Thursday, May 12, 2016

मौसम विभाग के चेताए नहीं चेता उज्जैन

राम भरौसे ही रहे संत और शासन, श्रृद्धालू परेशान

दबंग एनालेसिस विनोद शर्मा । 
गुरूवार को हुई बेमौसम बरसात ने साधुओं से लेकर मप्र के मुखिया शिवराजसिंह चौहान को पसीने ला दिए थे बावजूद इसके न प्रशासन ने कोई सीख ली। न ही सरकार ने। यही वजह है कि दूसरे शाही स्नान के अवसर पर सोमवार दोपहर हुई बेमौसम बरसात ने एक बार फिर गुरुवार की तबाही ताजा कर दी। वही रामघाट पर चेम्बर फूटा और लाखों श्रृद्धालुओं के स्नान से पहले ही डेÑनेज का गंदा पानी शिप्रा को मेली कर गया। खेत की जमीन पर विकसित किए गए मेला क्षेत्र की अंदरूनी कच्ची सड़कें कीचड़ में तब्दील हुई और लोगों का एक बार फिर पैदल चलना भी दूभर हो गया। 
    गुरुवार की बरसात से हुई नुकसानी का सर्वे भी पूरा नहीं हुआ था कि सोमवार दोपहर हवाओं के साथ हुई बरसात ने श्रृद्धालुओं की भीड़ से जमे दूसरे शाही स्नान के रंग पर पलीता फेर दिया। तेज बारिश ने पूरे मेला क्षेत्र को कीचड़ में तब्दील कर दिया। आंधी के चलते कई जगहों पर पंडाल गिरे। इसके कारण दूसरे शाही स्नान में भी लोगों को दिक्कतें हुईं। उज्जैन में मौसम विभाग ने बारिश और आंधी के चेतावनी पहले ही दे रखी है। मौसम विभाग भोपाल ने कहा था कि दूसरे शाही स्नान के दौरान 50 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से तेज हवाएं चलेंगी।  आंधी और बारिश के दौरान साधु-संतों और भक्तों पंडाल से बाहर रहने के निर्देश दिए थे। इस चेतावनी से न शासन-प्रशासन चेता नजर आया। न ही साधु-संत। सब राम भरौसे रहे। साधु-संत काले बादल देखकर तेज मंत्रोंच्चार से इंद्रदेव को डराने का प्रयास करते रहे वहीं प्रशासनिक अमला भी यही मान चुका था कि अब बरसात नहीं होगी। इसीलिए अंदरूनी सड़कों पर चूरी बिछाने का काम अब तक पूरा नहीं हुआ। न ही सेटेलाइट टाउन ‘जिन्हें पार्किंग व बस स्टैंड बनाया गया है’, वहां भी वाहनों को कीचड़ से बचाने के कोई इंतजाम नहीं दिखे। हालांकि कलेक्टर कवींद्र कियावत ने सभी जोनल, सेक्टर मजिस्ट्रेट को किसी भी हालात से निपटने के लिए तैयार रहने को कहा है।
45 मिनट की बरसात में हुआ 150 करोड़ नुकसान
उज्जैन में गुरुवार शाम अचानक हुई तेज बारिश और आंधी में एक साधु और तीन महिलाओं समेत 8 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 90 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। बारिश और तुफान से तकरीबन 60 पांडाल पूरी तरह ध्वस्त हो गए थे। वहीं 700 से अधिक पांडालों में आंशिक नुकसान हुआ था। खाद्य सामग्री के साथ इस नुकसानी का अनुमान 150 करोड़ के रूप में लगाया जा रहा है। गुरुवार को आंशिक रूप से प्रभावित हुए कई पांडाल सोमवार को तितर-बितर नजर आए। वह भी उस स्थिति में जब कई पांडालों में गुरुवार को हुए नुकसान से निपटा जा रहा है। कई पांडाल ऐसे हैं जो अब भी झूके हुए हैं। गिरे हुए हैं। 
रोने लगे हैं दुकानदार 
अच्छी कमाई या मुनाफे की आस में इंदौर, उज्जैन और देवास सहित मप्र के अन्य शहरों व अन्य प्रदेशों के लोगों ने दुकानें लगाई है। इन दुकानदारों को पहले शाही स्नान पर श्रृद्धालुओं की कमी ने रूलाया। जैसे-तैसे गाड़ी ट्रेक पर आई। लागत निकलने लगी ही थी कि गुरुवार की बरसात ने सामान खराब कर दिया। सबसे ज्यादा नुकसान होटल और कपड़ों की दुकानों पर हुआ। रविवार को दूसरे शाही स्नान के लिए उमड़ी भीड़ ने उम्मीद की नई किरण जगाई जो भी बादलों को बर्दाश्त नहीं हुई। सोमवार की बरसात ने फिर उनके मंसूबों और कारोबार पर पानी फेर दिया। 
फिर वही मंजर क्यों? 
1- पहले सिंहस्थ में पानी नहीं गिरा इसीलिए सिंहस्थ 2016 की सफलता की कामना भी खेतों के भरौसे कर दी। अंदर तकरीबन 80 किलोमीटर से अधिक लंबी सड़के हैं लेकिन इन सड़कों पर मुरम-गिट्टी चूरी तक नहीं बिछाई गई। इसका खामियाजा गुरुवार को लोगों ने चुकाया। ताबड़तोड़ शुक्रवार को चुराई बुलाई गई लेकिन वहां डाली जहां गड्डा था। पूरी रोड पर नहीं बिछाई गई। इसीलिए सोमवार को भी कीचड़ हुआ और लोग परेशान हुए। 
2 - वर्षों से उज्जैन का सीवर सिस्टम नदी किनारे हैं। सिंहस्थ तो दूर शिप्रा की सेहत का ध्यान रखकर भी इस सिस्टम को मजबूत नहीं किया गया। इसीलिए गुरुवार को 45 मिनट में आधे इंच बरसात में चेम्बर उबल पड़े। सोमवार को भी यही हुआ। गुरुवार से सोमवार के बीच भी इन चेम्बरों की सफाई नहीं हो पाई। 
3- पांडालों की मजबूती पर साधुओं के साथ सरकार ने सख्ती से काम नहीं किया। इसीलिए गुरुवार को जो पांडाल तेड़े-मेड़े हुए थे उनमें से कई सोमवार को आड़े हुए। वह भी उस स्थिति में जब चिंतामन रोड और मंगलनाथ क्षेत्र में आधा दर्जन से अधिक पांडाल गिरने के बाद संत सामान तक समेट चुके हैं। यानी बरसात आती रहेगी और संत सामान समेटकर निकलते रहेंगे लेकिन शासन कुछ नहीं करेगा। 
4- गुरुवार की बरसात के बाद भी 100 किलोमीटर सड़कों का सारा दारोमदार 25 किलोमीटर लंबी सड़कों पर आ गया था और चौतरफा जाम लगा। सोमवार तक सरकार वैकल्पिक व्यवस्था नहीं कर पाई ताकि जम न लगे। या कम लगे। जो वैकल्पिक मार्ग हैं भी तो उनकी ब्रांडिंग नहीं की गई।

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