Thursday, May 12, 2016

हवा में उड़े सिंहस्थ के शौचालय

आधे-अधूरे सुविधाघर बने श्रृद्धालुओं की मुसीबत
उज्जैन से विनोद शर्मा । 
हवा के तेज झौकों ने जहां सिंहस्थ 2016 के लिए उज्जैन में बने साधु-संतों के अस्थाई पांडाल हिला दिए है वहीं खुले में शौच रोकने के मकसद से बनाए गए शौचालयों को भी तास की तरह बिखेरना शुरू कर दिया है। नागदा बायपास पर मालवा व्यापार मेले की जमीन पर तेज हवा से बिखरे पड़े शौचालय इसका बड़ा उदाहरण है। शौचालयों की इस बदहाली ने उनकी गुणवत्ता को लेकर सरकार और निर्माण कंपनी सुलभ इंटरनेशनल को कठघरे में खड़ा कर दिया है। 
     22 अप्रैल से शुरू हुए महामेले में समाज के हर तबके के लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ना है। इसके मद्देनजर सरकार ने शहर और मेला क्षेत्र में करीब 34,000 शौचालय, लगभग 10,000 मूत्रालय और तकरीबन 15,000 स्नानघर भी बनाये हैं। इनकी गुणवत्ता पर शुरू से सवाल उठ रहे हैं। इन सवालों की पुष्टि की मालवा व्यापार मेले की जमीन पर बने सुविधाघरों ने। इन सुविधाघरों का काम आखिर में शुरू हुआ था। अभी इस्तेमाल भी शुरू नहीं हुआ था कि दो दिन पहले हवा के तेज झौकों में आधा हिस्सा ताश की तरह बह गया। बिखरा भी ऐसा कि एंगल-शीट के साथ युरोपियन कमोट भी उड़कर बिखर गए। बची तो सिर्फ देशी शीट। 
हमने काम नहीं किया
सुलभ इंटरनेशनल ने ठेका लिया था लेकिन काम दूसरे ठेकेदारों को सबलेट भी कर दिया। रविवार को भी सुविधाघर को नए सिरे से खड़े करने के प्रयास नहीं किए गए। पास में पाइप डालने का काम जरूर हो रहा था। काम करने वाली कंपनी सांवरिया कंस्ट्रक्शन के गजेंद्र ने बताया कि सुविघाघर हमने नहीं बनाए। 
ऐसे कैसे सुविधाघर
- यूरोपियन शीट का पूरा सेट होता है जिसमें वॉटर टेंक और ढक्कन तक शामिल है। वहीं जितने सुविधाघर बने हैं उनमें जो शीट लगी है वह आधी-अधूरी है। यहां सिर्फ शीट है। न वॉटर टैंक है। न ही ढक्कन। आधी-अधूरी शीट के साथ प्रशासन ने कंपनी ने शौचालय कैसे हस्तांतरित कर ली। ऐसे एक-दो नहीं कई आश्रम है। ख्यात कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर, बैतूल के बालाजी मंदिर, पहाड़ी बाबा खालसा के राजेद्रदासजी सहित कई संतों के आश्रम इस सूची में शामिल है।  
- जहां देशी शीट लगी है वह भी टूटी फुटी है। प्लेटफार्म उखड़ रहे हैं। शीट भी ऊंची-निची है। 
- सुविधाघरों में चार दिवारी के रूप में जो शीट लगाई गई उसे ठीक से फीट तक नहीं किया गया। बतौर उदाहरण शीट में जहां 10 नट-बोल्ट लगना है वहीं लग रहे हैं 5-6 ही। इसीलिए हवा के साथ हिलकर शीट टूट रही है। 
- आधे से अधिक सुविधाघरों की बोर्ड शीट पहले ही टूट चुकी है। कई के दरवाजे इस्तेमाल से पहले ही उखड़ चुके हैं जिन्हें दोबारा कसा तक नहीं गया। लोग खुले दरवाजें के साथ इनका इस्तेमाल करने को मजबूर है। 
- बायपास और चिंतामण सेक्टर सहित कुछ जगह ऐसी है जहां सुविधाघर बोर्ड शीट से नहीं बने। यहां लकड़ी की प्लाई से चार दिवारी खड़ी गई जो पानी लगने से फुलने लगी है। 
सुविधाघर चालू ही नहीं हुए 
जितने सुविधाघर बनाए गए हैं उनमें से 25 प्रतिशत को अब भी इस्तेमाल किए जाने का इंतजार है। आधों में पानी की टंकी नहीं है। आधों में टंकी है तो कनेक्शन नहीं हुए हैं। कई जगह पानी की सप्लाई तक नहीं हो रही है। इनमें सदावल मार्ग (नित्यानंद आश्रम के पास आसपास), बायपास, खिलचीपुर और त्रिवेणी जोन स्थित सुविधाघर शामिल है।

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