Tuesday, June 28, 2016

रिलायंस पर आयकर का शिकंजा

700 करोड़ का हवाला
- 2014 में महू की पाथ पर हुई सर्च के दौरान हुआ था खुलासा
इंदौर. विनोद शर्मा ।
प्रकाश एस्फाल्ट एंड टोल हाइवेज (पाथ) के खिलाफ हुई छापेमार कार्रवाई में सामने आए 700 करोड़ के हवाले की कहानी को आगे बढ़ाते हुए इनकम टैक्स इन्वेस्टिगेशन विंग, इंदौर ने रिलायंस समूह से जुड़े हिसाब की जानकारी मुंबई भेज दी है। उधर, मुंबई के अधिकारियों ने रिलायंस और उसकी सहयोगी कंपनी रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (आरइन्फ्रा) के खातों की जांच भी शुरू कर दी है।
पाथ और रिलायंस की जुगलबंदी से हुए बड़े हवाले की तह तक जांच करके विंग ने रिपोर्ट पहले ही भोपाल और दिल्ली में बैठे अधिकारियों को भेज दी थी। चूंकि आर.इन्फ्रा का पंजीकृत पता धीरूभाई अम्बानी नॉलेज सिटी नवी मुंबई है इसीलिए पाथ और आर इन्फ्रा के बीच हुए हिसाब-किताब की जानकारी मुंबई आॅफिस पहुंचा दी गई है ताकि वहां आर-इन्फ्रा के आईटीआर से उसका मिलान किया जा सके। असेसमेंट किया जा सके। बताया जा रहा है मुंबई के अधिकारियों ने भी छानबीन शुरू कर दी है। इधर, पाथ की रिपोर्ट सेंट्रल जोन के पास है जो जल्द ही असेसमेंट शुरू करेगा।
धीरूभाई के जन्म से 4 साल पहले ही बन गई थी आर-इन्फ्रा
मिनिस्ट्री आॅफ कॉर्पोरेट अफेयर्स (एमसीए) पर कंपनी की जो जानकारी उपलब्ध है वह चौकाने वाली है। एमसीए के अनुसार कंपनी 1 अक्टूबर 1929 को पंजीबद्ध हुई थी जबकि 1958 में 15000 रुपए की पंूजी के साथ रिलायंस वाणिज्यिक निगम की शुरूआत करने वाले धीरूभाई अंबानी का जन्म ही 28 दिसंबर 1933 को हुआ था। ऐसे में धीरूभाई अंबानी के जन्म से 4 साल पहले कंपनी कैसे बन गई जबकि उनके पिता हिराचंद गोर्धनभाई अंबानी शिक्षक थे। कंपनी में सात डायरेक्टर हैं और सबसे पुराने डायरेक्टर अनिल अंबानी ही हैं जो जनवरी 2003 में डायरेक्टर बने थे। एमसीए में उनका पूरा नाम भी गलत है अनिल पिता धीरजलाल अंबानी। यही नाम रिलायंस समूह की 14 कंपनियों में भी डायरेक्टर के रूप में शामिल है।
जांच में खुला था 700 करोड़ का हवाला
महू की पाथ और अग्रोहा इन्फ्रास्ट्रक्चर के खिलाफ इन्वेस्टिगेशन विंग ने 27 अगस्त 2014 में छापेमार कार्रवाई की थी।  1 सितंबर को दोनों कंपनियों ने संयुक्त रूप से 75 करोड़ की अघोषित आय स्वीकारी। इसके बाद   2015 की शुरूआत में विंग ने रिपोर्ट तैयार करके भोपाल-दिल्ली भेजी। इस रिपोर्ट के अनुसार अक्टूबर 2009 में आर-इन्फ्रा को मिले 53 किलोमीटर लंबे एनएच-11 (जयपुर-रींगस रोड) के ठेके का काम पाथ ने पूरा किया। मुंबई निवासी नरेश मांगीलाल दवे और सैफुद्दीन अब्बासभाई कपाड़िया की कंपनी गीत एक्जिम प्रा.लि. को पाथ ने मई और जून 2010 में अलग-अलग किश्त में 80 करोड़ का भुगतान किया जो तत्काल दुबई तक पहुंचा।
कैसे हुआ खुलासा...
पाथ के छापे में जयपुर-रींगस रोड की फाइल मिली। इसी फाइल में आर इन्फ्रा और गीत एक्जिम की डिटेल मिली। चूंकि पैसा पाथ से गीत के पास गया था इसीलिए आयकर की टीम ने गीत के ठिकानों पर भी सर्वे की कार्रवाई की थी जिसकी जानकारी गोपनीय रखी गई। सर्वे में पता चला गीत डमी कंपनी है। उसका ऐसा कोई अस्त्वि नहीं है जैसा कि पाथ ने बताया था। सर्वे के दौरान गीत के दोनों ही संचालकों ने कहा कि वे न पाथ को जानते हैं, न ही आर इन्फ्रा को। उन्होंने कमीश्न के लालच में अपना बैंक अकाउंट मुंबई के ही कुछ लोगों को इस्तेमाल के लिए दे दिया था। इसके बाद आईएनजी वैश्य बैंक पर शिकंजा कसके आयकर ने छानबीन शुरू कर दी। परिणाम स्वरूप गीत जैसी 20 कंपनियां सामने आई जिनके डेड अकाउंट इस्तेमाल करके भारतीय पैसा दुबई भेजा रहा है। इस मामले में आयकर आईएनजी वैश्य बैंक की जंजीरवाला चौराहा शाखा के अधिकारियों के बयान भी रिकार्ड कर चुकी है। । आयकर के अधिकारी स्वयं हैरान है कि एक जगह से दूसरी जगह चला पैसा, 24 से 48 घंटों में कैसे अलग-अलग कंपनियों के रास्ते विदेश पहुंच सकता है। इस पूरे मामले में आईएनजी वैश्य बैंक, की मुंबई शाखा की भूमिका भी संदिग्ध है।


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