पीएचई में जबरदस्त मनमानी, आखिर लोगों को कैसे मिले पानी
एसडीएम का औचक निरीक्षण, लगी अनुपस्थिति
मीटिंग और फील्ड के नाम पर मौज मार रहे हैं जिम्मेदार
इंदौर. विनोद शर्मा ।
साहब कहां है..? मीटिंग में है..। नंबर दो मैं बात करता हूं..? हैलो संतोष श्रीवास्तव जी, कहां हैं आप...? मैं आॅफिस ही आ रहा हूं, आप कौन..? मैं एसडीएम रवीश श्रीवास्तव हूं और कलेक्टर के आदेश पर आपके आॅफिस में औचक निरीक्षण कर रहे हैं? जी, जी.. मैं फील्ड में था इसीलिए लेट हो गया। आप सहित आपका 90 फीसदी स्टाफ अब तक गायब है? मैं आकर देखता हूं।
यह नजारा था मुसाखेड़ी स्थित पीएचई आॅफिस का। जहां दोपहर सुबह 12.30 बजे एसडीएम श्रीवास्तव और उनकी टीम जांच के लिए पहुंची तो पता चला कि 32 लोगों के स्टाफ में से आॅफिस में थे सिर्फ 7 ही। इनमें दो बाबू थे। बाकी चपरासी। गायब थे 25 लोग जिनमें कार्यपालन यंत्री संतोष श्रीवास्तव, उनके अजीज उपयंत्री एम.के.नाइक और टेक्नीशियन पुरणसिंह बेस भी शामिल थे। एसडीएम ने सभी की अनुपस्थिति लगा दी और रिपोर्ट बनाकर कलेक्टर को दे दी।
फिर गायब हो गए श्रीवास्तव
एसडीएम के जाने के कुछ ही देर बाद श्रीवास्तव फिर अपने कैबिन में ताला जड़कर चले गए। पूछा तो जवाब मिला कि मीटिंग में गए हैं लेकिन मीटिंग कहां है? इसका स्टाफ को पता नहीं था।
यहां हर दिन यही स्थिति
अधिकारियों को मूसाखेड़ी परिसर से मिली सूचना के अुनसार एक तरफ शहर की पेयजल व्यवस्था नर्मदा परियोजना के अधिकारी संजीव श्रीवास्तव संभाल रहे हैं तो दूसरी तरफ गांवों की कमान संतोष श्रीवास्तव के पास है। दोनों ही रिश्तेदार हैं और दोनों की यहां मनमानी चलती है। फील्ड या बैठकों का हवाला देकर दोनों ही अक्सर यहां से गायब रहते हैं। उनका वरदहस्त प्राप्त उनका स्टाफ भी उन्हीं के नक्शे कदम पर है।
क्यों महत्वपूर्ण है विभाग
पीएचई दो हिस्सों में बटा है। पीएचई शहर (नर्मदा परियोजना) और पीएचई ग्रामीण। दोनों के कार्यपालन यंत्रियों का आॅफिस मुसाखेड़ी में। यहीं से शहर से लेकर दूर-दराज के गांवों तक को पानी देने की रणनीति बनती है। बिगड़ती है। बड़ी आशा के साथ लोग यहां पानी की मांग या पानी आपूर्ति में हो रही समस्या को हल करवाने आते हैं। अफसरों की गैरहाजरी लोगों को निराश और परेशान करती है।
मैं मीटिंग में था
दोपहर में आॅफिस की चेकिंग हुई थी उस दौरान मैं था नहीं। एसई आॅफिस में मीटिंग चल रही थी वहां बैठा था। स्टाफ की जानकारी मुझे नहीं थी लेकिन हम टाइट करेंगे।
संतोष श्रीवास्तव, कार्यपालन यंत्री
कोई मीटिंग ली ही नहीं
आज मैंने कोई ऐसी मीटिंग नहीं ली जिसमें श्रीवास्तव की मौजूदगी रही हो। अनुपस्थिति वाले मामले में मैं जानकारी लेता हूं। आवश्यकतानुसार कार्रवाई करेंगे।
वी.एस.सोलंकी, सुप्रीटेंडेंट इंजीनियर
मुझे कहा कि रास्ते में हूं
दबिश के वक्त कार्यपालन यंत्री मौके पर नहीं थे। पूछने पर यही कहा था कि वे रास्ते में है। बाकी 90 फीसदी स्टाफ गायब था। रिपोर्ट कलेक्टर को भेज दी है।
रवीश श्रीवास्तव, एसडीएम
एसडीएम का औचक निरीक्षण, लगी अनुपस्थिति
मीटिंग और फील्ड के नाम पर मौज मार रहे हैं जिम्मेदार
इंदौर. विनोद शर्मा ।
साहब कहां है..? मीटिंग में है..। नंबर दो मैं बात करता हूं..? हैलो संतोष श्रीवास्तव जी, कहां हैं आप...? मैं आॅफिस ही आ रहा हूं, आप कौन..? मैं एसडीएम रवीश श्रीवास्तव हूं और कलेक्टर के आदेश पर आपके आॅफिस में औचक निरीक्षण कर रहे हैं? जी, जी.. मैं फील्ड में था इसीलिए लेट हो गया। आप सहित आपका 90 फीसदी स्टाफ अब तक गायब है? मैं आकर देखता हूं।
यह नजारा था मुसाखेड़ी स्थित पीएचई आॅफिस का। जहां दोपहर सुबह 12.30 बजे एसडीएम श्रीवास्तव और उनकी टीम जांच के लिए पहुंची तो पता चला कि 32 लोगों के स्टाफ में से आॅफिस में थे सिर्फ 7 ही। इनमें दो बाबू थे। बाकी चपरासी। गायब थे 25 लोग जिनमें कार्यपालन यंत्री संतोष श्रीवास्तव, उनके अजीज उपयंत्री एम.के.नाइक और टेक्नीशियन पुरणसिंह बेस भी शामिल थे। एसडीएम ने सभी की अनुपस्थिति लगा दी और रिपोर्ट बनाकर कलेक्टर को दे दी।
फिर गायब हो गए श्रीवास्तव
एसडीएम के जाने के कुछ ही देर बाद श्रीवास्तव फिर अपने कैबिन में ताला जड़कर चले गए। पूछा तो जवाब मिला कि मीटिंग में गए हैं लेकिन मीटिंग कहां है? इसका स्टाफ को पता नहीं था।
यहां हर दिन यही स्थिति
अधिकारियों को मूसाखेड़ी परिसर से मिली सूचना के अुनसार एक तरफ शहर की पेयजल व्यवस्था नर्मदा परियोजना के अधिकारी संजीव श्रीवास्तव संभाल रहे हैं तो दूसरी तरफ गांवों की कमान संतोष श्रीवास्तव के पास है। दोनों ही रिश्तेदार हैं और दोनों की यहां मनमानी चलती है। फील्ड या बैठकों का हवाला देकर दोनों ही अक्सर यहां से गायब रहते हैं। उनका वरदहस्त प्राप्त उनका स्टाफ भी उन्हीं के नक्शे कदम पर है।
क्यों महत्वपूर्ण है विभाग
पीएचई दो हिस्सों में बटा है। पीएचई शहर (नर्मदा परियोजना) और पीएचई ग्रामीण। दोनों के कार्यपालन यंत्रियों का आॅफिस मुसाखेड़ी में। यहीं से शहर से लेकर दूर-दराज के गांवों तक को पानी देने की रणनीति बनती है। बिगड़ती है। बड़ी आशा के साथ लोग यहां पानी की मांग या पानी आपूर्ति में हो रही समस्या को हल करवाने आते हैं। अफसरों की गैरहाजरी लोगों को निराश और परेशान करती है।
मैं मीटिंग में था
दोपहर में आॅफिस की चेकिंग हुई थी उस दौरान मैं था नहीं। एसई आॅफिस में मीटिंग चल रही थी वहां बैठा था। स्टाफ की जानकारी मुझे नहीं थी लेकिन हम टाइट करेंगे।
संतोष श्रीवास्तव, कार्यपालन यंत्री
कोई मीटिंग ली ही नहीं
आज मैंने कोई ऐसी मीटिंग नहीं ली जिसमें श्रीवास्तव की मौजूदगी रही हो। अनुपस्थिति वाले मामले में मैं जानकारी लेता हूं। आवश्यकतानुसार कार्रवाई करेंगे।
वी.एस.सोलंकी, सुप्रीटेंडेंट इंजीनियर
मुझे कहा कि रास्ते में हूं
दबिश के वक्त कार्यपालन यंत्री मौके पर नहीं थे। पूछने पर यही कहा था कि वे रास्ते में है। बाकी 90 फीसदी स्टाफ गायब था। रिपोर्ट कलेक्टर को भेज दी है।
रवीश श्रीवास्तव, एसडीएम
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