इंदौर. चीफ रिपोर्टर ।
नौ मीटर चौड़ी सड़क को 12 मीटर चौड़ी बताकर टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग के अधिकारियों ने जिस होराइजन प्रीमियम गुलमोहर ग्यांस पार्क नाम की टाउनशीप को मंजूरी दी उसमें बड़े पैमाने पर अवैध निर्माण हुआ है। बावजूद इसके नगर निगम के अधिकारी बिल्डर राजू टेकचंदानी और निखिल कोठारी की मनमानी को नजरअंदाज करते आ रहे हैं। शायद, इसीलिए अब तक किसी तरह की कार्रवाई नहीं की गई।
प्रीमियम गुलमोहर ग्यांस पार्क में हुई मनमानी का खुलासा दबंग दुनिया ने गुरुवार को ‘सड़क फैलाकर मंजूर कर दी छह मंजिला इमारत’ शीर्षक से प्रकाशित समाचार में किया था। खबर छपने के बाद नगर निगम तो हरकत में नहीं आई लेकिन टेकचंदानी ने जरूर नगर निगम के आला अधिकारियों व जिम्मेदारों के घर के चक्कर काटना शुरू कर दिए। उधर, लोकायुक्त में पहुंची शिकायत के अनुसार जितनी चौड़ी सड़क मौके पर थी उतनी के हिसाब से बिल्डिंग 40 फीट ऊंची बन सकती थी लेकिन अधिकारियों के खेल ने इसे 60 फीट की ऊंचाई दे दी।
निगम की टीएंडसीपी की मनमानी की पुष्टि
34 मार्च 2008 को टीएंडसीपी ने नियमों को नजरअंदाज करते हुए तीन ब्लॉक वाली इस छह मंजिला इमारत को मंजूरी दी। नगर निगम ने सड़क की चौड़ाई पर कोई आपत्ति नहीं ली। बस व्यक्तिगत लाभ अर्जित करते हुए नगर निगम के अधिकारियों ने बिल्डिंग बनाने वाली सूर्य शक्ति गृह निर्माण सहकारी संस्था को दो अतिरिक्त मंजिल बनाने की अनुमति दे दी। भवन निर्माण समिति की अनुसंशा (130/12 जनवरी 2010) पर भवन अनुज्ञा(25076) 25 जनवरी 2010 को जा की गई जो कि 15 जनवरी 2013 तक ही वैध थी। बावजूद इसके अधिकारियों से मिली खुली छूट के कारण अब तक मौके पर निर्माण किया जा रहा है।
नपती करके करें कार्रवाई
शिकायतकर्ता ने लोकायुक्त से मांग की है कि टीएंडसीपी और नगर निगम द्वारा नियमों को नजरअंदाज करते हुए दी गई अनुमतियों की बारीकी से जांच हो। बिल्डिंग की नपती कराई जाए ताकि अवैध निर्माण भी सामने आए जो कि बड़े पैमाने पर हुआ है। इस मामले में मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान को भी पत्र लिखकर राजू टेकचंदानी व निखिल कोठारी के लाइसेंस रद्द करने व प्रकोष्ठ की बिक्री पर रोक लगाने की मांग की गई है।
पजेशन में भी परेशानी
टेकचंदानी ने जो बिल्डिंग बनाई उसके लिए लोगों से 24 महीने में पजेशन का वादा करके पैसे लिए गए थे लेकिन बिल्डिंग बनते-बनते छह साल हो चुके हैं। अब तक किसी एक फ्लैट में भी पजेशन नहीं दिया गया। शो-पीस की तरह दिखाने के लिए बनाए गए आधे-अधूरे फ्लैट को छोड़कर बाकी फ्लैट में टाइल्स तक भी नहीं लगी है।
नौ मीटर चौड़ी सड़क को 12 मीटर चौड़ी बताकर टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग के अधिकारियों ने जिस होराइजन प्रीमियम गुलमोहर ग्यांस पार्क नाम की टाउनशीप को मंजूरी दी उसमें बड़े पैमाने पर अवैध निर्माण हुआ है। बावजूद इसके नगर निगम के अधिकारी बिल्डर राजू टेकचंदानी और निखिल कोठारी की मनमानी को नजरअंदाज करते आ रहे हैं। शायद, इसीलिए अब तक किसी तरह की कार्रवाई नहीं की गई।
प्रीमियम गुलमोहर ग्यांस पार्क में हुई मनमानी का खुलासा दबंग दुनिया ने गुरुवार को ‘सड़क फैलाकर मंजूर कर दी छह मंजिला इमारत’ शीर्षक से प्रकाशित समाचार में किया था। खबर छपने के बाद नगर निगम तो हरकत में नहीं आई लेकिन टेकचंदानी ने जरूर नगर निगम के आला अधिकारियों व जिम्मेदारों के घर के चक्कर काटना शुरू कर दिए। उधर, लोकायुक्त में पहुंची शिकायत के अनुसार जितनी चौड़ी सड़क मौके पर थी उतनी के हिसाब से बिल्डिंग 40 फीट ऊंची बन सकती थी लेकिन अधिकारियों के खेल ने इसे 60 फीट की ऊंचाई दे दी।
निगम की टीएंडसीपी की मनमानी की पुष्टि
34 मार्च 2008 को टीएंडसीपी ने नियमों को नजरअंदाज करते हुए तीन ब्लॉक वाली इस छह मंजिला इमारत को मंजूरी दी। नगर निगम ने सड़क की चौड़ाई पर कोई आपत्ति नहीं ली। बस व्यक्तिगत लाभ अर्जित करते हुए नगर निगम के अधिकारियों ने बिल्डिंग बनाने वाली सूर्य शक्ति गृह निर्माण सहकारी संस्था को दो अतिरिक्त मंजिल बनाने की अनुमति दे दी। भवन निर्माण समिति की अनुसंशा (130/12 जनवरी 2010) पर भवन अनुज्ञा(25076) 25 जनवरी 2010 को जा की गई जो कि 15 जनवरी 2013 तक ही वैध थी। बावजूद इसके अधिकारियों से मिली खुली छूट के कारण अब तक मौके पर निर्माण किया जा रहा है।
नपती करके करें कार्रवाई
शिकायतकर्ता ने लोकायुक्त से मांग की है कि टीएंडसीपी और नगर निगम द्वारा नियमों को नजरअंदाज करते हुए दी गई अनुमतियों की बारीकी से जांच हो। बिल्डिंग की नपती कराई जाए ताकि अवैध निर्माण भी सामने आए जो कि बड़े पैमाने पर हुआ है। इस मामले में मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान को भी पत्र लिखकर राजू टेकचंदानी व निखिल कोठारी के लाइसेंस रद्द करने व प्रकोष्ठ की बिक्री पर रोक लगाने की मांग की गई है।
पजेशन में भी परेशानी
टेकचंदानी ने जो बिल्डिंग बनाई उसके लिए लोगों से 24 महीने में पजेशन का वादा करके पैसे लिए गए थे लेकिन बिल्डिंग बनते-बनते छह साल हो चुके हैं। अब तक किसी एक फ्लैट में भी पजेशन नहीं दिया गया। शो-पीस की तरह दिखाने के लिए बनाए गए आधे-अधूरे फ्लैट को छोड़कर बाकी फ्लैट में टाइल्स तक भी नहीं लगी है।