Tuesday, June 28, 2016

कार्रवाई के बजाय शिकायतें दबाकर बैठा निगम

ओल्ड पलासिया और मुंडला नायता में अवैध निर्माण पर मेहरबान अधिकारी
इंदौर. चीफ रिपोर्टर ।
पार्षदों की भूमिका पर अंगुली उठाने वाले नगर निगम के अधिकारी अवैध निर्माण की शिकायतों को भी लगातार नजरअंदाज करते आ रहे हैं। दबाव में यदि कार्रवाई करते भी हैं तो ऐसी कि बिल्डर को ज्यादा नुकसान न हो। इसके दो बड़े उदाहरण हैं। एक 3/3 न्यू पलासिया पर अपर आयुक्त देवेंद्र सिंह के सख्त आदेश के बावजूद तन चुका मकान। तो दूसरी तरफ मास्टर प्लान-2021 में प्रस्तावित 45 मीटर चौड़ी रोड की जमीन पर मुंडला नायता में तना अवैध मार्केट है।
3/3 ओल्ड पलासिया पर सुनील यादव व अन्य की बिल्डिंग हैं जो शुरू से अवैध निर्माण के कारण विवादो में हैं। 15 जून 2015 को जोन-10 के भवन अधिकारी  ने निर्माण को अवैध बताया था। अनुमति के दस्तावेज मांगे थे जो बिल्डर नहीं दिखा पाया। रिमुवल के लिए 1 अगस्त 2015 कस दिन मुकरर्र हुआ। पुलिस बल मांगा। कार्रवाई नहीं हुई। 26 और 30 सितबर को भी यही हुआ। सुनील यादव और राजाराम यादव को नोटिस दिया। 3 अक्टूबर 2015 को चौथी तारीख तय हुई। उधर, निर्माण और उसकी शिकायतें समानांतर जारी रही। अफसरों का कहना था कि 26 जून 2015 को रिमुवल लगाई थी लेकिन बिल्डर ने स्वयं तोड़ने का आश्वासन दे दिया था।
अपर आयुक्त का आदेश भी हवा में
शिकायत मिलने के बाद अपर आयुक्त देवेंद्र सिंह ने 8 फरवरी 2016 को बीओ महेश शर्मा और बीआई सुमित अस्थाना को कार्रवाई करके सप्ताहभर में सूचित करने को कहा था। फिर भी कार्रवाई नहीं हुई।
मार्केट को पहुंचा दिया कोर्ट...
मुंडला नायता की सर्वे नं.  269/मिन-2 की जमीन पर मार्केट बन रहा है जो कि नए आरटीओ के ठीक सामने है। राजस्व रिकार्ड में 0.560 हेक्टेयर यह जमीन शासकीय है और इसका भू-उपयोग सड़क के रूप में दर्शाया गया है। इस जमीन पर राजनीतिक और प्रशासनिक संरक्षण के चलते मुंडला नायता निवासी युसुफ पिता हुस्ना नायता और गम्मू पिता हुस्ना नायता बड़ा मार्केट बना रहे हैं। मार्केट 100 बाय 15 फीट लंबा बन रहा है। इसकी शिकायत ओमप्रकाश पिता गब्बुलाल ने की थी। आधा दर्जन से अधिक शिकायतों के बाद मार्केट पर मई के पहले सप्ताह में रिमुवल की कार्रवाई की लेकिन ऐसी कि बिल्डर को ज्यादा नुकसान न हो। कार्रवाई बिल्डिंग आॅफिसर असित खरे और बीआई विनोद अग्रवाल ने की थी। कार्रवाई पर जब सवाल उठे तो इनका कहना था कि बिल्डर ने स्वयं तोड़ने को कहा है। इसके लिए तीन दिन दे दिए हैं लेकिन इस बात को अब सवा महीना हो चुका है। अब यही अधिकारी कहते हैं कि निर्माणकर्ता कोर्ट पहुंच चुका है। अब मामला चूंकि कोर्ट में विचाराधीन है इसीलिए कार्रवाई नहीं हो सकती है।

No comments:

Post a Comment