इंदौर. विनोद शर्मा ।
सिंहस्थ मेले में लाखों श्रद्धालु हालांकि अपनी धार्मिक आस्था के मुताबिक शिप्रा में स्नान करेंगे लेकिन इस नदी में हकीकत में नर्मदा का जल बह रहा होगा। वजह यह है कि शिप्रा अपने उद्गम से ही सूख चुकी थी और किसी एक नदी को टेंकर या बोरिंगों के पानी से भरकर करोड़ों लोगों को स्नान नहीं कराया जा सकता था। हालांकि नर्मदा-शिप्रा संगम के साथ ही शुरू उपजा स्नान का विवाद अब तक कायम है। खत्म नहीं हुआ हालांकि अब साधू-संत भी स्नान में ही रूचि रख रहे हैं, पानी में नहीं।
करीब 432 करोड़ रुपए की लागत वाली परियोजना के जरिए शिप्रा को नर्मदा के जल से जीवित किया गया। इस काम को नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण (एनवीडीए) ने अंजाम दिया। शुरूआत में जहां इस योजना का बहुत विरोध हुआ वहीं अब कलकल बह रही शिप्रा लोगों को सुकुन दे रही है। अब रूड़ीवादी और परम्परागत बातें करके नाराजगी जताने के बजाय इस बात पर संतोष जताया जा रहा है कि पानी कहीं का भी हो लेकिन शिप्रा स्नान के लिए तैयार है। वरना बीते सिंहस्थ में लोगों ने शिप्रा की बदहाली देखी है। उज्जैन में 2004 में लगे पिछले सिंहस्थ मेले के दौरान गंभीर नदी पर बने बांध के पानी को क्षिप्रा में छोड़ा गया था। इसके साथ ही बड़े टैंकरों से क्षिप्रा में पानी डाला गया था। यह शिप्रा के सुख की चाह ही थी कि स्नान से परहेज की बातें करने वाले नागा साधुओं ने भी पहले शाही स्नान में जमकर डुबकी लगाई।
सिंहस्थ लिंक से नर्मदा का जल उज्जैनी से करीब 112 किलोमीटर की दूरी तय कर अपनी स्वाभाविक रवानी के साथ उज्जैन के रामघाट पहुंच रहा है। अब तक नर्मदा-शिप्रा लिंक के माध्यम से शिप्रा में नर्मदा का तकरीबन 86.5 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी छोड़ा जा चुका है। इस पानी से करोड़ों लोग अब तक स्नान कर चुके हैं वहीं उज्जैन और देवास के उन लोगों की प्यास भी बुझाई जा रही है जो हर गर्मी पानी की तलाश में सुबह-शाम एक कर दिया करते थे।
क्यों जरूरत पड़ी थी संगम की
शिप्रा नदी आमतौर पर गर्मियों में सूखकर नाले में तब्दील हो जाती है और इसका पानी आचमन के लायक भी नहीं रह जाता है। इसके मद्देनजर साधु-संतों ने प्रदेश सरकार से मांग की थी कि वह सिंहस्थ मेले के दौरान क्षिप्रा में स्वच्छ जल छोड़कर इसे प्रवाहमान बनाए, ताकि देश-विदेश से आने वाले लाखों श्रद्धालु इसमें अच्छी तरह स्नान कर सकें।
ताकि लबालब रहे शिप्रा
एनवीडीए के संयुक्त निदेशक आदिल खान के अनुसार मेले के मद्देनजर हम इस परियोजना के चारों पंपिंग स्टेशनों को उनकी कुल 28,370 किलोवॉट की पूरी क्षमता से चला रहे हैं। फिलहाल क्षिप्रा में हर सेकंड 5,000 लीटर नर्मदा जल प्रवाहित किया जा रहा है। हमने इसकी पूरी व्यवस्था की है कि महीने भर चलने वाले सिंहस्थ मेले के दौरान क्षिप्रा में स्वच्छ जल की लगातार आपूर्ति होती रहेगी।
हर जगह फैले ऐसी खुशहाली
उज्जैन में जहां से भी लोग आ रहे हैं वे शिप्रा को देखकर आनंदित हैं। वे मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान की तारीफ तो करते ही हैं यह भी मानते हैं कि यदि ऐसा काम बाकी जगह भी हुआ तो कोई नदी सुखी नजर नहीं आएगी। गौरतलब है कि अभी नर्मदा ने शिप्रा की जीवित किया है। नर्मदा-गंभीर का काम जारी है। कालीसिंध और पार्वती सहित अन्य नदियों को भी नर्मदा के जल से जीवन मिलने का इंतजार है।
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