Friday, November 4, 2016

कालानी के साथ पटवारी पर भी हो चुकी है आयकर की कार्रवाई

- पहले बेदाग बताते रहे फिर दस्तावेज देखे तब करीब तीन करोड़ किए सरेंडर
इंदौर. विनोद शर्मा ।
सार्वजनिक मंच पर अपने आप को किसान का बेटा और गरीबों का हमदर्द बताते आए कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी के घर पर इनकम टैक्स की इन्वेस्टिगेशन विंग भी छापेमार कार्रवाई कर चुकी है। मनीष कालानी समूह और पटवारी बंधुओं की पटवारी रीयल एस्टेट प्रा.लि. के खिलाफ एकसाथ हुई इस कार्रवाई में पटवारी बंधुओं ने करीब तीन करोड़ रुपए की काली कमाई सरेंडर की थी।
मनीष कालानी समूह की चार कंपनियों फ्लैक्सीटफ इंटरनेशनल लिमिटेड, इंटरनेशनल वर्ल्ड डेवलपर्स प्रा.लि., टेÑजर वर्ल्ड डेवलपर्स प्रा.लि.  और कालानी इंडस्ट्री प्रा.लि. पर इनकम टैक्स इन्वेस्टिगेशन विंग ने 16 अपै्रल 2009 को छापेमार कार्रवाई की थी। ज्वाइंट डायरेक्टर हरेश्वर शर्मा के नेतृत्व में डिप्टी डायरेक्टर के.सी.सिल्वामनी द्वारा की गई इस कार्रवाई में कालानी के ठिकानों से पटवारी  रीयल एस्टेट प्रा.लि. से जुड़े दस्तावेज मिले थे जिनके आधार पर कंपनी पर भी कार्रवाई हुई थी।
जीतू ने ही दिए थे बयान
इनकम टैक्स से जुड़े सूत्रों की मानें तो जिस वक्त पटवारी रीयल एस्टेट प्रा.लि. पर कार्रवाई हुई थी उस वक्त भारत पटवारी और कुलभुषण पटवारी ह्यनानाह्ण के साथ जितेंद्र पटवारी भी कंपनी के डायरेक्टर थे। इसीलिए इनकम टैक्स द्वारा दिए गए समन का जवाब देने स्वयं जीतू ही पहुंचे थे।
मैं तो समाजसेवक हूं...
अधिकारियों की मानें तो समन पर आए जीतू से जब सवाल-जवाब किए गए तो उसने कहा कि मैं किसान हूं, राजनीति से जुड़ा हूं और समाजसेवा करता हूं। मैंने कभी कोई चोरी नहीं की। इस पर जब उन्हें मनीष कालानी के घर से बरामद हुए दस्तावेज दिखाए गए और लेन-देन की जानकारी दी गई तब उन्होंने स्वीकारा कि उन्होंने कालानी के साथ काम किया है।
करीब तीन करोड़ किए सरेंडर
जब कालानी और पटवारी की जुगलबंदी को अधिकारियों ने दस्तावेजों पर प्रमाणित कर दिया तब पटवारी रीयल एस्टेट प्रा.लि. ने करीब तीन करोड़ रुपए की अघोषित आय स्वीकारी। बताया जा रहा है कि अघोषित आय ज्यादा थी लेकिन बाद में समूह ने महाराष्ट्र में संचालित अपने विंड प्रोजेक्ट का हवाला दिया। इस आधार पर समूह को राहत भी मिली।
कालानी के साथ क्या थी पटवारी की भूमिका
मनीष कालानी और पटवारी रीयल एस्टेट की जुगलबंदी ट्रेजर आईलैंड के निर्माण के साथ 2003 में शुरू हुई। 11 तुकोगंज स्थित करीब 1 लाख वर्गफीट के इस प्लॉट पर करीब 18 मीटर गहराई की खुदाई का ठेका कांग्रेस विधायक की पटवारी रीयल एस्टेट प्रा.लि. को मिला था। जिस वक्त काम शुरू हुआ था उस वक्त मप्र में कांग्रेस की ही सरकार थी और दिग्विजयसिंह मुख्यमंत्री थे। मॉल में सिंह की भूमिका शुरू से ही सवालों के घेरे में रही है।
मनीष कालानी ने बिजलपुर और रंगवासा में पटवारी के माध्यम से ही किसानों से जमीन खरीदी थी। पहले किसानों से पटवारी ने एग्रीमेंट किए और बाद में जमीन कालानी को दे दी। इससे पटवारी बंधुओं को मोटा मुनाफा भी हुआ।
कालानी की कंपनियों में शेयरहोल्डर भी है पटवार
बैंकों के कर्जे से अपनी कामयाबी की कहानी लिखने वाले कालानी एक दशक में दिवालिया हो चुके हैं। दिवालियापन कुछ वास्तविक है तो कुछ दिखावटी। कोलकाता और पीथमपुर बेस कई कंपनियां बनाई गई और उनके नाम से जमीनें खरीदी गई है। इन कंपनियों में जीतू पटवारी की कंपनी भी शेयर होल्डर है।

No comments:

Post a Comment