकर ने बैंक अधिकारियों के बयान भी रिकार्ड किए।
24 से 48 घंटों में चैन के रास्ते देश का पैसा बाहर
अधिकारी यह देखकर हैरान थे कि एक जगह से दूसरी जगह चला पैसा, 24 से 48 घंटों में कैसे अलग-अलग कंपनियों के रास्ते विदेश पहुंच गया। मामले में आईएनजी वैश्य बैंक, की मुंबई शाखा की भूमिका भी संदिग्ध मिली।
यूं समझे रिलायंस की भूमिका पर उठे सवालों को...
- एनएचएआई ने जयपुर-रींगस का ठेका आर-इन्फ्रा को दिया था। आर.इन्फ्रा ने 20 अक्टूबर 2009 को विज्ञप्ती जारी करके इसकी विधिवत घोषणा कर दी। प्रोजेक्ट को अंजाम देने के लिए आर-इन्फ्रा ने 9 दिसंबर 2009 को जयपुर रींगस टोल रोड प्रा.लि. (जेआरटीआरपीएल) कंपनी पंजीबद्ध कराई। इस कंपनी का एनएचएआई के साथ अनुबंध हुआ 19 फरवरी 2010 को।
- मार्च-अपै्रल 2010 में जेआरटीआरपीएल ने महू की पाथ इंडिया से अनुबंध किया और सड़क बनाने की जिम्मेदारी उसे सौंप दी। काम मिलते ही मई और जून में सात अलग-अलग किश्तों में पाथ ने सूरत के पते पर पंजीबद्ध गीत एक्जिम प्रा.लि. को 80 करोड़ का भुगतान कर दिया।
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