चंपू की फिनिक्स टाउन में गड़बड़झाला
मिट्टी डालकर भराव करते डम्पर रहवासियों ने पुलिस की मदद से खदेड़े
इंदौर. विनोद शर्मा ।
नदी, तालाब और नालों के संरक्षण के लिए जहां मास्टर प्लान 2021 से लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) तक के प्रावधान सख्त है वहीं कैलोदहाला की फिनिक्स टाउन कॉलोनी में मिट्टी डालकर नाला बंद करके प्लॉट काटे जा रहे हैं। रविवार की रात क्षेत्रीय रहवासियों ने मिट्टी खाली करते डम्परों को पकड़ा। विधायक व कलेक्टर की दखल के बाद लसूड़िया पुलिस मौके पर पहुंची और डम्पर चालकों को खदेड़ा।
लसूड़िया क्षेत्र के गंदे और बरसाती पानी को खान नदी तक पहुंचाने वाला नाला (खसरा नं. 264) कॉलोनी से गुजरता है। इसका जिक्र राजस्व रिकॉर्ड में है। फिनिक्स देवकॉन प्रा.लि. ने यहां फिनिक्स टाउन नाम की जब कॉलोनी काटी तो नाले को कवर करके उस पर गार्डन विकसित करना बता दिया था। इसका जिक्र टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग से तीन चरणों में स्वीकृत हुए कॉलोनी के ले-आउट में भी है। चूंकि बगीचा था इसीलिए रहवासियों ने भी आपत्ति नहीं ली लेकिन बीते सालभर से मिट्टी डालकर नाला बंद करने की कोशिश की जा रही है। काफी दिन की निगरानी के बाद फिनिक्स वेलफेयर सोसायटी के रूप में पंजीबद्ध हुए कॉलोनी के रहवासी संघ ने रविवार की रात मिट्टी खाली करते डम्परों को पकड़ा। थाने पर शिकायत की लेकिन पुलिस काफी देर तक नहीं पहुंची। विधायक राजेश सोनकर और कलेक्टर पी.नरहरि को मामले की सूचना दी तब कहीं जाकर पुलिस पहुंची और डम्पर व उन्हें छुड़ाने पहुंचे लोगों को खदेड़ा।
यह थे डम्पर
एमपी09एचएच0827 : मंगेश यादव
एमपी09एचजी9062 : मनीष यादव
एमपी09सीपी3247 : विनोद बिलोदिया (छुड़ाने पहुंचे)
कॉलोनाइजर बाहर, कारिंदों को सौंपी कब्जे की जिम्मेदारी
जमीन फिनिक्स डेवकॉन प्रा.लि. तर्फे चिराग शाह पिता विपिन शाह के नाम दर्ज है। इस कॉलोनी के सर्वेसर्वा रितेश उर्फ चंपू अजमेरा भी रहे हैं। अब दस्तावेजों में डायरेक्टर मनीष पंवार, रजत बोहरा हैं। मौके पर काम जितेंद्र पंवार और खलील खान देख रहे हैं जिनके खिलाफ 2 जून 2015 को ही फिनिक्स निवासी अश्विन मिश्रा की शिकायत पर लसूड़िया पुलिस ने धारा 294/506 के तहत केस (505) दर्ज किया था।
अभी तो मिट्टी डालने दो साहब
रहवासियों की शिकायत पर पुलिस पहुंची तो डम्पर वालों ने कहा कि जो मिट्टी भरी है उसे तो खाली कर लेने दो। इस पर पुलिसकर्मियों ने उन्हें फटकारते हुए कहा कि तुम निकल लो वरना अंदर कर देंगे।
नाले पर ही काट रहे हैं प्लॉट
20 जून को इसकी शिकायत कलेक्टोरेट में भी की गई। फिनिक्स वेलफेयर सोसायटी ने बताया मास्टर प्लान से स्वीकृत मेप में नाला दिख रहा है लेकिन उसके किनारे की जमीन पर 11 बगीचे अंकित किए गए हैं। मौके पर ऐसा नहीं है। यहां नाला रेलवे पुल से सिर्फ 140 मीटर दूर तक ही नजर आता है इसके बाद पाइप डालकर बंद कर दिया। 450 मीटर तक पाइप में ही है नाला। ऊपर बगीचा बनना था लेकिन नहीं बना। इसके आगे नाला खुला दिखता है लेकिन उसके किनारे मिट्टी डालकर पहले चौड़ाई कम की गई। बाद में पूरा बंद करने का प्रयास शुरू कर दिया। नाला जैसे-जैसे बंद होता जा रहा है वहां प्लॉट काटकर कब्जे दिए जा रहे हैं।
नक्शे में दो दर्जन, मैदान में 2-4 ही गार्डन
2300 प्लॉटों की इस कॉलोनी के स्वीकृत ले-आउट में दो दर्जन से अधिक बगीचे और ओपन स्पेस है लेकिन कॉलोनाइजर और उसके कारिंदों की मनमानी के कारण यहां मैदान में दो-चार बगीचे ही नजर आते हैं। बाकी पर कब्जा करके वहां प्लॉटिंग की जा चुकी है या फिर प्लॉटिंग की जाना है। नाले से सटाकर ही कुछ मकान बन भी चुके हैं जिन पर कार्रवाई विचाराधीन है।
कलेक्टर सख्त, अधिनस्थ मस्त
चूंकि हमें बगीचे बताकर प्लॉट बेचे थे। बगीचे रहवासियों की पूंजी है इसीलिए हम नाले और बगीचे पर कब्जे की कथा कलेक्टर पी.नरहरी से लेकर मुख्यमंत्री तक को बता चुके हैं। कलेक्टर ने अधिनस्थों को सात दिन में सीमांकन कराकर कब्जे हटाने के निर्देश दिए थे लेकिन अधिनस्थ काम के तनाव में भूल गए कहकर फोन काट देते हैं।
राजीव प्रकाश अग्रवाल, अध्यक्ष
फिनिक्स टाउन वेलफेयर सोसायटी
सरकारी जमीन को लेकर भी चिंतित नहीं अफसर
हमारा कामकाज छोड़कर हम कॉलोनी में कब्जाई जा रही सरकारी जमीन को लेकर अभियान छेड़े बैठे हैं। सभी से बुराई अलग हो गई। कॉलोनाइजर के कारिंदे जान से मारने की धौंस देते हैं। कोशिश करते हैं जिसकी शिकायत हम फरवरी में करवा भी चुके हैं। फिर भी न पुलिस कोई कार्रवाई करती है। न ही वे अधिकारी जिनकी जिम्मेदारी सरकारी जमीन पर कब्जा रोकना है।
मुकेश चौकसे, सचिव
मिट्टी डालकर भराव करते डम्पर रहवासियों ने पुलिस की मदद से खदेड़े
इंदौर. विनोद शर्मा ।
नदी, तालाब और नालों के संरक्षण के लिए जहां मास्टर प्लान 2021 से लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) तक के प्रावधान सख्त है वहीं कैलोदहाला की फिनिक्स टाउन कॉलोनी में मिट्टी डालकर नाला बंद करके प्लॉट काटे जा रहे हैं। रविवार की रात क्षेत्रीय रहवासियों ने मिट्टी खाली करते डम्परों को पकड़ा। विधायक व कलेक्टर की दखल के बाद लसूड़िया पुलिस मौके पर पहुंची और डम्पर चालकों को खदेड़ा।
लसूड़िया क्षेत्र के गंदे और बरसाती पानी को खान नदी तक पहुंचाने वाला नाला (खसरा नं. 264) कॉलोनी से गुजरता है। इसका जिक्र राजस्व रिकॉर्ड में है। फिनिक्स देवकॉन प्रा.लि. ने यहां फिनिक्स टाउन नाम की जब कॉलोनी काटी तो नाले को कवर करके उस पर गार्डन विकसित करना बता दिया था। इसका जिक्र टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग से तीन चरणों में स्वीकृत हुए कॉलोनी के ले-आउट में भी है। चूंकि बगीचा था इसीलिए रहवासियों ने भी आपत्ति नहीं ली लेकिन बीते सालभर से मिट्टी डालकर नाला बंद करने की कोशिश की जा रही है। काफी दिन की निगरानी के बाद फिनिक्स वेलफेयर सोसायटी के रूप में पंजीबद्ध हुए कॉलोनी के रहवासी संघ ने रविवार की रात मिट्टी खाली करते डम्परों को पकड़ा। थाने पर शिकायत की लेकिन पुलिस काफी देर तक नहीं पहुंची। विधायक राजेश सोनकर और कलेक्टर पी.नरहरि को मामले की सूचना दी तब कहीं जाकर पुलिस पहुंची और डम्पर व उन्हें छुड़ाने पहुंचे लोगों को खदेड़ा।
यह थे डम्पर
एमपी09एचएच0827 : मंगेश यादव
एमपी09एचजी9062 : मनीष यादव
एमपी09सीपी3247 : विनोद बिलोदिया (छुड़ाने पहुंचे)
कॉलोनाइजर बाहर, कारिंदों को सौंपी कब्जे की जिम्मेदारी
जमीन फिनिक्स डेवकॉन प्रा.लि. तर्फे चिराग शाह पिता विपिन शाह के नाम दर्ज है। इस कॉलोनी के सर्वेसर्वा रितेश उर्फ चंपू अजमेरा भी रहे हैं। अब दस्तावेजों में डायरेक्टर मनीष पंवार, रजत बोहरा हैं। मौके पर काम जितेंद्र पंवार और खलील खान देख रहे हैं जिनके खिलाफ 2 जून 2015 को ही फिनिक्स निवासी अश्विन मिश्रा की शिकायत पर लसूड़िया पुलिस ने धारा 294/506 के तहत केस (505) दर्ज किया था।
अभी तो मिट्टी डालने दो साहब
रहवासियों की शिकायत पर पुलिस पहुंची तो डम्पर वालों ने कहा कि जो मिट्टी भरी है उसे तो खाली कर लेने दो। इस पर पुलिसकर्मियों ने उन्हें फटकारते हुए कहा कि तुम निकल लो वरना अंदर कर देंगे।
नाले पर ही काट रहे हैं प्लॉट
20 जून को इसकी शिकायत कलेक्टोरेट में भी की गई। फिनिक्स वेलफेयर सोसायटी ने बताया मास्टर प्लान से स्वीकृत मेप में नाला दिख रहा है लेकिन उसके किनारे की जमीन पर 11 बगीचे अंकित किए गए हैं। मौके पर ऐसा नहीं है। यहां नाला रेलवे पुल से सिर्फ 140 मीटर दूर तक ही नजर आता है इसके बाद पाइप डालकर बंद कर दिया। 450 मीटर तक पाइप में ही है नाला। ऊपर बगीचा बनना था लेकिन नहीं बना। इसके आगे नाला खुला दिखता है लेकिन उसके किनारे मिट्टी डालकर पहले चौड़ाई कम की गई। बाद में पूरा बंद करने का प्रयास शुरू कर दिया। नाला जैसे-जैसे बंद होता जा रहा है वहां प्लॉट काटकर कब्जे दिए जा रहे हैं।
नक्शे में दो दर्जन, मैदान में 2-4 ही गार्डन
2300 प्लॉटों की इस कॉलोनी के स्वीकृत ले-आउट में दो दर्जन से अधिक बगीचे और ओपन स्पेस है लेकिन कॉलोनाइजर और उसके कारिंदों की मनमानी के कारण यहां मैदान में दो-चार बगीचे ही नजर आते हैं। बाकी पर कब्जा करके वहां प्लॉटिंग की जा चुकी है या फिर प्लॉटिंग की जाना है। नाले से सटाकर ही कुछ मकान बन भी चुके हैं जिन पर कार्रवाई विचाराधीन है।
कलेक्टर सख्त, अधिनस्थ मस्त
चूंकि हमें बगीचे बताकर प्लॉट बेचे थे। बगीचे रहवासियों की पूंजी है इसीलिए हम नाले और बगीचे पर कब्जे की कथा कलेक्टर पी.नरहरी से लेकर मुख्यमंत्री तक को बता चुके हैं। कलेक्टर ने अधिनस्थों को सात दिन में सीमांकन कराकर कब्जे हटाने के निर्देश दिए थे लेकिन अधिनस्थ काम के तनाव में भूल गए कहकर फोन काट देते हैं।
राजीव प्रकाश अग्रवाल, अध्यक्ष
फिनिक्स टाउन वेलफेयर सोसायटी
सरकारी जमीन को लेकर भी चिंतित नहीं अफसर
हमारा कामकाज छोड़कर हम कॉलोनी में कब्जाई जा रही सरकारी जमीन को लेकर अभियान छेड़े बैठे हैं। सभी से बुराई अलग हो गई। कॉलोनाइजर के कारिंदे जान से मारने की धौंस देते हैं। कोशिश करते हैं जिसकी शिकायत हम फरवरी में करवा भी चुके हैं। फिर भी न पुलिस कोई कार्रवाई करती है। न ही वे अधिकारी जिनकी जिम्मेदारी सरकारी जमीन पर कब्जा रोकना है।
मुकेश चौकसे, सचिव
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