Friday, November 4, 2016

ग्रीन बेल्ट पर अग्रवाल पापड़ की ‘420’

 टीएनसी, नगर निगम और अन्य विभागों की अनुमति के बिना तने कारखाने
इंदौर. विनोद शर्मा ।
1962 में 150 रुपए और 5 किलोग्राम मुंगदाल के साथ कारोबार शुरू करके आज अंतरराष्ट्रीय पहचान बन चुका 420 पापड़ जिन कारखानों में बन रहा है वह ग्रीन बेल्ट की जमीन पर तने हुए हैं। इन कारखानों को न टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग की अनुमति है और न ही नगर निगम की। बावजूद इसके प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के तमाम कायदों को ठेंगा बताते सघन आबादी के बीच अग्रवाल पापड़ प्रा.लि. की 420 बदस्तूत जारी है। न किसी कानून की परवाह न सरकारी सख्ती का संताप।
सिरपुर गांव के सर्वे नं. 244/1/क/मिन-2, 244/1/ज, 244/1/झ व अन्य खसरों की दो एकड़ से ज्यादा जमीन पर अग्रवाल पापड़ प्रा.लि. द्वारा पांच-पांच कारखाने संचालित किए जा रहे हैं। जमीन अग्रवाल पापड़ तर्फे नारायण पिता हुुकुमचंद अग्रवाल के नाम पर है। इनमें 420 पापड़, 420 इंजीनियरिंग, केपीआर पापड़-नमकीन, 420 इंस्टंट मिक्स और क्रांति-देशी अंदाज पापड़ के कारखाने शामिल है। वहीं मास्टर प्लान 2021 में सिरपुर गांव की यह जमीन आरक्षित ग्रीन बेल्ट का हिस्सा है। टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग और मप्र भूमि विकास अधिनियम के तहत ग्रीन बेल्ट के लिए आरक्षित जमीन का औद्योगिक उपयोग नहीं हो सकता है।
दिन दुना, रात चौगुना बड़ा कारोबार
अग्रवाल पापड़ की नींव 1962 में हुकुमचंद अग्रवाल ने सिमित संसाधनों के साथ रखी थी। फिल्म अभिनेता राजकपूर के फेन रहे अग्रवाल परिवार ने 6 सितंबर 1955 को प्रदर्शित हुई कपूर की फिल्म ‘श्री 420’ के नाम पर पापड़ का नामकरण कर दिया।  2 जून 1997 को एमसीए में कंपनी ने आरओसी रजिस्टर्ड करवाई और लिस्टेड लिमिटेड कंपनियों की सूची में आई।
420 पापड़ का कारखाना सबसे पहले 374 हुकुमचंद कॉलोनी की 12000 वर्गफीट पर बना। यहीं 5000 वर्गफीट जमीन पर कंपनी के डायरेक्टर व अग्रवाल परिवार के सदस्य रहते भी हैं। इसी को एक्सटेंड करके 420 इंजीनियरिंग शुरू की। इसका पता 244ए-245 हुकुमचंद कॉलोनी है। इस पते पर अग्रवाल मसाले एलएलपी भी रजिस्टर्ड है।
2007-08 में 5500 वर्गफीट पर केपीआर और 2008-09 में 9500 वर्गफीट से अधिक जमीन पर केपीआर-1 के नाम से नमकीन और पापड़ की मेन्युफेक्चरिंग यूनिट खड़ी की। 2011-12 में लक्ष्मणदास महाराज के आश्रम के पास 18000 वर्गफीट से ज्यादा जमीन पर इंस्टेंट मिक्स की यूनिट खड़ी की।
(यह सभी जमीन ग्रीन बेल्ट के रूप में ही आरक्षित है)
एक बना था, इसीलिए बाकी भी बनते गए
हुकुमचंद कॉलोनी अवैध है। यहां पहले 420 पापड़ का कारखाना था। लोगों की आपत्ति को प्रशासन ने नजरअंदाज किया तो यहां राजेश फुड्स  ने राजेश के नमकीन बनाना शुरू कर दिया तो दूसरी तरफ अग्रवाल टेंट हाउस वालों की कंपनी अग्रवाल एक्वा प्रोडक्ट ने एक्वाकेअर के नाम से पानी का ही कारखाना खोल दिया।  इसके बाद 420 वाले अग्रवाल परिवार ने अपना रंग दिखाते हुए एक के बाद एक चार कारखाने खड़े कर दिए।
अग्रवाल और सिंघल परिवार की जुगलबंदी
सर्वे नं. 244 का बड़ा हिस्सा अग्रवाल पापड़ और उसके डायरेक्टर्स के नाम पर है। इसमें नारायण अग्रवाल, नमद अग्रवाल, नमन मित्तल, अनूप सिंघल और राजेश सिंघल भी शामिल है। यही लोग अग्रवाल मार्केट्स आॅनलाइन सर्विस एलएलपी, अग्रवाल मसाले एलएलपी और केसरतुलसी रीयल बिल्ड प्रा.लि. में भी डायरेक्टर है।
ग्रीन बेल्ड पर अनुमति कैसे दे दें...?
इस संबंध में जब टीएंडसीपी के अधिकारियों से बात की तो उन्होंने दो टूक शब्दों में कह दिया कि 1 जनवरी 2008 को जारी मास्टर प्लान 2021 के अनुसार जो जमीन ग्रीन बेल्ट का हिस्सा है उस पर कारखानों की अनुमति नहीं दी जा सकती है। युक्तियुक्तकरण से यदी मंजूरी मिली भी है तो अग्रवाल परिवार उसे दिखा दे। वहीं 420 का मैनेजमेंट दावा करता है कि उसके कारखाने वैध है(
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