Friday, November 4, 2016

रिहायशी इलाके में अग्रवाल पापड़ के अवैध कारखाने

- भट्टी की आग, मशीनों की आवाज और चिमनी के धुएं ने क्षेत्रवासियों का जीना किया दुभर
- मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने आज तक नहीं ली सूध
इंदौर. विनोद शर्मा ।
मास्टर प्लान में ग्रीन बेल्ट के रूप में आरक्षित जमीन पर तना अग्रवाल पापड़ ‘420’ का कारखाना हुकुमचंद कॉलोनी की घनी बसाहट के बीच है। बड़ी-बड़ी भट्टियों की गर्मी और चिमनियों से निकलने वाले धुएं के साथ ही तंग गलियों में व्यावसायिक वाहनों की बेइंतहां आवाजाही हुकुमचंद कॉलोनी की तंग गलियों में रहने वालों के लिए सिरदर्द बन चुकी है। बार-बार शिकायत की लेकिन न तो प्रशासन ने सूध ली और न ही सख्ती पर्यावरण प्रहरी की भूमिका निभाने वाले मप्र प्रदूषण नियंत्रण मंडल ने यहां झांककर देखा।
सिरपुर की जमीन पर अग्रवाल पापड़ प्रा.लि. का नमकीन-पापड़ कारखाना चल रहा है। 242/2/1, 242/-3-1, 244/1 और 242/2-1 हुकुमचंद कॉलोनी में जहां यह कारखाना चल रहा है उसके एक हिस्से में अग्रवाल पापड़, अग्रवाल एक्वाकेअर और राजेश के नमकीन कारखाने हैं वहीं तीन तरफ रिहायशी इलाका है। जबकि सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (सीपीसीबी) की गाइडलाइन के अनुसार किसी भी रिहायशी इलाके में किसी भी कारखाने को पर्यावरणीय अनुमति नहीं दी जा सकती। यानी रिहायशी इलाके में यदि कारखाना चल रहा है तो पर्यावरण की दृष्टि से वह अवैध है।
जीना हो गया हराम...
हुकुमचंद कॉलोनी निवासी रजनीश सिंह ने बताया कि पहले एक कारखाना था, धक जाता था लेकिन अब एक के बाद एक कारखानों की बाड़ आ गई। मशीनों की आवाज और चिमनी से निकलने वाले काले धुएं ने जीना मुश्किल कर दिया है। कारखानों में बड़ी-बड़ी भट्टियां है जिनमें बडेÞ पैमाने पर लकड़ी इस्तेमाल होती है।
इसी कॉलोनी के गोविंद कुशवाह ने बताया कि हुकुमचंद कॉलोनी अवैध है। यहां नक्शे पास नहीं होते। मकानों तक ठीक था लेकिन नगर निगम की अनुमति के बिना ही भव्य कारखाने खड़े हो गए और नगर निगम के अधिकारी संचालकों के साथ मिलन समारोह करते रहे। खामियाजा हम लोगों को चुकाना पड़ रहा है। कभी घुएं के रूप में तो कभी मशीनों की आवाज के रूप में।
सकरी सड़कों पर टेंकर नहीं दिखता पुलिस को...
अंतिम चौराहे और परमानंद हॉस्पिटल के पास पुलिस के जवान बैठे रहते हैं और उनके सामने से तेल के टेंकर दिन के उजाले में कारखानों तक पहुंच जाते हैं लेकिन पुलिस वालों को नहीं दिखते। चौड़ी सड़कों पर पुलिस दिन में भारी वाहनों की आवाजाही प्रतिबंधित करवा चुकी है जबकि कॉलोनी की तंग सड़कों पर तेल के टेंकर, लकड़ी के ट्रक, नमकीन-पापड़ के ट्रांसपोर्टेशन की गाड़ियां पुलिस से कार्रवाई की उम्मीद लगाए बैठे हुकुमचंद कॉलोनी के लोगों का मुंह चिढ़ाती हैं। खुद की गाड़ियां खड़ी करने की जगह नहीं मिल रही है रहवासियों को।
अवैध बिल्डिंगों के कैसे खोल दिए खाते
नगर निगम के साथ अग्रवाल पापड़ की मिलीजुली कुश्ती का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जिन जमीनों पर कारखाने खड़े है उनका भू-उपयोग ग्रीन बेल्ट है। टाउन एंड कंट्री प्लानिंग से ले-आउट मंजूर है और न ही नगर निगम से नक्शा पास। बावजूद इसके  अग्रवाल पापड़ के नाम से एक-दो नहीं बल्कि संपत्तिकर के चार खाते हैं। जबकि 2014 में नगर निगम की छापेमार कार्रवाई में ही सामने आया था कि जिस जगह प्लॉट बता रखे थे वहां दो-दो मंजिला कारखाने मिले। इसका मतलब यह है कि कारखानों की नगर निगम से अनुमति हुई ही नहीं। वैसे भी रिहायशी इलाके में कारखाना मंजूर करना न निगम के बस में है और न ही टीएंडसीपी के बस में। 

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