Wednesday, May 11, 2016

सड़क पर लौटा सुकुन, पार्क हुई पाबंदी

- स्टॉपर हटे, बेरिंगेट्स हुए कम, वाहन पास का चक्कर भी थमा
इंदौर/उज्जैन. चीफ रिपोर्टर । 
सुरक्षा और व्यवस्थित यातायात के नाम पर 21 अपै्रल से छावनी बना उज्जैन सोमवार को खुला-खुला नजर आया।   सोमवार को जाम में फंसे और मार्गों पर लगे प्रतिबंध से परेशान वाहनों की पेंपें सुनाई नहीं दी। सुनाई दी तो सिर्फ सिंहस्थ की गुंज। करीब एक सप्ताह के बाद लोग महाकाल  मंदिर, हरसिद्धि मंदिर और रामघाट तक अपने चौपहिया वाहन तक पहुंच पाए। 
    वाहनों की नोइंट्री और बेरिकेटिंग के साथ ही चप्पे-चप्पे नियम-कायदे बताते पुलिस जवानों ने सिंहस्थ के पहले शाही स्नान को फीका कर दिया था। उनकी मुश्तैदी से चांडाल योग को लेकर आशंकित उज्जैन में कोई बड़ी घटना तो नहीं हुई लेकिन पहले शाही स्नान से लाखों लोगों की दूरी किसी बड़ी घटना से कम नहीं थी। समीक्षा के बाद  सिंहस्थ 2016 को कर्फ्यू कुंभ तक कहा जाने लगा। इसीलिए शासन-प्रशासन और पुलिस ने भी नरमी दिखाई जिसका असर सोमवार को उज्जैन की सड़कों पर दिखा। लोग अपने वाहनों से आसानी न सिर्फ मेला क्षेत्र में घुम सके बल्कि शहर के मध्य क्षेत्र (हरसिद्धि, महाकाल, रामघाट, पंचायती अखाड़ा, भूखीमाता रोड़) में भी उनकी पहुंच वैसी ही रही जैसी सिंहस्थ शुरू होने से पहले थी। 
व्यवस्था जवानों ने संभाली
जिन रास्तों को बेरिगेट्स और नो इंट्री के बोर्ड लगाकर बंद कर दिया गया था। वहां से नो इंट्री के बोर्ड भी हटे। बेरिगेट्स भी कम हुए। व्यवस्था संभाली पुलिस के जवानों ने। शाम 8 बजे जब मेला क्षेत्र लोगों की भीड़ बढ़ी तब अंकपात चौराहा, वीर सवारकर चौराहा व अन्य चौराहों की स्थिति देखने लायक थी। यहां पुलिस पहले राहगिरों को रोकती, समूह बनने देती और फिर वाहनों को रोककर उन्हें रास्ता दे देती। वाहन चालकों ने भी सब्र का परिचय और पुलिस का साथ दिया। 
यहां भी पहुंच रही आसान...
मंगलनाथ रोड, गढ़कालिका रोड, भूखी माता रोड से दत्त अखाड़ा जोन, जयसिंहपुरा से महाकाल मंदिर-हरसिद्धि मंदिर-रामघाट, गोपाल मंदिर।
दिन में कम, शाम-रात को ज्यादा भीड़
सिंहस्थ में काले बादलों के साथ उज्जैन की 38 डिग्री का रंग भी अपने पूरे तेवर दिखा रहा है। लाल पत्थर से सजे परम्परागत घाट सुबह 10 बजे से ही गरम हो जाते हैं। इसीलिए वहां दिन में नहाने वालों की संख्या जितनी कम नजर आती है, उतने ही ज्यादा लोग दिखते हैं रात में। शाम 5 बजे से उज्जैन की सड़कों पर भीड़ बढ़ जाती है। इंदौर, भोपाल, देवास, शाजापुर, आगर, राजगढ़, सीहोर, खंडवा, खरगोन, बड़वानी, धार, रतलाम, नीमच और मंदसौर के लोग शाम 6 बजे बाद पहुंचते हैं। घुमते-फिरते हैं, स्नान करते हैं और फिर सुबह 6 बजे तक रवाना हो जाते हैं। ताकि अपने गंतव्य तक पहुंच जाएं। इससे वर्किंग क्लास लोगों को छुट्टी के लिए झिकझिक भी नहीं करना पड़ती और रात में शांति से स्नान हो जाते हैं सो अलग। रविवार की अल सुबह 3 बजे रामघाट-दत्त अखाड़ा घाट पर तकरीबन 10 हजार लोगों की भीड़ थी नहाने के लिए। 
भीड़ कम नहीं, बटी हुई हैं 
चूंकि मेला क्षेत्र 2004 के मुकाबले करीब-करीब दोगुना है। एरिया बढ़ने के साथ ही लोगों की संख्या भी यहां बंट गई। 
तकरीबन हर दूसरे तीसरे पांडाल में रामकथा, भागवत कथा, शिवपुराण जैसी कथाएं हो रही हैं। इन पांडालों में भी लोग अपना वक्त दे रहे हैं। 
दिन में भोजन शाला और अन्न क्षेत्रों में भीड़ रहती है। इसके साथ ही खाली पांडालों या विश्राम के लिए बने पांडालों में लोग आराम भी करते हैं। इसलिए भी भीड़ सड़क पर कम दिखती है।

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