मनमाने तरीके से तनी मल्टी और बंगले
जिन लोगों को मुख्यमंत्री से प्लॉट आवंटित कराए थे वे आज है ही नहीं संस्था में
इंदौर. विनोद शर्मा ।
हाउसिंग सोसाइटियों के नाम पर जमीन की हेराफेरी करने वालों के खिलाफ सरकारी अभियान ठंडा क्या पड़ा, संस्थाओं में ‘रामराज’ आ गया। स्कीम-133 से मुक्त हुई मां पिताम्बरा गृह निर्माण सहकारी संस्था इसका बड़ा उदाहरण है जहां संचालकों की मनमानी जी+4 की काउंटी प्लानेट बल्डिंग के रूप में आकार ले चुकी है। इतना ही नहीं अन्य प्लॉटों को भी जोड़कर डुप्लैक्स और बंगले बनाए जा रहे हैं।
मां पिताम्बरा संस्था की कॉलोनी काउंटी पार्क ग्राम पीपल्याकुमार के सर्वे नं. 240/1, 240/2, 241, 247, 248/1/1 ख, 248/2 ख और 248/1/3 ख की 5 एकड़ से अधिक जमीन पर विकसित हो रही है। महालक्ष्मीनगर स्थित एमआर-5 से लगी इस कॉलोनी के गेट के पास चार मंजिला काउंटी प्लानेट बिल्डिंग बनी है जहां लोगों को अब तक 3000 से 3500 रुपए वर्गफीट की दर से 2-3 बीएचके के फ्लैट बेचे जा रहे हैं। मल्टी में पेंट हाउस सहित कई निर्माण अवैध है। इसी मल्टी से लगा प्लॉट नं. 2 है जहां जी+2 बिल्डिंग है जिसे लैक्सो सॉल्यूशन के नाम से जाना जाता है। इसके अलावा अंदर भी दो-दो प्लॉटों को जोड़कर डुप्लैक्स और बंगले बनाए जा रहे हैं।
कैसे बन गई मल्टी
2011 में अप्रुव हुआ था कॉलोनी का ले-आउट : 25 मई 2010 को रवींद्र नाट्य गृह में संपन्न हुए एक कार्यक्रम के दौरान सहकारिता विभाग के अधिकारियों ने संस्थाओं के पीड़ित सदस्यों को न्याय दिलाते हुए मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के हाथों प्लॉट वितरित करवाए थे। इनमें ललित माखनलाल गौर, राजेश गुप्ता, दीपक अग्रवाल, कस्तुरीबाई और पल्लवी माखनलाल वर्मा जैसे मां पिताम्बरा संस्था के सदस्य भी शामिल थे। 2 अगस्त 2011 को टाउन एंड कंट्री प्लानिंग डिपार्टमेंट ने संस्था की कॉलोनी का ले-आउट मंजूर (5569/एसपी29/2010/नग्रानि/2011) मंजूर किया। इससे पहले 15 फरवरी 2010 को नक्शा अनुमोदित (1019) किया गया था। नक्शे के अनुसार कॉलोनी में 52 प्लॉट है।
खंडेलवाल पर मेहरबानी क्यों-- प्लॉट नं. 7 (एरिया 9472 वर्गफीट) के बाद दूसरा सबसे बड़ा प्लॉट नं. 1 था जिसका एरिया 688 वर्गमीटर (7405 वर्गफीट) जबकि मौके पर बिल्डिंग बनी है 7451 वर्गफीट पर। शिकायतकर्ताओं की मानें तो मल्टी धर्मेंद्र खंडेलवाल की है। 2007-08 और 2008-09 की सदस्यता सूची (क्रमश: 27 और 51 सदस्य) में धर्मेंद्र का नाम नहीं था। खंडेलवाल 2010-11 की सूची में शामिल किए गए। संस्था ने 22.37 लाख में धर्मेंद्र को 7451 वर्गफीट का प्लॉट 4 नवंबर 2011 को बेचा था। तमाम शिकायतों के बावजूद विभाग यह जांच नहीं कर पाया कि एक ही सदस्य को इतना बड़ा प्लॉट कैसे मिला और मल्टी की पर्मिशन कैसे मिल गई?
सदस्यता क्रमांक में भी हेरफेर...
2010-11 की आॅडिट रिपोर्ट में भी संस्था के सदस्यों की संख्या 51 ही रही लेकिन इसमें 22 जानकीनगर एनेक्स निवासी धर्मेंद्र खंडेलवाल की सदस्यता क्रमांक 44 था जिसे बाद में बदलकर 81 कर दिया गया।
गड़बड़ियां और भी...
-- नक्शे में 21856 वर्गफीट का गार्डन था और उससे लगा था सर्विस एरिया जो 2203 वर्गफीट से अधिक जमीन पर विकसित होना था जिसमें सेफ्टी टैंक और ओवरहेड टैंक बनना था लेकिन बना गार्डन ।
-- बना है प्लॉट नं. 1, 2 और सात नंबर। इनमें प्लॉट नं. 3, 4, 5 और 6 की कुल जमीन 17720 वर्गफीट होना चाहिए लेकिन मौके पर है 12500 वर्गफीट ही जमीन। यानी 5 हजार वर्गफीट जमीन गायब जो प्लॉट नं. 7 पर बने बंगले में शामिल हो चुकी है।
यह रहे हैं संचालक...
राजस्व रिकार्ड में संस्था की जमीन मां पिताम्बरा संस्था तर्फे अध्यक्ष महेंद्रसिंह पिता हरपाल सिंह निवासी स््कीम-54 आशीर्वाद विला के नाम दर्ज है। टीसीपी का नक्शा भी इसी नाम से स्वीकृत है। उस वक्त उपाध्यक्ष थे ओमप्रकाश गौतम। बाद में रमेशकुमार नामदेव अध्यक्ष बने।
यह है नक्शे की जुबानी...
टोटल लैंड एरिया : 23710 वर्गमीटर
30 मीटर चौड़ी रोड : 3148 वर्गमीटर
नेट पलानिंग एरिया : 20562 वर्गमीटर
प्लॉट एरिया : 15039.26 वर्गमीटर
ओपन एरिया : 2057 वर्गमीटर
रोड एरिया : 3265.74 वर्गमीटर
सेफ्टी टैंक : 200 वर्गमीटर
जिन लोगों को मुख्यमंत्री से प्लॉट आवंटित कराए थे वे आज है ही नहीं संस्था में
इंदौर. विनोद शर्मा ।
हाउसिंग सोसाइटियों के नाम पर जमीन की हेराफेरी करने वालों के खिलाफ सरकारी अभियान ठंडा क्या पड़ा, संस्थाओं में ‘रामराज’ आ गया। स्कीम-133 से मुक्त हुई मां पिताम्बरा गृह निर्माण सहकारी संस्था इसका बड़ा उदाहरण है जहां संचालकों की मनमानी जी+4 की काउंटी प्लानेट बल्डिंग के रूप में आकार ले चुकी है। इतना ही नहीं अन्य प्लॉटों को भी जोड़कर डुप्लैक्स और बंगले बनाए जा रहे हैं।
मां पिताम्बरा संस्था की कॉलोनी काउंटी पार्क ग्राम पीपल्याकुमार के सर्वे नं. 240/1, 240/2, 241, 247, 248/1/1 ख, 248/2 ख और 248/1/3 ख की 5 एकड़ से अधिक जमीन पर विकसित हो रही है। महालक्ष्मीनगर स्थित एमआर-5 से लगी इस कॉलोनी के गेट के पास चार मंजिला काउंटी प्लानेट बिल्डिंग बनी है जहां लोगों को अब तक 3000 से 3500 रुपए वर्गफीट की दर से 2-3 बीएचके के फ्लैट बेचे जा रहे हैं। मल्टी में पेंट हाउस सहित कई निर्माण अवैध है। इसी मल्टी से लगा प्लॉट नं. 2 है जहां जी+2 बिल्डिंग है जिसे लैक्सो सॉल्यूशन के नाम से जाना जाता है। इसके अलावा अंदर भी दो-दो प्लॉटों को जोड़कर डुप्लैक्स और बंगले बनाए जा रहे हैं।
कैसे बन गई मल्टी
2011 में अप्रुव हुआ था कॉलोनी का ले-आउट : 25 मई 2010 को रवींद्र नाट्य गृह में संपन्न हुए एक कार्यक्रम के दौरान सहकारिता विभाग के अधिकारियों ने संस्थाओं के पीड़ित सदस्यों को न्याय दिलाते हुए मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के हाथों प्लॉट वितरित करवाए थे। इनमें ललित माखनलाल गौर, राजेश गुप्ता, दीपक अग्रवाल, कस्तुरीबाई और पल्लवी माखनलाल वर्मा जैसे मां पिताम्बरा संस्था के सदस्य भी शामिल थे। 2 अगस्त 2011 को टाउन एंड कंट्री प्लानिंग डिपार्टमेंट ने संस्था की कॉलोनी का ले-आउट मंजूर (5569/एसपी29/2010/नग्रानि/2011) मंजूर किया। इससे पहले 15 फरवरी 2010 को नक्शा अनुमोदित (1019) किया गया था। नक्शे के अनुसार कॉलोनी में 52 प्लॉट है।
खंडेलवाल पर मेहरबानी क्यों-- प्लॉट नं. 7 (एरिया 9472 वर्गफीट) के बाद दूसरा सबसे बड़ा प्लॉट नं. 1 था जिसका एरिया 688 वर्गमीटर (7405 वर्गफीट) जबकि मौके पर बिल्डिंग बनी है 7451 वर्गफीट पर। शिकायतकर्ताओं की मानें तो मल्टी धर्मेंद्र खंडेलवाल की है। 2007-08 और 2008-09 की सदस्यता सूची (क्रमश: 27 और 51 सदस्य) में धर्मेंद्र का नाम नहीं था। खंडेलवाल 2010-11 की सूची में शामिल किए गए। संस्था ने 22.37 लाख में धर्मेंद्र को 7451 वर्गफीट का प्लॉट 4 नवंबर 2011 को बेचा था। तमाम शिकायतों के बावजूद विभाग यह जांच नहीं कर पाया कि एक ही सदस्य को इतना बड़ा प्लॉट कैसे मिला और मल्टी की पर्मिशन कैसे मिल गई?
सदस्यता क्रमांक में भी हेरफेर...
2010-11 की आॅडिट रिपोर्ट में भी संस्था के सदस्यों की संख्या 51 ही रही लेकिन इसमें 22 जानकीनगर एनेक्स निवासी धर्मेंद्र खंडेलवाल की सदस्यता क्रमांक 44 था जिसे बाद में बदलकर 81 कर दिया गया।
गड़बड़ियां और भी...
-- नक्शे में 21856 वर्गफीट का गार्डन था और उससे लगा था सर्विस एरिया जो 2203 वर्गफीट से अधिक जमीन पर विकसित होना था जिसमें सेफ्टी टैंक और ओवरहेड टैंक बनना था लेकिन बना गार्डन ।
-- बना है प्लॉट नं. 1, 2 और सात नंबर। इनमें प्लॉट नं. 3, 4, 5 और 6 की कुल जमीन 17720 वर्गफीट होना चाहिए लेकिन मौके पर है 12500 वर्गफीट ही जमीन। यानी 5 हजार वर्गफीट जमीन गायब जो प्लॉट नं. 7 पर बने बंगले में शामिल हो चुकी है।
यह रहे हैं संचालक...
राजस्व रिकार्ड में संस्था की जमीन मां पिताम्बरा संस्था तर्फे अध्यक्ष महेंद्रसिंह पिता हरपाल सिंह निवासी स््कीम-54 आशीर्वाद विला के नाम दर्ज है। टीसीपी का नक्शा भी इसी नाम से स्वीकृत है। उस वक्त उपाध्यक्ष थे ओमप्रकाश गौतम। बाद में रमेशकुमार नामदेव अध्यक्ष बने।
यह है नक्शे की जुबानी...
टोटल लैंड एरिया : 23710 वर्गमीटर
30 मीटर चौड़ी रोड : 3148 वर्गमीटर
नेट पलानिंग एरिया : 20562 वर्गमीटर
प्लॉट एरिया : 15039.26 वर्गमीटर
ओपन एरिया : 2057 वर्गमीटर
रोड एरिया : 3265.74 वर्गमीटर
सेफ्टी टैंक : 200 वर्गमीटर
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