नई शुरुआत, अवैध कॉलोनियों के गढ़ बनी बिचौली हप्सी तहसील से
इंदौर. विनोद शर्मा ।
इंदौर में अवैध कॉलोनियों पर लगाम कसने के लिए कलेक्टर आशीष सिंह ने बुधवार को कड़ा निर्णय लिया। तय किया जिन अवैध कॉलोनियों को लेकर पिछले दिनों प्रशासन ने कानूनी कार्रवाई की है उन कॉलोनियों की रजिस्ट्रियां भी रद्द होगी। इसकी शुरुआत बिचौली हप्सी तहसील से होगी। जिसे अफसरों की जुगलबंदी और भू-माफियाओं की जोड़ी ने अवैध कॉलोनी का गढ़ बना दिया है।
बिचौली हप्सी तहसील में देवगुराड़िया, दुधिया, बिचौली मर्दाना, सनावदिया, बिहाड़िया, जामनिया खुर्द जैसे गांव आते हैं। जहां वैध कॉलोनियों के नक्शे कदम पर अवैध कॉलोनियां कट रही है। 1100 से 2100 रुपए वर्गफीट में लोगों को प्लॉट बेचे जा रहे हैं। इन कॉलोनियों में सड़क हैं, बगीचे हैं, सीवरेज है। बस अनुमति नहीं है। पिछले डेढ़ साल में कलेक्टर आशीष सिंह के आदेश पर क्षेत्र के एक दर्जन भू-माफियाओं पर एफआईआर हुुई लेकिन कॉलोनियों में रजिस्ट्री होती रही। प्लॉट बिकते रहे। मकान बनते रहे।
इस मामले में हिंदुस्तान मेल लगातार आवाज और सवाल उठाता रहा कि क्या केस दर्ज करके भू-माफियाओं को रजिस्ट्री करने की छूट दे दी है। इसीलिए मामले को गंभीरता से लेते हुए कलेक्टर सिंह ने अब यह भी स्पष्ट कर दिया है कि जिन अवैध कॉलोनियों को लेकर पूर्व में भू-माफियाओं पर केस दर्ज कराए जा चुके हैं या कराए जा रहे हैं, उन कॉलोनियों की रजिस्ट्री शुन्य कराई जाएगी। इसकी शुरुआत बिचौली हप्सी तहसील से ही होगी।
कमाई पर चोट जरूरी...
इंदौर में अब तक जितनी अवैध कॉलोनियों के मामले में कानूनी कार्रवाई हुई उनमें से एक भी ऐसी नहीं है जिसे प्रशासन बसने से रोक पाया हो।
यहां प्रकरण दर्ज होने, जेल जाने और जमानत पर छूटने को ही भू-माफिया अवैध कॉलोनी काटने का सरकारी लाइसेंस मान लेते हैं।
जमीन निजी हो...। भू-उपयोग ग्रीन बेल्ट हो या कृषि या एअरपोर्ट ही अवैध कॉलोनियों में प्लॉटों की बिक्री प्रतिबंधित कभी नहीं हुई। इसीलिए भू-माफिया के खिलाफ केस दर्ज होने के बाद भी कॉलोनियां बसती रही।
सिंह का नया सिस्टम...
यह पहला मौका है जब कलेक्टर आशीष सिंह ने नई पहल करते हुए भू-माफियाओं की कमाई पर चोट की है। क्योंकि यदि रजिस्ट्री ही रद्द होने लगेगी तो खरीदार भी अवैध कॉलोनियों में प्लॉट खरीदने से बचेंगे। जब प्लॉट ही नहीं बिकेंगे तो भू-माफियाओं की कमाई कैसे होगी?
फिर भी सावधानी जरूरी...
रजिस्ट्री रद्द कराकर भी प्रशासन अवैध कॉलोनियों पर अंकुश तब तक नहीं लगा सकता जब तक जमीन की सेटेलाइट मैपिंग करके रिकार्ड उन सभी विभागों में साझा नहीं होगा, जिनकी कॉलोनी में जरूरत होती है। जैसे नगर निगम, बिजली कंपनी, नर्मदा परियोजना, पंचायत। सेटेलाइट मैपिंग से प्रशासन भी हिसाब रख सकेगा कि केस दर्ज कराने तक कॉलोनी कितनी जमीन पर विकसित थी, कितने मकान बने हुए थे। ऐसा होगा तब ही भू-माफिया नोटरी भी नहीं कर पाएंगे।
इन कॉलोनाइजरों पर हुई एफआईआर
गांव भू-माफिया प्लॉट बेचे
सनावदिया अतुल अग्रवाल 27
सनावदिया शुभम सोनकर 35
जामनिया खुर्द अनिल पिता श्याम 33
जामनिया खुर्द राकेश यादव 40
मोरोद आशीष वर्मा 17
मोरोद इंदर सिंह 20
बिहाड़िया वासुदेव भागीरथ 17
उमरिया रामनारायण 16
तिल्लौर खुर्द सचिन पाटीदार 20
अतुल अग्रवाल बड़ा खिलाड़ी
सनावदिया में अतुल अग्रवाल ने खदान रोड पर दो कॉलोनी और बिहाड़िया रोड पर कैंब्रिज स्कूल के पास बड़ी कॉलोनी काट रखी है। जिसका नक्शा फार्म हाउस के नाम पर पास हुआ था। दो-तीन बार एफआइआर हो चुकी है लेकिन अतुल की वाटिकाओं में प्लॉटों की बिक्री जारी है। बढ़ियाकीमा में शिव वाटिका पर काम जारी है। इसी क्रम में विकास सोनकर भी है, जो भी बिहाड़िया में दो-तीन अवैध कॉलोनी काट चुका है।
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