Monday, August 22, 2016

संकट में आकाशवाणी इंदौर की प्रादेशिक समाचार सेवा

- इंदौर के दोनों न्यूज एडिटर के पद भुवनेश्वर-कोहिमा में समाहित
- अगले आदेश तक संकट बरकरार
इंदौर. चीफ रिपोर्टर ।
यह आकाशवाणी इंदौर की प्रादेशिक समाचार सेवा है...। अब आप बाबुराम मरकाम से सुनिये समाचार...। देहात क्षेत्र में अखबार से पहले हर सुबह 7.05 बजे समाचार पहुंचाने वाली यह समाचार सेवा बंद होने की कगार पर है। सीधे तो नहीं लेकिन केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने न्यूज एडिटर की दोनों पोस्ट खत्म कर इंदौर न्यूज रूम की तालाबंदी का रास्ता साफ कर दिया है।
मप्र में आकाशवाणी के दो प्रादेशिक समाचार केंद्र हैं। इनमें एक भोपाल है जो भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर व अन्य संभागों के लिए। दूसरी आकाशवाणी इंदौर की समाचार सेवा जो मालवा-निमाड़ को तवज्जो देते हुए 1981 में शुरू की गई थी। अभी यहां दो न्यूज एडिटर हैं। मंत्रालय ने रिस्ट्रक्चरिंग के तहत इन दोनों पोस्ट को खत्म करते हुए एक को भुवनेश्वर और दूसरी को कोहिमा में समाहित किया है। बचे न्यूज पढ़ने वाले तो वह नियमित नहीं है। इसीलिए न्यूज रूम का भविष्य खतरे में है। इसीलिए इस न्यूज रूम को बचाने की मांग भी उठने लगी है। कमोबेशय पूणे और धारवाड़ सहित अन्य तीन केंद्रों को लेकर भी मंत्रालय की मंशा यही है।
यह है समाचारों का सिस्टम
मेन बुलेटिन सुबह 7.05 से 7.15 बजे तक।
एफएम हैडलाइन पर दो बार। 10.30 से 10.32 और 11.30 से 11.32 बजे तक।
डिस्ट्रिक्ट न्यूज लेटर और न्यूज रील: 9.05 से 9.10 बजे तक रोज। हर सोमवार रात 8 बजे से 8.15 बजे तक।
बचेगा सिर्फ प्रोग्राम सेक्शन
अभी आकाशवाणी इंदौर में छह प्रमुख पद हैं। इनमें डीडीजी-एचओ से लेकर स्टेनो तक शामिल हैं। इनमें से न्यूज एडिटर के दो पद कम होने के बाद सिर्फ प्रोग्राम सेक्शन में अधिकारी बचेंगे। जो अलग-अलग कार्यक्रमों में लोगों को फरमाइशी गीत सुनाते हैं।
20 लाख से अधिक समर्थक
मार्च 2015 में मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार आकाशवाणी के फेसबुक फोलोवर 20 लाख के पार हैं। समकक्ष समाचार संगठनों के बीच आकाशवाणी समाचार सर्वाधिक पसंदीदा हैं। आकाशवाणी का समाचार सेवा प्रभाग देशभर में हर रोज औसतन एक करोड़ लोगों तक पहुंचता है। समाचार न्यूजआॅनएअर.कॉम जैसी वेबसाइट पर भी सूने जा सकते हैं। समाचारों को पसंद करने वालों में नेपाल, पाकिस्तान, सउदी अरब, बांग्लादेश, अमरीका, ब्रिटेन और सिंगापुर आदि से बड़ी संख्या में फोलोवर शामिल हैं। जो वेबसाइट से समाचार सुनते हैं। भारतीय शहरों में न केवल शहरी और मेट्रो यूजर शामिल हैं। इनमें इंदौर, भोपाल, जयपुर, श्रीनगर, पटना, कानपुर, सूरत, कोयम्बटूर, देहरादून आदि से भी बड़ी संख्या में लोग आकाशवाणी समाचार के फोलोवर हैं।
पीआईबी के बाद आकाशवाणी
इससे पहले मंत्रालय ने 31 अगस्त से इंदौर, कोटा, कटक, कानपुर, मदुरई, राजकोट और नांदेड से प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो (पीआईबी) की सेवाएं समाप्त करने के आदेश जारी कर दिए हैं। इससे पहले इस सूची में नांदेड की जगह पुणे का नाम था जिसे राजनीतिक प्रेशर के बाद हटा दिया गया। इंदौर पीआईबी में मधुकर पंवार है जो 1 सितंबर से डीएफपी में असिसटेंट डायरेक्टर के रूप में सेवाएं देंगे। 

जय शिव’ की पर्ची और मनमानी वसूली

कृष्णपुरा छत्री और वीरसावरकर मार्केट अवैध पार्किंग
इंदौर. चीफ रिपोर्टर ।
नगर निगम ने भले पूरे शहर में पार्किंग फ्री कर रखी हो लेकिन वीर सावरकर फु्रट मार्केट और कृष्णपुरा छत्री पर ‘जय शिव’ की पर्ची के साथ दो पहिया वाहनों से 10 और चार पहिया वाहनों से 20 रुपए की वसूली जारी है। वह भी पूरी दादागिरी से। पैसा नहीं तो पार्किंग नहीं।
अगस्त 2014 में नगर निगम ने कृष्णपुरा छत्री सहित कोठारी मार्केट, मेघदूत उपवन, पीपल्यापाला, चिड़ियाघर, मालगंज, सरवटे बस स्टैंड सहित शहर के 18 पार्किंग स्थलों को फिर से फ्री कर दिया था। यहां से लगातार अवैध वसूली की शिकायतें मिल रही थीं। इसके बाद निगम ने सभी पार्किंग स्थलों पर ‘नि:शुल्क पार्किंग’ के बोर्ड लगा दिए थे। फिर भी छत्री के सामने और वीर सावरकर फ्रुट मार्केट में पार्किंग का पैसा लिया जा रहा है।
कोई अधिकारिक सूचना नहीं
मौके पर जो पर्ची दी जाती है उस पर नगर निगम, जिला प्रशासन या अन्य किसी सरकारी महकमें का कोई जिक्र नहीं है जिसने पार्किंग शुल्क वसूली की अनुमति दे रखी हो। पर्ची पर राज्य संरक्षित स्मारक के नीचे बड़े हर्फों में ‘जय शिव’ पार्किंग स्टैंड लिखा है।
जबकि राज्य संरक्षित स्मारक जैसा कुछ है नहीं क्योंकि इन्हीं स्मारकों के पास पार्किंग और सड़क के बीच चार ठेले लगे हैं। जिनसे हर महीने 7-8 हजार रुपए किराया वसूला जा रहा है। वसूली करने वाले सफेद कपड़ों में इन्हीं ठेलों पर फल बेचते भी दिखते हैं।
किसी तरह का कोई बोर्ड नहीं लगा है जिससे स्पष्ट हो कि पार्किंग सशुल्क है। फिर भी चार पहिया वाहनों से एक घंटे के 20 रुपए और दो पहिया वाहनों से एक घंटे के 10 रुपए लिए जा रहे हैं। इसके बाद पांच मिनट भी ज्यादा हुए तो एक घंटे का चार्ज अलग।
बदसलूकी में भी कम नहीं
यहां वसूली की जिम्मेदारी जिन लोगों को दी गई है वे गाड़ी के खड़े होते ही पर्ची काटकर हाथ में थमा देते हैं। किसी ने किसी तरह की आपत्ति ली तो बदसलूकी शुरू कर देते हैं। जब तक गाड़ी न निकालो तब तक दुनियाभर की बातें सुना देते हैं।
वैध हैं, पैसा तो देना पड़ेगा
हम कलेक्टर की मंजूरी के बाद ही पार्किंग शुल्क ले रहे हैं। हम स्मारक की देखरेख करते हैं। इसीलिए यहां गाड़ी खड़ा करना है तो पैसा देना पड़ेगा। फिर कोई अधिकारी हो, नेता या मीड़ियाकर्मी।

एनएचएआई की आईडीटीएल को कड़ी हिदायत

जल्द से जल्द रिपेयर करें इंदौर-देवास सिक्सलेन
इंदौर. चीफ रिपोर्टर ।
तकरीबन सवा पांच सौ करोड़ की लागत से बने इंदौर-देवास सिक्सलेन की बदहाली को लेकर नेशनल हाईवे अथॉरिटी आॅफ इंडिया (एनएचएआई) ने इंदौर-देवास टोलवेज लिमिटेड (आईडीटीएल) को करारा पत्र लिखा है। अथॉरिटी ने दो टूक शब्दों में कह दिया है कि  सड़क की बदहाली बर्दाश्त नहीं होगी। उधर, कंपनी का कहना है कि बरसात में गड्ढे होते ही हैं। हम लगातार सुधार कर रहे हैं।
प्रोजेक्ट की शुरुआती लागत 325 करोड़ थी जो अब तक बढ़कर सवा पांच सौ करोड़ हो चुकी है। बरसात के चलते मार्ग पर कई जगह गड्ढे और दरारें दिखने लगी है। जो रात के दौरान दुर्घटनाओं का सबब बन रही है। मई 2016 में आई ओएंडएम रिपोर्ट में भी इसका जिक्र था। इसीलिए मई और जुलाई में प्राधिकरण ने नोटिस दिया। लगातार हिदायतों के बावजूद सड़क पर गड्ढे दिखते रहे। इसीलिए एनएचएआई ने नोटिस देकर कहा है कि सड़क 15 दिन में रिपेयर कर दें।
डेÑेन भी मेंटेन करें
अथॉरिटी ने कहा कि अंडर पासेस के दोनों ओर जो ओपन डेÑन है उसे दुरुस्त करने को भी कहा है। पत्र में खुले डेÑन के कारण हो रहे हादसों का हवाला भी दिया है।
कर ही रहे हैं रिपेयर...
कंपनी के कर्ताधर्ताओं का कहना है कि रिपेयरिंग को लेकर एनएचएआई जितनी जागरूक है उतनी ही कंपनी भी। हम भी नहीं चाहते कि सड़क खराब रहे और लोग परेशान रहे। बरसात में गड्ढे होते हैं, यह सामान्य प्रक्रिया है लेकिन सुधार बराबर जारी है। ओपन डेÑन को कवर करना अनुबंध में नहीं है। बावजूद इसके कुछ हिस्सा कंपनी ने कवर किया है। बाकी के लिए 15 करोड़ का प्रस्ताव सालभर से बना है, अब तक मंजूरी मिली नहीं।

आजादी पर सस्ता हुआ पेट्रोल रक्षाबंधन पर महंगा होगा

1 रुपए/लीटर की कीमत बढ़ेगी 18 से
इंदौर. चीफ रिपोर्टर ।
बार-बार की टैक्स बढ़ोत्तरी के बावजूद प्रेट्रोल-डीजल की कम कीमतों से मप्र सरकार के खजाने की कमी दूर नहीं हो रही है। इसीलिए एक तरफ जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस की सौगात के रूप में पेट्रोल पर एक रुपए/लीटर की राहत दी तो वहीं मप्र सरकार ने पेट्रोल पर एक रुपए/लीटर अतिरिक्त भार लगाकर राहत पर पानी फेर दिया। नई दरें 18 अगस्त से लागू होंगी।
मामला पेट्रोल-डीजल जैसे अतिआवश्यक  पदार्थों की कीमत का है। केंद्र में एनडीए की सरकार बनने और अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के भाव गिरने के बाद से पेट्रोल-डीजल की कीमतों में गिरावट जारी रही। राजस्व घाटा बताते हुए मप्र सरकार पहले ही पेट्रोल पर वेट 27 प्रतिशत से बढ़ाकर 31 प्रतिशत कर चुकी है। वहीं तीन अलग-अलग किश्तों में कुल 3 रुपए/लीटर का अतिरिक्त भार भी प्रदेश की जनता पर थोपा जा चुका है। लगातार विरोध और वन टाइम टैक्स के आश्वासनों के बीच वित्त मंत्री जयंत मलैया ने एक बार फिर पेट्रोल पर एक रुपया बढ़ाते हुए अतिरिक्त भार के भार को चार रुपए/लीटर कर दिया है।
डीजल पर राहत
पेट्रोल की तरह ही डीजल भी सरकार के निशाने पर रहा है लेकिन इस बार थोपाथापी का केंद्र सिर्फ पेट्रोल को रखा गया। डीजल पर जो 50 पैसे अतिरिक्त कर लगाया जाना था वह नहीं लगाया गया है। डीजल पर कुल 1.50 रुपए/लीटर अतिरिक्त कर वसूला जा रहा है।
कांग्रेस ने पीएम को लिखा खत, जताई नाराजगी
कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष अरुण यादव बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खत लिख चुके हैं। खत में मध्य प्रदेश सरकार द्वारा पेट्रोल -डीजल पर अतिरिक्त कर बढ़ाने की चल रही कोशिशों पर नाराजगी जताई थी।

राऊ फ्लाइओवर नहीं बनाएगी आईडीटीएल!

छह साल के इंतजार के बाद टूटा कंपनी का धैर्य
इंदौर-देवास प्रोजेक्ट जल्द पूरा, एक फ्लाइओवर का कितना करें इंतजार
इंदौर. विनोद शर्मा ।
सवा पांच सौ करोड़ का इंदौर-देवास सिक्सलेन बनाती आ रही इंदौर गायत्री टोलवेज लिमिटेड (आईडीटीएल) प्रस्तावित राऊ फ्लाइओवर नहीं बनाएगी। खंडवा रोड पर निर्माणाधीन फ्लाइओवर को पूरा और सर्विस रोड को मरम्मत करके कंपनी प्रोजेक्ट के हाथ जोड़ लेगी। इसकी वजह, राऊ जंक्शन की नर्मदा लाइन शिफ्टिंग को लेकर छह साल से चले आ रहे गतिरोध को बताया जा रहा है जिसे एनएचएआई और नगर निगम भी मिलकर दूर नहीं कर पाए।
इंदौर-देवास सिक्सलेन के 45.5 किलोमीटर लंबे हिस्से में चार फ्लाइओवर और 15 अंडर पासेस बनना थे। अंडर पासेस बन चुके हैं। नेमावर रोड और मांगलिया फ्लाइओवर बन चुके हैं। खंडवा रोड फ्लाइओवर पर काम जारी है। बचा सबसे महत्वपूर्ण राऊ फ्लाइओवर जो जिस जमीन पर बनना है वहां से नर्मदा की लाइन गुजर रही है। 2010 से जून 2016 तक एनएचएआई लाइन शिफ्टिंग को लेकर ठोस निर्णय नहीं ले पाया। 14 जून में नगर निगम के नर्मदा परियोजना विभाग ने टेंडर जारी किए थे। आठ कंपनियों ने रुचि ली  लेकिन अब तक बिड खोलकर वर्कआॅर्डर जारी नहीं हुआ। जनवरी 2017 तक लाइन क्लीयर होती दिख भी नहीं रही। इसीलिए कंपनी ने काम छोड़ने को मन बना लिया है।
इंतजार करें भी तो कब तक
कंपनी का कहना है कि हमने 2010 में प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया था। साइट क्लीयर मिलती तो फ्लाइओवर बने को चार साल हो चुके होते। अब जबकि प्रोजेक्ट करीब-करीब पूरा हो चुका है तो पूरा लाव लश्कर लेकर साइट क्लीयर होने का इंतजार करें भी तो कब तक? इस खर्च को हम क्यों वहन करें। कंपनी की गलती भी नहीं है।
बनने में लगेंगे डेढ़ साल
चूंकि राऊ जंक्शन है और यहां कई अहम रास्ते मिलते हैं इसीलिए एबी रोड को निर्बाध करने के मकसद से यह फ्लाइओवर सबसे जरूरी है। फ्लाईओवर करीब 800 मीटर लंबा होगा। खाली जमीन पर बने बाकी फ्लाइओवर के मुकाबले इसे बनाना लाइन शिफ्टिंग के बावजूद निर्माण एजेंसी के लिए मुश्किल होगा। बनाने में डेढ़ साल लगेंगे।
निर्माण की लागत भी बढ़ गई
2010 में जब काम शुरू करना था तब सीमेंट, सरिया, रेत और लेबर की कॉस्ट अलग थी और 2016 में अलग। दोनों में दोगुना का अंतर है। अभी और छह महीने काम शुरू होता नहीं दिख रहा। ऐसे में लागत का और बढ़ना तय है।
5.72 करोड़ टेंडर : बुलाए लेकिन खोले नहीं
दो तरह की लाइन है फ्लाइओवर की बाधा है। 1500 और 1748 एमएम डाया। कुल 300 मीटर लंबी लाइन शिफ्ट होगी। नर्मदा परियोजना ने इसकी अनुमानित लागत 5.72 करोड़ आंकी है और इसी लागत से 14 जून को टेंडर निकाला है। 17 जून को सबमिशन जरूरी था। इसी दिन टेक्नीकल प्रपोजल खोले जाना था। 21 जून को फाइनेंशियल बिड खुलना थी। 16 अगस्त हो चुकी है अब तक बिड नहीं खोली गई। इस संबंध में नर्मदा परियोजना के कार्यपालन यंत्री संजीव श्रीवास्तव ने बताया कि एक-दो दिन में फाइनेंशियल बिड खोल देंगे। श्रीवास्तव दबंग दुनिया से बातचीत के दौरान यही बात 24 जुलाई, 2 अगस्त, 5 अगस्त और 9 अगस्त को भी कह चुके हैं।

प्रदेश टूडे के डायरेक्टर दीक्षित ने सरेंडर किए 5 करोड़

इन्वेस्टिगेशन विंग की सख्ती के आगे नहीं चली ना नुकुर-फोनबाजी
इंदौर. विनोद शर्मा ।
दलिया किंग एमपी एग्रो द्वारा पचास करोड़ सरेंडर किए जाने के महीनेभर बाद आखिरकार प्रदेश टूडे और एमपी टूडे मीडिया समूह के डायरेक्टर हृदयेश दिक्षीत ने भी पांच करोड़ की काली कमाई सरेंडर कर दी है। भक्त प्रहलादनगर स्थित समूह के आॅफिस से प्रोबेशरी आॅर्डर(पीओ) मंगलवार को हटा लिया गया है जबकि भोपाल के एक ठिकाने पर अब भी पीओ कायम है।
पोषण आहार बनाने वाली एमपी एग्रो, एमपी टूडे और प्रदेश टूडे समूह के खिलाफ इनकम टैक्स की इन्वेस्टिगेशन विंग ने महीनेभर पहले छापेमार कार्रवाई की थी। कार्रवाई के बाद एमपी एग्रो और उसकी सहयोगी कंपनियों ने जहां 50 करोड़ की काली कमाई सरेंडर कर दी थी वहीं टूडे समूह के संचालक और उनके सीए अड़े रहे। हालांकि दीक्षित बंधुओं के खिलाफ अपने हाथ में पुख्ता प्रमाण लिए बैठी रही इन्वेस्टिगेशन विंग के आगे अड़बाजी ज्यादा चली नहीं। अंतत: लंबी न नुकुर और फोनबाजी के बाद दीक्षित बंधुओं को पांच करोड़ की काली कमाई सरेंडर करना पड़ी। आयकर अधिकारियों की मानें तो असेसमेंट तक काली कमाई का यह आंकड़ा और बढ़ेगा।
पीओ खुला
इंदौर, भोपाल और मुंबई सहित 35 स्थानों पर कार्रवाई हुई थी।   भक्त प्रहलादनगर स्थित दीक्षित बंधुओं के कार्यालय और भोपाल में एक स्थान पर कार्रवाई को अल्प विराम देते हुए प्रोबेसरी आॅर्डर (पीओ) लगाया गया था। लंबे इंतजार के बाद इंदौर विंग के अधिकारियों ने मंगलवार को भक्त प्रहलादनगर में पीओ खोल दिया। कई महत्वपूर्ण दस्तावेज बरामद किए।
लॉकर खुलना बाकी है
भोपाल विंग ने चार इमली स्थित हृदयेश दीक्षित के निवास पर छापेमार कार्रवाई की थी। भोपाल में कुछ लॉकर भी मिले थे। जिन्हें विंग ने आॅपरेट करना शुरू कर दिया है। इंदौर में भी कुछ लॉकर खोले गए हैं हालांकि लॉकर में ज्यादा कुछ मिला नहीं है। इसे 2007 में हुई रेड से मिले सबक की निशानी कहा जा रहा है।
दीक्षित बंधुओं की कंपनियां
सुरेखा दीक्षित, शांतनु दीक्षित और अवधेश दीक्षित : ग्लोबल रीयलकॉन प्रा.लि. (कोलकाता), ग्राप्ट मार्केटिंग प्रा.लि.(कोलकाता), सेवियर कॉमोट्रेड प्रा.लि. (कोलकाता), ग्लोबल ट्रेड वेंचर्स प्रा.लि.(मुंबई), सिंपली बेस्ट रिनेवेबल एनर्जी प्रा.लि. (इंदौर),  ग्लोबल पॉवरनेट प्रा.लि. (मुंबई), मप्र टूडे मीडिया प्रा.लि. (भोपाल),
राजीव दुबे : पिंक मैजिक इंटरटेनमेंट प्रा.लि. में भी।
हृदयेश दीक्षित : प्रदेश टूडे मीडिया समूह और मप्र टूडे मीडिया समूह।
भागीदार : देवेश कल्याणी, राजीव कुमार दुबे
(इन कंपनियों में ज्यादातर सिर्फ दस्तावेजी हैं वास्तविक धरातल पर उनका वजूद नहीं है। इन कंपनियों का इस्तेमाल फंड रोटेशन, खर्च में बढ़ोत्तरी और निवेश दशार्ने के लिए किया जाता है।)

सिंहस्थ से बचे फिर भी मिल गया सम्मान

ड्यूटी निरस्त करा चुकाकर आराम फरमाते रहे 45 दिन
इंदौर. विनोद शर्मा ।
सिंहस्थ 2016 को सफल बनाने में जिन पांच हजार अधिकारियों और कर्मचारियों ने रात-दिन एक कर दिए थे उन्हें प्रदेश सरकार सम्मानित कर रही है। सम्मान पाने वालों में कई ऐसे चेहरे भी शामिल हैं जो सिंहस्थ से जी चुराते रहे। कोई ड्यूटी केंसल कराकर बैठा था तो कोई लगातार शिकायत के बाद मुंह दिखाई करने पहुंचा था। सम्मान की बंदरबांट में शामिल ऐसे चेहरों की संख्या 450 से ज्यादा बताई जा रही है। हालांकि संभागीय अधिकारी इसे त्रुटी बता रहे हैं लेकिन त्रुटी कैसे हुई और क्या सम्मानितों से सम्मान दोबारा लिया जाएगा? इसका जिम्मेदारों के पास कोई जवाब नहीं।
सिंहस्थ -2016 में लगातार 45 दिनों तक सेवा देने वालों को विभागस्तर पर उत्कृष्ठ सेवा सम्मान मेडल और प्रमाण पत्र बांटे जा रहे हैं। इसमें इंदौर संभाग में ही 401 चिकित्सक और स्वास्थ्य कर्मियों को सिंहस्थ में स्वास्थ्य सेवाओं का दायित्व सौंपा था। अब तक सभी को मेडल और प्रमाण पत्र मिल चुके हैं। अब पांच हजार रुपए का नकद मानदेय मिलना बाकी है। लिहाजा अब शिकायतों का दौर भी शुरू हो चुका है। शिकायतकर्ताओं की मानें तो सम्मान पाने वालों में ऐसे चिकित्सक व स्वास्थ्यकर्मी भी शामिल हैं जो बहाने बनाकर दबाव-प्रभाव से सिंहस्थ ड्यूटी निरस्त करवा चुके थे।
सिर्फ इंदौर में ही 110 का सम्मान
संभाग से भेजे गए 401 में से 110 चिकित्सक और स्वास्थ्यकर्मी सिर्फ इंदौर जिले के हैं जिनके सम्मान हुए हैं। इनमें एमवाय और जिला अस्पताल के डॉक्टर भी शामिल है। एमवाय के डॉक्टरों की जगह एमजीएम के असिसटेंट प्रोफेसर भेजे गए। जब उन्होंने एडवांस टीएडीए मांगा था तो उन्हें फटकार मिली थी।
कैसे हुआ सम्मान
सिंहस्थ के दौरान शासन ने 19 मुख्य चिकित्सा अधिकारियों की ड्यूटी लगाई गई थी जो बाद में डीन ने एमजीएम मेडिकल कॉलेज के डेमोस्टेÑटर (असिसटेंट प्रोफेसर) से रिप्लेस कर दी गई। किसी जगह ऐसा नहीं हुआ, सिर्फ इंदौर में हुआ। जबकि हम स्वास्थ्य विभाग के नहीं, चिकित्सा शिक्षा विभाग के  लोग हैं। बावजूद इसके बीते दिनों हुए सम्मान समारोह में उन लोगों के भी सम्मान हुए जिनके रिप्लेसमेंट भेजे गए थे।
डॉ. महेंद्र शर्मा, एमजीएम
क्या सम्मान वापस होंगे
मामला खुलने के बाद जिम्मेदार बगले झांक रहे हैं लेकिन बड़ा सवाल यह है कि अब जबकि ऐसे लोग सम्मानित हो चुके हैं उन्हें मेडल और प्रशसति पत्र मिल चुके हैं। जल्द ही मानदेय की राशि मिलना है। उनसे सम्मान वापस लिया जाएगा?
पीएचई में भी सम्मान
स्वास्थ्य विभाग की तरह ही लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग (पीएचई) के मैदानी अमले की ड्यूटी भी सिंहस्थ में लगाई गई थी जिसमें कई लोग शासन के सख्त आदेश के बावजूद अपने आकाओं की मेबरहानी से बचे रहे। अलग-अलग अखबारों में भी इसका खुलासा हुआ था। इनमें से कई भी सम्मानित हुए हैं। इनकी शिकायत पीएचई सदस्य सज्जनसिंह भिलवारे भी कर चुके हैं।
बड़ी त्रुटी, जांच करवाएंगे
जिन लोगों की ड्यूटी निरस्त हो चुकी थी उनका सम्मान सूची में नाम शामिल किया जाना बड़ी त्रुटी है इस संबंध में जांच करवा रहे हैं।
डॉ. शरद पंडित, संभागीय संयुक्त संचालक

मांगलिया टोल को मिली जमीन

आठ लेन की टोल प्लाजा का काम शुरू
इंदौर. विनोद शर्मा ।
बायपास पर 16 लेन की नई टोलप्लाजा शुरू होने के बाद इंदौर-देवास सिक्सलेन बनाने वाली कंपनी इंदौर-देवास टोलवेज लि. (आईडीटीएल) ने पुराने एबी रोड की नई टोल प्लाजा का काम भी शुरू कर दिया है। आठ लेन बनने वाली नई प्लाजा की टनल तैयार हो चुकी है। जल्द ही शेडवर्क शुरू होगा। कंपनी का दावा है कि दिवाली तक नई टोल प्लाजा में कलेक्शन शुरू हो जाएगा।
सवा पांच सौ करोड़ के इंदौर-देवास सिक्सलेन प्रोजेक्ट के तहत रसलपुर से राऊ के बीच 45 किलोमीटर लंबा सफर तय करने के लिए बायपास पर टोल प्लाजा ‘ए’ है। वहीं रसलपुर से मांगलिया जंक्शन तक 13 किलोमीटर लंबी सड़क इस्तेमाल कर पुराने एबी रोड पर टर्न लेने वालों के लिए राऊखेड़ी में टोल प्लाजा ‘बी’ है। दोनों टोल प्लाजाओं पर टोल वसूली सितंबर 2010 में शुरू हो गई थी। 2015 में बायपास स्थित टोल प्लाजा ‘ए’ का विस्तार करते हुए उसे 16 लेन की बना दिया गया। टोल प्लाजा ‘बी’ राऊखेड़ी की जमीन अधिग्रहण को लेकर जारी विवाद के कारण अटकी रही। कुछ जमीन क्लीयर हुई भी। इसीलिए आईडीटीएल ने एनएचएआई के दबाव के बाद आठ लेन की टोल प्लाजा का काम शुरू कर दिया।
जमीन जिनके लिए रहा विवाद
ग्राम राउखेड़ी के सर्वे नं. 42/1, 54 और 54/1 की जमीन लोक निर्माण विभाग व अन्य सरकारी विभागों के नाम पर है जहां सिक्सलेन एबी रोड बना है। सड़क के एक हिस्से में 53/1 और 53/2 (मुरलीधर) की जमीन है जबकि दूसरी तरफ सुदर्शन बंडी की सर्वे नं. 55/1 और 55/2 की जमीन। 53/1 और 53/2 के साथ ही पीडब्ल्यूडी की जमीन पर टोल की टनल बन चुकी है। यहां टोल भवन भी बनना था जो कि जमीन अधिग्रहण का विवाद खत्म न होने के कारण नहीं बन पाएगा। इसीलिए जमीन क्लीयर न होने तक कंटेनर में आॅफिस चलेगा। जैसा अब तक चलता आया है।
आठ लेन की होगी प्लाजा
चूंकि टोल प्लाजा ‘ए’ के मुकाबले ‘बी’ की तीन गुना तक कम है और अब राऊ-निरंजनपुर सड़क भी सुधर गई इसीलिए यहां वाहनों का दबाव भी लगातार बढ़ चुका है।
अभी प्लाजा के नाम पर दो-दो कलेक्शन काउंटर है। जहां टैक्स चुकाने के लिए वाहनों की कतार लगती है। नई व्यवस्था के तहत चार-चार केश काउंटर होंगे जिससे की टोल कलेक्शन की गति बढ़ेगी और वाहनों की कतार कम होगी।
हर बूथ में रहेगा टनल का रास्ता
बायपास की तरह यहां भी टोल प्लाजा के हर बूथ में टनल में आने-जाने का रास्ता होगा। बूथ चारों ओर से पैक होगा। सिर्फ रुपए लेकर पर्चियां देने के लिए छोटी खिड़की खुली रहेगी। कर्मचारी टनल से अपने बूथ के नीचे आएंगे और सीढ़ियों से चढ़कर बूथ में आ जाएंगे।
बीते दिनों मांगी थी प्रोग्रेस रिपोर्ट
टोल प्लाजा को लेकर नवंबर 2011 से आईडीटीएल, एनएचएआई और इंडीपेंडेंट इंजीनियर के बीच पत्राचार शुरू हो गया था। दिसंबर 2013 तक 16 से अधिक पत्र लिखे गए जिनका हवाला 22 जून 2016 को दिए गए अंतिम रिमाइंडर नोटिस में भी था। 30 दिसंबर 2013 में डिजाइन फाइनल हुई लेकिन जमीन विवाद के कारण काम शुरू नहीं हुआ।

पीएचई में अफसरों की ठेकेदारी

विभाग से ले दाम, करें निजी काम
इंदौर. विनोद शर्मा ।
पेयजल आपूर्ति के लिए बने लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी (पीएचई) विभाग में वर्षों से जमा मैदानी अमला लोगों को मिलने वाले पानी से पैसा बना रहा है। किसी ने अपना कामकाज छोड़कर भाई के नाम से कंपनी खोली और अपने ही विभाग में ठेकेदारी शुरू कर दी। कुछ ठेकेदारों के भागीदार बन बैठे  तो कुछ ने ठेकेदारों को फायदा पहुंचाने को ही धंधा बना लिया। इसका खुलासा बीते दिनों पीएचई मंत्री और जिले के प्रभारी मंत्री तक पहुंची एक शिकायत में हुआ है।
पीएचई उन विभागों में से एक है जो इंदौर जैसे शहर में सुर्खियों से कोसों दूर हैं। इसीलिए अधिकारियों ने अपना जैबी विभाग बना दिया है। हालात, यह है कि मैदानी अमला विभाग से तनख्वाह तो  ले रहा है लेकिन काम कर रहा है निजी। 7 अगस्त 2016 को मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान, पीएचई मंत्री कुसुम महदेले और प्रभारी मंत्री जयंत मलैया तक पहुंची इंदौर जिला पेयजल समीक्षा समिति के सदस्य सज्जन भिलवारे की शिकायत भी इसकी पुष्टि करती है। शिकायत में दो उपयंत्री सहित पांच अधिकारियों और कर्मचारियों के नामों का जिक्र है जिन्हें एक जगह काम करते-करते 19 साल तक हो चुके हैं।
एसडीएम के छापे में गायब मिले थे 25 लोग
मनमानी की बानगी जून महीने में भी देखने को मिली जब कलेक्टर के निर्देश पर एसडीएम ने अनायास दौरा किया और 35 के स्टाफ वाले आॅफिस में कार्यपालन यंत्री सहित 25 गायब मिले।
बालाजी बोरवेल पर मेहरबान
शिकायत के अनुसार मैदानी अमला बालाजी बोरवेल नाम की कंपनी पर मेहरबान है। कंपनी सांवेर का काम देखती है जहां कार्यपालन यंत्री के खासमखास नाइक 2003 से उपयंत्री है। इसके अलावा वेदांत इंटरप्राइजेस और एन.बी. ब्रदर्स को भी लूट की छूट प्राप्त है।
ऐसे बनाया काम को कमाई का साधन
-- हेंडपंप ठेके पर। ठेकेदारों को मनमानी की छूट।
-- गोदाम से सामान ठेकेदारों को दे देते हैं। सामान चोरी की शिकायत भी हो चुकी है।
-- आॅफिस  में ही बन जाते हैं पंचायतों के पंचनामे।
-- सुधरता एक हेंडपंप है, पंचायत से साइन करवा लेते हैं पांच-सात हेंडपंप पर।
-- वर्षों से खराब हेंडपंप को भी मेंटेनेंस बिल लगा देते हैं।
किसकी क्या शिकायत
एम.के.नाईक, उपयंत्री : सांवेर में मई 2003 से पदस्थ,  काम मुख्यालय में ही। बालाजी बोरवेल कंपनी के साथ भागीदारी। अधूरे कामों को देते हैं पूर्णता प्रमाण। परीक्षण के बिना काम का भुगतान। इंदौर की पॉश कॉलोनियों में बंगले। फ्लैट्स।
सुभाषचंद्र गवंडे, उपयंत्री तकनीकी : जुलाई 2012 से। टीएस का काम करते हुए ठेकेदारों से 10 प्रतिशत की हिस्सेदारी। लेब इंचार्ज हैं, ग्रामीण क्षेत्रों से सेंपल नहीं मंगवाते। संजना पार्क में बंगला। नीर नगर में प्लॉट। अग्रवाल पब्लिक स्कूल के पास दो मंजिला डुप्लेक्स, एक होस्टल, मधुमिलन के पास एक मकान।
पुरणसिंह बेस, हेंडपंप टेक्नीशियन: सितंबर 2009 से पदस्थ। यूं काम हेंडपंप रिपेयरिंग का है जो करने के बजाय भाई राजेंद्रसिंह और बालाजी बोरवेल के नाम से सांवेर में ठेके ले रखे हैं। 10 कारें, देवास के टिनोनिया में पत्नी और पिता के नाम से 50 बीघा जमीन कुछ समय पहले खरीदी।  जमीन पर सेमल्याचाऊ स्थित इलाहाबाद बैंक से लोन भी ले रखा है। इंदौर में एक बंगला, दो मकान। एक ढाबा भी।
राजेंद्र वर्मा, अनुरेखक : जून 1992 से इंदौर में पदस्थ।  अनुरेखक का पद वर्षों से खत्म। विभाग के संसाधनों से बालाजी बोरवेल का हेंडपंप संधारण विभाग देखते हैं। इंदौर में अच्छी खासी संपत्ति।
ओ.पी.सोनवने, अकाउंट : अगस्त 2012 से पदस्थ। 10 प्रतिशत कमीशन के साथ बोरवेल कंपनियों के बिल पास करवाते हैं।
पूरा ढर्रा बिगड़ा हुआ है विभाग का
समिति में एक साल हो चुका है। शुरू से अधिकारियों का रवैया मनमाना ही नजर आया। वर्षों से जमा मैदानी अमला ठेकेदारी कर रहा है। गोदाम से सामान गायब करके ठेकेदारों को थमा देते हैं। करोड़ों का घपला हुआ है बीते वर्षों में जिसे दबाया जाता रहा है। उम्मीद है शिकायत को गंभीरता से लेते हुए कार्रवाई होगी।
सज्जनसिंह भिलवारे, सदस्य
इंदौर जिला पेयजल समीक्षा समिति

पीएचई में ठेकेदारी करने वालों के तबादले

दबंग इम्पैक्ट
प्रभारी मंत्री ने कलेक्टर को किया अधिकृत
इंदौर. चीफ रिपोर्टर ।
अपने ही विभाग में ठेकेदार बन बैठे लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी (पीएचई) के मैदानी अमले को सबक सीखाते हुए प्रभारी मंत्री जयंत मलैया ने उनका तबादला आदेश जारी कर दिया है। आदेश के अनुसार वर्षों से एक ही जगह पर जमें उपायुक्त से लेकर हेंडपपं टेक्नीशियन  के स्थान बदलने की जिम्मेदारी कलेक्टर पी.नरहरि को सौंपी गई है।
पीएचई में अधिकारी और कर्मचारी गिरोह के रूप में काम करके कैसे पानी से पैसा बहा रहे हैं? इसका खुलासा दो उपायुक्त सहित पांच लोगों के खिलाफ हुई शिकायत के साथ दबंग दुनिया ने सोमवार के अंक में ‘पीएचई में अफसरों की ठेकेदारी’ शीर्षक से प्रकाशित समाचार में किया था। इसके बाद जिले के प्रभारी मंत्री जयंत मलैया ने मामले को गंभीरता से लिया। उन्होंने इंदौर कलेक्टर को पत्र लिखकर उन पांचों लोगों के स्थानांतरण के लिए अधिकृत कर दिया है जिनकी नामजद शिकायत हुई थी। शिकायत जिला पेयजल समीक्षा समिति के सदस्य सज्जनसिंह भिलवारे ने की थी।
जो जहां है वहां रहना नहीं चाहिए
मलैया ने स्पष्ट कर दिया है कि पांचों की मौजूदा स्थिति जाने। वे कब से एक ही जगह पदस्थ हैं। काम क्या है और पर्फोमेंस कैसा है? बाद में इनका स्थान बदला जाए ताकि गड़बड़ी को लेकर लगातार मिल रही शिकायतें भी कम हो।
मोह छोड़ने को तैयार नहीं श्रीवास्तव
मंत्री ने जिस मैदानी अमले के ट्रांसफर आदेश जारी किए हैं कार्यपालन यंत्री एस.के.श्रीवास्तव उनका मोह नहीं छोड़ पा रहे हैं। छोड़े भी कैसे? नाइक जैसे उपयंत्री न सिर्फ उनके खासमखास हैं बल्कि उनके हित में कई काम करते भी हैं। इसीलिए श्रीवास्तव इनके सिर्फ ब्लॉक बदलने के मुड़ में है। जो सांवेर में पदस्थ है उसे महू या इंदौर। जो इंदौर में है उसे महू से देपालपुर।
इनके होंगे ट्रांसफर
नाम मौजूदा पदस्थापना प्रस्तावित स्थानांतरण
एम.के.नाइक, उपयंत्री खंड इंदौर अन्यत्र
पुरणसिंह बेस, टेक्नीशियन खंड इंदौर अन्यत्र
राजेंद्र वर्मा, अनुरखेक खंड इंदौर अन्यत्र
ओ.पी.सोनवने, अकाउंंटेंट खंड इंदौर अन्यत्र
सुभाषचंद्र गवंडे खंड इंदौर अन्यत्र

Thursday, August 4, 2016

गिरवी रखी जमीन को सरकारी घोषित कर दिया प्रशासन ने

न्यायालय दे चुका वसूली और बजावरी आदेश
चार साल पहले कर्जदाता संस्था ले चुकी है कब्जा
इंदौर. विनोद शर्मा ।
जिला प्रशासन ने जिन दो बहनों की जमीन को वारिसों के अभाव में सरकारी घोषित कर दिया है उनके खिलाफ द रीयल नायक सहकारी साख संस्था आठ साल से साढ़े तीन करोड़ की रिकवरी निकालकर बैठी है। अलग-अलग न्यायालय द्वारा 2010 और 2012 में जारी वसूली आदेश के आधार पर संस्था 2012 में ही दोनों बहनों की अचल संपत्ति का भौतिक कब्जा ले चुकी थी। संस्था का कहना है कि कलेक्टर के आदेश से हमारा कोई लेना-देना नहीं है, हमारा मामला कोर्ट में है जो कुर्की आदेश जारी कर चुकी है।
मामला जेरू मादन व नरगिस मेहता से संबंधित है जो सगी बहने थी और 3/3 न्यू पलासिया में रहती थीं। दोनों ने 2002 में अस्तित्व में आई द रीयल नायक सहकारी साख संस्था मर्यादित, नंदलालपुरा की सदस्यता ली। 2004-05 में इन बहनों ने अपने स्व सहायता समूह की महिलाओं के नाम से सवा करोड़ की एफडी कराई। आरबीआई की गाइडलाइन (बचत से चार गुना) के अनुसार समूह को संस्था ने इसी साल 4 करोड़ का लोन दे दिया। इसी बीच संस्था के अध्यक्ष पद को लेकर दीपक पंवार और रामचंद्र सोलंकी के बीच खींचतान शुरू हुई। तभी वसूली का मामला (0715/2005) 1999 एक्ट में गठित मध्यस्थम परिषद न्यायालय पहुंचा। जहां संस्था के वसूली नोटिसों का जवाब देते हुए दोनों बहनों ने कहा था कि पहले अध्यक्ष तय हो जाए, फिर पैसा जमा कर देंगे। अभी पैसा किसे जमा कराएं।
अध्यक्षता का मामला मप्र राज्य सहकारी अधिकरण, भोपाल पहुंचा जहां 6 नवंबर 2006 में फैसला दीपक पंवार के पक्ष में हुआ। फैसले के बाद संस्था ने  फिर वसूली का तकादा लगाया। दोनों बहनों ने अपनी बीमारी, संस्था में जमा एफडी और गिरवी रखी अपनी चल-अचल संपत्ति का हवाला देते हुए कहा कि ऋृण अदा कर देंगे। कुछ वक्त चाहिए। बावजूद इसके ऋृण नहीं चुकाया गया। 30 दिसंबर 2010 और 2 जून 2012 में मध्यस्थम परिषद न्यायालय ने चल-अचल संपत्ति जब्ती-कुर्की के आदेश पारित कर दिए।
संस्था ने बजावरी लगाई, उधर रजिस्ट्री हो गई
दोनों आदेश का हवाला देते हुए संस्था ने 8 सितंबर 2015 को जज वी.एस.रघुवंशी की 42 नंबर कोर्ट में बजावरी प्रकरण लगाया। इसी बीच दोनों बहनों के तथाकथित वारिस के रूप में सामने आए जहांगीर पिता दाराशाह मेहता, हिल्लू पिता दाराशाह मेहता, रोशन उर्फ रशीदा पिता गुजोर टेंगरा, केटी सुरेंद्र मेहता पिता रतन शाह, मीनू पिता दर्शन मेहता ने बिल्डर अशोक जैन के नाम 3/3 न्यू पलासिया स्थित 11600 वर्गफीट जमीन की रजिस्ट्री कर दी। संपत्ति पर संस्था के बोर्ड लगे होने के बाद भी जैन ने कब्जे का प्रयास किया। संस्था ने विरोध किया और इसकी शिकायत 9 फरवरी 2016 को तुकोगंज थाने पर की। कोई कार्रवाई  नहीं हुई। रजिस्ट्री निरस्त करने के नोटिस जारी हो चुके हैं।
कोर्ट ने दर्ज किया जैन के खिलाफ मामला
अंतत: संस्था के परिवाद पर न्यायालय ने 10 मार्च 2016 को अशोक  जैन और नवाब के खिलाफ संस्था संचालकों को धमकाने के मामले में धारा 506/504 में प्रकरण पंजीबद्ध कर लिया। 294, 457, 427, 120 बी/34 जैसी अन्य धाराओं के तहत जज बी.के.द्विवेदी की 43 नंबर कोर्ट ने जहांगीर, अशोक और नवाब को नोटिस जारी कर दिए जो अब तक  तामिल नहीं हुए।
मामला विचाराधीन, बना दिया फर्जी आदेश
संस्था को जमीन से दूर करने के लिए जहांगीर और अशोक ने सहकारिता ट्रिब्यूनल में अगस्त 2015 को रिविजन प्रस्तुत की जबकि आदेश के विरुद्ध अपील करना थी। संस्था के पक्ष में 2012 में जारी बजावरी आदेश की फोटोकॉपी कर नया आदेश बनाया और उसमें इसकी तारीखें बदलकर जुलाई 2015 कर दी। ताकि वसूली के प्रकरण को चुनौती देने के लिए जमा की जाने वाली 25 प्रतिशत राशि से बचा जा सके। 45 दिन के बाद अपील नहीं होती। इसीलिए जुलाई का आदेश बनाया और अगस्त में अपील कर दी।
420 का मुकदमा ठोका संस्था ने
फर्जीवाड़े की जानकारी मिलते ही संस्था ने जहांगीर और अशोक के खिलाफ 25 जनवरी 2016 को धोखाधड़ी का केस लगाया। 25 मार्च 2016 को जज अमित रंजन समाधिया की कोर्ट ने ट्रिब्यूनल से आदेश की ओरिजनल कॉपी मांगी है। नहीं मिलने पर धोखाधड़ी का केस पंजीबद्ध होगा। 

प्राधिकरण पर मढ़े भेदभावपूर्ण कार्रवाई के आरोप

 सायाजी की सीनाजोरी
- अखबार और अखबार मालिकों पर भी साधा निशाना
इंदौर. विनोद शर्मा ।
कौड़ियों के दाम पर करोड़ों की जमीन लीज पर लेकर जमीन की मनमानी बंदरबांट करने वाला सायाजी होटल्स प्रा.लि. ठोस जवाब देने के बजाय अब सीनाजोरी पर उतर आया है। बुधवार को हुई बोर्ड बैठक से ठीक पहले सायाजी के प्रतिनिधि व वकील ने करारा पत्र लिखकर प्राधिकरण पदाधिकारियों पर भेदभावपूर्ण कार्रवाई का आरोप तक मढ़ दिया। प्रबंधन का कहना है सायाजी को लेकर बोर्ड पदाधिकारी शत्रुता का भाव रखते हैं। इसीलिए लीज निरस्ती का निर्णय हो चुका है, बोर्ड बैठक में चर्चा सिर्फ औचारिकता है।
बुधवार को बोर्ड बैठक का मुख्य विषय सायाजी की लीज ही थी लेकिन लीज निरस्त करने को लेकर ठोस निर्णय फिर टल गया। इसी बीच सायाजी के वकील ने इंदौर के प्रमुख समाचार पत्र में अब तक सायाजी के खिलाफ छपती आ रही खबरों की कॉपियों के साथ एक पत्र सीईओ को थमा दिया। पत्र में प्रबंधन ने कहा कि प्रेस कॉम्पलेक्स में अखबरों को दिए गए प्लॉटों पर प्राधिकरण मेहरबान है। इसीलिए यहां समझौतावादी नीतियां अपनाई जाती है जबकि सायाजी के खिलाफ एकजूट होकर सब यही कोशिश में जूट चÞुके हैं कि लीज निरस्त हो। यदि इनके लिए समझौता नीति है तो हमारे लिए भी हो अन्यथा इनकी भी लीज निरस्त हो।
निर्णय हो चुका, बहस औपचारिकता
प्रबंधन का कहना है कि सभी बोर्ड मेम्बर सायाजी के प्रति द्वेष रखते हैं। हमें पता है कि हम कुछ भी सफाई रखें लेकिन लीज निरस्त होगी ही। क्योंकि लीज निरस्ती का फैसला तो यह पहले ही ले चुके हैं, बैठक में चर्चा करना तो सिर्फ औपचारिकता है ताकि इन पर एकपक्षीय कार्रवाई का आरोप न लगे।
सायाजी के कारनामे
- होटल प्रबंधन ने प्लॉट के एक हिस्से (7000 हजार वर्गफीट) में सयाजी प्लॉजा के नाम से कॉम्पलेक्स बना दिया। जांच रिपोर्ट के अनुसार अंडर ग्राउंड(यूजी) पर 10 दुकानें, ग्राउंड फ्लोर पर 10 दुकानें और प्रथम तल पर 2 दुकानें बनाई गई।
- लीज शर्तों के अनुसार प्लॉट अविभाजित था लेकिन होटल प्रबंधन ने कॉम्पलेक्स की दुकानें बेच दी। सभी की रजिस्ट्री हो चुकी है। इन दुकानों का खरीदार अपने हिसाब से उपयोग कर रहे हैं।
- रिपोर्ट के अनुसार आवंटी लीज शर्त क्र. 4 का उल्लंघन करके होटल के लिए आवंटित प्लॉट पर बनी दुकानों का कमर्शियल इस्तेमाल कर रहे हैं।
- दुकानें अलग-अलग लोगों को बेचकर व्ययन नियम की शर्त- 29 का उल्लंघन है।
- नाकोड़ा डेवलपर्स, आरती जितेंद्र चुघ, कल्पवृक्ष आनंदमोहन श्रीवास्तव, अमित नामदेव बालानी, देवीप्रसाद मोहनलाल शर्मा, अर्पित गुप्ता, सुधीर सोन्थलिया, महेंद्र दाबानी, निहालसिंहं पिता सुखदेव सिंह, चंदू कुरील, राजकुमार कुरील, सुचित्रा धनानी, एल्पिक फाइनेंस लि., मुरलीधर भाटिया के नाम 28 रजिस्ट्री कर दी।
- निर्माण भी मनमाना किया। जिसे लेकर पहले ही लोकायुक्त की जांच और हाईकोर्ट में केस चल रहा है।
अखबार और होटल में बड़ा अंतर है
सायाजी
- जमीन होटल के लिए ली और बड़ा हिस्सा दुकानें बनाकर बेच दिया।
- होटल का विशुद्ध उपयोग व्यावसायिक है।
- जांच हुई, रिपोर्ट के बाद लीज निरस्त हुई।
- एमओएस की जमीन बेची है।
- हाईकोर्ट में कोई मामला पेंडिंग नहीं।
- प्राधिकरण के पत्रों के जवाब तक नहीं दिए।
प्रेस कॉम्पलेक्स
- जितनी प्रेस को जमीन दी उनमें से किसी ने नहीं बेची।
- किराया पर दी है जो कभी भी खाली कराया जा सकता है।
- लीज निरस्त 2005 में हो गई थी। हाईकोर्ट के आदेश पर 2008 में आईडीए में तत्समय की गाइडलाइन से पैसा जमा कराया है।
- अखबार को व्यावसायिक प्रतिष्ठान नहीं कहा जा सकता।
- जांच हुई, रिपोर्ट के बाद मामला कोर्ट में है।
- सुप्रीमकोर्ट ने इंडियन एक्सप्रेस के मामले में व्यवस्था देते हुए कहा था कि समाचार पत्र घाटे का सौदा है इसीलिए अखबार अपनी बिल्डिंग का हिस्सा किराए पर दे सकते हैं। 

प्लॉट दिया रहने को, बना दिया अस्पताल, स्कूल और होटल

स्कीम-94 के सेक्टर डी में प्लॉटधारकों की मनमानी
रोड फेसिंग 40 प्लॉटों का व्यावसायिक उपयोग
इंदौर. विनोद शर्मा ।
एमआर-9 चौराहे से खजराना चौराहे के बीच जिन प्लॉटों पर यूरो किड्स स्कूल, पाकिजा स्कूल, चिक एंड सर्व जैसी चर्चित होटल चल रही है उनका आवंटन आवासीय उपयोग के लिए किया गया था। आवासीय स्कीम में इंदौर विकास प्राधिकरण की तमाम आपत्तियों के बावजूद नगर निगम के मैदानी अमले की मिलीभगत से प्लॉटों पर व्यावसायिक प्रतिष्ठान बनाए गए। इसका खुलासा प्राधिकरण द्वारा की गई जांच रिपोर्ट में हुआ है।
मामला रिंग रोड से लगी स्कीम-94 के सेक्टर ‘डी’ का है। सेक्टर में आवासीय उपयोग के लिए प्लॉट लीज पर दिए गए थे। बावजूद इसके रोड फेसिंग तकरीबन सभी प्लॉटों पर आला दर्जे के व्यावसायिक प्रतिष्ठान आकार ले चुके हैं। इसमें शराब दुकान, अस्पताल, स्कूल से लेकर पत्थर और सिरेमिक शॉप तक शामिल है। इस मामले में प्राधिकरण बोर्ड ने 20 जून 2016 को जांच आदेश दिए थे। सहायंत्री व अन्य जांच अधिकारियों ने बीते दिनों जांच रिपोर्ट प्रस्तुत की।
आठ  प्लॉट की लीज निरस्ती की तैयारी
रिपोर्ट के अनुसार 41 प्लॉटों का व्यावसायिक इस्तेमाल हो रहा है। इसमें से आठ मामलों में आईडीए लीज निरस्ती का विचार कर रहा है। इन्हें प्राधिकरण ने 14 जून को 22 जून तक जवाब देने के लिए कहा था। इनके अलावा 33 में से अन्य सात प्लॉटधारकों ने 29 जून को आवेदन देते हुए जवाब के लिए 31 जुलाई तक का समय मांगा था।
कर्मचारी कोटे के प्लॉट पर भी खेल
जांच में पांच ऐसे प्लॉट भी सामने आए हैं जो कर्मचारी कोटे में लीज पर दिए गए थे। इनमें प्लॉट नं. ईडी 110(30/डीए) पर द सिरामिक नाम का शो-रूम बना है। वहीं प्लॉट नं. ईडी 155 पर प्लायवुड व टाइल्स शो-रूम, ईडी 156 पर जे.के.टायर हाउस, ईडी 158 पर बड़ी बिल्डिंग बनी है जिसके ग्राउंड फ्लोर पर दुकानें चल रही है। इसी तरह ईडी 159 को गोदाम बना दिया है।
शराब-स्कूल-कैफे-अस्पताल सब एक जगह
800 मीटर लंबी यह ऐसी सर्विस रोड है जहां एमआर-9 चौराहे पर बड़ी शराब दुकान है। 500 मीटर लंबे हिस्से में सिरामिक, पीवीसी, इलेक्ट्रॉकिन और स्टील के शो-रूम है। 550 मीटर की दूरी पर समर मेटरनिटी होम, ओजोन कैफे, मेडिकल, पाकिजा व यूरो किड्स स्कूल तक हैं। इसके साथ ही दो-दो होटल हैं। इनमें चिक एंड सर्व बड़ी होटल है। स्कूल के बच्चों का रास्ता इसी शराब दुकान के सामने से है।
तयशुदा ही उपयोग हो प्लॉटों का
जिस उपयोग के लिए प्लॉट लीज पर दिए गए है वही उपयोग कंस्ट्रक्शन के बाद भी होना चाहिए। मामले की जांच रिपोर्ट आ चुकी है। रिपोर्ट के आधार पर कारण बताओ नोटिस थमाए गए हैं।
ललित पोरवाल, उपाध्यक्ष
कहां पर क्या है...
प्लॉट नं. प्रतिष्ठान
ईडी 75 (65/डीए) शराब दुकान
ईडी 78 (58/डीए) स्टोन स्टाइल एंड सिरामिक शो-रूम
ईडी 99(39/डीए) ओजोन कैफे ‘वाइन एंड डाइन’
ईडी 172(15/डीए) यूरो किड्स स्कूल
ईडी 180(6/डीए) चिक एंड सर्व होटल
ईडी 170(17/डीए) पाकिजा स्कूल
ईडी 173(14/डीए) कैफे संचालित
ईडी 109(31/डीए) श्रीकृष्णा मार्केटिंग प्लाय एंड वूड शो-रूम
ईडी 110(30/डीए) द सिरामिक शो-रूम
ईडी 165(22/डीए) समर मेटरनिटी होम
ईडी 104 (34/डीए) गुरुनानक डेकोरेटर्स 

नुकसान का नहीं, फायदे का सौदा है जीएसटी

द सियागंज होलसेल किराना मर्चेंट एसोसिएशन की वर्कशॉप में वाणिज्यिक कर अपर आयुक्त व उपायुक्त ने दूर किए भ्रम
इंदौर. चीफ रिपोर्टर ।
नई व्यवस्था के साथ आशा और आशंका रहती हैं लेकिन आशंकाओं के कारण नई व्यवस्था को नहीं रोका जा सकता। प्रजातांत्रिक व्यवस्था में कर या कर नीति को लेकर न राज्य मनमानी कर सकते हैं। न केंद्र। जीएसटी को लेकर केंद्र आश्वस्त है राज्यों को नुकसान नहीं होगा। इसीलिए पांच साल तक नुकसान की भरपाई की गारंटी भी दी जा रही है। रविवार को द सियागंज होलसेल किराना मर्चेंट एसोसिएशन द्वारा जीएसटी को लेकर आयोजित कार्यशाला पर बतौर मुख्य अतिथि बोलते हुए यह जानकारी वाणिज्यिक कर अपर आयुक्त राजेश बहुगुणा ने दी।
होटल रेडिसन ब्लू में आयोजित वर्कशॉप में श्री बहुगुणा ने कहा कि आज देश में एक ही चीज पर अलग-अलग तरह के शुल्क और कर लगते हैं। जैसे- किसी चीज के निर्माण पर लगने वाला एक्साइज ड्यूटी या उत्पादन कर, वस्तु के आयात पर कस्टम ड्यूटी। किसी चीज की बिक्री पर वैट टैक्स और उपभोक्ता द्वारा खपत पर सर्विस टैक्स। गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) या वस्तु व सेवा कर के अंतर्गत इन सभी टैक्सों को हटाकर एक ही टैक्स कर दिया जाएगा। जीएसटी को लेकर केंद्र द्वारा बनाई गई एम्पावर्ड कमेटी ‘जिसकी आखिरी बैठक 26 जुलाई को हुई’, के सदस्य व वाणिज्यिक कर उपायुक्त सुदीप गुप्ता ने कहा कि टैक्स भुगतान है, दान नहीं। टैक्स सरकार तय करती है, देना सबको है। गलत पैसा न केंद्र ले सकता है, न राज्य। नियम तुगलकी नहीं है। 5000 सुझाव आए थे कमेटी के पास। कई को शामिल किया गया। अब भी फाइनल नहीं है ड्राफ्ट। आप राय दे सकते हैं। वरिष्ठ कर सलाहकार अमित दवे ने भी जानकारी दी।
उपायुक्त सुदीप गुप्ता से सीधे सवाल-जवाब
जीएसटी में कौनसे टैक्स खत्म होंगे?
राज्य द्वारा लिए जाने वाला लीट, इंट्री टैक्स, सीएसटी, वेट, टैक्स आॅन गुड्स जैसे टैक्स खत्म होंगे। केंद्र के सभी टैक्स खत्म होंगे।
कौनसे टैक्स रहेंगे?
राज्य में प्रोफेशनल टैक्स और केंद्र में कस्टम ड्यूटी ।
सीएसटी खत्म होगा तो आईजीएसटी आ जाएगा?
उसका प्रभाव सिर्फ पेट्रोलिम और अल्कोहॉलिक प्रोडक्ट्स पर ही होगा।
कस्टम ड्यूटी 36 प्रतिशत है, आईजीएसटी ज्यादा रही तो आयात महंगा नहीं होगा?
एसजीएसटी और सीजीएसटी की कुल दर के बराबर होगा आईजीएसटी।
अभी दर तय नहीं।
इनके तेवर थे तीखे...
फ्रांस में 1954 से जीएसटी लागू हैं। ऐसे में यदि यहां लागू हुआ तो हिंदुस्तान सर्वोच्च शक्ति कैसे बन जाएगा जबकि हम फ्रांस सहित कई देशों से 60 साल पीछे हैं। व्यापारियों को प्रयोगशाला समझ रखा है सरकार ने। जब देखो नए कर या कर प्रणाली के नाम पर प्रयोग होते रहते हैं। जैसे आज जीएसटी की मार्केटिंग हो रही है वैसे ही कल वेट की मार्केटिंग हुई थी। क्या हुआ, हर राज्य की अपनी दरें हैं। व्यापार शिफ्ट हो रहा है। जीएसटी लागू होने के बाद किसी राज्य को नुकसान हुआ तो भरपाई केंद्र 5 साल तक करेगा। 5 साल बाद क्या होगा? फिर राज्य अपनी दरें तय करके बैठ जाएंगे। अभी तिमाही रिटर्न दाखिल करते हैं, जीएसटी में मासिक रिटर्न सहित सालभर में 37 रिटर्न दाखिल करना होंगे। मतलब सरकार ने हमें बिना तनख्वाह का कारकून बना दिया है। हम आवाज भी नहीं उठा सकते।
रमेश खंडेलवाल, अध्यक्ष मालवा चेम्बर आॅफ कॉमर्स
जीएसटी के तीन प्रकार
सेंट्रल जीएसटी (सीजीएसटी): यह केंद्र सरकार द्वारा लगाया और वसूला जाएगा।
स्टेट जीएसटी (एसजीएसटी): यह राज्य सरकार द्वारा लगाया और वसूला जाएगा।
इंटरस्टेट जीएसटी (आईजीएसटी): जब माल एक राज्य से दूसरे में जाएगा, तब यह टैक्स लगाया जाएगा।
कहां होगा ज्यादा पैसा खर्च
सर्विस सेक्टर होगा महंगा। लग्जरी कार खरीदने में खर्च करना होगा ज्यादा पैसा। शुरू के 2 सालों में उपभोक्ता रहेंगे घाटे में। शहरी उपभोक्ता ज्यादा घाटे में, क्योंकि ये ज्यादा सर्विस का उपयोग करते हैं। हवाई किराया भी हो जाएगा महंगा।
किसे होगा ज्यादा फायदा
टेक्सटाइल इंडस्ट्री में आएगा बूम। आॅटो इंडस्ट्री में आएगा उछाल। फार्मा इंडस्ट्री के ऊपर जाने की संभावना। एफएमसीजी इंडस्ट्री में भी होगा जबरदस्त उछाल। देश के आयकर दाताओं का दायरा बढ़ने से सरकार को होगा फायदा। व्यापारियों को भी मिलेगा एकीकृत टैक्स सिस्टम का लाभ। कम कर दरों का मिलेगा फायदा।
कहां बचेगा पैसा
घूमना फिरना होगा सस्ता।
कम कीमत की कारें होंगी और सस्ती।
दवाइयों के दाम भी गिरेंगे।
दैनिक उपभोग की वस्तुएं जैसे साबुन, सोडा भी होंगी सस्ती।

हर निवेशक को मिलेगी जमीन- शुक्ल

दबंग दुनिया कार्यालय पहुंचे उद्योगमंत्री ने कहा दो हजार करोड़ में नौ नए औद्योगिक क्षेत्र तैयार करेंगे
इंदौर. चीफ रिपोर्टर ।
हमने एकल खिड़की की व्यवस्था कर रखी है लेकिन उसे और कारगर बनाने की जरूरत है ताकि निवेशकों को खिड़की-खिड़की परेशान न होना पड़े। टीसीएस और इन्फोसिस जैसी कंपनियों को जल और जल निकासी जैसे छोटे मुद्दों पर परेशान नहीं होने देंगे। मैं इस संबंध में कल ही संबंधित अधिकारियों से बात करूंगा। यह बात रविवार शाम दबंग दुनिया कार्यालय पहुंचे उद्योग मंत्री राजेंद्र शुक्ल ने कही। उन्होंने कहा कि 2000 करोड़ की लागत से नौ नए औद्योगिक क्षेत्र विकसित कर रहे हैं ताकि हर निवेशक को जमीन दे सकें।
कुछ समय पहले ही मंत्रालय की जिम्मेदारी मिलने के बाद अक्टूबर में होने वाली ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट (जीआईएस) की तैयारियों का जायजा लेने इंदौर पहुंचे थे। दबंग दुनिया से खास बातचीत में शुक्ल ने बताया तैयारियां जोरों पर है। बाकी समिट्स की तरह इस बार भी बेहतर परिणाम सामने आएंगे। क्योंकि बीती समिट्स के माध्यम से मप्र की मार्केटिंग दुनियाभर में हुई है। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के प्रयासों ने मप्र के माथे पर लगे बुनियादी सुविधाओं के संकट के काले दाग भी धो दिए हैं। आज सड़क से लेकर पॉवर तक में प्रदेश मजबूत है।
समिट का आकर्षण
समिट में नौ सेक्टर पर जोर दे रहे हैं। इनमें फोकस ज्यादा एग्रो इंडस्ट्री, फूड प्रोसेसिंग, टेक्सटाइल्स और रीनेवेबल एनर्जी पर रहेगा। हर बार की तरह सेक्टोरियल डिस्कर्शन होंगे। 30 से अधिक देशों के एम्बेसेडर आएंगे। नौ देश सहभागी होंगे।
टीसीएस-इन्फोसिस में ऐसा कैसे?
हाल में टीसीएस और इन्फोसिस में जलजमाव और निकासी की व्यवस्था में संबंधित एजेंसियों की कोताही चर्चा का विषय है। जब इसकी जानकारी श्री शुक्ल को दी गई तो उन्होंने चौकते हुए कहा कि इतनी बड़ी कंपनियों में ऐसी दिक्कतें हैं! मैं इस संबंध में कल ही अधिकारियों को निर्देशित करता हूं।
सरकार आईटी सेक्टर पर भी फोकस कर रही है। क्रिस्टल आईटी पार्क के बाद दो नए आईटी पार्क करीब-करीब तैयार है। क्रिस्टल पार्क में छोटी कंपनियों के लिए भी आईटी पार्क बन रहा है जो 2000 से 5000 वर्गफीट की जरूरत पूरी करेगा। कोशिश यही है कि प्रदेश के भावी आईटी एक्सपर्ट बैंगलोर जैसे शहरों का रूख न करे।
डीएमआईसी को मिलेगी राह
अर्से से दस्तावेजों में ही अटके महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट डीएमआईसी को लेकर शुक्ल ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार बैठकर इस संबंध में बात करेगी। प्रोजेक्ट को अमली जामा पहनाने की पूरी कोशिश करेंगे।
ताकि अन्य शहरों का भी हो विकास
इंदौर-भोपाल निवेश का मुख्य केंद्र बन चुके हैं लेकिन अन्य शहरों की स्थिति संतोषजनक नहीं है। इसीलिए सरकार ने नौ नए औद्योगिक क्षेत्र चिह्नित किए हैं। इनसे रीवा, जलबपुर, ग्वालियर, होशंगाबाद जैसे शहरों में भी निवेश व रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
पीथमपुर को जल्द देंगे पानी
उन्होंने कहा कि पीथमपुर और देवास में कुछ समय पहले तक पेयजल का संंकट था। देवास में पानी की व्यवस्था हो चुकी है। अब बारी पीथमपुर की है जल्द ही पानी की व्यवस्था कर देंगे। क्योंकि इससे एकेवीएन की आय भी बढ़ेगी। 

जिन्होंने चुना वही नकारने लगे मंगवानी को

वार्डवासियों ने कार्यक्रम में नहीं बुलाया, खुद ने बुलाया तो मोघे नहीं आए
इंदौर. विनोद शर्मा ।
चुनाव में अपने क्षेत्र को प्रदेश का आदर्श वार्ड बनाने का दम भरने वाली पार्षद सरिता मंगवानी को उनके अपनो ने ही बेगाना कर दिया। फरवरी 2015 में जिन्होंने मंगवानी को पांच साल के लिए पार्षद चुना था वही लोग डेढ़ साल में ही किनारा करने लगे हैं। रविवार सुबह गुरुनानक कॉलोनी के बाशिंदों ने पार्षद को बुलाए बिना ही पौधारोपण का बड़ा कार्यक्रम कर दिया। शाम को पार्षद न हाउसिंग बोर्ड अध्यक्ष मोघे की शान में सम्मान समारोह रखा लेकिन मोघे ही नहीं पहुंचे।
रविवार को वार्ड-66 की गुरुनानक कॉलोनी में वैष्णवमाता मंदिर और गुरुद्वारे के पास हरियाली महोत्सव के तहत हर घर के सामने पौधारोपण हुआ। कार्यक्रम पार्षद पति व वरिष्ठ भाजपा नेता जवाहर मंगवानी के कट्टर प्रतिद्वंदी इंदौर विकास प्राधिकरण के संचालक विनय मालानी, भाजपा नगर अध्यक्ष कैलाश शर्मा, गुरुसिंह सभा के अध्यक्ष मनजीतसिंह भाटिया के नेतृत्व में हुआ। कार्यक्रम कमल वाघेला और ऋृषि खनूजा जैसे कई क्षेत्रवासियों ने आयोजित किया था।
खुदाई है नाराजगी की वजह
पार्षद कब्जेदार हटा नहीं पाए। उलटा, माणिकबाग ब्रिज के दोनों ओर जेसीबी से नाली खोदी और किनारे मिट्टी पटक दी ताकि गाड़ियां क्रॉस न हो। पैदल निकलना भी मुश्किल हो गया है। लोगों ने बताया  आईडीए ने ब्रिज बनाकर रखरखाव के खर्च के साथ नगर निगम को सौंप दिया था। स्थिति खराब है। मिट्टी-गड्ढे के कारण लोग गिर रहे हैं।
गोपालबाग, त्रिवेणी एक्सटेंशन, राजमहल कॉलोनी, गुुरूनानक कॉलोनी में सीवरेज, सड़क, नर्मदा के काम शुरू हुए लेकिन खत्म नहीं हुए। पार्षद से पूछो तो जवाब मिलता है ठेकेदार-इंजीनियर से बात करो। इसीलिए लोग अब पार्षद को खोदू मौसी कहने लगे हैं। गोपालबाग कॉलोनी में बीच सड़क पर आठ दिन से गड्ढा है। एक गड्ढे में एक वृद्ध दस दिन पहले ही गिरे थे।
गुरुनानक कॉलोनी में काम की शुरूआत नहीं हुई। विनय मालानी ने आईडीए से बगीचा स्वीकृत कराया लेकिन मंगवानी ने टेंडर रूकवा दिए। काम नगर निगम से कराने को कहा था लेकिन आज तक बगीचा नहीं बना। खुदाई को लेकर मामला सीएम हैल्प लाइन तक पहुंच चुका है।
मंगवानी के बुलावे पर नहीं आए मोघे
भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व महापौर कृष्णमुरारी मोघे को बीते दिनों सरकार ने हाउसिंग बोर्ड अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी। इसीलिए 2009-2014 के बीच नगर निगम में जनकार्य समिति प्रभारी व तत्कालीन महापौर मोघे के सबसे नजदीकी एमआईसी सदस्य रहे जवाहर मंगवानी ने स्कीम-71 स्थित सुरूचि गार्डन में रविवार को सम्मान समारोह आयोजित किया। सम्मान मोघे का होना था। लंबे समय तक मंगवानी और उनके समर्थक इंतजार करते रहे लेकिन मोघे नहीं आए। कहलवा दिया कि तबीयत खराब है।
हम तो बुला रहे थे, रहवासियों ने मना कर दिया
चूंकि हम पार्टी से जुड़े हैं इसीलिए पार्षद को बुला रहे थे लेकिन क्षेत्रवासियों ने कहा कि पार्षद को बुलाते हो तो हम नहीं आएंगे। क्षेत्रवासियों और पार्षद के बीच नाराजगी की वजह दोनों को पता है, मुझे नहीं।
ऋृषि खनूजा, भाजयुमा नेता
पार्षद राजनीतिक द्वेशता के साथ काम कर रही हैं। इसीलिए अब तक गुरुनानक कॉलोनी में कोई काम नहीं किया है। पानी भी महापौर को बोलने पर मिलता है। जब उन्हें हमारी चिंता नहीं तो हम उनकी चिंता क्यों करें।
संजय पंजाबी, क्षेत्रवासी

जिन्हें दी वसूली की जिम्मेदारी वही पीते रहे फ्री का पानी

नौ साल हो गए इंदौर में, खाता खुला मंगलवार को 
इंदौर. विनोद शर्मा ।
नगर निगम ने जिस उपायुक्त को मुफ्त का पानी पीने वालों या पानी पीकर बिल का पैसा डकारने वालों पर नकेल कसने की जिम्मेदारी सौंप रखी है वह भी जल कर की बड़ी डिफाल्टर हैं। नौ साल से वह इंदौर में पदस्थ हैं लेकिन उनका जल कर खाता खुला दो दिन पहले। इसका खुलासा संभागायुक्त के निर्देश पर खोले जा रहे सरकारी कर्मचारियों-अधिकारियों के नए खातों की लिस्ट में हुआ।
23 जुलाई को संभागायुक्त कार्यालय में कमिश्नर संजय दुबे सरकारी मुलाजिमों पर बकाया जल कर को लेकर चर्चा की। बैठक में आवंटित आवासों की सूची नगर निगम को उपलब्ध कराई गई थी। अंत में दुबे ने तनख्वाह से जल कर काटने के निर्देश दिए। इसके बाद नगर निगम ने डेढ़ हजार लोगों की सूची तैयार की। इनमें उपायुक्त जलकर लता अग्रवाल का नाम भी शामिल हैं। एफ-2 रेडियो कॉलोनी स्थित जिनके निवास पर दो कनेक्शन है। अग्रवाल की बतौर उपायुक्त नगर निगम में पोस्टिंग को तकरीबन नौ साल हो चुके हैं। 31 जुलाई 2016 तक उनके नाम या उपायुक्त निवास के नाम से भी नगर निगम में खाता तक नहीं है।
2 अगस्त को खुले खाते...
बकायादारों की सूची में अपना पता देखने के बाद दो दिन से उपायुक्त अग्रवाल अपने नाम का जलकर खाता खुलवाने का प्रयास करती रही। खाता खुला 2 अगस्त 2016 यानी मंगलवार को। जोन क्रमांक 11 के वार्ड क्रमांक 54 में पहला सर्विस क्रमांक  है 2540805 और 2540806 दूसरे कनेक्शन का सर्विस नंबर है। पुराने किसी सर्विस क्रमांक का जिक्र नहीं है। ऐसे ही नगर निगम के पूर्व कार्यपालन यंत्री जी.एस.जादौन और सोलंकी के घर भी नल है, कनेक्शन नहीं।
नए कर दिए पुराने खाते...
जिन डेढ़ हजार कनेक्शन की सूची नगर निगम ने बनाई है उन्हें संभागायुक्त के निर्देशानुसार नए सिरे से कनेक्शन दिए जा रहे हैं। रेसीडेंसी एरिया में ही 2540 की सीरिज हुए कनेक्शन की संख्या 100 से अधिक है। बताया जा रहा है कि तकरीबन 1000 कनेक्शन नए सिरे से किए जा चुके हैं।
25 जुलाई की सूची के अनुसार सुपरीटेंडेंट सेंट्रल टेलीग्राफ पर 15,17,361 रुपए, फोरेस्ट रेंजर पर 8,29,979, एसएसपी इंदौर पर 2,40,957, रजनीश वैश पर 40636 और बीबीएस ठाकुर पर 11917 रुपए बकाया थे। ऐसी करोड़ों की बकायादारी है जिसे धीरे-धीरे वेतन से काटा जाएगा। मौजूदा बिल भी जमा कराया जाएगा।
नए क्यों?
चूंकि अधिकारी-कर्मचारियों के तबादले होते रहते हैं। कई ऐसे घर मिले जिनमें कनेक्शन जिन नाम से है वे वर्षों पहले ही इंदौर छोड़ चुके हैं। इसीलिए मौजूदा आवंटियों के नाम से कनेक्शन किए गए हैं।
इनके भी खुले ताजा खाते...
राकेश कुमार सिंह 2540804
जी.एस. सोढी, एम.व्हाय.एच. 2540802
श्री वरदमूर्ति मिश्र, कलेक्टर कार्यालय 2540801
महेन्द्रसिंह चौहान म.प्र.रा.कृ.वि. बोर्ड 2540797
वरूण कपूर निदेशक, रेडियो पुलिस 2540796
कल्याण चक्रवर्ती, एसपी पश्चिम 2540795
आर.जी.पाण्डेय उपश्रमायुक्त 2540793
संजीव दुबे सहायक आयुक्त आबकारी 2540792
अखिलेश झा, एसपी मुख्यालय 2540791
पवन श्रीवास्तव, एडीजी एसएएफ 2540788
सुरेश सोनी संयुक्त संचालक कृषी 2540781
बालकृष्ण मोरे जिला पंजीयक 2540775
राजेश मेहता अधिक्षक भृ अभिलेख 2540766
सुधीर पोल, उपभोक्ता फोरम 2540755