5 करोड़ से अधिक लोग और 10 करोड़ से अधिक दान का आंकलन खींचलाया उज्जैन
उज्जैन से विनोद शर्मा।
सिंहस्थ 2016 उम्मीद और उत्साह का महापर्व है। साधु-संतों को शिप्रा स्नान से अमृत मिलने की उम्मीद है तो श्रृद्धालुओं को दुर्लभ साधुओं के आशीर्वाद की। इसी तरह उम्मीदों का पिटारा लेकर देशभर के भिखारी भी सिंहस्थ पहुंच रहे हैं। कोई दिल्ली से है, कोई बिहार या यूपी से। सब अपना आइडेंटिफिकेशन भी साथ लाए हैं ताकि सुरक्षा व्यवस्था के मामले में उनकी पहचान बाधा न बने।
सिंहस्थ को लेकर शासन-प्रशासन बीते महीनों में दो-तीन बार उज्जैन की सड़कों से भिखारियों को खदेड़ चुका है। बावजूद इसके सिंहस्थ मेला क्षेत्र में भिखारियों की बाढ़ आ गई है। इन दिनों रामघाट पर ही 200 से अधिक भिखारी जमा है। इनमें ज्यादातर दिल्ली, राजस्थान, उप्र, बिहार, उड़िसा, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र से ट्रेन, बस या किसी न किसी की मदद लेकर उज्जैन पहुंचे हैं। आंकड़ों के लिहाज से बात करें तो ऐसे 2000 से अधिक लोग अब तक आ चुके हैं। सिंहस्थ शुरू होने के साथ और सिंहस्थ के दौरान भी तकरीबन इतने ही लोग और भी बाहर से आना है।
अभी 700 रुपए तक मिलने लगे हैं
सात दिन पहले दिल्ली से अपने साथियों के साथ आई शांति कुमारी ने बताया कि आठ लोगों का समूह आया है। आधे रामघाट पर है। आधे दूसरे घाट पर। सिंहस्थ शुरू हुआ नहीं है और अभी 500 से 700 रुपए रोज दान मिल रहा है। भरे सिंहस्थ में यह बढ़कर 800 से 1200 रूपए हो जाएगा। दिल्ली में रहते भी तो रोज के 150 से 200 रुपए ही कमाते। यहां खाने की व्यवस्था भी अलग है।
काफी दिन से बन गई थी प्लानिंग
दिल्ली से आए विकलांग विश्वनाथ ठाकुर और बिहार से आए हेमंत पशवार ने बताया कि फकीर लोग हैं। दान से ही जीवन चल रहा है। इसीलिए सोचा सिंहस्थ में स्नान भी हो जाएगा और थोड़ी अतिरिक्त कमाई भी। इसीलिए काफी दिन से समूह बना लिया था। यहां भी समूह में ही आए हैं। आधार कार्ड और वोटर आईडी के साथ ही सीविल सर्जन द्वारा दिया गया मेडिकल सर्टिफिकेट भी साथ हैं।
राजस्थान से आए हैं 200 लोग
थावरा, उदयपुर से आए मुरारी सेन ने बताया कि राजस्थान से अलग-अलग वक्त में अब तक 200 से अधिक लोग यहां भिक्षावृति के लिए आ चुके हैं। लोग पैसा तो देते ही हैं खाने की सामग्री और पहनने के लिए कपड़े भी दे देते हैं।
दान का गणित
सरकारी अनुमान के अनुसार सिंहस्थ के दौरान 30 दिन में 5 करोड़ से अधिक लोग उज्जैन पहुंचेंगे। इनमें से 40 फीसदी भी दान देते हैं तो दानदाताओं की संख्या होती है 2 करोड़। ये 2 करोड़ लोग औसत 5 रुपया भी एक भिखारी को देते हैं तो महीनेभर में कुल दान हुआ करीब 10 करोड़। यदि सिंहस्थ में 5 हजार भिखारी हैं या रहते हैं तो इसका मतलब है कि उन्हें 30 दिन में 20 हजार तो मिलना ही है। अब इसमें जिसकी जितनी अच्छी लोकेशन, उसे मिलेगा उतना अच्छा पैसा। मूल स्थानों पर बैठने वाले 40 से 50 हजार रुपए तक घर ले जाएंगे।
उज्जैन से विनोद शर्मा।
सिंहस्थ 2016 उम्मीद और उत्साह का महापर्व है। साधु-संतों को शिप्रा स्नान से अमृत मिलने की उम्मीद है तो श्रृद्धालुओं को दुर्लभ साधुओं के आशीर्वाद की। इसी तरह उम्मीदों का पिटारा लेकर देशभर के भिखारी भी सिंहस्थ पहुंच रहे हैं। कोई दिल्ली से है, कोई बिहार या यूपी से। सब अपना आइडेंटिफिकेशन भी साथ लाए हैं ताकि सुरक्षा व्यवस्था के मामले में उनकी पहचान बाधा न बने।
सिंहस्थ को लेकर शासन-प्रशासन बीते महीनों में दो-तीन बार उज्जैन की सड़कों से भिखारियों को खदेड़ चुका है। बावजूद इसके सिंहस्थ मेला क्षेत्र में भिखारियों की बाढ़ आ गई है। इन दिनों रामघाट पर ही 200 से अधिक भिखारी जमा है। इनमें ज्यादातर दिल्ली, राजस्थान, उप्र, बिहार, उड़िसा, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र से ट्रेन, बस या किसी न किसी की मदद लेकर उज्जैन पहुंचे हैं। आंकड़ों के लिहाज से बात करें तो ऐसे 2000 से अधिक लोग अब तक आ चुके हैं। सिंहस्थ शुरू होने के साथ और सिंहस्थ के दौरान भी तकरीबन इतने ही लोग और भी बाहर से आना है।
अभी 700 रुपए तक मिलने लगे हैं
सात दिन पहले दिल्ली से अपने साथियों के साथ आई शांति कुमारी ने बताया कि आठ लोगों का समूह आया है। आधे रामघाट पर है। आधे दूसरे घाट पर। सिंहस्थ शुरू हुआ नहीं है और अभी 500 से 700 रुपए रोज दान मिल रहा है। भरे सिंहस्थ में यह बढ़कर 800 से 1200 रूपए हो जाएगा। दिल्ली में रहते भी तो रोज के 150 से 200 रुपए ही कमाते। यहां खाने की व्यवस्था भी अलग है।
काफी दिन से बन गई थी प्लानिंग
दिल्ली से आए विकलांग विश्वनाथ ठाकुर और बिहार से आए हेमंत पशवार ने बताया कि फकीर लोग हैं। दान से ही जीवन चल रहा है। इसीलिए सोचा सिंहस्थ में स्नान भी हो जाएगा और थोड़ी अतिरिक्त कमाई भी। इसीलिए काफी दिन से समूह बना लिया था। यहां भी समूह में ही आए हैं। आधार कार्ड और वोटर आईडी के साथ ही सीविल सर्जन द्वारा दिया गया मेडिकल सर्टिफिकेट भी साथ हैं।
राजस्थान से आए हैं 200 लोग
थावरा, उदयपुर से आए मुरारी सेन ने बताया कि राजस्थान से अलग-अलग वक्त में अब तक 200 से अधिक लोग यहां भिक्षावृति के लिए आ चुके हैं। लोग पैसा तो देते ही हैं खाने की सामग्री और पहनने के लिए कपड़े भी दे देते हैं।
दान का गणित
सरकारी अनुमान के अनुसार सिंहस्थ के दौरान 30 दिन में 5 करोड़ से अधिक लोग उज्जैन पहुंचेंगे। इनमें से 40 फीसदी भी दान देते हैं तो दानदाताओं की संख्या होती है 2 करोड़। ये 2 करोड़ लोग औसत 5 रुपया भी एक भिखारी को देते हैं तो महीनेभर में कुल दान हुआ करीब 10 करोड़। यदि सिंहस्थ में 5 हजार भिखारी हैं या रहते हैं तो इसका मतलब है कि उन्हें 30 दिन में 20 हजार तो मिलना ही है। अब इसमें जिसकी जितनी अच्छी लोकेशन, उसे मिलेगा उतना अच्छा पैसा। मूल स्थानों पर बैठने वाले 40 से 50 हजार रुपए तक घर ले जाएंगे।
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