Tuesday, June 28, 2016

पंजीयक ने कर दी 150 फर्जी प्लॉटों की रजिस्ट्री

फिनिक्स के रहवासी शिकायत करते रहे और
इंदौर.  विनोद शर्मा ।
नाले की जमीन कब्जाने वाली जिस फिनिक्स डेवकॉन प्रा.लि. के कर्ताधर्ताओं के खिलाफ क्राइम ब्रांच की टीम ने जांच शुरू कर दी है वे 2300 प्लॉट की कॉलोनी में 2450 से ज्यादा प्लॉट बेच चुके हैं। टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग से तीन चरणों में स्वीकृत ले-आउट में यह प्लॉट गायब हैं। वहीं फिनिक्स वेलफेयर सोसायटी की लिखित आपत्ति के बावजूद जिला पंजीयक कार्यालय के अधिकारियों ने अपनी फीस लेकर 150 से अधिक फर्जी प्लॉटों की रजिस्ट्री कर दी।
30 अक्टूबर 2010 को कैलोद हाला की 41.575 हेक्टेयर जमीन पर टाउन एंड कंट्री प्लानिंग डिपार्टमेंट से कॉलोनी के तीन अलग-अलग नक्शे मंजूर हुए थे। तीनों नक्शों में कुल विकसित प्लॉटों की संख्या 2303 थी लेकिन आज मौके पर 2450 से अधिक प्लॉट कट चुके हैं। जिसका उदाहरण रामविलास राजपुत का प्लॉट नं. 2332, आनंद सिंह राजपूत का प्लॉट नं. 2333 और शांति सिसोदिया का प्लॉट नं. 2334 हैं।
सार्वजनिक उपयोग की जमीन का सौदा
कॉलोनी और खान नदी के बीच स्वीकृत ले-आउट में पार्क, एमिनिटिज, सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी), ओवर हेड टैंक (ओएचटी), ट्रांसफार्मर, वेस्ट डिस्पोजल एरिया और स्कूल के लिए जमीन आरक्षित की गई थी। जमीन काफी बड़ी है। तीनों नक्शों में यह जमीन थोड़ी बहुत नहीं बल्कि 5. 833 हेक्टेयर थी। इसके अलावा 8844.37 वर्गमीटर इन्फॉर्मल सेक्टर के लिए आरक्षित जमीन अलग। इन सभी सार्वजनिक उपयोग की जमीनों का जिम्मेदारों ने सौदा प्लॉट के रूप में कर दिया।
लाखों की चपत...
कॉलोनी में प्लॉट की मौजूदा कीमत औसत 800 रुपए वर्गफीट है। एक प्लॉट औसत 1000 वर्गफीट का है। 150 प्लॉट ज्यादा बेचे गए मतलब 150000 वर्गफीट जमीन बेच दी गई। 800 रुपए वर्गफीट के हिसाब से कुल कीमत हुई 12 करोड़ रुपए। जबकि सड़क को छोड़ सार्वजनिक जमीन थी 723058 वर्गफीट। मतलब यदि सरकार अब भी नहीं चेती तो बाकी जमीन बेचकर कॉलोनाइजर करोड़ों रुपए और कमा जाएंगे।
ऐसे मंजूर हुए थे ले-आउट
1- पहला प्रमोद कुमार, हीरालाल केसरी, सत्यनारायण, हरप्रीत, घनश्याम व अन्य की 11.782
2- रमाबाई, विक्रम सिंह, मेहताब सिंह, फुलसिंह, सेवाराम, हेजा बाई व अन्य की 12.158 हेक्टेयर
3- रमाबाई, लीलाधर, सुभाष, रामेश्वर, अमरसिंह, मेहरबानसिंह, लक्ष्माण सिंह, अनूप सिंह, अमरीक सिंह की  17.626 हेक्टेयर जमीन।
(तीनों 10 अक्टूबर 2010 को मंजूर हुए। तीनों नक्शों में डेवलपर का नाम सेटेलाइट इन्फ्रा एंड रीयल एस्टेट तर्फे डायरेक्टर चिराग पिता विपिन शाह का नाम दर्ज है।)
लिखित शिकायत के बाद भी रजिस्ट्री
टीएनसी से अधिक प्लॉट की रजिस्ट्री हमारी आपत्ति के बाद भी जिला पंजीयक कार्यालय ने कर दी। अब भी वक्त है प्रशासन जागे और कार्रवाई करे। देर हो जाएगी तो बिल्डर जेब भरकर निकल जाएंगे और कार्रवाई होगी उन लोगों पर जिन्होंने जीवनभर की पूंजी लगाकर प्लॉट खरीदा। मकान बनाया।
राजीव प्रकाश अग्रवाल, अध्यक्ष
फिनिक्स वेलफेयर सोसायटी

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