Thursday, June 2, 2016

पार्टी ने उजागर किए बदनाम बिल्डरों के चेहरे

- विवादों से है जिनका गहरा नाता
भोपाल. विनोद शर्मा ।
कान्हा फन सिटी पार्क की रेव पार्टी में बार बालाओं के साथ रंग-रलियां मनाते हुए भोपाल के जिन धन्नासेठों को पुलिस ने पकड़ा है उनमें कई बदनाम बिल्डर भी शामिल हैं। फिर वह गृह निर्माण सहकारी की जमीन पर गैरवाजिब तरीके से टाउनशीप खड़ी करके गैर सदस्यों को प्लॉट-फ्लैट बेचने वाले नितिन अग्रवाल हों या फिर स्वयं को भरौसे का दूसरा नाम कहने वाली क्रेडाई की भोपाल इकाई के अध्यक्ष वासिक हुसैन खान। बदनामों की सूची में एक और बड़ा नाम है एलएनसीटी समूह के सर्वेसर्वा अनुपम चौकसे का जिनका दामन भी व्यापमं से दागदार है।
सोमवार देर रात उजागर हुई रेव पार्टी अपने किस्म की पहली पार्टी नहीं थी। बल्कि मुंबई से रशियन लड़कियां या डांसर बुलाकर भोपाल में अक्सर ऐसी पार्टी होती रहती है। यह बात अलग है कि आयोजन गोपनीय रखा जाता है। सिर्फ उन्हीं को सूचना रहती है जिन्हें आयोजकों द्वारा सुचिबद्ध करके सूचना दी जाती है। इस पार्टी की मेजबानी ज्यादातर बिल्डर या उनके माध्यम से होता है। जबकि मेहमान होते हैं नेता और ब्यूृरोक्रेट्स जिन्हें साधकर प्रोजेक्ट आसानी से मंजूर कराए जा सकें। बहरहाल, एक तरफ पुलिस ने सीसीटीवी कैमरों के फुटेज खंगालना शुरू कर दिए हैं जिनसे विशेष मेहमानों के चेहरे भी सार्वजनिक हो सकते हैं।
अफसर संकट में
पुलिस द्वारा सीसीटीवी फुटेज खंगाले जाने की बाद से सरकारी महकमों से जुड़े वे तमाम लोग परेशान हैं जो उस दिन रेव पार्टी का आनंद लेते रहे और छापा पड़ने से पहले ही निकल गए। इनमें नगर निगम भोपाल, टाउन एंड कंट्री प्लानिंग के अधिकारी, जिला प्रशासन के अधिकारी, पुलिस प्रशासन के अधिकारियों के साथ न्यायिक क्षेत्र से जुड़े कई चेहरे भी शामिल थे।
बदनाम बिल्डरों ने बढ़ाया दबाव
अपने रसूख के दम पर इन बदनाम बिल्डरों ने पुलिस पर दबाव बनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। उनकी कोशिश यही रही कि पहले तो केस रफादफा हो जाए या उनके नाम हटा दिए जाएं। या मीडिया के सामने उनके नाम सार्वजनिक न किए जाए। इसके लिए उन्होंने कभी नेताओं के फोन लगवाए तो कभी अफसरों के।
धु्रवनारायण सिंह से नजदीकी या भागीदारी?
बदनाम बिल्डरों की फेहरिस्त में बड़ा नाम है वासिक हुसैन खान। यूं तो यह कॉन्फीडरेशन आॅफ रीयल एस्टेट डेवलपर्स एसोसिएशन आॅफ इंडिया (क्रेडाई) के भोपाल चेप्टर के डायरेक्टर व अध्यक्ष हैं। इसके अलावा किसी एक लिमिटेड फर्म में डायरेक्टर नहीं है। क्योंकि इनका सारा कामकाज पार्टनर्शीप पर टिका है। यह बात अलग है कि अपने भागीदारों मनीष वर्मा व मोटवानी के खिलाफ लगाए गए धोखाधड़ी के मामले में भी यह कोर्ट के पूछे जाने के बावजूद अपने पार्टनर के नाम सार्वजनिक नहीं कर पाए। या यूं कहें कि सार्वजनिक नहीं किए। पूर्व विधायक, वरिष्ठ भाजपा नेता और शहला मसूद हत्याकांड से सुर्खियों में आए धु्रवनारायण सिंह से नजदीकी इसकी बड़ी वजह है। सूत्रों की मानें तो वासिक उन्हीं जमीनों पर काम करता है जो सिंह या सिंह से जुड़े लोगों की हो। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि दोनों भागीदार हैं।
सर्वधर्म की जमीन गैरसदस्यों को बेच दी
वासिक की तरत रीयल एस्टेट से ही जुड़ा है नितिन अग्रवाल का नाम जो कि स्वदेश बिल्डर्स एंड डेवलपर्स के डायरेक्टर हैं। अग्रवाल ने कोलार में स्थित अध्यक्ष रियाज खान से सर्वधर्म गृह निर्माण सहकारी संस्था की 22.72 एकड़ जमीन खरीदी और टाउनशिप का काम शुरू कर दिया। मामले की शिकायत के बाद ईओडब्ल्यू ने 27 नवंबर 2014 को 30 लोगों के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया था। 8 जनवरी को  कोलार नगर पालिका के तत्कालीन सीएमओ राजेश श्रीवास्तव, तत्कालीन सब इंजीनियर विनोद त्रिपाठी, बिल्डर नितिन अग्रवाल पी. राजू के घर पर और स्वदेश बिल्डर्स एंड डेवलपर्स के दफ्तर पर की छापे की कार्रवाई की और महत्वपूर्ण फाइलें जब्त की। स्वदेश ने सर्वधर्म की जमीन पर 11 साल पहले विकसित करके बेच दी। आठ एकड़ पर तो बिल्डिंग बनाकर दी गई है। कुल 300 से अधिक फ्लैट और मकान बनाकर बेचे जबकि संस्था के वास्तविक सदस्य भूखंड पाने से वंचित रह गए। ये आज भी प्लाट के लिए भटक रहे हैं और सोसायटी की जमीन पर कालोनी तानकर बिल्डर प्नितिन अग्रवाल और पी.राजू ने पांच सौ करोड़ रुपए के आसामी बन गए। हालांकि केस दर्ज होने के बाद दोनों फरार भी रहे।
डीमेट घोटाले में लिप्तता से सुर्खियों में अनुपम
डीमेट फजीर्वाड़े में एलएन मेडिकल कॉलेज व जेके हॉस्पिटल के डायरेक्टर होने के साथ डीमेट के सचिव रहे अनुपम पिता जयनारायण चौकसे 19 अक्टूबर 2013 को गिरफ्तार हो चुके हैं। कोलार थाने में कुल डीमेट के तीन मामले दर्ज हुए थे। पुलिस की गिरफ्त में आए सुरेंद्र सिंह चौहान, रणवीर आनंद, आदित्य रवि ने करीब पद्रंह छात्रों को एलएन मेडिकल कॉलेज में प्रवेश दिलवाया था। न सिर्फ इन आरोपियों बल्कि चौकसे के व्यापमं घोटाले के मुख्य आरोपी डॉ. जगदीश सगर से भी अच्छे ताल्लुक बताए जाते हैं।
फिल्म प्रोड्यूसर नहीं अनुपम के फाइनेंसर है धर्मेंद्र
रेव पार्टी में पकड़ाए जिस धर्मेंद्र गुप्ता ने स्वयं को पुलिस के सामने फिल्म प्रोड्यूसर बताया है असल में वे अनुपम चौकसे के जे.के.हॉस्पिटल और एन मेडिकल कॉलेज में एक्जीक्यूटिव डायरेटर हैं। इसके साथ ही वे 1973 में मप्र सरकार के साथ पंजीबद्ध हुए एनजीओ स्कूल आॅफ ब्रोडकॉस्टिंग एंड कम्यूनिकेशन के भी एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर हैं जिसका कार्यक्षेत्र अब मुंबई है। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता महाविद्यालय से संबद्धता प्राप्त इस संस्था में पत्रकारिता सिखाई जाती है। इससे पहले वे श्री बालाजी इन्फ्रास्ट्रक्चर और स्वास्तिक ग्रांड के पदाधिकारी रहे हैं। मुलत: ग्वालियर से है जहां का डॉ. सगर भी निवासी है। गुप्ता का काम है मुंबई से अनुपम के लिए वित्तीय व्यवस्था जुटाना। अब पुलिस इस बात की जांच कर रही है कि फिर उन्हें धर्मेंद्र ने फिल्म प्रोड्यूसर किस बिनाह पर बताया। कौनसी फिल्में वह प्रोड्यूस कर चुका है। 

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