Tuesday, June 28, 2016

तो मिट सकती है छह हजार लोगों की भूख

होटल व रेस्टोरेंट से हर दिन बर्बाद हो रहा है 15 टन भोजन
इंदौर. विनोद शर्मा ।
एक तरफ कई लोगों को एक वक्त का खाना नसीब नहीं हो रहा है वहीं इंदौर के होटल और रेस्टारेंट से ही हर दिन 15 टन खाना जाया हो रहा है। जिला प्रशासन द्वारा होटलों पर लगातार की जा रही कार्रवाई के दौरान यह बात सामने आई है। मन को दुखाने वाला यह आंकड़ा विडम्बनापूर्ण स्थिति को मानवतापूर्ण भावना के साथ तत्काल समाधान की जरूरत जता रहा है क्योंकि इस खाने का सदउपयोग 6000 जरूरतमंदों की भूख मिटा सकता है। बहरहाल, इंदौर के एक रेस्टारेंट कारोबारी ने ही भोजन को राष्ट्रीय संपत्ति घोषित कराने के लिए सुप्रीमकोर्ट में जनहित याचिका लगाने की तैयारी शुरू कर दी है।
होटल, रेस्टोरेंट, ढाबे और पब के खिलाफ सरकारी अभियान सालभर से जारी है। कार्रवाई के दौरान यहां संचालित गैरकानूनी गतिविधियों के खिलाफ कार्रवाई की गई है वहीं सामाजिक सरोकार रखते हुए अधिकारी यह भी जांचते रहे कि ऐसा कितना खाना वेस्ट हो रहा है जो होटल, रेस्टोरेंट, ढाबे या पब में ग्राहकों की प्लेट में नहीं जाता, सर्विंग बॉउल में ही रह जाता है। जिसे झूठन भी नहीं कह सकते। बावजूद इसके इस खाने को फेंक दिया जाता है। बीच में कुछ सामाजिक संस्थाओं ने भोजन संग्रहित करके जरूरतमंदों तक पहुंचाया भी लेकिन मीडिया की सुर्खियां मिलते ही अभियान बंद हो गए। बाद में होटलों के असहयोग की आड़ ले ली गई। ऐसे में जरूरत है प्रशासन की अगुवाई में भोजन संग्रहण की।
कैसे मिटेगी हजारों की भूख...
इंदौर शहर में होटल, रेस्टारेंट, पब, ढाबे तकरीबन 300 से ज्यादा हैं। इनमें से 150 ऐसे हैं जो देर रात तक ग्राहकों से गुलजार रहते हैं। सरकारी अनुमान के अनुसार दिनभर में औसत 5 किलोग्राम खाना भी सर्विंग बाउल में बचता है तो हर दिन का औसत 1500 किलोग्राम पहुंच जाता है। एक सामान्य व्यक्ति की डाइट 250 ग्राम है। इस हिसाब से 1500 किलोग्राम खाने का यदि सही उपयोग हो तो इससे उन 6000 जरूरत लोगों की भूख मिटाई जा सकती है जिन्हें एक वक्त का खाना भी नसीब नहीं होता। 40 रुपए प्लेट से ही आंकलन करें  रोज 2.5 लाख और सालाना 8.76 करोड़ का खाना खराब हो रहा है।
अब शादी-पार्टियों का भी सर्वे होगा
होटल और रेस्टोरेंट से फिकने वाले खाने की बड़ी मात्रा सामने आने के बाद अब शादी, जन्मदिन की पार्टी, कॉर्पोरेट पार्टी और भंडारों में बचने वाले भोजन के आंकड़े का अनुमान भी लगाया जाने लगा है। एक अनुमान के अनुसार शादी के सीजन में बचने वाले भोजन की क्वांटिटी 30 टन से ज्यादा है।
क्यों बचता है भोजन
1- बड़ी तादाद में होटल-रेस्टारेंट ने हाफ प्लेट सिस्टम बंद कर दिया है। ऐसे में व्यक्ति को भूख भले हाफ प्लेट की हो लेकिन उसे दाल, चावल व सब्जी फूल प्लेट ही बुलाना पड़ेंगे।
2- बड़ी व चर्चित होटल-रेस्टारेंट में खाना महंगा रखकर क्वांटिटी ज्यादा रखी जाती है। जरूरत पूरी होने के बाद भी खाना बचता है।
3- शादी-पार्टियों में बनने वाले भोजन की वैराइटियां इतनी बढ़ गई है कि मैनकोर्स का 70 फीसदी भोजन भी लोग नहीं खा पाते। कई ऐसे तरह के पकवान होते हैं कि उन्हें एक दिन बाद भी नहीं खाया जा सकता है।
4- कुछ नए की चाह में नए पकवान व्यक्ति बुला तो लेता है लेकिन कई बार स्वाद समझ नहीं आता।
राष्ट्रीय संपत्ति घोषित हो भोजन
रेस्टारेंट की चेन संचालित करने वाले प्रकाश राठौर ‘पप्पू’ ने भोजन की बर्बादी के खिलाफ कमर कसी है। उन्होंने कुपोषित बच्चों के बारे में छपने वाले समाचारों के साथ ही होटल-रेस्टारेंट से बचने वाले भोजन के आंकड़ों का सर्वे करके जनहित याचिका की तैयारी की है। सुप्रीमकोर्ट में लगने वाली इस याचिका के माध्यम से भोजन को राष्ट्रीय संपत्ति घोषित कराने की मांग की जाना है ताकि भोजन का दुरुपयोग कम से कम हो। इस सप्ताह केस फाइल हो जाएगा। राठौर का कहना है कि कीमत के साथ भोजन की क्वांटिटी कम रखी जाए तो ज्यादा खाना नहीं बचेगा। लोग जरूरत के हिसाब से खाएंगे। शादी-पार्टियों में विकल्प कम या फिर मेनकोर्स कम हो। दोनों बराबर होंगे तो 70 प्रतिशत भोजन बचना ही है।

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