सरकारी काम के लिए अनुमति लेकर बाजार में बिक रही मुरम
इंदौर. विनोद शर्मा।
अलावासा, रिंगनोदिया, बारोली और पंचडेरिया के पहाड़ को हराभरा करने के लिए वन विभाग साल-दर साल हजारों पौधे रोप रहा है वहीं शुक्ला परिवार के सिपाहसालारों ने खुदाई शुरू कर दी है। हालात यह है कि वन विभाग की हरियाली से पहाड़ पर आए मोर जेसीबी-पोकलेन और डम्पर के शोर-शराबे से परेशान हैं। सरकारी प्रोजेक्ट के नाम पर हो रही इस खुदाई से निकली मुरम को बाजार में बेचा जा रहा है सो अलग।
मामला उज्जैन रोड टोल टैक्स के पास स्थिति पहाड़ का है जो चार गांव की जद में आता है। रिंगनोदिया के सर्वे नं. 102 की 10.480 हेक्टेयर सरकारी जमीन (निर्माणाधीन जेल से लगी हुई) भी इसी पहाड़ का हिस्सा है। 2001 से खनन माफियाओं के निशाने पर रहे पहाड़ के इस हिस्से को बचाने के लिए 2005-06 में वन विभाग ने बड़ी तादाद में पौधारोपण किया। 10 साल में इन पौधों ने पोकलेन से हुए पहाड़ के जख्म भर दिए। हरियाली के कारण मोर आए। फिलहाल कैबिन में बैठकर ही खनीज विभाग के आला अधिकारियों द्वारा दी गई मुरम खनन की तथाकथित अनुमति ने यहां अच्छी तादाद में रह रहे मोरोें का जीना मुश्किल कर दिया है।
फिर हरियाली की क्यों?
क्षेत्रवासियों का कहना है कि जेल तक पहाड़ के सामने का हिस्सा खोदा गया है जबकि जेल वाले हिस्से में पिछला हिस्सा। वन विभाग की मेहनत ने पहाड़ के उस हिस्से को भी हरा कर दिया है जिसे खनन माफियाओं ने खोदकर पटक दिया था। हरियाली से पहाड़ ठीक से हरा भी नहीं हुआ था कि खनीज विभाग ने दोबारा खुदाई की अनुमति दे दी। जबकि वीरसिंह वाली जिस खदान की अनुमति विभाग रद्द कर चुका है उसे अजमेरा बंधुओं को देकर पहाड़ का यह हिस्सा बचाया जा सकता था।
पशुओं की भी परेशानी...
जहां खुदाई हो रही है उसके पास सर्वे नं. 100 की 2.225 हेक्टेयर जमीन है। इस जमीन का सिर्फ दस्तावेजी उपयोग ही चरनोई नहीं है बल्कि यहां रिंगनोदिया के मवैशी चराए भी जाते हैं। खुदाई के बाद से यहां जानवरों का आना-जाना भी मुश्किल हो गया है। मवैशी चराने वाले जीवन मालवीय ने बताया कि दो-दो पोकलेन लगी है। आने-जाने में दिक्कत होती है।
सरकारी मंजूरी, माल बाजार में
लोक निर्माण विभाग द्वारा बनाई जा रही सड़क के मुरम की आपूर्ति के लिए यहां प्रेमचंद नानूराम अजमेरा को खनीज विभाग ने खनन की मंजूरी दी थी। सूत्रों की मानें तो मजबूत सरपरस्तों के दम पर अजमेरा खुदाई में निकली मुरम का आधा हिस्सा बाजार में बेच रहा है। शिकायत की पुष्टि खनीज विभाग के मैदानी अमले की जांच में भी हुई। टीम ने मुरम से भरी एक गाड़ी को पकड़ा भी है जो कि धरमपुरी चौकी पर खड़ी है।
अब मौका देखेंगे...
खनीज विभाग ने क्षेत्र की निगरानी की जिम्मेदारी जिन लोगों को दे रखी है उन्होंने अब तक मौके पर जाकर ही नहीं देखा कि आखिर जहां खदान को अनुमति दी गई है वहां है क्या? बस जमीन का खसरा नंबर और आवंटी का नाम ही पता है। जब उनसे वन विभाग की हरियाली के बारे में पूछा तो जवाब मिला कि एक-दो दिन में जाकर देख लेते हैं। यदि आपत्तिजनक स्थिति दिखती है तो आवंटन रद्द भी हो सकता है।
इंदौर. विनोद शर्मा।
अलावासा, रिंगनोदिया, बारोली और पंचडेरिया के पहाड़ को हराभरा करने के लिए वन विभाग साल-दर साल हजारों पौधे रोप रहा है वहीं शुक्ला परिवार के सिपाहसालारों ने खुदाई शुरू कर दी है। हालात यह है कि वन विभाग की हरियाली से पहाड़ पर आए मोर जेसीबी-पोकलेन और डम्पर के शोर-शराबे से परेशान हैं। सरकारी प्रोजेक्ट के नाम पर हो रही इस खुदाई से निकली मुरम को बाजार में बेचा जा रहा है सो अलग।
मामला उज्जैन रोड टोल टैक्स के पास स्थिति पहाड़ का है जो चार गांव की जद में आता है। रिंगनोदिया के सर्वे नं. 102 की 10.480 हेक्टेयर सरकारी जमीन (निर्माणाधीन जेल से लगी हुई) भी इसी पहाड़ का हिस्सा है। 2001 से खनन माफियाओं के निशाने पर रहे पहाड़ के इस हिस्से को बचाने के लिए 2005-06 में वन विभाग ने बड़ी तादाद में पौधारोपण किया। 10 साल में इन पौधों ने पोकलेन से हुए पहाड़ के जख्म भर दिए। हरियाली के कारण मोर आए। फिलहाल कैबिन में बैठकर ही खनीज विभाग के आला अधिकारियों द्वारा दी गई मुरम खनन की तथाकथित अनुमति ने यहां अच्छी तादाद में रह रहे मोरोें का जीना मुश्किल कर दिया है।
फिर हरियाली की क्यों?
क्षेत्रवासियों का कहना है कि जेल तक पहाड़ के सामने का हिस्सा खोदा गया है जबकि जेल वाले हिस्से में पिछला हिस्सा। वन विभाग की मेहनत ने पहाड़ के उस हिस्से को भी हरा कर दिया है जिसे खनन माफियाओं ने खोदकर पटक दिया था। हरियाली से पहाड़ ठीक से हरा भी नहीं हुआ था कि खनीज विभाग ने दोबारा खुदाई की अनुमति दे दी। जबकि वीरसिंह वाली जिस खदान की अनुमति विभाग रद्द कर चुका है उसे अजमेरा बंधुओं को देकर पहाड़ का यह हिस्सा बचाया जा सकता था।
पशुओं की भी परेशानी...
जहां खुदाई हो रही है उसके पास सर्वे नं. 100 की 2.225 हेक्टेयर जमीन है। इस जमीन का सिर्फ दस्तावेजी उपयोग ही चरनोई नहीं है बल्कि यहां रिंगनोदिया के मवैशी चराए भी जाते हैं। खुदाई के बाद से यहां जानवरों का आना-जाना भी मुश्किल हो गया है। मवैशी चराने वाले जीवन मालवीय ने बताया कि दो-दो पोकलेन लगी है। आने-जाने में दिक्कत होती है।
सरकारी मंजूरी, माल बाजार में
लोक निर्माण विभाग द्वारा बनाई जा रही सड़क के मुरम की आपूर्ति के लिए यहां प्रेमचंद नानूराम अजमेरा को खनीज विभाग ने खनन की मंजूरी दी थी। सूत्रों की मानें तो मजबूत सरपरस्तों के दम पर अजमेरा खुदाई में निकली मुरम का आधा हिस्सा बाजार में बेच रहा है। शिकायत की पुष्टि खनीज विभाग के मैदानी अमले की जांच में भी हुई। टीम ने मुरम से भरी एक गाड़ी को पकड़ा भी है जो कि धरमपुरी चौकी पर खड़ी है।
अब मौका देखेंगे...
खनीज विभाग ने क्षेत्र की निगरानी की जिम्मेदारी जिन लोगों को दे रखी है उन्होंने अब तक मौके पर जाकर ही नहीं देखा कि आखिर जहां खदान को अनुमति दी गई है वहां है क्या? बस जमीन का खसरा नंबर और आवंटी का नाम ही पता है। जब उनसे वन विभाग की हरियाली के बारे में पूछा तो जवाब मिला कि एक-दो दिन में जाकर देख लेते हैं। यदि आपत्तिजनक स्थिति दिखती है तो आवंटन रद्द भी हो सकता है।
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