Tuesday, June 28, 2016

पीएचई की अजब पेयजल निगरानी, हैंडपंप की शिकायत करना आसान नहीं

 पानी के लिए ग्रामीणों को बनना पड़ेगा स्मार्ट
इंदौर. विनोद शर्मा ।
आप गांव में रहते हैं तो अब आपका बंडी-गमछा सिर पर गमछा लपेटकर ‘हऊ दादा कर लांगा’ की आदत छोड़ना पड़ेगी। वक्त और टेक्नोलॉजी के हिसाब से बदलना पड़ेगा। स्मार्ट बनना पड़ेगा। एंड्राइड मोबाइल चलाने की आदत डालना पड़ेगी। तब कहीं जाकर आपको पानी मिलेगा। क्योंकि ग्रामीण पेयजल निगरानी प्रणाली के तहत लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग ने कुछ ऐसी ऐसी ही व्यवस्था की है जहां कोई स्मार्ट ग्रामीण ही खराब हैंडपंप की शिकायत कर सकता है। शायद यही वजह है कि ग्रामीण क्षेत्रों में खराब हैंडपंप की संख्या लगातार बढ़ रही है।
17 अपै्रल 2016 को योजना समिति की बैठक के दौरान पीएचई की समीक्षा करते हुये मंत्री कुसुमसिंह महदेले   ने अधिकारियों को निर्देशित करते हुए कंट्रोल रूम बनाने के निर्देश दिए थे। मकसद था गांव के हैंडपंप बंद होने की स्थिति में ग्रामीण आसानी से शिकायत करे। उनकी शिकायतों का कम से कम वक्त में निराकरण हो। अधिकारियों ने कंट्रोल रूम बनाने के बजाय मोबाइल नम्बर 9200067890 और एन्ड्रायड मोबाइल के लिए ‘एमपी जल’ एप जारी कर दिया। हैंडपंप की गांव वार मार्किंग कर दी गई तो नंबर बताते ही गांव और स्थान की जानकारी मिल जाए। फिर भी ढाई महीनों से एप तो दूर नंबर ही ग्रामीणों के लिए सिरदर्द बना हुआ है।
मजाक नहीं तो क्या है?
जैसे ही मोबाइल नंबर 9200067890 पर फोन करते हैं। आवाज आती है...ग्रामीण पेयजल निगरानी प्रणाली में पीएचई आपका स्वागत करता है। हैंडपंप से संंबंधित शिकायत के लिए 1, तकनीकी टीम से संबंधित शिकायत के लिए 2 और अधिकारियों से संबंधित शिकायत के लिए 3 दबाएं।
ग्रामीण 1 दबाते हैं..। जवाब आता- अपना हैंडपंप कोड डायल करें।
(आधे हैंडपंप पर ही मार्किंग है, इसकी शिकायत पीएचई के सदस्य सज्जनसिंह भिल्लारे बीते दिनों मुख्यमंत्री को भी कर चुक हैं।)
हैंडपप पर कोड स्पष्ट नहीं है। दो तरह के नंबर है। चार डिजिट का नंबर जैसे 8022..। दूसरा नंबर है 10 डिजिट का जैसे 0904068023...जिसे ज्यादातर ग्रामीण किसी इंजीनियर या टेक्नीशियन का मोबाइल नंबर ही समझकर डायल करते रहते हैं जो कभी नहीं लगता।
इनमें से कौनसा नंबर डायल करना है हैंडपंप पर कहीं नहीं लिखा है। 8022 डायल करो तो जवाब मिलता है कोड गलत है...।
कोड डायल कर दो तो शिकायत का प्रकार पूछते हुए आठ आॅप्शन बताए जाते हैं। हैंडल खराब है तो 1, चेन खराब है तो 2, हेड खराब है तो 3, सिलेंडर खराब है तो 4, लाइन गिर गई है तो 5, लाइन बदलना है तो 6, पाइप बदलना है तो 7 और खराब पानी  आ रहा है तो 8 दबाएं।
(मतलब यह कि ग्रामीण पहले हैंडपंप खोले और समझे कि आखिर हुआ क्या है। फिर मोबाइल या एप पर शिकायत करने का सोचे)
आड़ो नंबर बतऊं कि उब्बो...
सांवेर तहसील के कांकरिया बोरदिया गांव में हैंडपंप खराब है। ग्रामीण कैलाश परमार ने परेशान होकर शिकायत के लिए पंचायत से नंबर लेकर डायल कर दिया। कम्प्यूटराइज्ड वॉइस कॉल सेंटर के निर्देशानुसार नंबर डायल किए लेकिन मामला हैंडपंप कोड पर अटक गया और फोन कट गया। पंचायत में पूछने पर पता चला कोड हैंडपंप पर लिखे हैं। फिर नंबर लगाया। कॉल सेंटर ने जैसे ही हैंडपंप कोड पूछा तो उन्होंने हैंडपंप पर दो तरह से लिखे हुए नंबर देखकर कहा कि ‘‘कां को नंबर बतऊं आड़ो कि उब्बो...’’। उन्होंने जितने नंबर लिखे थे सब दबा दिए लेकिन जवाब वही मिला कोड गलत है। फिर सोचा चार डिजिट वाला कोड होगा। दबाया तो उसे भी गलत बताया। फिर 10 डिजिट के नंबर दबाए तब फोन तो लगा लेकिन आठ आॅपशन सुनते ही उन्होंने यह कहते हुए फोन रख दिया कि ‘‘रेन दे बई, हम इज मेकेनिक के बुलई ने सुदरई लांगा।’’

No comments:

Post a Comment