Thursday, May 12, 2016

सन्यासियों का समाजशास्त्र

समाज में बदलाव की जिदउज्जैन से विनोद शर्मा ।
सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ सरकार और सिर्फ सामाजिक संगठन ही जनचेतना नहीं फैला रहे हैं, सांसारिक जीवन त्याग चुके साधु-सन्यासी भी इस दिशा में अपनी सकारात्मक सोच का प्रसार कर रहे हैं। कोई बेटी बचाने का संदेश दे रहा है तो कोई पेड़-पर्यावरण बचाने का। किसी ने नदियों को बचाने का बिड़ा उठाया है तो कोई गौ वध के खिलाफ अभियान छेड़े हुए है। अपनी कथाओं और यज्ञों के माध्यम से भी वे अपने इस समाजशास्त्र को जन-जन तक पहुंचा रहे हैं। 
गौ रक्षा : पाली 1.75 लाख गायें
पहाड़ी बाबा खालसा और श्री लक्ष्मी नृसिंह खालसे के देवाचार्य राजेंद्र दास महाराज पांच गौशालाएं संचालित करते हैं और उनमें 1.75 लाख गायें पल रही है। महाराज अपनी कथाओं के साथ ही मिलने आने वाले हर व्यक्ति को गौ रक्षा के लिए प्रेरित करते नजर आते हैं। 
बेटी है तो कल है
महानिवार्णी अखाड़े के महामंडलेश्वर और शनिधाम के पीठाधीश्वर दाती महाराज बेटियों को बचाने की दिशा में वर्षों से काम कर रहे  हैं। उज्जैन में उनके हर पोस्टर पर  बेटी बचाओ का संदेश है। अब वे उज्जैन में बेसहारा और निर्धन बेटियों के लिए बालगृह की शुरूआत करेंगे। शनिधाम गोशाला भी बनाएंगे। 
नदी से लेकर पर्यावरण तक की परवाह
परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष, गंगा एक्शन परिवार के प्रणेता एवं ग्लोबल इण्टरफेथ वाश एलायंस (जीवा) के सह-संस्थापक अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती उज्जैन में पेड़ और पर्यावरण बचाने के साथ शिप्रा नदी के पुनर्प्रवाह के लिए भी अभियान चला रहे हैं। उनके प्रकल्प में कथा नहीं बल्कि अलग-अलग 30 महाकुंभ हो रहे हैं। जिनमें शिक्षा के व्यावसायिकरण, श्रम सेवा, वनवासी सेवा सहित अलग-अलग मुद्दे शामिल हैं। 
शहीदों का स्मरण 
जम्मू से आए बाबा बालक योगेश्वर का प्रकल्प सबसे अनौखा है यहां सात कुंडीय 108 फीट ऊंची यज्ञशाला है। इस प्रकल्प में जीवनदाई देवताओं के फोटो-मुर्ति कम और देश पर प्राण न्यौछावर करने वाले शहीदों की तस्वीरें ज्यादा हैं। यहां इन्हीं की पूजा होती है। इन्हीं की स्मृति और शांति के लिए आहुति दी जाती है। 
पर्यावरण की शुद्धि-बेटी बचाओ 
बेटियों पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ श्री शंभू पंच दशनाम आवाहन अखाड़े के उर्द्धबाहू महंत भोलागिरि बापू 40 साल से अपने हाथ को ऊंचा किए हुए हैं। उनका साफ कहना है कि बेटियों और शांति और सुरक्षा के साथ ही समानता का वातावरण भी मिलना चाहिए। पर्यावरण शुद्धि के लिए वे  पांच हजार किलो द्रव्यों से तैयार की गई 121 फीट की अगरबत्ती भी जला रहे हैं।  
चिंता साधकों की सेहत की
सिंहस्थ में संतों के कैंप कथाओं और यज्ञ मंत्रों से गुंज रहे हैं वहीं हरिद्वार के महामंडलेश्वर प्रखरजी महाराज के प्रकल्प में कथापांडाल नहीं बना है 70 बेड का सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल जो अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस है। यहां 25 विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम नि:शुल्क सेवा दे रही है। यहां अन्नक्षेत्र भी चल रहा है। लू से बचाने के लिए श्रृद्धालुओं को केरी का पना भी पिलाया जा रहा है। 
पेड़ बचाओ, कल बचाओ 
गले में सोने की मालाएं और करोड़ों की पादुका से चर्चाओं में आए अरूण गिरी महाराज ‘अवधूत बाबा’ पर्यावण के संरक्षण के लिए 1008 कुंडी यज्ञ कर रहे हैं जिसमें 3000 टिन घी इस्तेमाल होगा। वे सवा लाख पौधे लगाने के लिए भी संकल्पित हैं। इसीलिए उन्हें लोग अब पर्यावरण बाबा भी कहने लगे हैं। 
सेवा ही सर्वोपरी 
स्वामी प्रणवनांद महाराज का भारत सेवा आश्रम संघ सेवा को सर्वापरी मानता है। इसीलिए उन्होंने सिंहस्थ 2016 में यात्रियों और साधु संतों की सेवा के लिए अपने करीब 250 स्वयंसेवक  और साधुओं की टीम उतारी है।  इनमें 100 तैराक और जीवनरक्षक भी हैं जो शिप्रा के घाटों पर स्नानार्थियों की सुरक्षा के लिए तैनात है। नि:शुल्क दवा दी जा रही है। अन्न क्षेत्र चलाया जा रहा है। 10 बेड का हॉस्पिटल भी बनाया है। 

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