Tuesday, June 28, 2016

15 करोड़ का विकास शुल्क लिया और कर गए हजम

चम्पू चौकड़ी का कारनामा
हर प्लॉट पेटे वसूले 62 हजार, न बिजली दी, न पानी
इंदौर. विनोद शर्मा ।
2450 प्लॉट की कॉलोनी और ट्रांसफार्मर सिर्फ एक...। 250 से अधिक मकान बन चुके हैं। कोई 100 मीटर लंबी केबल टांगकर बिजली ले रहा है तो किसी को एक से डेढ़ किलोमीटर दूर तक केबल टांगना पड़ी है। यह हकीकत है मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान द्वारा शिलन्यासित हुई फिनिक्स टाउन की जहां कागजों पर सुविधाओं  का सब्जबाग दिखाकर चंपू चौकड़ी विकास शुल्क पेटे 15 करोड़ रुपए वसूलकर हजम कर चुकी है।
अक्टूबर 2007 में हुई इन्वेस्टर्स समिट के दौरान फिनिक्स देवकॉन से एमओयू करने के बाद मुख्यमंत्री ने कॉलोनी का शिलान्यास किया था।  सुविधाओं के वादे के साथ बड़े-बड़े ब्रोशर दिखाकर लोगों को प्लॉट बेचे गए। आठ साल हो चुके हैं लेकिन कॉलोनी में अब तक न पेयजल के पते हैं। न सीवरेज के। न ही बिजली के। पूरी कॉलोनी में सिर्फ एक ट्रांसफार्मर और हाइटेंशन (एचटी) के खम्बों पर झूलते तार ही नजर आते हैं जिन में उलझकर कई मवैशी जान गवां चुके हैं। हवा के साथ बिजली की आवाजाही लगी रहती है। तारों के जंजाल के बीच अपने तार पहचानकर दुरुस्त करना बिना इलेक्ट्रीशियन की मदद के संभव नहीं है।
62000 रुपए/घर वसूला गया विकास शुल्क
जमीन की कीमत के साथ कॉलोनी के विकास शुल्क भी लिया गया है। 1000 वर्गफीट के प्लॉट पर 50 हजार और 1500 वर्गफीट के प्लॉट पर 75 हजार रुपए। टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग से स्वीकृत ले-आउट के अनुसार यहां 2303 प्लॉट थे जबकि बिल्डर ने बेचे हैं 2450 प्लॉट। यदि औसत 62000 रुपए/घर के हिसाब से भी वसूली हुई तो इसका मतलब यह है कि कुल 15.19 करोड़ रुपए वसूले गए।
टेम्प्रेरी कनेक्शन से ही कट गए चार साल
तकरीबन दो हजार तारों से जूझता जो एक ट्रांसफार्मर कॉलोनी में नजर आता है उस पर भी बिजली कंपनी ने टेम्प्रेरी कनेक्शन ही दिया था। कनेक्शन की वैधता सिर्फ एक साल होती है। जरूरत पड़ने पर इसकी अवधि बढ़वाई जा सकती है। यहां चार साल हो गए हैं इसी टेम्प्रेरी कनेक्शन से। मजे की बात यह है कि अब तक किसी ने समयसीमा बढ़ाने का आवदेन भी नहीं दिया है।
दो करोड़ में स्थाई होगा कनेक्शन
अस्थाई कनेक्शन को स्थाई कराने के लिए क्षेत्रवासियों ने बिजली कंपनी से भी संपर्क किया लेकिन अधिकारियों ने यह कहते हुए मना कर दिया कि कॉलोनी बड़ी है और ग्रीन बनाना पड़ेगा जिस पर दो करोड़ रुपए खर्च होंगे। कॉलोनाइजर यह पैसा चुका दे और कनेक्शन ले ले। खम्बे भी लगाना होंगे। उधर, 15.19 करोड़ वसूलकर बैठी चम्पू चौकड़ी दो रुपए खर्च करने को तैयार नहीं है। अब प्लॉटहोल्डर 2 करोड़ लाएं भी तो कहां से। वह भी तब जब विकास शुल्क पहले ही दिया जा चुका हो।
यह है सुविधाओं की कहानी
पानी :: चूंकि कॉलोनी में कॉलोनाइजर की तरफ से पानी की व्यवस्था नहीं है इसीलिए प्लॉट पर पहले बोरिंग होता है फिर मकान बनता है। बिना बिजली के बोरिंग भी नहीं चलते। एक टंकी बनी तो थी लेकिन कभी इस्तेमाल में आई ही नहीं।
गार्डन :: कॉलोनी में दो दर्जन गार्डन विकसित होना थे, एक भी गार्डन नहीं बना। क्षेत्रवासियों के प्रयास से कुछ बगीचे बचे हैं।
स्कूल :: पिछले हिस्से में टीएंडसीपी के ले-आउट के अनुसार स्कूल बनना था लेकिन नहीं बना।
सीवरेज :: 2450 प्लॉटों की इस कॉलोनी में आधा फीट डाया के पाइप की सीवरेज लाइन और डेढ़ फीट गहरे चेम्बर किसी मजाक से कम नहीं है।
सड़क :: बड़ा नाला पाइप में दबाकर मेन रोड बनाई गई है इसीलिए दो इंच बरसात में पानी ओवर फ्लो होकर पूरी सड़क पर डेढ़-दो फीट तक भर जाता है। सिर्फ एक सड़क होने के कारण लोग घर में कैद होकर रह जाते हैं।
(न सीवरेज ट्रीटमेँट प्लांट बना। न ट्रांसफर स्टेशन बना। न क्लब हाउस।)

No comments:

Post a Comment