Wednesday, May 11, 2016

13 नहीं 16 अखाड़ों से होगा सिंहस्थ 2016 sinhastha

- तीन अखाड़ों में से किसी को नहीं मिली 14वें अखाड़े की भी पात्रता, विवाद जारी
उज्जैन से विनोद शर्मा । 
पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी, श्री पंचायती आनंद अखाड़ा, श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा, श्री पंचदशनाम आवाहन अखाड़ा जैसे 13 अखाड़े ही सिंहस्थ की प्रमुख पहचान रहे हैं लेकिन इस सिंहस्थ के लिए उज्जैन में कुल 16 अखाड़े डेरा डालकर बैठे हैं। 14वें अखाड़े के रूप में अपनी-अपनी दावेदारी जता रहे इन तीन अखाड़ों को भले 13 प्रमुख अखाड़ें और उनके संतों ने मान्यता न दी हो लेकिन लोगों में उनकी पूछपरख बढ़ी है। 
देश में अभी तक 13 अखाड़े हैं। इनमें 10 शैव और तीन वैष्णव अखाड़े हैं। सिंहस्थ 2016 में जन्में तीन नए अखाड़ो में शाही स्नान के लिए संतों द्वारा बहिष्कृत किया जा चुÞका किन्नर अखाड़ा, जनवरी से अपनी तंत्र क्रियाओं से चर्चा में आई तांत्रिक शिवानी दुर्गा का सम्मानसर्वेश्वरी शक्ति अंतरराष्ट्रीय महिला अखाड़ा और साधवी त्रिकाल भवंता का परि संपदाय महिला अखाड़ा शामिल है। इन तीनों में से अब तक किसी एक अखाड़े को भी चौदहवे अखाड़े के रूप में 13 प्रमुख अखाड़ों से शाही स्नान की अनुमति नहीं मिली है। अनुमति का इंतजार करने के बजाय इन अखाड़ों ने भी मेला क्षेत्र में अपनी छाप छोड़ने की तैयारी कर ली है। कोई बड़ा भारी पांडाल बना रहा है तो कोई किसी की विद्या श्रृद्धालुओं को आकर्षित कर रही है। 
परि अखाड़ा 
2014 में प्रयाग में महिला अखाड़ा बना। वेदमाता गायत्री इस अखाड़े की देवी और भगवान दत्तात्रेय अखाड़े के आचार्य बनाए गए। देश में साधु-संतों के अखाड़ों के इतिहास में 858 साल बाद एक नया अखाड़ा जुड़ा। अखाड़े की नींव साधवी त्रिकाल भंवता ने रखी उनका पट्टाभिषेक 150 साल पहले बने दशनामी अखाड़े की तर्ज पर हुआ। इस अखाड़े ने प्रयाग और नासिक कुंभ में भी स्नान किया है। 
कमजोरी : महिला संतों की संख्या कम है। दूसरे अखाड़ों की तरह भव्यता नहीं। कौने में मिला प्लॉट। संसाधन की जंग जारी।
ताकत : दो वर्षों से 14वें अखाड़े के लिए सबसे सशक्त दावेदारी। 2015 में नासिक कुंभ के दौरान त्रिकाल भंवता ने मुख्यमंत्री के सामने मुखरता से रखी थी बात। यहां भी लड़कर जमीन ली। हाईकोर्ट से सुविधाओं में बराबरी की जंग जीती।
क्या कहती हैं त्रिकाल भंवता
13 अखाड़े एक साथ तो बने नहीं। जब 12 के बाद 13वें अखाड़े को मान्यता मिल सकती है तो 858 साल बाद बने परी अखाड़े को मान्यता देने से क्यों परहेज है। हर क्षेत्र में महिलाएं पुरुषों के साथ कदम से कदम मिला रही है तो यहां पुरुषों के परम्परागत अखाड़े में महिला सन्यासियां बेचारगी क्यों सहे। क्यों उनके साथ चिलम धुनके। क्यों उनके नियम पाले। 
किन्नर अखाड़ा 
यह अखाड़ा 2015 में बना। लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी इसके प्रमुख हैं। शुरूआत से ही इस अखाड़े को 14वें अखाड़े के रूप में मान्यता देने का विरोध हो रहा है। अब तक विवाद नहीं सुलझा। सिंहस्थ 2016 में भी प्रमुख अखाड़ों ने इस अखाड़े को शाही स्नान की अनुमति नहीं दी। इसीलिए ये अमृत स्नान करेंगे। 
कमजोरी : अक्टूबर 2015 में स्थापित। कौने में मिला प्लॉट। संसाधन संकट। शैली राय जैसी किन्नर सन्यासी के उत्तेजक फोटो ने पहले अखाड़े की प्रतिष्ठा पर प्रश्नचिह्न लगाया। फिर अखाड़े और शैली के बीच हुए विवाद ने। 
मजबूती : 14वें अखाड़े के रूप में लोगों ने सबसे ज्यादा पसंद किया। हर दिन रहती है किन्नर संतों से मिलने के लिए लोगों की भीड़। 
क्या कहते हैं संस्थापक सदस्य लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी
सनातन धर्म से किन्नरों का वजूद रहा है। किन्नर जन्मजात योगी हैं। इसलिए उन्हें न तो अलग से किसी अखाड़े की सदस्यता की जरूरत है और न ही किसी की मान्यता की। किन्नर अखाड़े के रूप में वे सिंहस्थ में शामिल होंगे। 
सर्वेश्वरी शक्ति अंतरराष्ट्रीय महिला अखाड़ा 
अमेरिका में पीएचडी करके तंत्र साधना में लीन रहने वाली अघोर तांत्रिक शिवानी दुर्गा ने इस अखाड़े को बनाया है। वे अब तक आनंद अखाड़े से जुड़ी रही लेकिन आनंद अखाड़े के संतों द्वारा उनकी पदवी को लेकर उठाए जाते रहे सवालों से परेशान होकर उन्होंने आनंद अखाड़े का बहिष्कार कर दिया। अपना नया अखाड़ा बनाया। उन्होंने कहा इस अखाड़े में सब समान है। यह महिला अखाड़ा भले है लेकिन पुरुष भी इससे जुड़े हैं और जुड़ रहे हैं। 
कमजोरी : कुछ ही दिनों में उज्जैन की धरा पर छाई शिवानी दुर्गा कई संतों की आंख की किरकिरी बनी। पहले आनंद अखाड़े के संतों के साथ उपाधि को लेकर विवाद और फिर अपनी ही सचिव रही कांग्रेस नेत्री पुष्पा चौहान के साथ कानूनी जंग। 
मजबूती : पढ़ी-लिखी हैं शिवानी। तथ्यों के साथ लोगों को तंत्र-मंत्र की जानकारी देती हैं। बड़े-बड़े लोग जुड़े हैं अब उनसे। 
क्या कहती हैं शिवानी दुर्गा 
यह आडम्बरों से दूर ऐसा अखाड़ा है जहां न सिर्फ साधना-हवन यज्ञ होंगे बल्कि लोगों को तंत्र-मंत्र और वैदिक साइंस के प्रति जागरू किया जाएगा।  यही महिला अखाड़ा है लेकिन सिर्फ महिलाओं के लिए नहीं है। इसमें पुरुषों की भागीदारी भी अच्छी है। 
आए दिन विवाद 
नए अखाड़ों के साथ ही नए विवाद भी सामने आ रहे हैं। पहले इन अखाड़ों के जमीन आवंटन का विरोध हुआ। एक तरफ तांत्रिक शिवानी दुर्गा और संतों के बीच नोकझोंक जारी है। साधवी जान के खतरे की आशंका भी जता चुकी है वहीं नासिक कुंभ में तांत्रिक शिवानी दुर्गा के स्टिंग का शिकार हुई साधवी त्रिकाल भवंता के परि अखाड़े की जमीन का मामला हाईकोर्ट, इंदौर तक पहुंचा। हाईकोर्ट की दखल के बाद आवंटन का रास्ता साफ हुआ। हालांकि सुविधा नहीं मिली। 
विवाद कोई साजिश तो नहीं
14वें अखाड़े के रूप में दावेदारी जताने वाले ये अखाड़े जहां किसी न किसी विवाद या कमजोरी से जुझ रहे हैं वहीं इनके प्रमुखों को शंका है कि परम्परागत 13 अखाड़े तो इन विवादों की जड़ नहीं है। कहीं ऐसा तो नहीं कि विवादों में उलझाए रखने के लिए एक-दूसरे के बीच फूट डाली जा रही हो। क्योंकि इससे पहले नासिक कुंभ में पहले त्रिकाल भंवता और शिवानी दुर्गा कई बार मिले। दोनों में अच्छी बातचीत भी रही लेकिन एन वक्त पर शिवानी दुर्गा ने स्टिंग कर दिया। बाद में वे आनंद अखाड़े से जुड़ी जिसने अब उन्हें अपना मानने से इनकार कर दिया। इतना ही नहीं उनकी उपाधि पर भी सवाल खड़े कर दिए। सिंहस्थ 2016 में दोनों अलग ध्रुव बनकर सामने आर्इं। तीसरा अखाड़ा आया किन्नर अखाड़ा लेकिन वहां भी शैली रॉय का ‘जादू’ चला जिसकी भरपाई अखाड़े के लोग अब भी कर रहे हैं। 
यह है प्रमुख अखाड़े...
1- पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी, 2-श्री पंचायती आनंद अखाड़ा, 3-श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा, 4-श्री पंचदशनाम आवाहन अखाड़ा, 5-श्री पंचायती महानिवार्णी अखाड़ा, 6-श्री शंभुपंच अग्नि अखाड़ा, 7-श्री शंभु पंचायती अटल अखाड़ा, 8-श्री पंचायती बड़ा उदासीन अखाड़ा, 9-श्री पंचायती अखाड़ा नया उदासीन, 10-श्री पंचायती निर्मल अखाड़ा, 11-श्री अखिल भारतीय पंच रामानंदीय निवार्णी अखाड़ा, 12- अखिल भारतीय श्री पंच रामानंदीय दिगंबर अणि अखाड़ा, 13-श्री पंच रामानंदीय निमोर्ही अणि अखाड़ा। 

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