हर दिन 50 हजार को आसरा, 15 लाख को खाना
संत-महंतों और सामाजिक संस्थाओं ने की श्रृद्धालुओं के ठहरने-खाने-पीने की व्यवस्था
उज्जैन से विनोद शर्मा ।
सिंहस्थ 2016 बीते सिंहस्थ से विविध है। इस बार यहां न सिर्फ संतों के प्लॉटों की संख्या बढ़ी बल्कि सामाजिक संस्थाओं ने भी दोनों हाथ खोलकर श्रृद्धालुओं की सेवा शुरू कर दी है। आंकड़ों के लिहाज से बात करें तो संतों और सामाजिक संस्थाओं के कैंप में न सिर्फ 50 हजार से अधिक श्रृद्धालुओं के ठहरने की व्यवस्था है बल्कि हर दिन करीब 15 लाख लोगों को इनके अन्नक्षेत्र में भरपेट भोजन भी मिलेगा। जांच और प्राथमिक उपचार से लेकर आॅपरेशन थिएटर की व्यवस्थाएं भी यहां की गई हैं।
सिंहस्थ के सतरंगी इंद्रधनूष में एक रंग है सेवा का जिसके लिए न साधु पीछे है न सामाजिक संस्थाएं। प्रखर परोपकार मिशन ने 72 बेड का हॉस्पिटल बनाया है तो प्रभू प्रेमी संघ ने 10 बेड का हॉस्पिटल। ओम नम: शिवाय मिशन ने चार बेड लगाएगा। जांच करेगा। सलाइन चडाएगा। एम्बुलेंस चलाएगा। ऐसी व्यवस्थाएं तकरीबन दो दर्जन कैंप में है। नारायण सेवा संस्थान, उदयपुर ने भी अपना कैंप लगाया जहां विकलांगों को उपकरण वितरित होंगे वहीं उपकरण देकर विकलांगों को शिप्रा स्नान की जिम्मेदारी ली है स्वामी चिदानंद सरस्वती के परमार्थ निकेतन आश्रम ने। श्री पंच तेरह भाई त्यागी खालसे की योग चेतना विज्ञान धर्मार्थ सेवा संस्थान और सेवा संघ भी नि:शुल्क चिकित्सा सुविधा दे रहा है।
अन्न क्षेत्र बड़ा आधार
सिंहस्थ में पधारे तकरीबन सभी बड़े संतों, महंतों और सामाजिक संगठनों ने अपने प्रकल्प या कैंप में अन्न क्षेत्र (भंडारा और प्रसाद वितरण) की व्यवस्था की है। छोटे-छोटे प्रकल्पों में भी संतों, महंतों और श्रृद्धालुओं को भोजन कराया जा रहा है। आंकड़ों के लिहाज से बात करें तो छह जोन में सिंहस्थ में करीब 1200 कैंप में भोजन की व्यवस्था है। औसत हर कैंप में सुबह-शाम एक हजार लोगों को भोजन मिल रहा है तो इसका मतलब यह है कि हर दिन 12 लाख लोगों के खाने की व्यवस्था तो इन कैंपों में ही हो चुकी है। मानें 30 दिन में 4.50 करोड़ लोग कैंप में प्रसाद पाएंगे।
मेन्यू भी जानदार-जायकेदार : इन कैंप में भंडारे के नाम पर सिर्फ पूरी-सब्जी नहीं मिल रही है। कहीं दाल-चावल-रोटी और दो सब्जी है तो कहीं हलवा-गुलाब जामून भी मिल रहा है। वह भी शुद्ध देशी घी से। मतलब जिसे मिलावट से बचना है वह भी वहां देशी घी में बने व्यंजनों का लाभ ले सकता है।
खाने का गणित : उज्जैन में खाने की सबसे सस्ती प्लेट 40 रुपए की है जबकि उसकी और अन्न क्षेत्र में मिलने वाले खाने की गुणवत्ता में जमीन आसमान का अंतर है। फिर भी 40 रुपए के हिसाब से ही जोड़ें तो 15 लाख लोग हर दिन 6 करोड़ और पूरे सिंहस्थ में 180 करोड़ का। उल्लेखनीय यह है कि संतों को जो राशन का सरकारी कोटा मिला है उसमें अन्न क्षेत्र के लिए अनाज नहीं दिया गया है। अनाज सिर्फ आश्रम में रहने वाले स्थाई सदस्यों को ही दिया जा रहा है। हालांकि अन्न क्षेत्र के अन्न की व्यवस्था भी दानदाताओं ने ही की है।
ध्यान सेहत का भी
प्रखर परोपकारी मिशन की सहयोगी संस्था है सेवाधाम जो कि सिंहस्थ में आने वालों को न सिर्फ भोजन कराएगी बल्कि यह भी ध्यान रखेगी कि उन्हें लू न लगे। इसके लिए हर दिन 10 क्विंटल केरी-चिनी-पानी का पना बनाकर वितरित किया जाएगा। इस अन्नक्षेत्र में गैस का इस्तेमाल नहीं होगा। यहां खाना चुल्हें और लकड़ी से बनेगा। कई स्थानों पर छाछ का वितरण हो रहा है। कुछ स्थानों पर पताशे बांटे जा रहे हैं।
चेंजिंग रूम तक बना दिए
सामाजिक और व्यावसायिक संस्थाओ ंने नदी किनारे महिला और पुरुषों के लिए चेजिंग रूम तक बना दिए हैं ताकि कपड़े बदलने में किसी को किसी तरह की असुविधा न हो।
पानी की प्याऊ की आई बाढ़
बीते सिंहस्थ के अनुभव को देखते हुए शिवराजसिंह चौहान की सरकार ने उज्जैन में सरकारी प्याऊ स्थापित किए हैं वहीं सामाजिक संस्थाएं भी इस काम में पीछे नहीं रही। श्री धाकड़ समाज सिंहस्थ प्याऊ समिति ने जल मंदिर, मप्र वैष्य कल्याण ट्रस्ट ने अमृत जल प्याऊ, अग्रवाल समाज सिंहस्थ समिति ने 500 से अधिक वॉटर हट बनाई है। आज मेला क्षेत्र और शहर में प्याऊ की संख्या 1000 से अधिक है। प्याऊ सामान्य नहीं है। यहां लोगों को आरओ का ठंडा पानी मिल रहा है।
वनवासियों और मजदूरों का पूरा ध्यान
इंदौर की सेवा भारती ने भी मैदान संभाल लिया है। सेवा भारती ने भूखी माता क्षेत्र में अपना प्रकल्प बनाया है जहां स्वयं को सनातन धर्म से अलग मानने वाले वनवासियों और आदिवासियों को उज्जैन लाकर ठहराने, खिलाने-पिलाने और शिप्रा स्नान कराकर दोबारा घर तक छोड़ने की जिम्मेदारी संगठन ने ली है। रोटेशन में हर दिन 200 वनवासियों को लाया और घर छोड़ा जाएगा। सिंहस्थ में 6000 वनवासियों को शिप्रा स्नान कराने का संकल्प है। अखिल भारतीय वनवासी कल्याण परिषद ने भी सिंहस्थ से 21 जिलों के वनवासियों को जोड़ा है। इसीलिए वहां भी रहने और खाने की व्यवस्था की जा रही है।
आवास सुविधा
सिंहस्थ में पधारे तकरीबन हर बड़े संत-महंत ने सिंहस्थ में आने वाले अपने साधकों के ठहरने की व्यवस्था की है। किसी ने घास-फुस की कुटिया में लाइट-पंखे-कुलर की व्यवस्था कर दी है तो किसी की कुटिया में वीआईपी ट्रीटमेंट के मद्देनजर ऐसी और बाथरूम फिटिंग तक है। ऐसी और नॉन ऐसी टेंट और तम्बू भी तैयार हैं। वहीं बड़ी तादाद में प्लायवुड के कमरे बने हैं जो ऐसी व नॉन ऐसी हैं। आंकड़ों के लिहाज से बात करें तो मेला क्षेत्र में तकरीबन 20 हजार कुटिया और कमरे बनाए गए हैं। जहां मोटा-मोटा 40 हजार से अधिक लोगों को ठहराया जा सकता है। ठहरने की व्यवस्था के डोम में भी होगी। कुटिया-कमरे यूं तो फ्री बताए जा रहे हैं लेकिन सूत्रों की मानें तो सेवा-राशि के रूप में इनसे अच्छीखासी वसूली हो सकती है।
संत प्लाट नं.
महामंडलेश्वर अवधेशानंद ऐसी कुटिया-अन्न क्षेत्र, कथा,
प्रखर परोपकार मिशन ऐसी कुटिया-अन्न क्षेत्र, रामलीला
पायलेट बाबा ऐसी कुटिया-अन्न क्षेत्र
अवधुत बाबा ऐसी कुटिया-अन्न क्षेत्र
विजयशंकर मेहता ऐसी कुटिया-अन्न क्षेत्र
नित्यानंद स्वामी ऐसी कुटिया
श्री राकेश महाराज जी ऐसी कुटिया, अन्न क्षेत्र, रासलीला
स्वामी रामनारायण दास ऐसी कुटिया, अन्न क्षेत्र, भजन-कीर्तन
स्वामी सखेसर दास जी ऐसी-नॉन ऐसी कमरे। स्त्री-पुरुष के लिए अलग-अलग। अन्न क्षेत्र। भगवत कथा।
रामतिर्थदास महाराज जी ऐसी-नॉन ऐसी कमरे। अन्न क्षेत्र, रासलीला
राजेन्द्र कुराचार्य महाराज ऐसी-नॉन ऐसी कमरे। अन्न क्षेत्र, वृंदावन रासलीला
गणेश दास महाराज जी ऐसी-नॉन ऐसी कमरे। अन्न क्षेत्र, कथा-भजन
संतोष दास महाराज जी, नॉन ऐसी। अन्न क्षेत्र, भजन
महामंडलेश्वर रंगनाथ दास तंबू-टेंट रूम। अन्न क्षेत्र, कथा-भजन
श्री महंत गोपाल दास जी रूम, अन्न क्षेत्र
श्री रामसुखद दास जी कुटिया, अन्न क्षेत्र, भजन
स्वामी राधा प्रसाद देव रूम, अन्न क्षेत्र ,किर्तन।
श्री सुख देव दास जी कुटिया, तम्बू कमरे, अन्न क्षेत्र
महंत देवराम दास 20 रुम (ऐसी, कूलर), अन्न क्षेत्र
श्री किशोरदास महाराज कमरे कूलर वाले, शिवपुराण
महंत राम बालक दास कमरे(कूलर ,पंखे), अन्न क्षेत्र
महंत परमेश्वर दास तम्बू, कुटिया, रूम, टेंट(कूलर,पंखे), अन्न क्षेत्र
महन्त त्रिलोचन महाराज रूम,कुटिया, तम्बू, अन्न क्षेत्र, रामायण किर्तन।
संत-महंतों और सामाजिक संस्थाओं ने की श्रृद्धालुओं के ठहरने-खाने-पीने की व्यवस्था
उज्जैन से विनोद शर्मा ।
सिंहस्थ 2016 बीते सिंहस्थ से विविध है। इस बार यहां न सिर्फ संतों के प्लॉटों की संख्या बढ़ी बल्कि सामाजिक संस्थाओं ने भी दोनों हाथ खोलकर श्रृद्धालुओं की सेवा शुरू कर दी है। आंकड़ों के लिहाज से बात करें तो संतों और सामाजिक संस्थाओं के कैंप में न सिर्फ 50 हजार से अधिक श्रृद्धालुओं के ठहरने की व्यवस्था है बल्कि हर दिन करीब 15 लाख लोगों को इनके अन्नक्षेत्र में भरपेट भोजन भी मिलेगा। जांच और प्राथमिक उपचार से लेकर आॅपरेशन थिएटर की व्यवस्थाएं भी यहां की गई हैं।
सिंहस्थ के सतरंगी इंद्रधनूष में एक रंग है सेवा का जिसके लिए न साधु पीछे है न सामाजिक संस्थाएं। प्रखर परोपकार मिशन ने 72 बेड का हॉस्पिटल बनाया है तो प्रभू प्रेमी संघ ने 10 बेड का हॉस्पिटल। ओम नम: शिवाय मिशन ने चार बेड लगाएगा। जांच करेगा। सलाइन चडाएगा। एम्बुलेंस चलाएगा। ऐसी व्यवस्थाएं तकरीबन दो दर्जन कैंप में है। नारायण सेवा संस्थान, उदयपुर ने भी अपना कैंप लगाया जहां विकलांगों को उपकरण वितरित होंगे वहीं उपकरण देकर विकलांगों को शिप्रा स्नान की जिम्मेदारी ली है स्वामी चिदानंद सरस्वती के परमार्थ निकेतन आश्रम ने। श्री पंच तेरह भाई त्यागी खालसे की योग चेतना विज्ञान धर्मार्थ सेवा संस्थान और सेवा संघ भी नि:शुल्क चिकित्सा सुविधा दे रहा है।
अन्न क्षेत्र बड़ा आधार
सिंहस्थ में पधारे तकरीबन सभी बड़े संतों, महंतों और सामाजिक संगठनों ने अपने प्रकल्प या कैंप में अन्न क्षेत्र (भंडारा और प्रसाद वितरण) की व्यवस्था की है। छोटे-छोटे प्रकल्पों में भी संतों, महंतों और श्रृद्धालुओं को भोजन कराया जा रहा है। आंकड़ों के लिहाज से बात करें तो छह जोन में सिंहस्थ में करीब 1200 कैंप में भोजन की व्यवस्था है। औसत हर कैंप में सुबह-शाम एक हजार लोगों को भोजन मिल रहा है तो इसका मतलब यह है कि हर दिन 12 लाख लोगों के खाने की व्यवस्था तो इन कैंपों में ही हो चुकी है। मानें 30 दिन में 4.50 करोड़ लोग कैंप में प्रसाद पाएंगे।
मेन्यू भी जानदार-जायकेदार : इन कैंप में भंडारे के नाम पर सिर्फ पूरी-सब्जी नहीं मिल रही है। कहीं दाल-चावल-रोटी और दो सब्जी है तो कहीं हलवा-गुलाब जामून भी मिल रहा है। वह भी शुद्ध देशी घी से। मतलब जिसे मिलावट से बचना है वह भी वहां देशी घी में बने व्यंजनों का लाभ ले सकता है।
खाने का गणित : उज्जैन में खाने की सबसे सस्ती प्लेट 40 रुपए की है जबकि उसकी और अन्न क्षेत्र में मिलने वाले खाने की गुणवत्ता में जमीन आसमान का अंतर है। फिर भी 40 रुपए के हिसाब से ही जोड़ें तो 15 लाख लोग हर दिन 6 करोड़ और पूरे सिंहस्थ में 180 करोड़ का। उल्लेखनीय यह है कि संतों को जो राशन का सरकारी कोटा मिला है उसमें अन्न क्षेत्र के लिए अनाज नहीं दिया गया है। अनाज सिर्फ आश्रम में रहने वाले स्थाई सदस्यों को ही दिया जा रहा है। हालांकि अन्न क्षेत्र के अन्न की व्यवस्था भी दानदाताओं ने ही की है।
ध्यान सेहत का भी
प्रखर परोपकारी मिशन की सहयोगी संस्था है सेवाधाम जो कि सिंहस्थ में आने वालों को न सिर्फ भोजन कराएगी बल्कि यह भी ध्यान रखेगी कि उन्हें लू न लगे। इसके लिए हर दिन 10 क्विंटल केरी-चिनी-पानी का पना बनाकर वितरित किया जाएगा। इस अन्नक्षेत्र में गैस का इस्तेमाल नहीं होगा। यहां खाना चुल्हें और लकड़ी से बनेगा। कई स्थानों पर छाछ का वितरण हो रहा है। कुछ स्थानों पर पताशे बांटे जा रहे हैं।
चेंजिंग रूम तक बना दिए
सामाजिक और व्यावसायिक संस्थाओ ंने नदी किनारे महिला और पुरुषों के लिए चेजिंग रूम तक बना दिए हैं ताकि कपड़े बदलने में किसी को किसी तरह की असुविधा न हो।
पानी की प्याऊ की आई बाढ़
बीते सिंहस्थ के अनुभव को देखते हुए शिवराजसिंह चौहान की सरकार ने उज्जैन में सरकारी प्याऊ स्थापित किए हैं वहीं सामाजिक संस्थाएं भी इस काम में पीछे नहीं रही। श्री धाकड़ समाज सिंहस्थ प्याऊ समिति ने जल मंदिर, मप्र वैष्य कल्याण ट्रस्ट ने अमृत जल प्याऊ, अग्रवाल समाज सिंहस्थ समिति ने 500 से अधिक वॉटर हट बनाई है। आज मेला क्षेत्र और शहर में प्याऊ की संख्या 1000 से अधिक है। प्याऊ सामान्य नहीं है। यहां लोगों को आरओ का ठंडा पानी मिल रहा है।
वनवासियों और मजदूरों का पूरा ध्यान
इंदौर की सेवा भारती ने भी मैदान संभाल लिया है। सेवा भारती ने भूखी माता क्षेत्र में अपना प्रकल्प बनाया है जहां स्वयं को सनातन धर्म से अलग मानने वाले वनवासियों और आदिवासियों को उज्जैन लाकर ठहराने, खिलाने-पिलाने और शिप्रा स्नान कराकर दोबारा घर तक छोड़ने की जिम्मेदारी संगठन ने ली है। रोटेशन में हर दिन 200 वनवासियों को लाया और घर छोड़ा जाएगा। सिंहस्थ में 6000 वनवासियों को शिप्रा स्नान कराने का संकल्प है। अखिल भारतीय वनवासी कल्याण परिषद ने भी सिंहस्थ से 21 जिलों के वनवासियों को जोड़ा है। इसीलिए वहां भी रहने और खाने की व्यवस्था की जा रही है।
आवास सुविधा
सिंहस्थ में पधारे तकरीबन हर बड़े संत-महंत ने सिंहस्थ में आने वाले अपने साधकों के ठहरने की व्यवस्था की है। किसी ने घास-फुस की कुटिया में लाइट-पंखे-कुलर की व्यवस्था कर दी है तो किसी की कुटिया में वीआईपी ट्रीटमेंट के मद्देनजर ऐसी और बाथरूम फिटिंग तक है। ऐसी और नॉन ऐसी टेंट और तम्बू भी तैयार हैं। वहीं बड़ी तादाद में प्लायवुड के कमरे बने हैं जो ऐसी व नॉन ऐसी हैं। आंकड़ों के लिहाज से बात करें तो मेला क्षेत्र में तकरीबन 20 हजार कुटिया और कमरे बनाए गए हैं। जहां मोटा-मोटा 40 हजार से अधिक लोगों को ठहराया जा सकता है। ठहरने की व्यवस्था के डोम में भी होगी। कुटिया-कमरे यूं तो फ्री बताए जा रहे हैं लेकिन सूत्रों की मानें तो सेवा-राशि के रूप में इनसे अच्छीखासी वसूली हो सकती है।
संत प्लाट नं.
महामंडलेश्वर अवधेशानंद ऐसी कुटिया-अन्न क्षेत्र, कथा,
प्रखर परोपकार मिशन ऐसी कुटिया-अन्न क्षेत्र, रामलीला
पायलेट बाबा ऐसी कुटिया-अन्न क्षेत्र
अवधुत बाबा ऐसी कुटिया-अन्न क्षेत्र
विजयशंकर मेहता ऐसी कुटिया-अन्न क्षेत्र
नित्यानंद स्वामी ऐसी कुटिया
श्री राकेश महाराज जी ऐसी कुटिया, अन्न क्षेत्र, रासलीला
स्वामी रामनारायण दास ऐसी कुटिया, अन्न क्षेत्र, भजन-कीर्तन
स्वामी सखेसर दास जी ऐसी-नॉन ऐसी कमरे। स्त्री-पुरुष के लिए अलग-अलग। अन्न क्षेत्र। भगवत कथा।
रामतिर्थदास महाराज जी ऐसी-नॉन ऐसी कमरे। अन्न क्षेत्र, रासलीला
राजेन्द्र कुराचार्य महाराज ऐसी-नॉन ऐसी कमरे। अन्न क्षेत्र, वृंदावन रासलीला
गणेश दास महाराज जी ऐसी-नॉन ऐसी कमरे। अन्न क्षेत्र, कथा-भजन
संतोष दास महाराज जी, नॉन ऐसी। अन्न क्षेत्र, भजन
महामंडलेश्वर रंगनाथ दास तंबू-टेंट रूम। अन्न क्षेत्र, कथा-भजन
श्री महंत गोपाल दास जी रूम, अन्न क्षेत्र
श्री रामसुखद दास जी कुटिया, अन्न क्षेत्र, भजन
स्वामी राधा प्रसाद देव रूम, अन्न क्षेत्र ,किर्तन।
श्री सुख देव दास जी कुटिया, तम्बू कमरे, अन्न क्षेत्र
महंत देवराम दास 20 रुम (ऐसी, कूलर), अन्न क्षेत्र
श्री किशोरदास महाराज कमरे कूलर वाले, शिवपुराण
महंत राम बालक दास कमरे(कूलर ,पंखे), अन्न क्षेत्र
महंत परमेश्वर दास तम्बू, कुटिया, रूम, टेंट(कूलर,पंखे), अन्न क्षेत्र
महन्त त्रिलोचन महाराज रूम,कुटिया, तम्बू, अन्न क्षेत्र, रामायण किर्तन।
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