सिर्फ विरोध के तरीकों से पाई सुर्खियां, काम से रही दूरी
इंदौर. चीफ रिपोर्टर ।
देश-प्रदेश के मुद्दों पर बयानबाजी से मीडिया की सुर्खियां बटौरते आ रहे राऊ के विधायक जीतू पटवारी विधानसभा चुनाव के तकरीबन तीन साल होने के बावजूद क्षेत्र में उल्लेखनीय काम नहीं कर पाए। फिर मामला पटवारी के सालाना प्रदर्शन के बाद भी नुरानीनगर चौराहे से सिंहासा के बीच बदहाल पड़े धार रोड का हो या फिर राऊ के समग्र विकास का। हर जगह पटवारी ने मुंह की खाई है।
14वीं विधानसभा के लिए चुनाव अक्टूबर-नवंबर 2013 में हुए थे। करीब तीन साल हो चुके हैं। इस दौरान पटवारी ने ऐसा कोई बड़ा काम नहीं किया जो राऊ के उन रहवासियों के कलेजे को ठंडक पहुंचा सके जिन्होंने भाजपा लहर के विपरीत चुनाव में जीतू का साथ दिया था। लोगों की मानें तो साइकिल से दौरा करने, स्ट्रीटलाइट के खम्बे पर चढ़ने, ठेला लेकर सब्जी बेचने और आंख पर पट्टी बांधकर विधानसभा में जाने से जीतू पटवारी की खबरें तो अखबारों में छप जाती है लेकिन हमें खबर से ज्यादा क्षेत्र के विकास की जरूरत है। पटवारी को चुना भी इसीलिए था। वहीं क्षेत्र के भाजपा नेताओं की मानें तो कोई ऐसा बड़ा या उल्लेखनीय काम नहीं है जिसे पटवारी सीना तानकर अपना कह सके।
क्या हुआ तेरा वादा...
क्षेत्रवासियों का कहना है कि चुनाव के दौरान पटवारी ने कई बड़े दावे किए थे। इनमें राऊ में बड़ा सरकारी अस्पताल, युवाओं के खेलने के लिए बड़ा स्टेडियम और राऊवासियों को नर्मदा का पानी भी शामिल था। तीनों के अब तक पते नहीं है। कोई ऐसा जनआंदोलन तक नहीं किया जिसे पटवारी द्वारा क्षेत्र के विकास के लिए की गई कोशिश तक करार दी जा सके। शहर में विरोध-धरने खूब किए लेकिन क्षेत्र में निष्क्रिय रहे। नुरानीनगर निवासी शाहरूख अंसारी ने बताया कि सड़क वैसी ही है जैसी 2013 चुनाव से पहले थी। तीन साल में तीन धरने हो चुके हैं पटवारी के। लिम्बोदी निवासी हरविंदर सिंह ने बताया कि सड़क और रोशनी की समस्या जस की तस है। राऊ निवासी अजय पाटीदार ने बताया कि चुनाव के बाद से पटवारी के दौरे क्षेत्र में कम, शहर में ज्यादा हुए। सिलीकॉन सिटी निवासी रूपेश अग्रवाल ने बताया कि न स्टेडियम बना, न ही अस्पताल।
प्रदेश अध्यक्ष बनना ही लक्ष्य
पटवारी के नजदीकी भी बताते हैं कि 2008 के विधानसभा चुनाव के दौरान जीतू ने बड़े नेताओं वाली अपनी जिन आदतों से शिकस्त खाई थी वही आदतें फिर उन्हें लोगों से दूर कर रही है। क्षेत्र से ज्यादा देश और प्रदेश के मुद्दों पर बयान देकर उन्होंने मीडिया की नजर में तो स्वयं को ऊंचा उठाया ताकि वे प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में शामिल हो सकें। यही स्थिति रही तो उन्हें 2018 के आगामी चुनाव में मुश्किल का सामना करना पड़ सकता है।
नहीं मिला जवाब...
क्षेत्रवासियों की राय को लेकर जब दबंग दुनिया ने पटवारी से संपर्क करने की कोशिश की तो उन्होंने फोन नहीं उठाया। उन्हें उनके नंबर पर वॉट्स अप और मैसेज भी किया लेकिन फिर भी जवाब नहीं मिला।
इंदौर. चीफ रिपोर्टर ।
देश-प्रदेश के मुद्दों पर बयानबाजी से मीडिया की सुर्खियां बटौरते आ रहे राऊ के विधायक जीतू पटवारी विधानसभा चुनाव के तकरीबन तीन साल होने के बावजूद क्षेत्र में उल्लेखनीय काम नहीं कर पाए। फिर मामला पटवारी के सालाना प्रदर्शन के बाद भी नुरानीनगर चौराहे से सिंहासा के बीच बदहाल पड़े धार रोड का हो या फिर राऊ के समग्र विकास का। हर जगह पटवारी ने मुंह की खाई है।
14वीं विधानसभा के लिए चुनाव अक्टूबर-नवंबर 2013 में हुए थे। करीब तीन साल हो चुके हैं। इस दौरान पटवारी ने ऐसा कोई बड़ा काम नहीं किया जो राऊ के उन रहवासियों के कलेजे को ठंडक पहुंचा सके जिन्होंने भाजपा लहर के विपरीत चुनाव में जीतू का साथ दिया था। लोगों की मानें तो साइकिल से दौरा करने, स्ट्रीटलाइट के खम्बे पर चढ़ने, ठेला लेकर सब्जी बेचने और आंख पर पट्टी बांधकर विधानसभा में जाने से जीतू पटवारी की खबरें तो अखबारों में छप जाती है लेकिन हमें खबर से ज्यादा क्षेत्र के विकास की जरूरत है। पटवारी को चुना भी इसीलिए था। वहीं क्षेत्र के भाजपा नेताओं की मानें तो कोई ऐसा बड़ा या उल्लेखनीय काम नहीं है जिसे पटवारी सीना तानकर अपना कह सके।
क्या हुआ तेरा वादा...
क्षेत्रवासियों का कहना है कि चुनाव के दौरान पटवारी ने कई बड़े दावे किए थे। इनमें राऊ में बड़ा सरकारी अस्पताल, युवाओं के खेलने के लिए बड़ा स्टेडियम और राऊवासियों को नर्मदा का पानी भी शामिल था। तीनों के अब तक पते नहीं है। कोई ऐसा जनआंदोलन तक नहीं किया जिसे पटवारी द्वारा क्षेत्र के विकास के लिए की गई कोशिश तक करार दी जा सके। शहर में विरोध-धरने खूब किए लेकिन क्षेत्र में निष्क्रिय रहे। नुरानीनगर निवासी शाहरूख अंसारी ने बताया कि सड़क वैसी ही है जैसी 2013 चुनाव से पहले थी। तीन साल में तीन धरने हो चुके हैं पटवारी के। लिम्बोदी निवासी हरविंदर सिंह ने बताया कि सड़क और रोशनी की समस्या जस की तस है। राऊ निवासी अजय पाटीदार ने बताया कि चुनाव के बाद से पटवारी के दौरे क्षेत्र में कम, शहर में ज्यादा हुए। सिलीकॉन सिटी निवासी रूपेश अग्रवाल ने बताया कि न स्टेडियम बना, न ही अस्पताल।
प्रदेश अध्यक्ष बनना ही लक्ष्य
पटवारी के नजदीकी भी बताते हैं कि 2008 के विधानसभा चुनाव के दौरान जीतू ने बड़े नेताओं वाली अपनी जिन आदतों से शिकस्त खाई थी वही आदतें फिर उन्हें लोगों से दूर कर रही है। क्षेत्र से ज्यादा देश और प्रदेश के मुद्दों पर बयान देकर उन्होंने मीडिया की नजर में तो स्वयं को ऊंचा उठाया ताकि वे प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में शामिल हो सकें। यही स्थिति रही तो उन्हें 2018 के आगामी चुनाव में मुश्किल का सामना करना पड़ सकता है।
नहीं मिला जवाब...
क्षेत्रवासियों की राय को लेकर जब दबंग दुनिया ने पटवारी से संपर्क करने की कोशिश की तो उन्होंने फोन नहीं उठाया। उन्हें उनके नंबर पर वॉट्स अप और मैसेज भी किया लेकिन फिर भी जवाब नहीं मिला।
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