जिस जमीन को खुला छोड़ना था वहां टॉवर तान दिए
नदी को नाला बताती रही कंपनी, 30 मीटर दूरी का नियम : 8 मीटर दूर किया निर्माण
इंदौर. विनोद शर्मा ।
पहले शालीमार टाउनशिप और बाद में प्रीमियम टॉवर की वैधानिकता को लेकर विवादों में रहे मीरचंदानी समूह की शालीमार स्वयं भी सवालों के घेरे में है। विवाद का मुद्दा है मास्टर प्लान में दर्ज नदी और किसी भी निर्माण के बीच की उस दूरी का जिसका ‘स्वयं’ में आधा-अधूरा पालन हुआ है। आरोप यह है कि टाउनशीप के छह मंजिला दो ब्लॉक नदी की जमीन से 7-8 मीटर ही दूर है जबकि दूरी कमसकम 30 मीटर होना चाहिए।
‘स्वयं’ ग्राम कबीटखेड़ी के सर्वे नं. 4/1, 4/3, 4/4, 5/2, 6/1, 6/2, 6/2, 6/3, 9/2, 9/3, 9/4, 10/4, 10/5, 10/6, 10/7, 10/8, 10/9, 11/1, 11/2 एवं 11/3 पर बन रही है। जमीन कोरल इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रा.लि. तर्फे डायरेक्टर विजय मीरचंदानी के नाम दर्ज है। कंपनी का पता 505-506 शालीमार मोर्या पार्क न्यु लिंक रोड अंधेरी मुम्बई दर्ज है। कंपनी की टाउनशीप से ही लगी है खान नदी जिसका सर्वे नं. 12/1 और 12/2 है। कुछ ब्लॉक्स का निर्माण मास्टर प्लान के प्रावधानों का पालन करते हुए नदी की जमीन से 30 मीटर दूर किया गया है जबकि कुछ ब्लॉक्स में बिल्डर ने जमीन खाली नहीं छोड़ी।
यह है मास्टर प्लान का नियम...
ग्रीन बेल्ट का बड़ा हिस्सा है नदी, नाले और जलाशयों के किनारे की जमीन। बड़े जलाशय के हाइएस्ट फ्लड लेवल (एचएफएल) से 60 मीटर की दूरी तक और छोटे जलाशय के एचएफएल से 30 मीटर दूरी तक किसी भी तरह का निर्माण प्रतिबंधित रहेगा। विकास योजना के अुनसार नदी के दोनों किनारों पर उच्चतम जलस्तर से कमसकम 30 मीटर तक खुला क्षेत्र रहेगा।
हुआ यह है - ‘स्वयं’ में नदी के किनारे (सर्वे नं. 9/2, 9/3, 9/4, 11/1, 11/2, 11/3) अभी 24 टॉवर बन रहे हैं। इनमें से सर्वे नं. 9/3 और 9/4 पर जो टॉवर बन रहे हैं उनकी नदी की जमीन (12/1 और 12/2) से दूरी 26 से 30 मीटर है। सर्वे नं. 9/2 पर जो टॉवर बन रहे हैं उनकी नदी की जमीन से दूरी 5 से 12 मीटर ही है।
कैसे की गड़बड़
-- राजस्व दस्तावेजों के अनुसार नदी की जमीन और कोरल इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रा.लि. तर्फे डायरेक्टर विजय मीरचंदानी की जमीन के बीच कोई जमीन नहीं है। इस मान से कंपनी को अपनी जमीन की सीमा से 30 मीटर तक निर्माण नहीं करना था। हालांकि नदी किनारे मिट्टी का भराव करके लोगों द्वारा की जा रही खेती सेटेलाइट मेप से नदी और स्वयं की जमीन के बीच नई जमीन की तरह नजर आती है। इसी नई जमीन की आड़ में कंपनी ने अपनी जमीन बचाई और टॉवर बना दिए।
-- टाउनशीप के किनारे नदी का स्वरूप दरांते जैसा है। 7 अक्टूबर 2008 को स्वीकृत ले-आउट (5256/एडीएम/नग्रानि/08) में स्वयं के सर्वे नं. 9/2 तक नदी को दर्शाया गया है जबकि 20 अपै्रल 2011 को संसोधन के साथ स्वीकृत हुए दूसरे ले-आउट (2478/एसपी-227/2010/नग्रानि/2011) में नदी सर्वे नं. 9/3 के सामने तक ही सिटम गई। इसीलिए उसमें 9/2 पर नदी से लगी वाली जमीन के नियमों का पालन नहीं किया गया।
60 मीटर तक निर्माण प्रतिबंधित
2008 और 2011 में स्वीकृत हुए दोनों ही नक्शे में मीरचंदानी समूह ने उस कान्ह नदी को नाले के रूप में ही दशार्या है जिसके शुद्धिकरण की चिंता ने मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान तक को चिंता में डाल रखा है।
बावजूद इसके 7 अक्टूबर 2008 को जो नक्शा स्वीकृत किया गया था उस पर लाल स्याही के पैन से लिखा हुआ है विद्यमान नदी से 60 मीटर की दूरी तक कोई निर्माण मान्य नहीं होगा जबकि दूसरे नक्शे में इसका कोई जिक्र नहीं था। पहले नक्शे में टाउनशीप से लगी जमीन को नाले और नाले के किनारे के रूप में परिभाषित किया गया था लेकिन दूसरे नक्शे में नाले का जिक्र तो है लेकिन किनारे गायब हैं।
गड़बड़ और भी...
कुल जमीन : 26 एकड़ से अधिक
बिल्टअप एरिया : 93363 वर्गमीटर
कब-कब हुए नक्शे पास :
7 अक्टूबर 2008- 5256/एडीएम/नग्रानि/08, विजय मीरचंदानी
20 अपै्रल 2011-2478/एसपी-227/2010/नग्रानि/2011, विजय मीरचंदानी
26 जुलाई 2013-6277/आरएसपी-27/12/नग्रानि/2013, सचिन उपाध्याय
हाइट : 18 मीटर (जी+6 मंजिल)
फ्लैट : 1, 2 और 3 बीएचके
मौजूदा कीमत : 2300 रुपए वर्गफीट
पार्किंग : पेड (एक लाख रुपए/कार)
अन्य चार्ज : प्राइम लोकेशन चार्ज (पीएलसी), सर्विस टैक्स, बिजली, पानी, क्लब, मेंटेनेंस, क्लब मेम्बरशीप।
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नदी के मौजूदा बहाव से नहीं राजस्व रिकार्ड में नदी की जो जमीन है उससे 30 मीटर की परिधि में किसी भी तरह का निर्माण नहीं हो सकता है।
जयवंत होलकर, सेवानिवृत्त्त प्लानर
टीएंडसीपी
नदी को नाला बताती रही कंपनी, 30 मीटर दूरी का नियम : 8 मीटर दूर किया निर्माण
इंदौर. विनोद शर्मा ।
पहले शालीमार टाउनशिप और बाद में प्रीमियम टॉवर की वैधानिकता को लेकर विवादों में रहे मीरचंदानी समूह की शालीमार स्वयं भी सवालों के घेरे में है। विवाद का मुद्दा है मास्टर प्लान में दर्ज नदी और किसी भी निर्माण के बीच की उस दूरी का जिसका ‘स्वयं’ में आधा-अधूरा पालन हुआ है। आरोप यह है कि टाउनशीप के छह मंजिला दो ब्लॉक नदी की जमीन से 7-8 मीटर ही दूर है जबकि दूरी कमसकम 30 मीटर होना चाहिए।
‘स्वयं’ ग्राम कबीटखेड़ी के सर्वे नं. 4/1, 4/3, 4/4, 5/2, 6/1, 6/2, 6/2, 6/3, 9/2, 9/3, 9/4, 10/4, 10/5, 10/6, 10/7, 10/8, 10/9, 11/1, 11/2 एवं 11/3 पर बन रही है। जमीन कोरल इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रा.लि. तर्फे डायरेक्टर विजय मीरचंदानी के नाम दर्ज है। कंपनी का पता 505-506 शालीमार मोर्या पार्क न्यु लिंक रोड अंधेरी मुम्बई दर्ज है। कंपनी की टाउनशीप से ही लगी है खान नदी जिसका सर्वे नं. 12/1 और 12/2 है। कुछ ब्लॉक्स का निर्माण मास्टर प्लान के प्रावधानों का पालन करते हुए नदी की जमीन से 30 मीटर दूर किया गया है जबकि कुछ ब्लॉक्स में बिल्डर ने जमीन खाली नहीं छोड़ी।
यह है मास्टर प्लान का नियम...
ग्रीन बेल्ट का बड़ा हिस्सा है नदी, नाले और जलाशयों के किनारे की जमीन। बड़े जलाशय के हाइएस्ट फ्लड लेवल (एचएफएल) से 60 मीटर की दूरी तक और छोटे जलाशय के एचएफएल से 30 मीटर दूरी तक किसी भी तरह का निर्माण प्रतिबंधित रहेगा। विकास योजना के अुनसार नदी के दोनों किनारों पर उच्चतम जलस्तर से कमसकम 30 मीटर तक खुला क्षेत्र रहेगा।
हुआ यह है - ‘स्वयं’ में नदी के किनारे (सर्वे नं. 9/2, 9/3, 9/4, 11/1, 11/2, 11/3) अभी 24 टॉवर बन रहे हैं। इनमें से सर्वे नं. 9/3 और 9/4 पर जो टॉवर बन रहे हैं उनकी नदी की जमीन (12/1 और 12/2) से दूरी 26 से 30 मीटर है। सर्वे नं. 9/2 पर जो टॉवर बन रहे हैं उनकी नदी की जमीन से दूरी 5 से 12 मीटर ही है।
कैसे की गड़बड़
-- राजस्व दस्तावेजों के अनुसार नदी की जमीन और कोरल इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रा.लि. तर्फे डायरेक्टर विजय मीरचंदानी की जमीन के बीच कोई जमीन नहीं है। इस मान से कंपनी को अपनी जमीन की सीमा से 30 मीटर तक निर्माण नहीं करना था। हालांकि नदी किनारे मिट्टी का भराव करके लोगों द्वारा की जा रही खेती सेटेलाइट मेप से नदी और स्वयं की जमीन के बीच नई जमीन की तरह नजर आती है। इसी नई जमीन की आड़ में कंपनी ने अपनी जमीन बचाई और टॉवर बना दिए।
-- टाउनशीप के किनारे नदी का स्वरूप दरांते जैसा है। 7 अक्टूबर 2008 को स्वीकृत ले-आउट (5256/एडीएम/नग्रानि/08) में स्वयं के सर्वे नं. 9/2 तक नदी को दर्शाया गया है जबकि 20 अपै्रल 2011 को संसोधन के साथ स्वीकृत हुए दूसरे ले-आउट (2478/एसपी-227/2010/नग्रानि/2011) में नदी सर्वे नं. 9/3 के सामने तक ही सिटम गई। इसीलिए उसमें 9/2 पर नदी से लगी वाली जमीन के नियमों का पालन नहीं किया गया।
60 मीटर तक निर्माण प्रतिबंधित
2008 और 2011 में स्वीकृत हुए दोनों ही नक्शे में मीरचंदानी समूह ने उस कान्ह नदी को नाले के रूप में ही दशार्या है जिसके शुद्धिकरण की चिंता ने मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान तक को चिंता में डाल रखा है।
बावजूद इसके 7 अक्टूबर 2008 को जो नक्शा स्वीकृत किया गया था उस पर लाल स्याही के पैन से लिखा हुआ है विद्यमान नदी से 60 मीटर की दूरी तक कोई निर्माण मान्य नहीं होगा जबकि दूसरे नक्शे में इसका कोई जिक्र नहीं था। पहले नक्शे में टाउनशीप से लगी जमीन को नाले और नाले के किनारे के रूप में परिभाषित किया गया था लेकिन दूसरे नक्शे में नाले का जिक्र तो है लेकिन किनारे गायब हैं।
गड़बड़ और भी...
कुल जमीन : 26 एकड़ से अधिक
बिल्टअप एरिया : 93363 वर्गमीटर
कब-कब हुए नक्शे पास :
7 अक्टूबर 2008- 5256/एडीएम/नग्रानि/08, विजय मीरचंदानी
20 अपै्रल 2011-2478/एसपी-227/2010/नग्रानि/2011, विजय मीरचंदानी
26 जुलाई 2013-6277/आरएसपी-27/12/नग्रानि/2013, सचिन उपाध्याय
हाइट : 18 मीटर (जी+6 मंजिल)
फ्लैट : 1, 2 और 3 बीएचके
मौजूदा कीमत : 2300 रुपए वर्गफीट
पार्किंग : पेड (एक लाख रुपए/कार)
अन्य चार्ज : प्राइम लोकेशन चार्ज (पीएलसी), सर्विस टैक्स, बिजली, पानी, क्लब, मेंटेनेंस, क्लब मेम्बरशीप।
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नदी के मौजूदा बहाव से नहीं राजस्व रिकार्ड में नदी की जो जमीन है उससे 30 मीटर की परिधि में किसी भी तरह का निर्माण नहीं हो सकता है।
जयवंत होलकर, सेवानिवृत्त्त प्लानर
टीएंडसीपी
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