Wednesday, February 24, 2016

‘इदरीशनगर’ के विरोध में इदरीशनगरवासियों ने खोला मोर्चा

इंदौर. चीफ रिपोर्टर ।
मÞुसाखेड़ी में कटी जिस कॉलोनी को बचाने के लिए नगर निगम के अधिकारियों ने उसे इदरीशनगर का हिस्सा बता दिथा उसी इदरीशनगर के रहवासियों ने कॉलोनी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। मंगलवार को क्षेत्रवासियों ने इस संबंध में निगमायुक्त को लिखित शिकायत की है। उधर, राजेंद्रनगर थाने में बंद कॉलोनी के पहले विरोधी अंकित तोमर को लेकर नया खुलासा हुआ है। जिस आदमी पर जानलेवा हमले के आरोप में अंकित को बंद किया था उसी ने थाने पर अंकित के पक्ष में बयान दिया। कहा कि नानूराम कटारे ‘जिसकी कॉलोनी है’, ने फंसाया है।
मुसाखेड़ी स्थित इदरीशनगर और शांतिनगर के बीच नानूराम कटारे और सुरेंद्र मालवीय बेनाम कॉलोनी काटी है जिसकी शिकायत अंकित ने सबसे पहले की थी। जांच हुई। निगम अधिकारियों ने कहा नई कॉलोनी नहीं है। यह तो इदरीशनगर का हिस्सा है। इससे नाराज रहवासी संघ ने 23 फरवरी को जनसुनवाई में आवेदन दिया। बताया कि 18000 वर्गफीट जमीन कटारे और मालवीय बिना किसी अनुमति के प्लॉट काटकर बेच रहे हैं। इस कॉलोनी का इदरीशनगर से लेना-देना नहीं है। इसमें 2 फरवरी को हुई शिकायत का भी हवाला दिया गया है। रहवासियों ने चेताया कि कार्रवाई नहीं हुई तो वे 2 मार्च को निगम मुख्यालय पर धरना देंगे।
हवालात में पहुंचा दिया शिकायतकर्ता को
2 फरवरी को शिकायत करने वाले अंकित के खिलाफ आजादनगर पुलिस ने धारा 294, 323 और 506 में प्रकरण दर्ज किया। शिवनगर निवासी लक्ष्मण मंडलोई पर जानलेवा हमले की शिकायत नानूराम कटारे ने लिखाई। 15 फरवरी को लक्ष्मण ने थाने और कोर्ट में शपथ-पत्र दिया कि उसका और अंकित का कोई झगड़ा नहीं है। 10 फरवरी की रात मुझ पर किसी ने हमला किया था लेकिन मैंने अंकित को नहीं देखा। अंकित के नाम से रिपोर्ट कटारे ने लिखाई।

सतीश का ‘अश्लील’ मोबाइल उगलने लगा राज

डेढ़ हजार से अधिक फोटो-क्लीपिंग और सहयोगियों के नाम उजागर
- खटक रही थी परिवार द्वारा नारायण सार्इं को दान में दी मिर्जापुर की 5 एकड़ जमीन
इंदौर. विनोद शर्मा ।
जम्मू आश्रम में कंकाल रखकर और झुठा आरोप लगाने वाली लड़कियां तैयार करने के आरोप में सतीश वाधवानी के बाद संत श्री आसाराम बापू के खिलाफ तीन वर्षों में हुई साजिशों की गुत्थी सुलझने लगी है। 1635 अश्लील फोटो और दर्जनों वीडियो क्लीपिंग के साथ जब्त हुआ वाधवानी का मोबाइल साजिश की कहानियां उगलने लगा है। इसमें प्रकाश राजदेव  और सतीश के भाई दीपक सहित सिंधी समाज के कुछ अन्य लोगों की लिप्तता की बात भी सामने आने लगी है। इसमें मिर्जापुर की उस 5 एकड़ जमीन को लेकर सतीश का लालच भी सामने आया है जो उसके परिवार ने नारायणसार्इं को दान दी थी।
मैं जम्मू गया ही नहीं, मुझे फंसाया जा रहा है? गिरफ्तारी के दौरान यह कहते रहे सतीश को पकड़ने वाली जम्मू पुलिस का कहना है कि साजिश रचने के लिए किसी का इंदौर से जम्मू जाना जरूरी नहीं है। ऐसे काम कहीं भी बैठकर किए जा सकते हैं। हमारे पास जम्मू से गिरफ्तार हुए भोलानाथ, नांदुरबार (महाराष्ट्र) से पकड़ाए पंकज दुबे और सतीश के बीच हुई बातचीत के पुख्ता प्रमाण है। कुछ रिकॉर्डिंग भी है जिसमें इंदौर के प्रकाश भैया (प्रकाश राजदेव) के नाम का भी जिक्र है जो स्वयं को कभी महाराष्ट्र   का अधिकारी बताता है तो कभी पूर्व मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख का पीए बताता था। असल में वह इंदौर के सोना-चांदी तस्करों व तथाकथित बुलियन कारोबारियों की लाइजनिंग करता है। सूरत से आने वाली उनकी गाड़ियां छुड़वाता है। दोनों ने मिलकर बापू विरोधियों को जोड़ा और साजिशों का खांका खींचते रहे। जांच में कुछ पत्रकारों के नाम भी सामने आए हैं।
अभी तो और भी तथ्य चौकाएंगे
मामले में 26 फरवरी तक जम्मू पुलिस पूछताछ करेगी। उम्मीद की जा रही है कि पूछताछ में बापू के खिलाफ साजिशों से संबंधित कुछ और तथ्य बेनकाब होंगे।
इतनी फोटो और क्लीपिंग किसकी
सतीश के मोबाइल से मिली कुछ अश्लील फोटो-क्लीपिंग ऐसी हैं जिन्हें मॉर्फिंग के जरिये तैयार किया गया है। मतलब किसी का शरीर और किसी का चेहरा। जम्मू पुलिस इस बात की भी तस्दीक कर रही है कि कहीं इन फोटो और क्लीपिंग में कुछ और ऐसे लोगों के चेहरे तो नहीं है जिन्हें शिकार बनाया गया हो। या वाधवानी के पास ऐसी महिलाओं का समूह है जो पैसे के लिए किसी पर भी दुश्कर्म का आरोप मढ़ सकती हैं। बाकी फोटोग्राफी सबूत जुटाने का काम तो वाधवानी कर ही लेता था।
मिर्जापुर की जमीन ने बदला मिजाज
1994 से 2011 तक आश्रम से जुड़ा रहा जो सतीश बापू के खिलाफ षड़यंत रचता रहा उसके परिवार ने 10 साल पहले ग्राम मिर्जापुर में सर्वे नं. 63/1/मिन-2 और 63/2 पैकी कुल रकबा 0.958 हेक्टेयर (103118 वर्गफीट) जमीन नारायण सार्इं को दान दे दी थी। राजस्व दस्तावेजों में श्री नारायणसार्इं पिता आसाराम बापू और श्री नारायण साई संस्थान के नाम दर्ज है। यहां फुलवाड़ी भी है। जमीन इससे पहले विजय कुमार, ईश्वर कुमार पिता मोहनलाल वाधवानी के नाम दर्ज

59 की तकरीबन 5 एकड़ जमीन दान दे दी थी। कत्था कारखाने के पास स्थित इस जमीन पर तकरीबन 1150 वर्गफीट की पक्की कुटिया और 11850 वर्गफीट पर बगीचा बना है। बाकी जमीन खुली है। जिस वक्त जमीन दी थी उस वक्त उसकी कीमत कुछ लाख रुपए एकड़ की रही थी जबकि आज बाजार वेल्यू 1100 और गाइडलाइन 2014-15  में वेल्यू 700 रुपए वर्गफीट है। मतलब गाइडलाइन के लिहाज से ही जमीन 15 करोड़ 24 लाख 60 हजार की हो गई। कीमत बढ़ने के बाद सतीश ने दिमांग लगाया और जमीन वापस लेने की तैयारी शुरू कर दी। बताया जा रहा है कि वाधवानी परिवार जमीन का सौदा कर चुका है।



सुस्त सर्वे की भेंट चढ़ी 20 हजार करोड़ की रेल परियोजनाएं

इंदौर. विनोद शर्मा ।
आगामी रेल बजट में जहां न सिर्फ इंदौर बल्कि पूरे मप्र को रेल मंत्रालय से मिलने वाली नई सौगातों का इंतजार है। वहीं यह भी उम्मीद जताई जा रही है कि बजट उन योजनाओं को भी गति देगा जो सर्वे के नाम पर वर्षों से दस्तावेजों में ही झूल रही हैं या फिर उन योजनाओं पर भी पुनर्विचार करेगा जिन्हें रेट आॅफ रिटर्न के नाम पर नकारा जा चुका है। आंकड़ों के लिहाज से बात करें 10 वर्षों में मप्र में 3863 करोड़ की 1015 किलोमीटर की लाइनें आरओआर के कारण नकार दी गई वहीं तकरीबन 16 हजार करोड़ की तकरीबन 2239 किलोमीटर लाइनें रेलवे के सुस्त सर्वें की भेट चड़ चुकी हैं।
अर्से से महसूस की जा रही लोगों की जरूरत देखने और क्षेत्रीय सांसदों की मांग के बाद रेल मंत्रालय रेल परियोजनाओं को हरी झंडी देता है। यह बात अलग है कि इन परियोजनाओं के सर्वे को लेकर रेलवे का रवैया सुस्त ही रहा है। जब तक सर्वे पूरा होता है तब तक प्रोजेक्ट की लागत दोगुनी हो जाती है या फिर रेट आॅफ रिटर्न में उतार-चढ़ाव आ जाता है। नतीजा अच्छी भली योजना ठंडे बस्ते में। फिर मुद्दा उज्जैन-झालावाड़-रामगंज मंडी का हो या फिर सिरपुर-महू या खंडवा-धार लाइन का।
नेटवर्क मजबूत होगा, मिलेगी कई इलाकों को ट्रेन...
मप्र राज्य परिवहन निगम के बंद होने के बाद निजी बसों की दादागिरी झेल रहे प्रदेशवासियों को लंबित रेल परियोजनाओं के अमल में आने से राहत मिलना तय है। नए इलाके लाइन से जुड़ेंगे। जैसे खंडवा-धार, ब्यावरा-राजगढ़-बीना, भोपाल-सागर-छतरपुर-खजुराहो, खरगोन, आगर, सुसनेर, आष्टा-भोपाल-देवास। यहां रेट आॅफ रिटर्न के माइनस जाने का सवाल ही नहीं उठता। बावजूद इसके कई परियोजनाएं रेट आॅफ रिटर्न माइनस बताकर अटका रखी है।
लागत कहां की कहां पहुंच गई, परियोजना वही
176 किलोमीटर लंबी रतलाम-बांसवाड़ा-डूंगरपुर रेल लाइन 2008-09 में मंजूर की गई थी। लागत आंकी गई 1184 करोड़। सर्वे में रेट आॅफ रिटर्न -2.35 प्रतिशत आया इसलिए योजना पर ब्रेक लगा दिया। जनता की मांग पर दोबारा सर्वे हुआ जो 2010 में पूरा हुआ। इसमें रेट आॅफ रिटर्न +3.88 प्रतिशत आया जबकि उस वक्त तब लागत बढ़कर 2082 करोड़ हो चुकी थी।
बड़ी सादरी-नीमच परियोजना 2011-12 में मंजूर हुई। 48 किलोमीटर लंबी इस परियोजना की लागत 303 करोड़ आंकी गई। दिसंबर 2011 में आई सर्वे रिपोर्ट में -3.25 प्रतिशत रेट आॅफ रिटर्न दिखाया और प्रोजेक्ट होल्ड कर दिया। फरवरी 2013 में आई सर्वे रिपोर्ट में रेट आॅफ रिटर्न -3.76 प्रतिशत आया। उस वक्त तक लागत 303 से बढ़कर 399.38 करोड़ हो चुकी थी।
यह प्रोजेक्ट भी पेपर में ही...
नीचम-सिंगोली-कोटा : 150 किलोमीटर लंबी इस लाइन का सर्वे माच्र 2014 में हुआ। जुलाई 2014 म1ें सर्वे डिलिट कर दिया गया।
रतलाम-चित्तौड़गढ़ :: 189 किलोमीटर लंबी डबल लेन पर कुछ काम नहीं।
प्रतापगढ़-मंदसौर : 32 किलोमीटर लंबी नई ब्रॉडगेज लाइन पश्चिम रेलवे के मुख्यालय में अटकी। सिर्फ टोपोशीट पर काम।
चंद्रावती गंज-उज्जैन : 22.96 किलोमीटर लंबी मीटर गेज लाइन को ब्रांड गेज लाइन से बदला जाना था।
रतलाम-वडोदरा : 259 किलोमीटर लंबी इस लाइन का सर्वे ही 10 प्रतिशत हुआ जबकि 2015-16 में पूरा होना था।
आष्टा-भोपाल : 2013-14 में मंजूर हुई यह लाइन भी डिपार्टमेंट की फाइलों से गायब।
एक नजर में 10 साल की रेल परियोजनाएं...
स्वीकृत : 259
सर्वे कंप्लीट-प्रोजेक्ट स्थगित : 246
रिपोर्ट की समीक्षा जारी : 198
कुल : 704 परियोजनाएं
26 अगस्त 2014 तक की रिपोर्ट





सर्वे के बाद तोड़ दिया दम
लाइन स्वीकृत वर्ष लंबाई लागत रेट आॅफ रिटर्न
खंडवा-खरगोन-सेंधवा-नारदाना 2004-05 225 550 -2.46
उज्जैन-झालावाड़-रामगंज मंडल 2007-08 190 860 -2.76
सिरपुर-महू 2008-09 185 1450 10.31
छिंदवाड़ा-नैनपुर 2004-05 140 228 -5
श्रीधाम-रामटेक-सियोनी 2004-05 275 775 -3
कुल लंबाई 1015किमी 3863 करोड़
इन प्रोजेक्ट पर संस्पेंस बरकरार
खंडवा-धार 2010-11 250 2025 -3.43
झांसी-बीना 2010-11 153 1162 13.12
बिना-उरई-महोबा 2011-12 217 1741 -12.73
पीपर्यागांव-ललितपुर-चंदेरी 2011-12 80 396 -12.36
बड़ी सादरी-नीमच 2011-12 48 303 - 3.25
ब्यावरा-राजगढ़-बीना 2013-14 147 974 -1.5
सागर-छतरपुर-खजुराहो-भोपाल 2013-14 320 1916 -6.5
सतना-रीवा 2013-14 49 165 15

अक्टूबर में दर्ज हुआ था केस, सितंबर से थी सतीश को जानकारी


जम्मू कंकाल कांड की गुत्थी के बाद अब सूरत दुश्कर्म प्रकरण भी गुत्थी भी सुलझने लगी
इंदौर. विनोद शर्मा ।
संत श्री आसाराम बापू को बदनाम करने की साजिशें रचने वाले सतीश वाधवानी की गिरफ्तारी और उसके मोबाइल से निकल रहे राज ने न सिर्फ जम्मू आश्रम में मिले कथित कंकाल की ग़ुत्थी सुलझाई बल्कि सूरत में दर्ज हुए दुश्कर्म के केस पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। बताया जा रहा है कि सतीश और उसके सहयोगी प्रकाश राजदेव को पहले से पता था कि अहमदाबाद-सूरत में बापू और नारायणसार्इं के खिलाफ दुश्कर्म का मामला दर्ज होगा। कैसे? इसकी जांच जारी है।
15 अगस्त को दर्ज हुए जोधपुर प्रकरण के बाद 30 अगस्त को बापू की गिरफ्तारी हुई। इसके कुछ ही दिन बाद सतीश के बेहाफ पर प्रकाश ने इंदौर आश्रम के प्रबंधक को फोन लगाया। कहा कि जल्द ही सूरत में भी दोनों के खिलाफ केस दर्ज होगा। अभी वक्त है, कहो तो अभी से मामला सेटल करें। बात बनी नहीं। 6 अक्टूबर 2013 को सूरत के जहांगीरपुरा थाने में बापू और नारायणसार्इं के खिलाफ दो बहनों ने यौन उत्पीड़न का प्रकरण दर्ज कराया। 4 दिसंबर को नारायणसार्इं की दिल्ली से गिरफ्तारी हुई। हालांकि 2015 में बापू पर आरोप लगाने वाली बड़ी बहन पलट गई। पहले उसने बयान पलटने का आवेदन दिया जिस पर पुलिस ने आपत्ति ली। बाद में इंदौर आकर उसने मीडिया के सामने कहा था कि दबाव में आकर आरोप लगाया था।
10 करोड़ और 7 करोड़ की जमीन थी डिमांड
सतीश मुलत: नारायणसार्इं से जुड़ा था। इंदौर प्रवास के दौरान उनकी गाड़ी ड्राइव करता था। इसीलिए वह सार्इं की पत्नी के भी करीब था, उन्हें कथा के दौरान के सच्चे-झूठे किस्से सुनाता था। बाद में महिला साधकों के प्रति उसकी हरकतें देखकर नारायण सार्इं ने उसे भगा दिया। तभी से सतीश ने ठान लिया कि वह नारायण सार्इं से मिर्जापुर की वह एक लाख वर्गफीट जमीन लेकर रहेगा जो उसके परिवार ने दान में दी थी। बापू की गिरफ्तारी के बाद सतीश ने उनके करीबियों से 10 करोड़ नकद और मिर्जापुर की जमीन मांगी थी। सतीश के जमीनी लालच से उसका परिवार भी नाराज है।
सोची-समझी साजिश में पकड़ाए सार्इं
सतीश सहित सभी षड़यंत्रकारी यह जानते थे कि यदि सिर्फ बापू अंदर जाते हैं तो नारायण सार्इं पूरी ताकत झौंक देंगे उन्हें बाहर लाने के लिए। इसीलिए सूरत प्रकरण दर्ज हुआ ताकि नारायणसार्इं भी बाहर न रहे। साजिशकर्ता जानते थे कि दोनों के अंदर जाने से साधकों का विश्वास टूटेगा और उनके समर्थकों का मनोबल।
सवालों में साजीश
- सतीश ने कहा कि मैंने नारायण सार्इं को छोड़ा जबकि वह 1994 से 2011 तक उनके साथ रहा। परिवार की इतनी सार्इं में अगाध श्रृद्धा जो जमीन दान दे दी। फिर सतीश ने क्यों छोड़ा?
- यदि जमीन लेना ही थी तो सतीश के परिजन विजय औ ईश्वर वाधवानी वापस मांगते जिनके नाम जमीन दर्ज थी। सतीश को सार्इं द्वारा हकाले जाने के बाद भी उन्होंने जमीन नहीं मांगी क्योंकि वे अपने उसकी हकीकत जानते थे।
- आखिर वो कौनसी शक्ति थी जिसके दबाव का जिक्र सूरत में बापू पर दुश्कर्म का आरोप लगाकर बाद पलटी पीड़िता ने किया था?
- शाहजहांपुर की लड़की, छिंदवाड़ा आश्रम में पड़ती रही। जोधपुर आश्रम गई। जोधपुर की घटना पर दिल्ली में जाकर प्रकरण दर्ज क्यों कराया? सिर्फ इसलिए क्योंकि वहां पास्को लगता है जिसमें जमानत आसान नहीं होती।
- बापू की गिरफ्तारी के बाद ही सूरत के दुश्कर्म मामले क्यों सामने आए? पहले क्यों नहीं? यदि जान के खतरे की बात कही जाती है तो जिस वक्त प्रकरण दर्ज हुआ था उस वक्त  बापू भले अंदर थे लेकिन सार्इं बाहर थे।
- जब बापू-सार्इं के अंदर जाने के बाद जान का खतरा टला और पीड़ित सामने आने लगे तो सवाल यह भी है कि आखिर फिर तीन वर्षों में गवाहों पर हमले किसने और क्यों किए। वह भी जमानत अर्जी पर सुनवाई की तारीख से ठीक पहले।

ट्रेड है तो डिपार्टमेंट हैं exice day

- सेंट्रल एक्साइज डे पर प्रिंसिपल कमिश्नर डॉ. मीणा ने दी अधिनस्थों को सीख
इंदौर. चीफ रिपोर्टर । 
टैक्स कलेक्शन हमारा संवैधानिक अधिकार है। हमें टैक्स वैसे ही कलेक्ट करना चाहिए जैसे मधुमक्खी फुलों को नुकसान पहुंचाए बिना उसका रस जुटाती है। ध्यान रहे कि ट्रेड है तो डिपार्टमेंट हैं, इसीलिए ट्रेड फेसिलिटेशन पर जोर दें। यह बात बुधवार दोपहर संपन्न हुए ‘सेंट्रल एक्साइज डे’ सेलीबे्रशन के दौरान प्रिंसिपल कमिश्नर कस्टम, सेंट्रल एक्साइ एंड सर्विस टैक्स एस.एल.मीणा ने कही।
माणिकबाग पैलेस स्थित कमिश्नरेट में आयोजित हुए इस कार्यक्रम में श्री मीणा ने बताया कि करदाताओं की सहुलियत के लिहाज से आवश्यकतानुसार कर प्रणाली में बदलाव किए जाते रहे हैं। फिर मुद्दा सेल्फ असेसमेंट प्रक्रिया का हो या फिर बीते वक्त में शुरू हुई आॅटोमेशन आॅफ सेंट्रल एक्साइज एंड सर्विस टैक्स (एसीईएस) जैसे नए आॅनलाइन रिटर्न  सॉफ्टवेअर का। आगामी वक्त जीएसटी का है। तमाम सुविधाएं देने, उद्योग जगत के प्रति उदारता का भाव रखने और शुल्क दरों में कमी के बावजूद बीते वर्षों में कर चोरी के मामले बढ़े हैं। इसे रोकने के लिए भी हमें सजग रहना होगा। हमें अपने काम में अधिक प्रवीणता, कुशलता और दक्षता लाना होगी। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कृषि कॉलेज के डीन प्रो. ए.एन.राजपूत थे उन्होंने अधिकारियों की कार्यप्रणाली की तारीफ की। उनका मनोबल बढ़ाया। अधिकारियों और कर्मचारियों के मैधावी बच्चों का भी सम्मान है।
बीते साल से ज्यादा टैक्स कलेक्शन
- इंदौर कमिश्नरेट द्वारा 854 करोड़ का टैक्स कलेक्शन किया गया है जो कि 2014-15 में कलेक्ट हुए 619 करोड़ से 38 प्रतिशत अधिक है। 2015-16 में एक्साइज-सर्विस टैक्स का संयुक्त टार्गेट 1047 करोड़ है
- ग्वालियर कमीश्नरेट का टार्गेट 599 करोड़ है। अब तक कलेक्ट हुए 494 करोड़ जो बीते साल से 16 प्रतिशत ज्यादा है। 408 करोड़ की कस्टम ड्यूटी कलेक्ट हुई।
प्रयास जो हमने किए..
- औद्योगिक सुविधा के लिए ‘येज ओन डूइंग बिजनेस’ की दिशा में कदम उठाए। सर्विस टैक्स के शिविर लगाए। समस्याओं का समाधान किया।
- माणिकबाग में करदाता सुविधा केंद्र बनाया। यहां कोई भी आकार जानकारी ले सकता है।
- सीपी ग्राम आॅनलाइन सुविधा उपलब्ध कराई। यहां दर्ज होने वाली आॅनलाइन शिकायतों का तत्काल निराकरण होता है।
- हर बुधवार को दोपहर 1 बजे कोई भी बिना अपॉइन्टमेंट के अधिकारियों से मिल सकता है।
इन करदाताओं को किया सम्मानित...
सेंट्रल एक्साइज
इंदौर-ब्रिजस्टोन इंडिया, फोर्स मोटर्स
ग्वालियर- गोदरेज कंस्यूमर, एचआर जॉनशन
सर्विस टैक्स
इंदौर- वीई कमर्शियल व्हीकल, मप्र पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी
ग्वालियर- एसएसके डेवकॉन और ग्रासीम इंडस्ट्री
कस्टम
इंदौर- प्रोक्टर एंड गैंबल(बेस्ट इम्पोटर), टाटा इंटरनेशनल (बेस्ट एक्सपोर्टर)
ग्वालियर- एसआरएफ इंडस्ट्री (बेस्ट इम्पोटर), लेनसेक्स इंडिया (बेस्ट एक्सपोर्टर)

Thursday, February 18, 2016

पासबुक को चॉकलेट का डिब्बा कहते हैं renuka mata

, डीडी को केडबरी रेणुकामाता मल्टीस्टेट को-आॅपरेटिव बैंक इनकम
टैक्स की कार्रवाई
इंदौर. विनोद शर्मा ।
मल्टीस्टेट को-आॅपरेटिव बैंक के नाम पर चल रही रेणुकामाता हवाला बैंक का सारा कामकाज कोडवर्ड पर टिका है। अपने कर्मचारियों के नाम पर थोकबंद खाते खोलकर बैठे कारोबारी इस बैंक की पासबुक को चॉकलेट का डिब्बा कहते हैं जबकि डिमांड ड्राफ्ट (डीडी) को केडबरी का नाम दिया गया है। बैंक चेक सुविधा नहीं देती। बहरहाल, इनकम टैक्स की कार्रवाई से बैंक कम, कारोबारी ज्यादा दहशतजदा है। बैंक से मिले दस्तावेजों के आधार पर रायपुर में ज्वैलर्स के खिलाफ इनकम टैक्स की छापेमार कार्रवाई जारी है।
रायपुर में 80 लाख रुपए सीज करने के बाद इनकम टैक्स ने सर्वे की कार्रवाई को जैसे सर्च में तब्दील कर दिया था वैसे ही इंदौर और सेंधवा में भी हुआ। सेंधवा से तकरीबन 25 लाख रुपए और  इंदौर से 50 लाख रुपए सीज किए गए। मंगलवार-बुधवार की दरमियानी रात तक जारी रही कार्रवाई के दौरन डीडी व पासबुक के बंच सहित कई महत्वपूर्ण सुराग इनकम टैक्स के हाथ लगे हैं। बैंक सुभाषचौक पार्किंग के सामने 40 हजार रुपए महीने के किराए पर है। यहां 12 कर्मचारी काम करते हैं। बुधवार को बैंक के डायरेक्टर भी इंदौर पहुंचे। अधिकारियों ने उनसे भी पूछताछ की।
फर्जी खातों से खेल
- जिन कारोबार की निर्भरता महाराष्ट्र पर ज्यादा निर्भर है उन्हीं के खाते यहां हैं। जैसे रेडीमेड, बर्तन बाजार, इलेक्ट्रॉनिक आईटम और मोबाइल ऐसेसरिज।
- एक कारोबारी ने कमसकम 5-5 खाते खुलवा रखे हैं।
- सेल्समैन, प्यून
- रेडीमेड कारोबारियों के खाते हैं कारिगर, कांच-बटन और तुरपई करने वालों से लेकर धागे काटने वालों तक के नाम। इंदौर में 2000 रेडीमेड कारोबारी हैं। करीब-करीब सभी के खाते रेणुकामाता, बुलडाना, ज्ञानराधा और रत्नेश्वरी माता बैंक में हैं।
- यहां पेनकार्ड नहीं लगता। पुलिस वेरिफिकेशन के नाम पर लिए पहचान-पत्रों की कॉपी लगाकर यह खाते खुलवाए गए हैं। इनका संचालन कारोबारी या उनके दलाल करते हैं। कर्मचारियों को तो पता ही नहीं है।
सालाना 550 करोड़ से अधिक का कारोबार
बैंक में खातों की संख्या 1500 से 1800 बताई जा रही है। ऐसे में यदि कारोबारियों के 50 फीसदी यानी 750 से 900 खातों में यदि रोज 20 हजार रुपए का ट्रांजेक्शन भी होता है तो 1.50 से 1.80 करोड़ का कारोबार होता है बैंक में। सालाना 547.5 करोड़ से ज्यादा।
तीन महीने तक वैध रहती है डीडी...
- बैंक में जो डीडी बनती है उसकी वैधानिकता 3 महीने की रहती है। इस दौरान डीडी एक से दूसरे और दूसरे से तीसरे कारोबारी के बीच ट्रांसफर होती रहती है। 3 महीने बाद बैंक में संपर्क करके डीडी की वैधानिकता बढ़वाई जा सकती है।
- बैंक के कुछ निजी बैंकों में खाते हैं। उन्हीं खातों के सपोर्ट से डीडी चलती रहती है।
- डीडी को केडबरी कहा जाता है। उदाहरण के तौर पर यदि किसी को
50 हजार रुपए देना है तो कारोबारी कहता है 50 की केडबरी दे दो।
200 नोटिस के बाद कार्रवाई हुई...
सेंधवा में ही संस्था की ब्रांच को एक साल में 200 से अधिक नोटिस दिए गए, लेकिन किसी का भी जवाब नहीं दिया गया। इसके बाद कार्रवाई शुरू की गई है।

मप्र-छत्तीसगढ़ की चार ब्रांचों में 12000 करोड़ का हवाला

रेणुकामाता मल्टीस्टेट अर्बन क्रेडिट को-आॅपरेटिव सोसायटी
इंदौर. चीफ रिपोर्टर ।
इनकम टैक्स इन्वेस्टिगेशन विंग की छापेमार कार्रवाई में अब तक रेणुकामाता मल्टी स्टेट अर्बन क्रेडिट को-आॅपरेटिव सोसायटी में 12000 करोड़ से ज्यादा का हवाला सामने आया है। इसमें 70 फीसदी राशि इंदौर के कारोबारियों की महाराष्ट्र, गुजराज, रायपुर पहुंचाई गई। जांच में सोसायटी की इंदौर-सेंधवा ब्रांच में 50 से अधिक ऐसे खाते भी सामने आए हैं जो पेन ही नहीं बिना केवाईसी फार्म के खोले गए। जो पते लिखे हैं वह भी फर्जी है। इसके अलावा तकरीबन 500 से अधिक ऐसे खाते हैं जो हैं किसी और के और इस्तेमाल कोई और कर रहा है।
मुलत: अहमदनगर, महाराष्ट्र की इस सोसायटी ने इंदौर में 10 साल पहले, सेंधवा में करीब 4 साल और रायपुर में दो साल पहले कदम रखा। इस समयावधि में आयकर को दो साल में 12000 करोड़ के ट्रांजेक्शन के प्रमाण मिले हैं। लेनदेन डीडी के माध्यम से हुआ। खुलासे के बाद इनकम टैक्स की निगाहें बैंक के हेडक्वार्टर सहित अन्य सभी ब्रांचों पर भी है।
पैसा जमा करने वाले का नाम ही नहीं...
डीडी के नाम पर हवाले की रकम इधर से उधर करने वाली इस बैंक के कई खाते ऐसे सामने आए हैं जिनमें लाखों रुपया जमा करना बताया है लेकिन जमा किसने और कब किये इसकी कोई इंट्री बैंक के पास नहीं है। जबकि अन्य बैंकों में 50 हजार से अधिक जमा करने पर पेन बताना पड़ता है।
अब व्यापारियों पर भी नजर
कार्रवाई का केंद्र रायपुर था इसीलिए सर्च करके जानकारी रायपुर भेजी जा रही है। यह भी बताया जा रहा है कि बैंक से मिली इन्फॉर्मेशन के आधार पर जैसे रायपुर में करीब सौ करोड़ रुपए का बिक्री हवाला होने  की जानकारी मिलने के बाद रिद्धि-सिद्धि ज्वेलर्स के खिलाफ सर्च की कार्रवाई की गई वैसी ही कार्रवाई या नोटिस-पूछताछ की कार्रवाई इंदौर-सेंधवा में भी हो सकती है। इसीलिए इंदौर में भी व्यापारी दहशतजदा हैं।
खाता किसी का, इस्तेमाल करे कोई और...
सेंधवा में पदस्थ एक आयकर अधिकारी ने बताया कि बैंक में 100 से अधिक ऐसे खाते सामने आए हैं जिनके केवाईसी फार्म किसके नाम के हैं और उनका संचालन कोई और कर रहा है। ये खाते संबंधित लेनदेन करने वाले के कर्मचारी, परिचित के हो सकते हैं। शाखा में मौजूद दस्तावेजों में बाकायदा ये लिखा है कि किस खाते को कौन संचालित कर रहा था। अब विभाग खाताधारक सहित जिस व्यक्ति द्वारा इसे संचालित किया जा रहा था, दोनों से जानकारी लेगा। 

जमीन पर फैला सेंट्रल मॉल खाते में सिमटा

पहले अवैध निर्माण, अब करोड़ों का संपत्ति कर चोरी
इंदौर. विनोद शर्मा ।
अधिकारियों के सहयोग से सभी विभागों की आंखों में धूल झौंककर नमन मॉल मैनेजमेंट कंपनी प्रा.लि. ने  पहले मनमाना सेंट्रल मॉल ताना और अब संपत्ति कर की भी भारीभरकम चोरी कर रही है। मॉल जमीन पर जितना फैला हुआ नजर आता है, राजस्व दस्तावेजों में उतना ही सिकुड़ा हुआ है। नगर निगम के राजस्व विभाग के अनुसार मॉल बना करीब 5.20 लाख वर्गफीट है जबकि टैक्स चुकाया जा रहा है 2.05 लाख वर्गफीट का ही।
नमन मॉल ने 13 दिसंबर 2006 को 30 मीटर ऊंचे मॉल और मल्टीप्लैक्स के लिए आवेदन किया था। इसमें प्लॉट नं. 170 का क्षेत्रफल 6877.32 वर्गमीटर (74026 वर्गफीट) बताया गया। इस प्लॉट पर बाद में एफएआर के साथ 186979 वर्गफीट निर्माण मंजूर किया गया। इस क्षेत्रफल की पुष्टि कंपनी के ही प्रोजेक्ट आॅफिसर अतूल पिता केसी कुलश्रेष्ठ ने मॉल के पक्ष कोर्ट में दिए एक शपथ-पत्र में भी की। मॉल में स्वीकृति के विपरीत जबरस्त निर्माण हुआ। परिणामत: मौके पर तकरीबन 74026 वर्गफीट प्लॉट पर 60 हजार वर्गफीट पर तीन बेसमेंट+जी+एम+6 मॉल तना है जिसका कुल क्षेत्रफल करीब 5 लाख वर्गफीट से ज्यादा है।
आंखें बंद थी अफसरों की...
निगम के अफसरों ने 186979 वर्गफीट की स्वीकृति पर आंख बंद करके 5 लाख वर्गफीट निर्माण होने दिया। बाद में राजस्व विभाग के अधिकारियों ने इसी मॉल का संपत्ति कर खाता खोला और कुल क्षेत्रफल जोड़ दिया 205619 वर्गफीट। जो कि स्वीकृत निर्माण से  18640 वर्गफीट ज्यादा था। यह निर्माण कैसे और किसकी अनुमति से हुआ? यह देखने के बजाय अवैध निर्माण को खाता खोलकर वैध कर दिया।
बेसमेंट गायब, फ्लोरवाइज बढ़ता गया एरिया
संपत्ति कर के खाते में मॉल के तीन बेसमेंट का जिक्र नहीं है। खाता शुरू होता है ग्राउंड फ्लोर से जो 14719 वर्गफीट है इस पर जो आधी छत (मेजनाइन) चढ़ी है उसका क्षेत्रफल बढ़कर 21145 वर्गफीट हो गया जबकि मेजनाइन 7359.5 वर्गफीट से ज्यादा की नहीं होना थी। इसके बाद ‘सी’ शेप में बनी ऊपरी मंजिलों का एरिया दो से तीन गुना तक बढ़ गया। चौथी मंजिल सिकुड़ी, पांचवी फैली जबकि छठवीं का क्षेत्रफल चौथी मंजिल के समान है।
33 लाख है टैक्स, होना चाहिए 80 लाख
2015-17 में मॉल का संपत्ति कर बिल 33,14,016 रुपए आया। 205619 वर्गफीट के लिहाज से औसत 16.11 रुपए वर्गफीट टैक्स चुकाया जा रहा है जबकि पांच लाख वर्गफीट के हिसाब से टैक्स बनना चाहिए 8058632 रुपए। अंतर सीधे 4744616 लाख का। मॉल अब तक 8 वर्षों में 3 करोड़ 79 लाख 56 हजार 933 की संपत्ति कर चोरी कर चुका है।
आंकड़ों का झगलरी...
नगर निगम के अनुसार कुल निर्माण :  205619 वर्गफीट है।
निर्माण की स्वीकृति दी : 186979 वर्गफीट
नमन मॉल/फ्यूचर ग्रुप : 225000 वर्गफीट
यह है नगर निगम का संपित्त कर
नमन मॉल कंपनी प्रा.लि.
पता : 170 आरएनटी मार्ग
खाता नं. 708000117
फ्लोर वर्गफीट
ग्राउंड फ्लोर 14719
मेजनाइन 21145
पहली 30551
दूसरी 34300
तीसरी 35360
चौथी 15105
पांचवी 26909
छठवीं 15205
सातवीं व अन्य 12325
कुल निर्माण 205619 वर्गफीट

‘‘कमर्शियल प्लॉट पर ग्राउंड कवरेज 50 प्रतिशत मिलता है। मेजनाइन फ्लोर जितनी ग्राउंड फ्लोर है उसकी 50 फीसदी बन सकती है। इसके अलावा ऊपरी मंजिलों पर 4-4 फीट की हैंगिंग हो सकती है। उदाहरण के तौर पर यदि ग्राउंड फ्लोर 14 हजार फीट है भी तो हैंगिंग के साथ एक फ्लोर का एरिया 17 हजार फीट से ज्यादा नहीं हो सकता। ’’
अतुल सेठ, इंजीनियर
शिकायत मिली है। मॉल की जांच कराई जाएगी। जो अंतर निकलेगा उस पर पेनल्टी सहित संपत्ति कर जमा कराया जाएगा।
देवेंद्र सिंह, अपर आयुक्त
नगर निगम

सिंहस्थ में आयकर ढूंढेगा करदाता

क्षेत्रीय कर सलाहकार समिति की बैठक
संभागायुक्त ने दिया आयकरदाताओं को ही रिवॉल्वर लाइसेंस देने का सुझाव
इंदौर. चीफ रिपोर्टर ।
नए टेक्सपेयर के टार्गेट से टेंशन से परेशान इनकम टैक्स (मुख्य आयकर आयुक्त परिक्षेत्र) इंदौर अपै्रल-मई के बीच उज्जैन में होने वाले सिंहस्थ में पेन कार्ड शिविर लगाएगा। उम्मीद जताई जा रही है कि यहां बड़ी संख्या में पेनकार्ड होल्डर बढ़ाए जा सकते हैं। इतना ही नहीं अब रिवॉल्वर का लाइसेंस भी सिर्फ आयकरदाताओं को ही मिलेगा।  इस तैयारी का आगाज मंगलवार को आयकर भवन में संपन्न हुई क्षेत्रीय कर सलाहकार समिति की अहम बैठक से हुआ।
बैठक की अध्यक्षता कर रहे मुख्य आयकर आयुक्त वी.के.माथुर ने बताया कि 2015-16 में हमने 407 करोड़ का रिफंड जारी किया है जो कि रिकॉर्ड है। उन्होंने कहा कि आयकरदाताओं का दायरा बढ़ाने के लिए सिंहस्थ एक अच्छा मौका साबित हो सकता है। इंदौर मं जल्द ही आॅनलाइन असेसमेंट की प्रक्रिया शुरू होगी। समिति के सचिव एडवोकेट राजेश जोशी ने टीडीएस मिसमैच और ई-फाइलिंग में आ रही समस्याओं पर सुझाव दिए। उन्होंने कहा कि समय पर रिटर्न फार्म जारी न होने से रिटर्न भी वक्त पर दाखिल नहीं होते। एआईआर केसेस में संबंधित जानकारी ही पूछें। स्क्रुटनी असेसमेंट केस की आॅडिट में करदाता और सीए से पूछताछ न हो।
सुझाव यह भी...
स्क्रुटनी की प्रश्नावली संक्षिप्त हो। करदाता के प्रति सेवा और सहयोग का भाव हो।
मनोहर ऊंटवाल, सांसद
टीडीएस कटौती की जानकारी भी मोबाइल पर एसएमएस से मिले। सिर्फ आयकरदाताओं को ही रिवॉल्वर का लाइसेंस मिले। लाइसेंस धारकों की सूची इनकम टैक्स को दे देंगे।
संजय दुबे, संभागायुक्त
नियमित और ज्यादा कर देने वाले करदाता सम्मानित हों।
प्रशांत मिश्रा, डीडी(ईडी)
कॉलेजों में आयकर जागरूकता अभियान चले, ताकि भविष्य में अच्छे करदाता मिले।
गिरीश चांदोरकर, पीसीआईटी
सर्च या सर्वे के दौरान किसी करदाता पर आय घोषित करने के लिए दबाव नहीं बनाता।
प्रशांत झा, जेडीआईटी (इन्वेस्टिगेशन)
प्रॉपर्टी ट्रांजेक्शन दर्शाने के बाद भी सर्च के दौरान ऐसे दस्तावेज जब्त करके सालों तक नहीं लौटाए जाते जो विधि सम्मत नहीं है। छोटे व्यापारियों को अनुमानित आय पर कर देने की योजना प्रचारित हो।
मनोज पी गुप्ता, सीए

नर्मदा-शिप्रा लिंक का 25 फीसदी पानी बुझाएगा बलवाड़ा की प्यास

- 14 गांवों की 12355 एकड़ जमीन के फिरेंगे दिन
इंदौर. विनोद शर्मा ।
सिहस्थ में करोड़ों लोगों को स्नान कराने वाली नर्मदा-शिप्रा लिंक जल्द ही बलवाड़ा सहित 14 गांवों की 12 हजार एकड़ से अधिक जमीन की प्यास भी बुझाएगी। क्षेत्रवासियों की मांग को देखते हुए नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण (एनवीडीए) ने इसके लिए 52 करोड़ की योजना बनाई है जिसके तहत लिंक से इंदौर तक आने वाला नर्मदा का 25 फीसदी पानी क्षेत्र को दिया जाएगा। मार्च से टेंडर प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।
एनवीडीए ने 2150 करोड़ की नर्मदा-गंभीर परियोजना पर काम शुरू कर दिया है। इस परियोजना की पर्यावरणीय अनुमति में बड़ी अड़चन बलवाड़ा और आसपास के क्षेत्र की कृषि व वन भूमि का अधिग्रहण था। इसीलिए 3 जून 2015 को जनसुनवाई हुई। लोगों ने अपनी और खेतों की बदहाली दिखाते हुए नर्मदा के पानी की मांग की। इस पर मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने हरी झंडी दे दी। इसके बाद ‘बलवाड़ा एरिगेशन’ प्रोजेक्ट बना। प्रोजेक्ट के आकार लेने के बाद शिप्रा तक आने वाले 5 क्यूमेक/सेकंड (5000 लीटर/सेकंड) में से 1.2 क्यूमेक (1200 लीटर/सेकंड) पानी बलवाड़ा को मिलेगा।
12355 एकड़ जमीन होगी तर
-- 52.78 करोड़ की अनुमानित लागत के साथ तैयार हुए इस प्रोजेक्ट के तहत क्षेत्र को चोरल के पास स्थित गवालू गांव से पानी मिलेगा। यहां नर्मदा-शिप्रा लिंक परियोजना का पंपिंग स्टेशन और बेक प्रेशर टेंक (बीपीटी) भी है। इस बीपीटी से पानी का हिस्सा कर बलवाड़ा और आसपास के गांव को दिया जाएगा।
-- बीपी टैंक से नीचे की ओर 2 किलोमीटर तक 200 एमएम डाया की मेनलाइन डलेगी। आगे 2.1 किलोमीटर में 800 एमएम की नहर होगी तो दूसरी तरफ 2 किलोमीटर में 600 एमएम की नहर।
-- नर्मदा-गंभीर की तरह यहां की बड़ी बाधा रेल लाइन है। इसीलिए लाइन में भी क्रॉसिंग आएगा। क्रॉसिंग के बाद एक आउटलेट छोड़ा जाएगा ‘जैसे आईआईटी और पीथमपुर के लिए सिमरोल में छोड़ा गया है’ ताकि जरूरत पड़ने पर बलवाड़ा का तालाब भरा जा सके।
पानी सिर्फ 120 दिन मिलेगा
एनवीडीए के अधिकारियों ने बताया कि पानी पूरी तरह से नहीं दिया जाएगा। पानी सिर्फ उन 120 दिनों में ही दिया जाएगा जिनमें रबी के सीजन की फसलों में सिंचाई की जाना है। बाकी दिनों में पानी सामान्य रूप से शिप्रा को ही दिया जाएगा।

दिल‘दार’ सफोला पर 80 हजार का जुर्माना

- नमक पर जुर्माना, कंपनी का तेल और आटा भी दावों के दिल के साथ बाजार में 
- महंगा पड़ा नियम के विपरीत किया ब्लड प्रेशर और हृदयरोग से बचाव का दावा
इंदौर. विनोद शर्मा । 
ब्लड प्रेशर और हार्ट संबंधित बिमारियों से बचाव की भ्रामक जानकारियों के साथ नमक बेचने वाली सफोला कंपनी के खिलाफ अपर कलेक्टर की कोर्ट ने 80 हजार रुपए का जुर्माना ठोका है। इससे पहले खाद्य एवं औषधि विभाग द्वारा लिए गए नमूनों की जांच के बाद राज्य खाद्य प्रयोगशाला कंपनी के झूठे दावों की पोल खोल चुकी है। हालांकि अब भी बाजार में ऐसे उत्पाद और हैं जो दिल दुरुस्त करने का दावा कर रहे हैं।
स्वास्थ्य के प्रति लोगों की बढ़ती जागरूकता का फायदा उठाकर कंपनियां खाद्य सुरक्षा मानक अधिनियम के मापदंडों के विपरीत उत्पादों को बिमारियों से बचाव के झूठे दावे के साथ बाजार में उतार रही हैं। इसका बड़ा उदाहरण सफोला नमक है। 28 रुपए/किलोग्राम में मिलने वाले इस नमक की पैकिंग पर लिखा है लेस सोडियम ‘द हार्ट आॅफ अ हैल्थी फैमेली’, आॅयोडिन और मिनिरल्स से भरपुर। दिल का निशान है जो बताता है कि यह दिल की बिमारी से दूर रखता है। पैक के नीचे लिखा भी है सफोला आपको लो सोडियम वाली डाइट के लिए प्रोत्साहित करता है। दावा है कि नमक में लो सोडियम है जो हाईब्लड पेशर को मैनेज करता है।
प्रयोगशाला ने खोली पोल...
जून-जुलाई 2015 में खाद्य सुरक्षा अधिकारियों ने अन्नपूर्णा रोड स्थित शॉपिंग सेंटर पर छापे की कार्रवाई की। इस दौरान ‘सफोला सॉल्ट प्लस’ के नमूने लिए गए। जांच के बाद प्रयोगशाला ने 1998 में लॉच हुए 19 साल पुराने इस प्रोडक्ट को मिस ब्रांडेड करार दिया। जांच में कंपनी के दावों की पुष्टि भी नहीं हुई।
80 हजार का जुर्माना
रिपोर्ट के आधार पर खाद्य सुरक्षा अधिकारियों ने प्रकरण दर्ज किया। जिसकी सुनवाई के बाद बीते दिनों अपर कलेक्टर दिलीप कुमार ने सफोला साल्ट बनाने वाली कंपनी के खिलाफ 80 हजार रुपए का जुर्माना किया। सफोला के साथ पेराशूट मेरिका इंडस्ट्री का का प्रमुख ब्रांड है।
सफोला पर क्यों आया दिल...
कंपनी के एक प्रजेंटेशन के अनुसार भारत में हर मिनट में चार लोगों की मौत दिल का दौरा पड़ने से होती है। इसीलिए मेरिको इंडस्ट्री ने कुछ ऐसे खाद्य उत्पाद बनाए जो दिनचर्या में बदलाव के बिना भी उपभोक्ताओं के हार्ट की हैल्थ को मैनेज रख सकती है। सफोला का दिल की बिमारियों के खिलाफ सकारात्मक हथियार बताया गया।
और भी है दिल‘दार’ उत्पाद
1- कंपनी सफोला के नाम और दिल को आगे रखकर सफोला आॅइल, सफोला सॉल्ट, सफोला आटा। सफोला राइस ब्रान आॅइल और सनफ्लावर आइल बनाती है। सनफ्लावर आइल में कंपनी के अनुसार हाई लिनोलिक एसिड और ओमेगा-6 पोलीसेच्यरेटेड फेट्टी एसिड मिला है जो कॉलेस्ट्रोल को रिड्यूस करता है।
2- नमक में सोडियम क्लोराइड (आयोडाइज्ड), पोटेशियन क्लोराइड और कैल्शियम कॉर्बोनेट है। इसमें दूसरे नमक के मुकाबले इसमें सोडियम की मात्रा 10 प्रतिशत कम है। पोटेशियम हाइपर टेंशन से बचाता है। हार्ट कोरोनरी डिसीस (धमनी रोग) और अटैक की संभावना कम करता है।
3- सफोला आटे पर भी दिल का निशान है और स्पष्ट रूप से कोलेस्ट्रॉल मैनेजमेंट का दाव किया गया है।
नमक ब्लड प्रेशर बढ़ाता है
न्यूट्रिशियल के अनुसार कोई भी नमक खाने से ब्लड प्रेशर कंट्रोल नहीं होता है। उलटा किसी भी फार्मेट में नमक खाओ, ब्लड प्रेशर बढ़ना ही है। डॉक्टर हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों को नमक नहीं खाने की सलाह भी देते हैं। नमक शरीर में आयोडिन की कमी को जरूर पूरा करता है। 

अब पांच मिनट में खरीदें विदेशी मुद्रा

- एफएक्सकार्ट की वेबसाइट और ऐप ने दी फ्री सुविधा
इंदौर. विनोद शर्मा । 
अब विदेश आने-जाने या विदेश में अपनों का पैसा पहुंचाने के लिए आपको न किसी बैंक में जाने की जरूरत है और न ही किसी करंसी डीलर या एजेंट के चक्कर काटने की। अब भारतीय रूपय को आप कुछ ही मिनट में किसी भी विदेशी से मुद्रा से आॅनलाइन खरीद सकते हैं। कनवर्ट कर सकते हैं। इसके लिए एफएक्सकार्ट ने एक वेबसाइट और मोबाइल ऐप लॉन्च किया है। यहां करंसी की होम डिलीवरी सुविधा भी है।
अक्सर विदेश यात्रा करने वाला कोई भी व्यक्ति आपको यह बता सकता है कि विदेशी मुद्रा लेन-देन कैसे, कितना कठिन और समय खपाऊ प्रक्रिया है। कई फोन कॉल करो। मन में संदेह रहता है, कहीं डीलर ज्यादा चार्ज जो नहीं कर रहा है। ज्यादा कमीशन तो नहीं ले रहा है। इसीलिए यूएई बेस्ड एफएक्सकॉर्ट ने ‘फेअर, फास्ट एंड फ्री’ स्लोगन के साथ 5 मिनट में आॅनलाइन विदेशी मुद्रा खरीदी की सुविधा दी। मोबाइल एप गुगल प्ले स्टोर पर भी उपलब्ध है। वेबसाइट पर रीयल टाइम सप्लाई सुविधा है। यहां बिडिंग विंडो पर 5 मिनट दिए जाते हैं ताकि आप न सिर्फ कम्पेयअर कर सकें बल्कि आपको बेस्ट रेट भी मिले। एफएक्स.कॉम पर न कोई मेम्बरशीप चार्ज है और न ही कोई छिपा शुल्क। न कोई रिश्वत, कमीशन न ही कोई पक्षपात।
20 शहरों में फॉरेक्स डीलर हैं...
दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, अहमदाबाद, बैंगलूर के साथ करीब 20 शहरों में फॉरेक्स डीलर हैं। इस सूची में मप्र के छतरपुर का भी नाम है। इंदौर और भोपाल जैसे शहरों को छोड़कर छतरपुर को खजुराहों में बड़ी तादाद में आने-जाने वाले विदेशी पर्यटकों की सहुलियत को देखते हुए प्राथमिकता दी गई।
154 देशों की मुद्रा है उपलब्ध
डब्ल्यूडब्ल्यूडल्ब्यू.एफएक्सकार्ट.कॉम के होमपेज पर जाएं। यहां देशों के नाम, उनकी मुद्रा का भारतीय मुद्रा के मुकाबले रीयल टाइम रेट और खरीदी-बिक्री का आॅपशन है। यहां यूएसडॉलर, यूरो, पाउंड, आॅस्ट्रेलियन डॉलर, सिंगापुर डॉलर, जापनीस येन, थाई बह्ट, स्वीडिश कोरना सहित 154 देशों की करंसी का रेट है।
ऐसे करती है काम
1- किसी भी मुल्क की करंसी सिलेक्ट करें। 2- लाइव रेट आपके सामने होंगे। 3-बेस्ट डील का चयन करें। 4- डिलिवर्ड। बीस शहरों में आउटलेट्स हैं।
- यहां करंसी नोट्स, ट्रेवल कार्ड और वायर ट्रांसफर की सुविधा भी है जिसके माध्यम से आपको करंसी कनवर्ट करने में आसानी होगी।
इन्हें मिलेगा फायदा...
- विदेश यात्रा करने वालों को।
- पढ़ाई करने गए बच्चों को मदद देने के लिए।
- अन्य परिचितों से व्यवहार करने वालों को।

Tuesday, February 9, 2016

तनख्वाह 40 हजार, 19 कंपनियों में डायरेक्टर

इनकम टैक्स इन्वेस्टिगेशन में सामने आया डमी डायरेक्टर का ‘शक्ति’शाली खेल
इंदौर. चीफ रिपोर्टर ।
जावद (मंदसौर) निवासी नवीन सुंदरलाल पटवा इंदौर की शक्ति पंप सहित हिंदुस्तान की 19 कंपनियों में डायरेक्टर है। इनमें से 15 कंपनियां पश्चिम बंगाल की है। नवीन को हर महीने हर कंपनी से 2 हजार रुपए मिलते हैं और इसके अलावा हर तिमाही में होने वाली मीटिंग के पैसे अलग। इसका खुलासा प्रतिभा सिंटेक्स प्रा.लि. और शक्ति पंप इंडिया प्रा.लि. के खिलाफ गुरुवार से जारी इनकम टैक्स इन्वेस्टिगेशन विंग की छापेमारी के दौरान हुआ। विंग ने ऐसे तीन तथाकथित और डमी डायरेक्टरों को पूछताछ के लिए उठाया है।
कार्रवाई के दूूसरे दिन विंग ने 35 लाख रुपए नकद, 5 किलो ज्वैलरी और 7 बैंक खाते सील किए हैं। इसके अलावा बड़ी तादाद में कागजात बरामद हुए। कम्प्यूटर हार्ड डिस्क और लेपटॉप जब्त हुए। वहीं छानबीन में डमी डायरेक्टरों के नाम भी सामने आए। इनमें बड़ा नाम 14 अगस्त 1975 को जन्में नवीन पटवा का है। कंपनी सेक्रेटरी की पढ़ाई करने के बाद इंदौर के बड़े सीए (माहेश्वरी) के पास काम कर रहे नवीन पहले इंदौर-देवास रोड स्थित सेम इंडस्ट्री से जुड़े। इसके बाद शक्ति पंप्स और अन्य कंपनियों से। आज नवीन सेम केपिटल मार्केटिंग के साथ 19 कंपनियों में डायरेक्टर है। उनके साथ आयकर  अधिकारी दो अन्य लोगों से पूछताछ कर रहे हैं जो कंपनी में अलग-अलग पदों पर काबिज हेै।
तनख्वाह 40 हजार, 19 कंपनियों में डायरेक्टर...
नवीन कनाड़िया रोड स्थित शक्तिनगर में रहता है। उसने अधिकारियों को बताया कि वह मुलत: सेम इंडस्ट्री से जुड़ा है जहां उसे 40 हजार रुपए मिलते हैं। शक्ति पंप की एक मीटिंग में शामिल होने के 20 हजार मिलते हैं। इसके अलावा जिन कंपनियों में डायरेक्टर है वहां से 2-2 हजार रुपए महीने यातायात भत्ते के रूप में मिल जाता है। आयकर ने उसका जो लेपटॉप जब्त किया है उसमें कई कंपनियों की जानकारी है।
किस कंपनी में कब से डायरेक्टर
जे.जी.इंडस्ट्री लि. (10 अगस्त 2005), शक्ति पंप्स इंडिया लि. (18 जनवरी 2012), डीएंडएच सेकरॉन रिसोर्सेस प्रा.लि.  (30 मई 2013), घाट-रंगमती ग्रेंडिंग प्रा.लि.  (8 मई 2008), स्प्राटेक््स रिटेल प्रा.लि. (5 मई 2008), शिनिंग वाणिज्यि प्रा.लि. (13 फरवरी 2008), म्रीनमोई गुड्स प्रा.लि. (2 फरवरी 2009), लिलेक गुड्स प्रा.लि. (10 जुलाई 2012), कबेरी ट्रेडिंग लिंक प्रा.लि. (5 जून 2013), ओम शिवम इम्पेक्स एंड क्रेडिट प्रा.लि. (5 जून2013), एवरेस्ट मर्केडाइस प्रा.लि. (12 मार्च 2010), प्रेसक्राइब डिस्ट्रीब्यूटर्स प्रा.लि. (18 दिसंबर 2010), डिमोनेट रिटेल प्रा.लि. (5 मई 2008), वीकेंड रिटेल प्रा.लि. (5 मई 2008), सेम केपिटल मार्केट्स लि.(1 अप्रैल 2004), महाधन ट्रेफिंस प्रा.लि. (5 जून 2013), अरहाम के्रडिट केपिटल प्रा.लि. (13 जूृन 2013) और एसकेसी फिस्कल सर्विसेस प्रा.लि. (13 जून 2013)। 5 मई 2008 और 13 जून 2013 को एक साथ तीन-तीन कंपनियों ने नवीन को डायरेक्टरशीप दी।




दिनांक पेट्रोल एक्स्ट्रा प्रीमियम डीजल
24 नवंबर 2015 65.63 68.13 51.46
1 दिसंबर 2015 65.02 67.52 51.19
15 दिसंबर 2015 64.48 66.98 50.68
1 जनवरी 2016 63.81 67.57 49.52
3 जनवरी 2016 64.82 67.57 50.02
16 जनवरी 2016 64.49 67.24 49.08
23 जनवरी 2016 65.49 ........ 50.08

उजागर हुआ शक्ति का ‘डी’ खेल

अपने ही कारिंदों की कंपनियों को बेचे करोड़ों के शेयर
- इनकम टैक्स के हाथ लगे डमी कंपनी और डमी डायरेक्टरों की लंबी फेहरिस्त
इंदौर. विनोद शर्मा ।
डमी डायरेक्टर का खेल उजागर करने के साथ ही इनकम टैक्स इन्वेस्टिगेशन विंग ने शक्ति पंप्स के संचालकों द्वारा बिछाए गए ‘डी’ कंपनी का माया जाल भी उजागर कर दिया है। तीन दिन की इन्वेस्टिगेशन के दौरान विंग ने कुछ ऐसी कंपनियां तलाशी है जिन्होंने शक्ति पंप्स के शेयर बल्क में खरीदे। बड़ी बात यह है कि इन कंपनियों में जो डायरेक्टर हैं वे शक्ति पंप्स में अलग-अलग पद पर काम कर रहे हैं।
शक्ति पंप्स के खिलाफ अर्से से होमवर्क करके बैठी इन्वेस्टिगेशन विंग ने कंपनी के तथाकथित डायरेक्टर नवीन सुंदरलाल पटवा के साथ मुकेश पाटीदार, विकास पाटीदार और संतोष पाटीदार को भी पकड़ा है। ये तीनों एलबेज इन्फोटेक प्रा.लि., गजराज फिनवेस्ट प्रा.लि. और एमएल सिक्योरिटी एंड फाइनेंस प्रा.लि. के डायरेक्टर हैं। नवीन की डायरेक्टर शीप की तरह ये कंपनियां भी डमी है। इनमें जिन्हें डायरेक्टर बना रखा है वे शक्ति पंप्स में काम करते हैं। इनका इस्तेमाल शक्ति पंप्स के संचालक दिनेश पाटीदार अपनी ही कंपनी के शेयर बल्क में खरीदने के लिए करते हैं ताकि शेयर की डिमांड और वेल्यु दोनों बढ़े।
दो दशक पुराना है ‘डी’ का खेल
दिनेश पाटीदार ने फर्जी कंपनियों का तानाबाना 1995 से ही बुनना शुरू कर दिया था जब उन्होंने 10 करोड़ की अथॉराइज्ड केपिटल और 96 लाख की पेड अप केपिटल के साथ एमएल सिक्योरिटीज एंड फाइनेंस प्रा.लि. की स्थापना की। इस कंपनी का पता 828 मेनरोड खजराना है जो कि कंपनी के डायरेक्टर विकास पाटीदार का भी पता है। यह बात अलग है कि नवंबर 1981 को जन्मे विकास मार्च 2005 में कंपनी के डायरेक्टर बने। इस कंपनी में हरिनारायण पाटीदार सितंबर 1995 से डायरेक्टर हैं जो कि विकास के पिता हैं लेकिन दस्तावेजों में उनका पता 846 मेनरोड खजराना है।
ऐसे किए खेल...
-- अक्टूबर 2012 में शक्ति पंप्स ने बीएसई में जानकारी दी कि एमएल सिक्योरिटी एंड फाइनेंस ने 10रुपए/शेयर के लिहाज से 166 रुपए के प्रीमियम पर 6 लाख शेयर खरीदें हैं जो इक्विटी शेयर में परिवर्तित होंगे। इसी तरह 1 अपै्रल 2014 को एबलेज इन्फोटेक ने 105600 शेयर खरीदे। मार्च 2007 तक गजराज फिनवेस्ट प्रा.लि. के नाम 72585 शेयर थे। हरिनारायण पाटीदार के नाम 108324, मुकेश पाटीदार के नाम 53200, राऊ के सुदर्शन पाटीदार की कंपनी रजल सिक्योरिटी प्रा.लि. के नाम 231700 शेयर हैं।
-- इंदौर की श्रमिक कॉलोनी में रहने वाले अंकित पाटीदार के नाम नवंबर 2015 तक 15 लाख शेयर हैं जो शक्ति एनर्जी सोल्यूशन प्रा.लि. में भी डायरेक्टर है और दिनेश पाटीदार व सुनील मनोहरलाल पाटीदार के साथ शक्ति इरिगेशन  इंडिया लि. में भी डायरेक्टर है।
-- 30 सितंबर 2015 को पेश कंपनी की एक रिपोर्ट के अनुसार कंपनी के 28.31 प्रतिशत शेयर 6 कंपनियों के नाम है।
कंपनी शेयर प्रतिशत
फे्रंकलीन इंडिया स्मेल 328709 1.79
फ्रेंकलीन टेंम्पलेशन 400000 2.18
एमएल सिक्योरिटी 1837383 10.00
रजल सिक्योरिटी 463400 2.52
स्नेहल भूपेंद्र 174500 0.95
विनय सिक्योरिटी 363000 1.97
एफ होल्डिंग 1636363 8.90
यह हैं कंपनियां...
एबलेज इन्फोटेक प्रा.लि.
डायरेक्टर कब से पता
मुकेश एस.एल.पाटीदार   अगस्त 2011 गवली पलासिया, इंदौर
कमल पी.सी.पाटीदार अक्टूबर 2006 केलोद, महू (इंदौर)
गजराज फिनवेस्ट प्रा.लि.
डायरेक्टर कब से पता
विकास हरीनारायण पाटीदार अगस्त 2011 खजराना, इंदौर
मुकेश पाटीदार अक्टूबर 2006 गवली पलासिया
शक्ति एनर्जी सोल्यूशन प्रा.लि.
डायरेक्टर कब से पता
विकास पाटीदार सितंबर 2010 828 मेन रोड खजराना
अंकित पाटीदार जनवरी 2011 श्रमिक कॉलोनी, इंदौर
इंदिरा पाटीदार सितंबर 2010 साकेतनगर
एम.एल.सिक्योरिटीज एंड फाइनेंस प्रा.लि.
विकास पाटीदार मार्च 2005 828 मेन रोड खजराना
हरिनारायण पाटीदार सितंबर 1995 846 मेन रोड खजराना

आयकर के निशाने पर ‘शक्ति’ और अमिताभ बच्चन

- 7 करोड़ से ज्यादा का किया भुगतान, 20 करोड़ खर्च किए थे एक ही विज्ञापन केंपेन पर
- अनुबंध और भुगतान में भी खेल
इंदौर. विनोद शर्मा।
डमी डायरेक्टर और डमी कंपनियों का ‘शक्ति’शाली खेल उजागर करने के बाद इनकम टैक्स इन्वेस्टिगेशन विंग की निगाहें शक्ति पंप्स और बॉलीवुड के शहंशाह अमिताभ बच्चन के बीच 2013 में हुए करार पर भी है। दोनों के बीच दो विज्ञापनों को लेकर करार हुए था। बताया जा रहा है कि शक्ति पंप्स ने बच्चन को 7 करोड़ रुपए से ज्यादा का भुगतान किया।
इनकम टैक्स इन्वेस्टिगेशन विंग ने गुरुवार को प्रतिभा सिंटेक्स और शक्ति पंप्स इंडिया प्रा.लि. के खिलाफ सर्च की कार्रवाई शुरू की थी। प्रतिभा सिंटेक्स के 11 ठिकानों पर कार्रवाई शनिवार रात तक संपन्न हो चुकी थी जबकि शक्ति पंप्स के कुछ ठिकानों पर कार्रवाई जारी है। विंग के हाथ कई अहम सबूत लगे हैं। इस दौरान मुंबई बेस्ड नेट वेल्यु मिड इंडिया प्रा.लि. के माध्यम से शक्ति पंप्स और अमिताभ बच्चन के बीच हुए विज्ञापन के करार  के दस्तावेजी प्रमाण भी मिले हैं। अनुबंध जुलाई 2013 में हुआ था जब अमिताभ ने शक्ति पंप्स के लिए ‘अन्नदाता’ विज्ञापन किया था। सितंबर 2013 में बनकर तैयार हुआ यह विज्ञापन सालभर करीब-करीब सभी प्रमुख चैनलों पर चला। इसके बाद 2014 में अमिताभ को शक्ति सोलर पंप्स के लिए साइन किया गया। 40 सेकंड का एड बना। कुछ दिनों तक चला लेकिन बाद में डील केंसल हो गई।
भुगतान किया ज्यादा, बताया कम...
सूत्रों की मानें तो विज्ञापन के लिए शक्ति पंप्स ने एक नंबर में जितना पेमेंट करना बताया है भुगतान उससे ज्यादा का किया गया है। इसमें नेट वेल्यू मीडिया प्रा.लि.की भूमिका अहम रही। हालांकि कंपनी के कर्ताधर्ता इस बात को सिरे से नकारते हैं। उनकी मानें तो पैसे का लेनदेन कंपनी और बच्चन के बीच हुआ। हमने सिर्फ मिलाने का काम किया और उसकी कमीशन ली।
20 करोड़ का था अन्नदाता
23 जुलाई 2014 को कंपनी के वाइस प्रेसीडेंट (मार्केटिंग) अंकित पाटीदार ने अमिताभ बच्चन को शक्ति पंप्स के सोलर पंप्स की सीरिज के विज्ञापन के लिए साइन किया था। इस दौरान पाटीदार ने बताया था कि सितंबर 2013 में अमिताभ बच्चन ने अन्नदाता को जो एड किया था उसकी कैंपेनिंग व एड पर करीब 20 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। उस वक्त कंपनी की वर्थ 400 करोड़ थी। 1.16 लाख पंप बेचे और 62 हजार पंप निर्यात किए।
यहां-यहां चला विज्ञापन...
टेलीवीजन : सभी बड़े न्यूज चैनल।
रेडियो : सभी प्रमुख एफएम रेडियो
अखबार : हिंदी, मराठी, तमिल, तेलगू, अंग्रेजी
मैग्जीन : कृषि जगत और ग्राम संस्कृति से लेकर इंडिया टूडे और एअर इंडिया तक।
ऐसे थे विज्ञापन
हम हैं अन्नदाता की शक्ति : 1.04 मिनट
शक्ति सोलर पंप : 40 सेकंड

एक्सपेंस..
मद मार्च 2013 मार्च 2014
एडवर्टाइजिंग 43575314 75760787
मार्केट डेवलपमेंट 30000800 72166398

संतोष डेवकॉन के सुनील मंधवानी की मनमानी से

400 प्लॉट वाली जमीन फिर बाजार में
जमीन और अनुमतियों के बिना ही बेच डाले थे प्लॉट
इंदौर. विनोद शर्मा  ।
अपने भागीदारों को फर्जी साइन करके बाहर का रास्ता दिखाने वाले संतोष डेवकॉन प्रा.लि. के डायरेक्टर सुनील मंधवानी ने लिम्बोदी स्थित कंपनी की जमीन बेचने की तैयारी शुरू कर दी है। वह भी उस स्थिति में जब इस जमीन  पर टीएनसी और डायवर्शन कराकर न सिर्फ महालक्ष्मीधाम के नाम से कॉलोनी काटी जा चुकी है बल्कि 400 से ज्यादा लोगों को प्लॉट भी बेचे जा चुके हैं।
मामला ग्राम लिम्बोदी स्थित सर्वे नं. 240/1/1,   240/3/2, 240/4, 240/5, 240/6/1 और 240/6/2 की 5.232 हेक्टेयर सहित कुल 25.8 एकड़ जमीन का है। जमीन का नामांतरण 30 नवंबर 2011 को हुआ था जबकि पूरी 1126120 वर्गफीट जमीन का डायवर्शन (61/अ-2/12-13) हुआ 28 दिसंबर 2012 को। 2011 में 12 महीेने में पजेशन के वादे के साथ 1300 वर्गफीट की दर से प्लॉट बेचे गए थे। कुल 30 करोड़ रुपए इकट्ठा हुए। मंदवानी ने इसका हिसाब देने के बजाय फर्जी साइन करके अपने भागीदार मुकेश पिता अमरलाल माटा को संतोष डेवकॉन प्रा.लि. से बाहर कर दिया जबकि राजस्व रिकॉर्ड में आज भी जमीन संतोष डेवकॉन प्रा.लि. तर्फे डायरेक्टर मुकेश माटा का ही नाम दर्ज है।
कीमत लगा दी 3.5 करोड़ रुपए एकड़
बताया जा रहा है कि टीएनसी और डाइवर्शन के साथ काटी गई इस कॉलोनी में प्लॉट बेचे जा चुके हैं कई प्लॉटों की रजिस्ट्री हो चुकी हैं। बस कब्जा नहीं दिया गया। भागीदारों को बाहर करके कंपनी को विवादित कर दिया गया। अब इसी जमीन को 3.5 करोड़ रुपए एकड़ में बेचने की तैयारी है। मंधवानी के लिए 3.25 करोड़ में सौदा निपटना भी फायदेमंद है। क्योंकि जिस जमीन पर 30 करोड़ के प्लॉट बेचे जा चुके हैं उससे 3.25 करोड़/एकड़ के हिसाब से भी कुल 84.11 करोड़ मिलेंगे।
सौदा विश्वसनीय दलालों के माध्यम से...
मंधवानी ने जमीन का सौदा विश्ववसनीय दलालों के माध्यम से आगे बढ़ाया है। उसने अब तक जमीन के कागज भी नहीं दिए। जिन दलालों से सौदे की बात हुई उनका कहना है कि मंधवानी से पेपर मांगे तो उसका कहना है कि जिस दिन फाइनल बात होगी और पार्टी टोकन अमाउंट लेकर आएगी उसी दिन सब कागज पार्टी को दे दूंगा।
बिना जमीन के बेच दिए थे प्लॉट
जमीन की रजिस्ट्री नवंबर 2011 में हुई थी। संतोष डेवकॉन प्लॉट बेच चुकी थी फरवरी और सितंबर 2011 के बीच। कच्ची रसीद से। जिन पर महालक्ष्मीधाम और इंस्टॉलमेंट नंबर के साथ सिगनेचर लिखा है। रिमार्क भी है। इनका कोई उल्लेख नहीं, सिग्नेचर, कॉलोनी कहां, किसने काटी, क्या संपर्क नंबर। 7 जुलाई 2011 को दी गई फर्स्ट इंस्टॉलमेंट की एक रसीद दबंग दुनिया के पास है जिसमें 3,55,000 को आड़ी-तिरछी साइन के साथ 355 रुपए के रूप में लिखा गया है।
दिसंबर 2012 में डायवर्शन हुआ जबकि अपै्रल 2012 से ही डेवलपमेंट शुरू हो चुका था। जुलाई 2012 तक पुल और मेन रोड के साथ नाले की रिटेनिंग वॉल बन चुकी थी। आॅफिस बन चुका था। दो मेन रोड बन चुकी थी। 

1700 की शर्ट बेचकर बताते हैं 650 का कपड़ा

जी.सच्चानंद कला मंदिर के लिए लाभ का सौदा लिनन
- करोड़ों की टैक्स चोरी सामने आने की संभावना
इंदौर. विनोद शर्मा।
एक शर्ट के लिए 1 मीटर 60 सेंटीमीटर कपड़ा चाहिए। लिनन के इतने कपड़े की कीमत 600 से 650  रुपए है। 145 रुपए शर्ट का मैकिंग चार्ज। 745 रुपए में लिनन की शर्ट तैयार हो जाती है जिसे 250 रुपए के लेदर ब्रिफकेस में रखकर 1700 रुपए के होलसेल रेट पर बेचा जाता है। बुक्स में इसी शर्ट को 650 रुपए का सादा कपड़ा बता दिया  जाता है और सादा कपड़ा टैक्स फ्री है। ऐसे 650 रुपए के कपड़े को 1700 की शर्ट के रूप में बेचकर जी.सच्चानंद कला मंदिर हर महीने लाखों रुपए की टैक्स चोरी कर रहा है।
इसका खुलासा बुधवार को जी.सच्चानंद के आधा दर्जन ठिकानों पर वाणिज्यिक कर विभाग की एंटी इवेजन विंग ‘ए’ की छापेमार कार्रवाई के दौरान हुआ। सूत्रों की मानें तो फर्म लिनन क्लब के नाम से शर्ट बनाती है। हर दिन 1500 शर्ट बनाने का लक्ष्य है। फेब्रिक, मैकिंग चार्ज और डिस्पले पर कुल 1045 रुपए खर्च हो रहे हैं और पीस बिक रहा है 1700 रुपए में। यानी कमाई हुई 655 रुपए की। 1500 में से यदि हर दिन 1300 शर्ट भी बनती है तो भी एक दिन की कमाई हुई 8 लाख 51 हजार 500 रुपए। महीने की 2 करोड़ 55 लाख 45 हजार और सालाना 30 करोड़ 65 लाख 40 हजार जबकि लिनन का ही टर्नओवर है 80 करोड़ 66 लाख 50 हजार रुपए साल का।
कितनी टैक्स चोरी...
जानकारों के अनुसार फेब्रिक (बिना सिला कपड़ा) पर 1 प्रतिशत इंट्री टैक्स लगता है जबकि सिलाई के बाद रेडिमेड गार्मेंट पर 5 प्रतिशत वेट और 1 प्रतिशत इंट्री टैक्स। दोनों के बीच अंतर है 5 प्रतिशत टैक्स का। जी सच्चनानंद 80.66 करोड़ की लिनन शर्ट को 30.84 करोड़ का फेब्रिक बताता है और टैक्स चुकाता है 30.84 लाख जबकि टैक्स चुकाया जाना चाहिए 4.83 करोड़ रुपए। 80.66 लाख इंट्री टैक्स और 4.03 करोड़ वेट।
न सिर्फ फेब्रिज बल्कि बहुत कुछ
जी.सच्चानंद सिर्फ फेब्रिक और रेडीमेड गार्मेंट का काम नहीं करता बल्कि फर्म को इंटीग्रेटेड शोरूम बना दिया गया है जहां लोकल व ब्रांडेड (जुते, पर्स, बेल्ट) व अन्य ड्रेस मटेरियल भी मिल रहे हैं।
टैक्स चोरी से रुबरु हैं अफसर
बुधवार को जिन अफसरों ने छापा मारा है वे जी.सच्चानंद की कारगुजारियों का कच्चा चिट्ठा पहले से जानते हें। कार्रवाई के दौरान उनका होमवर्क मैदान पर दिखा भी। उन्होंने जो दस्तावेज जब्त किए हैं उनमें शर्ट मैकिंग का ठेका लेने वाले ठेकेदारों की पर्चियां, गार्मेंट मटेरियल की पर्ची शामिल है। अधिकारियों का कहना है कि कार्रवाई गुरुवार सुबह तक जारी रहेगी। तमाम दस्तावेज जांचने के बाद ही पता चलेगा कि फर्म ने कैसे और कितनी टैक्स चोरी की। 

जी.सच्चानंद की मनमानी

फुटवेअर का टर्नओवर बुक्स में हकीकत से आधा
कपड़े के नाम पर आयात करता है चायना से फुटवेअर
इंदौर. विनोद शर्मा ।
1700 की शर्ट बेचकर बुक्स में 650 रुपए के फेब्रिक की बिक्री बताने वाला जी.सच्चानंद समूह चायना से डुप्लीकेट जुते व फेब्रिक आयात करके उसे ब्रांडेड बताकर बेच रहा है। बताया यह भी जा रहा है कि कई बार कंपनी ने कस्टम की आंखों में धुल झौंकते हुए फेब्रिक्स के बिल पर जुते आयात करती है। सारा इंदौर और मुंबई में बैठे दलालों के माध्यम से होता है।
जी.सच्चानंद पर वाणिज्यिक कर विभाग की कार्रवाई भले गुरुवार दोपहर खत्म हो चुकी हो लेकिन कार्रवाई के दौराज जो दस्तावेज सामने आए वे चौकाने वाले थे। फेब्रिक, शुटिंग-सर्टिंग व रेडीमेड का कारोबार करने वाली इस फर्म के विजयनगर, टॉवर चौराहा और अन्नपूर्णा रोड पर इंटीग्रेटेड शो-रूम है। जहां कपड़ों के साथ फुटवेअर, लेदर एसेसरिज, गोगल्स-ग्लासेस, बेल्ट, परफ्यूम, रेडिमेड जैकेट, कोट, ट्रॉली बेग, ब्रिफकेश भी उपलब्ध है। खास बात यह है कि फुटवेअर (मैन्स) की 2500 रुपए और फुटवेअर (वुमन्स) के नीचे की रेंज ही नहीं है।
बुक्स में टर्नओवर सवा करोड़ का...
जांच के दौरान जी.सच्चानंद ने अपने फुटवेअर सेग्मेंट का टर्नओवर सवा करोड़ बताया है। यदि औसत फुटवेअर की कीमत 2500 रुपए ‘जो कि वहां लोअर रेंज है’, तो सवा करोड़ के टर्नओवर में 5000 फुटवेअर की सेल बताई जा रही है। कंपनी के तीन बड़े शो-रूम है। अन्नपुर्णा रोड, टॉवर चौराहा और विजयनगर। यानी एक शो-रूम पर सालाना 1666 और हर महीने 138 फुटवेअर बिक रहे हैं।  रोजाना 4 जोड़ी फुटवेअर की ही बिक्री जो कि किसी भी सूरत में हजम नहीं होती। क्योंकि एक शो-रूम पर फुटवेअर का सेग्मेंट 3-4 लोग संभाल रहे हैं।
हकीकत यह है कि विजयनगर के एक शोरूम पर ही औसत 45 जुते रोज बिकते हैं जो महीने के करीब 1350 होते हैं और सालाना  16200 पीस। बाकी शोरूम पर 10-10 हजार पीस भी साल के बिकते हैं तो कुल सेल हुए 36200 पीस जो कि बुक्स में बताए गए फुटवेअर की संख्या से 7 गुना ज्यादा है। यहां वुडलैंड, गोस, बनिश, एडिडास, नायकी और पुमा जैसे ब्रांड की रेंज है। यदि 36200 पीस की औसत कीमत 1000 रुपए भी मानी जाती है तो कुल टर्नओवर 3.62 करोड़ होता है जो बुक्स में सिर्फ सवा करोड़ बताया है।
दामों की ऊंचाई...
सेंडल 900 रुपए
बेल्ट 699 रुपए
ब्रिफकेश 4995 रुपए
चश्मा 195  रुपए
जॉकेट 5999  रुपए
पर्स-बेग 895 रुपए
परफ्यूम 200 रुपए
(ये प्राइज इंडेक्स न्यूनतम वाला है।)
थोकबंद ठेका...
कंपनी का सारा कामकाज दलालों के माध्यम से होता है। चायना से आयातित माल को सुरक्षित शो-रूम तक पहुंचाने का थोकबंद ठेका इंदौर और मुंबई के दलालों के पास है। इस काम में सुरेश नाम के व्यक्ति की भूमिका खास रहती है। लिनन क्लब की शर्ट व कंपनी के अन्य उत्पादों की डिस्ट्रीब्यूटरशीप के लिए इंदौर में बंटी नीमा और मुंबई में श्रीपाल से संपर्क किया जाता है।


मंधवानी पर मेहरबान पुलिस

2 दिसंबर को हुई एफआईआर, गिरफ्तारी अब तक नहीं
इंदौर. चीफ रिपोर्टर ।
चार सौ प्लॉट होल्डरों के हितों पर पानी फेरकर कॉलोनी की जमीन बेचने निकले सुनील मंंधवानी पर राजेंद्रनगर पुलिस मेहरबान है। शायद यही वजह है कि नवीन पिता अमरलाल माटा की लिखित शिकायत पर एफआईआर दर्ज करने के महीनेभर बाद भी पुलिस मंधवानी को गिरफ्तार नहीं कर पाई। इससे पहले भी जुनी इंदौर और तेजाजीनगर थाने में भी महालक्ष्मीधाम के प्लॉट होल्डरों की शिकायत पर एफआईआर दर्ज करने के बाद मंधवानी बंधुओं को अंदर करने में महीनों लगा दिए थे। हालांकि इस संबंध में राजेंद्रनगर पुलिस का कहना है कि प्रयास जारी है।
माटा ने अपने शिकायत में लिखा था कि उन्होंने मंधवानी की गणेश रियल मार्ट प्रा.लि. द्वारा निहालपुर मुंडी में काटी गई कॉलोनी शिव सिटी में प्लॉट (498) खरीदा था। 1200 वर्गफीट के इस प्लॉट की कीमत व विकास शुल्क पेटे 3 लाख रुपए चुका भी दिए गए। उस वक्त कंपनी के डायरेक्टरों के बीच दीवानी मुकदमा (97-ए-2010) चल रहा था। इसीलिए निराकरण के बाद रजिस्ट्री का आश्वासन दिया लेकिन विवाद निपटने के बाद हमें सूचित तक नहीं किया गया। न ही मंधवानी ने मुलाकात की। इसीलिए वे डाइवर्शन व क्लब शुल्क नहीं चुका पाए।
15 दिसंबर को विवाद निपटने की सूचना मिली। मंधवानी से मिले लेकिन उन्होंने निराकरण नकार दिया जबकि एक अन्य डायरेक्टर ईश्वर माखिजा ने निराकरण की पुष्टि की। कुछ दिन बाद माखिजा ने बताया कि जिस प्लॉट के लिए आप चक्कर काट रहे हो वह रामचंद्र पागारानी को 4.80 लाख में कंपनी ने 23 दिसंबर 2014 को बेच दिया है। नकल मांगने पर उन्होंने मंधवानी के पास भेज दिया। मिलने पहुंचे तो मंधवानी ने गालीगलौज की।
एफआईआर दर्ज, अग्रिम जमानत खारिज
माटा के बार-बार शिकायत करने के बाद 2 दिसंबर 2015 में राजेंद्रनगर पुलिस ने सुनील मंधवानी के खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज किया लेकिन पुलिस ने गिरफ्तार नहीं किया। इस दौरान मंधवानी ने जिला एवं सत्र न्यायालय में अग्रिम जमानत का आवेदन (4178/2015) किया जो 9 दिसंबर 2015 को द्वितीय एजेएस इंदौर कमल जोशी ने निरस्त कर दिया।
दो थानों पर दर्ज है तीन एफआईआर...
मंधवानी के खिलाफ जूनी इंदौर में अपराध क्रमांक 56/2015, 58/2015 और तेजाजीनगर थाने में अपराध क्रमांक 265/15 दर्ज है जो कि शपथ-पत्र के साथ 90 प्लॉट होल्डरों की संयुक्त शिकायत के बाद दर्ज किया गया। तीनों मुÞकदमे धारा 420, 467, 468, 469 और 471 के तहत दर्ज हैं।
कोशिशें जारी है...
प्रयास जारी है, गुरुवार को भी एसआई को मंधवानी के ठिकानों पर दबिश देने पहुंचाया था लेकिन वह मौके पर मिला नहीं। गिरफ्तारी हर हाल में होगी, वक्त भले लग रहा हो।
आर.एस.शक्तावत, थाना प्रभारी
मंधवानी के ठिकानों पर दबिश दी थी इत्तेफाकन वह मिला नहीं है। अभी उससे जुड़े संपर्क तलाशे जा रहे हैं।
रुपेश द्विवेदी, एएसपी
क्यों शंका के घेरे में पुलिस
-- सामान्यत: आरोपी की फरारी के दशा में पुलिस उसके परिजन पर शिकंजा कसती है ताकि पेश होने के लिए दबाव बने।
-- पुलिस का अपना मुखबिर तंत्र होता है जो पुलिस को पल-पल की सूचना देता है ऐसे में यह बात हजम नहीं होती कि मुखबिर तंत्र ने मंधवानी की सूचना पुलिस को दी ही न हो।
-- मंधवानी का मोबाइल (98260-85610) चालू है वह बेखौफ सबसे बात कर रहा है पुलिस ने अब तक उसकी कॉल डिटेल से लोकेशन क्यों नहीं निकाली।
-- मंधवानी के घर में कैमरे लगे हैं उनकी रिकॉर्डिंग क्यों नहीं देखी गई। क्यों परिवार पर दबाव क्यों नहीं बनाया गया।
-- इससे पहले भी जूनी इंदौर और तेजाजीनगर में दर्ज प्रकरणों में गिरफ्तारी एफआईआर दर्ज होने के महीनों बाद हुई।

पहली बार पानी पर टुरिज्म कैबिनेट...

हनुवंतिया टापू पर आज बैठक
इंदौर. चीफ रिपोर्टर ।
यकायक प्रदेशभर में चर्चा का केंद्र बन चुके हनुवंतिया टापू मंगलवार को एक दिन के लिए प्रदेश की ‘राजधानी’ बनेगा। यहां मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान और उनकी कैबिनेट की अहम बैठक होगी। इंदिरासागर  डेम में जमा नीलाभ नर्मदा के नीर पर तैरते क्रुज पर बैठक होगी। दो साल में दूसरी बार राजधानी से बाहर हो रही इस बैठक का मकसद हनुवंतिया के पर्यटन को बढ़ावा देना है।
हॉल में विशेष लाइटिंग, 40 आरामदायक कुर्सियां, प्रोजेक्टर लगाया जा रहा हैं। इस दौरान नर्मदा क्वीन बैक वॉटर में 2 किमी का सफर तय करेंगी। खासतौर मंत्रियों के लिए सरसो का साग और मक्के की रोटी भोजन में परोसी जाएगी। बैठक को लेकर सभी मंत्री एक दिन पहले इंदौर से सड़क मार्ग से हनुवंतिया आएंगे। सीएम शिवराजसिंह चौहान हेलिकॉप्टर से 2 फरवरी को पहुंचेंगे। ये पहला मौका है, जब कैबिनेट की बैठक हनुवंतिया में होगी।
यह है कैबिनेट का टाइम प्लान
दो फरवरी को सुबह 9 बजे मुख्यमंत्री हवाई जहाज से इंदौर पहुंचेंगे। यहां से वॉल्वो बस से पूरे मंत्रिमंडल के साथ दोपहर 12 बजे हनुवंतिया पहुंचेंगे। यहां पर नर्मदा क्वीन क्रूज पर सवार होंगे। क्रूज में कैबिनेट की बैठक होगी। इस दौरान क्रूज 19 किमी का जलमार्ग तय कर फेफरिया टापू पहुंचेगा। यहां भोजन होगा। इसके बाद फिर क्रूज से हनुवंतिया पहुंचेंगे। इस दौरान बड़े क्रूज के साथ छोटा क्रूज भी चलता रहेगा। मंत्री या मुख्यमंत्री की इच्छा हुई तो वे पानी में ही छोटे क्रूज में आ जाएंगे। इसकी रिहर्सल कर ली है।
यह होंगे बैठक के एजेंडे...
-- मप्र में पर्यटन का विस्तार।
-- सिंहस्थ के विकासकार्यों की समीक्षा। आवश्यकतानुसार नए कामों की स्वीकृति।
-- 18 फरवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भोपाल आ रहे हैं उनकी यात्रा से जुड़ी तैयारियां। प्रोग्राम का स्वरूप।
-- धार के भोजशाला मामले में पूजा-नमाज।
--  प्रदेश में मौजूद किले और महलों को एक लाख रुपए में नीलाम करने और हेरिटेज स्थलों से लगी जमीनों को कलेक्टर गाइड लाइन के हिसाब से बिक्री।
-- हनुवंतिया से संत सिंगाजी की समाधि तक क्रूज चलाने को कैबिनेट की बैठक में मंजूरी मिल सकती है। यह जलमार्ग 15 किमी लंबा है।   फिलहाल पर्यटकों को हनुवंतिया से सिंगाजी जाने के लिए लंबा सड़क मार्ग तय करना पड़ रहा है।
ऐसा है वीआइपी अरेंजमेंट...
- कैबिनेट की मीटिंग नर्मदा क्वीन क्रूज पर होगी।
- इस एयरकंडीशंड क्रूज में 80 लोगों के बैठने की व्यवस्था है।
- मीटिंग में सीएम और सीएस सहित सारे मंत्री ग्राउंड फ्लोर पर, जबकि अफसर अपर फ्लोर पर बैठेंगे।
- सीएस एंटनी डेसा के मुताबिक, इस कैबिनेट को टूरिज्म कैबिनेट नाम दिया गया है।
- कैबिनेट का सिंगल प्वाइंट एजेंडा प्रदेश में पर्यटन का विकास है।
- कैबिनेट की मीटिंग लंच के बाद शुरू होगी।
- मीटिंग में पहले पर्यटन विभाग द्वारा एक प्रेजेंटेशन दिया जाएगा। इसके बाद सीएम मंत्रियों से सुझाव लेंगे।
- मंत्रियों के लिए हनुवंतिया में स्विस टेंट लगाए जा रहे हैं।
- बाद में ये टेंट जल महोत्सव के दौरान पर्यटकों को दिए जाएंगे।

तैयारियां जल महोत्सव की भी...
हनुवंतिया पर्यटन-स्थल पर 12 फरवरी से 10 दिवसीय जल-महोत्सव आयोजित होगा। पर्यटकों के रुकने के लिए टेंट सिटी बसाई है। महोत्सव के दौरान पतंगबाजी, वालीबॉल, कैंप-फायर, स्टार गेजिंग, साइकलिंग, पैरामोटरिंग, पेरासेलिंग, हॉट एयर बैलून, बर्ड वाचिंग जैसी गतिविधियां होंगी। 

कोई कितने ही हाथ-पैर मार ले, ई-रजिस्ट्री बंद नहीं होगी- मलैया

प्री-बजट बैठक में मंत्री की दो टूक
इंदौर. चीफ रिपोर्टर ।
दुनिया आगे जा रही है तो हम क्यों ई-रजिस्ट्री को बंद करके पीछे जाएं। फिर व्यवस्था के पीछे हाथ धोकर पड़े पंजीयन कायार्लय के अधिकारी विरोध करें या फिर वकील या स्टॉम्प वेंडर। विरोध से राजस्व प्रभावित नहीं होगा। जिसे रजिस्ट्री कराना है वह आज नही कराएगा तो महीनेभर बाद कराएगा। कराएगा जरूर। इसीलिए राजस्व की चिंता नहीं है, वह कहीं नहीं जाएगा। यहीं आएगा। मीडिया से बातचीत के दौरान दो टुक शब्दों में यह बात मप्र के वित्त मंत्री जयंत मलैया ने कही।
प्री-बजट प्लानिंग के मद्देनजर बुधवार को वाणिज्यिक कर मुख्यालय में संपन्न हुई अहम बैठक के दौरान वित्त मंत्री मलैया ने बजट को लेकर उद्योगपतियों, व्यापारियों और कर सलाहकारों से रायशुमारी की।फार्म-49 की अनिवार्यता और उसके उत्पादों की सूची 34 से बढ़ाकर 66 किए जाने के मामले में उन्होंने कहा कि मामले की समीक्षा कर रहे हैं। किसी पर अनावश्यक भार नहीं बढ़ाया जाएगा। महीने-दो महीने में पेट्रोल-डीजल पर लगाए जा रहे अतिरिक्त भार व उसके विरोध पर मंत्री ने कहा कि सरकार पेट्रोल-डीजल पर वन-टाइम अतिरिक्त भार बढ़ाने की तैयारी में है ताकि बार-बार न बढ़ाना पड़े। उन्होंने कहा कि कभी मप्र में पेट्रोल-डीजल पर वेट-इंट्री टैक्स ज्यादा था। अब दूसरे राज्य हमसे आगे हैं।
टैक्स टार्गेट और कलेक्शन पर मंत्री ने स्वीकारा कि कलेक्शन के मामले में अभी पीछे हैं। दो महीने वसूली पर जोर होगा। उन्होंने हनुवंतिया टापू की तारिफ की और पर्यटन स्थलों के निजी सहयोग से विकास को मिली केबिनेट की हरी झंडी की सराहना की। उन्होंने कहा कि वित्त मंत्रालय भी पर्यटन में भागीदारों को रियायत देगा।
सुझाव जो बजट के लिए मिले...
चेक पोस्ट और रास्ते में होने वाली चैकिंग के दौरान तकनीकी त्रुटियों पर जो पांच गुना पेनल्टी लगती है वह खत्म हो। सांकेतिक पेनल्टी के प्रावधान हो। जिला स्तर पर रीजनल एडवाईजरी बोर्ड गठित हो। बोर्ड की बैठक में व्यावसायियों की समस्याओं का समाधान किया जा सके।
रमेश खंडेलवाल, अध्यक्ष
अहिल्या चेम्बर आॅफ कार्मस
यदि किसी कारोबारी ने मप्र के किसी कारोबारी से पूरी कीमत देकर माल खरीदा है और प्रदेश के कारोबारी ने रिटर्न भी दे दिया है तो फिर क्रेता का इनपुट टैक्स रिबेट अमान्य किया जाना गलत है। आॅइल कंपनियों द्वारा बेचे जा रहे पेट्रोल-डीजल पर अलग-अलग तरह से जो टैक्स लगाए जा रहे है वह भी गलत है।
आर.एस.गोयल, वरिष्ठ कर सलाहकार
रिटर्न में संसोधन की तारीख 30 नवंबर तय हो।  व्यापारिक संगठनों को विश्वास में लिए बिना किसी भी तरह के प्रावधान में बदलाव न हो
पी.डी.नागर, सीए
रजिस्टर्ड कारोबारियों द्वारा मप्र के बाहर से खरीदे जा रहे वाहनों पर जो 1 के बजाय 10 प्रतिशत इंट्री टैक्स लिया जा रहा है वह गलत है। जिन नए उत्पादों को फार्म-49 की सूची में शामिल किया है उन्हें तत्काल हटाया जाना चाहिए।
केदार हेड़ा, सचिव सीटीपीए
सुझाव यह भी...
- चेक पोस्ट की व्यवस्था खत्म हो।
- रिटर्न वेरिफिकेशन फार्म जमा करने की आवश्यकता खत्म हो।  क्योकि रिटर्न फाइल करने के लिए पासवर्ड विभाग ही देता है।
- ई रिटर्न इंटरमिडीयेटर आयकर की तरह वाणिज्यिक कर में भी हो। सीए डिजिटल सिग्नेचर से एक साथ इकट्ठे रिटर्न अपलोड कर सकें।


मुसाखेड़ी में कटी बेनाम कॉलोनी

- कटारे और मालवीय बेच रहे हैं प्लॉट
इंदौर. चीफ रिपोर्टर ।
चौतरफा अवैध कॉलोनियों से घिरी तकरीबन डेढ़ एकड़ जमीन...। पुराने गेट और बाउंड्रीवाल तोड़कर रोड बनाई...। उस पर 12-30, 15-30 और 20-40 की साइज में प्लॉट काट दिए। 100 रुपए के कच्चे स्टॉम् पर 1100 रुपए/वर्गफीट के हिसाब से सौदे किए जा रहे हैं। ताजा-तरीन अवैध कॉलोनी का यह मामला सामने आया है मुसाखेड़ी स्थित इदरीशनगर और शांतिनगर के बीच का जहां नानूराम कटारे और सुरेंद्र मालवीय बेनाम कॉलोनी काट रहे हैं।
कॉलोनी का खुलासा मंगलवार को जनसुनवाई के दौरान नगर निगम आयुक्त को इदरीश कॉलोनी निवासी अंकित तोमर द्वारा की गई लिखित शिकायत के बाद हुआ। शिकायत और मौके से मिली जानकारी के अनुसार 20-40 का एक प्लॉट 9 लाख रुपए में बेचा जा रहा है। प्लॉट कटारे बेच रहा है। खरीदारों को किस्त सुविधा भी दी जा रही है बिना ब्याज के। खरीदारों में भरौसा बढ़ाने के मकसद से प्लॉट पर निर्माण करके बेचा रहा है। इदरीसकॉलोनी और शांतिनगर के बीच काटी जा रही 28 प्लॉटों की इस कॉलोनी को अब तक नाम नहीं दिया गया है क्योंकि नए नाम से कार्रवाई का खतरा रहता है। बाद में इसे इदरीशनगर ही कहा जाएगा।
शिकायत दर्ज, कार्रवाई के आदेश...
नगर निगम ने शिकायत दर्ज कर ली है। निगमायुक्त मनीष सिंह ने जोन-11 के देवकीनंदन वर्मा को को कार्रवाई के आदेश भी जारी कर दिए हैं।
क्या कहते हैं जिम्मेदार
झूठी अफवाह उड़ा रहे हैं। मेरे प्लॉट थे उन पर मकान बना रहे हैं। बाकी प्लॉट दूसरे के हैं। प्लॉट 6 साल से हैं। विवाद चल रहे हैं। ईस्माइल से ली थी जमीन। थाने तक मामला पहुंचा। कब्जे हटवाए थे।
नानूराम कटारे, कॉलोनाइजर
कॉलोनी नहीं काट रहे हैं, गरीबों को बसा रहे हैं। 10 हजार  वर्गफीट का प्लॉट था उस पर यदि प्लॉट गरीबों को दे रहे हैं तो क्या बुराई है। हम तो गरीबों की सहायता कर रहे हैं।
सुरेंद्र मालवीय, कॉलोनाइजर


कॉर्पोरेट फ्रेंडली होगा बजट-2016 - मलैया

आसान होगा काम ताकि ज्यादा मिले कर
इंदौर. विनोद शर्मा।
देश और देश के कारोबार के उत्थान के लिए केंद्र सरकार ने ‘ईज आॅफ डूइंग बिजनेस’ की जो थ्यौरी दी है मप्र भी उस पर दम से काम करेगा। इसकी शुरूआत 2016-17 के प्रस्तावित बजट से होगी जिसे कॉर्पोरेट फे्रंडली बनाया जाएगा। मप्र के कारोबार और कारोबारियों के रास्ते आने वाली मुश्किलों को दूर करने के प्रयास किए जाएंगे। टैक्स प्रणाली का सरलीकरण होगा ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग जुड़े व टैक्स जमा करें।
गुरुवार सुबह रेसीडेंसी में व्यापारिक संगठनों के साथ हुई बैठक के बाद दबंग दुनिया से बातचीत के दौरान यह बात वित्त मंत्री जयंत मलैया ने कही। मंत्री मलैया ने कहा कि प्री-बजट को लेकर चार शहरों में बैठकें होना है। जबलपुर और भोपाल के बाद इंदौर में भी बैठक हो चुकी है। तीनों शहरों में सबसे ज्यादा सुझाव टैक्स प्रणाली के सरलीकरण को लेकर मिले हैं। मैं विश्वास दिलाता हूं कि इस दिशा में सराकर भी तत्पर है। हम भी चाहते हैं व्यवस्था सरल हो ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग टैक्स जमा करें। ज्यादा से ज्यादा टैक्स मिले। फार्म-49 की सूची में उत्पादों की संख्या 34 से बढ़ाकर 66 की है उसे लेकर जो भी चीजें सामने आ रही है उनके संबंध में ग्वालियर में होने वाली चौथी बैठक में अधिकारियों व जानकारों के साथ बैठकर निर्णय लेंगे। वाणिज्यिक कर कार्यालयों को कॉर्पोरेट फ्रेंडली बनाएंगे ताकि कारोबारियों को वहां सम्मान मिले। झिड़कियां नहीं। वेट रिटर्न फार्म को आसान बनाएंगे।
चेक पोस्ट भी खत्म होगी!
उन्होंने कहा कि चेक पोस्ट को लेकर भी चर्चा जारी है। अरसे से विचार किया जा रहा है कि चेक पोस्ट समाप्त कर रेंडम या ट्रांजिट चैकिंग की जाए। इससे चेक पोस्ट की धांधलियां भी रूकेगी और व्यापारियों को भी राहत मिलेगी। इस मसले पर बजट में नई चीजें सामने आएगी, मैं अभी उनका खुलासा नहीं कर सकता।
ताकि कारोबारियों को मिले राहत...
वेट रिटर्न फार्म क्लिष्ट है जो सरल किया जाना चाहिए। वेट लागू करते वक्त कहा था रिटर्न पोस्टकार्ड साइज का होगा। आज 8-10 पेज का है यह फार्म। सी फार्म  का अप्रुवल आॅनलाइन हो। रिटर्न के साथ व्यापारी ने क्रय-विक्रय की जो लिस्ट दी है वह उसके विभाग के पोर्टल पर उसके अकाउंट के आगे डिस्प्ले हो। मिसमेच रिपोर्ट भी डिस्प्ले हो। अभी आॅनलाइन पेमेंट के लिए सिर्फ तीन बैंकें अधिकृत है जिससे कारोबारी समय पर पेमेंट नहीं कर पाते। इसीलिए अधिकृत बैंकों की संख्या बढ़ाई जाना चाहिए। रिफंड मिलने में भी दिक्कत हे रही है। इसीलिए रिफंड वाउचर से नहीं, चेक से हो। सी-फार्म और फार्म-49 की लिमिट बढ़ाने के लिए कारोबारियों को चक्कर न लगाना पड़े। बिना किसी लिमिट के फार्म दिए जाएं। फाइलों के रखरखाव की समुचित व्यवस्था हो।
आर.एस.गोयल, वरिष्ठ कर सलाहकार

मालवा चेंबर आॅफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के चेयरमैन प्रीतमलाल दुआ ने वैट अधिनियम के सरलीकरण और चेक पोस्ट को हटाने की मांग की। साथ ही स्मार्ट सिटी के विभिन्न बिंदुओं पर प्रकाश डाला। अफसरों की मौजूदगी में सामने आया, चेक पोस्ट पर 300 अफसर तैनात हैं। उन्हें जितना वेतन दिया जा रहा है, उतना ही पैसा चेक पोस्ट से आ रहा है। क्रॉस चेकिंग के लिए विभाग के पास फॉर्म-49 है। लिहाजा चेक पोस्ट निरर्थक हैं।- पटाखा एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने कहा, शहर से बाहर करने के कारण पटाखा कारोबार प्रभावित हो रहा है। इससे विभाग को राजस्व भी नहीं मिल रहा। वित्त मंत्री ने कहा, यह स्थानीय स्तर का मामला है। फिर भी वे इस बाबद मुख्यमंत्री और कलेक्टर से बात करेंगे।- इलेक्ट्रिकल मटेरियल एसोसिएशन के किरण भाई शाह ने कहा, केंद्र और राज्य सरकार ऊर्जा संरक्षण के लिए एलईडी को बढ़ावा दे रही है। एलईडी पर दो श्रेणी में 5 और 14 प्रतिशत वैट लगता है। सरकार आगामी बजट में एलईडी पर वैट शून्य करे। इससे हम चाइनीज एलईडी से मुकाबला कर सकेंगे।- आॅटोमोबाइल डीलर एसोसिएशन के रोहित सांघी ने कहा, व्यापार मंदा है। इस पर लगने वाले वैट को कम करें, ताकि आॅटोमोबाइल डीलरों को राहत मिले।- सीटीपीए के एडवोकेट अश्विन लखोटिया, लोहा व्यापारी एसोसिएशन के इसहाक चौधरी, प्लायवुड एसोसिएशन के नरेंद्र बाफना ने फॉर्म-49 व्यवस्था समाप्त करने की मांग उठाई।- सीए ब्रांच इंदौर के अध्यक्ष सुनील खंडेलवाल, सचिव अभय शर्मा ने कहा, वैट आॅडिट रिपोर्ट की लिमिट 10 करोड़ से घटाकर 2 करोड़ की जाए और आॅडिट नहीं कराने वालों पर पैनल्टी 10 हजार के बजाय 50 हजार लगाई जाए।...तो अफसरों पर लगाएंगे पैनल्टी मालवा चेंबर के अध्यक्ष अजीतसिंह नारंग, सचिव सुरेश हरयानी ने कहा, गैर योजनागत व्यय को कम करें। इससे समस्याएं हल होंगी। ईज आॅफ डूइंग बिजनेस कैसे लागू हो, सरकार इस पर विचार करे। उन्होंने कहा, सभी संगठनों से जो सुझाव आए हैं, उनमें जो व्यावहारिक नहीं लग रहे हैं तो पुन: चर्चा करें। इस पर वित्तमंत्री ने कहा, बजट पूर्व एक बार और चर्चा के लिए इंदौर के लिए व्यापारियों, कर सलाहकारों को भोपाल बुलाया जाएगा, ताकि जनहित वाला बजट बन सके। वित्तमंत्री ने आश्वस्त किया, व्यापार करने में व्यावसायियों को अफसर परेशान करते हैं तो अफसरों पर पैनल्टी लगाई जाएगी।

बस लेन के दोनों ओर बनेगा फ्लाईओवर

शिवाजी जंक्शन के लिए पीडब्ल्यूडी का एक्शन प्लान
- अभी होलकर कॉलेज के सामने है दो तरफा फ्लाईओवर
इंदौर. विनोद शर्मा ।
बीआरटीएस के शिवाजी प्रतिमा जंक्शन पर जल्द ही सिग्नल बंद होने से वाहनों की लंबी कतार नहीं लगेगी। जिम्मेदारी को लेकर छिड़ी लंबी जंग के बाद लोक निर्माण विभाग ने जंक्शन पर फ्लाईओवर बनाने की तैयारी शुरू कर दी है। इस फ्लाईओवर को होलकर कॉलेज के सामने बने फ्लाईओवर की तरह डिजाइन किया जा रहा है ताकि बस लेन यथावत रहे लकिन दोनों तरफ की जनरल लेन के वाहन ऊपर से आ-जा सके। आईडीए ने फ्लाईओवर के लिए पीडब्ल्यूडी के नाम पर सहमति तो दे दी है लेकिन इस संबंध में लिखित पत्रचार नहीं हुआ है इसीलिए फ्लाईओवर का भविष्य आगामी बजट में भी प्रभावित हो सकता है।
जंक्शन पर फ्लाईओवर कौन बनाएगा? इसे लेकर आईडीए और पीडब्लयूडी के बीच अर्से तक असमंजस चलता रहा। आईडीए ने हाथ खींच लिए हैं। अब पीडब्लयूडी ने अपने हिसाब से ब्रिज को बनाने की तैयारी शुरू कर दी है। फ्लाईओवर की फाइल बनाकर मंजूरी के लिए भोपाल भेजी जा चुकी है। उम्मीद जताई जा रही है कि बजट सत्र में इस फ्लाईओवर को मंजूरी मिल जाएगी। हालांकि इसके लिए जरूरी है आईडीए की लिखित सहमति जो अब तक पीडब्लयूडी को नहीं मिली है।
ऐसा होगा फ्लाईओवर...
-- होलकर कॉलेज की तरह बस लेन के दोनों ओर जो सामान्य लेन है वहां बनेगा फ्लाईओवर। इसकी लंबाई 450 मीटर होगी। चौड़ाई (एक साइड 10 मीटर) होगी।
-- होलकर कॉलेज के सबवे में वाहनों को निकलने की जगह नहीं है लेकिन यहां एमवायएच से रिंग रोड की ओर का ट्रेफिक फ्लाईओवर के नीचे से गुजरेगा। बस लेन के सिग्नल यथावत रहेंगे।
-- फ्लाईओवर हार्डिया कम्पाउंड के पास से शुरू होगा और स्टेडियम जोन तक बनेगा। दोनों ओर के फ्लाईओवर के पास सर्विस रोड भी होगी।
-- छोटा नेहरू स्टेडियम की ओर वाला रोड बंद करके इसे सिर्फ चौराहे की तरह विकसित किया जा सकता है। अभी यह पंच राहा है।
थोड़ी बदल सकती है ट्रेफिक व्यवस्था
नए फ्लाईओवर के साथ चौराहे की ट्रेफिक व्यवस्था भी बदल सकती है। अभी रेसीडेंसी या वीआईपी एरिया के जो जज-अधिकारी व अन्य लोग छोटा नेहरू स्टेडियम की ओर से आते-जाते हैं उन्हें इस रास्ते को बंद करके व्हाइट चर्चा के पीछे, बीएसएनएल के जीएम हाउस के सामने से होते हुए गीताभवन चौराहे तक आना पड़ सकता है। इसी तरह एमवाय के सामने से आने वाली भोपाल या अन्य रूट की बसों को बस नेहरू प्रतिमा से गीताभवन-डाककुंज और कृषि कॉलेज होते हुए नया रूट दिया जा सकता है। इससे दवा बाजार के पास और एमवाय के सामने भी जाम नहीं लगेगा।
नए बजट में मिलेगी मंजूरी...
फ्लाईओवर की डिजाइन व डिटेल्स मंजूरी के लिए भोपाल भेज दी है। नए बजट में मंजूरी मिलने की उम्मीद है। प्रोजेक्ट को ऐसे डिजाइन किया जा रहा है ताकि काम में ज्यादा वक्त न लगे। कोशिश यही होगी कि सालभर में काम पूरा हो।
आर.एन.मिश्रा, एक्जीक्यूटिव इंजीनियर
पीडब्लयूडी (ब्रिज सेल)
फ्लाईओवर को पहले आईडीए बनाने वाला था लेकिन अब इसका काम पीडब्ल्यूडी अपने स्तर पर कराएगा
शंकर लालवानी, अध्यक्ष
आईडीए

शर्तों का कायदा, ठेकेदारों का फायदा

प्रतिद्विदी हुए कम, 19 लाख में होंगे 15.13 लाख के काम
इंदौर. विनोद शर्मा।
नगर निगम की तरह इंदौर विकास प्राधिकरण (आईडीए) में भी चहेते ठेकेदारों को फायदा पंहुचाने का खेल जारी है। इसका ताजा उदाहरण आईडीए बिल्डिंग के वार्षिक संधारण के निकाला गया टेंडर है जिसे खास कंडीशन अप्लाय करके जारी किया गया है ताकि सिर्फ वही ठेकेदार ठेका ले सके जिनका 'व्यवहार'  प्राधिकरण अफसरों और पदाधिकारियों को समझ आये। फिर भले वो एसओआर या टेंडर वेल्यु से 20-30 प्रतिशत अधिक का ही रेट कोट क्यों न करें।वैसे भी अतिरिक्त पैसाकौनसा अफसरों की जेब से जाने वाला है। जानकारों की माने तो आईडीए कन्डीशन हटाकर काम कराता है लागत 5-7 लाख रुपये कम आयगी।
मप्र लोक निर्माण विइएजी के संसोधित पत्र (एफ50/7/2015) के अनुसार 2 करोड़ तक के कामों को शर्तों(कंडीशन) से मुक्त रखने का आदेश सचिव सी.पी. अग्रवाल ने दिया था।इस आदेश को हवा में उड़ाते हुए आईडीए के अफसरों ने छोटे छोटे कामों में शर्तों का बोझ डाल दिया। इसी कड़ी में प्राधिकरण बिल्डिंग की मरम्मत के लिए बीते दिनों सशर्त टेंडर निकाला। रंगाई- टूटे कांच बदलने और टॉयलेट सुधार सहित अन्य कामों की लागत  15 लाख  13 हजार 699 आंकी गई। शर्तों के अनुसार इस काम को दो कम्पनियां ही कर सकती है। दोनों ही अधिकारियों की लाड़ली है। इसीलिए टेंडर 25 प्रतिशत ज्यादा के मिले। मतलब 15.13 लाख का काम अब 18.50 से 19 लाख के बीच होगा।
एक जैसे दो काम, एक विभाग, दो नियम
प्राधिकण 27 लाख की लागत से गंगवाल बस स्टैंड की दशा बदल रहा है। वहा भी संधारण का काम किया जा रहा है। प्राधिकरण ने टेंडर बुलाए तो 22.50 प्रतिशत कम के टेंडर मिले। यानी जिस काम की लागत आईडीए ने 27 लाख आंकी थी वही काम अब 20.92 लाख में हो रहा है। 6.08 लाख का फायदा हुआ प्राधिकरण को। काम 80 प्रतिशत तक हो चुका है। वहीं प्राधिकरण बिल्डिंग के काम को शर्तें लादकर 25 प्रतिशत ज्यादा में देन की तैयारी है अफसरों की। यहां अधिकारी 3.75 से 4 लाख रुपए ज्यादा देना चाह रहे हैं।
ओपन टेंडर हो तो 4-5 लाख का फायदा...
जानकारों की मानें तो शर्तों की जिद छोड़कर प्राधिकरण यदि ओपन टेंडर निकालता है तो 15.13 लाख का काम 10 से 11 लाख में ही हो जाएगा। 4-5 लाख की बचत होगी। इस राशि का इस्तेमाल कहीं ओर शहर के विकास में हो सकता है।
एक तीर, तीन शिकार...
पीडब्ल्यूडी एसओआर के विपरीत सशर्त टेंडर निकालकर प्राधिकरण के अधिकारी एक तीर से तीन शिकार कर रहे हैं। पहला : अपने चहेते ठेकेदारों को प्रतिद्विदियों से मुक्ति दिलाना। दूसरा : ठेकेदारों को फायदा पहुंचाना और तीसरा उसी फायदे में कमीशन लेकर अपनी जेब भरना।
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प्राधिकरण बोर्ड के समक्ष बड़े कामों की जानकारी आती है। छोटे काम अधिकारी अपने स्तर पर करते हैं। चूंकि अब मामला मेरे ध्यान में आया है तो मैं जानकारी लेता हूं, ऐसा क्यों हो रहा है।
शंकर लालवानी, अध्यक्ष
आईडीए

को-आॅपरेटिव की आड़ में हवाला बैंक

रेणुकामाता मल्टीस्टेट को-आॅपरेटिव बैंक पर इनकम टैक्स की कार्रवाई
5 हजार करोड़ के हवाले का अनुमान
इंदौर. विनोद शर्मा।
सुभाषचौक स्थित रेणुकामाता मल्टीस्टेट को-आॅपरेटिव बैंक में 90 फीसदी खाते रेडीमेड कारोबारियों के हैं। इस बैंक का इस्तेमाल फर्जी डीडी (डिमांड ड्राफ्ट) घुमाने के साथ कारोबारियों का दो नंबरी पैसा महाराष्ट्र और गुजरात के शहरों में पहुंचाने के लिए होता है। ये खुलासा सेंधवा, रायपुर के बाद मंगलवार को इंदौर में इनकम टैक्स इन्वेस्टिगेशन विंग की छानबीन के दौरान हुआ। बैंक की सभी ब्रांचों के साथ उसके खातेदार भी इनकम टैक्स के निशाने पर है। बैंक के रास्ते 5 हजार करोड़ से अधिक के हवाले का अनुमान लगाया जा रहा है।
विंग ने मंगलवार की शाम बैंक पर दबिश दी। विस्तृत जांच की। जांच के दौरान करीब 40 लाख रुपए लॉकर से मिले हैं जिन्हें सीज कर लिया गया। कार्रवाई देर रात तक चलती रही। इससे पहले रेणुकामाता की सेंधवा ब्रांच पर कार्रवाई हो चुकी है। वहां तकरीबन 2000 करोड़ के हवाले के प्रमाण मिलने की बात कही जा रही है। सोमवार को विंग ने रायपुर में भी बैंक के ठिकानों पर दबिश दी थी। जहां सर्वे के बाद कार्रवाई को सर्च में कन्वर्ट करना पड़ा। इसी कड़ी में इंदौर में भी कार्रवाई हुई।
कार्यक्षेत्र दो राज्यों का, काम चार राज्यों में
बैंक (पंजीयन क्र. एमएससीएस/सीआर/290/2008)  का पंजीकृÞत पता एल-24 एमआईडीसी अहमदनगर, नासिक है। पंजीयन के अनुसार बैंक का कार्यक्षेत्र महाराष्ट्र और गुजरात होना है लेकिन बैंक चार राज्यों में काम कर रही है। बैंक का पूरा तानाबना हवाले को लेकर ही बुना गया है। इंदौर में बैंक को करीब 10 साल हो गए हैं।
यहां सब काम एक निजी बैंक की तरह होता है। फिर मामला वेलकम किट के साथ एटीएम पिन देने का हो या फिर हर शाखा के साथ एटीएम का। डाटा सेंटर है। इसके एटीएम में विड्रॉल के साथ फास्ट केस आॅप्शन भी है। इसमें 100 से 10 हजार रुपए तक के आॅपशन है। 2014 में 385 सदस्य बने थे जबकि 2015 में 1647 सदस्य।
हवाला के हवाले है बैंक
एक दशक में एक हजार से अधिक मेम्बर बनाए हैं। इनमें करीब 650 रेडीमेड के कारोबार से जुड़े हैं। खाते कर्मचारियों के नाम पर है। संचालन दलालों के माध्यम से होता है। कारोबारियों की महाराष्ट्र और गुजरात के कारोबारियों से डील भी दलाल कराते हैं और दो नंबर का पैसा भी वही पहुंचाते हैं। इसीलिए खाते खोले गए हैं ताकि यहां से बेनामी डीडी बनाकर महाराष्ट्र-गुजरात तक इंदौरी कारोबारियों की रकम लाई ले जाई जा सके। कुटाल कॉम्पलेक्स, नाकोड़ा टॉवर, शिव विलास पैलेस, तिलकपथ और ईमलीबाजार के रेडीमेड कारोबारी जुड़े हैं इस बैंक से।
ऐसा है सिस्टम...
-- हवाला का माध्यम से कोई राशि आती है और वह सेम डे कारोबारी तक पहुंचती है तो उस पर एक प्रतिशत ‘सर्विस’ चार्ज देना होगा।
-- तीन दिन में ‘विड्रॉल’ कराएं तो जितना पैसा आया है उतना मिल जाएगा।
-- तीन दिन के बाद यदि पैसा ‘विड्रॉल’ होता है तो उस पर बैंक 6 प्रतिशत का ब्याज भी देती है। क्योंकि इस राशि का इस्तेमाल दूसरे लेन-देन में हो जाता है।
ऐसे होता है ड्राफ्ट एक्सचेंज...
गुरुशरण, कान्हा, राजेंद्र सूरी और श्रीवर्धमान को-आॅपरेटिव बैंकों की तरह यहां भी फर्जी डीडी का बड़ा खेल है। बैंक में ऐसे कई खाते हैं जिनके खातेदारों को मासिक वेतन देकर उनका खाता हवाले के लिए इस्तेमाल होता है। इन्हीं खातेदारों के नाम से फर्जी डीडी बनवाए जाते हैं इन डीडी को कारोबारियों को दे दिया जाता है। जैसे किसी होटल में रूपए की जगह कई बार सिगरेट या माचिस की पत्ती इस्तेमाल होती है वैसे ही यह डीडी एक से दूसरे कारोबारियों के बीच हस्तांतरित होती रहती है ताकि पकड़-धकड़ में बचाव आसान हो।
कपड़ा कारोबारियों में हड़कंप..
पहले सेंधवा और फिर रायपुर में सोमवार को हुई कार्रवाई के बाद ही इंदौर के कपड़ा कारोबारियों ने बैंक से कामकाज बंद कर दिया। यहां तक आपस में डीडी भी नहीं एक्सचेंज की। क्योंकि इससे पहले गुरुशरण और कान्हां में इन्हीं कारोबारियों के काले कारनामों की कलई खुल चुकी है।
एक नजर में बैंक
कुल ब्रांच : 103
राज्य : महाराष्ट्र, गुजरात, मप्र, आंध्रप्रदेश, कनार्टका और दिल्ली
कुल डिपॉजिट : 235.92 करोड़ (मई 2015 तक )
सिक्योर्ड एडवांस : 65.26 करोड़
लोन जो दिया : 177.38 करोड़
अध्यक्ष : प्रशांत भालेराव
उपाध्यक्ष : पांडुरंग देवकर
(मार्च 2015 को  332 करोड़ 99 लाख 66 हजार 613 रुपए की आॅडिट रिपोर्ट सबमिट की। )
खेल ऐसे भी
एक व्यक्ति आया उसने 5 लाख रुपए की डीडी बनवाई। पहचान-पत्र दिया। दूसरा व्यक्ति आया उसने 10 लाख की डीडी बनवाई लेकिन पहचान पत्र नहीं था। ऐसे में बैंक वाले पहले व्यक्ति के पहचान-पत्र पर ही दूसरी डीडी बना देते हैं इससे जिसने 5 लाख की डीडी बनवाई है उसकी कुल 15 लाख की डीडी बताई जाती है जबकि 10 लाख देने वाले का नाम तक नहीं रहता। इससे मोटी कमीशन ली जाती है। बैंक का खाता बैंक आॅफ बड़ौदा में भी है। एक नंबर का रोटेशन दिखाने के लिए यहां से वहां चक्रा चलाया जाता है।