दो दर्जन से ज्यादा पांडाल गिरे, कई में पानी भरा, उलीचते रहे लोग
मेला क्षेत्र के कीचड़ ने मेला कर दिया उज्जैन
उज्जैन से विनोद शर्मा ।
पहले तेज धुप, फिर काली घटाएं, तेज हवा, मोबाइल पर इंदौर में बरसते पानी के समाचार ने चेहरा उतारा ही था कि अचानक शुरू हुई तेज बारिश ने सिंहस्थ की शान-ओ-शौकत को धोकर रख दिया। तकरीबन पौन घंटे तक हुई बेमौसम बरसात ने पूरे मेला क्षेत्र की सूरत बिगाड़ दी। 24 घंटे खुली रहने वाली दुकानें बंद हो गई। कई बड़े पांडाल ध्वस्त हो गए। कीचड़ का रुप अख्तियार कर चुकी कच्ची सड़कों ने वाहनों और श्रृद्धालुओं की अपार भीड़ के साथ पक्की सड़कों को जाम कर दिया।
सिंहस्थ की तैयारियों के साथ ही साधु-संत और श्रृद्धालुओं द्वारा कच्ची सड़कों पर मुरम-चूरी की जरूरत जताई जा रही थी जिसे बादलों को अपनी बपौती समझते आए अफसर सिरे से नकारते रहे। अफसरों की ‘समझदारी’ का खामियाजा गुरुवार को साधुओं-संतों से लेकर श्रृद्धालुओं तक को चुकाना पड़ा जो पौन घंटे की बरसात में ही अपने पांडालों में कैद होकर रह गए। मुलत: खेतों को अधिग्रहित करके विकसित किए गए मेला क्षेत्र में इतना कीचड़ हो गया कि दोपहिया-चार पहिया वाहन तो दूर लोगों का पैदल चलना भी मुश्किल हो चुका था।
देखते ही देखते बदल गई सिंहस्थ की सूरत
्रुइंदौर में हो रही बरसात की खबरें जब वॉट्सएप पर चल रही थी तब तक उज्जैन में सिर्फ बादल ही छाये नजर आए थे। चूंकि बादल लगातार छाये रहे हैं इसीलिए लोगों ने तनाव नहीं लिया। शाम 4.18 बजे अचानक बुंदाबांदी शुरू हुई। जो लोग वाहनों के साथ मेला क्षेत्र की कच्ची सड़कों पर थे उन्होंने मुख्य मार्गों की ओर रूख करना शुरू कर दिया। 4.23 बजे तक बड़ी बुंदों के साथ जैसे ही बरसात शुरू हुई श्रृद्धालुओं से आबाद सड़कें सूनी हो गई। जिसे जहां जगह मिली वहां छिपकर बैठ गया। कोई होटल, कथा पांडाल या दुकानों में पहुंचा तो कई ने साधु संतों की ब्रांडिंग के लिए लगे बैनरों को ही छाता बना लिया। दुकानें बंद हो गई।
पांडालों में उमड़ी भीड़
करोड़ों की लागत से बने पांडाल अब तक श्रृद्धालुओं की भीड़ से महरूम थे लेकिन उनकी इस कमी को भी बादलों ने पूरा कर दिया। चूंकि बड़े पांडालों में बारिस से बचाव की व्यवस्था थी इसीलिए बादलों से बचने के लिए उनसे अच्छी जगह नहीं थी। हालांकि भीड़ भी रोड किनारे के पांडालों में ही नजर आई। इसके ठिक विपरित अंदर जो पांडाल थे वहां जाकर छिपे लोग बाद में कीचड़ से परेशान होते रहे।
बिना धक्के के बाहर नहीं आई गाड़ियां
मेला क्षेत्रों में प्लॉटों के साथ कच्ची रोड थी जो सिर्फ खेतों में पानी का छिड़काव करके तैयार की गई थी वह बारिश में पूरी तरह उखड़ गई। ये सड़कें मुख्य मार्गों से नीचे है। इसीलिए पहले तो लोगों को मुख्य मार्ग तक गाड़ियां लाने में पसीने आ गए फिर मुख्यमार्ग पर चढ़ाने में। कीचड़ भरने के कारण कई गाड़ियां नहीं चड़ी जिन्हें लोगों ने धक्का देकर सड़क से लगाया।
उड़े दो दर्जन से अधिक पांडाल
उजड़खेड़ा सेक्टर-1 में यथार्थ गीता कैंप, मुल्ला पूरा में हरिहर चंद आश्रम के कैंप और सदावल रोड पर महामंडलेश्वर धर्मेंद्रगिरी सहित तकरीबन दो दर्जन कैंप के पांडाल उड़े। इसीलि श्रृद्धालुओं के साथ ही वहां निवासरत साधु-संत भी परेशान होते रहे।
महंगे पांडाल भी पानी से लबरेज
सिंहस्थ में सबसे बड़ा पांडाल स्वामी अवधेशानंद के प्रभू प्रेमी संघ का है तकरीबन 20 एकड़ जमीन पर। यहां किले रूप में पांडाल और चार दीवारी बनाई गई थी। सिंहस्थ शुरू होने से पहले हवा के तेज झौकों ने दीवार ध्वस्त कर दी थी वहीं गुरुवार की बरसात ने पांडाल के मुख्य द्वार के पास घुटने तक पानी भर गया। लोग कभी कपड़ों को संभालकर निकलते तो कभी माथे पर रखे सामान को। करीब-करीब यही स्थिति हर तीसरे बड़े पांडाल की रही। लोग पानी उलीचते नजर आए।
पुलिस को पसीने ला दिए भीड़ ने
श्रृद्धालुओं व वाहनों की भीड़ ने पुलिस को पसीने ला दिए। मेला क्षेत्र और उसकी कच्ची सड़कों की लंबाई 100 किलोमीटर से ज्यादा है लेकिन बारिश के कारण सारा तनाव डामर-कांक्रीट की 25 किलोमीटर लंबी सड़कों पर ही आ गया। कीचड़ के कारण सड़क घेर कर चल रहे श्रृद्धालुओं के कारण पहले ही सड़क आधी हो चुकी थी। इसीलिए जब सारी भीड़ सड़कों पर आई तो यातायात व्यवस्था ठप हो गई। वाहनों के साथ पैदल चलने वाले रेंगते रहे।
लाल हो गई सड़क
मेला क्षेत्र की कई सड़कें नई है। इनमें से आधी के दोनों ओर मुरम डली है। जहां मुरम डली है वे सड़कें वाहनों और श्रृद्धालुओं के पैर के साथ चिपके कीचड़ से पूरी लाल हो गई। वहीं जहां मुरम नहीं थी वे सड़कें कीचड़ ने फिसलन बढ़ा दी।
मेला क्षेत्र के कीचड़ ने मेला कर दिया उज्जैन
उज्जैन से विनोद शर्मा ।
पहले तेज धुप, फिर काली घटाएं, तेज हवा, मोबाइल पर इंदौर में बरसते पानी के समाचार ने चेहरा उतारा ही था कि अचानक शुरू हुई तेज बारिश ने सिंहस्थ की शान-ओ-शौकत को धोकर रख दिया। तकरीबन पौन घंटे तक हुई बेमौसम बरसात ने पूरे मेला क्षेत्र की सूरत बिगाड़ दी। 24 घंटे खुली रहने वाली दुकानें बंद हो गई। कई बड़े पांडाल ध्वस्त हो गए। कीचड़ का रुप अख्तियार कर चुकी कच्ची सड़कों ने वाहनों और श्रृद्धालुओं की अपार भीड़ के साथ पक्की सड़कों को जाम कर दिया।
सिंहस्थ की तैयारियों के साथ ही साधु-संत और श्रृद्धालुओं द्वारा कच्ची सड़कों पर मुरम-चूरी की जरूरत जताई जा रही थी जिसे बादलों को अपनी बपौती समझते आए अफसर सिरे से नकारते रहे। अफसरों की ‘समझदारी’ का खामियाजा गुरुवार को साधुओं-संतों से लेकर श्रृद्धालुओं तक को चुकाना पड़ा जो पौन घंटे की बरसात में ही अपने पांडालों में कैद होकर रह गए। मुलत: खेतों को अधिग्रहित करके विकसित किए गए मेला क्षेत्र में इतना कीचड़ हो गया कि दोपहिया-चार पहिया वाहन तो दूर लोगों का पैदल चलना भी मुश्किल हो चुका था।
देखते ही देखते बदल गई सिंहस्थ की सूरत
्रुइंदौर में हो रही बरसात की खबरें जब वॉट्सएप पर चल रही थी तब तक उज्जैन में सिर्फ बादल ही छाये नजर आए थे। चूंकि बादल लगातार छाये रहे हैं इसीलिए लोगों ने तनाव नहीं लिया। शाम 4.18 बजे अचानक बुंदाबांदी शुरू हुई। जो लोग वाहनों के साथ मेला क्षेत्र की कच्ची सड़कों पर थे उन्होंने मुख्य मार्गों की ओर रूख करना शुरू कर दिया। 4.23 बजे तक बड़ी बुंदों के साथ जैसे ही बरसात शुरू हुई श्रृद्धालुओं से आबाद सड़कें सूनी हो गई। जिसे जहां जगह मिली वहां छिपकर बैठ गया। कोई होटल, कथा पांडाल या दुकानों में पहुंचा तो कई ने साधु संतों की ब्रांडिंग के लिए लगे बैनरों को ही छाता बना लिया। दुकानें बंद हो गई।
पांडालों में उमड़ी भीड़
करोड़ों की लागत से बने पांडाल अब तक श्रृद्धालुओं की भीड़ से महरूम थे लेकिन उनकी इस कमी को भी बादलों ने पूरा कर दिया। चूंकि बड़े पांडालों में बारिस से बचाव की व्यवस्था थी इसीलिए बादलों से बचने के लिए उनसे अच्छी जगह नहीं थी। हालांकि भीड़ भी रोड किनारे के पांडालों में ही नजर आई। इसके ठिक विपरित अंदर जो पांडाल थे वहां जाकर छिपे लोग बाद में कीचड़ से परेशान होते रहे।
बिना धक्के के बाहर नहीं आई गाड़ियां
मेला क्षेत्रों में प्लॉटों के साथ कच्ची रोड थी जो सिर्फ खेतों में पानी का छिड़काव करके तैयार की गई थी वह बारिश में पूरी तरह उखड़ गई। ये सड़कें मुख्य मार्गों से नीचे है। इसीलिए पहले तो लोगों को मुख्य मार्ग तक गाड़ियां लाने में पसीने आ गए फिर मुख्यमार्ग पर चढ़ाने में। कीचड़ भरने के कारण कई गाड़ियां नहीं चड़ी जिन्हें लोगों ने धक्का देकर सड़क से लगाया।
उड़े दो दर्जन से अधिक पांडाल
उजड़खेड़ा सेक्टर-1 में यथार्थ गीता कैंप, मुल्ला पूरा में हरिहर चंद आश्रम के कैंप और सदावल रोड पर महामंडलेश्वर धर्मेंद्रगिरी सहित तकरीबन दो दर्जन कैंप के पांडाल उड़े। इसीलि श्रृद्धालुओं के साथ ही वहां निवासरत साधु-संत भी परेशान होते रहे।
महंगे पांडाल भी पानी से लबरेज
सिंहस्थ में सबसे बड़ा पांडाल स्वामी अवधेशानंद के प्रभू प्रेमी संघ का है तकरीबन 20 एकड़ जमीन पर। यहां किले रूप में पांडाल और चार दीवारी बनाई गई थी। सिंहस्थ शुरू होने से पहले हवा के तेज झौकों ने दीवार ध्वस्त कर दी थी वहीं गुरुवार की बरसात ने पांडाल के मुख्य द्वार के पास घुटने तक पानी भर गया। लोग कभी कपड़ों को संभालकर निकलते तो कभी माथे पर रखे सामान को। करीब-करीब यही स्थिति हर तीसरे बड़े पांडाल की रही। लोग पानी उलीचते नजर आए।
पुलिस को पसीने ला दिए भीड़ ने
श्रृद्धालुओं व वाहनों की भीड़ ने पुलिस को पसीने ला दिए। मेला क्षेत्र और उसकी कच्ची सड़कों की लंबाई 100 किलोमीटर से ज्यादा है लेकिन बारिश के कारण सारा तनाव डामर-कांक्रीट की 25 किलोमीटर लंबी सड़कों पर ही आ गया। कीचड़ के कारण सड़क घेर कर चल रहे श्रृद्धालुओं के कारण पहले ही सड़क आधी हो चुकी थी। इसीलिए जब सारी भीड़ सड़कों पर आई तो यातायात व्यवस्था ठप हो गई। वाहनों के साथ पैदल चलने वाले रेंगते रहे।
लाल हो गई सड़क
मेला क्षेत्र की कई सड़कें नई है। इनमें से आधी के दोनों ओर मुरम डली है। जहां मुरम डली है वे सड़कें वाहनों और श्रृद्धालुओं के पैर के साथ चिपके कीचड़ से पूरी लाल हो गई। वहीं जहां मुरम नहीं थी वे सड़कें कीचड़ ने फिसलन बढ़ा दी।
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