Wednesday, May 11, 2016

गौ रक्षा की बात नहीं, पाल रहे हैं 1.75 लाख गायें

30 हजार से अधिक गायों को वधकों से बचा चुका है पहाड़ी बाबा खालसा
उज्जैन से विनोद शर्मा ।
गौ वध के खिलाफ सार्वजनिक मंच पर बातें होती है। अभियान बनते हैं।
योजनाएं बनती है लेकिन मैदानी स्थिति नहीं बदलती। वहीं सिंहस्थ 2016 के
लिए उज्जैन पधारे श्री पहाड़ी बाबा नगर खालसा के मलूक पीठाधीश्वर श्री
राजेंद्रदास देवाचार्य के नेतृत्व में चार गौशाला चल रही है जहां
हजार-चार हजार नहीं बल्कि 1.75 लाख से अधिक गायें हैं। इनमें से 30 हजार
से अधिक गाये ऐसी हैं जो कभी वध के लिए जा रही थी लेकिन एनवक्त पर
पहुंचकर देवाचार्य और उनकी टीम ने उन्हें बचा लिया।
        वृंदावन, ललितपुर (यूपी) के श्री पहाड़ी बाबा नगर खालसा और  लक्ष्मी
नृसिंह खालसे का भव्य प्रकल्प खाकचौक चौराहे पर है। योगीराज नृसिंहदास
महाराज के शिष्य श्री राजेंद्रदासजी का कहना है कि मैं सिर्फ गौ रक्षा की
बात नहीं करता। हमारा अभियान जारी है। जिसके तहत विभिन्न क्षेत्रों में
गौशालाएं स्थापित करना, वधकों से मुक्त कराकर गौवंश का संरक्षण भी कर रहे
हैं और संवर्धन भी। अपने सत्संग और आध्यात्मिक अनुष्ठानों से गौ रक्षा की
भावना प्रसारित भी कर रहे हैं।
तब सार्थक होगा सिंहस्थ
महाकुंभ में यज्ञ-हवन और कथाओं के साथ ही राष्ट्रहित का चिंतन भी जरूरी
है। तेजवान संत और आस्थावान श्रृद्धालुअ मिलकर मंथन करें। भारत की सीमाएं
कैसे सुरक्षित हो? राजनीतिक दल भारतीय प्रजा के साथ छल करना बंद कर दें।
नहीं चेते तो देश की हालत भी वैसी ही होगी जो कहीं यहां पूजी जाती रही
गाय माता की आज हो रही है। आज देश की धरती गौ रक्त से रंजित है। मुगल काल
से अंग्रेजों तक जितनी भी क्रांति हुई उनके मूल में गौ रक्षा की भावना भी
थी। महात्मा गांधी ने कहा था कि जिस देश आजाद होगा उसके दूसरे ही दिन से
गौवध प्रतिबंधित हो जाएगा। दुर्भाग्य है आजादी मिले 69 साल हो चुके हैं
लेकिन गौवध का कलंक अब तक नहीं मिटा।  इस दिशा में सार्थक पहल होती है तब
ही समझेंगे कि हमारा यहां आना सफल हो गया।
सुविधा के लिए धन्यवाद, असुविधा के लिए खेद
देवाचार्य का कहना है कि उज्जैन में हुए मूलभूत सुविधाओं के विस्तार के
लिए मुख्यमंत्री को धन्यवाद। यह उज्जैन में मेरा तीसरा महाकुंभ है। पूर्व
के तीन महाकुंभ के मुकाबले इस बार व्यवस्था पूरी तरह चरमराई हुई है।
पूर्णिमा (पहले शाही स्नान वाले दिन) को प्रशासन की व्यवस्था नजर नहीं
आई। घाटों पर आज जनता और महिलाएं स्नान करते रहे। संत ठीक से स्नान नहीं
कर सके। आगे यही हाल रहा तो तब भी लोग नहीं आएंगे।
चांडाल हमारी बुद्धि में है उसे दूर करें
चाडांल योग के कारण सिंहस्थ में लोगों की उपस्थिति कम रही? इसके जवाब में
देवाचार्य ने कहा कि चांडालक हमारी बुद्धि में हे जिसे दूर करना चाहिए।
क्षुब्ध विचारों को त्यागे इसी से चांडाल की निवृत्ति होगी। सभी
अनी-अखाड़े, संत-महंत और महामंडेलश्वर बैठे और विचार करें कि सिंहस्थ के
आध्यात्मिक स्वरूप को पुन: स्थापित और परिषकृत करे। प्रशासन भी मुश्तैदी
दिखाए। संतों को संतोषजनक स्नान करवाए। बाकी तो महाकाल के सामने हर योग
सफल है।
कहां कितनी गायें
गौशाला                  संरिक्षत गायें
पथमेढ़ा गोशाला           150000
बृज गौशाला              20000
चंद्र सरोवरपुर          1200
जड़खोर                   5500
ललितपुर                 2000
ओरछा                    500

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