Friday, November 4, 2016

सिंहस्थ सफल, अब लिंक बुझाएगी शिप्रा के साथ देवास-उज्जैन की प्यास

-  130 करोड़ में डलेगी उज्जैनी से उज्जैन तक 78 किलोमीटर पाइपलाइन, औद्योगिक क्षेत्र भी होंगे तर
- मुख्यमंत्री ने दी हरीझंडी, टेंडर जल्द
इंदौर. विनोद शर्मा ।
सिंहस्थ के सफलतम समापन के बाद नर्मदा-शिप्रा लिंक की उपयोगिता बढ़ाने और पानी की बर्बादी रोकने के मकसद से सरकार नर्मदा के पानी का बंटवारा करेगी। बड़वाह से इंदौर तक पहुंच रहे 5 क्यूबिक मीटर/सेंकट पानी में से आधा शिप्रा में छोड़ा जाएगा आधा देवास-उज्जैन के 12 लाख लोगों और पांच हजार उद्योगों की प्यास बुझाएगा। इसके लिए नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण (एनवीडीए) उज्जैनी से उज्जैन तक 78 किलोमीटर पाइपलाइन बिछाएगा।
सिंहस्थ 2016 के मद्देनजर एनवीडीए ने नर्मदा-शिप्रा सिंहस्थ लिंक परियोजना को 2014 में अंजाम दिया। सिंहस्थ में लबालब शिप्रा के रूप में इसका फायदा मिला भी। सिंहस्थ के बाद जहां परियोजना की उपयोगिता पर सवाल उठने लग थे वहीं मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने पानी का उपयोग बढाने के मकसद से उज्जैनी-उज्जैन लिंक योजना मंजूर कर दी। इसकी प्रारंभिक लागत 130 करोड़ आंकी गई है। बताया जा रहा है कि जल्द ही टेंडर की कार्रवाई करके कंपनी को काम सौंप दिया जाएगा ताकि नवंबर 2018 (15वीं विधानसभा के लिए होने वाले चुनाव) तक योजना का काम जमीन पर दिखने लगा।
12 लाख लोगों को फायदा
2016 की मतगणना के हिसाब से देवास शहर की आबादी 4.68 लाख थी जो बढ़कर अब 5.5 लाख से ज्यादा हो गई है। इसी तरह उज्जैन की आबादी 5.15 लाख थी जो अब बढ़कर 6.20 लाख हो चुकी है। स्कीम से नर्मदा दोनों शहरों के करीब 12 लाख लोगों की प्यास बुझाएगी।
ऐसी होगी योजना
सिसलिया (बड़वाह) से उज्जैनी (इंदौर) तक नर्मदा का 5 क्यूबिक मीटर(5000 लीटर) /सेकंड पानी लाया जा रहा है। सारा पानी शिप्रा में छोड़ा जाता है। नई योजना के तहत इसमें से 2.8 क्यूबिक मीटर(2800 लीटर)/सेकंड पानी ही शिप्रा में छोड़ा जाएगा।
बाकी बचा 2.2 क्यूबिक मीटर (2200 लीटर)/सेंकड पानी पाइपलाइन के माध्यम से उज्जैनी से शिप्रा, शिप्रा से देवास, देवास से गऊघाट (उज्जैन) तक ले जाया जाएगा। इसके लिए 1800 एमएम डाया की 78 किलोमीटर लंबी लाइन उज्जैन-उज्जैन के बीच डलेगी।
मकसद : कोशिश जरूरत के मुताबिक पानी देने की है ताकि पानी का अपव्यय न हो। वैसे भी अभी पानी नदी के माध्यम से ही बहाया जा रहा है जिसका फायदा किसानों को तो मिल रहा है लेकिन दूरस्थ आबादी अब भी इससे अछूती है।
ऐसे उपयोग होगा पानी
एनवीडीए पाइप लाइन बिछाएगा। शिप्रा के पास आउटलेट वॉल्व (जैसे सिमरोल आईआईटी के पास हैं) छोड़े जाएंगे। देवास को पीने का पानी देना है तो नगर निगम को यहां से लाइन डालकर पानी ले जाना होगा। इसी तरह अपनी लाइन डालकर उद्योग विभाग या एकेवीएन उज्जैन भी देवास के उद्योगों को पानी देगा। यदि दोनों विभाग अपनी लाइन डाल पाते हैं और स्कीम जल्दी पूरी हो जाती है तो इसका पानी शिप्रा रिजवर में छोड़ा जाएगा।
इसी तरह उज्जैन और उज्जैन के उद्योगों को पानी देने के लिए उज्जैन नगर निगम और उद्योग विभाग को अपनी लाइन डालनी होगी। अन्यथा पानी डेडएंड (गऊ घाट) पर शिप्रा में छोड़ दिया जाएगा।
ग्रेविटी बेस होगी सप्लाई
प्रोजेक्ट की अच्छी बात यह है कि उज्जैनी से उज्जैन तक पानी पहुंचाने के लिए एनवीडीए को बिजली खर्च नहीं करना पड़ेगी। डिपार्टमेंट इसे ग्रेविटी बेस बना रहा है। यानी गति और ढाल के साथ ही पानी उज्जैनी से उज्जैन तक पहुंच जाएगा। इंदौर नगर निगम द्वारा इसी ग्रेविटी बेस सिस्टम से ही वॉचू पॉइन्ट से इंदौर तक नर्मदा का पानी पहुंचाया जाता है। 

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