Wednesday, May 11, 2016

भक्तों से मिलने उज्जैन पहुंच गए भव्य भगवान

वैष्णोदेवी, अमरनाथ और बालाजी के साथ बालाजीपुरम तक के अस्थाई मंदिरों ने बढ़ाई सिंहस्थ की शोभा 
उज्जैन से विनोद शर्मा । 
देश ही नहीं दुनिया की जनता सिंहस्थ 2016 के लिए उज्जैन में आ पहुंची है तो फिर देवी-देवता क्यों पीछे रहते! वे भी अपने भक्तों को दर्शन देने उज्जैन आ पहुंचे! फिर जम्मू-कश्मीर से आई वैष्णोदेवी हो या फिर कैलाश मानसरोवर से आए बाबा अमरनाथ। उज्जैन पहुंचने वाले देवी-देवताओं में तिरूपति बालाजी और स्वामीनारायण जी भी पीछे नहीं रहे। वे भी अपने भव्य मंदिरों के साथ मेला क्षेत्रों में लोगों को दर्शन दे रहे हैं। सिंहस्थ में साधु-संतों के भव्य पांडालों के साथ ही मेला क्षेत्र के अस्थाई मंदिरों ने न सिर्फ मेला क्षेत्रों की शोभा बढ़ाई है बल्कि जो लोग दूर-दराज मंदिर नहीं जा पाते वे इन्हीं प्रतिकृतियों में ही प्रभू दर्शन पा रहे हैं। 
वैष्णोदेवी मंदिर, जम्मू : अंकपात चौराहे पर सांदिपनी आश्रम के सामने मंदाकिनी माता का आश्रम है जहां 65 फीट ऊंचा भव्य वैष्णो देवी मंदिर बना है। मुख्य द्वार से लेकर मंदिर की गुफा तक लोगों को भा रही है। मंदिर से जुड़े सूत्रों ने बताया कि दिनभर में 50 हजार से अधिक लोग दर्शन करते हैं। 
अमरनाथ मंदिर, जम्मू : ऋृणमुक्तेश्वर मंदिर के पास अंकपात रोड पर बाबा अमरनाथ का मंदिर बना है। इस मंदिर में 121 फीट बर्फीली गुफा है। तकरीबन 30 किलोग्राम वजनी शिवलिंग है। अंदर वैसा ही नजारा है जैसा कि अमरनाथ में होता है। समुद्रमंथन की झांकी भी है हालांकि देखने की फीस 50 रुपए है। 
महाकाल मंदिर, उज्जैन : अमरनाथ मंदिर के पास ही महाकाल मंदिर भी है जो कि 20 किलोग्राम चांदी से बना है। महाकाल दरबार की लागत ही 48 लाख रुपए है। इस मंदिर को उदयपुर के धीरज पानेरी ने बनाया है। 
तिरूपति बालाजी मंदिर, तिरूमला : मंगलनाथ जोन में तकरीबन सात एकड़ जमीन पर रावतपुरा सरकार का आश्रम है। इस आश्रम में तिरुमाला पर्वत (दक्षीण भारत) पर स्थित भगवान तिरुपति बालाजी के मंदिर की भव्य प्रतिकृति बनाई गई है। मुख्य द्वारा जितना सुंदर है उतना ही मनोरम है लाल रोशनी से जगमगाता मंदिर का वातानुकुलित हॉल। यहां रूकमणी बालाजी की प्रतीमा भी है जिनके दर्शन के लिए रोज हजारों की भीड़ लगती है। 
स्वामीनारायण मंदिर, वड़तल : भूखीमाता रोड पर किन्नर अखाड़े के पास आचार्य राकेशप्रसादजी महाराज का आश्रम है। वड़तल (गुजरात) में बने भगवान स्वामीनारायण मंदिर की प्रतिकृति बन रही है। 90 फीसदी काम हो चुका है। इस मंदिर को वड़तलधाम भी कहा जाता है। यहां भगवान स्वामीनारायण की प्रतिमा भी वैसी ही है जैसी की मूल मंदिर में है। मंदिर को जूनागढ़ के कलाकारों ने बनाया है। 
अन्नपूर्णा मंदिर, इंदौर : बड़नगर रोड पर अन्नपूर्णा आश्रम इंदौर का भी आश्रम है। यहां भी यज्ञ और कथा के साथ साधकों के ठहरने की व्यवस्था है। इस पांडाल का आकर्षण गेट है जो ठीक वैसा ही बना है जैसा कि इंदौर में अन्नपूर्णा मंदिर का गेट है। 
राजबाड़ा, इंदौर : मंगलनाथ-उन्हेल रोड पर महामंडलेश्वर कम्प्यूटर बाबा का आश्रम है। इस आश्रम में बाबा ने इंदौर के राजबाड़े की प्रतिकृति का द्वार बनवाया है। उनका कहना है कि मैं जिस शहर से हूं उस शहर की चमक-दमक भी मेरे साथ ही रहना चाहिए। 
बालाजीपुरम, बैतूल : महाकाल मंदिर के पास जो रूद्रसागर है उसमें विक्रमादित्य मंदिर से लगी जमीन पर बैतूल के प्रसिद्ध बालाजीपुरम मंदिर की प्रतिकृति बनाई गई है। इस सुनहरे मंदिर में भगवान बालाजी की प्रतिमा है। बाहर गरूड़ है जिनके कान में लोग अपनी मनोकामना कहते नजर आते हैं। अंदर विश्व प्रसिद्द 65 किलो वजनी महामर्कत मणि स्फटिक शिवलिंग भी है।

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